सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Sunday, March 28, 2010

हे परमेश्वर शिव ! अपने भक्त भोले शिव के नादान बच्चों को क्षमा कर दे क्योंकि वे नहीं जानते कि वे आपके प्रति क्या अपराध कर रहे हैं ? Prayer



सत्यस्वरूप परमेश्वर शिव के सुन्दर नाम से आरम्भ करता हूं जो सारी कायनात का अकेला मालिक है । कोई ब्रहमा और कोई विष्णु न उसकी सत्ता में साझीदार हैं और न ही सहायक , बल्कि ये दोनों पवित्र नाम भी उसी परम शिव के हैं । हरेक भाषा में सृष्टा , पालनहार और संहत्र्ता के लिए प्रयुक्त हज़ारों हज़ार नाम भी उसी एक सदाशिव के हैं । अरबी भाषा में अल्लाह , रहमान ,रहीम और रब आदि नाम भी उसी महाशिव के हैं । उसके सिवा न कोई स्वामी है और न ही कोई पूज्य । अकल्पनीय सृष्टि के स्वामी का रूप भी अकल्पनीय है ।


किसी चित्रकार में इतनी ताक़त नहीं है कि वह उसका चित्र बना सके ।
किसी मूर्तिकार के बस में नहीं कि वह उस निराकार का आकार बना सके । जिसने भी जब कभी जो कुछ बनाया अपनी कल्पना से बनाया , अपनी तसल्ली के लिए बनाया ।





सत्यस्वरूप शिव हरेक कल्पना से परे है ।





उसके हज़ारों हज़ार नामों के बावजूद वास्तव में उसका कोई नाम नहीं है । कोई भी लफ़्ज़ इतना व्यापक नहीं है कि उस अनन्त सत्य का पूरा परिचय प्रकट कर सके ।


वह पवित्र है ।


सारी स्तुति वन्दना का वास्तविक अधिकारी वही अकेला अनादि शिव है । सारी सृष्टि उसी के सुन्दर गुणों को दिखाने वाला दर्पण मात्र है । हर ओर वही व्याप रहा है , बस वही भास रहा है लेकिन इसके बावजूद न कोई उसका अंश है और न ही वंश । उसने सृष्टि की उत्पत्ति अपने अंश से नहीं बल्कि अपने संकल्प से की ।


महिमावान है मेरा प्रभु महाशिव


जो असत् ( अदम ) से सत ( वुजूद ) की सृष्टि करने में समर्थ है । उसी ने आदिमानव अर्थात आदम को शिवरूप बनाया । उनके वामपक्ष से पार्वती अर्थात हव्वा को पैदा किया । इन्हीं को ब्रह्मा और सरस्वती भी कहा गया । समय गुज़रता गया बात पुरानी पड़ने लगी और यादें धुंधलाने लगीं । लोगों ने फिर भी उन्हें याद रखा । कवियों ने उनकी कथाओं को अलंकारों से सजाया । दार्शनिकों ने भी जटिल प्रश्नों का समाधान तलाशना चाहा और खुद जटिलताओं के शिकार हो गये ।


वाम मार्गी भी आये आये और कामाचारी पापाचारी भी पैदा हुए ।


उन्होंने स्वयं को ईश्वरीय गुणों का दर्पण बनाने के बजाय धर्म को ही अपनी दूषित वासनाओं की पूर्ति का साधन बना लिया । धर्म भीरू जनता गुरूभक्ति में उन इच्छाधारियों का विरोध श्रद्धावश न कर सकी । नशा , व्यभिचार और बुज़दिली वग़ैरह जो बुराइयां खुद इन पाखण्डियों में थी , वे सब इन्होंने अनादि शिव और आदि शिव में कल्पित कर लीं और लोगों को ऐसी विस्मृति के कुएं में धकेल दिया , जहां वे अनादि शिव और आदि शिव का अन्तर ही भूल गए और जब जानने वाले ने उन्हें मानवता का बिसरा दिया गया इतिहास याद दिलाना चाहा तो स्मृति लोप के कारण उन्हें उसकी बातें अजीब सी तो लगीं मगर अच्छी भी लगीं ।


हरेक कमी , ऐब और दोष से पवित्र है वह सृष्टिकर्ता शिव ।


उसकी शान तो इससे भी ज़्यादा बुलन्द है कि कोई सद्गुण ही उसे पूरा व्यक्त कर सके । हरेक लफ़्ज़् उसके सामने छोटा और हरेक उपमा उसके लिए अधूरी है ।





सुब्हान अल्लाह - पवित्र है प्रभु परमेश्वर ।





अल्हम्दुलिल्लाह - सच्ची स्तुति वन्दना केवल परमेश्वर के लिए है ।





अल्लाहु अकबर - परमेश्वर ही महानतम है ।



अपने दामन में रिवायात लिए बैठा हूं

कौन जाने कि मैं तारीख़ का आईना हूं
अर्थःरिवायात - परम्पराएं , तारीख़ - इतिहास


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हे परमेश्वर शिव ! अपने भक्त भोले शिव के नादान बच्चों को क्षमा कर दे क्योंकि वे नहीं जानते कि वे आपके प्रति क्या अपराध कर रहे हैं ?

26 comments:

Dharm Bandhu said...

you are doing well. God bless you my good son.

DR. ANWER JAMAL said...

@ DharmA bandhu ji , अल्लाह अर्थात परमेश्वर आपको वह ज्ञान दे जो उसने धरती के सबसे अच्छे आदमियों को दिया है ।

B T Bengan said...

धर्मों के मानने वालों के कल्याण की बात है

सहसपुरिया said...

उसकी शान तो इससे भी ज़्यादा बुलन्द है कि कोई सद्गुण ही उसे पूरा व्यक्त कर सके । हरेक लफ़्ज़् उसके सामने छोटा और हरेक उपमा उसके लिए अधूरी है ।
SAHI BAAT

काम की बात said...

हे परमेश्वर शिव ! अपने भक्त भोले शिव के नादान बच्चों को क्षमा कर दे क्योंकि वे नहीं जानते कि वे आपके प्रति क्या अपराध कर रहे हैं ?

बिहारी छोरा said...

dobcter babu tum Bihar ke ho ya patna ke

Ram Pal Singh said...

झूट सबसे बडा झूट, कपटी मानव हो जो लिखते हो अरबी भाषा में अल्लाह , रहमान ,रहीम और रब आदि नाम भी उसी महाशिव के हैं ।

naval_kishore said...

कुछ सरल भाषा में समझा देते जैसे मुरारी जी लिखते हैं तारकेसवर लिखते है

Ayaz ahmad said...

Wah kaya likha hai

Raravi said...

Dear Anwar Jamal Ji
i was moved by your blog and hence writing this comment in appreciation. It eliminates the differences which are not meaningful and tells the same truth which is the essence of every religion.
thank you.
rakesh ravi

Anonymous said...

एक बात तो साफ हो गयी कि, जब किसी चीज का कोई वजूद(काल्पनिक पुरुस) नही हो तो , उसका वजूद जबर्दस्ती बनाने के लिये आदमी बहुत नीची हरकत करने लग जाता है. आज मुस्लिम समाज एक वीरान चौराह पे खडा है, या जैसे बिन पानी की मछली तडपती रहती है, जाऊ तो जाऊ कहां, किसको आपना भगवान बनाऊ
हे विराट रूपी भगवान
एव राक्षसो या 'आततायो" के बध करने वाले,
पूरे ब्रह्माण्ड का पालन कर्ता,
जिनके भक्त अर्थार्त परमेश्वर भगवान शिव है,
इन आततायी बेचारे लोगो का सही मार्गदर्शन कर दो.
आज मुस्लिम समाज अपना वजूद ढूढने मे , सारे धर्मो को अपने से जोडने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कोई भी इनसे नही जुडना चाह्ता, कोई इनको अपने देश मे आने से प्रतिबंध लगा रहा, तो कोई वीजा ही नही दे रहा, तो कोई बुरका पर प्रतिबंध लगा रहा, आज ये कहते फिर रहे कि "माई नेम इज खान - आइ एम नोट आतंकवादी या यू कहे कि सारे मुसल्मान आतंकवादी नही पर सारे आतकवादी, मुसलमान है" ये कभी भोले शिव को अपना भग्वान मानते तो कभी यीशू को तो कभी किसी और को.. इनके भग्वान का कोई वजूद नही, आज ये जाये तो जाये कहा, एक अकेला इजराइल ने इनकी नाक मे दम कर रखा, आज सारे महाद्वीप मे लोग, इनके कर्मो के कारण से इनको नाले के कुत्ते की तरह पहचाती है, इन लोगो ने आपकी बनाये इस सन्सार को दिया ही क्या है
ये लोग सबके लिये कूडे के बोझ के समान है, जो निगले नही निगलते, थूके नही थुकते, चाहे अमेरिकन महाद्वीप " अमेरिका" हो, या युरोपिय महाद्वीप " इटली, फ्रान्स,स्पेन....", या अफ़्रिकन महाद्वीप "सोमालिया,नाईजीरिया,सुडान..." हो, या एशिया " चीन- उरिगुरी, पाकिस्तान, भारत वर्ष.." हो, हर जगह इन्होने लोगो, छोट बच्चो, महिलाये सव बेकसूर लोगो को बम से या कोडे से या जलाकर मारा , इनका कोई धर्म नही,
और एक काल्पनिक- जिसका कोई वजूद न हो या मुर्दा पुरुस का इनको डर लगा रहता है, आज यही डर या "सच्चा मुसल्मान" सबके लिये गले की हड्डी बन गया, विराट रूपी भगवान इनको सही रास्ता दिखाओ.
आज शान्ति, करुणा, क्षमा, ज्ञान, धैर्य अगर कही है, तो विराट रूपी भगवान की शरण या पवित्र धर्म गर्न्थ गीता मे है, आओ हम सब मिलकर विराट रूपी भगवान मे विलीन हो जाये, इस धरती को पाप रहित या "आतम्घाती बम" रहित बनाये, न कोई बिन लादेन होगा, न कोई कसाव होगा, न बटला कांड होगा हर तरफ हरि ही हरि होगे, आरक्षण की भी जरूरत नही पडेगी

अनवर को चाहने वाला "राज"
यही है राज की खाज

Ayaz ahmad said...

Zabano ke alag hone se allaha bahut sare nahi ho jayange

Ayaz ahmad said...

Zabano ke alag hone se allaha bahut sare nahi ho jayange

Anonymous said...

Alag vo hotaa hai jo hotaa ho, allah to hai hii nahi, vo keval ek bachho kii kitab me likhaa tha, bachho ko darane ki liye

Anonymous said...

Wah kaya bakwaas likhaa hai

Ayaz ahmad said...

Aaj tum hi log apni bakwas kur rahe they aub jawab dene wala mila to bokhla gaye

Ayaz ahmad said...

Nafrat ki baat karne wale mohabbat ki baat ko nahi samjhte

Unknown said...

xtreamly nice post and with full of knowledge. aur lagta hai kisi ek 1 ya 2 aadmiyo ko bahut takleef ho rahi hai ishwar unhe satbudhhi de taki wo apni takleef khud kam kar sake jo aaj bhole bhale sanatan dharmi bhaiyon ko bewakoof bana rahe hai jin main wo vidhdavan bane bathe hai ab kyonki vidhdvan ban to gaye to kuch na kuch to kehna hi hai nahi to apni dukaan jo chal rahi hai wo khatre main aa jayegi.so i requested to all readers pls forgive them.

Shah Nawaz said...

बहुत अच्छा लेख लिखा है, अनवर भाई. जो आपके इस लेख के भी खिलाफ लिख सकते हैं, उनका कुछ नहीं हो सकता है. आप रंज मत करना, क्योंकि यह वह लोग हैं, जो निराधार लोगो को तो भगवान् मान सकते हैं, जैसे साईं बाबा, सत्य साईं और पता नहीं कितने ही असंख्य बाबा-फ़कीर एवं बनाए हुए किरदार, चाहे वह सब के सब इनके स्वयं के धर्म ग्रन्थ, वेदों के खिलाफ हों. परन्तु सत्य को स्वीकारने की हिम्मत नहीं रखते अथवा अपने अहम् की खातिर स्वीकारना नहीं चाहते हैं.

ईश्वर एक ही है, और उसका धर्म एवं उस तक पहुँचने का मार्ग भी एक ही है. परन्तु समयानुसार उसने हर क्षेत्र में अपना पैग़ाम एवं उस पैग़ाम को पहुँचाने वाले भेजे हैं. क़ुरान-ए-करीम के अनुसार संदेशवाहकों की संख्या सवा लाख के आस-पास है और 4 किताबे एवं कुछ सहिफों (अर्थात अलग-अलग समय पर भेजे गए लेख, जिन्हें आदि ग्रन्थ भी कहा जाता है) का वर्णन है. इतने सब प्रमाण होते हुए भी इन्होने ना-मानने की सोच राखी है. क्योंकि ऐसे लोग प्रमाण नहीं अपितु अन्धविश्वास पर जीते हैं.

Man said...

AREY VAH BHAI ANONYMOS...AAINA DHIKHA DIYA B.T. BENGAN CHACHAA KO...MENE CHACHAA KO KHA KI JEEN CHANGE HOTA NAHI LAKIN AAP NE KARVA LIYA KAMAL HE????AB LING PAREEVARTAN BHI KARVA LO...AB MOORDO KO POOJATE POOJATE YE HATASH OR NIRASH HE YE KNHAA JAYE??? AKHIR HE TO HINDU HI NAA...???NALAYAK HI SAHI HE TO INDIAN HI NAA???SANSADHAN KHAA RAHE BAND PAKISTAN KE GATE PER BAJATE HE???

Anonymous said...

वाह भाईयो बहुत खूब

Anonymous said...

बहूत खूब

गिरगिट said...

:-[:-/

Anonymous said...

wahaa RAj, kyaa likhaa apne
Greate Post

Saleem Khan said...

बहुत अच्छा लेख लिखा है, अनवर भाई

Anonymous said...

बहुत अच्छा लेख लिखा है, राज भाई