सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Wednesday, April 28, 2010
परमेश्वर के गुणों में भी साझीदार बनाना ‘बड़ा जु़ल्म‘ है । The Way to God .

परमेश्वर के सिवा किसी और की भक्ति-वन्दना करना तो दरकिनार , किसी को उसके गुणों में भी साझीदार बनाना ‘बड़ा जु़ल्म‘ है ।
( पवित्र कुरआन , 31, 13 )
जुल्म का वास्तविक अर्थ है , किसी चीज़ को उसकी असली और सही जगह के बजाय दूसरी जगह पर रखना । शिर्क यानि किसी को ईश्वर का साझीदार ठहराना इसीलिये जुल्म है कि बहुदेववादी भक्ति-वन्दना किसी अन्य की करता है जबकि इसका वास्तविक अधिकारी केवल परमेश्वर है । पवित्र कुरआन में जिन्न अर्थात अदृश्य जीवों और इनसानों की रचना का मक़सद और उनके जीवन का उद्देश्य ही यह बताया गया है कि वे परमेश्वर की भक्ति करने वाले नेक बन्दे बनें -
वमा ख़लक़तुल जिन्ना वल इन्सा इल्ला लिया‘अबुदून । ( पवित्र कुरआन , 51, 56 )
अर्थात हमने तो जिन्नों और इनसानों को केवल इसलिए पैदा किया कि वे मेरी बन्दगी करें यानि आज्ञापालन करें ।
जब पैदाइश की बुनियादी वजह यह ठहरी कि , तो यह कैसे सम्भव है कि उस दयालु पालनहार ने अपने बन्दों के लिए कोई रास्ता न बताया हो , और न ही कोई उस रास्ते का बताने वाला पैदा किया हो ?
जब पैदाइश की बुनियादी वजह यह ठहरी कि , तो यह कैसे सम्भव है कि उस दयालु पालनहार ने अपने बन्दों के लिए कोई रास्ता न बताया हो , और न ही कोई उस रास्ते का बताने वाला पैदा किया हो ?
इन दोनों में से पहले सवाल का जवाब तो यह है -
इन्नद्-दीन इन्दल्लाहिल-इस्लाम ।
( पवित्र कुरआन , 3 , 19 )
अर्थात हम तक पहुंचने का रास्ता इस्लाम है ।
यहां इस्लाम से तात्पर्य वह धर्म नहीं , जो आज समाज में इस्लाम कहलाता है बल्कि यह कहा गया है कि वह धर्म यानि मार्ग जो इनसान को परमेश्वर तक पहुंचाता है ,उसका नाम ‘इस्लाम‘ है । दूसरे लफ़्ज़ों में , वे सारे धर्म जो समय समय पर परमेश्वर की ओर से अवतरित हुए , उनमें से हरेक का नाम ‘इस्लाम‘ था ।
लेखक : मालिक राम
पुस्तक : इस्लामियात ( उर्दू ) पृष्ठ 16 का हिन्दी अनुवाद
प्रकाशक : मकतबा जामिया लिमिटेड , नई दिल्ली
जो आदमी जानना चाहे कि मालिक राम कौन थे ?
वह इस पते पर ईमेल करके मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान साहब से पूछ सकता है ।
पुस्तक : इस्लामियात ( उर्दू ) पृष्ठ 16 का हिन्दी अनुवाद
प्रकाशक : मकतबा जामिया लिमिटेड , नई दिल्ली
जो आदमी जानना चाहे कि मालिक राम कौन थे ?
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आप यहां से पवित्र कुरआन व अन्य सार्थक साहित्य मुफ्त या क़ीमत देकर मंगा सकते हैं ।
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माधुरी गुप्ता जी पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी देते हुए धरी गईं 007 Indian Bond Madhuri Gupta
जब ऊंची शिक्षा पाने के लिए कोई मोटी रक़म लगाएगा तो वह उसे कई गुना वापस चाहेगा ही , ख़ास तौर से तब जबकि वह ऐसी फ़ैमिली बैकग्राउंड रखता हो जहां बच्चे की तालीम और परवरिश पर आये ख़र्च तक को लड़की पक्ष से ब्याज सहित वसूलने की परम्परा हो । जहां दौलत को बाक़ायदा ईश्वर की पत्नी का दर्जा दे दिया गया हो ।
जब ऊंची शिक्षा पाने के लिए कोई मोटी रक़म लगाएगा तो वह उसे कई गुना वापस चाहेगा ही , ख़ास तौर से तब जबकि वह ऐसी फ़ैमिली बैकग्राउंड रखता हो जहां बच्चे की तालीम और परवरिश पर आये ख़र्च तक को लड़की पक्ष से ब्याज सहित वसूलने की परम्परा हो । जहां दौलत को बाक़ायदा ईश्वर की पत्नी का दर्जा दे दिया गया हो ।
... लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि प्यादों की बलि चढ़ा दी जाती है और मास्टर माइंड अपने राजनैतिक आक़ाओं के कारण बच निकलते हैं । काश ! इस बार ऐसा न हो । एक बात यह भी क़ाबिले ग़ौर है कि 1 - क्या एक माधुरी के पकड़े जाने के बाद अब सारे हिन्दुओं या सारे बनियों को उसी प्रकार शक की नजर से देखा जाएगा जैसे कि अगर माधुरी की जगह किसी मुस्लिम के पकड़े जाने पर किया जाता ?
2 - क्या अब मुसलमानों के अलावा अन्य समुदायों में भी देशद्रोहियों और आतंकवादियों की तलाश की जाएगी ?
3 - मुसलमानों को तो निशाने पर रखा गया और दूसरों की तरफ़ पर्याप्त तवज्जो न दी गयी जिसकी वजह से दौलत के पुजारी देश को बेहिचक बेचते रहे । क्या अब दौलत की हद से बढ़ी हुई हवस और मुसलमानों से बिला वजह नफ़रत को कम करने के लिए सरकार या समाज कुछ सोचेगा ?
देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए हमें देश के ग़द्दारों को सिर्फ़ ग़द्दार के रूप में पहचानना होगा और अपने कुत्सित मक़सद के लिए बिला वजह मुसलमानों को बदनाम करने वालों के हौसले पस्त करने होंगे ।
अन्त में मैं कहना चाहूंगा कि कभी कभी भोले भाले आदमी को मक्कार आदमी फंसा भी देते हैं क्योंकि हमेशा चीज़े वैसी नहीं होती जैसी कि वे नज़र आती हैं ।
अभी कोई राय क़ायम न कीजिये । पहले जांच हो जाने दीजिए ताकि सच सामने आ जाये ,अगर दबा न दिया जाए तो .... ।
Tuesday, April 27, 2010
परमेश्वर के सिवाए कोई उपास्य नहीं . The Lord

ला इलाहा इल् - लल्लाह , मुहम्मद- उर - रसूलुल्लाह
अर्थात परमेश्वर के सिवा कोई उपास्य नहीं है , मुहम्मद परमेश्वर के दूत हैं ।
अर्थात परमेश्वर के सिवा कोई उपास्य नहीं है , मुहम्मद परमेश्वर के दूत हैं ।
धर्म की बुनियाद परमेश्वर के अस्तित्व पर पूरा विश्वास और भक्ति है । यही बात सूरा ए फ़ातिहा में यूं कही गई है - इय्याका ना‘बुदु व इय्याका नस्तईन - पवित्र कुरआन , 1, 5
अर्थात हम तेरी ही भक्ति करते हैं और अपने तमाम कामों में तुझ ही से मदद और तौफ़ीक़ तलब करते हैं ।
कु़ल हुवल्लाहु अहद - पवित्र कुरआन , 112 , 1 अर्थात वह परमेश्वर एक है ।
चुनांचे सारे धर्म-मतों में भक्ति का जो भी तरीक़ा प्रचलित है , उसमें मुख़ातिब सिर्फ़ परमेश्वर का ही वुजूद होता है , किसी ऋषि मुनि , नबी या रसूल को संबोधित नहीं किया जाता । यह सबूत है इस बात का कि सभी धर्म-मतों का बुनियादी विश्वास एक परमेश्वर पर यक़ीन और उसकी भक्ति है । इसमें रद्दो बदल या कमी-ज़्यादती बाद की बातें हैं ।
हज़रत उस्मान से रिवायत की गई हदीस में यह कहा गया है कि
जो आदमी इस हाल में मरा कि उसे इस बात का यक़ीन था कि परमेश्वर के सिवाए कोई उपास्य नहीं , वह जन्नत में दाखि़ल हो गया ।
तो इसका भी यही मतलब है कि बुनियादी चीज़ अल्लाह की इबादत है । सो , जब किसी आदमी ने यह फ़र्ज़ अदा कर दिया , तो वह अपनी मन्ज़िले मक़सूद को पहुंच गया ।
लेखक : मालिक राम
कु़ल हुवल्लाहु अहद - पवित्र कुरआन , 112 , 1 अर्थात वह परमेश्वर एक है ।
चुनांचे सारे धर्म-मतों में भक्ति का जो भी तरीक़ा प्रचलित है , उसमें मुख़ातिब सिर्फ़ परमेश्वर का ही वुजूद होता है , किसी ऋषि मुनि , नबी या रसूल को संबोधित नहीं किया जाता । यह सबूत है इस बात का कि सभी धर्म-मतों का बुनियादी विश्वास एक परमेश्वर पर यक़ीन और उसकी भक्ति है । इसमें रद्दो बदल या कमी-ज़्यादती बाद की बातें हैं ।
हज़रत उस्मान से रिवायत की गई हदीस में यह कहा गया है कि
जो आदमी इस हाल में मरा कि उसे इस बात का यक़ीन था कि परमेश्वर के सिवाए कोई उपास्य नहीं , वह जन्नत में दाखि़ल हो गया ।
तो इसका भी यही मतलब है कि बुनियादी चीज़ अल्लाह की इबादत है । सो , जब किसी आदमी ने यह फ़र्ज़ अदा कर दिया , तो वह अपनी मन्ज़िले मक़सूद को पहुंच गया ।
लेखक : मालिक राम
पुस्तक : इस्लामियात ( उर्दू ) पृष्ठ 15 का हिन्दी अनुवाद
प्रकाशक : मकतबा जामिया लिमिटेड , नई दिल्ली
जो आदमी जानना चाहे कि मालिक राम कौन थे ?
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