सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Saturday, April 24, 2010
किसी भी कुरीति को हिन्दू कुरीति या मुस्लिम कुरीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये । Reformation
महाजाल ब्लॉग स्वामी के इस कथन से मैं सहमत हूं कि वेद पुराण में बहुत सी बातें अप्रासंगिक और बकवास हैं । यही बात इसलाम की व्याख्या करने वाली बहुत सी किताबों के बारे में भी सही है ।
हज़रत यूसुफ़ आदि नबियों के क़िस्सों में बहुत इसराईली रिवायतें सम्मिलित होने से उनमें विकार आ गया है । पवित्र कुरआन की कई तफ़सीरों में भी इसराईली रिवायतें सम्मिलित हो गई हैं । कुछ फ़त्वे भी ग़ैर ज़िम्मेदारीपूर्वक दिये जाने से न सिर्फ़ ग़लत बल्कि निंदनीय हैं ।
हज़रत शेख़ अहमद सरहिन्दी , शाह वलीउल्लाह और अन्य मुजद्दिद उलेमा ने इनको तफ़्सील के साथ बयान किया है । बेहतर समाज के लिए बेहतर नियम ज़रूरी हैं । आज समाज तबाह हो रहा है । लोग रोटी , पानी और सुरक्षा के लिए तरस रहे हैं । समय एक क़ीमती सरमाया है, उसे फ़ालतू क्रियाओं में गंवाना अक्लमन्दी नहीं कहा जा सकता । पाखण्ड को धर्म का नाम नहीं दिया जा सकता ।
इससे बुद्धिजीवियों में धर्म के प्रति वितृष्णा पैदा होती है । लोगों को नास्तिक बनाकर उनके सदाचरण को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती ।
कुरीति केवल कुरीति होती है ।
किसी भी कुरीति को हिन्दू कुरीति या मुस्लिम कुरीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये । किसी भी कुरीति के विरोध से केवल समाज के भविष्य से लापरवाह लोगों की भावना ही आहत होती है । हम सब बुद्धिजीवी हैं और यह मंच विचार और चर्चा के लिए ही है । अतार्किक लोगों को हरेक जगह झांकने से परहेज़ करना चाहिये ।
लोग बदल रहे हैं , समाज बदल रहा है ।
लेकिन बदलकर वह बन क्या रहा है ?
वह केवल नास्तिक और भौतिकवादी बन रहा है ।
जब देश के आंगन में नक्सली हमले में मारे गए मासूमों की लाशें पड़ी थीं , तब इस देश के युवा आई पी एल के मैचों का लुत्फ़ उठा रहे थे । कैसी संवेदनहीनता है यह ?
हिन्दू धर्मगुरू भी कह रहे हैं कि अब धर्म से नहीं बल्कि केवल आध्यात्मिकता से ही कल्याण होगा . समाज को ध्यान के साथ साथ एक संतुलित व्यवस्था भी दरकार है जो उन्हें रोटी , पानी , दवा , घर , रोज़गार और सुरक्षा प्रदान कर सके । यह व्यवस्था इसलाम है । पवित्र कुरआन इसका आधार है । यह पूर्ण सुरक्षित है और यह कट्टरता नहीं बल्कि सत्य है । यही बात हम मुहम्मद साहब के वचनों के बारे में नहीं कह सकते क्योंकि उनमें कुछ नक़ली हदीसें मिलाना साबित हो चुका है , हालांकि उन्हें पहचानकर अलग कर दिया गया है ।महाजाल ब्लॉगस्वामी द्वारा कुरआन को वेद पुराण की तरह समझ लेना यह साबित करता है कि उन्होंने उसे क्रमबद्ध ढंग से अब तक पढ़ा ही नहीं है । इसका सुबूत खुद उनका कथन है -
मैं अधिकतर आजकल चल रहे हालातों पर लिखता हूं… वेद-पुराण-कुरान पकड़कर नहीं बैठा
रहता… क्योंकि उन "सभी धार्मिक किताबों" में कई बाते अप्रासंगिक हैं, बकवास हैं…।
लेकिन आप हैं कि आज के जमाने की बातें छोड़कर वेदों की आलोचना में लगे रहते हैं,
क्योंकि उससे आपको अपना कार्य जस्टिफ़ाई करने में मदद मिलती है। अन्त में एक फ़ाइनल
बात, आप हमेशा नरेन्द्र मोदी, प्रज्ञा, तोगड़िया आदि को कट्टर और आतंकवादी बताते हो…
यानी विश्व में कुल कितने हिन्दू आतंकवादी हुए? जिन्होंने हिन्दू ग्रन्थ पढ़े और जिन पर हिन्दू संस्कार हुए।
मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे मेरे किसी लेख का हवाला दें कि मैंने किस लेख में मोदी , प्रज्ञा और तोगड़िया आदि को आतंकवादी कहा है ?
इसी तरह उन्होंने पवित्र कुरआन को ढंग से पढ़े बग़ैर ही राय क़ायम कर ली है ।
बेहतर है कि वे एक बार किसी अच्छे आलिम द्वारा अनूदित कुरआन व्याख्या सहित पूरा पढ़ लें । पवित्र कुरआन का अनुवाद मुफ़्त मंगाने के लिए के लिए सम्पर्क करें - http://www.cpsglobal.org/
इसके बावजूद मैं वेदादि में उनके द्वारा सत्य स्वीकारने के साहस की तारीफ़ करता हूं ।
इसके बावजूद मैं वेदादि में उनके द्वारा सत्य स्वीकारने के साहस की तारीफ़ करता हूं ।
प्रिय प्रवीण जी और महक जी के कथन से सहमत हूं । सभी धार्मिक नियमों और परम्पराओं की समीक्षा को अब और टालना आत्मघाती क़दम है जिसका नुक्सान हमारे साथ हमारी आने वाली नस्लें भी उठाएंगी ।
भाई अमित जी को चाहिये था कि वे श्रीमान महक जी के प्रश्नों का तथ्यपरक उत्तर देते । भावनात्मक संबोधन सटीक जवाब का विकल्प नहीं हुआ करता ।
इस सबके बाद मैं यह कहूंगा कि
प्रिय भाई अमित ! अल्लाह न करे आपको कभी ज़रूरत पड़े , लेकिन अगर कभी पड़ जाये तो आप अपने लिए या अपने किसी प्यारे के लिए मेरे बदन से मेरे खून की आखि़री बूंद तक निचोड़ लेना ।
यही बात मैं महाजाल ब्लॉग के स्वामी के लिए भी कहता हूं लेकिन एक फ़र्क़ है । भाई अमित के लिए यह कहने में मुझे अपने दिल पर ज़ोर नहीं डालना पड़ा जबकि महाजाल स्वामी के लिए कहने में मुझे अपने दिल को समझाना पड़ा ।उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे तो शायद तब यह बात भी बाक़ी न रहे । और प्रवीण जी आप भी इसमें शामिल हैं ।
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45 comments:
मिस्टर अजय ! आपको मेरे ब्लॉग पर अपना नाम नज़र कहां आ गया भाई ?
nice post
भाई अनवर जी
आपने बहुत ही बढियां विचार दिये हैं।
मैं आपका समर्थन करता हूं।
पर मैं कतई इस बात को नहीं मानता कि वेदों में कुछ भी अप्रासंगिक लिखा है।
सौभाग्यवश मैं वेद पर ही अपना शोध कार्य कर रहा हूं। अत: अगर आपको उसके किसी भी मन्त्र में कुछ भी अप्रासंगिक लगे तो बताइयेगा मैं उसकी ठीक ठीक व्याख्या आपको समझाउंगा।
और हां सिर्फ निवेदन ही नहीं अपितु प्रार्थना है कि कृपया आप जैसे बुद्धिजीवी व्यक्ति तो वेदों की आलोचना न करें क्यूकि वेद हमारे भगवान हैं और हम अपने भगवान की निन्दा नहीं सुन सकते है।
आशा है आप हमारी भावनाओं की कद्र करेंगे
आपको अपने नये ब्लाग http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर आने का निमंत्रण देता हूं जो कि संस्कृत में ही है।
आपको अच्छा लगेगा
धन्यवाद
Jamaal Bhaii
Aaj aapne ek baar phir saabit kar diya ki aap mein sach ka saath dene ki himmat hai aur aap apni aatma ki aawaz par chalte hain.Aap har cheez ko khule dimaag se lete hain bina hindu ya muslim ka paksh liye.Aapke saare blogs ko padhar aapke baare mein main ek baat daave se keh sakta hoon ki kisi vyakti ne ye line aap jaise sach ke kadradaano ke liye hi kahi hai ki
"मैं तो आईना हूँ हमेशा सच ही बोलूँगा जिसे बुरा लगे वो सामने से हट जाये|"
जब ८० जवानोकी लाशे पडी थी तब ये खुद गरज पब्लिक I.P.L का तमाशा देख रही थी ...जमाल भाई ऐसे मुदे आगे करो जिस से पब कल्चर को थोडा ज्ञान मिले ....आप को साधुवाद
bhaii आनन्द पाण्डेय
lagta hai aapne ise se previous post aur uske comments ko dhyaan se nahin padha,balki padha hi nahin.aapse prathna hai ki ise se pichli post aur usper aaye hue comments khaas kar mere comments padhen aur phir bataayein ki vedon mein se kuch gyaan jo ki wahan diya gaya hai kis prakar se अप्रासंगिक, bakwaas, vikaaron se bhara aur unnati mein badhak nahin hai.
Meri baat ka ye matlab na lagaayein ki main vedon ka apmaan kar raha hoon, main khud vedon ka samaan karta hoon lekin unmein jo sahi aur achi baatein hain kewal unka, unme varnit kureetiyon ka nahin.
Aapne bataaya ki aap ved par hi shodh karya kar rahen hain isliye ek gigyaasu ki tarah aapse un prashnon ke uttar chaahonga jo ki previous post par pooche gaye hain.
Dhanyavaad
@ man
yahan par saadhuvaad de rahe ho jamaal bhaii ko aur kal orkut par kya de rahe the bhool gaye, kya yaad nahin aa raha, chalo main yaad dila deta hoon, aap sabke liye pesh hai "man" ka asli chehra
man:
9:08 PM | spam
वन्देमातरम महक भाई ,क्या तलवे चाट ते हो यार उस चूतिये के ...भइया स्टैंड इस स्टेंड ..आप उसी खुशामद करते हो ...मैंने माफी मांगी उसने कभी ,मांगी हे ,माफी ...साले गदार हे ..इस से अछ्ह्हा यो उसके ब्लॉग पर जाना ही छोड़ दो यार ....क्या लिखता हे वो? फिर कानून की धमकी देता हे ..
@man
tumhare jaise log hinduon ke naam par kalank hain aur tumhare jaise hi "Dharmandh" aur "Kattar" logon ki wajah se Hindu-Muslim dange hote hain aur logon mein nafrat ka zehar failta hai, mujhe blog chodney ke liye keh rahe the lekin khud ko yahan aana se roka nahin jaata.
Main jaanta hoon tumhara jawaab is par kya hoga.Tum yahi kahoge ki mujhe Jamaal bhaii ki ye baat sahi lagi isley maine unka saath diya lekin iska matlab kya ye hai ki agar tumhe unki koi baat galat lage to tum unhe "Har Har Mahadev" bankar gaaliyaan do aur saath hi Bhagwaan Shankar ka naam bhi badnaam karo.Tumhari ideology ke according to agar koi vyakti tumse agree nahin hai to us vyakti ko tumhe dher saari gandi-2 gaaliyaan deni chaahiye, hai na.Agar tumhare is formule par ye blog chalne lage to ye ek healthy debate ka nahin balki gaaliyon aur apshabdon ka blog ban jaayega.
Arey apne hi dharm ke Satish Saxena ji, Amit Sharma bhaii aur Suresh Chiplunkar ji se seekho, unhone aaj tak jamaal bhaii ko kabhi koi apshabd ya gaali nahin di balki ek healthy debate ki.
Aur tum jo keh rahe ho ki tumne jamaal bhaii se "Har Har Mahadev" ke roop mein maafi maangi lekin unhone tumse maafi nahin maangi aur tumhe maaf nahin kiya lekin ise se pehle tum apni harkatein bhi to dekho.Tumne maafi kitni baar maangi-ek baar aur unhe gaaliyaan aur upshabd kitni baar kahe-about 20-40 times.Tumhe kya laga ki tumhare ek baar mein hi maafi maangne se wo saare paap dhul gaye, yaad rakhna
"bhar jaata hai gehra ghaav jo banta hai goli se,
par wo ghaav nahin bharta jo bana ho kadvi booli se"
Apni aankhon se ye Dharmandhta aur Kattarta ki patti utaaro aur jamaal bhaii jo keh rahen hai usey hindu-muslim ke chashme se dekhna band karo.Jo baat sahi lage unka saath do aur jo galat uskey baare mein unhe apna virodh bataao aur unse ek healthy debate karo bina apshabdon aur gaaliyon ka use kiye.
Apne andar jhaank kar, apni aatma ki aawaaj sunkar jawaab dena
महक जी लगता है आपको भी झूठ पर बहुत गुस्सा आता है
यह बात बिलकुल सच है कि कुरिती कुरिती होती है उसमे मज़हब नही देखना चाहिए क्योकि जब हम कुरिती को मज़हब के साथ जोड़कर देखते है तो भावनाओ मे बहकर हमे गलत बात भी सही लगने लगती है
@Dr. Ayaz ahmad Ji
Sach kaha aapne mujhe jhooth par bahut gussa aata hai lekin main in "man" or "har har mahadev" janab ki tarah gaaliyaan ya apshabd nahin kehta.In jaise log hi aapke aur hamaare beech mein nafrat paida karte hain aur aisa karke inhe lagta hai ki naa jaane inhone kaun sa bada kaam kar diya lekin ye log bhool jaate hain ki ise se ye kitni zindagiyon ka nuksaan kar rahe hain aur khud ka vinaash paida kar rahen hain.
Jamaal bhaii hinduon ki achi baaton ki taarif karein to saadhuvaad aur kureetiyon ka virodh karen to gaaliyaan aur apshabd.Arey agar tumhe koi baat Jamaal bhaii ki koi baat galat lagi hai to tum sahi shabdon ka bhi to prayog kar sakte ho.Aisa karke ye log dikha dete hain ki inke maa-baap ne inhe kaise sanskar diye hain aur Hindu bhaiyon ko sharminda hona padta hai.Aise logon ko khud ko hindu ya musalmaan kehne ka koi haq nahin, ye log sirf insaaniyat ke dushman hain. Aap dekhiyega ab ye vyakti "man" apne agle comment mein mujhe khoob gaaliyaan dega, khoob apshabd kahega, lekin mein aapko, Jamaal bhaii ko aur saare sabhya bloggers ko ye yakeen dilata hoon ki main pratikriya ke roop mein bhi isey koi gaali nahin doonga kyonki main nahin chaahta ki hamaare is blog roopi pariwar ka maahol ganda ho.Aur aapki ye baat bilkul sach hai ki जब हम कुरिती को मज़हब के साथ जोड़कर देखते है तो भावनाओ मे बहकर हमे गलत बात भी सही लगने लगती है
गुरू जी पोस्ट बढिया है, इधर वेदों में भाईयों के विचार देखने को मिले उसकी वह जाने, हम तो यह जानें कि
अल्लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
लोगों को नास्तिक बनाकर उनके सदाचरण को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती ।
@महक जी आपने बिलकुल सही लिखा ये असामाजिक लोग समाज मे भेदभाव बढ़ा रहे है मै आपकी बात से सहमत हूँ
भाई कमाल हे सच मैं हिन्दू धर्म भी तरह तरह के फूलों का गुलदस्ता हे यहाँ जो वेदों की निंदा कर रहा हे वह भी हिन्दू हे ओर जो उन्हें भगवन बता रहा हे वह भी हिन्दू हे ,,,, वह जी वह ...?
:-)
ajeeb chootia he saala oeeth peeche gaalyan deta he
भाई यहाँ गालियो का इस्तेमाल कोई न करेँ
बहुत बड़ा जिगर है आपका अनवर जमाल भाई, आपने खुल कर उन इस्लामी रिवायत का या यह कहें कि कुरीतियों का विरोध किया जो ज़बरदस्ती इस्लाम के नाम पर चल रही हैं. मेरा कहना यह है, कि एक-एक बात को लिखकर फिर उसका हल बता कर बात होनी चाहिए. ऊँगली तो कोई भी उठा सकता है, उसका हल क्या है यह बताना अधिक बेहतर बात है.
वैसे एक बात अवश्य है, आप वाकई कलम के वीर हैं. अगर इसी तरह सार्थक लिखते रहें तो अवश्य ही इस देश और इस देश के धार्मिक व्यक्तियों के भला होगा.
nice post
"...भाई अमित जी को चाहिये था कि वे श्रीमान महक जी के प्रश्नों का तथ्यपरक उत्तर देते। भावनात्मक संबोधन सटीक जवाब का विकल्प नहीं हुआ करता ।
इस सबके बाद मैं यह कहूंगा कि प्रिय भाई अमित ! अल्लाह न करे आपको कभी ज़रूरत पड़े , लेकिन अगर कभी पड़ जाये तो आप अपने लिए या अपने किसी प्यारे के लिए मेरे बदन से मेरे खून की आखि़री बूंद तक निचोड़ लेना..."
सार :
1) अमित भाई कहें तो "भावनात्मक बातें" हैं, लेकिन डॉक्टर साहब "खून की बूंद" टाइप की इन्दिरा गाँधीनुमा बातें कहें तो वह भावनात्मक नहीं हैं… :) :)
2) कुरान की कॉपी जहाँ-तहाँ बाँटने के लिये सदैव तत्पर रहो… :) :)
3) कुरान की गलत-सलत व्याख्या पढ़कर पाकिस्तान, कश्मीर और समूचे विश्व में आतंकवाद फ़ैला रहे "गुमराह"(?), "भटके हुए"(?), "मासूम"(?) युवकों को, जमाल साहब जल्दी ही अपने प्रवचनों और कुरान की सही व्याख्या से उनके मन सुधार देंगे। :) :)
असल में उन गुमराह युवकों ने जो भी कुरान पढ़ी है वह गलत है और जिसने भी उसकी व्याख्या उन्हें समझाई है वह नालायक व्यक्ति है। अतः जमाल साहब ने बीड़ा उठाया है कि कुरान की "सही" व्याख्या उन्हें समझाकर ही दम लेंगे। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं… :) :)
अल्लाह के challange का जवाब तो दिया नहीं जा सका अब बन्दे यानि आपका challange का भी जवाब नहीं दिया जा रहा है
aapka challange:
मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे मेरे किसी लेख का हवाला दें कि मैंने किस लेख में मोदी , प्रज्ञा और तोगड़िया आदि को आतंकवादी कहा है ?
पर हर प्रकार की कुरिती को सुधारा भि तो जाना चाहिये
हिन्दु हमेशा सुधार का स्वागत कर्ते है पर इस्लाम मे सुधार के नाम पर उबाल आ जाता है
इस के लिये भि तो आप कुछ करे
वेद व्यथित
Bahut accha Anwar Bhai. Kuran ki Sahi pratiya aap Pakistan, Afganitan, Irak, Iran aur Kashmir Main Batwa dijiye. jisse ki un becharo ka uddar ho sake jo Antakwadi ban gaye hain.
मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे मेरे किसी लेख का हवाला दें कि मैंने किस लेख में मोदी , प्रज्ञा और तोगड़िया आदि को आतंकवादी कहा है ?
इसी तरह उन्होंने पवित्र कुरआन को ढंग से पढ़े बग़ैर ही राय क़ायम कर ली है ।
बेहतर है कि वे एक बार किसी अच्छे आलिम द्वारा अनूदित कुरआन व्याख्या सहित पूरा पढ़ लें । पवित्र कुरआन का अनुवाद मुफ़्त मंगाने के लिए के लिए सम्पर्क करें - http://www.cpsglobal.org/
इसके बावजूद मैं वेदादि में उनके द्वारा सत्य स्वीकारने के साहस की तारीफ़ करता हूं ।
प्रिय प्रवीण जी और महक जी के कथन से सहमत हूं । सभी धार्मिक नियमों और परम्पराओं की समीक्षा को अब और टालना आत्मघाती क़दम है जिसका नुक्सान हमारे साथ हमारी आने वाली नस्लें भी उठाएंगी ।
भाई अमित जी को चाहिये था कि वे श्रीमान महक जी के प्रश्नों का तथ्यपरक उत्तर देते । भावनात्मक संबोधन सटीक जवाब का विकल्प नहीं हुआ करता ।
@सुरेश जी & तारकेश्वर जी,
कुरआन एक ही है और वही सही है, हाँ उसकी व्याख्या करने वाले विद्वान भी हो सकते हैं और जाहिल भी. ठीक है आप मुझे या डा.जमाल साहब को जाहिल मान लें, लेकिन आप विश्व प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान व चिन्तक मौलाना डा. ताहिर-उल-कादरी की बात तो सुन सकते हैं?
जिनका अभी हाल ही में 600 पन्नों का फतवा आया है की आतंकवादी, सुसाइड बोम्बर और निर्दोषों को मारने वाले जिहादी पूरी तरह इस्लाम से बाहर हैं और उनकी जगह नरक है. ये फतवा आप यहाँ पढ़ सकते हैं या यहाँ देख सकते हैं.
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
@गिरी जी सुरेश जी भावना व तथ्य दोनो की जरूरत है नफरत व बेर कैसे कम हो और प्यार मौहब्बत कैसे बढ़े आप हमे ये बताए?
जमाल साहब आप हर चीज में बढ़िया है . लिखते काफी है पर कुछ ऐसा लिखते जैसा मैंने आपसे निवेदन भी किया था जिससे की समाज की अशिक्षा और कुरीतियों का शमन करने में थोड़ी बहुत सहायता मिले. कुरीतियों की तरफ संकेत करने से कुछ ना हो पायेगा निष्पक्ष होकर एक बार उसी तरह की-बोर्ड के बटन दबाइए जैसे आज से एक-दो दिन पहले तक चला रहे थे .
महक जी खुद के ब्लॉग पे आसीन होकर कुछ लिखे तो समझ में आये, नहीं तो आपका ही उदारवादी चेहरा नजर आते है .
एक बात और आपसे जानना चाहता था. वैसे ये बात आपसे वक्तिगत रूप से ऐ-मेल पे पूछना चाहता था इसलिए झिझक रहा था पर दो-एक दिन पहले एक सज्जन ने वह बात कही दी . इसलिए सार्वजनिक रूप से ही पूछ लेता हूँ की आपने तो आपका नाम डॉ.अनवर जमाल बताया है लेकिन जब आपकी फोटो को सेव करके उसका नाम पढ़ा तो उसका परिचय ये था aslam qasmi for blog , और अभी आपकी फोटो का इनफोर्मेसन फिर चेंज हो गया है और इस तरह लिखा है Le-kar-le-progress . अब आप ही बताये की माजरा क्या है और इतनी संदिग्द्ता क्यों .
मैं आपकी कही हर बात को सत्य की लकीर मन भी कैसे लूँ जब इस तरह के विरोधाभास सामने हो तो .
कैसे मान लूँ की आप हर बात सचाई से कह रहे है
@Amit Sharma ji
Bhagwan ne aapki sun li hai.Main apne blog par aaseen ho gaya hoon.Jaldi se aap bhi aur mere sabhi bhaii padharein aur aashirvaad dein
महक जी, बहुत खुशी की बात है की आपने अपना ब्लॉग बना लिया. लेकिन उसपर हिंदी में लिखियेगा, रोमन हिंदी में नहीं. क्योंकि रोमन हिंदी पढने में बहुत परेशानी होती है.
@zeashan bhaii
shubhkamna ke liye bahut-2 dhanyavaad aap blog par aayein aapka hamesha swagat hai
Rahi baat Roman hindi ki to mujhe pure hindi script likhni nahin aati.Main aapse aur anya bhaiyon se bhi jan na chaahta hoon ki kya koi aisa software hai jo meri is roman hindi ko pure hindi mein convert kar sake. Agar nahin to aap log kaise likhte hain, please bataayein, main khud bhi pure hindi script hi chaahta hoon
jab nai post kriet karenge tab uski toolbar men seedhe haath ko devnagri men अ likha h uspe clik kijiye fir jo bhi likhe uske baad space denge to apne aap devnagri men badal jayega jaise Mahak like fir space denge to महक me badal jayega
Bhaii Anonymas
Tumhara bahut-2 shukriya, main isey try kar ke dekhoonga
भाई अमित ! डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ और डा. अयाज़ आपस में मित्र हैं । तीनों के फोटो जनाब उमर कैरानवी साहब ने लिये और फ़ाइल नेम एक ही दे दिया । जब मैंने उनसे अपना फ़ोटो अपने ब्लॉग में अपलोड करवाया तो फ़ाइल नेम डा. असलम साहब का ही सेव हो गया । हम तीनों की रचनात्मक गतिविधियों का चर्चा आये दिन अख़बारों में भी छपता रहता है । देखें -
http://my.opera.com/sunofislam/blog/show.dml/6773421
Kuran aaj ek Puranaa SAHITYA ho gayaa hai, Kuram aaj ke jamaane mein apni pahchan kho chuka hain, jaise, 2-3 din pahle saoudi arabiya mein 12 saal kii ladkii se 80 saal ke uske chacha budhhe NE sadii kii, ladkii talaaka CHAAHATI thii, lekin Mohammd Paigamber ne ladkii kii saadii ki umar 9 saal rakhii,
Matlab Pagamber ke kahane par saadii karenge . FATWA. Ab Saudi Arabia kii sarkaar ne 16 saal kii ladkii kii umar mein saadi ka kanoon ab banaaya hain. Saudi arabia kii sarkaar ne kaha--"Prophet’s marriage 14 centuries ago could not be used to justify child marriages today."
REAH WHOLE Article
http://epaper.timesofindia.com/Default/Scripting/ArticleWin.asp?From=Archive&Source=Page&Skin=TOINEW&BaseHref=CAP/2010/04/24&PageLabel=22&EntityId=Ar02201&ViewMode=HTML&GZ=T
Saudi court lets bride, 12, divorce 80-yr-old hubby
Dubai: In what could become a prelude to introduction of a minimum age for marriage in Saudi Arabia, a 12-year-old girl has won a divorce from her 80-year-old husband.
According to local reports, the girl was married to her father’s cousin last year against her wishes and those of her mother. The marriage was sealed with a dowry of 85,000 riyals and consummated.
The 12-year-old, with the help of Saudi government’s legal assistance, fought her case in a court in Buraidah, near Riyadh. The unusual legal challenge had generated international media attention and scrutiny of Saudi Arabia’s record of child marriages, and prompted the state-run Human Rights Commission to appoint a lawyer to represent her.
Based on the ruling, the commission has assembled three committees to examine the possibility of pushing for a legal minimum age for marriage of at least 16.
“The main aim is to not allow cases like this to happen again,” Alanoud alHejailan, a lawyer for the commission, said. “We feel that public opinion has changed on this issue. We want to gather all the public support we can for a minimum marriage age,” he added.
The case had sparked debate in Saudi Arabia, with some judges and clerics using Prophet Muhammad’s marriage to a nine-year-old girl as justification of child marriage.
However, in January Sheikh Abdullah al-Manie, a senior Saudi cleric, spoke out in defence of the girl, declaring that the Prophet’s marriage 14 centuries ago could not be used to justify child marriages today. ANI
Raj
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