सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Friday, March 19, 2010
आखि़र एक हिन्दू भाई गाली दे तो क्या दे ? no way
माननीय डार्विन जी ने कभी फ़रमाया था कि मनुष्य के पूर्वज बन्दर थे ।
उनसे आज तक साइन्टिस्ट्स साहिबान सहमत न हो सके तो भला हम ही क्यों होते ?
लेकिन कभी कभी ऐसा लगता है कि उनकी बात में पूरी सच्चाई तो चाहे न हो मगर वह पूरी तरह ग़लत भी नहीं है । वे एक पादरी थे । धर्म प्रचार उनका काम था । इसी दौरान उन्हें अपने साथ जानवरों की तरह बर्ताव करने वाले मिले होंगे । शरीर से आदमी जैसे दिखने वाले प्राणियों के लक्षणों पर विचार किया होगा तो वे बग़ैर किसी दिक्क़त के समझ गये होंगे कि हो न हो आज मन बन्दर जैसा रखने वाले ये द्विपाद प्राणी शरीर से भी कभी ज़रूर बन्दर रहे होंगे ।
बस फिर क्या था लोगों ने उन्हें हाथों हाथ महान बना दिया । जबकि इसी खोज को भारत के मनीषी बहुत पहले ही सम्पन्न कर चुके थे और महान तो वे पहले से मशहूर थे ।
हांलाकि वेदों में परलोक में स्थायी स्वर्ग और नर्क का वर्णन है ।
कुल 28 प्रकार के नर्क में से श्रीमद्भागवत में 22 का विवरण तो नाम के साथ आता है यानि कि स्वर्ग नर्क के इनकार की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने घोषणा कर दी कि मनुष्य अपने वर्तमान रूप में आने से पहले जानवर वग़ैरह की योनि में चक्कर काटता फिर रहा था ।
भारतीय चिन्तक कई स्तर पर श्री डार्विन जी से न केवल अलग हैं बल्कि अद्भुत रूप से ऊँचे भी हैं । श्री डार्विन जी ने तो पूर्वजों को बन्दर बताया था जबकि भारतीय चिन्तकों ने तो हरेक आदमी को स्वयं ही कई लाख तरह के जानवरों की योनियों के अनुभव से युक्त बताया ।
श्री डार्विन जी की खोज शरीर से आरम्भ होकर शरीर पर ही ख़त्म हो जाती है जबकि भारतीयों की खोज शरीर से आरम्भ होकर मन चित्त बुद्धि आदि का पता लगाते हुए आत्मा पर जाकर ख़त्म होती है । भारतीय चिन्तक भी धर्म प्रचारक थे । उन्हें भी जानवर सिफ़त लोगों ने सताया होगा और इस तरह उनके सामने यह सवाल खड़ा हुआ होगा कि आखि़र ये माजरा क्या है ?
जब सोचा होगा तो वे इसी नतीजे पर पहुंचे होंगे कि हो न हो ये पहले कभी सुअर कुत्ता नाग बिच्छू वगै़रह जानवर रहे होंगे । अब ये जिस्म से भले ही आदमी बन गये हों लेकिन भौंकने काटने और डसने जैसे अपने पुराने संस्कारों से अभी तक मुक्त न हो सके ।
इस तरह उन्होंने एक ऐसी अनोखी थ्योरी बनाने में सफलता हासिल कर ली जो भारत से बाहर तो चाहे कहीं न मिलती हो बल्कि वेदों में भी नहीं मिलती लेकिन इसके बावजूद आज हरेक भारतीय मत में यह ज़रूर मिलती है।
आवागमन में उनका विश्वास ऐसा जमा कि बाद में उन्होंने वेद पुराण के सच्चे स्वर्ग नर्क को ही कल्पना और अलंकार कह डाला । विश्वास ख़ामख्वाह तो जमता नहीं और इतना बड़ा विश्वास तो बिल्कुल भी नहीं कि जिसके लिए अपने मूल धर्म ग्रन्थों की मान्यताओं को ही या तो सिरे से नकारना पड़े या फिर उनके साथ खींचतान करनी पड़े ।
अस्ल बात ये है कि आदमी प्रत्यक्ष को सदा परोक्ष पर तरजीह देता है ।
यह उसका स्वभाव है । स्वर्ग नर्क तो उसने देखा नहीं और इनसान के लौकिक स्वर्गिक सुख का नाश करके उसे नारकीय पीड़ा देने वालों को वह रोज़ देखता भी है और भुगतता भी है ।
आंखिन देखी को कोई आदमी आखि़र कब तक झुठलाएगा ?
यही वजह रही कि जब जब इस ज़मीन पर ज़ालिमों का झण्डा डण्डा लहराया तो लोगों का न सिर्फ़ जीना मुहाल हो गया बल्कि उन्हें तो ईश्वर और अपनी सनातन मान्यताओं की सत्यता पर ही सन्देह होने लगा ।
समाज में पनपने वाले ज़ुल्म के पीछे ज़ालिम है । यह एक सीधी सादी सच्चाई है । ज़ुल्म के ख़ात्मे के लिए दो ही रास्ते हैं या तो ज़ालिम को नेक नसीहत के ज़रिये लोक हितकारी मार्ग पर लाया जाए या फिर उसका उन्मूलन कर दिया जाए । लेकिन यहां ज़ुल्म के ख़िलाफ़ उठने वाली हरेक आवाज़ को आवागमन के ट्रांक्विलाइज़र के ज़रिये शान्त कर दिया गया । कहा गया कि जो दुर्दशा तुम्हारी आज है उसके पीछे कोई ज़ालिम नहीं बल्कि तुम खुद ज़िम्मेदार हो । न तुमने पिछले जन्मों में कुकर्म किये होते और न आज तुम्हें ये बुरे दिन देखने पड़ते ।
बहरहाल , वजह जो भी रही हो । हर दौर में और हर देश में चिन्तकों ने इनसान और जानवर के बीच में सम्बंध ढंूढने या बनाने की कोशिश की है । बुरे आदमियों को कुत्ता , सुअर , सांप , और गिद्ध आदि कहा गया है ।
पिछले दिनों एक गोदी के लाल को बड़ी चिन्ता हुई कि सारी दुनिया मुसलमानों पर रिसर्च कर रही है बस मैं ही पीछे रह गया । बस आव देखा न ताव काला चश्मा लगाकर फटाक से लिख डाला कि मंहगाई के लिए मेरे जमाख़ोर रिश्तेदार नहीं बल्कि मुसलमान ज़िम्मेदार हैं । ये वही आवागमन वाली तकनीक है । कारण तो कहीं और हो और घोषित कुछ और कर दिया जाए । अच्छा हुआ कि बेचारा माल्थस ऐसे स्कॉलर्स की आमद से पहले ही मर गया । एक साहब ने भी हक़ बात कहकर उन्हंे गिद्ध घोषित कर दिया ।हालांकि यह हक़ बात नहीं बल्कि सफ़ेद झूठ है क्योंकि न तो वे कभी उड़ते देखे गये हैं और न ही किसी गिद्ध को कभी चश्मा ही लगाए देखा गया है।
बहरहाल इन गोदी के लाल जी ने उनकी बात का बड़ा बुरा माना । लेकिन दो चार दिन पहले जब ये खुद झल्लाये तो अपनी टिप्पणी में ‘सुअर‘ लिख रहे थे । ये तो लिख रहे थे गुस्से में , लेकिन पौराणिक लोग समझ नहीं पा रहे थे कि ये किसी ब्लॉगर को गालियां दे रहे हैं या अपने आराध्य श्री विष्णु जी का नाम ले रहे हैं क्योंकि श्री विष्णु जी का एक अवतार इस रूप में भी हो चुका है ।
हिन्दू भाइयों के सामने बड़ी लाचारी है । गाली देने के लिए वह किसी भी जानवर का नाम नहीं ले सकते । क्योंकि सभी जानवरों के रूप में पहले तो स्वयं ब्रह्मा जी ही अपनी पुत्री के साथ रमण कर चुके हैं । तत्पश्चात श्री विष्णु जी समेत अन्य देवी देवता भी उनके रूप में प्रकट हो चुके हैं । एक सज्जन ने इस कठिनाई को यूं हल किया कि वे मेरे ब्लॉग पर यौनांगों का नाम लिखकर चले गये । लेकिन यहां तो यौनांगों की पूजा भी हर चैराहे पर की जाती है ।
कुछ और कहकर भी गाली दिया जाना सम्भव नहीं है क्योंकि यहां तो यह मान्यता भी है कि ईश्वर कण कण में है । इस तरह पहले तो वही ईश्वर बन जाता है जिसे गाली दी जा रही है और उसके बाद वह गाली में जिस चीज़ का भी नाम लेगा वह चीज़ भी ईश्वर बन जाती है ।
आखि़र एक हिन्दू भाई गाली दे तो क्या दे ?
लेकिन आखि़र गाली दे ही क्यों ?
गाली देना कोई धर्म का अंग तो है नहीं कि दिये बग़ैर काम नहीं चलता । मत दीजिये गाली । धर्म तो गाली गलौच से रोकता है ।
ख़ैर , इनकी अक्ल भी गोदी के लाल जितनी ही छोटी है । चारों तरफ़ इच्छाधारी घ्ूम रहे हैं और इनकी समझ में परदे का फ़ायदा भी नहीं समा पा रहा है ।
अरे गोल गप्पे वालों ने तो परदानशीन औरतों के लिए फ़ैमिली केबिन का भी बन्दोबस्त कर रखा है । अपने बिज़नेस की फ़िक्र गोल गप्पे वाला करे या वह परदे वाली करे जिसे खाने हों , आप क्यों चिन्ता में घुल रहे हैं ?
या हो सकता हो कि उनको ही गोल गप्पों की दुकान खोलने का आयडिया आ रहा हो और परदे की वजह से अपनी सेल मारे जाने का डर सता रहा हो ।बहरहाल कोई किसी भी चीज़ की दुकान खोले हमें क्या ?
हमारा विषय तो आदमी और जानवर के बीच के रिश्ते की हक़ीक़त पर तब्सरा करना है और उसमें ये गोदी के लाल कहीं भी फ़िट नहीं बैठते । न तो जानवर में और न ही आदमी में ।
हमें तो भाई खुद को सुधारना है । हमें किसी से क्या लेना ? हमारे प्रिय विचार शून्य बन्धु ने भी हमें शवान वाणी प्राणियों की बातों को नज़रअन्दाज़ करने की सलाह दी है ।
पहले ही बहुत कुछ उठा पटक हो चुकी है । हम तो सच कह दें लेकिन भाई कोई सुनने के लिए भी तो तैयार हो । यहां तो शायरी की डिमांड है , तो लो फिर शायरी ही सुनो ।
ग़ज़ल
ग़ज़ल
देखने में तो परस्तार ए खुदा हैं कितने
हां मगर साहिबे तसलीम ओ रिज़ा हैं कितने
कहीं दरिया कहीं सूरज कहीं पत्थर कहीं पेड़
बाज़ बन्दों के ज़माने में खु़दा हैं कितने
सच को ईमान समझते हुए सच बोला था
लोग इस शहर के अब मुझसे ख़फ़ा हैं कितने
इश्क़ में अहदे वफ़ा करना बड़ी बात नहीं
देखना ये है कि पाबन्द ए वफ़ा हैं कितने
तेरी चाहत सभी रखते हैं मगर ये भी देख
ज़िन्दगी तेरे रफ़ीक़ों में भला हैं कितने
यहां मज़लूम के रोने पे भी पाबन्दी है
मेरी बस्ती के क़वानीन जुदा हैं कितने
मन्ज़िलें क्या उन्हें सिम्तों का नहीं इल्म ‘सईद‘
यूं तो कहने को यहां राहनुमा हैं कितने
अर्थ
अर्थ
परस्तार - पुजारी ,साहिबे तसलीम ओ रिज़ा - पूर्ण समर्पित , रफ़ीक़ - दोस्त , मज़लूम - पीड़ित , क़वानीन - क़ानून का बहुवचन , सिम्त - दिशा ,राहनुमा - राह दिखाने वाला
डा. सईद आरिफ़ी
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51 comments:
आंखिन देखी को कोई आदमी आखि़र कब तक झुठलाएगा ?
कितनी सहजता से आप अपनी बात कह जाते है ! आप स्टार ब्लोगर ऐसे ही नहीं नहीं है.
बिला शक आज के आपके लेख का उद्देश्य बहुत ही अच्छा है,
आपने उम्दा बात को उम्दा अन्दाज़ में कहा है । लेकिन इतने लम्बे की क्या ज़रूरत थी ?
@ Roshan sahab आपको हमारी बात तो पसन्द आयी । एडिट आप खुद कर लीजिये जनाब ।
@ Mansa babu thanks.
pls keep visiting.
जिस तरह से गाली गलौज करना सभी धर्मो के अन्दर पाप है उसी तरह से किसी और धर्म के बारे मैं बुरी बात कहना भी पाप है। अनवर भाई मैंने तो पहले ही कहा था की किसी भी धर्म के बारे मैं बिना जाने समझे बोलना ही बेकार है , लेकिन आप एक बार शुरू होने के बाद तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। आखिर आप खुद ये सोचिये की अगर कोई हिन्दू कुरान के अन्दर बुराई को निकल कर के और उसमे तेल माखन की पोलिश करके लोगे के सामने रखे तो ......शायद आप भी या आपका कोई भाई बंधू इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करेगा।
kya aap apna Email ID mere Email ID par bhej sakte hain.
समाज के अन्दर फैली हुई बुराई को दूर करने वाला समाज सुधारक कहलाता है। लेकिन समाज की बुराई करने वाला पापी कहलाता है.
कुल मिला के मतलब यह की आपको खुद ही गालियाँ सुनना पसंद है ,चला चला के इस तरह की पोस्ट लिख रहें है . आप को गालियाँ सिर्फ इस तरह की पोस्ट पे ही ज्यादा मिली है (यह बात अलग है की आपने इस तरह की पोस्ट ही ज्यादा लिखी है ). आपने कुछ अच्छा लिखने का दावा किया कुछ प्रश्न पूछे ,किसीने जवाब दिया तो आपने पलटकर बताया क्या की हां भाई यह बात सही है - यह बात गलत है , बस आपको तो गालियाँ ही दिखाई दी , (पता नहीं क्यों सिर्फ गलियां ही दिखाई दी वैसे सावन के अंधे को भी हरा ही हरा सूझता है ), अपनी असली मंशा क्यों नहीं बता पा रहे हो अभी तक ,जरा खुल के कहो यार ., और यह गालियाँ भी क्या पता आप ही तो नहीं मार रहे है कुछ भी भरोसा नहीं होता अब तो आप के ऊपर ,
@ Bandhu Giri ji
jaldi apko email i d bhejunga.
Insha Allah.
@ Sir Amit ji
Thanks for ur visiting.
it is enough yaar.
Leave this track.
जमाल साहब....मैंने आपके ब्लॉग पर दो-तीन विजित किया है....आप मद्दे तो अच्छे उठाते हैं लेकिन...आपका लहजा ठीक नहीं लगता है...यही कारन है कि...लोग आपके लहजे के कारन आपके उठए गए मुद्दे को दरकिनार कर देते है...आप के पीछे पड़ जाते हैं....
कह गया है कि....सत्य बोलो...प्रिय बोलो...
कोई सज्जन मुझे बता सकता है क्या की ये मोला जी क्या चाहते है
तारकेश्वर जी आप ही समझा दीजिये
the morning was sunny & bright but i think by the night we are back to square one. it is really disappointing. Plese notice what sh.Murari Pd. ji has commented.
Aise Hi Jaari rahen.
जमाल साब मैंने कल आपसे एक सवाल किया था यह तो गाली नहीं थी न इस बात का जवाब क्यों नहीं दिया आपने अब तक ,मैंने घुमा फिर के भी गाली नहीं दी थी जैसा की आप अब तक करते आ रहे है,अब तो बता दो ---क्या आप मुसलमानों द्वारा खोले गए किसी अस्पताल (सिर्फ हकिम्खाना नहीं जहाँ सिर्फ मुसलमानों का ही इलाज होता हो )
या धर्मशाला (मुस्लिम मुसाफ्हिर्खाना नहीं जहाँ सिर्फ मुस्लिम ही ठहर सकतें हों ) या अन्य सेवा कार्यों का विवरण बतला सकतें हैं ,
की ऐसे सेवा कार्य देश में कहाँ कहाँ चल रहें हैं मुझे जानने की बड़ी जिज्ञासा है
सलीम भाई ने कुंवर जी के ब्लॉग पे जमाल साब को मील का पत्थर बताया था . सलीम भाई जमाल साब पत्थर ही है ,और आप जैसे लोग उन्हें सनातन धर्म रुपी सूरज पे फेंक रहे है ,पर याद रहे सूरज को निशाना बना के आसमान में उछाले गए पत्थर फेंकने वाले के ही करमड़े फोड़ते है.
एक बात से संतुष्टि हुई.. कि अच्छा हुआ जो मैं २-३ महीनो से ब्लॉगवाणी पर नहीं जा रहा था, और नए ब्लॉग से अछूता रहा था.. कम से कम बकवास तो पढ़ने को नहीं मिलती थी..
किस बात पे शाबाशी दूं आपको यह समझाने पर कि हिन्दू भाई गाली नहीं दे सकते या गोदी के लाल जी के ‘सुअर‘ लिखने पर या फिर आपसे कहूँ कि अमित भाई को जवाब दिजिये, उलझन में हूँ.......... वैसे अमित जी को जवाब देना चाहें तो आपकी सहायता के लिये उपलब्ध है पुस्तक
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/09/jan-sewa-social-service-islam.html
जन सेवा और इस्लाम
JAWAB NAHI AAPKA,
Kanhi ye sara kam farji ID se to nahi chalaya jaa raha hai.
tarkesh g ke saath sabhi se ek baat kahoon ki es suar ki olaad ki yrp kyon badha rahe ho.
प्यारे Anonymous जी और इनके अन्य बंधुओं शर्म आती है , की आप जैसे भी इस दुनिया में है , इन गालियों के आलावा भी कुछ अलग सीख पायें हो तो कृपया बतलाने की कृपा करें . बाकी तो ठाकुरजी से यही प्रार्थना कर सकतें है की आप जैसे सभी बंधुओं को सन्मार्ग की और प्रेरित करें
'ओउम् मा प्र गाम थो वयं मा यज्ञान्द्रि सोमिन:। मान्त: सुर्नो अरातय:।'
' अर्थात् 'हम ऐश्वर्य संपन्न होकर सन्मार्ग से दूर न जाएं। हे ऐश्वर्य प्रदाता, परोपकार से हम दूर न जाएं। दान न देने वाले हमारे बीच न ठहरे ।
यथार्थ के धरातल का हम हर क्षण अहसास करे, हमें हमारा विवेक व धैर्य ही सन्मार्ग की ओर ले जाएगा। क्योंकि ''र्निन्दंतु नीति निपुण: यदि वा स्तुवन्तु लक्ष्मी समाविशतु यदि वा यथैष्टम् न्यायापत् पथ: प्रविचलन्ति पदं न धीरा:।'' अर्थात् 'कोई निंदा करे अथवा प्रशंसा, लक्ष्मी आए अथवा चली जाए, मृत्यु आज हो या युगों पश्चात्, न्याय के पथ पर चलने वाले कभी विचलित नहीं होते।' यजुर्वेद में लिखा है-''कुर्वन्नेवेहं कर्माणि जिजीविषेच्छत समा।'' अर्थात् सत्कर्म करता हुआ मनुष्य सौ वर्ष जीने की इच्छा करे। वेदों में दीर्घायु की कामना की गई है, किंतु सत्कर्म करते हुए। और गाली देना सत्कर्म तो नहीं हो सकता ,किसी भी तरीके से नहीं हो सकता
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुवरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो
यो नः प्रचोदयात ॥
उस प्राणस्वरूप,
दुःखनाशक, सुखस्वरूप,
श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक् देवस्वरूप
परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण
करें । वह परमात्मा हमारी बुद्धि को
सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
सन्मार्ग पे चलना कभी भी किसीके प्रति दुर्भावना रखना नहीं हो सकता है ,चाहे फिर वह दुर्भावना अमित रखे ,जमाल साब रखे ,अनोंय्मोउस रखे या इस सृस्ठी का का कोई भी प्राणी रखे
मन्ज़िलें क्या उन्हें सिम्तों का नहीं इल्म ‘सईद‘
यूं तो कहने को यहां राहनुमा हैं कितने
Bahut khoob!
मालिक क्या करें वे लोग बिचारे जो हिन्दू धर्म में पैदा हुयें है, इतना उदार और महान धर्म है की हर बुरी से बुरी-बुरी चीज में भी अच्छाई निकल ही आती है.
बुरा क्यों मानते हो अगर कोई आप को वाराह (श्री भगवान् विष्णु) कहता है. अब देखिये न की गाली भी दे तो उसी ईश्वर की आराधना हो जाती है. मुहं से शब्द निकला नहीं की हो गई आराधना, अब सुनने वाला आप जैसा समझदार ना हो तो बुरा मानेगा ही . अब समझ में आया की हिन्दू क्यों देते हैं गाली #
एक प्रार्थना है आप से की ब्लॉग से अपनी फोटो हटा लें, नहीं तो दूसरी लगा दें, इस फोटो में तो आप डॉक्टर कम और चोर ज्यादा लगते हैं.
अल्लाह आपको नेक राह पर चलाये ! आमीन !!!
great brother... sunday aiye LKO men AIMPLB ke sammelan men
गुरू जी आज एक पोस्ट की हैडिंग से समझा आप होंगे लेकिन वह ता अनवर नहीं अनवार थे, खेर आप भविष्य में लिखेंगे इस्लाम और जन सेवायें पर तो काम आयेगी, जरूर पढियेगा
''जकात से जागी एक गाँव की किस्मत''
http://aajavlokan.blogspot.com/2010/03/blog-post.html
Mere pyare bloger Bandhu : aap sabhi logo se vinamra nivedan hai ki pyar ki bhasha ka istemal kare. Are pyar se to pathhar bhi pighal jata hai ye Dr Anwar Jamal kya hai. Nasamjhi ka parichay na de. Gali galuj karke aap apne munh ko aur gandana kare.
Dr Anwar Jamal Ji, aapne apna ID diya nahi
anwer jamal
eshvani@gmail.com
jamaal teri ammi ki choot
jamaal teri ammi ki choot
अनवर साहब!
बहुत ही ज़बरदस्त लिखा है आपने यह लेख! मैं आपके ज्ञान वर्धक लेख काफी समय से पढता आ रहा हूँ. परन्तु आपके ब्लॉग से अनभिग्य था, इसे देखने का अवसर कल ही प्राप्त हुआ और आज आपका यह लेख पढ़ा.
Assalamu alaikum bhai.......
mashallah bhai
really gr8 efforts...
keep it up//
may allah swt bless u.
aalah apko aur knwledge de...
aameen....
कैरान्वी साहब मैंने वर्तमान में चल रहे सेवा कार्यों की जानकारी चाहि थी ,लेकिन इस पुस्तक में तो सिर्फ सेवा के बारे में इस्लाम द्वारा दिए गए निर्देशों को ही समझाया गया है
@''जकात से जागी एक गाँव की किस्मत''
3000 की आबादी वाले मुस्लिम बाहुल्य सिराजपुर गांव
जबकि मेरा प्रश्न था
--क्या आप मुसलमानों द्वारा खोले गए किसी अस्पताल (सिर्फ हकिम्खाना नहीं जहाँ सिर्फ मुसलमानों का ही इलाज होता हो )
या धर्मशाला (मुस्लिम मुसाफ्हिर्खाना नहीं जहाँ सिर्फ मुस्लिम ही ठहर सकतें हों ) या अन्य सेवा कार्यों का विवरण बतला सकतें हैं ,
की ऐसे सेवा कार्य देश में कहाँ कहाँ चल रहें हैं मुझे जानने की बड़ी जिज्ञासा है
@ Bhai anonymous ji
main to SITA JI ko maan kehta hun.
maine hamesha unhe mata hi likha bhi hai. Aap unki shaan men kyun gustakhi kar rahe hain.
@ Janab saleem khan sb.
s. tahoor sb.
shahnawaz bhai
aur shri shri sarathi ji maharaj
aap sabhi ka dhanyavad.
bhai ahonymous ka bhi.
mujhe unse koi shikayat nahin.
aap roz galiyan dijiye.
itihas men hamesha sach kehne walo ko galiyan aur goliyan hi mili hain.
जमाल भाई साहब आप मेरी एक भी बात का जवाब नहीं दे रहें है . क्या सिर्फ इसलिए की आप पक्षपाती है और. आप को सिर्फ बुरे के लिए ही लिखना आता है .वेदमाता गायत्री से लेकर आज तक आपने मेरी किसी भी जिज्ञासा का समाधान नहीं किया है .वेद -कुरान की बाते छोड़ के गाली -पुराण बांचने में लगे हो . क्या समझा जाये .
@ Sir main to vichar shunya bandhu ki nasihat par amal kar raha hun.
जमाल साहब विचारशून्य जी ने कहा था -- @ देखो अगर कोई कुत्ता आपके सामने भोकेगा तो आप भोंक कर उसका जबाब नहीं देंगे। अगर आप इन्सान हैं तो । हमारी ताकत हमारी सोच होती है भोंकने वालों को नजरंदाज करके अपने अच्छे व नेकी भरे विचारों को आगे लाईये ।
और आप कह रहें है की-@ Sir main to vichar shunya bandhu ki nasihat par amal kar raha hun.
इसके तो दो मतलब निकलतें है-
१ @ देखो अगर कोई कुत्ता आपके सामने भोकेगा तो आप भोंक कर उसका जबाब नहीं देंगे,अगर आप इन्सान हैं तो ।--यानि की मैं एक कुत्ता हूँ और आप मेरी बात का जवाब नहीं देंगे .
२ @ हमारी ताकत हमारी सोच होती है भोंकने वालों को नजरंदाज करके अपने अच्छे व नेकी भरे विचारों को आगे लाईये ।- और आप मुझ भोंकने वाले को नजरअंदाज करके अपने सोच के हिसाब से "अच्छे व नेकी भरे विचारों को आगे" लाने में अपने ताकत लगा रहें है .
धन्यवाद अपने विचारों से अवगत कराने के लियें .
jinke aadarsh hi lutere, balatkari, attankawadi , mandiro ko todnewale ho, nirdosh aur ahinsa ke pujariyo par talwar uthanewale ho, jehad, kafir aur allah ke naam par har bure kaam karna ho , aise logo se ye dunia kaise apeksha kare ki ye log dusro ko sukh se jine denge.
bhaiya apne dharm ki 1000 burai chodkar dusre dharmo ki burai dekhna gali ke kutto ka hi kaam hai jo kisi madarase se jehadi padhai karke samaj me ashanti aur nafrat paida karne ka kaam karte hai. I request such a ppl pls stop this non-sense writing and do something good for nation.
If you thing you are a good writer then write against islamik jehadi and Awake the good muslim to destroy this Terrorism which is your religious product to rule the world in the name of religion.
धर्म को लेकर गाली-गलौज ठीक नहीं।
@Syed Tahoor said...
Really gr8 efforts...
keep it up
may allah swt bless u.
aameen....
Mr Syed you said "..may allah swt bless u..." Matlab doosre dharm kii burai karne pe yaa, dharm ke naam par doosre dharm ke logo ko marne par "...allah swt bless u..."
. I think you are write, because it is written only in Quran. So Quraan is Adharm Granth "Khooni dharm Granth"
Ye to bahut hii achhii baat hai ki hamare paas galii dene ke liye shabd hii nahii hain , isme galat kyaa.
Kyaa ye kaam kishii gaalee se kam hain-
1. Jo kaam Dr anver kar rahe hain
2. Jo kaam Bin laaden kar raha hain
3. Jo kaam Hedily ne kiyaa
4. Dharm Parivartan Karvaanaa...
5. Jo kaam Ajamgarh ke musalmaan kar rahe hain.
6. Mandir Tudvaana
7. Aurato ko gulaam bana ke rakhaa hain- Only child making machine, Any one can enjoy with them ---- Only to increase population - Family planning is againts to Allah
Akhir Musalmaan ye kaam kartaa kyon hain -- sirf Allah ko Khus karne ke liye or Quran mein yahii likhaa hain, means JANNAT Milegi , Ye sachaai hain ki , en sab kaamo kii jad QURAAN hain "KHOON dharm Granth" - Jisme ye Allah ko Khus karne ke Nushkhe likhe hain or Adharm Baaten . Just Opposite to Ved.
Agar, Manna mein kuchh Sahii batein likhi hain , to musalmaan unko kyon nahii apnaata, lekin unkii najar mein Sahii batein kuchh or hain.
@आखि़र एक हिन्दू भाई गाली दे तो क्या दे ? no way
Agar main Anvar ko boluu "सूअर"
to tab-bhi "@Syed Tahoor " mujhe bologe ki "..may allah swt bless u..."
Agar nahhi to,
muslmano kii suar ke naam par laal kyon ho jaatii hai,
main bataaoon - ek baar Md Paigamber Jungle main shikaar khelene gaye, suar ko maar to nahii paaye, par suar ne unkii maar dii.
so suaro se musalmaan ki "maar dii" se bachne ke liye Md paigamber ne quran mein likh diya ki suaar haraam hain, lekin isme musalmaano ka kyaa dosh , jb Md paigamber se suar nahi maraa gayaa to , ye to unkii galti hain, Isme anavar kaa kyaa dosh. khair koi nahii bhaii jannat main jo janaa hain .
Iskaa matlab "सूअर" kaa naam hi gali hai, jo kii Musalmaano ko naa pasand hain
Mr Anvar hindu ye gaalii dega aapko
@Syed Tahoor said...
Really gr8 efforts...
keep it up
may allah swt bless u.
aameen....
Mr Syed you said "..may allah swt bless u..." Matlab doosre dharm kii burai karne pe yaa, dharm ke naam par doosre dharm ke logo ko marne par "...allah swt bless u..."
. I think you are write, because it is written only in Quran. So Quraan is Adharm Granth "Khooni dharm Granth"
Ye to bahut hii achhii baat hai ki hamare paas galii dene ke liye shabd hii nahii hain , isme galat kyaa.
Kyaa ye kaam kishii gaalee se kam hain-
1. Jo kaam Dr anver kar rahe hain
2. Jo kaam Bin laaden kar raha hain
3. Jo kaam Hedily ne kiyaa
4. Dharm Parivartan Karvaanaa...
5. Jo kaam Ajamgarh ke musalmaan kar rahe hain.
6. Mandir Tudvaana
7. Aurato ko gulaam bana ke rakhaa hain- Only child making machine, Any one can enjoy with them ---- Only to increase population - Family planning is againts to Allah
Akhir Musalmaan ye kaam kartaa kyon hain -- sirf Allah ko Khus karne ke liye or Quran mein yahii likhaa hain, means JANNAT Milegi , Ye sachaai hain ki , en sab kaamo kii jad QURAAN hain "KHOON dharm Granth" - Jisme ye Allah ko Khus karne ke Nushkhe likhe hain or Adharm Baaten . Just Opposite to Ved.
Agar, Manna mein kuchh Sahii batein likhi hain , to musalmaan unko kyon nahii apnaata, lekin unkii najar mein Sahii batein kuchh or hain.
@आखि़र एक हिन्दू भाई गाली दे तो क्या दे ? no way
Agar main Anvar ko boluu "सूअर"
to tab-bhi "@Syed Tahoor " mujhe bologe ki "..may allah swt bless u..."
Agar nahhi to,
muslmano kii suar ke naam par laal kyon ho jaatii hai,
main bataaoon - ek baar Md Paigamber Jungle main shikaar khelene gaye, suar ko maar to nahii paaye, par suar ne unkii maar dii.
so suaro se musalmaan ki "maar dii" se bachne ke liye Md paigamber ne quran mein likh diya ki suaar haraam hain, lekin isme musalmaano ka kyaa dosh , jb Md paigamber se suar nahi maraa gayaa to , ye to unkii galti hain, Isme anavar kaa kyaa dosh. khair koi nahii bhaii jannat main jo janaa hain .
Iskaa matlab "सूअर" kaa naam hi gali hai, jo kii Musalmaano ko naa pasand hain
Mr Anvar hindu ye gaalii dega aapko
March 20, 2010 10:16 PM
teri londiya ki choot
why do we insult others, why don't we expose our good things in front of others and realize others religions good things. KICHAD ME PATTHAR MAROGE TO AAP PAR BHI KICHAD HI GIREGA, WAISE BHI ATI HAR CHEES KI HKARAB HAIN
Yes, sounds it is tempting
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