सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, March 30, 2010
क्यों चीर डाला अवध्य बाबू का जबड़ा खिलाड़ी ब्लॉगर्स की मीटिंग में गिरी जैसे semi scholar ने, पान के देश में ? और क्या कहा वकील साहब ने ...?
PART 2
हां तो अब बताइये कि क्या क्या हुआ बड़े खिलाड़ी ब्लॉगर्स की उस अर्ध गोपनीय मीटिंग में ?
होना क्या था , डॉक्टर साहब के बारे में ही मशविरा हुआ कि कैसे इस बला से निपटा जाये ?
हां , यह तो मैं भी समझ रहा हूं लेकिन यह तो बताइये कि किसने क्या कहा ?
अरे भाई जिसके जी में जो आया उसने वही कहा । गेंदालाल जी ज़्यादा भड़के हुए दिख रहे थे । सबसे पहले वही फटे ।
भई वे क्यों फटे ? डॉक्टर साहब ने उन्हें ऐसा क्या कह दिया उन्हें ?
डॉक्टर साहब की बात पर नहीं , वे तो अपने भांजे नत्थू की बात पर भड़के हुए थे ।
भांजे की बात का इस मीटिंग से क्या मतलब ?
मतलब है । वह भांजा भी तो ब्लॉगर है न ।
ओह ! आई सी ।
ख़ैर किसी तरह महर जी ने गेंदालाल जी को समझाया कि आज का इश्यू उनका भांजा नहीं है बल्कि डॉक्टर है तो वे बोले कि यार उसे तो इश्यू तुम लोगों ने बना रखा है वर्ना वह भी कोई इश्यू है । मैंने तो आप लोगों से कई बार कहा कि अरे भई इग्नोर करो उसे लेकिन आप हैं कि उसे सर पर उठाये फिर रहे हैं । क्यों जाते हैं आप उसे पढ़ने के लिए ?
क्यों गंेदालाल जी , आप भी तो जाते हैं , क्यों ?
अ...अ...अरे, मैं कोई उसे पढ़ने थोड़े ही जाता हूं । मैं तो वहां उनका फ्रॉड देखने जाता हूं । फ्रॉड , कैसा फ्रॉड ?
अरे भई , मैं तो इस पर नज़र रखता हूं कि इनके ब्लॉग पर कुल कितने लोग आ रहे हैं और उनमें मुल्ला कितने हैं और दूसरे कितने ? मेरे जाने का तो एक जायज़ मक़सद है लेकिन आप क्या करने जाते हैं वहां ? क्यों अवध्य बाबू आप बताइये ?
अवध्य बाबू बोले - मैं तो उस ब्लॉग पर नज़र गड़ाकर यह देखता हूं कि इनकी पोस्ट पर टिप्पणी करने वाले ब्लॉगर्स सचमुच हैं भी या नहीं ?
आपको उनकी असलियत में क्यों शक हुआ ?
देखो भई ! शुरूआत में जब मुझे किसी ने कमेंट नहीं दिए तो फिर कमेंट भी मुझे खुद ही करने पड़ते थे । अब तो जिस किसी नये ब्लॉगर को कमेन्ट मिलते देखता हूं तो अपने दुर्दिन याद आ जाते हैं । वह तो बाद में आप लोगों के ग्रुप से मेरा ‘कमेन्ट पैक्ट‘ हो गया कि हम सब एक दूसरे को कमेन्ट दिया करेंगे । अगर यह पैक्ट न हुआ होता तो सोचो हमारी क्या दशा होती ? या तो हम अपना ब्लॉग लिखना ही बन्द कर चुके होते या फिर खुद कमेन्ट कर रहे होते ।
महर जी बोले - देखिये , हमारे बुरे दिन बीत चुके हैं । उनके ज़िक्र से अब कोई फ़ायदा नहीं है । अब तो हम और ब्लॉगर्स की तरह इज़्ज़तदार से लगने लगे हैं । जाते तो उनके ब्लॉग पर हम भी हैं लेकिन हम कभी कमेन्ट नहीं देते लेकिन यह गिरी तो उन्हें कमेन्ट भी देता है । इससे पूछो , यह हम सबसे अलग हटकर क्यों चलता हैं ?
ईश्वर गिरी - देखो भई ! अगर तुम लोगों की तरह मैं भी चुप रहूं तो आने वाली पीढ़ियां हमें कैसे माफ़ करेंगी ? मैं तो उनमें कमियां ही निकालता हूं , उनकी तारीफ़ तो नहीं करता।
ठाकरे के हज्जाम से भी अब चुप न रहा गया । बोला - ये बता देश के विभाजन के ज़िम्मेदार नेताओं को ज़रूरत पड़ी तेरी माफ़ी की ?
गिरी - नहीं तो ।हज्जाम - बस तो जब अगली पीढ़ी आएगी तब तुझे ही कौन सी ज़रूरत पड़ेगी कि वह तुझे माफ़ करे तो तुझे खुदा जन्नत बख्शे ? हम तो जन्नत को कुछ मानते नहीं । हम तो मर कर यहीं कहीं कुत्ते बिल्ली बनकर अगली पीढ़ी के तलुए चाट रहे होंगे । अब दुमछल्ला बेगाने बाबू को भी बोलना ज़रूरी हो गया । बोले - हम मर कर क्यों बनेंगे कुत्ता बिल्ली ? क्या स्वर्ग नर्क हम नहीं मानते ?
परवीन जी की नास्तिकता ने भी अब अंगड़ाई ली । बोले - ख़बरदार जो मेरे सामने किसी ने स्वर्ग नर्क का नाम लिया तो ... , यह सब इन वकील साहब के बड़ों का प्रपंच है । लोगों से फ्री में सेवा लेने के लिए ही इनके पूर्वजों ने स्वर्ग नर्क का ड्रामा खड़ा किया था ।
गिरी जी बोले - अयं , अयं , यह आप क्या कह रहे हैं परवीन जी ? वह डाक्टर तो हमारी किताबों को केवल मिलावटी बताता है और आप तो उन्हें सिरे से ही नक़ली बता रहे हैं । मुझे तो लगता है कि डाक्टर को छोड़कर पहले आपकी ही अक्ल दुरूस्त करनी पड़ेगी । क्यों भाइयों ?
यह कहते हुए गिरी जी ने अपनी आस्तीनें चढ़ानी शुरू कर दीं । ठाकरे के हज्जाम ने बात को सम्भाला । बोला - देखिये , हम यहां न तो अपनी मान्यताओं पर बहस के लिए इकठ्ठा हुए हैं और न ही इतिहास की ग़लतियां दोहराने के लिए । पहले भी हम इन मुसलमानों के पूर्वजों से इसी लिए हारे थे कि भारत के हिन्दू राजाओं मे एकता का अभाव था और आज भी स्थिति वही की वही है । आज भी इस डाक्टर के खि़लाफ़ कोई भी सेकुलर हमारा साथ नहीं दे रहा है बल्कि सक्सेना जी ने तो उसकी हिमायत में एक पोस्ट ही लिख डाली । मैं पूछता हूं क्यों , आखि़र क्यों ?
अब बोलने की बारी वकील साहब की थी । बोले - इन कायस्थों का क्या है , ये तो होते ही आधे मुसलमान हैं । भई पेड़ तो आखि़र अपने रूख़ पर ही गिरेगा न । इसी लिए हमारे बड़ों ने इनको पंचम वर्ण घोषित कर दिया था ।
अवध्य बाबू बोले - अजी आपकी हलती चलती के वे दिन तो हवा हो गए । अब तो कोई चार ही वर्ण मानने को तैयार नहीं है । पांचवे की तो बात ही छोड़िए ।
हज्जाम फिर बोला - ख़ैर यह पीरियड संक्रमण काल का चल रहा है , जल्दी ही दिन फिरने वाले हैं , ऐसा सन्त बताते हैं । हम सब यहां राष्ट्रवादी लोग अपने अपने ज़रूरी काम छोड़कर आये हैं और मैं तो बहुत ही अर्जेन्ट काम छोड़कर आया हूं ।
परवीन बाबू ने एक चुटकी ली । ठाकरे के हज्जाम से पूछा - क्यों , आपको बिहारियों की किसी बस्ती में आग लगाने जाना था क्या ?
हज्जाम के बजाय उनका दुमछल्ला बेगाने बाबू बोले - देखिये , सीरिएस टॉक चल रही है । इसमें मसख़री नहीं करने का ।
हज्जाम ने जवाब दिया - असल में मुझे ठाकरे जी के बाल बनाने जाना था ।
पता नहीं किस तुनक में अवध्य बाबू पूछ बैठे - बाल , कहां के बाल बनाने जाना था भई आपको ?
बस इतना सुनना था कि हज्जाम का मूड पूरी तरह आफ़ हो गया । गिरी जी को अपनी रिसर्च डूबती हुई और टी.आर.पी. डाउन होती हुई नज़र आई तो उन्होंने फ़ौरन उठकर अवध्य बाबू का मुंह अपने दोनों हाथों से फाड़ा और अपनी पूरी नाक उसमें घुसेड़ दी और उबकाइयां लेते हुए पीछे हटे और बोले - भई इनकी बात का बुरा न मानो इस समय ये सोमरस लगाए हुए हैं ।
लेकिन हज्जाम तो भड़क गया । बोला - ये कोई इन्द्र हैं और यहां क्या कोई मेनका , रम्भा या उर्वशी नाच रही है , जो ये सोमरस चढ़ाकर चले आए ?
अवध्य बाबू अपना जबड़ा सहलाते हुए शिकायती लहजे में वकील साहब से बोले - देखिये , मैं तो खुद यहां आने का इच्छुक नहीं था लेकिन आपके कहने से चला आया । अब आप देखिये एक सीनियर सिटीज़न से कैसा बर्ताव किया जा रहा है ?
वकील साहब गिरी जी से बोले - देखिये मिस्टर ! आपने इनके साथ जो कुछ किया है , यह आई.पी.सी. और सी.आर.पी.सी. दोनों में जुर्म है ।
महर जी बोले - जुर्म से आजकल डरता कौन है ? कसाब को तो आज तक आपसे फांसी न दिलाई गई और कानून की धमकी भी दे रहे हैं तो एक राष्ट्रवादी को ?
इसी बीच ज़िन्दगी की यूनिवर्सिटी के होल सोल समावेश जी भी बग़ल में बाल्मीकि रामायण की एक प्रति दबाए चले आए और लोगों की तवज्जोह उनकी तरफ़ चली गयी और चुं चपड़ बन्द हो गयी ।
फिर क्या हुआ जी ?
हां सारी बात अभी बता दूं । रात के 3 बज रहे हैं । चलो अब सो जाओ । बाक़ी क़िस्सा फ़िर सुनाऊँगा ।
यह क़िस्सा है या शैतान की आंत , ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है ।
तुम ख़त्म की बात कर रहे हो ? अभी तो क़िस्से की इब्तेदा भी नहीं हुई ।चलो , अब उठ भी जाओ भाई ।
आपकी ये बात ठीक नहीं है । जब भी मज़ा सा आने लगता है । आप ख़त्म कर देते हो । भई यही तो नेचुरल है , जहां मज़ा सा आना शुरू होता है तभी ख़त्म हो जाता है ।
ठीक है जी । लेकिन अगली क़िस्त का इन्तेज़ार बेसब्री से रहेगा ।
किसे रहेगा ? तुम्हें या खिलाड़ी ब्लॉगर्स को ?
रहेगा तो सभी को लेकिन वे तो बेचारे आपके फ़ोलोवर सहसपुरिया की तरह खुलकर फ़रमाइश भी नहीं कर सकते ।
अच्छा भाई , गुड नाइट ।
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39 comments:
bahoot khoob !!! greatest bloggers of the year
@ Giri ji आज के लेख में कोई स्पेलिंग मिस्टेक तो नहीं है गिरी जी ? कृप्या समीक्षा आलोचना कीजिएगा । धन्यवाद ।
@भाई सहसपुरिया ! ख़ास आपकी फ़रमाइश पर इसे हमने रात 3 बजे तैयार किया है । कैसा लगा ? बताइयेगा ।
@भाई सलीम ख़ान कुछ दिनों से कहां बिज़ी हो ?
@परम आर्य भी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं ?
@विचारशून्य बन्धु अब तो आपकी सलाह के मुताबिक़ मैं कुछ हल्का फुल्का भी लिख रहा हूं लेकिन आपकी टिप्पणी प्राप्त नहीं हो रही है । क्यों ?
nice lit.
B.T CHACHAA KYA CHED DIYA BHANDH PANA
YE HI BAKI RAH GAYA KYA?????CHACHHA??????
Dr. SAHAB SHUKRIYA IS ZARRANAWAZI KE LIYE, KYA KAHUN AAPNE TO DIL KI MURAD POORI KAR DI,
BAS AB GURUDAKHSINA MAANG LIJIYE.
THANKX
3rd EPISODE KA INTEZAR HAI...
waiting for part 3
परवीन बाबू,हज्जाम,अवध्य बाबू ,महर जी naam kuch sune sunaye se lag rahe hen.
अरे बेटा हमने तेरा क्या बिगाडा जो हमारा नाम बिगाडा, हम तो कभी अवध भी न गये जो हमसे कोई खता होती , फिर क्या कारण है अवध्य बाबू लियने का क्या तुमने कभी न पढा
अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया
MERI SAMAJH S BAHAR KI BAAT H.........
बड़ी शानदार मिटिगँ चल रही है बोलते बोलते ज़बान रुक गयी लगता है कि सब गूँगे हो गये
VERY GOOD
aaj to kamal kur diya
Abhi tumne mera rung badalna nahi dekha
Ek acchi, aur majedar post . maja aa gaya padh karke. Chinta na kare. iska bhi jabab aap ko milga lekin break ke bad.
गुरू जी तारकेश्वर जी की बात का बुरा न मानें यह कबाब मिलेगा कहना चाहते जबाब jabab मिलेगा कह गये
"चीर डाला जबड़ा…" क्या आप कुरैशी हैं? या अंसारी? या कोई और?
"चीरने-फ़ाड़ने" की जात दिखा रहे हैं, इसलिये पूछा कि कहाँ तो बकते थे कि मुसलमानों में सब भाई-भाई, बड़ा एका रहता है, फ़िर आरक्षण के लिये लार क्यों टपकाने लगे? हिम्मत है तो कहो, कि हाँ हम भी जात-पात वाले हैं।
nice
giri sab ko gussa aa jayga
ab chod do becharon ko...abhi tak koi takkar ka aadmi nahi mila tha to blog jagat k baba ban baithe the,ab mila hai salon ko apne se jyada katil insaan,to aapke blog par aana hi chod diya unhone
डा० साहब इस ज़ररा नवाज़ी का इक बार फिर शुक्रिया अदा करता हूं. इन कथित 'बुद्धिजीवियो' को जो आईना आपने दिखाया है इन की असलियत सब के सामने आ गयी है. इक शेर कुछ गिरे हुए लोगो के लिए.....
सच मान लीजिए की चेहरे पे धूल है
इल्ज़ाम आईने पर लगाना फ़िज़ूल है.
@ sahespuriya - डाक्टर साहब ने आपकी इच्छा का सम्मान किया इस खुशी में आप यह न भूलिये यह 'वेद कुरआन' ब्लाग है, तीसरी किस्त इधर न हो तो बहतर है
आप को देखकर अपने उस्ताद मरहूम इक़बाल राजा की याद आ जाती है, उनकी क़लम मैं भी यही ज़ोर और जोश था. ज़रा फिरदौस बाजी का भी ख़याल कीजिएगा, बेचारी अपनी डायरी लिखते लिखते दायरे से बाहर हो रही हैं. लगता है जल्दी मशहूर होने की खुवाहिश है. वो आपने कहा था ना की मुसलमान को बुरा मुसलमान ही कह सकता है उसी को शोहरत मिलती है. शायद इसी लिए.....
UMAR BHAI AAPKA HUKAM SAR AANKHON PAR
उमर भाई आप का हुक्म सर आँखो पर, लेकिन मेरे ख़याल से ये सारी बातें इसी से संबंधित है, फिर भी जैसी आपकी मर्ज़ी.
are doctor saab ye kya kar diya cheer haran karke rahk diya and where is khujli wala illiterate topicless raj
delhi ki roshan arraa masjid ke molvi ne kya kiya????koochh pata he???
Jisne ne bhii Dr Anvar Ko, unkii man-pasand kaa jabaab nahi diyaa, Dr Anvar ne unkaa naam bigaad diyaa,
Dr ANvar Ek "Pareshan Aatmaa" or unke Chele jaise SHAZY, Dr. Ayaz ahmad, सलीम ख़ान, Kairavee, Aslam Qasmi ..., ye sab unkii "Pareshaan Atmaayen" hai, jo har samay Waa, Waa, waa, waaaaaaaa, karte rahte hain jaise koi chillane wali kabbali chal rahi ho
RAJ
Lekin Sawaal ye hai ki in "Pareshan Atmaayen" mein kitne aslii hai,
"Pareshaan Atmaa" kai Nakali Post bana rakhi hai, Jo vo khud hi apni post kaa wa,wa,waaaaaaaaaaa karte rahete hain, "APNEE TAARIPH APNE AAP"
"Muh miyan Mithhoo"
@ जमाल साहब आज आप कम्पयूटर खराब होने के कारण पोस्ट न ले के आये कोई बात नहीं, मौका लगे तो बताईये कि इस कहानी में बाल ठाकुरे का हज्जाम कौन है, मेरी समझ में ना आया कहीं वही तो नहीं अमन समर्थक जो 4 साल में अब तक एक भी दंगा न करा सका, जो आज गुजराती के गुण गा रहा है, मैंने सही पहचाना तो इनाम का हकदार कसम लौटे वाले बाबा की
अहम ब्रहमस्मी
@ Sahaspuriya गुरु में दक्षिणा लेता नहीं है बल्कि देता है . आप तो बस लेते रहिए .
@ अवधिया चाचा , आप ने तो आज तक सुधारा ही है . इसमें आपका नाम नहीं है . ठाकरे का हज्जाम तो क्लियर है ही . उसका नाम तो सब जानते हैं और मैं उसका नाम लेता नहीं . धन्यवाद.
सुमन जी समेत सबका शुक्रिया .
थर्ड पार्ट आप देखेंगे एल बी ए पर .
chhotiye ko dekhna he to chshme se dekho...chshme me dekho
आओ अब मिल के एक कम करें
खुल्क़ ओ महर ओ वफ़ा आम करें
ख़त्म हो जाएँ आपसी झगड़े
मिल के कुछ ऐसा एहतमाम करें
हो के क़ुरबान हक़ की राहों में
आओ यह ज़िंदगी तमाम करें
http://vedquran.blogspot.com/2010/04/one.html
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