सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Wednesday, March 3, 2010

गर्भाधान संस्कारः आर्यों का नैतिक सूचकांक Aryan method of breeding

आदरणीय वेद व्यथित जी
आपकी उपस्थिति से मुझे हर्ष तो हुआ लेकिन थोड़ा दुख भी हुआ ।
एक दिन पहले आप कह रहे थे कि मुसलमान ज्ञान को नकार रहे हैं विज्ञान को नकार रहे हैं । लेकिन जब हमने कल आपसे पूछा कि दयानन्द जी की मान्यतानुसार सूर्य चन्द्रमा और तारों पर सर्वत्र मनुष्यादि प्रजा का वास है और वहां की व्यवस्था भी इन्हीं चारों वेदों के अनुसार चल रही है । सत्यार्थप्रकाश , अष्टमसमुल्लास , पृष्ठ 156
इस बात पर आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । दयानन्द जी का उद्धरण देखते ही सारी ज्ञान पिपासा ‘शान्त हो गई ?
या फिर ‘शायद आपको यक़ीन ही नहीं आया होगा कि दयानन्द जी जैसा ‘ज्ञानी‘ भी ऐसी बात कह सकता है ?
यजुर्वेद का हवाला देकर भी आपके सामने हमने अपनी जिज्ञासा प्रकट की थी । उस अश्लील अनुवाद को दोबारा लिखकर न तो हम आपको ‘शर्मिन्दा करना चाहते हैं और न ही किसी अन्य को । आपने व्यंग्य न किया होता तो ‘शायद हम प्रथम बार भी उसे न लिखते । क्यों हम वेदों का सिर्फ़ आदर ही नहीं करते बल्कि उनका सम्मान भी करते हैं । बहरहाल आपने सोचा होगा कि पहले पढ़कर देख लूं कि हक़ीक़त क्या है ?

अब लगभग 24 घण्टे बीत चुके हैं । पूरे ब्लॉग जगत की निगाहें आपकी तरफ़ लगी हुई हैं । उपरोक्त दोनों विषयों के बारे में आपका ज्ञान क्या कहता है ? हम आपसे ‘ आज भी ये सवाल न करते लेकिन कल भी आप कहकर गये हैं कि हम सच्चाई जानना ही नहीं चाहते । तो फिर लीजिए हम उत्सुक बैठे हैं सच्चाई जानने के लिए ,

अब बताइये कि सच्चाई क्या है ?

सच्चाई यह है कि आप सुविधाभोगी आदमी हैं । आपमें आत्म विश्वास की कमी है । आपमें अपनी भाषा-संस्कृति को लेकर भी हीनता का बोध है । अन्यथा क्या वजह है कि हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान का नारा लगाने वालों जैसे जज़्बात रखने के बावजूद आप अपना नाम तक हिन्दी में लिखना पसन्द नहीं करते जबकि गूगल ने बड़े ख़र्च और रिसर्च के बाद यह सुविधा भी मुहैय्या कर दी है ? कोट पैंट पहनकर आधुनिक होने का ढोंग भी करते हैं ।

क्या आर्य जाति के लिए स्वामी जी ने ऐसे वस्त्रों को धारण करने का उपदेश किया है? आपके चोटी जनेऊ है या नहीं ?

आप प्रातः सायं हवनादि करते हैं कि नहीं , इन बातों को या तो आपका मन जानता होगा या फिर आपके दोस्त और आपका प्रभु परमेश्वर ।

आपने मुझे नैतिक अपराध करने वाला भी घोषित कर दिया जबकि आपको नैतिकता पाठ पढ़ाने वाले हम ही तो हैं वर्ना आपको क्या पता था कि नैतिकता किस चिड़िया का नाम है ?

हम कुछ भी कहना नहीं चाहते लेकिन आप जैसे लोग ऐतराज़ करके हमें धर्म संकट में डाल देते हैं ।


श्री सौरभ आत्रेय जी ने भी हमारा उपहास करते हुए अपना महात्म्य बखाना था तो हमे आईना दिखाने पर मजबूर होना पड़ा था । उसी लेख से एक अंश पेश ए ख़िदमत है । इससे आपको पता चल जाएगा कि मुसलमानों के भारत आगमन से पहले आप नैतिकता के किस स्तर पर जी रहे थे ?

स्वामी दयानन्द जी ने उसी नैतिकता के पुनरूद्धार का बीड़ा उठाया था। हालांकि नैतिकता के इस मॉडल को तो समाज ने नकार दिया लेकिन एक आदर्श आर्य बनने के लिए अब भी कुछ लोग इन संस्कारों का पालन करना ज़रूरी मानते हैं । आपको सच्चाई जानने का बड़ा ‘शौक़ है ।

तो लीजिए पेश है पूरी सच्चाई । आज आपको पता चलेगा कि बुजुर्गों ने सच को कड़वा क्यों बताया है ?


एक आदर्श आर्य के लिए जीवन में सोलह संस्कारों का पालन करना अनिवार्य है । उनमें से एक है गर्भाधान संस्कार । अब इसका पालन कोई कोई ज्ञानी टाइप ही करता है जबकि पहले इसका चलन अमीर आर्यों में आम था ।गर्भाधान संस्कार की दयानन्दी रीति”जिस रात गर्भाधान करना हो उस दिन हवन आदि करे और वहां निर्दिष्ट 20 मंत्रों से घी की आहुतियां दे। चारों दिशाओं में पुरोहित बैठें । इसके बाद घी दूध ‘शक्कर और भात मिलाकर छः आहुतियां अग्नि में डाले । तत्पश्चात आठ आहुतियां घी की दे । आठ आहुतियां घी की फिर दे । इसके बाद नौ आहुतियां दे । बाद में ताज़ा घी और मोहन भोग की चार आहुतियां दे । जो घी ‘शोष रहे उसे लेकर वधू स्नानागार में जाए और वहां पैर के नख से लेकर शिर पर्यंत सब अंगों पर मले । तत्पष्चात वह नहा धो कर हवन कुंड की प्रदक्षिणा करके सूर्य के दर्शन करे । बाद में पति उसके पिता पितामह आदि अन्य माननीय पुरुषों पिता की माता अन्य कुटुंबी और संबंधियों की वृद्ध स्त्रियों को नमस्कार करे । तत्पश्चात पुरोहितों को भोजन कराये और सत्कारपूर्वक उन्हें विदा करे । रात्रि में गर्भाधान क्रिया करे । जब वीर्य गर्भाषय में गिरने का समय आए तब दोनों स्थिर ‘शरीर प्रसन्नवदन मुख के सामने मुख नासिका के सामने नासिका आदि सब सूधा ‘शरीर रखे । वीर्य का प्रक्षेप पुरुष करे। जब वीर्य स्त्री के ‘शरीर में प्राप्त हो उस समय अपना पायु (गुदा) और योनींद्रिय को ऊपर संकुचित कर और वीर्य को खैंच कर स्त्री गर्भाशय में स्थिर करे । गर्भ स्थापित होने के दूसरे दिन सात आहुतियां दे । फिर ‘शांति आहुति देकर पूर्णाहुति दे ।” (संस्कार प्रकाश प्रथम संस्करण 1927 भाषा टीका संस्कार विधि )


कुछ विचारणीय प्रश्न
1- इस पूरी प्रक्रिया में औरत का तमाशा बनाकर रख दिया गया है । बेचारी को पहले तो चार पुरोहितों से एसे मंत्र सुनने पड़ते हैं जिनका अर्थ पता चलते ही कोई भी इज़्ज़दार औरत  उन्‍हें कभी सुनना तक न चाहेगी। यहां अर्थ लिखकर हम किसी को ‘शर्मिन्दा नहीं करना चाहते । जिज्ञासु लोग ऋग्वेद 10/184/1-2 यजुर्वेद 1/27 तथा यजुर्वेद 19/76 देखकर स्वयं सच्चाई जान सकते हैं।
2- फिर बचा हुआ घी मलकर भी औरत ही नहाये और मुहल्ले या गांव भर में घूमकर बताती फिरे कि रात को वह क्या करने वाली है ? या उसके साथ क्या होने वाला है ? वृद्धजनों को नमस्कार भी वही क्यों करेे ? घी मलकर मर्द भी क्यों न नहाये और वह भी क्यों न उसके साथ गांव भर में घूमकर बड़ों का आशीर्वाद ले ?
3- इतने मेहमानों का खाना बनाने और उन्हें खिलाने में और फिर पूरे गांव का राउंड लेने में ही वधू के अंग प्रत्यंग इतने थक जाएंगे कि गर्भाधान के समय उसमें अपनी पायु (गुदा) सिकोड़ने का बल तक ‘शोष न बचेगा । अगर गर्भाधान के दिन पति पत्नी को रिलैक्स और फ्ऱी रखा जाता तो वे अपने फ़र्ज़ की अदायगी ज़्यादा ताक़त और ताज़गी के साथ बेहतर तरीके़ से कर सकते थे ।
4- इतना बड़ा आयोजन क्यों ज़रूरी समझा गया ? वैदिक धर्म में क्योंकि औरत अपने पति की अनुमति से गर्भाधान के लिए अन्य पुरूष के पास भी जा सकती है इसलिए पुरोहितों को बुलाकर उन्हें खिलाना पिलाना और कुनबे के बुज़ुर्गों को नमस्कार करने का विधान रखा गया । उनकी सम्मति पाने का यह एक तरीक़ा था । इसी तरीके़ की बदौलत लोग याद रख पाते थे कि किस बच्चे का बाप कौन है ? और तभी बच्चे का गोत्र वर्ण और कर्तव्य निष्चित किया जाता था।
5- अगर औरत के कोई सयानी औलाद हो या उसके रिश्तेदार भी इस मौके़ पर मौजूद हों तब वह औरत खुद को कितना असहज महसूस करती होगी ? और उसकी औलाद या रिश्तेदारों की क्या मनोदशा होती होगी ? या फिर सर्वत्र यही आचरण देखकर हो सकता है कि उनकी ग़ैरत ही मर जाती हो और वे इसके अभ्यस्त हों जाते हों ।

सैक्स का ज्ञान सन्यासी से ?

6- दोनों अपना ‘शरीर सीधा भी रखें और अपने अपने आंख नाक और मुंह आदि अंग आमने-सामने भी रखें । यह हालत सिर्फ़ तभी मुमकिन है जबकि दोनों का क़द समान हो । औरतों का औसत क़द मर्दों से कम होता है । किसी-किसी जोड़े के क़द में तो अन्तर काफ़ी ज़्यादा होता है । ऐसी हालत में क्या करना चाहिये ?
क्या आंख नाक को सामने रखने के लिये ‘शरीर को थोड़ा सा फ़ोल्ड कर लिया जाए ?
या फिर ‘शरीर सीधा रखने के लिए आंख नाक को सामने से हटा लिया जाये ? क्या करना ज़्यादा श्रेयस्कर है यह स्वामी जी ने नहीं बताया?
या तो बात की तरफ़ संकेत करके छोड़ दिया होता या फिर अगर बता ही रहे थे तो पूरा तरीक़ा बताते ।
7- पूरा तरीक़ा तो तब बताते जबकि उन्हें खुद ऐसी समस्या कभी पेश आई होती । ज़्यादा बेहतर होता अगर स्वामी जी इस विषय की शिक्षा अपने किसी योग्य गृहस्थ शिष्य के लिये छोड़ देते । लेकिन उन्हें तो इस जन्म में कोई योग्य शिष्य मिलने की ही उम्मीद न थी ।
8- मन को विषय वासना से कैसे बचायें ? और सम्भोग से कैसे बचें ? इस विषय पर तो एक सन्यासी को बोलने का पूरा अधिकार है लेकिन एक स्त्री से सम्बंध कैसे बनाये जाएं यह बताने की योग्यता किसी सच्चे बाल ब्रह्मचारी में तो हरगिज़ होती नहीं । जिसने स्त्री प्रेम के मार्ग पर कभी एक पग न धरा हो वह उस रास्ते के उतार-चढ़ाव से दूसरों को कैसे वाक़िफ़ करा सकता है ?
9- जिसने कभी स्त्री संसर्ग न किया हो वह न तो कभी नारी के कोमल मन की भावनाओं को ही समझ सकता है और न ही कभी यह जान सकता है कि उसे आनन्दित सन्तुश्ट और तृप्त कैसे किया जाए ?
इसी जानकारी के अभाव में नारी अतृप्त रह जाती है उसमें कुंठाएं रोग और मनोविकार पनपते हैं । या तो वह मन मारकर एक ज़िन्दा लाष बनकर पतिव्रत धर्म का पालन करती रहती है या फिर अपनी तृप्ति के लिए किसी और का सहारा लेती है । दोनों हालत में ही घर परिवार और समाज में ख़राबी फैलती है । और यह सब होता है अनाड़ी को गुरु बनाने की वजह से । नारी बच्चा जनती है और सम्भोग इसका साधन है यह ठीक है लेकिन बच्चा जनने की इच्छा के बिना भी पत्नी के साथ सम्भोग किया जा सकता है । इससे परस्पर प्रेम बढ़ता है और जीवन आनन्द और मधुरता के साथ गुज़रता है ।
10- काम के बारे में किसी से केवल सुनकर ही आदमी कामाचार्य नहीं बन सकता जब तक कि उसे उसकी प्रैक्टिकल नॉलेज न हो । जैसे कि कोइ भी आदमी परमाणु के बारे में केवल सुनकर ही परमाणु वैज्ञानिक नहीं बन जाता और न ही उसके कथन को कोई गंभीरता से लेता है । काम भी एक ऊर्जा है इसी से जीवन की उत्पत्ति है और इसी से यह बाक़ी और जारी है । जो काम के ज्ञान से वंचित है वह जीवन के बुनियादी और अहम राज़ से वंचित है । स्वामी जी ‘काम‘ के मामले में अनाड़ी थे ; अतः क्या इस कोण से उन्हें उनके ही ‘शब्दों में अनार्य कहा जा सकता है ?
आसन प्राणायाम और दर्षन में माहिर होने की वजह से इन विद्याओं को सिखाने का हक़ तो उन्हें हासिल था लेकिन समाज को काम विद्या सिखाने का उनका प्रयास अनाधिकार चेश्टा मात्र् था । जिसकी वजह से लोगों के समय और धन का भी नाष हुआ और पति पत्नी के जीवन का आनंद और माधुर्य भी जाता रहा।
क्या सामूहिक गर्भाधान संस्कार मान्य है ?
11- यदि सास बहू का गर्भाधान संस्कार एक ही दिन हो तो क्या इस हालत में भी चार पुरोहितों से ही काम चल जायेगा या सास के लिए चार पुरोहित और बुलाने पड़ेंगे ?
12- अगर घर की चार पांच बहुओं का संस्कार एक ही दिन करना पड़े तो कुल कितने पुरोहितों की ज़रूरत पड़ेगी ?
13- क्या पुरोहितों की कमी और खर्च की ज़्यादती को देखते हुए सामूहिक विवाह की तरह यह संस्कार भी सामूहिक रूप से किया जा सकता है ?
गर्भाधान संस्कार अमीरों का चोंचला
14- खाद्य सामग्री में आग लगाने से गर्भ ठहरने का कोई सम्बंध नहीं है । अतः यह अमीर लोगों का वैभव प्रदर्शन और आडम्बर मात्र है ।
15-कहा जाता है कि दयानन्द जी जैसे महान ज्ञानी बिरले ही जन्मते हैं । यह बात भी गर्भाधान संस्कार को निरर्थक सिद्ध करती है क्योंकि दयानन्द जी के पिता ‘'''शैव थे । वैदिक आचार से हीन बल्कि धर्म विरुद्ध आचरण करने वाले दम्पत्ति को तो दयानन्द जैसा विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न पुत्र प्राप्त हुआ जबकि दयानन्द जी की सहस्रों वर्शों बाद बताई गई बिल्कुल सही रीति का पालन करके आर्यजन उनके तुल्य बच्चा भी पैदा न कर सके ।
16- इससे सिद्ध होता है कि हवनादि से उत्पादन की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होता ।
17- कोई कह सकता है कि बच्चे के होने में पूर्वजन्मों के कर्म आधार बनते हैं । यदि यह सत्य है तो फिर सामग्री फूंकने का क्या फ़ायदा ?
18- विश्व में जन्मे वैज्ञानिकों , प्रतिभाशाली लोगों के मां बाप तो इस संस्कार का नाम तक नहीं जानते। क्या अब भी इस संस्कार के आडम्बर होने में किसी को कोई सन्देह है ?
इसलाम : एक सरल सम्पूर्ण जीवन व्यवस्था
इसलाम में समलैंगिक रिश्ते वर्जित हैं ।
इसलाम में सन्यास लेना , भीख पर पलना और खाने में आग लगाना हराम है। इसलाम पति पत्नी को अपने अन्तरंग मामले की जानकारी आम करने से भी रोकता है ं।
इसलाम में नियोग वर्जित है ।
पति की इजाज़त से भी कोई मुसलिम औरत नियोग नहीं कर सकती । हां उन्हें बच्चा गोद लेने की इजाज़त है।
इसलाम में न तो आवागमन की मिथ्या कल्पना है और न ही उससे मुक्ति के लिए पुत्र अनिवार्य है । अलबत्ता पुत्रियों के पालन और उनकी शिक्षा के बदले में मुसलिम मां बाप को जन्नत की खुशख़बरी ज़रूर दी गयी है ।
इसलाम में विधवा को जलाना हराम है ।
मुसलिम विधवा भी नियोग नहीं कर सकती । उसके लिए पुनर्विवाह का प्रावधान है ।
विधुर के लिए भी यही व्यवस्था है ।
आस्था नियोग में और इसलाम प्रयोग में ?
नियोग में आस्था के बावजूद आर्यजन भी इसलाम की इसी व्यवस्था से फ़ायदा उठा रहे हैं । जो कि नियोग के अव्यवहारिक होने का प्रमाण है । अव्यवहारिक आदेश ईश्वरीय नहीं हुआ करता । इसलाम में वर्णव्यवस्था ऊंचनीच और छूतछात नहीं है और न ही वर्ण की बुनियाद पर किसी का नाम रखने और काम तय करने का विधान है ।
20- इतनी खूबियों के बावजूद इसलाम में कमियां निकालना क्या अपने द्वेष का परिचय देना नहीं है ?
21- वर्ण व्यस्था चार आश्रम और सोलह संस्कार का पालन करने के बजाय प्रैक्टिकल लाइफ़ में आप भी इसलाम के इन्हीं नियमों का पालन करते हैं जिनका ऊपर ज़िक्र किया गया है । आप खुद देखिये कि क्या आपके पिता जी ने आपकी बुनियाद रखते समय दयानन्द कृत संस्कार विधि का पालन किया था या सरल इसलामी नियम का ? खुद आपने अपनी औलाद किस रीति से पैदा की ? बहुसंख्यक कहलाने वाले बन्धु किस रीति का पालन करते हैं ? इन बातों के जवाब से आपको इसलाम के आसान और प्रैक्टिकल होने के बारे में पता चल जाएगा । आसान और हितकारी नियम खुद फैलते चले जाते हैं । यहां तक कि उन्हें मिटाने के नाम पर मिशन खड़ा करके रोटी और प्रतिष्ठा अर्जित करने वाले भी अपना जीवन अपने अप्राकृतिक मिथ्या दर्षन के बजाय उन्हीं नियमों के अधीन होकर गुज़ारते हैं ।
22- जिस धर्म के नियम के अधीन होकर आप अपनी माताश्री (मेरे लिए भी आदरणीय) के गर्भ में आये और जन्म लिया और जिसका पालन आप अपनी प्रैक्टिकल लाइफ़ में कर रहे हैं ,उसी धर्म के विरुद्ध प्रचार भी कर रहे हैं और वह भी ऐसे अव्यवहारिक दर्शन के लिए जिसका पालन न तो आप करते हैं और न ही आपका समाज । इसे कृतघ्नता और ज़मीरफ़रोशी के अलावा और क्या नाम दिया जा सकता है ?
आर्य ‘'शूद्र् समान कब होता है ?
23- दयानन्द जी तो हवनादि न करने वाले को ‘शूद्र के समान समाज से बहिष्कृत कर देने का फ़रमान जारी कर रहे हैं और दुख की बात यह है कि हवनादि से दूर ‘शूद्र समान त्याज्य यही लोग इसलाम के उन्मूलन की फ़िक्र में दुबले हुए जा रहे हैं। एक बार आदमी तनिक देखे तो सही कि जिस समाज के लिए वह सत्य और ईष्वर से टकरा रहा है उसकी मान्य पुस्तकों की नज़र में खुद उसकी औक़ात क्या है ?
24- जिस आदमी को उसका ही समाज ‘शूद्र अर्थात मूर्ख मानता हो तो फिर उसकी बात पर कौन ध्यान देगा ?
चैरिटी बिगिन्स फ्ऱॉम होम
25- दूसरों से आडम्बर छोड़ने का आग्रह करने वाले दयानन्दी बन्धु अपने आडम्बर छोड़ने का साहस कब करेंगे ?
वैदिक धर्म महान और निर्दोष है
क्योंकि वास्तव में ये सब विकार मूल वैदिक धर्म का अंग नहीं थे बल्कि तत्कालीन लोगोंं की सामाजिक परम्पराओं का समावेश जाने अन्जाने वैदिक धर्म में हुआ है जो कि दार्शनिकों की मेहरबानी से समाज में रूढ़ होते गये और सुधारकों के ज्ञान और साहस की कमी के चलते अब तक बने ने हुए हैं।
मेरा मक़सद
वेद या ऋषि परम्परा का विरोध करना मेरा मक़सद नहीं है । और न ही आर्य जाति के मान को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश्य है । मैं खुद इसी महान जाति का अंग हूं क्योंकि मैं पठान आर्य ब्लड हूं । इसलिये भी इसकी उन्नति में बाधक तत्वों को दूर करना मेरा परम कर्तव्य है ।
मैं वेद में आस्था रखता हूं और पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमम (अर्थात उन पर ‘शांति हो ) की तरह महर्षि मनु को भी सच्चा ऋषि मानता हूं लेकिन वेद में भी उसी प्रकार क्षेपक मानता हूं जिस प्रकार स्वामी जी ने मनु स्मृति आदि में माना है । वर्ण व्यवस्था , नियोग और नरमेध आदि यज्ञों को वेदों में क्षेपक और आर्य जाति की उन्नति में बाधक मानता हूं । पूर्व कालीन ऋषियों के अविकारी वैदिक धर्म को पाना और जन जन तक पहुंचाना ही मेरे जीवन का उद्देष्य है । वैदिक धर्म के विकारों को दूर करने के बाद वैदिक धर्म और इसलाम में कोई मौलिक मतभेद ‘शोष नहीं बचता । दोनों का स्रोत एक ही अजन्मा परमेश्वर है। इसलाम एकमात्र विकल्प वर्णव्यवस्था का लोप बहुत पहले हो ही चुका है जिसे लाख कोशिशों के बावजूद भी वापस न लाया जा सका। साम्यवाद भी नाकाम होकर विदा हो चुका है । पूंजीवाद के ‘शोषणकारी पंजे में फंसकर विश्व जन जिस तरह त्राहि त्राहि कर रहे हैं उसने इसलाम की प्रासंगिकता को पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ा दिया है ।
इसलाम अकेली ऐसी जीवन-व्यवस्था है जो व्यक्ति और समाज , परिवार और राष्ट्र को जीवन की हरेक समस्या का सरल और व्यवहारिक समाधान देती है । इसका आधार पवित्र कुरआन है । जो पहले दिन से लेकर आज तक सुरक्षित है। बराबरी और सहयोग इसलामी समाज की ख़ासियत है । इसकी उपासना पद्धति आसान है । जो बिना किसी ख़र्च के बहुत कम समय में संपन्न हो जाती है ।
इसकी आर्थिक व्यवस्था ब्याज मुक्त है । इसलाम को उसकी सम्पूर्णता के साथ न मानने वाले विकसित देष भी इसलामी बैंकिंग को अपना रहे हैं । इसके माध्यम से मिलने वाली मुक्ति को हरेक आदमी प्रत्यक्ष जगत में खुली आंखों से देख सकता है । समस्त चक्रों के जागरण और सबीज निर्बीज समाधि के बाद भी आदमी जिस कल्याण से वंचित रहता है वह इसलाम के माध्यम से तुरन्त उपलब्ध होता है । यह न सिर्फ़ आदमी का बल्कि उसके पूरे परिवार और समाज का कल्याण करता है ।इसलाम की खू़बियों का जितना बयान मुसलमानों ने किया है उतना ही इक़रार ग़ैर मुसलिम विद्वानों ने भी किया है । इसके फ़ायदों को देखते हुए विश्व में 1,53,00,00,000 से ज़्यादा लोग इसे अपना चुके हैं । अखण्ड भारत के अधिसंख्य आर्य भी आज इसलाम को मानते हैं । इसलाम का प्रभाव इतना व्यापक है कि जो लोग अभी इसके दायरे में दाखि़ल नहीं हुए हैं वे भी इसका कलिमा पढ़कर इसी के उसूलों पर चल रहे हैं ।संवाद के लिए षिश्टाचारखुद अपने लिए और अपने गुरू के लिए सम्मान चाहने वालों को अब स्वयं भी दूसरों के प्रति षिश्टता से पेश आना सीख लेना चाहिए। सामाजिक ‘शांति और उन्नति के लिए यह तत्व अनिवार्य है।
इसके बावजूद आप अपने गुरु जी की रीति से बर्तने के लिए आज़ाद हैं लेकिन हम बदस्तूर आपको आदर देते रहेंगे और प्रेमपूर्वक हक़ीक़त समझाते रहेंगे जब तक कि आपकी ग़लतफ़हमियां दूर न हो जाएं ।
आपने हमारे सफ़ाये की कामना की है लेकिन हम आपके यश-गौरव में वृद्धि की कामना करते हैं और प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह भारत को विश्व गुरु पद पर आसीन करे और आर्य जाति को विश्व का नेतृत्व करन को सौभाग्य प्रदान करे।
आर्य जाति को यह सौभाग्य प्राप्त हो सकता है बशर्ते कि वह विश्व को एक ऐसी समतावादी सर्वहितकारी और सरल व्यवस्था का ज्ञान दे सके जो सब देषों में समान रुप से पालनीय हो ।
इसी सदाकांक्षा के साथ यह लेख सादर आपकी सेवा में प्रस्तुत है
फूलों से सीख ग़ाफिल मुद्दा ए ज़ि़न्दगी
खुद महकना ही नहीं गुलशन को महकाना भी है
कुछ प्रश्न कला प्रवीण व्यक्ति यहां ऐसे भी देखे जा रहे हैं जो केवल विषय से ध्यान बंटाने के लिए ही प्रश्न करते हैं ।
उन्हें कोई वास्तविक जिज्ञासा नहीं होती ।
ऐसे लोगों को वक़्ती तौर पर नज़रअन्दाज़ करना ज़रूरी है ताकि विषयान्तर न होने पाए । लेकिन सिर्फ़ वक़्ती तौर पर ।
जब ये लोग पूछ पूछ कर मेरे पास कुछ प्रश्न जमा कर देंगे तो फिर इनका भी मुझ पर हक़ वाजिब हो जाएगा और फिर इनकी सच जानने की नक़ली ख़्वाहिश की असली पूर्ति ऐसे ही कर दी जाएगी जैसे कि आज श्री वेद व्यथित जी की की जा रही है ।
किसी का दिल दुखाना मुझे मन्ज़ूर नहीं है लेकिन यह भी मुझे मन्ज़ूर नहीं कि जिस मुसलिम समाज ने आर्य जाति को सभ्यता और नैतिकता से वास्तव में ‘शोभायमान किया हो उसके योगदान को न सिर्फ़ नकार दिया जाए बल्कि उसे राष्ट्र ‘शत्रु के रूप में प्रचारित किया जाए ।
इसलाम ने आपका जीवन इस लोक में आसान करके आपको अपनी विराट क्षमता का परिचय दे दिया है । आप उससे किस रूप में और कितना फ़ायदा उठाते हैं , अपना लोक परलोक कितना संवारते या बिगाड़ते हैं अब यह ख़ुद आपके हाथ में है ।
अल्लोपनिषद से लेकर पुराण और वेद तक इस सत्य की गवाही और प्रेरणा दे रहे हैं । आपकी आस्था जिस ग्रन्थ में हो आप उसके माध्यम से पूर्ण सत्य प्राप्त कर सकते हंै । लेकिन ख़बरदार जिन्होंने लोगों के लिए शोषण‘ का मायाजाल बुना है वे उसे टूटने से बचाने के लिए हर मुमकिन तरीके़ से आपको भरमाएंगे ।ऐसे मौक़े पर बस आपका बुद्धि विवेक ही काम आएगा । सच्चे मालिक से सद्बुद्धि की याचना कीजिए । गायत्री मन्त्र ऐसे नाज़ुक वक़्त में आपके बड़े काम आएगा । बशर्ते कि आप अपने अन्दर सद्बुद्धि पाने की तड़प भी सचमुच जगा लें और तथ्यों का विश्लेषण भी निष्पक्ष होकर करना सीख लें ।
आखि़रकार हरेक को एक दिन मरना है और अपने पाप पुण्य का फल भोगना है । ख़ूब अच्छी तरह देख लीजिए कि आप आज क्या कर रहे हैं और कल क्या भोगने वाले हैं ।किसी को मेरे ‘शब्दों से ठेस पहुंची हो तो क्षमा चाहता हूं।
विनीत आपका बंधु - अनवर जमाल

41 comments:

HAKEEM SAUD ANWAR KHAN said...

इसलाम अकेली ऐसी जीवन-व्यवस्था है जो व्यक्ति और समाज , परिवार और राष्ट्र को जीवन की हरेक समस्या का सरल और व्यवहारिक समाधान देती है । इसका आधार पवित्र कुरआन है । जो पहले दिन से लेकर आज तक सुरक्षित है। बराबरी और सहयोग इसलामी समाज की ख़ासियत है । इसकी उपासना पद्धति आसान है । जो बिना किसी ख़र्च के बहुत कम समय में संपन्न हो जाती है ।
इसकी आर्थिक व्यवस्था ब्याज मुक्त है । इसलाम को उसकी सम्पूर्णता के साथ न मानने वाले विकसित देष भी इसलामी बैंकिंग को अपना रहे हैं । इसके माध्यम से मिलने वाली मुक्ति को हरेक आदमी प्रत्यक्ष जगत में खुली आंखों से देख सकता है ।

KAMDARSHEE said...

सैक्स का ज्ञान सन्यासी से ?

6- दोनों अपना ‘शरीर सीधा भी रखें और अपने अपने आंख नाक और मुंह आदि अंग आमने-सामने भी रखें । यह हालत सिर्फ़ तभी मुमकिन है जबकि दोनों का क़द समान हो । औरतों का औसत क़द मर्दों से कम होता है । किसी-किसी जोड़े के क़द में तो अन्तर काफ़ी ज़्यादा होता है । ऐसी हालत में क्या करना चाहिये ?
क्या आंख नाक को सामने रखने के लिये ‘शरीर को थोड़ा सा फ़ोल्ड कर लिया जाए ?
या फिर ‘शरीर सीधा रखने के लिए आंख नाक को सामने से हटा लिया जाये ? क्या करना ज़्यादा श्रेयस्कर है यह स्वामी जी ने नहीं बताया?
या तो बात की तरफ़ संकेत करके छोड़ दिया होता या फिर अगर बता ही रहे थे तो पूरा तरीक़ा बताते ।
7- पूरा तरीक़ा तो तब बताते जबकि उन्हें खुद ऐसी समस्या कभी पेश आई होती । ज़्यादा बेहतर होता अगर स्वामी जी इस विषय की शिक्षा अपने किसी योग्य गृहस्थ शिष्य के लिये छोड़ देते । लेकिन उन्हें तो इस जन्म में कोई योग्य शिष्य मिलने की ही उम्मीद न थी ।
8- मन को विषय वासना से कैसे बचायें ? और सम्भोग से कैसे बचें ? इस विषय पर तो एक सन्यासी को बोलने का पूरा अधिकार है लेकिन एक स्त्री से सम्बंध कैसे बनाये जाएं यह बताने की योग्यता किसी सच्चे बाल ब्रह्मचारी में तो हरगिज़ होती नहीं । जिसने स्त्री प्रेम के मार्ग पर कभी एक पग न धरा हो वह उस रास्ते के उतार-चढ़ाव से दूसरों को कैसे वाक़िफ़ करा सकता है ?

PARAM ARYA said...

yeh bahut buri post hai . bhavnaon ka kuchh to khayal rakho.

Manhoos said...

baat kisi aur tarah bhi to kahi ja sakti hai .

Anonymous said...

kal se zyada mazedar masala aaj hai .

Anonymous said...

nice effort.

DR. ANWER JAMAL said...

ARE BHAI WOH KAHAN HAIN JINKE LIYE YE POST LIKHI GAYI HAI ?

शेखचिल्ली का बाप said...

दयानन्द जी की मान्यतानुसार सूर्य चन्द्रमा और तारों पर सर्वत्र मनुष्यादि प्रजा का वास है और वहां की व्यवस्था भी इन्हीं चारों वेदों के अनुसार चल रही है । सत्यार्थप्रकाश , अष्टमसमुल्लास , पृष्ठ 156

वन्दे ईश्वरम vande ishwaram said...

Vande Ishwaram.

Anonymous said...

hum bhi tayyari kar rahe hain kamino .

DR. ANWER JAMAL said...

KAR LO TAYARI JITNI KARNI HAI.MUJHE PATA HAI AAPKA SOURCE OF KNOWLEDGE KYA HAI ?

Anonymous said...

यह बोनस पाकिस्तान में अगर इस्लाम के लिये है तो भारत में अपनी पहचान से जोड़ा जा रहा है।

Amitraghat said...

"बहुत ही हास्यास्पद और अपूर्णता से भरा आलेख आप सुधारवादी बनने की कोशिश कर रहें हैं..."
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com

Taarkeshwar Giri said...

जमाल साहेब आपने भी तो टोपी नहीं लगा रखि है, कुरान के अन्दर चश्मे के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। शादी से पहले जो बहेन भाई -भाई कहती है , वोही बहिन बाद मैं बिस्तर पर होती है, बीबी के रूप मैं।

बहुत ही अच्छा हुआ की आपके पूर्वजो ने इस्लाम कबूल कर लिया ,

लेकिन शायद आप भूल रहे हैं की आपने भारतीय संस्कृत और भारतीय सभ्यता पर हमला किया है , आपको इस का मुंह तोड़ जबाब मिलेगा।

Anonymous said...

param arya saab
bhawnao ka khyal rakhne ki salaah arya bandhuon ko dijiye jinhone sanaatn dharmi, christians, buddhists, jains aur muslims kisi ki bhi bhawnaao ka khyal nahi kiya. is post me to apki maanyata aur aastha ko hi paramaano k sath darshaya gaya hai,bhaavnaao ko chot Dayanand ji se pahunchi hai jinhone is kalyug me in man gaddant,apraakratik aur avyavhaarik maanyataao ko dharm se jod diya.

विश्‍व गौरव said...

पति की इजाज़त से भी कोई मुसलिम औरत नियोग नहीं कर सकती । हां उन्हें बच्चा गोद लेने की इजाज़त है।
इसलाम में न तो आवागमन की मिथ्या कल्पना है और न ही उससे मुक्ति के लिए पुत्र अनिवार्य है । अलबत्ता पुत्रियों के पालन और उनकी शिक्षा के बदले में मुसलिम मां बाप को जन्नत की खुशख़बरी ज़रूर दी गयी है ।
इसलाम में विधवा को जलाना हराम है ।
मुसलिम विधवा भी नियोग नहीं कर सकती । उसके लिए पुनर्विवाह का प्रावधान है ।
विधुर के लिए भी यही व्यवस्था है ।
I am impressed by these teachings of Islam, very gud post.
Thanx Dr Anwar Jamal

Saleem Khan said...

लम्बी पोस्ट है, शाम को ऑफिस के ऑफ होने पर साएबर जा कर पढूंगा... अच्छा चिंतन लग रहा है !!!

EMRAN ANSARI said...

THIS WAS NOT INTENDING TO HURT ANYONE BUT WE HUMAN BEINGS ARE SUPERIOR THEN ANY LIVING BEING ON THE EARTH SO WE HAVE TO DARE TO FACE THE TRUTH.

EMRAN ANSARI said...

TARKESHWAR JI,
FOR UR KIND INFORMATION I WOULD LIKE TO TELL U THAT RELATIONS ARE VERY WELL DEFINED IN ISLAM. IT IS CLEARLY MENTIONED TO WHOM U R ALLOWED TO MARRY OR TO WHOM NOT.

DR. ANWER JAMAL said...

आप सभी का आभार ।
@आदरणीय तारकेश्वर जी
आपको शायद वेद मे बाप द्वारा बेटी को गर्भवती किये जाने का ज्ञान नहीं है।
जितने हमले करोगे उतना ही खुद को नंगा करवाओगे ।

Unknown said...

chacha anwar kyon doosre dharm par keechad uchhalte ho . hamaree kuraan va hadeeson me aurat ka kya darja hai,pahle vaheen sudhaar karle.aurton ko janwar ka darja diya gaya hai.
chachaa wo vaali hadees nahi padhi kya jisme ek mohtarma pagambar ke pas apne pati ki shikayat lekar jaati hai ki mera pati peechhe se yani gudaa se sex karta hai to pagambar kahte hai ki jab allaah ne hi do chhed aage peechhe diye hai to tumhe kya aapatti hai. aurat ke saath pagambar ka ye nyay theek hai kya.

Anonymous said...

Mr. Ali,
It is very clear from your comment and Hadees you have mentioned that You don't have any knowledge about Islam. This is your fabrication only. It further establishes that you don't have any reasonable answers to the questions raised from very authenticated sources of Vedas and their commentaries.

Try to think honestly for the sake of your own interest. Instead of any false propaganda, we should do a knowledge based and fair discussion. And always accept what ever is truth.
Bye
Ansar'e Da'ee

Anonymous said...

Shriman Param Arya Ji,

Apni bhavnaon ko kabhi bhi tuch paramparaon se na joden, aur na hi kabhi jhooti shikshaon ko apnaen. Sachcha gyan arjit karke, pavitr shikshaon aur paramparaon ko apne jeevan me sthan den. Ishwar aapka kalyan karega.
Shubh Chintak.
Ansar'e Da'ee

Anonymous said...

abe chutiya tu jo likhe theek,or koi likhe to galat

Anonymous said...

तुम्हारी अम्मी कि चुदाई ऐसे ही होती है क्या कटुवे की झांट

ESCS Tech Gr. Noida said...

to ladki ladke ki shaadi ko kya kahenge? sab mahman logon ko bulaya jata hai kya ye sab batane ke liye ki vo ab suhagraat manayenge? ye kya bhaltu ka logic le ke budhhimaan hone ka sapna dekh rahe ho. ye har kisi ki shaadi ke baad ki kahani hai. shaadi se pahle ki nahi. shaadi hona uske baad bachhe hona aur usme bhi garbh daran ka sanskar hona esme kya bura hai? par tum log kahan samjho ge ki naitik aur anaitik main kya fark hai kyunki tum log to bas ek maje ki bhool se jo paida ho gaye. dusri baat rahi ladke ya ladki kai thakne ki to es par kaphi research ho chuki hain aur koi nahi kahta ki jab tum thake ho to sex varjit hai ulte sex thakaan khatm hi karta hai.aur maine kabhi sex nahi kiya hai sirf research ke base par bata raha hun. vaise maine to USA UK ya UAE bhi nahi dekha par vo hain. tumhare anusaar to tumhe apne maa baap se bhi nafrat ho gayi hogi jab tumhe ye pata chala ki tum kaise paida hue ho aur jab to aur jyada nafrat hogi jab tumhe ye pata chalega ki tum ek maje ki paidaic ho.

krishna said...

TRUTH OF ISLAM
A TRUTH OF ISLAM & KURAN SHARIF
hi frndss.......as all of u know that....islamic terrorism is a big problem in the entire world.....even, in india it's a big problem......after searching a lot about islam & kuran sharif ,i came on a decision,that only islam & kuran sharif is responsible for the whole terrorism.....
KURAN SHARIF HAS TOTAL 114 CHAPTERS.........
NOW . I M TELLING U HOW IT IS FLEWING THE HATE AGAINST THE OTHER RELIGIONS...

IT'S POINTS ARE AS.......

........CHAPTER 9......9.111.....when a muslim kills a non- muslim...then that muslim will go to heaven......

KURAN 4:23.24........if u r bored with ur wife..........then get your self some Sex slaves(RAKHAIL).....

KURAN 33.37.......if u want to marry ur son's wife.....then u can marry her......

KURAN 41:1-5.........if u don't like ur uncle & aunt..then curse them 2 hell.....

krishna said...

KURAN 4.34.......if ur wife & sex slaves (rakhail) causing trouble...then beat them......

......KURAN 65.4.......divorcing pre-pubescent girls is allowed in kuran.....

......KURAN 33.37.....mohammad did marriage with his son's wife (ZAYNAB BINT JAHSH)...

......KURAN 4.3......females muslims can only marry muslims men...but mem can marry any one.......

KURAN 24.13.....if a women is raped.....then to prove it a rape..there should be minimum 4 men as proof.....

CHAPTER 2....verse 223 allows men to rape their sex slaves......

SHARIA ISLAMIC LAW........for aludtness.....stonning to death......

krishna said...

.KURAN 2.282......for legal matters....women testimony is half of a man.....

ISLAMIC SHARIA LAW.....divorse by saying talak(3- times)........

IN SAUDI ARBIA.....women are not allowed to vote & drive......

.IN MARCH 2002......in macca.....14 girls were burned alive for not wearing the islamic dress code......

KURAN 4.11......son's inheritence is twice as compared 2 daughter's inheritence......

KURAN 33.53.....allah did'nt allowed mohamma's 10 widows 2 remarry......

KURAN 9.29......muslims must treat non-muslims as inferior or 2nd class citiens.....

CHAPTER 8 (BOOTY)...8.41...allows the muslims 2 steal the property, that belongs to
recently slaugtered....

krishna said...

KURAN 5.60.......calls jews & christians as pigs & monkey...

KURAN 47.4 verse...beheading the infidels(non-muslims) & death 2 insult the mohammad or islam.....

CHAPTER 5...table(versa 51)forbids muslims from having jews....

mohammad did marriage with a girl names AISHA ..who was only 6 years old.....

....SO FRIENDS,,THIS IS THE TRUTH BEHIND ISLAM & KURAN SAHRIF.....

krishna said...

wat ISLAM have given to the world? the ans. is given below:

1. Jehad
2. Kat-le-aam
3. Hum do Hamare bees
4. Pakistan
5. Bangladesh
6. Mohammad Gauri
7. Mohammad Gajnavi
8. Afjal Guru
9. Mushraff
10. Osama Bin Laden
11. Burqa
12. Lahkar-e-tayebba
13. Al quada
14. saddam hussain
15. Indian communist
16. Abdullah Bukhari
17. inka baap Babar
18. Mecca n madina
19. the word KAAFIR
20. aur haan akhir main kafil aur haneef

Aur bhi hai, phir kabhi bataunga...

krishna said...

The Quranic vereses on Slavery treating Kafir women as sex slaves.

Sura (33:50) -

"O Prophet! We have made lawful to thee thy wives to whom thou hast paid their dowers; and those (slaves) whom thy right hand possesses out of the prisoners of war whom Allah has assigned to thee" This is a special command that Muhammad handed down to himself, allowing himself virtually unlimited sex. Others are limited to four wives, but may also have sex with an unlimited number of slaves, as the following verse make clear:

Sura (23:5-6) -
"..who abstain from sex, except with those joined to them in the marriage bond, or (the captives) whom their right hands possess..." This verse allows the slave-owner to have sex with his slaves. See also Sura (70:29-30).

Sura (4:24) -
"And all married women (are forbidden unto you) save those (captives) whom your right hands possess." Even sex with married slaves is permissible.

Sura (24:32) -

"And marry those among you who are single and those who are fit among your male slaves and your female slaves..." Breeding slaves based on fitness.

krishna said...

The truth about Muhammad: founder of the world's most intolerant religion
By Robert Spence
Read this book and come again all are welcome to me

krishna said...

http://books.google.co.in/books?id=LpMEkIZ1kQIC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false

krishna said...

I think that u have gotten sufficient dose and comeback to all ur brothers for next dose i have much interesting ur welcome

Man said...

jamal chchcha islaam me ounchi gand karne namaj karne ka kya matalab he???? ishwar ko to aaram se beth ke bhi yaad kiya ja sakta he ek ghante tak ounchi gand rakho...is me konsee sicentific thoury aagyee jara apne blog me hi logo ko batayeor chhccha ye bataye ki land ka agla footra katne kya matalab he vo bhi matke per soola ke..kya pashab itna boora hota he phir toombhi to land ke midium se paida hue ho..khooda ne gand se tapkaya kya toomhe....chacha aapko thodi mirchi lagegi per ..give me answer.

Man said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

what happen ,ek hi bahut ho gaya kya ,ya book padh ke nahi hua ,padh lo fir jabab dena ,aur guts hai to comments delete mat karo

Anonymous said...

pranam mahashay kya aapne ye kaise soch liya ki mahan swami dayanand ko kisi ne swikar nahi kiya aur sabse pehli baat ki ye proof ho chuka hai ki aliean doosre grah pe bhi aadmi hote hai vigyan keval usi baat ko manta hai jispe uska sodh compleate aur sucess ho jata hai aap kaise keh sakte hai ki vigyan ne poori khoj compleate kae li ab bhavishya main koi khoj nahi hoga is ke aage bhi hoga aur hota rahega shayad aap ko maloom nahi ki har din brahmand main naye naye khoj hote hai jab ved kehta tha ki 9 grah hote hai to duniya ne majak udaya par aaj sabko maloom ho gaya ki real main 9 grah hai jab ramayan main helicopter ka jikra aaya to duniye ne majak udaya par aaj helicopter bhi hai ramsetu bhi hai aaj electricity yane bijli ki 14 defination hai par sabhi galat hai agar sahi hoti to 14 ki zaroorat kya thi phir bhi bijli chal rahi hai kam kar rahi hai nutan ne jab gravity ki khoj ki kya us se pehle gravity apna kam nahi karti thi kar thi thi par us ke niyam ke bare main kisi ko patta nahi tha phir bhi kam karti thi aap ne jo garbhdharan ki prakriya batayi kya aap ne thoda bhi dimag lagana jaroori samjha ki uhi muh fate ki jaise bol diya ghee se sarir majboot hota hai maa agar purohit ko pranam karegi to uske andar ke bache main bhi wahi gun aaye ga hindu to aurat ko maa durga aur kali ka roop samjhte hai aap ke kuran ke saman kheti nahi ja ke jot do wo tumhari kheti ki tarah hai ek patni ke samne 4-4 patni ke sath sota hai allah kehta hai bahist main gori gori aurte milange kayamat ke din to kya bap aur beta ek hi sath chalu ho jayenge allah ke samne aur ladkiya kayamat se pehle jannat jati hai kya aap ke allah ko khush karne

DR. ANWER JAMAL said...

मां


एक किरदारे-बेकसी है मां
ज़िन्दगी भर मगर हंसी है मां
दिल है ख़ुश्बू है रौशनी है मां
अपने बच्चों की ज़िन्दगी है मां
ख़ाक जन्नत है इसके क़दमों की
सोच फिर कितनी क़ीमती है मां
इसकी क़ीमत वही बताएगा
दोस्तो ! जिसकी मर गई है मां
रात आए तो ऐसा लगता है
चांद से जैसे झांकती है मां
सारे बच्चों से मां नहीं पलती
सारे बच्चों को पालती है मां
कौन अहसां तेरा उतारेगा
एक दिन तेरा एक सदी है मां
आओ ‘क़ासिम‘ मेरा क़लम चूमो
इन दिनों मेरी शायरी है मां

http://vedquran.blogspot.com/2010/05/mother.html

Unknown said...

guruvar, krishna jee ko rah dikhao.