सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Monday, May 3, 2010

सर्मपण से होता है दुखों का अन्त Submission to God


मनुष्य का मार्ग और धर्म
पालनहार प्रभु ने मनुष्य की रचना दुख भोगने के लिए नहीं की है। दुख तो मनुष्य तब भोगता है जब वह ‘मार्ग’ से विचलित हो जाता है। मार्ग पर चलना ही मनुष्य का कर्तव्य और धर्म है। मार्ग से हटना अज्ञान और अधर्म है जो सारे दूखों का मूल है। पालनहार प्रभु ने अपनी दया से मनुष्य की रचना की उसे ‘मार्ग’ दिखाया ताकि वह निरन्तर ज्ञान के द्वारा विकास और आनन्द के सोपान तय करता हुआ उस पद को प्राप्त कर ले जहाँ रोग,शोक, भय और मृत्यु की परछाइयाँ तक उसे न छू सकें। मार्ग सरल है, धर्म स्वाभाविक है। इसके लिए अप्राकृतिक और कष्टदायक साधनाओं को करने की नहीं बल्कि उन्हें छोड़ने की ज़रूरत है।
ईश्वर प्राप्ति सरल है
ईश्वर सबको सर्वत्र उपलब्ध है। केवल उसके बोध और स्मृति की ज़रूरत है। पवित्र कुरआन इनसान की हर ज़रूरत को पूरा करता है। इसकी शिक्षाएं स्पष्ट,सरल हैं और वर्तमान काल में आसानी से उनका पालन हो सकता है। पवित्र कुरआन की रचना किसी मनुष्य के द्वारा किया जाना संभव नहीं है। इसके विषयों की व्यापकता और प्रामाणिकता देखकर कोई भी व्यक्ति आसानी से यह जान सकता है कि इसका एक-एक शब्द सत्य है। आधुनिक वैज्ञानिक खोजों के बाद भी पवित्र कुरआन में वर्णित कोई भी तथ्य गलत नहीं पाया गया बल्कि उनकी सत्यता ही प्रमाणित हुई है। कुरआन की शब्द योजना में छिपी गणितीय योजना भी उसकी सत्यता का एक ऐसा अकाट्य प्रमाण है जिसे कोई भी व्यक्ति जाँच परख सकता है।
प्राचीन धर्म का सीधा मार्ग
ईश्वर का नाम लेने मात्र से ही कोई व्यक्ति दुखों से मुक्ति नहीं पा सकता जब तक कि वह ईश्वर के निश्चित किये हुए मार्ग पर न चले। पवित्र कुरआन किसी नये ईश्वर,नये धर्म और नये मार्ग की शिक्षा नहीं देता। बल्कि प्राचीन ऋषियों के लुप्त हो गए मार्ग की ही शिक्षा देता है और उसी मार्ग पर चलने हेतु प्रार्थना करना सिखाता है।
‘हमें सीधे मार्ग पर चला, उन लोगों का मार्ग जिन पर तूने कृपा की।’
(पवित्र कुरआन 1:5-6)
ईश्वर की उपासना की सही रीति
मनुष्य दुखों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन यह इस पर निर्भर है कि वह ईश्वर को अपना मार्गदर्शक स्वीकार करना कब सीखेगा?
वह पवित्र कुरआन की सत्यता को कब मानेगा? और सामाजिक कुरीतियों और धर्मिक पाखण्डों का व्यवहारतः उन्मूलन करने वाले अन्तिम सन्देष्टा हज़रत मुहम्मद (स.) को अपना आदर्श मानकर जीवन गुज़ारना कब सीखेगा?
सर्मपण से होता है दुखों का अन्त
ईश्वर सर्वशक्तिमान है वह आपके दुखों का अन्त करने की शक्ति रखता है। अपने जीवन की बागडोर उसे सौंपकर तो देखिये। पूर्वाग्रह,द्वेष और संकीर्णता के कारण सत्य का इनकार करके कष्ट भोगना उचित नहीं है। उठिये,जागिये और ईश्वर का वरदान पाने के लिए उसकी सुरक्षित वाणी पवित्र कुरआन का स्वागत कीजिए। भारत को शान्त समृद्ध और विश्व गुरू बनाने का उपाय भी यही है।
क्या कोई भी आदमी दुःख, पाप और निराशा से मुक्ति के लिये इससे ज़्यादा बेहतर, सरल और ईश्वर की ओर से अवतरित किसी मार्ग या ग्रन्थ के बारे में मानवता को बता सकता है?

17 comments:

जीवन का उद्देश said...

अल्लाह से दुआ है कि हम सब को कुरआन पढ़ने और उसे समझने फिर उस के अनुसार जीवन बिताने की शक्ति दे,

सुन्दर लेख,
धन्यवाद
जज़ा कुमुल्लाहु खैरन

Ayaz ahmad said...

अच्छा लेख

Anonymous said...

वेरी गुड

bharat bhaarti said...

accha lekh likha he men lekhak ko dhannewad deta hun

बलबीर सिंह (आमिर) said...

कभीकभी सर्मपण से दुखों का अन्‍त नहीं आरम्‍भ होता है , मर्द जात क्‍या समझोगे यह समर्पन किया किया करा देता है तुम तो सदेव समर्पन चाहते हो, कभी समर्पित होके देखो दुखों का अन्‍त होता है या प्रारम्‍भ तब समझोगे

Ayaz ahmad said...

ब्लागवाणी!तुझे बना दिया है टुच्ची वाणी. जो हमला करे मुसलमान पर उसे रखे तू HOT मे और अगर बोले अनवर तो उसे डाले तू POTमे

Ayaz ahmad said...

ब्लागवाणी! मोहिनी बनकर विष्णु ने अपने को अमर जाम पिलाया और गैरो यू ही तरसाया सत्य सागर मे मंथन फिर हुआ तो तूने भी अपनो को बख्शा और अनवर को निपटाया

ज़ाहिद देवबन्दी said...

कमाल है प्लस के छः वोट पाने के बाद भी पोस्ट HOT मे नही . क्या यहाँ राम राज्य आ गया है?

Mohammed Umar Kairanvi said...

अयाज साहब अब आपको रजिस्ट्रड ब्लागर बन जाना चाहिये, क्या कहते हैं?

Mohammed Umar Kairanvi said...

@ ज़ाहिद देवबन्दी साहब सातः वोट हैं औ माशाअल्लाह हाट में दिखायी दे रही है, अभी ब्लागवाणी को फोन लगाता हूँ शायद उन्हें खबर नहीं होगी

Ayaz ahmad said...

ब्लागवाणी!देर आयद दूरुस्त आयद इसी को कहते है

एक बेहद साधारण पाठक said...

सुन्दर लेख,
धन्यवाद :)

एक बेहद साधारण पाठक said...

"इस दुनिया में सिर्फ दो ही तरह के लोग होते हैं एक अच्छे और दूसरे बुरे"

-MY NAME IS KHAN (2010)

मैं कटटर मुसलमान हूं परन्तु इस मन्दिर की एक-एक ईंट मुझे प्राणों से प्यारी है । मेरे नजदीक मन्दिर और मसजिद प्रतिष्ठा बराबर है । अगर किसी ने इस मन्दिर की ओर निगाह उठाई तो गोली का निशाना बनेगा । अगर तुमको लड़ना है तो बाहर सड़क पर चले जाओ और खूब दिल खोल कर लड़ लो ।

-श्री अशफाक उल्ला खां

jang ladni hi hai to videshi sanskriti ke khilaf ladiye , jo sabhee dharmon ko barabar nuksaan pahuchaa rahi hai :)

-Gourav

भगिरथ said...

call me
1470914709

indonesia

MLA said...

"ईश्वर सर्वशक्तिमान है वह आपके दुखों का अन्त करने की शक्ति रखता है। अपने जीवन की बागडोर उसे सौंपकर तो देखिये। पूर्वाग्रह,द्वेष और संकीर्णता के कारण सत्य का इनकार करके कष्ट भोगना उचित नहीं है। उठिये,जागिये और ईश्वर का वरदान पाने के लिए उसकी सुरक्षित वाणी पवित्र कुरआन का स्वागत कीजिए। भारत को शान्त समृद्ध और विश्व गुरू बनाने का उपाय भी यही है।"

MLA said...

Bahut hi Achha lekh hai Dr. Anwar Jamal sahab. Mashallah!

MLA said...

Aap pareshan mat hoiye, agar blogvani aapke lekh ko hot me nahi laati hai to bhi koi baat nahi. Log to padh hi rahe hai. Vaise bhi ab apka blog ka nam vaise hi logo ko yad hai.