सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Monday, April 5, 2010

आपने ऐसा आन्दोलन ही क्यों छेड़ा जिसके नतीजे के लिए आप तैयार नहीं हैं ? Confusions .


एक अदालत प्राचीन ऐतिहासिक हस्तियों के बारे में संदिग्ध ग्रन्थ के हवाले से एक ऐब को क़ानून का जामा पहनाती है और श्रद्धालु टुकुर टुकुर देखते रहते हैं । उन्हें गु़स्सा नहीं आता क्योंकि कहने वाला हिन्दुओं में गिना जाता है ।
एक आदमी सत्य और पवित्रता का प्रतीक माता सीता का उदाहरण देकर कहता है कि जिसे पवित्रता की रीत सीखनी हो वह इस महान औरत का लिबास देखे और अपनाये तो लोगों को गुस्सा आ जाता है । अब उनमें पौरूष अंगड़ाइयां लेने लगता है क्योंकि कहने वाला एक मुसलमान है ।


वे कहते हैं कि मुसलमान के दिमाग़ में द्विराष्ट्रवाद घुसा हुआ है । मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्यधारा में आना चाहिये । मुसलमानों का भारतीयकरण करना चाहिये । इन्हें बचपन से ही सरकारी कोर्स में हमारे पूर्वज के नाम पर पौराणिक कैरेक्टर्स की कहानियां पढ़ाओ । बचपन से ही इनके मन में हिन्दू देवी देवता घुसा दो । रेडियो पर इन्हें भजन सुनाओ । टी वी पर इन्हें रामायण और महरभारत दिखाओ । फिल्मों में इन्हें ऋषियों के चमत्कार दिखाओ । इनका ब्रेन वॉश कर दो ।


जो समझदार हैं उन्हें बताओ कि मलेशिया में तो निकाह के समय भी रामायण पढ़ी सुनी जाती है ।


मुसलमानों ! राम तुम्हारे पूर्वज हैं । इन्हें मान लो , इन्हें अपना लो ।


फिर भी इनमें इनकार पाओ तो इनकी बस्तियां जला दो , लड़कियां उठा लो , गर्भवती औरतों के पेट चाक करके भ्रूणों को त्रिशूल पर टांग दो और ऐलान कर दो कि हिन्दुस्तान में रहना होगा तो जय श्री राम कहना होगा ।


... आखि़रकार


यह मेहनत रंग लाती है और एक मुसलमान अपनी बोलचाल में हिन्दू देवी देवता माने जाने वाले मनुष्यों के उदाहरण देने लगता है । वह श्री रामचन्द्र जी को अपना पूर्वज और सीता जी को अपनी मां मान लेता है लेकिन अब वही प्रचारक कहते हैं कि आप इनका नाम क्यों लेते हैं ?


आप नाम लेते हो तो हमें गुस्सा आने लगता है । भई , जब आप किसी से श्री रामचन्द्र जी को अपना पूर्वज मनवाने में कामयाब हो जाओगे तो वह तो उनका नाम लेगा ही ।


आपने ऐसा आन्दोलन ही क्यों छेड़ा जिसके नतीजे के लिए आप तैयार नहीं हैं ?


एक साहब बताने लगे कि आप अपने ब्लॉग पर यह लिखें और यह न लिखें ।


भई , आप कौन हैं ?


क्या आपने कोई ओपन यूनिवर्सिटी फ़ॉर ब्लॉगिंग खोल रखी है ?


लेकिन मैंने तो कभी आवेदन भी नहीं किया । आपकी फ़ीलिंग हर्ट होती हैं तो मत पढ़िये मेरा ब्लॉग । अपनी पसन्द के ब्लॉग पर जाइये ।


एक साहब किसी एसीपी को मेरा ब्लॉग दिखा दिखाकर पूछते रहते हैं कि सर इस सरफिरे का भी कुछ हो सकता है क्या ?


फिर उसकी पोस्ट बनाकर डराते रहते हैं और मैं प्रिय प्रवीण जी को ख़ामख्वाह ही एक बेहतरीन आदमी नहीं कहता । वे ब्लॉगिंग की प्रकृति से भी वाक़िफ़ हैं और बुर्ज़ुआपने के विरोधी भी हैं । उन्होंने उसे फटकारा ।


बहन फ़िरदौस कुछ कन्फ़्यूज़ होकर प्रश्न करने लगीं तो ज़माने के ठुकराये हुओं को ऐसा लगा जैसे बिल्ली के भागों छींका टूट गया । लौंडे लपाड़े तो चलो जो चाहे कहें लेकिन वहां तो बुड्ढे बुड्ढे आदमी बैठे चिंगारी में फूंक मार कर कह रहे हैं कि अब जोत जल चुकी है ।


अरे बड़े मियां मेरे ब्लॉग पर तो 3 दिन में भी टिप्पणी देने न आये और वहां बड़ी जल्दी पहुंचे ।


आपके दुनिया से जाने के दिन क़रीब आ चुके हैं और अब भी आग भड़काने से बाज़ नहीं आ रहे हो ?


वैसे दुनिया के अपकारी कर्मों पर अफ़सोस जताते हैं कि हाय धर्म सिमट रहा है ।


धर्म तो खूब फैल रहा है । हां अधर्म ज़रूर सिमट रहा है और तुम जैसे साम दाम दण्ड और भेद की नीति अपनाने वाले भी ।


मेरा क्या है ?


मैं तो इस मत्युलोक का एक अनाम मुसाफ़िर हूं ।


आज लोग गालियां दे रहे हैं तो कल कोई गोली भी मार देगा । लेकिन मुझे तो मरना ही है । कोई न भी मारे तो भी मैं मर जाऊंगा ।


शरीर है ही क्या ?, बस एक जीर्ण पत्ते के समान लेकिन आत्मा तो अमर है । तुम सिर्फ़ गीता जी का नाम जानते हो । तुम्हारे दिलों में माल की मुहब्बत और मौत की दहशत घुसी हुई है । जबकि एक मुसलमान बिना पढ़े भी गीता जी को जीता है ।


वैदिक साहित्य मेरे पूर्वजों की विरासत है और मैं इसका जायज़ वारिस हूं ।


मेरी विरासत से मुझे कोई बेदख़ल नहीं कर सकता ।
हमारे आचार्य मौलाना साहिब का एक शेर है -


गर हसीं मौत की हसरत न निकाली जाए


ज़िन्दगी कौन सी फ़ेहरिस्त में डाली जाए

21 comments:

Shah Nawaz said...

Bilkul Sahi kaha Anwar bhai aapne. Sri Raam sirf Hunduo ke hi nahi hai, Veh hamare bhi hai. Fark sirf itna hai, ki voh Sri Ram Chandra ko Bhagwan maante hai aur ham Maha purush. Ishwar ke sandeshwahak.

Mohammed Umar Kairanvi said...

गुरू जी, पता नहीं इन लोगों के माँ बाप ने इन्‍हें कोई किताबें पढने को दी भी हैं कि बस ग्रन्‍थों के सूची सुनाई है ऐसा मुझे इस लिये कहना पड रहा है आज तक एक ने आपकी बात पर यह न कहा कि यह नहीं लिखा वह लिखा है

मुसलमान के दिमाग में द्विराष्ट्रवाद यही घुसा रहे हैं वर्ना हमें तो यह शिक्षा मिलती है कि जिस देश में रहो उसके वफादार रहो और यह हैं कि 53 इस्‍लामी देशों में केवल पाकिस्‍तान दिखायी देता है जोकि आपके विचार में एक दिन अखंड भारत का हिस्‍सा बनेगा


खेर अन्‍त में यही कहूंगा अभी इधर आपके मुकाबले का कोई नहीं लेकिन जमे रहें भाई लोग कोशिश तो कर रहे होंगे तस्‍लीमा को लाने की या इधर ही किसी को तस्‍लीमा बनाने की, लेकिन यह तो केवल मैं जानूं कि आप हजारों पर भारी

वैसे भी जिस तराजू के एक तरफ के पलडे मैं कैरानवी बैठा हो तो फिर दूसरी तरफ सारा ब्‍लागिस्‍तान भी बैठ जाये तो भी वह कम रहेगा, इन्‍शा अल्‍लाह (अगर अल्‍लाह न चाहा तो)

Mohammed Umar Kairanvi said...

माशा अल्‍लाह आपका ब्‍लाग रैंकिंग में भी दौडने लगा है Page Rank -1 होने पर आपको बधाई

Ayaz ahmad said...

bilkul sahi anwar bhai ye log musalmano ko rashtra ki mukhyadhara me lane ki baat karte hai magar jab musalman inke dharmgarntho ko parh kur mukhya dhara mai aana chahte hai toin logo ko tub bhai aiutraz hota hai asal mai inke liye mukhya dhara musalmano ko dalit banana hai

Ayaz ahmad said...
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DR. ANWER JAMAL said...

शुक्र उस रब का जिसने ये मक़ाम आता किया और शुक्रिया आपका कि अपने रास्ता दिखाया .
शाहनवाज़ भाई जैसे सभी साथियों का भी शुक्रिया .

PARAM ARYA said...

बेटे हमने तो इस ब्लॉग पर आना छोड़ दिया . हमारा जवाब कब देगा ?

DR. ANWER JAMAL said...

@ परम जी ! फ़ुर्सत तो मिले . मैं साइबर हट से काम चला रहा हूँ .

MOHAMMED SHADAB said...

anwar bhai hamari taraf se bhi aapko bahut bahut mubarakbad.

Anonymous said...

maan gaye bhai sahab aapko...bahut hi acha aur sacha likhte ho.pata nahi log aapse kyon khunnas khate hain..shayad aap musalmaan ho,ya phir bebak sachhai likh dete ho jo in andho ko dkihai nahi deti aur aank wale dekhna nahi chahte.aap aise hi likhte rahiye meri shubhkamnaye aapke saath hai(kuch posts aisi bhi likho jinka dharm se koi vastaa na ho)

गिरगिट said...

मौत की बात सुनते ही हिन्दुत्ववादियोँ को साँप सूंघ गया

Saleem Khan said...

मुसलमान के दिमाग़ में द्विराष्ट्रवाद घुसा हुआ है । मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्यधारा में आना चाहिये । मुसलमानों का भारतीयकरण करना चाहिये । इन्हें बचपन से ही सरकारी कोर्स में हमारे पूर्वज के नाम पर पौराणिक कैरेक्टर्स की कहानियां पढ़ाओ । बचपन से ही इनके मन में हिन्दू देवी देवता घुसा दो । रेडियो पर इन्हें भजन सुनाओ । टी वी पर इन्हें रामायण और महरभारत दिखाओ । फिल्मों में इन्हें ऋषियों के चमत्कार दिखाओ । इनका ब्रेन वॉश कर दो

Satish Saxena said...
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Satish Saxena said...

आप विद्वान् हैं, आप संयत हैं अनवर भाई और और मैं आपका आदर, आपसे कम नहीं करता हूँ , मुस्लिम धर्म का उतना ही आदर करता हूँ जितना स्वयं के धर्म का जो मेरे रगों में बसा हुआ है ! मैं अक्सर अपने उन साथियों से पूंछता हूँ शक करने से पहले , एक मुसलमान दोस्त, अगर नहीं है तो बना कर, उसके घर जाओ , अब्बू अम्मी के पाँव वैसे ही छू कर देखो जैसे अपने अन्य मित्रों के मम्मी पापा के छूते हो ! तुम वहां वह प्यार का सैलाब पाओगे जो तुमने कभी महसूस भी नहीं किया होगा ! इस्लाम की सभी पवित्र पुस्तकें मेरे घर पर हैं उसमें सिवा प्यार बांटने के कुछ नहीं है ! जहाँ तक बुरे लोगों का सवाल हैं चाहे इस्लाम हो हिन्दू बुरे सब जगह हैं और अधिक शोर वही मचाते हैं अच्छे तो बताते तक नहीं !

अनवर भाई ....मुझे अंदाजा है की आप मेरे पिछले कमेंट्स से नाराज होंगे शायद मैंने कुछ अधिक सख्त भाषा प्रयोग की थी , शायद मुझे आप पर उतना विश्वास नहीं था जितना आपको मुझ पर है ... ,जो कि आपके मन में व्याप्त कडवाहट का अंदाजा लगाये बिना लिखा गया ! अगर दिल दुखी हो तो अपना बड़ा भाई समझ दिल से माफ़ कर देना ! वज़न मेरे दिल पर ज्यादा है क्यों कि तुमने वाकई उसका जवाब भी नहीं दिया जबकि जवाब देना डॉ अनवर जमाल के लिए बेहद आसान था और है !
यहाँ आपने अपने नेक दिल का परिचय दिया ! यही नेक दिल का परिचय अन्य स्थानों पर भी दें कडवाहट थूक कर इस्लाम की नेकनीयती दुनियां को बताएं, दोनों भाइयों को प्यार से रहना सिखाएं जिसमें आप पूर्णतया सक्षम हैं शायद देश आपका ऋणी होगा !

मगर अनवर भाई !
मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि कोई भी, किसी भी वर्ग का अश्रद्धालु , शरीयत, कुअरान शरीफ या हिन्दू धर्म ग्रंथों की विवेचना करने का प्रयत्न करे जबकि यह एक महान श्रद्धा का प्रतीक हैं , मगर परस्पर जाने अनजाने में रखी गुस्सा के कारण अधिकतर लोग ऐसा कर रहे हैं ! और हम सब मिलकर इसे रोकने का कोई प्रयत्न नहीं कर रहे सो हम सब आने वाली पीढी के प्रति पाप में बराबर के भागीदार हैं ! आपसे और हिन्दू विद्वानों से विनती है कि जब भी आपको गुस्सा आये धार्मिक ग्रंथों का हवाला ना दें, मुझे लगता है इससे यह आग बुझाने में मदद मिलेगी ! मुझे पूरा विश्वास है कि आप मेरा मंतव्य समझते हैं ....

आपके और इस्लाम के प्रति आदर सहित

Shah Nawaz said...
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Shah Nawaz said...

यह मेहनत रंग लाती है और एक मुसलमान अपनी बोलचाल में हिन्दू देवी देवता माने जाने वाले मनुष्यों के उदाहरण देने लगता है । वह श्री रामचन्द्र जी को अपना पूर्वज और सीता जी को अपनी मां मान लेता है लेकिन अब वही प्रचारक कहते हैं कि आप इनका नाम क्यों लेते हैं ?

Unknown said...

shanti, satya aur bhaichare ki taraf agrsar badhte rahiye.Aur mera sanatan dharmi bhaiyon se ye kehna hai ke agar aap log sanatan shikshaon ko theek se palan karte aur baad main aane wale logon ko waise hi batate jaisa ki us ek ishwar ki taraf se aaya tha to hamein ye batane ki zaroorat hi nahi padti aur agar humne bhi apni zimmedaari ko theek se nahi nibhaya to phir ishwar kisi aur ke zariye se ye apna satya ka paigaam duniya walon tak bhejega.taki faisle ke din koi jhootla na sake. jazakallahu -khair.

सहसपुरिया said...

मुसलमान के दिमाग़ में द्विराष्ट्रवाद घुसा हुआ है । मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्यधारा में आना चाहिये । मुसलमानों का भारतीयकरण करना चाहिये । इन्हें बचपन से ही सरकारी कोर्स में हमारे पूर्वज के नाम पर पौराणिक कैरेक्टर्स की कहानियां पढ़ाओ । बचपन से ही इनके मन में हिन्दू देवी देवता घुसा दो । रेडियो पर इन्हें भजन सुनाओ । टी वी पर इन्हें रामायण और महरभारत दिखाओ । फिल्मों में इन्हें ऋषियों के चमत्कार दिखाओ । इनका ब्रेन वॉश कर दो

सहसपुरिया said...

KYA BAAT HAI

सहसपुरिया said...

kadwa sach.....

Man said...

B.T .BENGAN KI KHETI BIGADNE LAG GYEE HE....HAWA PANI SOOT NAHI KAREGA BETA...PADOSS ME CHAL JAA...POORAV YAA PASHCHIM...VANHA BUMMPER PAIDAVAAR MIL JAYEGI