सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Sunday, March 21, 2010
क्या वाक़ई भगवान छोटा और अल्लाह बड़ा है ? Rajyoga or Saashtang .
किसी की ये अदा भी खूब रही कि अपने काव्य मंजूषा को गद्य मंजूषा बना दिया और उसमें भी अल्लाह को बड़ा और भगवान को छोटा कह दिया ।
क्या वाक़ई भगवान छोटा और अल्लाह बड़ा है ?
छोटाई और बड़ाई की तुलना के लिए दो वुजूद होना लाज़िमी है । इस सृष्टि के रचनाकार को अरबी भाषा में ’अल्लाह’ कहते हैं । उसी को संस्कृत में ’भगवान‘ कहते हैं ।
‘भगः सकलैश्वय्र्यं सेवनं वा विद्यते यस्य स भगवान्‘
अर्थात जो समस्त ऐश्वर्य से युक्त वा भजने योग्य है वह भगवान है ।
दोनों एक ही रचनाकार के नाम हैं । इसके बावजूद दोनों नामों में एक अन्तर है।
अरबी भाषा में अल्लाह पालनहार का निज नाम है जो केवल उसी मालिक के लिए लिखा और बोला जाता है । यह नाम किसी आदमी के लिए लिखना नाजायज़ है जबकि अरबी भाषा का ही नाम ‘रहीम‘ है , यह उसका गुणवाचक नाम है । यह उस मालिक के गुण को व्यक्त करने के लिए भी आता है और बन्दों की रहमदिली को ज़ाहिर करने के लिए भी ।
संस्कृत साहित्य में उसका निज नाम ऊँ माना गया है । भगवान उसका गुणवाचक नाम है । मुसलमान भाई तो इस बात की एहतियात रखते हैं कि अपने बच्चों का नाम अल्लाह नहीं रखते लेकिन हिन्दू भाई अपने बच्चों का नाम ऊँ भी रख देते हैं और भगवान भी ।
क्या मुसलमानों की यह एक ऐसी ख़ासियत नहीं है जिसे हिन्दू भाईयों को भी अपनाने की ज़रूरत है?
भाई तारकेश्वर जी ने मुझे अपने साथ हरिद्वार स्थित श्री रामदेव जी के आश्रम में ले जाने का प्रस्ताव दिया है । उन्हें लगता है कि इससे मुझे सुकून मिलेगा ।
उनके आश्रम को तो उनके गुरू जी ही छोड़कर चले गये । तब से रामदेव जी खुद बेचैन हैं । वहां मुझे क्या चैन मिलेगा ?
मेरे पड़ौसी श्री पं. प्रेमनारायण शर्मा जी अपनी 65 वर्षीय माता जी को उनके 10 दिवसीय कैम्प में लेकर पहुंचे । माता जी को दमा ,बवासीर , कंब्ज़ , ल्यूकोरिया व गैस ट्रबल आदि बीमारियां थीं । माननीय रामदेव जी के निर्देशन में उन्होंने जो कुछ किया उसके नतीजे में उनकी पुरानी बीमारियों में से तो एक न गयी अलबत्ता 7 वें दिन उनकी रीढ़ की हड्डी का मोहरा ज़रूर सरक गया ।
माता जी मधुमेह की भी मरीज़ हैं , आप्रेशन भी नहीं करा सकतीं थीं। बिस्तर पर ही टट्टी आदि करने लगीं । पूरा घर मुसीबत में पड़ गया । वे मेरे पास आये , दवा ली ,लाभ हुआ तो ’लला , लला ’ कहकर बहुत दुआएं दीं ।
योग कोई खेल नहीं है कि आते ही जोत दो । साधक की काफ़ी मुद्दत तो यम नियम और आसन की सिद्धि में ही निकल जाती है । तब कहीं जाकर प्राणायाम का नम्बर आता है । ल्ेकिन यम नियम की पाबन्दी तो वह करे जिसे ईश्वर से जुड़ना हो , यहां तो लोग कसरत के लिये आते हैं और मक़सद होता है बीमारी से नजात ।
पतंजलि के योगदर्शन में भी योग का अर्थ ईश्वर से जुड़ना नहीं मिलता । इसीलिये बादरायण ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ब्रह्मसूत्र अर्थात वेदान्तदर्शन के एक सूत्र में कहा है :
एतेन योगः प्रत्युक्तः ब्रह्मसूत्र 2-1-3
अर्थात इससे हम योग का खंडन करते हैं , इससे योग रद्द समझा जाए ।
इस ब्रह्मसूत्र की व्याख्या में शंकराचार्य जी ने लिखा है कि योग क्योंकि वेदों की परवाह नहीं करता , अतः उका खंडन किया गया है , उसे रद्द किया गया हैः
निराकरणं तु न वेदनिरपेक्षेण योगमार्गेण निश्रेयसमधिगम्यत इति
- ब्रह्मसूत्र 2-1-3 पर शंकरभाष्य
अर्थात बिना वेदों के योगमार्ग का आश्रय लेने मात्र से , कल्याण नहीं होता ; अतः इसका निराकरण ( खंडन ) किया गया है। वेदों में योग शब्द तो मिलता है लेकिन इसका अर्थ वहां क्या है ?देखिये -
योगः रथे योजनम्
ऋग्वेद 1-34-9 पर सायणभाष्य
अर्थात योग का अर्थ है :
रथ में जोड़ना ; जबकि योग वाले योग शब्द का अर्थ करते हुए कहते हैं कि , चित्तवृत्तियों के निरोध का नाम योग है :
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः पांजलयोगसूत्र 1-2
इसके बावजूद मैं शंकराचार्य जीकी तरह योग का पूरी तरह खंडन नहीं करता । मैं योग को हितकारी मानता हूं और स्वयं योग करता हूं लेकिन मैं आष्टांग योग के बजाए साष्टांग योग करता हूं । यह सहज सरल और प्रभाव में तीव्र है ।
षटचक्रों का जागरण जल्दी होता हैं। इसके ज़रिये व्यक्ति में निवृत्ति की नहीं बल्कि प्रवृत्ति की भावनाएं जन्म लेती हैं ।
इसे कुंवारे , गृहस्थ , बच्चे , बूढ़े और औरतें बल्कि गर्भवती औरतें तक आसानी से कर सकती हैं । यह सहजता से सिद्ध होने वाला योग है । इससे मनुष्य ईश्वर को तुरन्त उपलब्ध होता है । ईश्वर ही भगवान है । अरबी भाषा में उसी को अल्लाह कहते हैं । जब सबका मालिक एक है तो वह एक मालिक स्वयं से ही बड़ा या छोटा कैसे हो सकता है?
लेकिन कहने वालों का क्या है ?
वैदिक साहित्य का सबसे ज़्यादा बेड़ा ग़र्क़ कवियों ने ही किया है और ये अब भी बाज़ नहीं आ रहे हैं । मुसलमान अज़ान देते हैं , कहते हैं -
अल्लाहु अकबर : अर्थात भगवान सबसे बड़ा है ।
आओ सत्य को पहचानें और मिलकर चलें कल्याण की ओर ।
...लेकिन हरिद्वार की बात तो रह ही गयी ।
हरिद्वार निश्चय ही एक रमणीय जगह है । मैं खुद इसी के दामन में रहता हूं । मेरी नसों में गंगाजल ही व्याप्त है । अब मैं आऊँ या भाई तारकेश्वर जी आयें , जो भी रास्ता निकले लेकिन मिलकर कहीं न कहीं तो जाना ही है ।
तो क्यों न मिलकर काबा ही चलें ?
वह आपका भी तीर्थ है और हमारा भी ।वेद पहले से ही प्रतिमा पूजा से रोकते हैं ।इसलाम के माध्यम से उसी लोप हो चुके वैदिक धर्म का नवीनीकरण हुआ है । यज्ञादि तो आपने भी निरस्त कर रखे हैं , ईश्वर ने इसलाम में भी निरस्त करके आपके विचार पर प्रामाणिकता की मुहर लगा दी है ।
आइये , नफ़रत छोड़कर प्रेम से देखिये ।
विकारग्रस्त परम्पराएं अनेक किए हुए हैं । इसीलिए मैं विकार को अस्वीकार करता हंू ।
This artistic concept is drawn by my 9 yrs old son, Master Anas Khan. He is a good preacher also and has his own blog on
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64 comments:
अल्लाहु अकबर : अर्थात भगवान सबसे बड़ा है ।
आओ सत्य को पहचानें और मिलकर चलें कल्याण की ओर ।
हम किस तेजी से विकल्पहीन हो रहे हैं इसका अनुभव हमें नहीं है। भविष्य बहुत भयावह है।
Mr. Sunny
we are not choiceless and helpless but we are senseless indeed as a society .
Thanks for comment.
अनवर जी काबा तो काफी दूर है , भगवान के दर्शन तो हिंदुस्तान मैं ही हो जायेंगे। बस अफ़सोस सिर्फ इसी बात का है की अरबी सभ्यता को लिए घूम रहे हैं आप। अरे आप मुसलमान हैं तो ठीक है , मगर भारतीय संस्कृत को क्यों भुला कर के बैठे हैं। योग से तन की बीमारी ही नहीं दूर होती है बल्कि मन की बीमारी भी दूर होती है , और इसीलिए मैं कह रहा हूँ की आप हरिद्वार चले।
अल्लाहु अकबर : अर्थात भगवान सबसे बड़ा है । सही कह रहे हैं आप। मगर अरबी मैं कह रहे हैं। हिंदी मैं ही कहिये। भारतीय संस्कृत को ही अपनाइए।
डिवाइड एन्ड रूल के दिन अब लदने वाले हैं ‘युनाइट एन्ड रूल‘ के ज़रिये बनेगा अब भारत विष्व गुरू ।
आओ मिलकर चलें कल्याण की ओर
Bhai Tarkeshwar ji
main to dono bhashaon men keh raha hun. aap jis bhasha men kahen us men keh dun.
Haridwar jana hai to haridwar hi chalo.
Aa jaiyye kisi din.
achhi jagah hai.
VANDE ISHWARAM.
AGREED.
apna mail id to dijiye tabhi to sampark banayenge
चले है ज्ञान बाँटने.
sir Vishal
hum to baant hi rahe hain lekin aap lijiye to sahi.
radev ji ke Guru ka nam kiya tha? jo unhen chhod de chale gaye
nice post
इतने महान गुरू का नाम इतनी आसानी से नहीं उछालते
अनवर साहब जब हरिद्वार को रमणीय जगह मानते हैं तो तारकेश्वर जी के साथ डुबकी लगा लिजिये,जब उधर जायें तो हमारे मुजफ्फर नगर की जमुना में भी डुबकी लगाते जाना
@Aadarniya Saarathi ji Maharaj
Aapka hukm sir mathe par koi aaye to sahi. Bhai tarkeshwar ji ne to adress lekar email tak bhi na ki .
@ Bhai Tarkeshwar ji
Kal apko diya tha.
aaj phir le lijiye.
eshvani@gmail.com
@ Janab Qasmi Sahab
aapka jawab main Bhai tarkeshwar ji ke mukh se sunna chahunga.
@Vishva Gaurav ji
Dhanyavad.
@Muk ji
aapka pura naam kya hai?
muk likhte huye kuchh achha sa nahin lagta.
sabka pura nam leta hun to apka nam bhi pura hi lena chahiyye.
apka sujhao achha hai.
is post ka sheershak edit karke change kar dunga.
Insha Allah
ज़माल साहब आपने अपने लेखन की शैली बदल दी है अच्छा लगा। पहले लगता था रजत शर्मा जी का न्यूज़ चैनल देखा रहे हैं। पर अब आपकी शैली ठीक है। आपके द्वारा दी गई कुछ जानकारी मेरे लिए ज्ञानवर्धक थी। अपने इस लेख में अपने कुछ प्रश्न पूछे हैं जो मुझे बहुत ही आसान लगे। आप चाहेंगे तो मैं उत्तर देने की कोशिश करूँगा पर विस्तार से लिखना पड़ेगा। एक बात जो मैं आपसे पूछना चाहता हूँ वह यह है की आप ब्लॉग में इतना लिख कैसे पाते हैं ? मुझे तो चार लाइन लिखने के लिए बहुत मशक्त करनी पड़ती है। क्या आप कोई software इस्तेमाल करते हैं। अच्छा एक बात और ! कभी धार्मिक विषयों से हट कर कुछ और भी लिखे। थोडा हल्का फुल्का सा। क्या आपको पता है हमारे प्रसिद्ध अभिनेता दलीप कुमार जी(युसूफ खान साहब) को भी गंभीर रोल करते करते कुछ उदास रहने की आदत हो गई थी तो फिर उससे बचने के लिए उन्हें हलके फुल्के कामेडी के रोल करने की हिदायत दी गई थी। आप भी कुछ change लाइए। अच्छा लगेगा।
@Bandu vichar shunya ji
Mere nikat BLOG lekhan ka maqsad entertainment nahin hai.
jiwan ishwar ka anmol uphar hai.
Hamne iska misuse kiya hai.
natija ye hua ki hamne dunioya ko narak bana diya.
aaj charon taraf aag aur khoon ke siwa kya hai.
kya aise men main kuchh halka phulka soch sakta hun.
jahan bhi koi marta hai, manu ka beta mata parwati ke jigar ka tukda aur mera bhai marta hai.
main ishwar Dharma aur Insan ko baant kar nahin dekhta.
isko kaun badlega?
chitragupt sara record tayyar kar rahe hain.
mar kar bhi mera thikana kahin narak ka koi kund na ban jaye.
yahi fikar mujhe sone nahin deti.
Aapka kya hai aap to vichar shunya ban chuke hai.
Agar aap duniya ki barbadi par rona sikh len to aap ke liye bhi bahut sa likhna saral ho jayega.
Zameen ab aur paap ka bhaar dho na payegi. na samble to ant ya kam se kam mahavinash nikat hai.
रामदेव जी खुद बेचैन हैं । वहां मुझे क्या चैन मिलेगा ? Rajyoga or Sashtang.
Ramdev Baichain kyon ho. Jo desh ko Vishva Shakti or Vishva Guru jo banana hai.
Lekin Baba Ramdev no koi FATWA Jari Nahi kiya ki tum Mujhe Vote denaa
Aaj Jama Masjid ke Bukhari ho yaa Anya Tathakathit Moulvi ( Who daily give FATWAA) ke Kahne par or ye
kahiye ki unke FATWE per pooraa muslim purush, sorry mahilayen bhi (bhai hamare desh mein muslim mahilayein
vote kar sakti hain. Lekin kyaa ye Allah kii Marjii ke Khilaap? kahir chhodiye...) Ko "ISLAAM Khatre Main Hain"
ke dar se VOTE dene ko kaha jaata. To phir muslin votero kaa desh vikash mein or India Ko Vishva Shakti Banane mein kyaa yogdaan,
Oe Ye kahe, ki Jama Masjid ke Bukhari ho yaa Anya Tathakathit Moulvi, ne Samaaj ki kya bhalaai kii . Kya kishi Kafir kii sahayata kii.
Lekin maine sunaa hain or log kahate hain ki, Jama Masjid ke Bukhari ho yaa Anya Tathakathit Moulvi Aajamgarh Jaate rahte hain.
Kyon na jaaye vahaan kishi ko paise kii Jaroorat jo hogii, Nepal Jaane ke liye. Batala House ke Aatankvadiyon ko Do muslim vidhaayako ne paise diye
Nepal Jaane ke liye, bhai Jannat jo Jaana hain. Dr Anvar Ko hii lijiye, Aajtak or jab blog kholaa hain unhone desh ke liye kyaa kiyaa. Kewa Namk Harami kii
.or har post pe sunne ko milta hain " Guru ho gaye shuru....., aaj ki post bahuj achhii hain....... Tariiph hi Taariph...
@ Aslam Qasmi said...
radev ji ke Guru ka nam kiya tha? jo unhen chhod de chale gaye
Ye dekho , lagata hain Aslam Qasmi Baba ramdev ke yog se theek nahi hua jo unke guru ko dhoodhne chale..... Phir wahi , bhai Jannat jo janaa hain....
mil jaaye to mujhe bhii bata denaa..
20 Carore Log YOGA se thiik kiya hain , usme Quran ke sataye log Iraq, Pakistaan, Afgaanistaan or arab se bhii hain,
Par na jaan Hamare Desh ke Tathakathit Moulvi, YOG ko Islam Virodhee bataate hain "FATWAAAAAAAAA...",
khair koi nahi Jannat jo jaana hain. Lekin mujhe dukh hai ki Dr Anvar ke Tathakathith Padosi Baba Ram Ke YOG se thiik nahii hua ,
Dr Anvar to Baba Ramdev se milne jaa rahe hain. To Apne saath padosii ko dobaara le jaana,
Aapko Jannat Naseeb Hogi, Ye ladai or "Atamghaatii Bomb" kewal Jannat Jane Ke liye hi to Ho rahi hain "मेरे पड़ौसी श्री पं. प्रेमनारायण
शर्मा जी अपनी 65 वर्षीय माता जी को उनके 10 दिवसीय कैम्प में लेकर पहुंचे । माता जी को दमा ,बवासीर , कंब्ज़ ,
ल्यूकोरिया व गैस ट्रबल आदि बीमारियां थीं । माननीय रामदेव जी के निर्देशन में उन्होंने जो कुछ किया उसके
नतीजे में उनकी पुरानी बीमारियों में से तो एक न गयी अलबत्ता 7 वें दिन उनकी रीढ़ की हड्डी का मोहरा ज़रूर सरक गया ।"
Dr Anvar, Tathakathith "Dr" to aap bhii hain, khair koi nahi, aapke Padosi Kaise hain, Sita Mata or Bharat Mata Unko Lambii Umar De.
http://www.divyayoga.com/
Thiik hain aage badhte hain......
Unko to "Islam Vikaash" kii chintaa hai. Dr Anvar tum to Dr. ho mera matlab "Educated" Dr anvar Tumhare kitne bachhe hain "Cricket team is ready" .(Kewal 10% muslim educated hain),
Lekin Jab tum jaise logo ko bhii Islam Kaa dar lag jaata hain . to Bechare Anpadh Muslim bhii to dar kii
vajah se vote to daalenge hii, Lekin Kiske liye Islam or India Ko Vishva Shakti Banane mein, Raaj Jaane-Shahrukh khan bhii yahi kahate hain (Allah ko es-se kyaa matlab)
Bhagwaan kahiin bhii ho unkii pooja hoti hain, bhakt kaa sandesh un tak pahunch hee jata hain. Same with Allah, Namaj Kahii bhii pado, Allah ko pata chal hii jata
Usi prakaar Baba Ram Dev Haridwaar mein rahe yaa Sansad mein, wo, Apne bhaktone kii Sewa Karte Rahenge . Aap bhii to unke bhakt ho,
Ab mera saath Bolo " Bande Matram". Sorry ..... Please obey FATWAAAAAAAAAAAAAA.... Hamare Desh kaa National Song "Bande Matram..."
Ganaa Allah ke Khilaap hain, bhai Jannat Jo jana hai
Raj Singh
Thanks
@ Rajbeer moradabadi ji
apne kafi likha.
Imam bukhari ka main himayati nahin.
unki nitiyon ka virodhi hun .
unhone to BJP ko bhi vote dene ki apeel ki thi.
Main utne bachhe paida karna chahta hun jitne bachhon ki prarthna vedon men rishiyon ne ki hai.
kyunki iske dil men imaan aur badan men jaan chahiyye.
Jo ki aap men hai nahin.
ANWER BHAI .
GAZAB HAI AAPKA QALAM,
LAGE RAHIYE ZINDABAAD
ab sahespuriya ji
hosla afzai ke liye shukriya.
aur mujhe join karne ke liye bhi.
email ke zariye kuchh apna shoq zoq zuroor batayen .
shukriya.
जमाल तेरा नाम तो झमाल होना चाहिए.
भगवान शब्द सीधे- सीधे प्रकर्ति की पूजा है.
भगवान् में -----------भ से भूमि
ग से गगन
व से वायु
अ से अग्नि
न से नीर
और तेरा अल्लाह तो मोहमद के हाथों की कठपुतली था. मुहम्मद को अल्लाह से जहां जैसा फायदा मिला यूज किया.चाहे वह लूट का माल हलाल करने के लिए हो,चाहे बुढापें में ६ वर्ष बच्ची से शादी के लिए हो व चाहे ९ वर्ष की आयशा से बलात्कार हो(९ वर्ष की बच्ची के साथ सम्भोग बलात्कार की श्रेणी में ही आता है),चाहे दुसरे धर्मों की ओरतों के बलात्कार की छूट देने के लिए हो,
मोहम्मद के अनुयाई अच्छाई स्थापित करने के लिए नही अपितु लूट के मॉल हड़पने के लिए उनके आक्रमणों में शामिल हुए.----------------क्या यह शुद्ध राजनीती नही है? क्या अल्लाह को अपनी पूजा के बदले में निर्दोषों को लूटने और लूट कर आए लोगो को शांत करने के लिए ऐसे व्यव्हार की आवश्यकता है ?क्या अल्लाह का यही व्यवहार वास्तविक है?
हाँ तेरे अल्लाह का यही वास्तविक रूप है मोहम्मद के हाथों की कठपुतली.
इसलिए तेरा अल्लाह कभी भगवान् नहीं हो सकता.
तो क्यों न मिलकर काबा ही चलें ?
वह आपका भी तीर्थ है और हमारा भी। वेद पहले से ही प्रतिमा पूजा से रोकते हैं। इसलाम के माध्यम से उसी लोप हो चुके वैदिक धर्म का नवीनीकरण हुआ है । यज्ञादि तो आपने भी निरस्त कर रखे हैं, ईश्वर ने इसलाम में भी निरस्त करके आपके विचार पर प्रामाणिकता की मुहर लगा दी है ।
आइये, नफ़रत छोड़कर प्रेम से देखिये।
बड़ा छोटा सर्च करने के बजाए एकत्व पर रिसर्च कीजिए। सबकुछ एक है।
विकारग्रस्त परम्पराएं अनेक किए हुए हैं । इसीलिए मैं विकार को अस्वीकार करता हंू।
नविन जी,
भगवन की जो परिभाषा आपने बताई, उसे सुनकर तो हंसी के मारे बुरा हाल है. श्रीमान क्यों अर्थ का अनर्थ कर रहे हैं. और परिभाषा लिखने का यह भी कोई तरीका हुआ? कि हर अक्षर से अलग शब्द बना लिया? यह कौन सी व्याकरण है?
और आपने जो बिना सर-पैर की बातें लिखे दी ईश्वर के अंतिम संदेशवाहक श्री मुहम्मद (उन पर शांति हो) के लिए. इन बातों के ज़रिये आप सिर्फ अपना हृदय ही भ्रष्ट करेंगे और आपको मिलेगा कुछ भी नहीं. हाँ अगर आपके कुछ प्रश्न अथवा शंकाएँ है तो आप अवश्य ही मालूम कर सकते हैं, उन शंकाओं का निवारण करना एवं प्रश्नों के उत्तर आपको उपलब्ध करना हमारा कर्तव्य बनेगा. विश्वास कीजिए आपको संतुष्टिजनक उत्तर दिए जाएँगे.
@ Shahnawaz bhai
shukriya.
@Vichar shunya ji
waqt mile to ek nazar is par bhi
apke mood change ke liye kal likha tha..
kaisa laga bataiyyega?
see below
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html?showComment=1269233474751_AIe9_BHJSl3HNlb5SSX0IRxz-Fn2_FdEpJznFzACMd5VLjqizVPWCRbOoTLB2cDiCNDMrOCD0sZaU6BaztnJIeGmJDHgMWEl0Us6qMIQreCJUGy43Pb5n84nqUqc2UZKsNV-acx5t_keZxOCElHiecNellTgPE4N8KqQpOaBIctNbWsTQeY8X1kOiEdCyle_c0mUYzLU_EByFAGjWOJ2dD6l7xkFtumR772WzWXXcy-ZsNzRhv6s8tU#c6091561049875244957
शाह नवाज़ तू तेरा गुरु जमाल तो हिन्दू संस्कृति के बहुत बड़े ज्ञाता है तू ही भगवान् का अर्थ बता दे .नवीन जी ने बिलकुल ठीक लिखा है.क्यों की हिन्दू पञ्च तत्व में विशवास रखता है और प्रकर्ति की पूजा करता है और पांच तत्वों से ही भगवान् बनता है.
जमाल हिन्दू ग्रंथों को इतना गलत अर्थ करके लिखता है तब तेरे पेट में मरोड़ा नहीं उठता,एक हिदू भाई तेरे अल्लाह की पोल खोलता है तो तेरे पेट में खलबली होने लगती है. अब इतना भी न हंसियो की तुझे दस्त लग जाएँ.
@ SHAHNAWAZ BHAI
Apka dhairya to waqai qabil e tarif hai.
Jazakallah
शाह नवाज़ काबा चलने की जरूरत क्या है अपने ही देश में काशी विश्वनाथ के दर्शन करले क्योकि काबा में भी शिवलिंग के दर्शन होंगे और यहाँ पर भी.साथ साथ हिन्दू जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई का कुछ धन भी बच जाएगा जो हज की सब्सीडी के लिए दिया जाता है.
शाह नवाज़ काबा चलने की जरूरत क्या है अपने ही देश में काशी विश्वनाथ के दर्शन करले क्योकि काबा में भी शिवलिंग के दर्शन होंगे और यहाँ पर भी.साथ साथ हिन्दू जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई का कुछ धन भी बच जाएगा जो हज की सब्सीडी के लिए दिया जाता है.
@ Manch wale bhai
Sanskrit men harek shabd kisi dhatu se banta hai.
Aap bataiyye ki ye Bhagwan shabd kis dhatu se bana hai?
@ Aadarniya MUK JI
Maine aapki bhavna ko dekhte hue
is lekh ka sheershak change kar diya hai.
ye shirshak kaisa laga ?
Dr Anvar,
Apnaa naam bhii badliye
Dr Md. Allah
Saayad Aap bhii Allah se bade ho Jaye
@ hindu.hindustan
आपका सुझाव काबिले-गौर है, परन्तु हर चीज़ का अलग महत्त्व होता है, जैसे भूक मिटने के लिए पानी पीना काफी नहीं होता, उसके लिए खाना खाना आवश्यक होता है, वैसे ही कशी-विश्वनाथ जाना और काबा शरीफ जाना दोनों अलग-अलग बातें हैं. वैसे कशी-विश्वनाथ जाना तो फिर भी ठीक है... परन्तु दर्शन वाली बात कुछ समझ में नहीं आई? कृपया समझेंगे किस चीज़ के दर्शन? अगर मूर्तियों के तो मुझे उसकी आवश्यकता नहीं है... और अगर स्वयं ईश्वर के, तो मुझे उसके लिए कशी-विश्वनाथ या फिर काबा शरीफ जैसी किसी भी जगह जाने कि आवश्यकता नहीं है. क्यों प्रभु तो सदैव मेरे साथ है.
हाँ काबा शरीफ जाने का एक दूसरा मकसद अवश्य ही हो सकता है... समय मिलने पर अवश्य समझाने की कोशिश करूँगा.
धन्यवाद!
क्या बात है MLA साहिब..... बहुत अच्छे!!! वैसे पहली बात तो यह कि काबा शरीफ में कोई शिव लिंग जैसी चीज़ है ही नहीं. दूसरी बात काबा शरीफ में कोई अल्लाह के दर्शन करने के लिए नहीं जाता है. काबे की तरफ मुंह करके नमाज़ पढने एवं वहां इकठ्ठे होने का एक मुख्य कारण है पुरे विश्व की एकता. हम लोग काबे-शरीफ में ईश्वर के दर्शन करने नहीं जाते और ना ही इसलिए जाते हैं कि पत्थर-मिटटी से बना काबा-शरीफ कोई बहुत बड़ी हैसियत रखता हो. क्यों बड़ा तो सिर्फ एक ही है, और वह है ईश्वर. मेरे गुरु मुहम्मद (उन पर ईश्वर की शांति हो) ने कहा जिसका मतलब है कि:
"कैसा प्यारा, इज्ज़त वाला, ऊँचा स्थान रखने वाला है का'बा शरीफ. परन्तु एक इंसान की बे-इज्ज़ती करना का'बा शरीफ की बे-इज्ज़ती करने से भी बड़ा पाप है."
यहाँ एक मुसलमान अथवा किसी इस्लामिक पंडित की बात नहीं की बल्कि एक साधारण से इंसान (चाहे वह स्वयं ईश्वर को ना मानता हो) की इज्ज़त को का'बा शरीफ की इज्ज़त से भी बड़ा करार दिया मेरे महागुरु और ईश्वर के अंतिम संदेशवाहक हज़रात मुहम्मद (स.) ने.
जहाँ तक बात नमाज़ पढने की है तो मुसलमान का`बा शरीफ की तरफ मुंह करके नमाज़ पढ़ते हैं. यहाँ का`बा शरीफ की अहमियत सिर्फ इसलिए है ताकि पूरी दुनिया एक ही तरफ को मुंह करके पूजा करें, और सभी लोगो में पूजा करते समय एकता हो. इसके अलावा और कुछ भी नहीं.
एकता बढ़ाने के लिए ही मोहल्ले की मस्जिद में पांच बार नमाज़ पढ़ी जाती है, ताकि लोग पांच बार ईश्वर का धन्यवाद करें और एक-दुसरे से मिल कर हाल-चाल मालूम करें. वहीँ सप्ताह में एक बार अर्थात शुक्रवार के दिन पूरी बस्ती के लोग मिलकर जामा मस्जिद में पूजा-अर्चना करते हैं और एक-दुसरे से मिलते हैं. इसके साथ ही पुरे शहर के लोग पुरे वर्ष में एक बार ईदगाह में एवं पुरे विश्व के लोग का`बा शरीफ में इकट्ठे होते हैं.
It's a fashion today to criticize Ramdev Baba...
Dr. Anwar Jamal looks arrogant to me, plus he looks fool at the same time...
I thought there must be some useful information on this blog, so came here by reading ramdev baba's name, but this blog is full of SHIT, totally scrap and dirty minded... I am sorry, if this is the standard of Hindi blogs... god save them... :)
सचमुच आपकी लेखनी में टिप्पणीकारों को आकर्षित करने की दक्षता है।
बस एक बात....
ऊँ नहीं.....
ॐ है कभी इस क़िताबत पर भी कलम चलाइये।
blogi baba me swal poonch raha hoo boora mat man jana chachhha pahle bhi chidh gaye the???kanhi fatava jari kar do??...baba kaba ka akaar yoni jaisa kyao he jabaki shiv ling kaa aakaar ling jaisa yadee shiv ling ko kaba me dal diya jaye to dono ek roop ho jayenge..ek c.m ka bhi farak nahi aayega ...aisa kyo baba yoni vanha or ling yanha aisa kyo....ya baba vanha bhi koi ling pada he choop ke..baba aapne to dekha hoga....baba aapki ranumai ki asha karta hoon ..kuran me to likha hoga ki kiski yoni kat ke yanha patki gyee???? ya mohamad shab ne yanha lakr girayee????baba aap ese behuda kahenge ?//persawal dil me utha tha isliye pooch betha aavashkata ho to photo bhijvaun kaba ki
chacha kya baat he ab to coment opetion ko senser karne lag gye click karne se open hi nahi horaha tha doosri id use leni padee....chaacha mmoojhe is bat ka jawab dijiye ki unchi gand karke naamj padhne ka kya sciencitific reason he...????kya khooda jaldi milta he yaa vo practice karte he??? han aurte aisa kartee to samajh me aajata ??? doosra lavde ko agla phootra ko katne ka kya makasaad..(bhai shab maaf karna angreji nahi aati he)vo bhi matke per soola kar???/ chachha javab dijiye aap gyani he???/
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मैं किसी पे आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ . सिर्फ इतना जानना चाह रहा हूँ ,की यह सब मूर्ति पूजा से किस प्रकार भिन्न है
http://27amit.blogspot.com/2010/03/blog-post_4032.html
chachha boora to nahi maan gaye??? vese aap gyani he??..aap sub ko maaf kar dete hen??? aap koi pig mber thode hi hen...chchha shabdo ka thodaa kachha hoon??? aapne pahle hi kaha tha ki apna naam sahi likhna seekho...(angreji kam aatee he)..?? chccchha aap se poochna chahata hoo ki mohmodono ne apni jansankhya badha ke kanhi apne hi pero me koolahdi to nahi maar ranhe he??chachha mohmdone ke ek ghar me 10 londe 11 londiya sale fakiro ki jese ...baap kasai bade bete ke pincuture ki dookan....usse chota lohe ke karkhane me...londiya baap ke kaam me hath banta ti..khlo ko dhotihui maa ke fir garbh thahara huaa he...chota vala padh rha he,,sinior me ...us se bada college kar chooka he .jese tese??/? ab pareewar bhookho maar raha he??/ sale majhabi bathee me tapega college vala londa ..vo jihadiyo ke sampark me he....sale ko aatam hatya karne par paise jo milenge...parivar ko...kya yogdaan he chchaacchhha duniya or desh ke vikaas ke yogdaan me ???????chchhaa jvab dijiye kanhi boora to nahi maan gye????soryy chchhaa maene yahi dekha he toom gyani ho ker bhi gyani hi ho
blogiye baba sanp soogh gaya kya ????jawab nahi he kya ???baba koi gali bako naa pyar se soookha aata laga ke...jese ab tak bakte aarahe ho...bako bako...badjaat
baba dukaan thode hi din chalee...customer thode alag tarha ke aa gaye???? baba vatican city kaa maal bhi rakho naa dookan me ..vnha ke customer bhi to aate honge???? baba itne din milawati maal bech rahe the ....milawati maal nuksaan karta he??????....jyada dookan nahee chalegi... apne mohaale me hi dukan khol lo ....chaliya dookn chala degi jese rehana afsaana rajiya ...sultana ..parvennaa ..mahsana ..baba honge to chailiya bhi hongi...moojhe chilabana dijiye seva kar doonga...on line yaar baba ???? aapko chaliyo ki chinta ho jayegi ???????
sabka malik ek hai.
" om sai ram"
jai shri ram - allah-hu-akbar
om namah shivay
salallah hu alleh hi wassalam
जमाल भाई ।बर्तन अगर पूरा भरा हो तो उसमे कुछ और नहीं भरा जा सकता इसी तरह अगर दिल में नफरत ही भरी हो आप मुहब्बत कैसे भर
भर सकते हैँ। कुछ लोग जो अपने दिल में नफरत भरे हुए है वह ये बातें नहीं समझ सकते ।
yar saleem itna to pata chal gaya ki tum musalman nahi ho par apna naam badal kar kyu musalmano ka naam badnam kar rahe ho or jo bate apne kahi or jo puchhi shayad ap jante nahi ho ki daram ke bare me ya usse relative kisi bhi chiz ke bare me kis trah bat karni chahiye mana ki apki soch or har chiz ko dekhne ka nazria bohot galat he par insan kitna bhi galat ho use itna to pta hota he ki dharam kya cheez he me apse jada kuchh ni keh sakta bas itna hi keh sakta hu ki dharam ke bare me jaano ki uski sachhai kya he or jab ap ye sab samajh jaoge to ap ye bhi samaj jaoge ki pichhe jo apne swal puchhe wo kitne galat the, bas dua he khuda se ki wo ap par apna keher nazil na kare or apko bhi sidhi rah dikhaye..
जब कण-कण में भगवान है। तो अल्लाह क्यों भगवान नहीं हो सकता। हाँ पर अल्लाह के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा तो नहीं दिया जा सकता। हनुमान जी को भी कलियुग को मारने से भगवान ने मना कर दिया था। तो समय का इंतजार किया जाय। वरना मंगलपांडे की तरह पछताना भी पड़ सकता है।
हमें तो इस्लाम पर पूर्ण विश्वास है। क्योंकि सनातन धर्म सबके मूल में हैं। बाकी तो सम्प्रदाय है। जो मूल है वह तो सबमें है - चाहे वह हिन्दू हो, या मुसलमान, या ईसाई। धर्म के उपनियम ही हमें अलग कर देते हैं। इसलिए जिहाद और शहादत के नाम से आतंकवादियों के विरोध में भी आपको कुछ बोलना चाहिए।
भैया, ऐसा न कहें। मेरे विचार से अल्लाह और परमेश्वर एक ही है। अल्लाह को कभी किसी ने नहीं देखा तो उसके बारे में हमारे विचार तो अपना-अपना ही है, न। हमने भी परमेश्वर की कल्पना ही की है, और राम, कृष्ण, वराह, नरसिंह आदि के रूप में अपने परमेश्वर की कल्पना ही की है। हमारे यहाँ जिसने हमारी भलाई की उसमें ही भगवान के रूप में देखते हैं। कहते भी हैं कि भगवान हमारे सामने हमारी भलाई करने अपना रूप बदल कर आते हैं। साईं बाबा, जो एक मुस्लिम हैं, उसे भी हमने भगवान मान लिया। यह है हमारी उदारता। पर यदि अल्लाह के नाम पर हमें पथच्यूत करता है तो यह उसकी बेवकूफी है। इसे समझते हुए सच और झूठ को समझते हुए बहस जारी रखें।
कृपया इसे भी ध्यान में रखें। पहले ध्यान, फिर धारणा और अंत में समाधि। ध्यान में वस्तु सामने होता है। धारणा में उसका सूक्ष्म रूप से दर्शन करते हैं। सबके अंत में समाधि में जाते हैं। जहाँ कोई वस्तु नहीं होता और शून्य में पहुँच जाते हैं। इसलिए ध्यान ही मूर्ति है। उनकी स्तुति धारणा है। और अंत में निराकार ब्रह्म में लीन होने का अवसर मिलता है। इसलिए मूर्तिपूजा को मूल्य को समझने का प्रयास करें।
अभी तक एक भी मुस्लिम देश ऐसा नहीं मिला जिसमें मानवता की इज्जत करता हो। हाँ, जिहाद और शहादत के नाम पर आतंक फैलाने वाले लोग तो मिले। दूसरे के धर्म को छोटा समझने वाले लोग मिले। इसलिए मेरा कहना है धार्मिक वही लोग हैं जो मानवता की इज्जत करना जानते हो। दूसरों के धर्म की इज्जत करना जानते हों। देश, काल और परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रकार से जीने में हर्ज नहीं है। पर एक-दूसरे का विरोध करते हुए अपने को बड़ा कहना गलत है। सत्यम् एकं विप्राः बहुधा वदन्ति। सत्य तो एक ही पर विद्वान जन अलग-अलग प्रकार से व्याख्या करते हैं। आप सब विद्वान के सामने मेरी छोटी मुँह बड़ी बात को क्षमा करेंगे।
अनवर भाई के लेख वास्तव में अपनाने योग्य है। पर उनकी बात मुस्लिम समाज मानेगा। ये आतंकवादी मुस्लमान उनसे भी नफरत करने लगेंगे। फिर भी उनका साहस सराहनीय है। पर क्या मक्का-मदीना और काबा में हिंदुओं को जाने की स्वीकृति मिलेगी।
कृपा करके यही बात आतंकवादियो को समझा दीजिये। पता नहीं ये इस्लाम को मानते हैं, या किसी और को। सारे दुनियाँ में इन्होंने आतंक फैला रखी है।
मैं आपके लेख में अनेकों सन्देश लिखता हूँ, पर मेरे सन्देश कभी नहीं दिखाते। मेरे सन्देश आपको दिखने में क्या परेशानी है। अगर परेशानी है तो निसंकोच बताएं। मुझे तो बड़ी खुशी हो रही है कि आपके ब्लॉग से अनेक लोग कुरान और वेद को पढ़ने के लिए प्रेरित हो रहे है। और बड़ी अच्छी वाद-विवाद चल रही है। जिसका मैंने हमेशा इंतजार किया है।
मेरा कमेंट नहीँ आया।
Gazab....
Gazab....
Vande ishwaram
Hari om
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