सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Tuesday, May 11, 2010

The model of Islamophobia नियमों का नाम ही धर्म है


इनसान ने आज जितनी भी तरक्क़ी की है वह सब नियमों की खोज और उनके पालन के बाद ही संभव हो सका है । नियमों का नाम ही धर्म है । ये वे नियम होते हैं जो व्यक्ति और समाज को जीना और मरना सिखाते हैं । प्राकृतिक नियमों की तरह ये नियम भी शाश्वत होते हैं । देश-काल और परिस्थिति से ये मूलतः कभी नहीं बदलते । अगर बदलता है तो केवल इनके इम्पलीमेंटेशन का तरीक़ा बदलता है जिससे लोगों की बाहरी क्रियाओं और परम्पराओं में थोड़ा बहुत अन्तर आ जाता है ।

कुछ आदर्श व्यक्ति उनके मुताबिक़ आचरण करके समाज को दिखाते हैं कि वे सत्य का पालन कैसे करें ?

खुद को भावनाओं में बहने से कैसे बचायें ?

और न्याय कैसे करें ?

समय बदलता है और समय के साथ राजा महाराजा बदलते हैं और फिर ऐसे लोग भी समाज में पैदा होते हैं जो लोगों को अपना गुलाम बना लेना चाहते हैं लेकिन ऐसा तब तक संभव नहीं होता जब तक कि लोगों को धर्म के नियमों की सही जानकारी होती है ।लोगों को अपना दास बनाने के लिए वे उनकी मान्य धर्म पुस्तकों में ही हेर-फेर कर देते हैं और जब कभी लोग उन्हें उनके जुल्म पर टोकती है , जब कभी जनता उन्हें स्त्री प्रसंग से रोकना चाहती है तो वे कहते हैं कि जो कुछ वे कर रहे हैं , धार्मिक महापुरूष यही करते रहे हैं । यही धर्म है ।

धीरे-धीरे ये लोग महापुरूषों का चरित्र इतना दूषित कर देते हैं कि या तो लोग उनका पालन करके सद्गुण ही गंवा बैठते हैं या फिर धर्म का इन्कार करके नास्तिक बन जाते हैं । फिर वे धर्मग्रन्थ समाज की समस्याओं को हल नहीं कर पाते । आनन्द पाण्डेय जी ने बताया है कि वेदों में बलात्कार का बयान नहीं है और न ही बलात्कार की सज़ा का वर्णन है । तलाक़ का बयान भी उसमें नहीं है ।

भई ! अगर वहां नहीं है तो प्लीज़ पवित्र कुरआन से ले लीजिये , जैसा कि भारतीय क़ानूनविदों ने लिया भी है । लेकिन हमारा इतना कहना तो ग़ज़ब हो जाता है ।


हम तो कभी नहीं कहते कि गीता पढ़ो, फ़लाँ ग्रन्थ का लिंक यहाँ है, हिन्दू धर्म में आओ आदि-आदि, लेकिन आप लोगों के साथ "इस्लाम का प्रचार" यही एक मुख्य समस्या है, जिसकी वजह से पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत में आप जैसों के ब्लॉग से लोग बिदकते हैं और आपकी निगेटिव "इमेज" बन गई है।
भई ! आप अगर किसी धर्मग्रन्थ का लिंक या हवाला नहीं देते तो यह आपकी मजबूरी है । आपको अपने धर्मग्रन्थों के प्रति आस्था नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं । आप खुद कहते हैं कि वेद पुराण में कई बातें अप्रासंगिक और बकवास हैं । आप अपनी मजबूरी को हमारे लिए नियम का रूप क्यों देना चाहते हैं ?

हमें पवित्र कुरआन के प्रति आस्था है इसीलिये हम इसका लिंक भी देते हैं और हवाला भी । हमारे जिन हिन्दू भाईयों को अपने धर्मग्रन्थों के प्रति श्रद्धा है वे भी ऐसा ही करते हैं और हमने कभी उनपर ऐतराज़ नहीं किया और न ही उनके ब्लॉग पर आपको ऐतराज़ करते हुए देखा ।क्या इसी को नहीं कहते हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और ?

यह मेरी सबसे नर्म प्रतिक्रिया है जो मैंने जनाब सतीश जी का लिहाज़ करते हुए की है और इसमें भाई तारकेश्वर गिरी जी का आदर भी निहित है क्योंकि आज मैंने फ़ोन पर उनसे मधुर संवाद किया है ।


27 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

ईमान क्या है ?
ईमान यह है कि आदमी जान ले कि सच्चे मालिक ने उसे इस दुनिया में जो शक्ति और साधन दिए हैं उनमें उसके साथ -साथ दूसरों का भी हक़ मुक़र्रर किया है। इस हक़ को अदा करना ही उसका क़र्ज़ है। फ़र्ज़ भी मुक़र्रर है और उसे अदा करने का तरीक़ा और हद भी। जो भी आदमी इस तरीक़े से हटेगा और अपनी हद से आगे बढ़ेगा। मालिक उस पर और उस जैसों पर अपना दण्ड लागू कर देगा। इक्का दुक्का अपवाद व्यक्तियों को छोड़ दीजिए तो आज हरेक आदमी बैचेनी और दहशत में जी रहा है। हरेक को अपनी सलामती ख़तरे में नज़र आ रही है।
सलामती केवल इस्लाम दे सकता है
लेकिन कब ?
सिर्फ़ तब जबकि इसे सिर्फ़ मुसलमानों का मत न समझा जाए बल्कि इसे अपने मालिक द्वारा अवतरित धर्म समझकर अपनाया जाए। इसके लिए सभी को पक्षपात और संकीर्णता से ऊपर उठना होगा और तभी हम अजेय भारत का निर्माण कर सकेंगे जो सारे विश्व को शांति और कल्याण का मार्ग दिखाएगा और सचमुच विश्व गुरू कहलायेगा।

Aslam Qasmi said...

ved puran ya geeta men he nahi islaam se yh lete nahi kyon ki islam ki bat aati he to vh inhen islam ka parcha dikhta he .yhi to samasiya he

Mohammed Umar Kairanvi said...

तारकेश्वर गिरी जी से आपने मधुर संवाद किया है । लेकिन इस पोस्‍ट पर उनकी मधुर प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी

Mohammed Umar Kairanvi said...

शुभ रात्रि

गजराज said...

ओये थोडि देर रूक कोई न कोई वेद ज्ञानी अभी तुझे जवाब देगा ऐसा हो ही नहीं सकता वेदों में बलात्‍कार की सजा ही न हो

Anonymous said...

इनसान ने आज जितनी भी तरक्क़ी की है वह सब नियमों की खोज और उनके पालन के बाद ही संभव हो सका है । नियमों का नाम ही धर्म है । ये वे नियम होते हैं जो व्यक्ति और समाज को जीना और मरना सिखाते हैं ।

Ayaz ahmad said...

ईश्वर का नाम लेने मात्र से ही कोई व्यक्ति दुखों से मुक्ति नहीं पा सकता जब तक कि वह ईश्वर के निश्चित किये हुए मार्ग पर न चले। पवित्र कुरआन किसी नये ईश्वर,नये धर्म और नये मार्ग की शिक्षा नहीं देता। बल्कि प्राचीन ऋषियों के लुप्त हो गए मार्ग की ही शिक्षा देता है और उसी मार्ग पर चलने हेतु प्रार्थना करना सिखाता है।
‘हमें सीधे मार्ग पर चला, उन लोगों का मार्ग जिन पर तूने कृपा की।’
(पवित्र कुरआन 1:5-6

Ayaz ahmad said...

@गिरी जी आपने अनवर जमाल साहब स क्या मधुर सव्म्वाद kar लिया की जमाल साहब नै अपनी भाषा ही बदल daali

जाहिद देवबंदी said...

@ अनवर जमाल साहब आपने अपने ब्लॉग पर क्या जादू किया हुआ ही ki जमाल साहब आप ke ब्लॉग पर कोई tik ही नहीं pata पहले सुरेश जी, अमित शर्मा जी, मनुज जी,आनंद पांडे ji और अब लगता है ये man जी भी भाग खड़े honge .

mairaj khan said...

nice post

Anonymous said...
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Anonymous said...

मैं कहीं नहीं भागा हूँ, इस समय कुछ अपरिहार्य कारणों से पोस्ट नहीं कर पा रहा हूँ...जल्दी ही आपके कुतकों का जवाब दूंगा...

Anonymous said...

मैं कहीं नहीं भागा हूँ, इस समय कुछ अपरिहार्य कारणों से पोस्ट नहीं कर पा रहा हूँ...जल्दी ही आपके कुतकों का जवाब दूंगा...

सहसपुरिया said...

आप अपनी मजबूरी को हमारे लिए नियम का रूप क्यों देना चाहते हैं ?

KYA BAAT KAHI..............KHOOB

सहसपुरिया said...

‘हमें सीधे मार्ग पर चला, उन लोगों का मार्ग जिन पर तूने कृपा की।’
(पवित्र कुरआन 1:5-6

Man said...

डॉ. आप ने अच्छा लिखा हे ...लकिन अप महा जाल फोबियोसे बहार नहीं निकल पा रह हे ,
अयाज डॉ. मन कंही नहीं जायेगा ,,,,??? आप सभी को मेने हदीस का लिंक भी दिया था पिछ्हली पोस्ट पर ,कोई कवाब ही नहीं आया था ???????????????

Man said...

मतलब कोई जवाब ही नहीं आया ........टायपिंग मिस्टेक

Man said...

@@जाहिद देव बंदी ,,,मन कंही नहीं जाएगा ??अपने विचार रझो जवाब भी मिल जायेगा |

Pushpendra said...

अजी साहब देवबंदी जी,
अमित शर्मा जी, मनुज जी, सुरेश जी, आनंद पांडे जी और मनुज कोई भी कही नहीं भगा है. वोह तो अमित भाई ने आप सभी के कारनामों को जबसे दुनिया के सामने सटीक तड़के से नंगा किया है, तब से तुम लोगो के ब्लॉग पे कोई भी ब्लोगर आके नहीं झांकता है.
तुम लोग ही आपस में कोमेंन्त करते रहते हो वोह भी एक एक जना ही कई कई कमेन्ट डालता है क्यों करो बिचारे तुम लोग और कोई रास्ता भी नहीं है ब्लॉग पे कमेन्ट की कमी पूरी करने का :)

Taarkeshwar Giri said...

Anwar Jamal Ji Dil ke bahut hi saff insan hai.

Kafi dino se samay nahi mil paa raha hai.

aaj bhi Anwar Jamal Ji se madhur - Madhur Samvad hua hai.

Vishaya kuch aur hi tha . Jald hi sabko Avgat karaunga

Taarkeshwar Giri said...

Please read www.taarkeshwargiri.blogspot.com

Taarkeshwar Giri said...

Please Read : www.taarkeshwargiri.blogspot.com

शादी से पहले सेक्स - आखिर ये कैसा आनंद। तारकेश्वर ...":

nitin tyagi said...

एक हदीस के अनुसार पैगम्बर जब खेतों में मल त्याग करने जाते थे, तो वे जिस डले से अपना पिछवाडा साफ़ करते थे,तो उनके अनुयाई उस डले के लिए आपस में झगड़ते थे.क्योकि उस हदीस के अनुसार उस डले से इतर की खुशबु आती थी.(तल्विसुल शाह जिल्द शाह सफा ८ )
जब डले में इतनी खुशबु आती होगी तो मल (पैगम्बर की टट्टी) तो पूरा का पूरा इतर का डब्बा होता होगा । पैगम्बर के अनुयाई डले के ऊपर ही झगड़ते थे किसी ने भी खेत में पड़े मल की तरफ ध्यान नहीं दिया।
http://quranved.blogspot.com/

nitin tyagi said...

आज मे आपको ऐसा रहस्य बताता हूँजिसे जानना हर भारतीय के लिए जरूरी है जो बात इतिहास पलट सकती है यह वही रहस्य है

Ayaz ahmad said...
This comment has been removed by the author.
DR. ANWER JAMAL said...

वेद


समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः


मैं तुम सबको समान मन्त्र से अभिमन्त्रित करता हूं ।


ऋग्वेद , 10-191-3


कुरआन


कु़ल या अहलल किताबि तआलौ इला कलिमतिन सवाइम्-बयनना व बयनकुम


तुम कहो कि हे पूर्व ग्रन्थ वालों ! हमारे और तुम्हारे बीच जो समान मन्त्र हैं , उसकी ओर आओ ।


पवित्र कुरआन , 3-64 - शांति पैग़ाम , पृष्ठ 2 , अनुवादकगण : स्वर्गीय आचार्य विष्णुदेव पंडित , अहमदाबाद , आचार्य डा. राजेन्द प्रसाद मिश्र , राजस्थान , सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ , रामपुर



एक ब्रह्मवाक्य भी जीवन को दिशा देने और सच्ची मंज़िल तक पहुंचाने के लिए काफ़ी है ।


जो भी आदमी धर्म में विश्वास रखता है , वह यक़ीनी तौर पर ईश्वर पर भी विश्वास रखता है । वह किसी न किसी ईश्वरीय व्यवस्था में भी विश्वास रखता है । ईश्वरीय व्यवस्था में विश्वास रखने के बावजूद उसे भुलाकर जीवन गुज़ारने को आस्तिकता नहीं कहा जा सकता है । ईश्वर पूर्ण समर्पण चाहता है । कौन व्यक्ति उसके प्रति किस दर्जे समर्पित है , यह तय होगा उसके ‘कर्म‘ से , कि उसका कर्म ईश्वरीय व्यवस्था के कितना अनुकूल है ?


इस धरती और आकाश का और सारी चीज़ों का मालिक वही पालनहार है ।


हम उसी के राज्य के निवासी हैं । सच्चा राजा वही है । सारी प्रकृति उसी के अधीन है और उसके नियमों का पालन करती है । मनुष्य को भी अपने विवेक का सही इस्तेमाल करना चाहिये और उस सर्वशक्तिमान के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिये ताकि हम उसके दण्डनीय न हों ।

Man said...

डॉ. आप सही हे सच्चा मालिक वो ही हे ,