सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Monday, May 31, 2010
Man will get his full reward tomorrow . कर्म के लिए आज है, फल के लिए कल
कर्म के लिए आज है, फल के लिए कल दुनिया को इनसान ने नहीं बनाया है और न ही यह कायनात इनसान के नियम-क़ानून की पाबन्द है।दुनिया को मालिक ने बनाया है और इनसान को भी। हर चीज़ उसी के ठहराए हुए नियमों का पालन करती है और खुद इनसान भी।आने वाले कल की चिन्ता और मिलने फल की फ़िक्र का नियम भी उसी मालिक ने निश्चित किया है। यही चिन्ता इनसान को कुछ करने की प्रेरणा देती है। इनसान दुनिया में जीता है और अच्छे या बुरे कर्म करता है और एक दिन मर जाता है। अपने अच्छे या बुरे कर्मों के फल निकलते हुए देखने के लिए और उन्हें भोगने के लिए वह यहां नहीं होता।
वन तस्कर जंगल में अवैध रूप से अंधाधुंध लकड़ी काटते हैं और उसकी तस्करी करके मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं। वे उसे अधिकारियों और नेताओं के साथ मिल बांट कर खाते हैं। इसलिये वे कभी पकड़े नहीं जाते। इसके नतीजे में पर्यावरण बिगड़ता है। धरती का तापमान बढ़ता है, समय पर बारिश नहीं होती, फ़सलें मारी जाती हैं, महंगाई बढ़ती है, किसान-मज़दूर संघर्ष करते हैं, सरकार इनका दमन करती है और बहुत से ग़रीब लोग मारे जाते हैं लेकिन इन मरने वालों में कोई भी वन तस्कर नहीं होता।
इतनी बड़ी तबाहियों के ज़िम्मेदार लोग फ़ाइव स्टार होटलों में ऐश उड़ाते हैं और जब मरते हैं तब भी उनका इलाज ‘फ़ाइव स्टार हॉस्पिटल‘ में ही चल रहा होता है।
लोग उन्हें शान से मरता हुआ देखकर सोचते हैं कि इनसान पाप और बेईमानी का फल भोगने से बच भी सकता है। वे समझते हैं कि दुनिया महज़ एक इत्तेफ़ाक़ी हादसा है। मरना और जीना समय का गुज़रना है और ईश्वर केवल कमज़ोर मन का वहम है। जबकि सच यह है कि जैसे दुनिया में पेड़ का फल खाने के लिए इनसान को कल तक इन्तेज़ार करना पड़ता है, ठीक वैसे ही इनसान का यह लौकिक जीवन ‘आज‘ है और मौत के बाद का समय उसके लिए ‘कल‘ है । जहां उसके लिए उसके कर्मों का फल सुरक्षित है।यह जीवन और जगत कर्मों का पूरा फल भोगने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसीलिए कर्मों के फल भोगने के लिए मालिक ने परलोक बनाया है।
जीवन सत्य है और मौत निश्चित है। आत्मा अमर है और परलोक इसका ठिकाना है। फल देने वाला ईश्वर है और वह इनसान के हर कर्म का स्वयं साक्षी और गवाह है। अब जो आदमी चाहता हो कि उसे कल अच्छा फल मिले तो उसे आज मालिक की मर्ज़ी के मुताबिक़ अच्छे काम करने चाहियें। आने वाले कल में मिलने वाले फल की चिंता उसे ‘आज‘ करनी होगी। यही चिंता उसके चरित्र को निखारेगी, उसके कर्म को सुधारेगी और उसे मालिक के कोप से बचाएगी। यही दुनिया का दस्तूर है, यही मालिक का नियम है।
ऐ ईमान वालो! परमेश्वर का डर (तक़वा) इख्तियार करो और हर आदमी को देखना चाहिये कि उसने आने वाले कल के लिए आगे क्या भेजा है ? और डरो परमेश्वर से निस्संदेह परमेश्वर को उन तमाम कामों की ख़बर है जो तुम करते हो । पवित्र कुरआन, 59, 18
वन तस्कर जंगल में अवैध रूप से अंधाधुंध लकड़ी काटते हैं और उसकी तस्करी करके मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं। वे उसे अधिकारियों और नेताओं के साथ मिल बांट कर खाते हैं। इसलिये वे कभी पकड़े नहीं जाते। इसके नतीजे में पर्यावरण बिगड़ता है। धरती का तापमान बढ़ता है, समय पर बारिश नहीं होती, फ़सलें मारी जाती हैं, महंगाई बढ़ती है, किसान-मज़दूर संघर्ष करते हैं, सरकार इनका दमन करती है और बहुत से ग़रीब लोग मारे जाते हैं लेकिन इन मरने वालों में कोई भी वन तस्कर नहीं होता।
इतनी बड़ी तबाहियों के ज़िम्मेदार लोग फ़ाइव स्टार होटलों में ऐश उड़ाते हैं और जब मरते हैं तब भी उनका इलाज ‘फ़ाइव स्टार हॉस्पिटल‘ में ही चल रहा होता है।
लोग उन्हें शान से मरता हुआ देखकर सोचते हैं कि इनसान पाप और बेईमानी का फल भोगने से बच भी सकता है। वे समझते हैं कि दुनिया महज़ एक इत्तेफ़ाक़ी हादसा है। मरना और जीना समय का गुज़रना है और ईश्वर केवल कमज़ोर मन का वहम है। जबकि सच यह है कि जैसे दुनिया में पेड़ का फल खाने के लिए इनसान को कल तक इन्तेज़ार करना पड़ता है, ठीक वैसे ही इनसान का यह लौकिक जीवन ‘आज‘ है और मौत के बाद का समय उसके लिए ‘कल‘ है । जहां उसके लिए उसके कर्मों का फल सुरक्षित है।यह जीवन और जगत कर्मों का पूरा फल भोगने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसीलिए कर्मों के फल भोगने के लिए मालिक ने परलोक बनाया है।
जीवन सत्य है और मौत निश्चित है। आत्मा अमर है और परलोक इसका ठिकाना है। फल देने वाला ईश्वर है और वह इनसान के हर कर्म का स्वयं साक्षी और गवाह है। अब जो आदमी चाहता हो कि उसे कल अच्छा फल मिले तो उसे आज मालिक की मर्ज़ी के मुताबिक़ अच्छे काम करने चाहियें। आने वाले कल में मिलने वाले फल की चिंता उसे ‘आज‘ करनी होगी। यही चिंता उसके चरित्र को निखारेगी, उसके कर्म को सुधारेगी और उसे मालिक के कोप से बचाएगी। यही दुनिया का दस्तूर है, यही मालिक का नियम है।
ऐ ईमान वालो! परमेश्वर का डर (तक़वा) इख्तियार करो और हर आदमी को देखना चाहिये कि उसने आने वाले कल के लिए आगे क्या भेजा है ? और डरो परमेश्वर से निस्संदेह परमेश्वर को उन तमाम कामों की ख़बर है जो तुम करते हो । पवित्र कुरआन, 59, 18
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15 comments:
Jab admi ko ahsas hota hai to woh ghalat rasta chhodne men der nahin lagata, jaise ki ...
मास्टर मुहम्मद आमिर (बलबीर सिंह, पूर्व शिवसेना युवा शाखा अध्यक्ष) से एक मुलाकात - Interview
http://hamarianjuman.blogspot.com/2010/04/interview.html
Nice post .
जो लोग हराम की कमाई करके आपनी ओल्लादो को बड़ा करते हे वो ही व्यभिचार की गंदी नाली के कीड़े बन जाते ,एक दिन उन्ही माँ बापों को वर्दा आश्रम में रहने के लिए मजबूर कर कर देते हे ...जीस पीढियों के लिए सात पीढ़ी का घर बनाते हे ...लेकिन बदले में उन्हें लकवा .कैंसर जेसी बिमारीय जकड लेती हे ...सही कहा दो.साहब आपने
आने वाले कल की चिन्ता और मिलने फल की फ़िक्र का नियम भी उसी मालिक ने निश्चित किया है। यही चिन्ता इनसान को कुछ करने की प्रेरणा देती है।
@ Man ! आपके सहमत होने के लिए शक्रिया.
अरे डा० साहब अभी तक सिर्फ एक ही टिपण्णी मिली ? शायद मैंने पहले भी आपके ब्लॉग पर टिपण्णी में कहा था की मैंने बचपन में करेले बहुत खाए है , दादी माँ के साथ , इसलिए कडुवा बोलने की आदत है ! मेरे कथन से आपको बुरा जरूर लगेगा लेकिन अगर आप गौर से और शांति से मेरे कथन पर मनन करेंगे तो आपको जरूर महसूस होगा की मैं सही कह रहा हूँ !आप जैसे मुस्लिमों से एक बार फिर आग्रह करूंगा की आप लोग चूँकि अपने सोच के दायरे को एक बहुत सीमित दायरे तक रखते हो जिससे व्यावहारिकता में भी आपसे बड़ी- बड़ी गलतियां हो जाती है ! डाक्टर जमाल को उस भाषा की पूरी काबिलियत होते हुए भी वो भाषाई गलती कर जाते है सिर्फ सोच के दायरे की वजह से !
अब असली बात पे आता हूँ ; आप अपने लेख का शीर्षक पढ़िए ! You wrote 'Man will get his full rewatd tomorrow' .
Sir, my question to you is ; What about Woman ?
ऐ मेहरबान पाठक, Godiyal ji ! अभी आपको मर्दों के बारे में बताया जा रहा है उसे जान लीजिए । आपकी ख्वाहिश का अहतराम करते हुए औरतों के बारे में बताने वाला लेख भी लाया जाएगा। पहले आप अपने कल्याण के बारे में तो विचार कर लीजिए।
"इतनी बड़ी तबाहियों के ज़िम्मेदार लोग फ़ाइव स्टार होटलों में ऐश उड़ाते हैं और जब मरते हैं तब भी उनका इलाज ‘फ़ाइव स्टार हॉस्पिटल‘ में ही चल रहा होता है।"
बड़े मजे की बात कही जी.....
कुंवर जी,
"इतनी बड़ी तबाहियों के ज़िम्मेदार लोग फ़ाइव स्टार होटलों में ऐश उड़ाते हैं"
और फाइव स्टार जहन्नुम उनके इन्तिज़ार में होता है.
bahut hi sundar sandesh diya hai ...........thnx.
आप ठीक कहते है अनवर साहब यहाँ जो बुरा कर्म किया है उसकी सजा यहाँ नही मिली यहाँ तो उसने ऐश से जिन्दगी काटी लेकिन उसके लिए ईश्वर ने जो सजा निर्धारित की हुई है वह उसे जरूर मिलेगी
Badhiya Post Anwar Jamal Sahab. Mashallah achha msg diya hai aapne. Very Gud.
GOOD POST
nice कर्म के लिए आज है, फल के लिए कल post
subhan allah masha allah
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