सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, March 2, 2010
क्या कहेंगे अब अल्लाह मुहम्मद का नाम अल्लोपनिषद में न मानने वाले ?
मुसलमान देश के दुश्मन हैं ग़द्दार हैं इनका सफ़ाया ज़रूरी है । मुसलमानों के धर्म में कोई सच्चाई नहीं है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए इसलाम का उन्मूलन आवशयक है । इस तरह की भ्रामक बातों से फैली नफ़रत की दीवारें ढहाने के लिए अकेला अल्लोपनिषद ही काफ़ी है । लेकिन नफ़रत की दीवारें खड़ी करने वाले जब अपनी मेहनत बर्बाद होते हुए देखते हैं तो व्यथित और व्याकुल हो उठते हैं ।
आदरणीय वेद व्यथित जी
आदरणीय वेद व्यथित जी
आपने वैदिक सम्पत्ति पढ़ने की सलाह दी है । आप उसे उपलब्ध करा दीजिये मैं उसे पढ़ लूंगा। लेकिन क्या आप मैक्समूलर व अन्य वेदविदों का साहित्य पढ़कर मान लेंगे कि वेद ईश्वरीय वचन नहीं हैं और न ही इनकी रचना लगभग एक अरब सत्तानवे करोड़ साल पहले हुई है । आप सूरज चांद तारों पर भी वैदिक लोगों का होना मानते हो । क्या आप आधुनिक वैज्ञानिकों के कथन को स्वीकार करते हुए दयानन्द जी की मान्यता को ग़लत स्वीकार कर लेंगे ? वैदिक सम्पत्ति के लेखक के गुरू का वेदार्थ ही हमारी समझ से बाहर है । आपके पधारने से हमें अपनी जिज्ञासा “शांत करने का दर्लुभ योग मिला है । सो आप से पूछता हूं -
गुदा से सांप ले जाना
‘ हे मनुष्यों , तुम मांगने से पुष्टि करने वाले को स्थूल गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान अंधे सांपों को गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान विशेष कुटिल सर्पों को आंतों से , जलों को नाभि के भाग से , अण्डकोश को आंड़ों से , घोड़ों को लिंग और वीर्य से , संतान को पित्त से , भोजनों को पेट के अंगों को गुदा इंद्रिय से और “व्यक्तियों से शिखावटों को निरन्तर लेओ । ’{ यजुर्वेद 25 ः 7 , दयानन्द भाष्य पृष्ठ 876 }
इस मन्त्र का क्या अर्थ समझ में आता है?
ये कौन सा विज्ञान है जिसपर मनुष्य की उन्नति टिकी हुई है ।
ऐसी बातों को देखकर ही पश्चिमी वेदिक स्कॉलर्स ने वेदों को गडरियों के गीत समझ लिया तो क्या ताज्जुब है ?
हो सकता है इसका कुछ और अच्छा सा अर्थ हो जो दयानन्द जी को न सूझा हो लेकिन वैदिक सम्पत्ति आदि किसी अन्य साहित्य में दिया गया हो । यदि आपकी नज़र में हो तो हमारी जिज्ञासा अवय “शांत करें । और अगर कोई भी इसका सही अर्थ और इस्तेमाल न जानता हो तब भी कोई बात नहीं । इसके बावजूद हम वेदों का आदर करते रहेंगे । करोड़ों साल पुरानी किसी किताब की सारी बातें समझ में आना मुमकिन भी नहीं है। इसकी कुछ बातें तो समझ में आ रही हैं , ये भी कुछ कम नहीं है ।
बहरहाल किसी के न मानने से अल्लोपनिषद सबके लिए असत्य और अमान्य नहीं ठहरता । जो लोग उसमें आस्था रखते हैं उनके लिए तो वह प्रमाण माना ही जाएगा । हिन्दू भाइयों में कोई किसी एक ग्रन्थ को मानता है और कोई किसी दूसरे ग्रन्थ को । आपको वेदों में आस्था है तो आप वेद संबंधी प्रमाण देख लीजिये।
श्री सौरभ आत्रेय जी ने भी पुराणों को लेकर यही आपत्ति की थी । उनसे भी हमने यही विनती की थी । आप समेत आपत्ति करने वाले सभी ब्लॉगर भाइयों के लिए अपने “शिघ्र प्रकाश्य उस लेख का एक अंश शेष है -
वैदिक साहित्य में अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. का वर्णनआपत्ति- इसके साथ-2 मुहम्मद साहब को हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार अंतिम अवतार घोशित करने लगे ताकि हिन्दू भी उनके छलावों में आकर उनके असत्य को सत्य मान ले । ये लोग हिन्दू धर्म ग्रन्थों में से कुछ “शब्द और वक्तव्य ऐसे निकालते हैं जैसे ’मकान’ और ’दुकान’ में से कान “शब्द निकाल कर उसकी व्याख्या करने लगे ।निराकरण- हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद का नाम ही नहीं बल्कि अल्लाह का नाम भी साफ़ साफ़ लिखा हुआ है । ऐसे में “शब्दों को तोड़ मरोड़ कर हिन्दुओं को छलने की हमें क्या ज़रुरत है ?
अल्लो ज्येष्ठं श्रेष्ठं परमं पूर्ण ब्रहमाणं अल्लाम् ।। 2 ।।
अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।। 3 ।।
अर्थात ’’ अल्लाह सबसे बड़ा , सबसे बेहतर , सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है । मुहम्मद अल्लाह के श्रेष्ठतर रसूल हैं । अल्लाह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है । (अल्लोपनिषद 2,3)
आपत्ति- क्या इसलाम के जन्म से पहले कोई ऐसा विद्वान नहीं हुआ जो वैदिक पुस्तकों के इस मंतव्य को समझ सका कि अहमद या मोहम्मद नाम का अवतार होगा ?
निराकरण- असल सवाल पहले या बाद का नहीं है बल्कि मंतव्य समझने का है। ऐसे लोग हमेश रहे हैं और आज भी हैं। डा. वेदप्रकाष उपाध्याय, डा. एम.ए. श्रीवास्तव, डा. गजेन्द्र कुमार पण्डा, श्री आचार्य राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, श्री दुर्गाशंकर महिमवत सत्यार्थी और गुजरात के महान वेद भाष्यकार श्री आचार्य विष्ण्ु् देव पण्डित जी ऐसे ही प्रबुद्ध और ईमानदार विद्वान हैं। प्रथम दो विद्वानों द्वारा इस विषय पर लिखित पुस्तकें वदसपदम उपलब्ध हैं। देखें- antimawtar.blospot.com
आपात्ति- हाल तो हमारी किसी भी मान्य प्रमाणिक पुस्तक में अवतारवाद को ही मान्यता ही नहीं है।निराकरण- आप पुराणों को झूठ का पुलिन्दा बताते हैं, फिर जब आपकी मान्य पुस्तकों में पुराण “शमिल ही नहीं हैं तो आपको अवतारवाद का जि़क्र मिलेगा कैसे ? आपकी मान्य धर्मपुस्तकों की सूची बहुसंख्यक परम्परावादी हिन्दुओं से अलग है । आप वेदों के अर्थ भी प्राचीन भाष्यों के विपरीत करते हैं।
आपात्ति- हाल तो हमारी किसी भी मान्य प्रमाणिक पुस्तक में अवतारवाद को ही मान्यता ही नहीं है।निराकरण- आप पुराणों को झूठ का पुलिन्दा बताते हैं, फिर जब आपकी मान्य पुस्तकों में पुराण “शमिल ही नहीं हैं तो आपको अवतारवाद का जि़क्र मिलेगा कैसे ? आपकी मान्य धर्मपुस्तकों की सूची बहुसंख्यक परम्परावादी हिन्दुओं से अलग है । आप वेदों के अर्थ भी प्राचीन भाष्यों के विपरीत करते हैं।
आपत्ति- और जिस भविष्य पुराण कि ये व्याख्या करते फिरते हैं वो वैसे भी कोई हिन्दुओं की प्रमाणिक पुस्तक नहीं है तो उसमें या अन्य पुराणों का उदाहरण देना ही ग़लत है।
निराकरण - पुराण होने के कारण भविष्य पुराण दयानन्द जी को चाहे मान्य न हों परन्तु बहुसंख्यक सनातनी हिन्दू संस्थाएं इसे सदा से प्रकाशित करती आ रही हैं। “शान्ति कुन्ज हरिद्वार के संस्थापक श्रीराम आचार्य जी द्वारा अनूदित भविष्य पुराण आज भी सुलभ है। अतः उससे प्रमाण देना ग़लत नहीं कहा जा सकता।
आपत्ति - किन्तु मुझे इतना आभास भी है कि इन पुराणों में भी ऐसा नहीं लिखा।
निराकरण - आभास से काम चलाने की ज़रूरत नहीं है। न तो स्वयं भ्रम के शिकार बनिये और न ही भ्रम की धुंध से दूसरों की बुद्धि ढकने की कोशिष कीजिये। हाथ कंगन को आरसी क्या ? भविष्य पुराण खोलकर डा. वेद प्रकाश उपाध्याय जी की पुस्तकों के हवालों का मिलान कर लीजिये। अल्लोपनिषद की तरह उसमें भी सब कुछ स्पष्ट है । इतने स्पष्ट प्रमाण देखने के बाद आप यह नहीं कह सकते कि हज़रत मुहम्मद साहब स. का नाम वैदिक साहित्य में कहीं भी नहीं पाया जाता । अलबत्ता अपने इनकार पर डटे रहने के लिए अब आपके सामने इन महान ग्रन्थों को ही झुठलाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचता । इसके बावजूद भी आप न तो लोगों की आंखों में धूल झोंक सकते हैं और न ही सत्य को झुठला सकते हैं क्योंकि हज़रत मुहम्मद साहब स. का वर्णन तो वेदों में भी है जिनको आप असन्दिग्ध रूप से सत्य मानते हैं । देखें-
‘‘ नराशंस और अन्तिम ऋषि ‘‘ लेखक :डा. वेद प्रकाष उपाध्याय
भारत और स्वयं के बेहतर भविष्य के लिए हमें अपने धर्म ग्रन्थों की उन शिक्षाओं को सामने लाना ही होगा जिनसे नफ़रत और दूरियों का ख़ात्मा होता है । भले ही यह बात उन एकाधिकारवादियों को कितनी ही बुरी लगे जो अपना वर्चस्व खोने के डर से लोगों को प्रायः भरमाते रहते हैं ।
भारत और स्वयं के बेहतर भविष्य के लिए हमें अपने धर्म ग्रन्थों की उन शिक्षाओं को सामने लाना ही होगा जिनसे नफ़रत और दूरियों का ख़ात्मा होता है । भले ही यह बात उन एकाधिकारवादियों को कितनी ही बुरी लगे जो अपना वर्चस्व खोने के डर से लोगों को प्रायः भरमाते रहते हैं ।
डिवाइड एन्ड रूल के दिन अब लदने वाले हैं ‘युनाइट एन्ड रूल‘ के ज़रिये बनेगा अब भारत विश्व गुरू ।
आओ मिलकर चलें कल्याण की ओर
आओ मिलकर चलें कल्याण की ओर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
49 comments:
डिवाइड एन्ड रूल के दिन अब लदने वाले हैं ‘युनाइट एन्ड रूल‘ के ज़रिये बनेगा अब भारत विष्व गुरू ।
आओ मिलकर चलें कल्याण की ओर
phir se vohi raag?
BHAI YE MANNE WALE NAHIN. DEKHO KYA KEHTE HAIN?
गुदा से सांप ले जाना
‘ हे मनुश्यो , तुम मांगने से पुश्टि करने वाले को स्थूल गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान अंधे संापों को गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान विषेश कुटिल सर्पांे को आंतों से , जलों को नाभि के भाग से , अण्डकोश को आंड़ों से , घोड़ों को लिंग और वीर्य से , संतान को पित्त से , भोजनों को पेट के अंगों को गुदा इंद्रिय से और “ाक्तियों से षिखावटों को निरन्तर लेओ । ’{ यजुर्वेद 25 ः 7 , दयानन्द भाश्य पृश्ठ 876 }
Hamari samajh men nahin aata ki aap jodne ki baat se kyun bidakte ho?
Bato ismen kya bura kaha gaya hai kisi ko ?
इसके बावजूद हम वेदों का आदर करते रहेंगे । करोड़ों साल पुरानी किसी किताब की सारी बातें समझ में आना मुमकिन भी नहीं है। इसकी कुछ बातें तो समझ में आ रही हैं , ये भी कुछ कम नहीं है ।
bhai logo ab ALLAh aur ALLAH KE RASOOL MOHD SAHAB ka zikr kisi puran ya vade mai hona koi nai baat nahi hai jo hakikat hai wo hum logo ke beech layi ja rahi hai aur mai to is baat se bilkul sehmat hu.
एसे ही लेखों और समझ के कारण तुम लोगों को देश द्रोही कहा जाता है। बेशर्मों।
अनवर साहेब , सबसे बड़ी कमी आप मैं ये है की आप हर चीज को धर्म से ही तौलकर के देखते हैं। अगर आप इतने बड़े ज्ञानी हैं तो आप को पता होना चाहिए की हिन्दू कोई धर्म नहीं ये तो परंपरा और संस्कार है। एसी परंपरा और एसे संस्कार जिनमे काफी भिन्नताए हैं, और भिन्न होने का कारन है , भारत का विशाल स्वरुप । अल्लोप्निषद की जो बाते कर रहे हैं सही हो या शायद गलत हो, मगर आप ये चाहते हैं की हम अरबी सभ्यता और अरबी संस्कृत को सही करार दे।
मेरा खुद का मानना है की शिव को ही अरबी मैं आल्लाह कहते हैं। शिव को दक्षिण भारत मैं रामेश्वर और कश्मीर मैं अमरनाथ कहते हैं।
aap doosre mton ki sun khan rhe hain aap to kevl apna vhi purana rag gaa rhe hai vigyan ko nkar rhe hain dhrm ki ulti sidhi vyakhya kr rhe kuchh anjan logo ko gumrah kr ke apna ullu sidha kr rhe hain pta nhi aap khan se snchalit hain ydi aap itne gyani hain to vaidik snto se shashtarth kyon nhi krte pr aap to sch ko janna hi nhi chahte
dr.ved vyathit
वाह गुरू जी, यह तो आपकी शुरूआत है, मैं जानूं आपके ज्ञान के आगे यहां कोई न टिक सके, टिक जाये अर्थात आपको हरा दे, तो मैं ब्लागिंग में धर्म लाइन छोडने की सोचूं वादा रहा
@tarkeshwar bhai
and
ved vyathit ji
thanks for coming.
मेरा खुद का मानना है की शिव को ही अरबी मैं आल्लाह कहते हैं। शिव को दक्षिण भारत मैं रामेश्वर और कश्मीर मैं अमरनाथ कहते हैं।
@ Tarkeshwar ji
Shiv ka arth hai kalyan karne wala. In arthon men Allah ko sanskrit men Shiv keh sakte hain .
Main khud Shiv Bhakt hoon .
lekin Bhsmasur se dar kar bhagne wale parvati ji ke lingdhari pati ka is almighty shiv se koi sambandh nahin hai .
@ umar bhai aapka shukriya .
ANWAR BHAI AGAR AAP JAISE KUCH LOG BHI SACHCHAI KO AISE HI PAISH KARTE RAHE TO JHOOT KE PAIR KHUD UKHAD JAYENGE.
ANWAR BHAI
DUNIYA M ISLAM KI SACHCHAI KO MANNEY WALEY 153 CARORE LOG H AUR Y GINTI LAGATAAR BADH RAHI H. AKHAND BHARAT K ADHIKTAR ARYAS AAJ MUSLIM H. BAKI BHI JALD HI BAN JAYENGE. BAS INSEY PYAR KAREY.
HAMARI ANJUMAN KI POST BHI ACHCHI LAGI.
ANWAR BHAI THANX FOR THIS INFORMATION.
Dr.Anwar jamal ji thanx
apke blogs ne meri dharm mein ruchi bada di hai,n vedo aur upnishdo jaise hindu grantho ka islam se sambandh k bare me aur jaanne ki jigyasa ho rahi hai. Hm ummeed karte hain k ap aisi bahumulya jaankariyan ham tak pahunchaate rahenge taki ham sahi dharm ko samajh jayen. Akhir dharm hai kya?
ved vyathit ji
ap dharm ki to koi jankari to de ni rahe. akaaran hi pareshan lag re hain. vedo k pramaanik hone ka subut dijiye
.
.
.
आदरणीय डॉ० अनवर जमाल साहब,
पहले ही यह बता देना उचित समझता हूँ कि मैं एक सनातनधर्मी हिन्दू परिवार में पैदा जरूर हुआ पर मैं आज तक किसी धर्म या ईश्वर को मानने के लिये खुद को convince नहीं कर पाया हूँ, आप मुझे Agnostic कह सकते हैं।
अब आप यदि आस्था के कंबल को अपनी आंखों के सामने से उतार फेंकें तो दो बातें तो स्पष्ट होंगी, पहली यह कि कहा तो बहुत जाता है कि कोई धर्मग्रंथ ईश्वरीय है परंतु यह एक हकीकत है कि सभी ग्रंथ या तो मनुष्य द्वारा रचित हैं या ईश्वर ने मनुष्य के ऊपर उतारे या उद्घाटित किये हैं, ऐसी मात्र आस्था है जिसका कोई पुष्ट आधार नहीं है। दूसरी बात यह है कि सभी धर्मों के ग्रंथों मे बहुत सी आज के ज्ञान के प्रकाश में अतार्किक, बेसिरपैर की, उलजलूल और अवैज्ञानिक बातें कही गई हैं, धर्म संबंधी अपने सीमित ज्ञान के बावजूद ऐसी हजारों बातें मैं आपको बता सकता हूँ...
आप पूछते हैं:-
सो आप से पूछता हूं -
गुदा से सांप ले जाना
‘ हे मनुष्यों , तुम मांगने से पुष्टि करने वाले को स्थूल गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान अंधे सांपों को गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान विशेष कुटिल सर्पों को आंतों से , जलों को नाभि के भाग से , अण्डकोश को आंड़ों से , घोड़ों को लिंग और वीर्य से , संतान को पित्त से , भोजनों को पेट के अंगों को गुदा इंद्रिय से और “व्यक्तियों से शिखावटों को निरन्तर लेओ । ’{ यजुर्वेद 25 ः 7 , दयानन्द भाष्य पृष्ठ 876 }
इस मन्त्र का क्या अर्थ समझ में आता है?
ये कौन सा विज्ञान है जिसपर मनुष्य की उन्नति टिकी हुई है ?
बहस के लिये ही यदि कोई आप से पूछे कि
यहाँ पर... जो यह लिखा गया है कि...
यहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त-स्थल तक पहुँचा तो उसे मटमैले काले पानी के एक स्रोत में डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक क़ौम मिली। हमने कहा, "ऐ ज़ुलक़रनैन! तुझे अधिकार है कि चाहे तकलीफ़ पहुँचाए और चाहे उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।"॥86॥
यहाँ तक कि जब वह सूर्योदय स्थल पर जा पहुँचा तो उसने उसे ऐसे लोगों पर उदित होते पाया जिनके लिए हमने सूर्य के मुक़ाबले में कोई ओट नहीं रखी थी॥90॥
और इसी आधार पर कोई यह सवाल पूछता है:-
Sun-set and Sun-Rise
Koran also teaches us that the Sun sets in a muddy spring.
(Koran 18:86)
Till, when he [the traveller Zul-qarnain]
reached the setting-place of the sun,
he found it going down into a muddy spring...
(Koran 18:90)
Till, when he reached the rising-place of the
sun, he found it rising on a people for whom
WE had appointed no shelter from it.
Firstly, It is scientifically proven that the sun does not go down in a muddy spring.
Secondly, this seems to presuppose a flat earth, otherwise how can there be an extreme point in the West or in the East? It does not say, he went as far as possible on land in these directions and then observed the sun-rise or sun-set while standing at this shore. A sunrise there would be basically just the same as at any other place on this earth, at land or sea. It would still look as if it is setting "far away". It does say, that he reached THE PLACE where the sun sets and in his second journey the place where it rises.
तो ऐसे में आप या कोई भी, क्या जवाब दे सकता है?
अत: सही यह ही रहेगा कि हम दूसरे को उसकी आस्था और विश्वास के अनुसार जीवन जीने दें, नीचा न दिखायें, अपनी आस्था व विश्वास को दूसरे से बेहतर दिखाने या किसी के ऊपर लादने का प्रयत्न न ही करें...
ऐसी बातों को देखकर ही पश्चिमी वेदिक स्कॉलर्स ने वेदों को गडरियों के गीत समझ लिया तो क्या ताज्जुब है ?
Tarkeshwar ji
Shiv ka arth hai kalyan karne wala. In arthon men Allah ko sanskrit men Shiv keh sakte hain .
Main khud Shiv Bhakt hoon .
lekin Bhsmasur se dar kar bhagne wale parvati ji ke lingdhari pati ka is almighty shiv se koi sambandh nahin hai .
बोल्ड की गई उपरोक्त जो बातें आपने अपने लेख व प्रतिटिप्पणी में लिखी हैं उन से यह बहस और गंदी ही होगी अत: आपसे अनुरोध रहेगा की इस प्रकार का लेखन न करें।
और हाँ यह हकीम सउद अनवर खान, एक लुहार की, मोहम्मद शादाब, इमरान अंसारी और विश्व गौरव यह सभी प्रोफाइल २०१० में ही बनाये गये हैं, हकीम साहब मे तो आपकी इसी पोस्ट को अपने नाम से चेप दिया है, एक लुहार की ने एक प्रसिद्ध ब्लॉगर की एक पोस्ट लगाई हुई है बाकी ने अभी तक अपने ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखा है, जो कोई भी यह कर रहा है बेहतर होता कि वह स्वयं सामने आता।
आभार!
अल्लोपनिषद अकबर के समय में रची गई। बुद्धिमान व्यक्ति इतने से ही सब समझ सकते हैं।
Theek hai fursat men dekhata hoon
वैदिक साहित्य में अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. का वर्णनआपत्ति- इसके साथ-2 मुहम्मद साहब को हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार अंतिम अवतार घोशित करने लगे ताकि हिन्दू भी उनके छलावों में आकर उनके असत्य को सत्य मान ले । ये लोग हिन्दू धर्म ग्रन्थों में से कुछ “शब्द और वक्तव्य ऐसे निकालते हैं जैसे ’मकान’ और ’दुकान’ में से कान “शब्द निकाल कर उसकी व्याख्या करने लगे ।निराकरण- हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद का नाम ही नहीं बल्कि अल्लाह का नाम भी साफ़ साफ़ लिखा हुआ है । ऐसे में “शब्दों को तोड़ मरोड़ कर हिन्दुओं को छलने की हमें क्या ज़रुरत है ?
@ प्रवीण भाई हमारा नाम भी ले लेते,10 नम्बरी कमेंट देखें या चश्मा में धूंदलाहट है, साफ कर लो हम हमेशा जवाब देते हैं, अनवर भाई मेरे गुरू फिर उनके गुरू भी हैं, आप इतना तो जान ही चुके, तुम क्या हो यह अभी हम जानें या खुदा जाने, इन्शाअल्लाह खाली हाथ न जाया करोगे तब तक आओ
signature:
विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि
(इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) डायरेक्ट लिंक
अल्लाह का
चैलेंज पूरी मानव-जाति को
अल्लाह का
चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
अल्लाह का
चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
अल्लाह का
चैलेंजः आसमानी पुस्तक केवल चार
अल्लाह का
चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में
अल्लाह
का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी
छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
डायरेक्ट लिंक
इस्लाम के घनघोर विद्वानों और सनातन हिंदू धर्म के मर्मज्ञों आप जिन बातों को लेकर आपस में जूझ रहे हैं उनके पीछे जो हैं उन्हें आप अब तक न पहचान पाए। अगर साहस है तो सचमुच इनपर जरा नजर डालो फिर आपस में जूतमपैजार करना। तुम सब जितने धर्मग्रन्थ पढ़ रहे हो उनमें से अधिकांश में बड़े ही छल से लम्बे समय से बहुत थोड़े-थोड़े हेरफ़ेर करके ऐसा माहौल बनाया है इन लोगों ने। ये तो आखिरी नबी मोहम्मद साहब के समय भी थे किसी इस्लाम के जानकार को इन्कार हो तो साफ़ लिखे कि उस समय जादूगर नहीं थे,अरे भाई! ये ही वो हैं जिन्हें आर्य लोग राक्षस कहते थे जो पूरी धरती पर काबिज होना चाहते हैं हमेशा और नारा है "जयति जिन शासनम".... जिन किन्हें कहते हैं ये मुस्लिम भली प्रकार जानते हैं कि ये मानवेतर शक्तियां हैं जैसे इल्लील आदि... जिनसे साध कर बुरे काम कराए जा सकते हैं,सनातन धर्म में इन्होंने ही मूर्तिपूजा घुसा दी और ईश्वर से दूर करके राम और कृष्ण जैसे अपने समय के शक्तिशाली राजाओं को भगवान के रूप में स्थापित करके ईश्वर के अवतार बना कर सनातन धर्म मानने वालों के मूर्तिपूजक बना डाला और ऊलजुलूल किताबें देवीदेवताओं के नाम से लिख डाली जिनमे पुराण उपनिषद भी शामिल हैं
ये दुष्ट हैं "जैन"..... ये राक्षस हैं साहस है तो इन पर बहस करके देखो, बेवकूफ़ों की तरह आपस में मत लड़ो। लड़वाने वाले ये ही हैं...
Dear Anwer Bhai,
You are doing great service towards humanity by digging out the truth and bringing to the public. I hope that a number of fair minded people will accept what ever is true. But insane people will never accept the truth you are putting forth. So never bother about this lot of garbage.
Strongest Regards
Ansar-e-Da'ee
अबे तालिबान की नाजायज औलादो कुछ तो शर्म करो. आखिर इस देश का नमक खा रहे हो.सालो लानत है तुम्हारे पढे लिखे होने पर और तुम्हे पैदा करने वालो पर भी. डूब मरो किसी गन्दी नाली में. साले चले है ज्ञान बाँटने.
aap sabka aabhaar .
@ Mr. Fazeehat Ali
aapne meri aaj ki post ki prasangikta ko aur bhi zyada badha diya.
sahyog ke liye Dhanyavad.
ये तो दुष्ट परंपरा और संस्कार है।
http://www.aryasamajjamnagar.org/yajurveda/yajurveda.htm
दिए गए लिंक पर क्लिक करिये ओर पेज ८७ पर क्लिक करिये थोड़ा उसको नीचे लाका पृष्ठ नंबर ८७६ देखिये जिसका इन महाशय ने जिक्र किया है गुदा से सांप लेने का. ओर देखिये ये आदमी कितना बड़ा मक्कार ओर धोखेबाज है, यदि किसी को मेरे इन शब्दों से आपत्ति है तो आप ही बताइए कि ऐसे व्यक्ति को क्या कहा जाये.
आजकल हम अधिकतर हिंदुओं की सबसे बड़ी मुश्किल है वो अपने धार्मिक ग्रंथो के बारे में अधिक नहीं जानते और यदि कोई अपने मनमाने ढंग से कुछ लिखता है तो कम से कम उसको कृपया जाँचने का कष्ट कर लें, क्योंकि ये मक्कार लोग जानते हैं कि कोई इतना कष्ट नहीं लेगा इसीलिए कुछ भी लिख दो. ये महाशय मेरे से इसलिए परेशान हैं क्योंकि इनकी उल-झलूल बातों का उत्तर मैंने तार्किकता से दिया है तो ये बोखला गए हैं ओर प्रत्येक पोस्ट में मेरा नाम जपने लगे हैं.
हाँ मैं अब भी कहता हूँ पुराण हमारी मान्य पुस्तकों में नहीं आते हैं, अल्लोपनिषद अकबर ने लिखवाया था तो जो चाहे उसमें बकवास भरी हो ओर जिसने चाहे अनुवाद किया हो उससे वो हमारा धार्मिक ग्रन्थ नहीं हो जाता इसीलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
यहाँ भी देखे --
http://hindubulletin.blogspot.com/2010/02/blog-post_17.html
मैंने पहले भी यह कहा था ओर मैं फिर दोहरा रहा हूँ लोगो को समझना चहिये इसी प्रकार से ये लोग श्लोकों का गलत अर्थ पेश करते हैं या फिर कोई श्लोक अप्रमाणिक और अमान्य पुस्तक से लेते हैं या फिर वो श्लोक किसी मान्य प्रामणिक पुस्तक में प्रक्षिप्त अर्थात मिलावट किया हुआ अमान्य होता है और या फिर किसी अविद्वान व्यक्ति द्वारा अर्थ किया हुआ होता है. इसीलिए इनकी जेहादी बातों में कोई ना फंसे और इनका प्रत्येक जगह तिरस्कार करें.
और इस बात को भी समझे "संस्कृत का हर वाक्य प्रमाण नहीं होता" क्योंकि कालांतर में बहुत से धूर्तों ने संस्कृत में भी गलत वाक्य लिखे हैं. तो इन जैसे महाशय कुछ भी कहीं से लेकर यदि आये तो पहले उसको मान ने की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि इनका झूठ मैं कई बार खोल चुका हूँ लकिन इन जैसे महाशय झूठो का पुलिंदा होते हैं फिर से एक नया ले आयेंगे. इसीलिए मैं इनकी बातों का उत्तर नहीं दे रहा हूँ क्योंकि सच में इनकी बुद्धि का वो स्तर ही नहीं है ये केवल छल करना जानते हैं.
और अधिक जानकारी और इनके छलों को समझने के लिए मेरे ब्लॉग पर आयें वहां कोई भी जिज्ञासा हो वहां प्रश्न पूछें इनके बहकावों में ना आये.
जमाल तू जिस यजु० के श्लोक का अर्थ बेवकूफों की भांति लिख रहा है इससे तेरी भड़ास का चेहरा साफ़ पता चलता है की तुम मुसलमानों को इस बात से इर्ष्या है कि पूरा विश्व वेदों को दुनिया के महानतम ग्रन्थ मानता है . अगर तू ये सोचता है कि
हिन्दू मुर्ख है ,वे तेरी बातों से वेदों से घ्रणा करने लगेगे तो तेरा ये सोचना मूर्खतापूर्ण है.क्योकि तेरे पुरखे भी अपनी भड़ास निकालकर इस भारत
कि मिटटी में गल गए.
@अनोप मंडल जी
उपनिषद हमारे प्रामाणिक ग्रंथों में आते हैं किन्तु जो वास्तविक आदि विद्वानों ने लिखे हैं.कोई यदि जमालोप्निषद लिख दे तो क्या वो हिंदू ग्रन्थ हो जायेगा, इसीलिए इनके अल्लोपनिषद के भ्रम में न फसें
@प्रवीण शाह जी
वेद भाष्य में कहीं ऐसा कुछ नहीं लिखा ये लोग अपने मनमाने ढंग से लिखते हैं ओर इनका एक तर्क होता है 'संस्कृतवाक्यंप्रमाणम्' जोकि सत्य नहीं है.
aap mere blog par aayen or dekhen vedo se kitna gyaan nikla hai, abhi maine shuruaat kii hai regular blogging kii to abhi adhik data nahin hai par bhavishy mein hoga.
SOURABH JI AUR NAVIN JI KO PRANAM MAIN AAP KE BATO SE SAHMAT HU YE ALPONISHAD KI BAT KAR RAHA HAI WO AKBAR NE LIKHWAYA AUR AGAR YE MUSLIM KISI KO APNA SHATRU MANTE HAI TO WO HAI MAHAN DAYANAND JI KO JINHONE PURE VAIGYANIK PRAMAN KE SATH KYA GALTI HAI ISLAM MAIN DARSHAYA JISE KOI MAHAN YA PADHA LIKHA JHOOTA PROVE NAHI KAR SAKTYA HAMARE VED AUR SHRI GEETA SE TO MAHAN AAINSTAN BHI PRABHVIT THA AAJ SHRI KRISHNA KI DWARKA KA BHI PATA CHAL SHRI RAMSETU KABHI AGAR YE PROVE HO JAYE SHRI RAM AUR KRISHNA KA ASTITVA THA TO WO UNHE INSAN GHOSIT KAR DENGE KYO KI GEETA JAISI MAHAN GRANTH KOI INSAN APNE DIMAG SE LIKH HI NAHI SAKTA ANVAR JI AAP AGAR ITNA SOCHENGE TO SYKO ( PAGAL )HO JAYENGE ISLIYE SWAMI VIVEKANAND JI KE PUSTAKO KO PADHE AUR DIMAG KO RAHAT DE JAI SHRI RAM
dear readers
islam can not be understood in better way without going through scholarly articles by agniveer aite.
self acclaimed islamic scholar dr zakir naik has been analysed critically and his half baked untruth is exposed by agniveer ji.
please visit below links for more details.
http://agniveer.com/category/misc/zakir-naik-misc/
articles on philisophy of islam on heaven, hell, muhammad sahib, quran, allah in quran , kafir , shaitan
etc are also among major features of website.
please visit below link to know more.
www.agniveer.com
dr vivek arya
Learn the Holy Quran Online from the comfort of your home. Our qualifed instructors offers one on one classes. learn quran online, Learning the Quran
Ok
Ok
भारत से विशाल पूरी दुनिया है।औऱ पूरी दुनिया मे इस्लाम का एक ही स्वरूप है।
Ok
नवीन त्यागी जी,ईश्वर आपकी आयु लम्बी करे।वेद महान है।हिन्दु भाइयों का दावा है कि वेद ईश्वर वाणी है।अब आस्था सम्बन्धी मूल बातें वेद औऱ कुरान मे समान हैं तो आप उन से निरन्तर इन्कार क्यों करते हैं।
Alopnishad Akbar ke samay rachi gayee hai,,pyare musalman bhaiyo,,apke granth me dhartee chapti hai,suraj hi pritvi ka chakkar lagati hai or ap dava karte hai ki ye upar se aya hai,Allah yani ishwar ki phajihat nahi keejiye,,sath hi swami dayanand saraswati ki satyarth Prakash pustak ka jabab to deejiye,,
Alopnishad Akbar ke samay rachi gayee hai,,pyare musalman bhaiyo,,apke granth me dhartee chapti hai,suraj hi pritvi ka chakkar lagati hai or ap dava karte hai ki ye upar se aya hai,Allah yani ishwar ki phajihat nahi keejiye,,sath hi swami dayanand saraswati ki satyarth Prakash pustak ka jabab to deejiye,,
लहजा बता रहा ह ...दौलत नई नई है।
☺☺☺
Bilkul sahi
वो कुंडलिनी शक्ति का अलंकारिक वर्णन है जो मूलाधार मे सुप्त रहती है और साधारणतया कर्मानुसार इधर उधर अपनी शक्ति खोती और प्राप्त करती रहती है...अतः अंध कहा गया किंतु जब उसे यौगिक क्रियाओं द्वारा उठाया जाता है तो वह ऊर्ध्व गति करती हुयी सहस्रहार तक जाती है...ये ज्ञान गोपनीय रखा गया क्योकि इसके जागृत होने पर मनुष्य मे अपार क्षमताये आ जाती है...मोहम्मद साहेब ने भी जिन सात आसमानो की बात की वो इसी कुंडली के सात द्वार है...और जिस सर्प पर वो गये थे जिसका एक नाखून चौदह कोस था ये सब भी उसी कुंडलनी जागरण का वर्णन है..धन्यवाद
Sahi
Bhai shiva nai bhasmasur ko dekhkar bhagay thai itna he pata ha kyu bhagey thai yeh nhi pata ha shiv puran padh samaj mai ayega tab tum bhut chota sochtay ho tum log toh phaley siya aor suni ka mamla toh sahi kar lo fir dusrey kai dharam aor unkai ishwar par ungli uthana shiv nai kha ha mai kabhi paida nhi hua mai he sab kuch hu bharma vishnu mahesh hum ek he ha yeh meray rup ha mai nirankar hu jab duniya nhi thi tab bhi mai tha aor jab duniya nhi rehaygi tabh bhi mai rehunga aor bhagwat gita padh lena usmay sab likha ha hum log tumhari terha parchar nhi kartey apnay dharm ke kyuki jisko mana ha voo kisi bhi rup mai puja yeha dua keray voo vastav mai unhi ke puja kerta ha kyu shiv nai kha ha mai nirankar hu mai he sab kuch hu hum jasey tuch manav ke okadh nhi ha unko janay ke
वेद में अल्लाह नहीं है. ॐ है.
भविष्य महापुराण में :- ।। भविष्य महापुराण ।।
प्रतिसर्ग प्रव । खण्ड 3 । अध्याय 3 । श्लोक 1 से 33
मुस्लिम सबसे धर्मदुषक होंगे । यह पैशाचो का धर्म होगा
( जोकर नालायक जो पुराण से मुहम्मद बताता है तो पुराण मे मुस्लिम को पैशाच तथा मुहम्मद को धर्मदुषक / पैशाच बताया है )
🌠 अल्लो उपनिषद अकबर के समय लिखा था. जिसमे अरबी और संस्कृत का मिले जुले वाक्य है.
🌠 यजुर्वेद 25:7 की बात तो वो आचार्य अग्निवर्त ने इसका उत्तर दे दिया है.
क्या स्वामी दयानंद जी ने गुदा से अंधे साँप पकड़ने की बात वेद भाष्य मे लिखी है?
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
https://youtu.be/qVmIKeGThzM
Subscribe 👆
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
यजुर्वेद 25:7 आचार्य अग्निव्रत :- pdf :- https://archive.org/download/AgnihotraYaju.25.7KaaBhaashya/Agnivrat%20-%20Yaju.25.7%20Kaa%20Bhaashya.pdf
Right, it has been during akbar's regim. There is nothing regarding this in beds.
अगर पूरी दुनिया में इस्लाम एक है तो मुसलमानों के 72 पंथ कहाँ से आए
Post a Comment