सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Sunday, April 25, 2010

प्रेमपूर्ण समाज बनाने के लिए आपसी मनमुटाव को दूर करना बेहद ज़रूरी है । ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ज्ञानी होए । Love n Harmony


कुरीतियों का कोई धर्म नहीं होता । इनसान को इनसान बनने के लिए कुछ कायदे- कानून और नियम-संयम की ज़रूरत होती है । समाज के लिए संगठन और ढांचे की भी ज़रूरत होती है । हरेक आदमी अपनी योग्यता के मुताबिक़ अपने वुजूद , अपने परिवार और समाज का कल्याण कर सके , ऐसी व्यवस्था का होना ज़रूरी है । समाज के सदस्य अपने फ़र्ज़ को अदा करें और पस्पर सहयोग करें । बुराई को भलाई से दूर करने का प्रयास करें और जो अतिवादी हो उसे व्यवस्था का प्रबंध तन्त्र सज़ा दे। इसी का नाम धर्म है ।


किसी का हक़ मारना या मिथ्या आरोप लगाना अधर्म है । महाजाल ब्लॉग स्वामी ने मुझ पर झूठा आरोप लगाया कि
आप हमेशा नरेन्द्र मोदी प्रज्ञाए तोगड़िया आदि को कट्टर और आतंकवादी बताते हो .
मैंने उन्हें कल चैलेंज किया कि


मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे मेरे किसी लेख का हवाला दें कि मैंने किस लेख में मोदी प्रज्ञा और तोगड़िया आदि को आतंकवादी कहा है


लेकिन उनकी बात में सच्चाई होती तो सुबूत देते । वे आये और अपनी झेंप मिटाने के लिए मेन मुद्दे पर बात न करके कम महत्व की बात पर नासमझी के साथ टिप्पणी देकर हंसे और चले गये ।


पता नहीं वे अपनी अक्ल पर हंसे या अपनी चालाकी पर ?


लेकिन मैं इतनी आसानी से उन्हें निकल भागने का मौक़ा हरगिज़ न दूंगा । या तो वे अपना इल्ज़ाम साबित करें या फिर भाई अमित की तरह वे भी अपनी ग़लती मानकर माफ़ी मांगे ।

मराठी बंधु ! मैंने अमित जी को तथ्यपरक जवाब की जगह भावनात्मक संबोधन करने पर टोका था । जबकि मैंने अपने जिन जज़्बात का इज़्हार किया है , वह आपको तथ्यपरक जवाब देने के बाद किया है , जिसका आप से जवाब नहीं बन पा रहा है ।
अपना खून देने की बात अगर इन्दिरा जी ने कही थी तो न तो उन्होंने झूठ कहा था और न ही मैं ग़लत कह रहा हूं ।
दरअस्ल भाई अमित से तो मैं प्यार करता हूं और आपसे नफ़रत । कारण आपको पता ही है । लेकिन मैं खुद को इस नफ़रत से मुक्त करना चाहता हूं । इसीलिए मैं अपने दिल में आपके लिए बेहतर विचार सप्रयास पैदा कर रहा हूं और आपको बता भी रहा हूं लेकिन नफ़रत की इस भंवर से मैं केवल अपने ही प्रयास से बाहर नहीं निकल सकता । मुझे आपकी मदद की ज़रूरत है । कृप्या कूटनीति छोड़कर मेरी मदद करें । आपका आभारी रहूंगा ।


मेन मुद्दे पर ध्यान पहले दें ।


प्रेमपूर्ण समाज बनाने के लिए आपसी मनमुटाव को दूर करना बेहद ज़रूरी है । यह भी समाज को एजुकेटेड करने में ही आता है । ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ज्ञानी होए , कहा भी गया है । बल्कि इसका मर्तबा और ज़रूरत कुछ ज़्यादा ही है ।
भाई अमित ! डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ और डा. अयाज़ आपस में मित्र हैं । तीनों के फोटो जनाब उमर कैरानवी साहब ने लिये और फ़ाइल नेम एक ही दे दिया । जब मैंने उनसे अपना फ़ोटो अपने ब्लॉग में अपलोड करवाया तो फ़ाइल नेम डा. असलम साहब का ही सेव हो गया । हम तीनों की रचनात्मक गतिविधियों का चर्चा आये दिन अख़बारों में भी छपता रहता है । देखें -


http://my.opera.com/sunofislam/blog/show.dml/6773421
भाई तारकेश्वर जी के साथ कभी आइयेगा तो आपको हम तीनों मिलेंगे और आपके हरेक सन्देह और भ्रम को दूर कर देंगे । महक जी, समेत आप भाइयों का मैं आभारी हूं ।

33 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

महाजाल ब्लॉग स्वामी ने मुझ पर झूठा आरोप लगाया कि
आप हमेशा नरेन्द्र मोदीए प्रज्ञाए तोगड़िया आदि को कट्टर और आतंकवादी बताते हो .
मैंने उन्हें कल चैलेंज किया कि



मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे मेरे किसी लेख का हवाला दें कि मैंने किस लेख में मोदी प्रज्ञा और तोगड़िया आदि को आतंकवादी कहा है



लेकिन उनकी बात में सच्चाई होती तो सुबूत देते । वे आये और अपनी झेंप मिटाने के लिए मेन मुद्दे पर बात न करके कम महत्व की बात पर नासमझी के साथ टिप्पणी देकर हंसे और चले गये ।
पता नहीं वे अपनी अक्ल पर हंसे या अपनी चालाकी पर ?
लेकिन मैं इतनी आसानी से उन्हें निकल भागने का मौक़ा हरगिज़ न दूंगा । या तो वे अपना इल्ज़ाम साबित करें या फिर भाई अमित की तरह वे भी अपनी ग़लती मानकर माफ़ी मांगे ।

Mahak said...

Jamaal Bhaii

Kripya mere blog par aayein aur apne sujhaav aur aashirvaad dein

Dhanyavaad

Ayaz ahmad said...

प्रेमपूर्ण समाज बनाने के लिए आपसी मनमुटाव को दूर करना बेहद ज़रूरी है । यह भी समाज को एजुकेटेड करने में ही आता है । ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ज्ञानी होए , कहा भी गया है । बल्कि इसका मर्तबा और ज़रूरत कुछ ज़्यादा ही है ।

Mahak said...

@ Ayaz bhaii

aap bhi mere blog par saadar amantrit hain, kripya aayein aur apni rai dein

Ayaz ahmad said...

भाई अमित ! डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ और डा. अयाज़ आपस में मित्र हैं । तीनों के फोटो जनाब उमर कैरानवी साहब ने लिये और फ़ाइल नेम एक ही दे दिया । जब मैंने उनसे अपना फ़ोटो अपने ब्लॉग में अपलोड करवाया तो फ़ाइल नेम डा. असलम साहब का ही सेव हो गया । हम तीनों की रचनात्मक गतिविधियों का चर्चा आये दिन अख़बारों में भी छपता रहता है भाई अमित ! डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ और डा. अयाज़ आपस में मित्र हैं । तीनों के फोटो जनाब उमर कैरानवी साहब ने लिये और फ़ाइल नेम एक ही दे दिया । जब मैंने उनसे अपना फ़ोटो अपने ब्लॉग में अपलोड करवाया तो फ़ाइल नेम डा. असलम साहब का ही सेव हो गया । हम तीनों की रचनात्मक गतिविधियों का चर्चा आये दिन अख़बारों में भी छपता रहता है

Mohammed Umar Kairanvi said...

सच कहा फोटू हमने ही लिये थे और हम वो जो लाखों के लिये झूठ न बोलें, करोडों के लिये कोई आजमा के देख ले

Anonymous said...

Kuran aaj ek Puranaa SAHITYA ho gayaa hai, Kuram aaj ke jamaane mein apni pahchan kho chuka hain, jaise, 2-3 din pahle saoudi arabiya mein 12 saal kii ladkii se 80 saal ke uske chacha budhhe NE sadii kii, ladkii talaaka CHAAHATI thii, lekin Mohammd Paigamber ne ladkii kii saadii ki umar 9 saal rakhii,
Matlab Pagamber ke kahane par saadii karenge . FATWA. Ab Saudi Arabia kii sarkaar ne 16 saal kii ladkii kii umar mein saadi ka kanoon ab banaaya hain. Saudi arabia kii sarkaar ne kaha--"Prophet’s marriage 14 centuries ago could not be used to justify child marriages today."


REAH WHOLE Article

http://epaper.timesofindia.com/Default/Scripting/ArticleWin.asp?From=Archive&Source=Page&Skin=TOINEW&BaseHref=CAP/2010/04/24&PageLabel=22&EntityId=Ar02201&ViewMode=HTML&GZ=T


Saudi court lets bride, 12, divorce 80-yr-old hubby


Dubai: In what could become a prelude to introduction of a minimum age for marriage in Saudi Arabia, a 12-year-old girl has won a divorce from her 80-year-old husband.
According to local reports, the girl was married to her father’s cousin last year against her wishes and those of her mother. The marriage was sealed with a dowry of 85,000 riyals and consummated.
The 12-year-old, with the help of Saudi government’s legal assistance, fought her case in a court in Buraidah, near Riyadh. The unusual legal challenge had generated international media attention and scrutiny of Saudi Arabia’s record of child marriages, and prompted the state-run Human Rights Commission to appoint a lawyer to represent her.
Based on the ruling, the commission has assembled three committees to examine the possibility of pushing for a legal minimum age for marriage of at least 16.
“The main aim is to not allow cases like this to happen again,” Alanoud alHejailan, a lawyer for the commission, said. “We feel that public opinion has changed on this issue. We want to gather all the public support we can for a minimum marriage age,” he added.
The case had sparked debate in Saudi Arabia, with some judges and clerics using Prophet Muhammad’s marriage to a nine-year-old girl as justification of child marriage.
However, in January Sheikh Abdullah al-Manie, a senior Saudi cleric, spoke out in defence of the girl, declaring that the Prophet’s marriage 14 centuries ago could not be used to justify child marriages today. ANI


Raj

सहसपुरिया said...

डा० साहब सलाम क़बूल कीजिए, अब क्या कॉमेंट दें ?
Next Time

सहसपुरिया said...

प्रेमपूर्ण समाज बनाने के लिए आपसी मनमुटाव को दूर करना बेहद ज़रूरी है । यह भी समाज को एजुकेटेड करने में ही आता है । ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ज्ञानी होए , कहा भी गया है । बल्कि इसका मर्तबा और ज़रूरत कुछ ज़्यादा ही है ।

सहसपुरिया said...

KEEP IT UP

Anonymous said...

Greate Litrature Taslima, Salman Rushdi have said to changes the Saria Book - Kuran

Kuran totaly lost its significance in today word, it should be ban, for safe of word, because of this Lakh people have lost there lives

Even thousand of muslim loosing there live every day , Kuran is the only book in word, which killing all religion people
Kuran is not the domocratic (Loktantrik) book. It forcefully and un-natually things to do. Most of the muslim countery have not the democracy, they bound the Saria Law

The Only Holy book which will remain value it is "VEDAS and , GEETA" For mankind, brotherhood, living with freedom these are the only book, which the remain the valuable
Whole word are reading VEDAS and GEETA and getting its benefits

Abdul Kalam used to read Every Morning Holy book GEETA

Raj



Raj

Anonymous said...

Why not india be a HINDU COUNTERY.
If Pakistan ,a iran iraq and saudi arabia, can be muslim coutery because they have more muslim people, India have more hindu ,then why not India?

Mr Anvar please answer?

I think india is not a HINDU COUNTERY, it is because of VEDAS, VEDAS teach us living with demeocratic, brother hood. Kuran is non-democratic so above countery are muslim countery

So VEDAS always be great , and good for whole word. Vedas does not say to hate to Chiristan and Yahoodi like kuran said

GREAT VEDAS
GREAT VEDAS


Raj

प्रवीण said...

.
.
.
लेख पर कुछ नहीं कहूँगा... अपनी आदत ही नहीं है पचड़े में पड़ने की.... :)

"भाई अमित ! डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ और डा. अयाज़ आपस में मित्र हैं । तीनों के फोटो जनाब उमर कैरानवी साहब ने लिये और फ़ाइल नेम एक ही दे दिया । "

परन्तु यह जरूर कहूंगा कि यहाँ पर सुधार कर... 'डा. अनवर जमाल , डा. अयाज़ अहमद और असलम कासमी आपस में मित्र हैं।'
... कर लें।

आभार!

Amit Sharma said...
This comment has been removed by the author.
merajkhan said...

भाई अजनबी क्या सीता जी की विवाह के समय आयु पता नही हम बताते है 6 साल

merajkhan said...

NICE लेख

merajkhan said...

अनवर भाई सलाम कबूल करे

Amit Sharma said...

जमाल साहब इक इन्सान के रूप में आप जितना भी प्रेम मेरे ऊपर बरसा रहे है ,वोह भी मेरे लिए कम है क्योंकि प्रेम कभी भी पूरा नहीं पड़ता हमेशा ज्यादा की चाहत बनी रहती है. आप के इस वात्सल्य का हार्दिक सम्मान करता हूँ. और इसे बनाये रखने की आशा रखता हूँ. यह उस परमात्मा की कृपा ही है की मैंने हमेशा अपने बड़ों का प्रेमाशिर्वाद प्राप्त किया है .

लेकिन एक मुद्दई के रूप में किसी मुद्दे पर सवालात करने, ज़वाब देने में और गैरवाजिब कारगुजारियों पर ध्यान दिलाने में मैं इन आपसी जज्बातों को तवज्जो ना दे पाउँगा.

डॉ.साहब बातों को मरोड़ना तो कोई आपसे सीखे जो आपको ब्लोगिंग में जन्म से पढ़ रहे है, उनको तो आप क्या बहलाएँगे, पर नए पढने वाले तो ये ही समझेगे की देखो कैसा शांति का मसीहा है, प्रेम गीत गा रहा है, और यह सुरेश जी कोई सांप्रदायिकवादी होगा जो अभी तक डॉ साहब की बेइज्जती करके भी माफ़ी नहीं माँगा और अमित कोई कमजोर आदमी होगा जो जल्दी माफ़ी मांग लिया,
जबकि उन्हें क्या मालूम की सुरेश जी कैसे देश द्रोही षड्यंत्र खोल रहे है, चाहे हिन्दू करे चाहे मुसलमान. और उनके जिन वक्तव्यों से मेरी बिलकुल भी सहमती नहीं है उनके लिए मैंने विरोध दर्ज करवाते हुए अपनी कमी स्वीकार की है जिसे आप अपने लिए मांगी गयी माफ़ी के रूप में प्रचारित कर रहे है .मैंने पहले भी पाठकों का ध्यान इस और दिलाया था की आप किसी बातको हमेशा सन्दर्भ से काट कर दिखाते है. ताज़ा उधारण आपने दे ही दिया, क्या कहू खुद हैरान हूँ .
तथ्य परक ज़वाब आपको आपकी हर तथ्यहीन बात पे देने की कोशिश की थी, और साथ साथ निवेदन करता चला था की समाज में साक्षरता बड़ाने वाले मुद्दों पे अपना श्रम लगाइए क्योंकि आज मुस्लिम समाज में साक्षरता दर काफी कम है, मेरे ही गाँव में ढाई-तीन सौ के लगभग आबादी में सिर्फ मेरा दोस्त हुसैन ही पोस्ट ग्रेजुएट है अब आप अंदाज़ा लगा सकते है प्रतिशत का,
ढाई आखर प्रेम के पढने की जरुरत सभी को है लेकिन इस बात का आह्वान भी क्या कोरे जज्बातों की तरह नहीं हो जायेगा ???? हाँ लेकिन दीनी तालीम ही अगर आपकी नज़रों में वास्तविक सिक्षा है और जीवन के अन्य पहलुओं का महत्व नगण्य है तो अलग बात है कोई क्या कर सकता है .
लेकिन फिर प्रचलित सिक्षा के आभाव से होने वाली कठिनाइयों को भी अपनी बुलाई हुई मानकर सहना भी चाहिये, और उनके कारण होने वाली कठिनाइयों से परेशान होकर हथियार भी उठाना गैरवाजिब है और आरक्षण माँगना भी और अल्पसंख्यको मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाना भी.
आशा है की आप कूटनीति छोड़कर आपसे मनमुटाव भुलाकर समाज में अशिक्षा की कुरीति को दूर करने का सत्प्रयास करेंगे और इसके लिए आप बड़े होने के नाते जो भी आज्ञा करेंगे यथाशक्ति पूरा करने का विश्वाश दिलाता हूँ .और बिना सुरेश चाचा जी से बात किया उनकी तरफ से भी पूर्णसहयोग मिलने की गवाही मैं देता हूँ.
आपने नाम वाली बात को साफ़ किया, धन्यवाद् ऐसी गलतफहमिया दूर होनी ही चहिये.

वन्दे ईश्वरम vande ishwaram said...

अच्छा लेख

Amit Sharma said...

ऊपर जहाँ "मेरे ही गाँव में ढाई-तीन सौ के लगभग आबादी में सिर्फ मेरा दोस्त हुसैन ही पोस्ट ग्रेजुएट है" आया है वहां "ढाई-तीन सौ की मुसिलम आबादी में " पढ़ें

वन्दे ईश्वरम vande ishwaram said...

अच्छा लेख

वन्दे ईश्वरम vande ishwaram said...

प्यार बाँटने मे यकीन रखो

Unknown said...

भाई अमित ने कहा -
1) डॉ.साहब बातों को मरोड़ना तो कोई आपसे सीखे…
2) नए पढने वाले तो ये ही समझेगे की देखो कैसा शांति का मसीहा है, प्रेम गीत गा रहा है, और यह सुरेश जी कोई सांप्रदायिकवादी होगा जो अभी तक डॉ साहब की बेइज्जती करके भी माफ़ी नहीं माँगा और अमित कोई कमजोर आदमी होगा जो जल्दी माफ़ी मांग लिया…
3) जबकि उन्हें क्या मालूम की सुरेश जी कैसे देश द्रोही षड्यंत्र खोल रहे है…
4) मैंने विरोध दर्ज करवाते हुए अपनी कमी स्वीकार की है जिसे आप अपने लिए मांगी गयी माफ़ी के रूप में प्रचारित कर रहे है…
5) मैंने पहले भी पाठकों का ध्यान इस और दिलाया था की आप किसी बातको हमेशा सन्दर्भ से काट कर दिखाते है…

अमित भाई, आपको बड़ी देर बाद इनका असली चेहरा, फ़ितरत और हरकत दिखाई दिये… जबकि मुझे पहले दिन से ही पता थी। खैर अमित भाई, देर आयद दुरुस्त आयद… ये साहब मुझे चैलेंज फ़ेंक रहे हैं जबकि मेरे चैलेंज का आज तक जवाब नहीं दिया कि "कुर-आन की बुराई करने वाले मेरे लेख बतायें… जिसमें मैने अपनी तरफ़ से कोई बात कही हो…"
तो तात्पर्य यह है अमित भाई कि डॉक्टर साहब को तो मैं समझा नहीं सकता… लेकिन तारकेश्वर जी अब इन्हें अच्छी तरह "समझ" गये अब आप भी "समझ" गये, और मुझे क्या चाहिये… मेरा प्रयास तो यही था…।

जमाल साहब ने खुद कह दिया कि ये मुझसे नफ़रत करते हैं… आगे कुछ कहना बेकार ही है…। अतः अन्त में अमित भाई, तारकेश्वर जी और महक जी तीनों का शुक्रिया… आप तीनों ने वाकई बहुत वक्त ज़ाया किया है जमाल साहब पर, लेकिन "जो सोने का नाटक कर रहा हो, उसे जगा पाना नामुमकिन है…" :)

Anonymous said...

@ merajkhan
Are bhai vedo me to ye nahi likha ti tum 6 saam mein saadi karo, jaise kuran me likha ti saadi 9 saal mein karo

How funny.....

Amit Sharma said...

समझे समझाए थे तभी तो इतनी मेहनत करनी पड़ रही थी की कही कोई इनकी बात को सही ना मान ले, नहीं तो हम भी लिख देते NICE पोस्ट

Ayaz ahmad said...

@अमित जी देशद्रोह तो सामप्रदायिकता को बढ़ावा देना है जो सुरेश जी बखूबी कर रहे है

Ayaz ahmad said...

इन कथित राष्ट्रवादियो का राष्ट्रवाद अब सबके सामने आ चुका है आप भी आँखो पर से परदे को उतार फेँके

merajkhan said...

बाल्मीकि रामायण ( अरण्य कांड , सर्ग 47 , ‘लोक 4,10,11 ) के अनुसार विवाह के समय माता सीता जी की आयु मात्र 6 वर्ष थी ।


माता सीता रावण से कहती हैं कि


‘ मैं 12 वर्ष ससुराल में रही हूं । अब मेरी आयु 18 वर्ष है और राम की 25 वर्ष है । ‘


इस तरह विवाहित जीवन के 12 वर्ष घटाने पर विवाह के समय श्री रामचन्द्र जी व सीता जी की आयु क्रमशः 13 वर्ष व 6 वर्ष बनती है ।

Rituparn said...

अरे भाई लेकिन ऐसा तो नहीं था ना की दादा समान खसम और पोती समान बीवी या फिर माँ की उम्र की बीवी और जवान बेटे सा खसम

Rituparn said...

अरे भाई लेकिन ऐसा तो नहीं था ना की दादा समान खसम और पोती समान बीवी या फिर माँ की उम्र की बीवी और जवान बेटे सा खसम
राम-सीता में तो सिर्फ 6 साल का अंतर है जो तो कोई अनहोनी नहीं है, ज्यदा तूफान खड़ा करने की कोसिस मत करो अभी फिर तुम उलटे सीदे नामो से लिकते ओ फिर कोई पचड देगा तो चिल्लाओगे, डेको मानी सुरोअत नहीं की है , डागदर जी सब समजते है हम

DR. ANWER JAMAL said...

आर्य वीर मिस्टर राज मुरादाबादी ! क्यूँ सीता जी की शादी या वेद में बाल विवाह का मसला उठा रहे हो ? मैं सिर्फ सतीश जी की खातिर आपको जवाब नहीं दे रहा हूँ वरना मैं आपको बताता कि वेदों में क्या है ?

Taarkeshwar Giri said...

My Dear Beta Anwar ya to aap Blogging Band kar de ya faltu tippdi karne walo par rok laga de. nahi to anjam fir wahi hoga jo sab nahi chahte.

DR. ANWER JAMAL said...

@ गिरी जी ! पहले अपने बच्चों का डी एन ए टेस्ट करवा कर देखें ! फिर अपने बाप को बेटा कहने की कोशिश करें .
@ राजबीर ! डॉक्टर अज्ञात का लेख 'बाल विवाह' देखें . पुस्तक - क्या बालू की भीत पर खड़ा है हिन्दू धर्म ? पेज , ५६५ .