सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Tuesday, April 6, 2010

अब आप तय करेंगे कि हिन्दी ब्लॉगिंग की दिशा भविष्य में क्या होगी ? Change ?

आदरणीय सतीश सक्सेना जी !
मैं आपके लिए पालनहार से वैसी ही दया और अनुकम्पा की कामना करता हूं जैसी कि स्वयं अपने लिए । आदरणीय शब्द मैं किसी के लिए तभी यूज़ करता हूं जबकि उसके लिए मैं अपने दिल में सचमुच आदर का भाव पाता हूं ।
जिनके वुजूद से मुझे घिन आती है उसे भी मैं साफ़ ज़ाहिर करता हूं और जिन्हें प्रताड़ना का पात्र समझता हूं उन्हें प्रताड़ित भी करता हूं ।
पठान आदमी हूं , चापलूसी करना या अल्लाह के अलावा किसी से डरना कभी सीखा नहीं । आपके लिए मेरे मुंह से निकले हुए अल्फ़ाज़ मेरे दिल के तर्जुमान हैं और खुदा गवाह है कि आपका नाम लिखते वक्त मेरी आंखों में आंसुओं के नन्हे से क़तरे थिरक रहे हैं ।
क्यों थिरक रहे हैं ?
आखि़र इस क़हतुर्रिजाल अर्थात इनसानों के अभाव के दौर में , मुसलमानों से नफ़रत करने को ज़माने का दस्तूर बन जाने के दौर में कोई एक आदमी तो है जिसे नफ़रत ने अभी तक अन्धा नहीं बनाया है , जिसके दिल में मुहब्बत और हमदर्दी है , जिसका ज़मीर ज़िन्दा है । जो अमन और सुकून की फ़िज़ा बनाना चाहता है , न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि सबके लिए । आप जैसे आदमी को मैं क्या जवाब देता ?
और क्यों जवाब देता ?
शफ़ीक़ और मेहरबान बुज़ुर्गों को जवाब देने की कोई परम्परा हमारी कभी नहीं रही ।
मेरे आने से पहले भी इस हिन्दी वेब संसार में पालनहार प्रभु और उसके दीन की मज़ाक़ उड़ायी जा रही थी । कुछ लोग समझा भी रहे थे लेकिन संगदिल बद्दीन तो यह समझ रहे थे कि तुम में तो कमियां हैं नहीं और अगर होंगी भी तो उन्हें कहने के लिए इतना बड़ा कलेजा लाएगा कौन ?
और किसी ने साहस किया भी तो उसे पंजीकरण देगा कौन ?
और किसी ने दे भी दिया तो हम दबाव डालकर कैन्सिल करवा ही देंगे लेकिन उनकी हरेक ख्वाहिश धूल में मिल गई ।
दुनिया परिवर्तनशील है ।
यह वेब दुनिया भी अब पहले जैसे नहीं रही । ख़ास तौर से मेरे यहां आने के बाद
हरेक आदमी जिन मान्यताओं के तहत जीवन गुज़ारता है उन्हें आदरणीय मानता है और चाहता है कि दूसरे भी उनका आदर करें या कम से कम निरादर तो न करें ।
हरेक आदमी जिस भी ग्रन्थ में आस्था रखता है , चाहता है कि समाज के अन्य वर्ग भी उसका आदर करें और उसकी कल्याणकारी शिक्षाओं को जानें या फिर कम से कम उस का निरादर तो न करें , उसका मज़ाक़ तो न उड़ायें ।
हां , कोई चीज़ समझ में नहीं आ रही है तो आदरपूर्वक सवाल करने में कोई हर्जा नहीं है । तब भी न समझ में आये तो मत मानिये उसे लेकिन जो उसे सही समझ रहा है उसे चलने दीजिए उस पर । अपने सही ग़लत अमल का नतीजा भी तो उसे ही भोगना है । आप उसका भला चाहते हैं तो उसके सामने प्यार से सत्य रख दीजिए । समझ जाए तो ठीक है और न समझे तो भविष्य भी उसी का प्रभावित होगा ।
भारत जैसे सांस्कृतिक बहुलता वाले देश में तो इस रीत के अलावा कोई दीगर रास्ता ही नहीं है । सभी लोग समान मानवीय मूल्यों का पालन करें जो कि प्रायः सभी के ग्रन्थों में पाये जाते हैं और जो बिन्दु अलग अलग हैं उनपर इस रीति से विचार करें कि दूसरा आहत न हो । मुल्क के क़ानून का सम्मान भी हो और उसका पालन भी हो और अगर वतन की हिफ़ाज़त की ख़ातिर अपना या दूसरों का ख़ून भी बहाना पड़े तो उसमें भी कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिये ।
मेरा यह विचार पहले से ही है । आज तो मैं उसे सिर्फ़ दुहरा रहा हूं ।
लेकिन यह सिर्फ़ मेरे अकेले के मानने से ही तो सम्भव न हो पाएगा । इसके लिए तो सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा । सभी प्रबुद्ध लोग आज यहां इकठ्ठा हैं । मिलकर ब्लॉगर्स के लिए आदर्श नियमावली तय कर लीजिये ।इन्शा अल्लाह मैं उसका पालन करूंगा लेकिन दूसरों के द्वारा भी उसका पालन होते देखना पसन्द करूंगा । अन्यथा यदि कोई मेरी परम्पराओं में ज़बर्दस्ती खोट निकालने की कोशिश करेगा तो उसे उचित रीति से समझाना मेरी ज़िम्मेदारी भी है और मेरी मजबूरी भी । फिर मैं न तो उम्र देखता हूं और न ही लिंग और न ही अपना पराया । मेरे अधिकतर लेख इन्हीं आलोचकों के उत्तर में लिखे गए हैं । मैं किसी के ब्लॉग पर आज तक आपत्ति करने नहीं गया ।
पूरे नवरात्र गुज़रे लेकिन मैंने किसी एक भी देवी के बारे में कुछ नहीं लिखा क्योंकि मैं खुद एवॉइड की पॉलिसी पर चलता हूं । पानी जब हद से ही गुज़रने लगता है तो फिर मजबूरन ग़लतफ़हमी दूर करनी पड़ती है ।
इस ब्लॉग जगत में मुझ जैसा कौन होगा ?
जिसने आज तक अपने विरोधियों के उन कमेन्ट्स को भी डिलीट नहीं किया जिनमें उन्होंने मेरे खुदा और पैग़म्बर को गालियां दे रखी हैं ताकि हरेक को पता चलता रहे कि मेरे लेख किन लोगों का जवाब हैं ?
मेरा लहजा तल्ख़ हो सकता है लेकिन मेरा क़ौल झूठा नहीं होता ।
बहरहाल , मेरे प्रकाशित लेखों में यदि कुछ आपत्तिजनक लगता है तो मुझे प्रमाण दे दीजिए , मैं उसे अंशतः या पर्र्णतः हटा दूंगा । किसी के पास प्रमाण भी नहीं है तो भी मैं उसे कहने भर से ही अपने भाईयों के आदरवश भी हटा दूंगा ।
लेकिन मैं भी बदले में अपने लिए ऐसा ही सम्मान देखना चाहूंगा ।
हटा दीजिए इसलाम के खि़लाफ़ हरेक अनुचित सामग्री और आकर मुझसे जो चाहे वह डिलीट करवा दीजिए । आपको अमन पसन्द है तो आप मुझे भी अपने से बढ़कर अमनपसन्द पाएंगे , इन्शा अल्लाह ।
इसलाम के तो धात्वर्थ में ही सलामती निहित है ।
यह है आपको मेरा जवाब । मैं हरेक को एक सा जवाब नहीं देता ।
अब आप तय करेंगे कि हिन्दी ब्लॉगिंग की दिशा भविष्य में क्या होगी ?
और अब आप यह भी जान लेंगे कि दुर्भावना और वैमनस्य फैलाने वाले तत्व वास्तव में कौन हैं ?

39 comments:

Jandunia said...

जमाल साहब हम आपके विचारों की कद्र करते हैं।

DR. ANWER JAMAL said...

@Buzurgwar main bhi aap jaise qadrdanon ke do meethe bol ka hi bhuka hun .
Shukriya .

अविनाश वाचस्पति said...

हम सब मानव हैं

इंसानियत में कोई किसी से कम नहीं है

सतीश जी की सक्‍सेस

अनवर जी का जमाल है

इंसानियत आज हुई मालामाल है

अच्‍छी अच्‍छी बातें सभी बतलायें

बुरी बातों को जुबां या कलम पर

तनिक भी न लायें तो

मानवता को बुलंदी पर पहुंचा पायेंगे

मानवजाति के मनभावन परचम लहरायेंगे।

Anonymous said...

baat to sahi kahi hai aapne...bahut gandgi faila rahe the kuch log blogjagat me,abhi bhi samajhe nahi hain sahi se, inhone to bas sikke ka 1 pahalu hi dekha hai aur dusra pahalu ye dekhna nahi chahte hai.gyan se allergic hain yeh log.

DR. ANWER JAMAL said...

@ अविनाश वाचस्पति अच्छी माँ का लाल है .
नेक दिल है , इंसानियत से मालामाल है .
क्यों ठीक है ना ?

Satish Saxena said...

"चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख,
जिससे घर का सम्मान बढ़े ,
कुछ कागज काले कर ऐसे,
जिससे आपस में प्यार बढ़े
रहमत चाचा के क़दमों में
बैठे पायें घनश्याम अगर,
तो रक्त पिपासु दरिंदों को,नरसिंह बहुत मिल जायेंगे !

अनजान शहर सुनसान डगर
कोई साथी नज़र नही आए
पर शक्ति एक दे रही साथ
हो विजय सदा सच्चाई की
कुछ नयी कहानी ऐसी लिख
जिससे मन सबका नाच उठे,
मानवता के मतवाले को, हमदर्द बहुत मिल जायेंगे !

कुछ तान नयी छेड़ो ऐसी
झंकार उठे, सारा मंज़र,
कुछ ऐसी परम्परा जन्में ,
हम ईद मनाएँ खुश होकर
होली पर, मोहिद रंग खेलें
गौरव हों दुखी ! मुहर्रम पर
इस धर्मयुद्ध में संग देने, सारथी बहुत मिल जायेंगे !

वह दिन आएगा बहुत जल्द
नफरत के सौदागर ! सुनलें ,
जब माहे मुबारक के मौके,
जगमग होगा बुतखाना भी
मुस्लिम बच्चे, प्रसाद लेते
मन्दिर में , देखे जायेंगे !
तू प्यार सिखा इन बच्चों को!हमराह बहुत मिल जायेंगे !

ये जहर उगलते लोग तुम्हे
आपस में, लड़वा डालेंगे ,
ना हिन्दू हैं,ना मुसलमान
ये मानवता के दुश्मन हैं
पहचान करो शैतानों की,
जो हम दोनों के बीच रहें
तू आँख खोल!पहचान इन्हें,जयचंद बहुत दिख जायेंगे !"

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

दिल से बातें हो रही है...बहुत अच्छा लगा....
.

DR. ANWER JAMAL said...

@Murari ji aaj apka link kahan hai ?

DR. ANWER JAMAL said...

@भाई साहसपूरिया देखो खास आपके लिए लिखा है मैने . कैसा लगा ? http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/04/pan-ke-desh-me.html

Unknown said...

pyaar zindgi hai
bas itnaa samajhna hai

Ayaz ahmad said...

वाह अनवर भाई आपने तो अचानक माहौल ही बदल दिया सचमुच आप बहुत बड़ा दिल रखते हैँ लेकिन ये घटिया लोग इतना बड़ा दिल कहाँ से लाऐगेँ ये अपना ग़लत आचरण नही बदलेगेँ और अपना घटियापन जारी रखेगेँ

Mohammed Umar Kairanvi said...

गुरू जी आपने यह अच्‍छी बात रखी कि 'हटा दीजिए इसलाम के खि़लाफ़ हरेक अनुचित सामग्री और आकर मुझसे जो चाहे वह डिलीट करवा दीजिए' यह और कह देते अन्‍यथा अभी ब्‍लागजगत ने मेरा न गुस्‍सा देखा है न मेरा हंसना देखा है

Anonymous said...

नाईस पोस्ट

सहसपुरिया said...

Dr.SAHAB BAHUT SHUKRIYA IS ZARRANAWAZI KE LIYE.

सहसपुरिया said...

डा० साहब, आपके बारे मैं ये कथित ''बुद्धिजीवी'' नही जानते कि आप कितने संयम वाले हैं, इनकी यही कोशिश होती है उल्टी बातें करके आपके सब्र का इम्तिहान लें. इन लोगो का इक ही अजेंडा है इस्लाम को बुरा कहो और मशहूर हो जाओ.

सहसपुरिया said...

''गिरे'' हुए की टिप्पणी नही आई

सहसपुरिया said...

कोई मेरी परम्पराओं में ज़बर्दस्ती खोट निकालने की कोशिश करेगा तो उसे उचित रीति से समझाना मेरी ज़िम्मेदारी भी है और मेरी मजबूरी भी । फिर मैं न तो उम्र देखता हूं और न ही लिंग और न ही अपना पराया .
SUBHAN ALLAH

प्रवीण said...

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आदरणीय डॉ० अनवर जमाल साहब,

बहरहाल , मेरे प्रकाशित लेखों में यदि कुछ आपत्तिजनक लगता है तो मुझे प्रमाण दे दीजिए , मैं उसे अंशतः या पर्र्णतः हटा दूंगा । किसी के पास प्रमाण भी नहीं है तो भी मैं उसे कहने भर से ही अपने भाईयों के आदरवश भी हटा दूंगा । लेकिन मैं भी बदले में अपने लिए ऐसा ही सम्मान देखना चाहूंगा ।

हटा दीजिए इसलाम के खि़लाफ़ हरेक अनुचित सामग्री और आकर मुझसे जो चाहे वह डिलीट करवा दीजिए । आपको अमन पसन्द है तो आप मुझे भी अपने से बढ़कर अमनपसन्द पाएंगे , इन्शा अल्लाह ।


अच्छा लगा पढ़कर, अघोषित 'धर्मयुद्ध' की समाप्ति का उद्घोष माना जाना चाहिये इसे !

वैसे मुझ से पूछा जाये तो जैसा चल रहा है उसमें भी मुझे तो कोई आपत्ति नहीं, सच पूछिये तो धर्म संबंधी मुद्दों पर ब्लॉगवुड में चल रही बहस-झड़प ने विभिन्न धर्मों के प्रति मेरी समझ बढ़ाई ही है और ईश्वर व धर्म को उसके उचित संदर्भों व परिप्रेक्ष्य में देखने का मौका भी मिला है मुझे...

एक बात पर तो मैं दॄढ़ हूँ कि ब्लॉगों में वही कुछ लिखा जा रहा है जो लोगों के दिमाग में चल रहा होता है अत: इस मामले में ब्लॉग का योगदान बहुत बड़ा है कि पहली बार बिना संपादक के सेंसर के Fresh, Raw & Uninhibited विचार धारा बह रही है यहाँ पर, और मैं ब्लॉग के इस चरित्र को मिटते नहीं देखना चाहता ।

अब जब बात चली ही है तो मुझे यह मानने में कोई भी हिचक नहीं है कि दूसरे के धर्म के बारे में जो उद्धरण या उदाहरण आदि आप देते हैं वह अधिकांश सही होते हैं परंतु उग्र प्रतिक्रियायें महज इसलिये आती हैं कि एक 'मुसलमान' ऐसा कह रहा है ।

अपनी बात समाप्त करूंगा एक "स्वघोषित संशयवादी" की इस प्रार्थना के साथ...

"O God, if there is a God, save my soul if I have a soul."

(Ernest Renan / 1823-1892)

Satish Saxena said...

डॉ अनवर जमाल के उपरोक्त शब्द उनकी तकलीफ बयान करते हैं , जहाँ तक मेरा सवाल है मुझे हमेशा यकीन था कि आप ऐसे ही होंगे ! उनके लम्बे और तकलीफ देह लेख का जवाब इस एक प्रष्ट में नहीं दिया जा सकता ! हिन्दुस्तान के दूसरे बेटे की तकलीफ हमें समझनी होगी और बहुमत को सामने आना ही होगा इनको यह अहसास कराने के लिए कि आप हमारे अपने हो ! हर कौम में कुछ ऐसे लोग हैं जो दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोच पाते और न अपनी कही बातों के असर को ही जानते हैं ! सवाल यह है कि आपको जवाबी नफरत लिए कौन मजबूर कर रहा है ??

वे लोग जो ताउम्र अपनी कौम को सर्वश्रेष्ठ मानकर जीते हैं मगर दूसरों की आस्थाओं का भी सम्मान उतना ही करते हैं जितना अपनी आस्थाओं का ?
वे लोग जो अपनी घटिया हरकतों के कारण समाज में इज्ज़त नहीं ले पाते और "धर्म बचाओ अभियान " में नेतृत्व देने की जबरदस्ती कोशिश कर रहे हैं ?
वे लोग जो अपनी आस्थाओं पर चोट कर रहे कुछ विद्वान् मूर्खों को पूरी कौम का प्रतिनिधि, मानकर तिलमिलाहट स्वरुप पुरी कौम का ही अपमान करने की कोशिश करते हैं ?
विध्वंसक लोगों की हरकतों का उसी भाषा में जवाब देने अगर विद्वान् लोग आगे आयेगे तो नतीजा बेहद ख़राब होगा !
ब्लाग जगत में विभिन्न मानसिकताओं के लोगों से टकरा जाना एक आम बात है ! जहाँ यहाँ कुछ साधू, संत ,साध्वी, लोग कार्यरत हैं वहीं मंथरा , ब्रह्मराक्षस ,शैतान और जिन्नों का मिलना आम हैं जो इस आभासी जगत में उन्मुक्त महसूस करते हुए ,अपने सही रूप में विचरण करते हैं और आचरण भी इनकी प्रकृति अनुसार ही होता है !

विभिन्न कारणों से समाज से तिरस्कारित लोगों की समाज की रक्षा में दिलचस्पी क्यों होगी ? ब्लाग जगत में विभिन्न नामों से विचरण करते यह कायर लोग अपने जहरीले विचार लगातार प्रसारित कर रहे हैं !
सम्मान पाने के लिए आभासी जगत में घूमते ये असम्मानित लोग चारो आर भीड़ इकट्ठी करने के लिए , किसी का भी मज़ाक उड़ाते देखे जा सकते हैं ! अफ़सोस यह है कि सह्रदय और सीधे सादे लोग उनमें भी नेतृत्व की तलाश करना शुरू कर देते हैं !
यह असामाजिक तत्व हर समाज में हैं, ये हिन्दू मुसलमान ईसाई कुछ भी हो सकते हैं ! इनका उद्देश्य मात्र किसी भी अच्छे व्यक्ति पर गन्दगी उछालने की कोशिश कर अपने चारो ओर भीड़ इकट्ठा करना मात्र है ! ऐसे लोगों को कितनी इज्ज़त मिलनी चाहिए ? कहीं हम इनको महत्व देते हुए, इनका मकसद तो पूरा नहीं कर रहे ?

Shah Nawaz said...

अनवर भाई, आपने वास्तव में बिलकुल सही लिखा है. मुझे अहसास हो रहा है जैसे यह मेरा ही दर्द है. मेरी मुलाकात कुछ आर्य समाजी भाइयों से हुई थी, उनसे बातचीत करने में आपकी जैसी ही पीड़ा को मैंने भी काफी सहा है. उनको हर पहलु बहुत ही सरल भाषा में उनके सवालों के जवाब दिए परन्तु उन्हें समझ में नहीं आए या हो सकता है कि उन्होंने समझना ही नहीं चाहा और जवाब में भद्दी भाषा का प्रयोग किया. बहुत मशहूर कहावत है, कि सोते हुए को तो जगाया जा सकता है, परन्तु उनको जगाना मुश्किल है जो सोने का नाटक कर रहे हों.

Shah Nawaz said...

परन्तु मैंने संयम और सहनशीलता का सहारा लिया. यह गुण मेरे अन्दर मेरे गुरु हज़रात मुहम्मद (स.) से आए हैं और मेरे घर के माहौल ने मुझे अच्छा इंसान बनने की कोशिश सिखाई है. कोशिश में लगा रहता हूँ, उम्मीद है एक दिन अपने अन्दर की बुराइयों पर पार पा लूँगा. आपसे भी विनती है, कि जब तक बहुत अधिक आवश्यक न हो संयम का दामन ना छोड़े.

Satish Saxena said...
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Satish Saxena said...
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Satish Saxena said...

डॉ अनवर जमाल ,
यहाँ पर कोई तंगदिल आकर, अगर कोई आप लोगों की भावनाओं का मज़ाक उडाता है तो उसके कमेंट्स छाप दें और उसे कुछ न कहें तो निश्चित ही आपका मान होगा लोग आपका नाम इज्ज़त से ही लेंगे ! आप अपनी मान्यताओं की खूबियों को दुनिया को बताएं और लोगों का मार्गदर्शन करें ! बहुतों को इस्लाम के बारे में या हिन्दू धर्म की खूबियों का नहीं पता, बिना किसी को अपमानित कहे बिना अपनी बात कहें तो क्या कुछ भी सुधार न होगा ? आप जैसे विद्वान् पथ प्रदर्शक भी होते हैं जिनके दिल में बेहद प्यार होता है , आपसे अनुरोध है कि सबका उचित मार्गदर्शन करें !क्रोध में अथवा रंज में जो कुछ हुआ उसके बारे में भी अवश्य लिखें ! एक दिन लोग आपको समझेंगे , ऐसा मेरा विश्वास है !

मेरा धर्मं कहता है कि किसी का दिल न दुखाया जाये और हर धर्म का समानता के आधार पर सम्मान किया जाये ! जानबूझ कर किसी के ह्रदय को ठेस पंहुचने से बड़ा पाप और कोई नहीं हो सकता , और मैं महसूस करता हूँ कि कुछ लोग आपस में शक और वैमनस्यता फ़ैलाने का घ्रणित कार्य कर रहे हैं !

मैं सबका प्रतिनिधि होने का दावा नहीं कर सकता अतः सबकी तरफ से न सही पर आपका और हमारे अन्य मुस्लिम भाइयों का दिल चाहे जिसने भी दुखाया हो , मैं आपसे दिल से दुखी होते हुए, बिना शर्त माफ़ी मांगता हूँ ! आशा है रंजिश भुला कर गले मिलने के लिए अपनी बाँहें खोलेंगे !

सादर, आपका ही
सतीश सक्सेना
http://satish-saxena.blogspot.com/2010/04/blog-post_07.html

Pratul Vasistha said...

अनवर जमाल जी,
नमस्ते, आपके लेख को अभी पढ़ा. लेख में भावुक कर देने की अद्भुत क्षमता है. जबरदस्त ईमानदारआना प्रवाह है.
यदि कुछ आपके लेखों में आपत्तिजनक है वह मात्र लिखने की भावना है. आप जो लिखते हैं तार्किक होता है लेकिन उन तर्कों में वजन नहीं होता. वह बच्चों के द्वारा हल किये प्रश्नों जैसा होता है.
आप प्रायः धर्मशास्त्रों पर कलम चलाना पसंद करते हैं. अच्छी बात है. आप जिस धर्म के मानने वालों के पीछे पड़े हैं मैं भी उनके पीछे पडा रहता हूँ. क्योंकि मैं जिसे पसंद करता हूँ, जिसका हित चाहता हूँ उसमे कतई दोष देखना नहीं चाहता. हम दोनों के लेखों में अंतर मात्र भावना का है. स्थूल अंतर कुछ और भी होंगे ...
— आओ मिलकर समाज में आयी गंदगी दूर करें. लेकिन शुद्ध भावना के साथ।
— इस्लाम के प्रति दुर्भावना कतई नहीं, लेकिन मुसलमान के प्रति क्यों?

— वैसे इस सवाल का ज़वाब आप भी जानते ही जोंगे। इस्लाम का धात्वर्थ यदि "सलामती" है। तो उसे "सबकी सलामती" होना चाहिए। या फिर उसे स्पष्ट किया जाना चाहिए कि "यह सलामती किन लोगों की सलामती" का अर्थ देती है।

— इतिहास और वर्तमान कि आतंकिया वारदातों में जिनका भी नाम आता है उनमे सबसे पहले कौन लोग दर्शाए जाते हैं। आप भी जानते होंगे। यही डर आपको रहता होगा कि मुझे भी उन्ही में न समझ लिया जाये। फिर भी आपकी तरफ से इन दहशत गर्दियों के खिलाफ कोई ठोस टीका-टिपण्णी नहीं की जाती। तब ज़हन में एक सवाल आता है कि

" यदि पाकिस्तान भारत पर आक्रमण कर उसे जीतकर अपने अधीन कर ले, तब क्या भारतीय नागरिकता प्राप्त भारतीय मुसलमान विदेशी शासन के विरुद्ध सक्रीय भूमिका निभायेंगे? "

वैसे तो देशद्रोह करने वाले किसी भी मज़हब को मानने वालों में मिल जायेंगे।

लेकिन हमें एक बिरादरी विशेष से ज़्यादा सतर्क रहने की आवश्कता बन पड़ी है। कई वर्षों से यह प्रश्न यथावत मन में अपनी जगह बनाए है, कोई विश्वसनीय उत्तर दे तो लगे कि देश का कुछ बिगड़ने वाला नहीं, देश की एकता व सुरक्षा के लिए एक मज़बूत दीवार भीतर बनी खडी है।

Mohammed Umar Kairanvi said...

गुरू जी नास्तिक नम्‍बर 1 और 2 का इन्‍तजार किजिये और ध्‍यान दिजिये नास्तिक 3 कहता है 'ब्लॉगवुड में चल रही बहस-झड़प ने विभिन्न धर्मों के प्रति मेरी समझ बढ़ाई ही है और ईश्वर व धर्म को उसके उचित संदर्भों व परिप्रेक्ष्य में देखने का मौका भी मिला है मुझे'

वैसे एक नम्‍बर तो इस लिये नहीं आयेगा कि फिर उसके ब्‍लाग में लगे कटोरे में कोई खेरात नहीं डालेगा, नास्‍तिक नम्‍बर 2 आप बताओ आयेगा या नहीं?

Satish Saxena said...

@प्रतुल,
ऐतिहासिक कारणों से पाकिस्तान में भारतीय मुस्लिम के रिश्ते नाते हैं और होते रहेंगे अफ़सोस है कि हम लोग अपने नज़रिए से, इस सवाल का हल ढूँढ़ते समय, हमेशा गलत जगह पर पहुँच कर खुश होते हैं ! यह शर्मनाक है !
मुझे पूरा विश्वास है कि इसी पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति होने पर हर मुस्लिम अपनी मिटटी का साथ वैसे ही देगा जैसा हिन्दू देते हैं ! इसका गवाह भी इतिहास है !

Anonymous said...

गुरूजी मेरी पोस्ट -

गांधीजी ने अलग मुस्लिम राज्य के विचार का समर्थन किया यानी वे पाकिस्तान का निर्माण होने के लिए जिम्मेदार हैं !

पर HINDU TIGERS ने कहा…
शायद आपको मुसलिम मानसिकता सही ज्ञान नहीं ।आपके लिए ही हमने नकली धर्मनिर्पेक्षता नामक पुस्तक लिखी है जरा वक्त निकाल कर पढ़ लें फिर इस विषय पर बात करें क्योंकि अज्ञान मनुष्या का सबसे बढ़ा शत्रू है।

कृपया आप इसका उत्तर देदीजिए !

! अनन्य बुद्धि जीवियों से अनुरोध है की वे भी अपनी प्रतिक्रिया दें ! - http://meradeshmeradharm.blogspot.com/

!!!!!!!!!!!!!!!!! बस एक ही धुन जय-जय भारत !!!!!!!!

Admin said...

जमाल साहब, ब्लोगिंग की घटिया बस्ती से दूर रहना ही फायदेमंद है... हिंदी ब्लोगिंग कों गंदगी से बचाने का यही तरीका है की इन नामुराद धर्म के कथित ठेकेदारों कों नज़रअंदाज कर दें

Man said...

JAMAL bhai shuru shuru me aapke lekh aapti janak the ab sudhaar aarha he.......

aahat said...

डूब्यो वंश इस्लाम को, उपज्यो पूत जमाल
अब तो सूझत कछु नहीं,बके आल-जंजाल

Man said...

chacha photo me ro kyo rahe ho....bhavook ho kya ..yaa kisi ne galee bak dee????/

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

ये स्वतंत्र और बेलगाम मीडिया है. यहाँ कोई किसी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है (ना ही ठीक ढंग से कर सकता है)
जब आपने शुरू में ठान लिया है की मैं इसी प्रकार ब्लोगरी करूँगा, फिर आप सफाई क्यों दे रहे हैं. जैसे की मैंने आपको पहले ही कमेन्ट किया है मैं वही पोस्ट पढूंगा और टिप्पणी करूँगा जहाँ मुझे राष्ट्र विकास और चिंतन की बात नज़र आएगी... बाकी सब बेमानी साबित हो जाता है. इतिहास गवाह है.

बेहतर है प्रतिक्रियों के कु-प्रभावों से बचा जाये. अब मेरा तो एक ही मत है.... राष्ट्र जागरण धर्म हमारा... हमारा संविधान ही हमारा धर्म ग्रन्थ है.

हमने पहले भी कहा है अपनी ऊर्जा साकारात्मक चिंतन में लगाएं, सहयोग का वादा पहले ही कर चूका हूँ. आगे बहुत से लोग लाभान्वित होंगे.

lalit bhamare said...

Hi,
aap jo bhi koi ho. main aapko nahi jaanta.
lekin aapka blog padhkar kuch baate aapse zaroor karna chahta hoon.
acchi baat he ke aapne hindu ved , purano ka abhyas karneme dilchaspi dikhayi.
ho sakta he ke me bina acchi tarah se jane ya sahi dhang se aapke blog padhe bagair aapna koi mat bana raha hoon, lekin jahatak mene padha , osse muze yahi pratit huwa ke aap Ved, purano me kamiya dikhana chahte he.
mera aapse ek vinamra sawal he.
Kya kisi bhi ISLAMIK vidwan ka basss yahi maksaad he ke wo baki dharmo ke tatvo ko galat batakar ISLAM kitna shretha he ye batata fire?
mene Dr. Jakir Naik ke me programs dekhe he. unka bhi swabahv aaisahi he.
Kya ISLAM ke prachar ke alawa ISLAM kuch or nahi sikhata??
Ved, Purano ka bhyas karne ke wajaye aap jaise widwan log ISLAM ke andar bassi huwi kamiyo ka abhyas q nahi karte?
q apne kom le logoka margadarshan nhi karte? Unka Education, rehen sehan, sanskar bhoot sari cheeze he dhyan dene keliye.
ISLAM aaaj bhi baki Dharmo ke barabari me itna Pragat nahi he.....kya ye baat aapko pareshan nhi karti?
Nareeee pe hone wale atyachar, unka atmasamman, respect, izzat , ek insaaaaaaaaaaan hokar bhi ki jane wali unko sambhawna......kya ISLAM ki ye kamiya aapko pareshan nahi karti?
Onn saab bato par ilaj dhoonde ke alawa aap ye Ved , puran ke peeehe pad jate ho. Isse kya sabit karna chahte he aap??

Ye kabhi maat bulna ki Har dharm ki seekh osske paida hone ke sath se baanti he.

Hindu Dharm or Hindu Ved, Puran ISLAM ke paida hone ke kaeeee guna saaal pehle ke he.

oss waqt ke log, oss waqt ki paristhitiya or oss waqt taak INSAAAAAN ki huwi Wiacharik pragati innn sari bato par asar karnehi wali he.

Kya aaaaap AAAAAAJ KE MANAV ka Compareason AAADI MANAV se karenge?

AAj ka insaaan kapde pehankar ghoomta he orr oss waqt ka naga ghoomta tha. To kyaaa aaaab aaap osspe pravachan likh kar uska mazak udawoge? Ya fir ye saabit karneki koshish karoge ke AAAAJ ka manav kitna shreshtha he or pehle ka kitna apragat tha?

bhooooot daya aati he muze jaaab koi Dharm ko aapna zariya banakar bewajah WIDWAN banne ki koshish karta he.

Dooosro ke dharm ki kamiya nikalana...matlab apne dharm ko Mahan samazna ye sarasar bewakufi he. or me to kahoonga ye ek ZOOOOTI TASALLLI HE AAPNE AAP KO.

Aaap APJ Abdul kalam ka example de rahe ho ke wo ISLAM ke bare me kya kehte ho. Unhika ADHYATMA ke bare me kya kehna he jara jakar poochiye.


Ankhe kholiye janab. Hindu mahan ya musalman mahan....ya VED, PURAN mahan ya Quran mahan..................ye sabit karnewala bada Pandit aabtak paida nhi huwa or na kabhi hoga.

dhyan den hi he to ISANIYAT PE DO. INSAAAN KE INSAAAAAAAAAAN REHNE PE DO.
bematlaab ka abhyas....or bematlaab ki PANDIT ki kuch kaam nhi anewali.

Good bye.

Anonymous said...

@ सुलभ § सतरंगी said...

बेहतर है प्रतिक्रियों के कु-प्रभावों से बचा जाये. अब मेरा तो एक ही मत है.... राष्ट्र जागरण धर्म हमारा... हमारा संविधान ही हमारा धर्म ग्रन्थ है.
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मैं नहीं जानता आप किस राष्ट्र का जागरण चाहते हैं, उस राष्ट्र का जहाँ पढ़े लिखे लोग (बुद्धिजीवी ब्लोगर) एक दूसरे के धर्मो पर मूर्खराजों की तरह आक्षेप कर रहें हैं तो अन्य वर्गो के विषय में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता !
या वे जो अपने को ही महाज्ञानी समझकर, दूसरों को केवल मूर्ख समझते हैं


धाराओं में बँटी हुई नदी सागर तक नहीं पहुँचती और ठीक यहीं राष्ट्र के साथ भी होता है !
फिर भी -
!!!!!!! बस एक ही धुन जय-जय भारत !!!!!!!!!!!!

बाल भवन जबलपुर said...

भाई सतीष जी
अनवर जी की जिम्मेदारी भी है निबाहने दीजिये उनको

Anonymous said...

Respected Mr. Lalit,

I gone thru your nice comments.
In this regards I want to add that our intention is bring the truth to the public. So that they can understand the Sanatan Dharam and Islam is from the same GOD. We only have to adopt the latest version, because the old version has been changed by "Dharam ke thekedar" which in the greatest interest of all mankind.

Regards, Iqbal Zafar

Man said...

chachaa toomahre blog ki maamee chood gayee he...hazzam ki dookaan khol lo.....sale chale thay rishi mooni ban ne ....vo toomahari trah chashama nahi lagate they....too kyaa janega santan dharam ko kameeyaa nikalne chala thaa...jab unchi gand ka parssaang aaya to bidag gyaa....jab kaba(chooot) ka parsang aaya to choop ho gyaa..bhaiyaa boriyaa bistr samet le....beta ab insaniyat ki baate kar rha ..chchadam...koi is bahroopiye ke chakaar me naa aaye

DR. ANWER JAMAL said...

सभी पाठकों का आभार , धन्यवाद ।


ऐ मालिक ! हमें रास्ता दिखा ।


आमीन , तथास्तु ।