सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Friday, March 26, 2010

लेकिन क्या वाक़ई हरेक सम्भोग के नतीजे में बच्चा पैदा होना लाज़िमी है ?Sex is a heavenly gift.


आरम्भ अल्लाह के नाम से जो साक्षात कल्याणकारी अर्थात सदाशिव है ।


वही महाशिव है और सारी सृष्टि उसी के अधीन है । कल्याण और उपकार की भावना का स्रोत ‘दया‘ है । उसकी दया अनन्त है । कोई बुद्धि उसकी दया का अन्दाज़ा नहीं लगा सकती। जन्म उसी की दया से है और मृत्यु ...?


मृत्यु भी उसका अनमोल उपहार है ।


मृत्यु कैसे उसका अनमोल उपहार है , इसे फिर किसी रोज़ समझाया जायेगा ।


फिलहाल तो आप अपने जन्म पर ग़ौर कर लीजिये कि आप पर एक लम्बी मुद्दत ऐसी भी गुज़री है जब आप कोई क़ाबिले ज़िक्र चीज़ न थे ।


फिर जाने कहां की हवा और कहां का पानी आपके पिता जी के बदन में पहुंचा , कहां का भोजन और किस मुल्क की दवा उन्होंने खाई ?


और ऐसा ही आपकी आदरणीय माता जी के साथ होता रहा । इस बीच ज़मीन घूमती रही और दिन और रात आते रहे ।


सूरज अपना तेज बरसाता रहा ।


हार्मोन बनते रहे और आप अपने पिता जी के बदन में एक नामालूम सा आकार लेने लगे । आपके वुजूद को बनाने में सिर्फ़ एक ज़मीन और एक सूरज ही काम में नहीं लगा रहा बल्कि सारी आकाशगंगा आपको सपोर्ट करती रही । और एक आकाशगंगा दूसरी से बंधी है ।


इस तरह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूरी कायनात आपको सपोर्ट करती रही ।


लेकिन ऐसा उसने किसके इशारे पर किया ?


क्या आपकी माता जी के इशारे पर सारी कायनात ने यह काम अंजाम दिया ?या फिर आपके पिता जी ने यह प्रबन्ध किया था ?


या फिर कोई गुरू यह सामर्थय रखता है ?


न तो मेरे माता पिता में और न ही किसी और के माता पिता में यह ताक़त है कि इतने विशाल अन्तरिक्ष को अपने वश में कर सके और न ही किसी गुरू योगी और पीर फ़क़ीर में यह बल पाया जाता है ।यह बल तो केवल उस अनादि शिव का ही है जिसकी दया अनन्त है।


पूरी कायनात की शक्तियों की सेवा पाकर जन्म लेने वाला प्राणी हरगिज़ किसी एक इलाक़े का बन्धुआ नहीं हो सकता । वह तो पूरी कायनात का ऋणी है । उसका इलाक़ा सारी कायनात है ।


इस पूरी कायनात के साथ उसे हारमोनी बनाकर चलना पड़ेगा वर्ना वह नाशुक्रा कहलायेगा । ख़ैर क्या कभी आपने ग़ौर किया कि एक आदमी के जन्म के पीछे क्या घटना कारण बनती है ?


औरत मर्द का जिस्मानी ताल्लुक़ ।


बेशक , यह एक सही जवाब है , लेकिन इससे भी ज़्यादा सही जवाब एक और है ।


एक नर और नारी को आपस में क्या चीज़ क़रीब करती है ?


हां , हार्मोन्स और फ़ेरामोन्स भी अपना काम करते हैं ।


एक दूसरे का रूप गुण और रख रखाव भी एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित करते हैं , लेकिन अस्ल मालिक की दया और योजना ही तो है जिसने यह विधान रचा और एक दूसरे के प्रति आकर्षण और प्रेम उपजाने का सामान भी उनके अन्दर ही रख दिया ।


जब नर और नारी का शरीर किसी को जन्म देने के लायक़ हो जाता है तो वे सहज रूप से ही एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगते हैं । दोनों में प्रेम जागता है । दोनों एक दूसरे के प्रति समर्पण करते हैं । समर्पण की परिणति ही सम्भोग में होती है ।


इसी के बाद एक बच्चा इस संसार में जन्म लेता है ।


लेकिन क्या वाक़ई हरेक सम्भोग के नतीजे में बच्चा पैदा होना लाज़िमी है ?


क्या हरेक आदमी जब चाहे तब बच्चा पैदा कर सकता है ?


क्या हरेक जोड़े को मां बाप कहलाने का सौभाग्य मिल पाता है ?


नहीं , यहां भी आपकी मर्ज़ी का कोई दख़ल नहीं है । योजना और आदेश तो केवल परमेश्वर शिव का ही लागू होता है । कोई भी बच्चा मामूली नहीं होता ।


वह ईश्वर की पवित्र योजना से जन्म लेता है ।


हम नहीं जानते कि उस महाशिव ने कौन सा बच्चा मानवता को क्या कुछ देने के लिए पैदा किया है ?


बहरहाल , मां क्या करती है ?


मां अपने बच्चे को प्यार करती है । उसे चूमती है । मां का अपने बच्चे को चूमना उसके प्यार का इज़्हार है ।वह बच्चा उस मां के उन लम्हों की भी निशानी है जब उसने अपने पति के प्रति समर्पण किया था ।


जब उस पर उसके पति का प्रेम बरसा था ।


जब उन्होंने अपने जीवन के एक अहम मक़सद को पा लिया था ।


एक बच्चा इनसान के प्रति परमेश्वर के प्रेम का भी चिन्ह है और नर नारी के आपसी मुहब्बत का भी निशान है ।


जब एक मां अपने बच्चे को प्यार से चूमती है , तो क्या कोई यह समझता है कि मां अपने बच्चे की पूजा कर रही है ?


नहीं ।


इसी तरह हज्रे अस्वद को प्यार से चूमना भी पूजा करना नहीं होता ।


कोई कह सकता है कि हम भी तो अपने पूर्वजों की मूर्तियों के सामने प्यार दर्शाने के लिए ही सर झुकाते हैं ।यह क्या बात हुई कि तुम प्यार से पत्थर चूमो तो पुण्य कमाओ और हम चूमें तो पापी कहलायें ।


ऐसा अन्तर क्यों ?वह क्या चीज़ है जो किसी क्रिया को पूजा बना देता है ?


दो आदमी ज़ाहिर में एक सा अमल करते हैं , लेकिन उसके परिणाम अलग अलग निकलते हैं।


क्यों ?


आपको हर क्यों का जवाब मिलेगा ।इन्शा अल्लाह , लेकिन एक बड़े ब्रेक के बाद ।


तब तक आप दूसरे ब्लॉग पढ़ लीजिये । अब हम लेते हैं आपसे विदा ।


शब बख़ैर , खु़दा हाफ़िज़ ।ऊँ शांति ।


सुब्हान अल्लाह ।जय जयकार पावन प्रभु अनादि शिव का ।
फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सां बनना


पर इसमें पड़ती है मेहनत ज़्यादा


- फ़रहत कानपुरी

13 comments:

Hotilal said...

शुभकामनायें.

Zakir said...

दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता कौन सा होता है? यदि किसी अनाड़ी से भी पूछा जाए, तो वह भी यही कहेगा कि माँ और बच्चे का। (पहले मैं 'मौं और बेटे का' लिखने जा रहा था, फिर मुझे ब्लॉग जगत के नारिवादियों का ध्यान आया और मैंने 'बच्चा' लिखना उचित समझा।) माँ जिस निस्वार्थ भाव से अपने बच्चे को पालती-पोसती है, वही इसमें पवित्रता के भाव जगाता है। जिस माँ ने हमें 9 महीने गर्भ में रखा, पाला पोसा, इतना बड़ा किया कि हम भला-बुरा सोच समझ सकें, उस माँ के लिए हम जितना भी करें, कम है।

DR. ANWER JAMAL said...

@ Thanks Hotilal ji.

DR. ANWER JAMAL said...

@ Waqai durust farmaya aapne .

Langda dhobi said...

मां के कथित डायन होने विरोध में बेटे की हत्या' इंट से चूर चूर कर की गई हत्याhttp://chouthaakhambha.blogspot.com/2010/03/blog-post_26.html

वन्दे ईश्वरम vande ishwaram said...

Vande Ishwaram

JHULELAL said...

भारत में हिन्दू धर्म व्यवस्था में शंकराचार्य सर्वोच्च स्थान पर होता है. लेकिन इस पद की गरिमा और शक्ति ने इस शंकराचार्य पदवी को पूरी तरह से शक्ति प्रदर्शन के अखाड़ों में बदल दिया है. आदि शंकर द्वारा भले ही चार पीठ स्थापित किये गये हों लेकिन इस समय दर्जनों शंकराचार्य अपनी धर्म की दुकानदारी चला रहे हैं. विस्फोट.कॉम ऐसे शंकरायार्यों की कलई खोलनेवाली एक विशेष श्रृंखला शुरू कर रहा है जिसकी पहली कड़ी में हम माधवाश्रम के बारे में आपको बता रहे हैं जो कि खुद को ज्योतिर्मठ पीठ का शंकराचार्य घोषित करते हैं. http://www.visfot.com/dharma/3215.html

अनोप मंडल said...

महाशय,आपने जो कार्य शुरू करा है वह निःसंदेह साधुवाद के योग्य है लेकिन आप वही गलती कर रहे हैं जो कि सब करते चले आ रहे हैं। राक्षसों(ईश्वर विरोधी शैतानी ताकतों) द्वारा आपकी धर्म पुस्तकों में जो हेराफ़ेरी करी गयी है उसी के कारण आप सब आपस में जूझ रहे हैं लेकिन जिसने करा है उसे नहीं पहचान रहे हैं। आप इंकार नहीं कर सकते इस बात से कि इस्लाम के प्रवर्तक अंतिम नबी के समय में जादू और जादूगर नहीं थे इस बात के कई उद्धरण मिल जाते हैं कि स्वयं नबी पर भी जादू का प्रयोग करा गया था। जरा शान्त दिमाग से विचार करिये कि जब नबी की सुन्नत है तो क्या जादू के मानने और जानने वाले समाप्त हो गये होंगे? हरगिज़ नहीं!! बल्कि वे हमारे ही समाज में छिप कर बड़े भोले और मिलनसार बन कर रह रहे हैं और हम मानवों को आपस में लड़वाते रह्ते हैं। इनका उद्देश्य है "जयति जिन शासनम" यानि कि जिन शक्तियों की जय हो कर शासन हो जाए। आप बखूबी जानते हैं कि "जिन" किन ताकतों को कहते हैं। ये ही हैं जिन्होंने वेदों को मानने वालों में मूर्तिपूजा घुसा दी,ये ही है जिन्होंने वीर और पराक्रमी विष्णु, राम, कृष्ण आदि राजाओं को चाटुकारितावश पूज कर अवतारवाद को धर्म में घुसा दिया, ये ही हैं जो नग्नता के उपासक हैं और वेदोपासकों को भ्रमित कर लिंग की पूजा अर्चना करा रहे हैं, हिन्दुओं के संगठनों में अग्रणी बन कर बैठे हैं उन्हें भड़का कर दंगे करवाते हैं और फिर किनारे हो जाते हैं। विश्वप्रसिद्ध तांत्रिक चंद्रास्वामी से लेकर सेक्स गुरू रजनीश(चंद्रमोहन जैन),आर्थिक घोटालों का बाप हर्षद मेहता जैन ही हैं। यदि आप में सत्य को स्वीकारने और सचमुच शोध करने का साहस है तो हमारी बातों पर ध्यान दीजिए न कि इन राक्षसों द्वारा तैयार करे गये कपट गृन्थों में उलझ कर अहिंसा के जाल में आइये,ये अहिंसा का उपदेश सिर्फ़ हिन्दू-मुस्लिमों के लिये है खुद जैन देश के सबसे बड़े चमड़ा व्यापारी,मांस निर्यातक,मछली निर्यातक,अंडा व्यापारी हैं। अधिकांश कत्लखानों में इनकी साझेदारी है उम्मीद है कि समझ में आ रहा होगा लेकिन बात ये भी है कि इन्होंने अपने जादू से अधिकतर लोगों को भरमा रखा है। ईश्वर आपको सदबुद्धि दे।

सुमित said...

मेरे पास सुरेन्द्र कुमार शर्मा की ही लिखित कुरान की पुस्तक है जिसमें इन्होने लिखा है कुरआन में अल्लाह का आदेश है 'सभी मुसलामानों को अपनी-२ ग**ड मरवानी चाहिए' अनवर जी क्या ये वास्तव में सच है. यदि है तो अपना पता दे देना बहुत लोगो की बड़ी इच्छा होगी तेरी ग**ड मा*ने की.

Anonymous said...

Aaj puraa Brahmaand, Mera Prabhu Brahmaa kii rachayii huii hai,

Yahi satya hai, yah Kewal Mere Devata Shiv kii mahimaa hai ki ye poora brahmaand chal rahaa hai, hum sab Mere Bhagwan Vidhnu Bhagaan kii katputlii hain, Jo vo chaahe vahii hoga, din or raat honaa, sooraj, chand va anya graho , taaron kaa hona, Ped Paudhe sab Virat roopy Bhagvan kii den hai

Hum sab Virat Roopy Ke hi ANS hain

Ye pooraa Brahmaand , sab uskaa hain, Jo tum abhii kar soch rahe ho, ya jo tum ahbi kar rahe ho ye tum nahii, main karwaar aha hoo,

Baakii sab jhoot hai, Kitaabii Baate hain,
Al-Miyaan kii Daravanii baate hain,
Kewal aadmi ki darane ke liye, Jinkii na koi kahanii hain, Kewal ek aadmi ne sote samay likh diyaa, log us se dar gaye, jaise jo mera kaha nahi magega usko jannat nahii milegii, guda milega, log dar ke mare bomb ke saath mar rahe hain, koi DRONE hamle se mar raha ha, sab dare hua hai, koi surang ke andar choopa milaa, koi desh chood kar chale gaye phir vaapas to bomb ne unko mar diya, par pati unkaa "President" ban gayaa, Dar itanaa hai ki ibadat ghar bhii "bomb training center ban gaye" sab LAL hai, naitikta ki kitab chhod dii, dar ke maare hathiyaa chalene seekh gaye, SAB dar GAYE , "kahii hame JANNaT NASEEB na ho", lekin chola doosron ke khoone se laal hain, poori TARIN ka Dabba jalaa diyaa,
"SAB dar GAYE - kahii hame JANNAT NASEEB na ho" koig kaat raha hai to koi pathar se khuras raha hai "SAB DAR hua hain"

Tasliima Nasreen Kii Jubaanee "SHAME " on ALLAH


"In an interview months before Taslima Nasreen's return to Bangladesh, she said "When I began to study the Koran, the holy book of Islam, I found many unreasonable ideas. The women in the Koran were treated as slaves. They were nothing but sexual objects. Naturally I set aside the Koran and looked around me. I found religion equally oppressive in real life."

In the poem "Happy Marriage ", she describes her husband as ". . . a monster of a man." who physically, emotionally and sexually abuses her with no qualms at all. In the first half of the poem, Nasreen writes about the male's fantasies of control in visceral terms:


He wants my body under his control
so that if he wishes he can spit in my face. . .
so that if he wishes he can rob me of my clothes. . .
so that if he wishes he can slash my thigh with a dagger. . .
so that if he wishes he can string me up and hang me. .


http://despardes.com/People/taslima.html

Thanks
Anop Lal "अनोप लाल"

muk said...

यह कोई ढंग है बात कहने का सरतलता से भी कह सकते थे

Aslam Qasmi said...

blogvani par yeh lekh publish nahin huwa, herat ki bat he. ham donon ko dekhte hen afsos ki baat he.

चमुपति said...

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके

सदा बहार सजीला है रसूल मेरा
हो लाखपीर रसीला है रसूल मेरा
जहे जमाल छबीला है रसूल मेरा
रहीने इश्क रंगीला है रसूल मेरा

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके

किसी की बिगड़ी बनाना है ब्याह कर लेंगे
बुझा चिराग जलाना है ब्याह कर लेंगे
किसी का रूप सुहाना है ब्याह कर लेंगे
किसी के पास खजाना है ब्याह कर लेंगे

चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारीजाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके