सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Friday, May 18, 2012

मंदिर और मस्जिद देश की साझा संस्कृति हैं

इमाम उमैर इलयासी और मुनि चिदानंद का प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान इज़्हारे ख़याल
शामली (संवाददाता मुहम्मद सालिम, एसएनबी)। हिंदुस्तान में एक ऐसे समाज की ज़रूरत है, जिसमें मंदिर टूटने पर मुसलमान तड़प उठें और मस्जिद तोड़े जाने पर हिंदू उसकी हिफ़ाज़त के लिए सामने आ जाएं। यह इसलिए कि किसी भी मज़हब में दूसरों की इबादतगाह ढहाने का हुक्म नहीं दिया गया है। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और गिरजाघर इस देश की साझा संस्कृति है।
इन ख़यालात का इज़्हार स्वामी मुनि चिदानंद जी महाराज और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइज़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमाम उमैर इलयासी ने देहरादून जाते हुए यहां संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में किया। उन्होंने कहा -‘मुल्क में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का तसव्वुर ख़त्म होना चाहिए और सब को तरक्क़ी के बराबर मौक़े मिलने चाहिएं।‘
पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा -‘हमारी इबादत के तरीक़े अलग अलग हो सकते हैं लेकिन हमारी राष्ट्रीीयता एक है। हम सब हिंदुस्तानी हैं।‘
एक सवाल के जवाब में स्वामी जी ने कहा .‘आज गंगा का पानी प्रदूषित हो चुका है। प्रदूषण उसकी तह तक पहुंच चुकी है। गंगा जिस तरह रामपाल के खेत को पानी मुहैया करती है उसी तरह मुहम्मद सलीम के खेत को भी पानी देती है। केवल धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा। हम उसकी रक्षा के लिए एक मोर्चा तैयार कर रहे हैं। जिस में तमाम हिंदुस्तानियों की नुमाइंदगी होगी।‘
एक दीगर सवाल के जवाब में इमाम उमैर इलयासी ने कहा -‘इल्म सीखने और न सीखने में हुकूमत का कोई दख़ल नहीं है। इल्म एक आम चीज़ है। जो भी मेहनत करेगा, कुछ न कुछ पा लेगा। उन्होंने कहा-‘अच्छे समाज का निर्माण वक्त की ज़रूरत है। जिस में झूठ, फ़रेब और ख़यानत के लिए कोई जगह न हो। सच्चाई और अमानतदारी उसका मैयार हो। आज खाने पीने की चीज़ों में मिलावट आम बात है। नक़ली दवाएं खुलेआम बिक रही हैं। दूध में पानी और ज़हरीली चीज़ें मिलाई जा रही हैं। सब्ज़ियों में ज़हरीले इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। मुर्ग़े की तरह बकरे भी फ़ार्म पर तैयार होने लगे हैं। यह सब क्या है ?, मज़हबी रहनुमाओं को इसके लिए आगे आना चाहिए।