सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, November 9, 2010
Osho ओशो एक स्पष्टवादी लेकिन बहुत रहस्यमय आदमी थे। एक बेहतरीन क़ाबिलियत रखने वाले आदमी। उनसे वह अमेरिका भी थर्रा गया जिससे दुनिया भी थर्राती है
ओशो एक स्पष्टवादी लेकिन बहुत रहस्यमय आदमी थे। एक बेहतरीन क़ाबिलियत रखने वाले आदमी। उनसे वह अमेरिका भी थर्रा गया जिससे दुनिया भी थर्राती है। अमेरिका ने चाहे सद्दाम को बाद में मारा हो, चाहे वह ओसामा को अब तक ढूंढ न पाया हो और ईरान पर अब तक हमला भी न किया हो लेकिन ओशो को निपटाने में तनिक देर न की। ओशो के मुंह से निकलने वाला सच ज़हर बनाकर उनके ही हलक़ में उतार दिया गया। ओशो ज़िन्दा रहते तो वे सच सामने लाते रहते, अमेरिका का सबकुछ ख़त्म हो जाता।
ओबामा भारत आए। इराक़ पर हमला किए जाने का अफ़सोस जताया लेकिन अफ़सोस का एक शब्द भी ओशो के प्रति व्यक्त न किया और न ही किसी भारतीय नेता ने और न ही भारतीय नेता ने उन्हें याद दिलाया कि आपके मुल्क में हमारी एक अद्भुत प्रतिभा के साथ कैसा दुव्र्यवहार किया गया ?
ओबामा इस देश की धरती पर खड़े होकर फ़ख़्र से कह रहे हैं कि पाकिस्तान उनका दोस्त है। क्या इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की ज़मीन से जारी आतंकी हरकतें ख़ुद अमेरिका की ही कूटनीति है ?
चलिए पाकिस्तान तो अमेरिका को दोस्त है लेकिन सोमालिया तो उसका दोस्त नहीं है। 8 मई 2010 से हमारे 22 नौजवान वहां फंसे पड़े हैं और विश्व भर से आतंकवाद का सफ़ाया करने का दम भरने वाला लीडर हमारे यहां पधारा हुआ है। क्यों नहीं उससे कहा कि हमारे नौजवान रिहा कराओ ?
सब कुछ भुलाकर व्यापार की बातें की जा रही हैं, उनके हित की बातें की जा रही हैं, देश को ग़्ाुलाम बनाने की बातें की जा रही हैं। कहीं यह सब अपने कमीशन की फ़िक्र तो नहीं है ?
हैदर अली और टीपू सुल्तान का मिशन फ़ेल होता सा दिख रहा है।
गुलामों को बता दिया गया है कि हम जो लड़ाई लड़ते हैं अगर उसे क्रूसेड भी कह दें तब भी उसे शांति का युद्ध ही कहना। ‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं‘ मानने वाले बेचारे कर ही क्या सकते हैं ?
और जो कर सकते हैं उन्हें तो चैन से न जीने देने के लिए वे ख़ुद कटिबद्ध हैं।
विदेशी हमलावर पहले जब कभी यहां आए और वे कामयाब हुए तो तब यहां के हालात ऐसे ही थे। यहां के लोग अपनों के ख़िलाफ़ विदेशियों का साथ हमेशा से देते आए हैं।
जो अमेरिका अपने दोस्त इराक़ का दोस्त न हो सका वह भारत का दोस्त कैसे हो सकता है ?
नए ज़माने में उसने गुलामों का नाम ‘दोस्त‘ रख दिया है, इससे दूसरों को ज़िल्लत फ़ील नहीं होती। ज़िल्लत तो हमारे लोग तब भी फ़ील नहीं करते जबकि हमारे एक नेता की तलाशी नंगा करके ली गई।
हमें अगर ठस्से से जीना है तो आपस में एका करना होगा। दोस्त को दोस्त और दुश्मन का दुश्मन के रूप में पहचानना सीखना होगा। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों को हथियार किस देश से मिलते हैं ?
इस प्रश्न के उत्तर से भारतवासी अपने असली दुश्मन को आसानी से पहचान सकते हैं। केवल अपने ही नहीं बल्कि पूरे एशिया के दुश्मन को।
बहरहाल हमने तो लिख दिया लेकिन अगर दिव्या जी को लेख अच्छा लगे तो इसे अच्छा समझा जाए।
ओबामा भारत आए। इराक़ पर हमला किए जाने का अफ़सोस जताया लेकिन अफ़सोस का एक शब्द भी ओशो के प्रति व्यक्त न किया और न ही किसी भारतीय नेता ने और न ही भारतीय नेता ने उन्हें याद दिलाया कि आपके मुल्क में हमारी एक अद्भुत प्रतिभा के साथ कैसा दुव्र्यवहार किया गया ?
ओबामा इस देश की धरती पर खड़े होकर फ़ख़्र से कह रहे हैं कि पाकिस्तान उनका दोस्त है। क्या इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की ज़मीन से जारी आतंकी हरकतें ख़ुद अमेरिका की ही कूटनीति है ?
चलिए पाकिस्तान तो अमेरिका को दोस्त है लेकिन सोमालिया तो उसका दोस्त नहीं है। 8 मई 2010 से हमारे 22 नौजवान वहां फंसे पड़े हैं और विश्व भर से आतंकवाद का सफ़ाया करने का दम भरने वाला लीडर हमारे यहां पधारा हुआ है। क्यों नहीं उससे कहा कि हमारे नौजवान रिहा कराओ ?
सब कुछ भुलाकर व्यापार की बातें की जा रही हैं, उनके हित की बातें की जा रही हैं, देश को ग़्ाुलाम बनाने की बातें की जा रही हैं। कहीं यह सब अपने कमीशन की फ़िक्र तो नहीं है ?
हैदर अली और टीपू सुल्तान का मिशन फ़ेल होता सा दिख रहा है।
गुलामों को बता दिया गया है कि हम जो लड़ाई लड़ते हैं अगर उसे क्रूसेड भी कह दें तब भी उसे शांति का युद्ध ही कहना। ‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं‘ मानने वाले बेचारे कर ही क्या सकते हैं ?
और जो कर सकते हैं उन्हें तो चैन से न जीने देने के लिए वे ख़ुद कटिबद्ध हैं।
विदेशी हमलावर पहले जब कभी यहां आए और वे कामयाब हुए तो तब यहां के हालात ऐसे ही थे। यहां के लोग अपनों के ख़िलाफ़ विदेशियों का साथ हमेशा से देते आए हैं।
जो अमेरिका अपने दोस्त इराक़ का दोस्त न हो सका वह भारत का दोस्त कैसे हो सकता है ?
नए ज़माने में उसने गुलामों का नाम ‘दोस्त‘ रख दिया है, इससे दूसरों को ज़िल्लत फ़ील नहीं होती। ज़िल्लत तो हमारे लोग तब भी फ़ील नहीं करते जबकि हमारे एक नेता की तलाशी नंगा करके ली गई।
हमें अगर ठस्से से जीना है तो आपस में एका करना होगा। दोस्त को दोस्त और दुश्मन का दुश्मन के रूप में पहचानना सीखना होगा। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों को हथियार किस देश से मिलते हैं ?
इस प्रश्न के उत्तर से भारतवासी अपने असली दुश्मन को आसानी से पहचान सकते हैं। केवल अपने ही नहीं बल्कि पूरे एशिया के दुश्मन को।
बहरहाल हमने तो लिख दिया लेकिन अगर दिव्या जी को लेख अच्छा लगे तो इसे अच्छा समझा जाए।
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16 comments:
हम तो हिन्दुस्तानी हैं अपनी बुद्धि का प्रयोग हमने बहुत पहले बंद कर दिया था हमे जो नचाये वही हमारा असली बॉस , बुश ने खुलेआम कहा अब क्रुसेड ( ईसाईयों का धर्मयुद्ध) का वक़्त आगया है फिर भी ये दोगली मीडिया कुछ न बोली इसे आतंक के विरुद्ध युद्ध बताया , वो हमें मारे , मरवाए हमें नंगा करे , फिर भी हम उन्हें पूजते रहेंगे उनकी आवभगत करते रहेंगे , ये सब अधिकांश मीडिया पर बाहरी तत्त्वों के हावी होने का परिणाम है , जल्द ही हम मानसिक तौर पर उनके गुलाम हो जायेंगे
dabirnews.blogspot.com
दिव्या बहेन का नाम ले ले कर पोस्ट लिखें से को फायदा नही है
क्यों की वो तुमारी बुधि स्तर को जान चुकी है
तुम सही कहते हो तुम लोग ही असली आर्य समाजी हो
तभी तुमारे भाई बहन "नियोग" का इस्तेमाल कर रहे है
तुम लोगो का अमेरिका के खिलाफ गुसा जायज है
अमरीका इस्लामी देशो की बजाने में लगा है वो
भी पाकिस्तान की मदद से
पर आप को क्यों तकलीफ है आप तो भारत में पूरी तरह महफूज है
ओशो एक धर्म गुरु नही थे .फिलासफ़र थे जिनके बात का कोई तोड़ नही है किसी के पास
मैं तो पहले ही कह चूका हूँ की आर्य समाजियों को सभ्य लोगों में बात करने तक की तमीज नहीं होती . आप मेरी बात को ही सच साबित कर रहे हो .
भाई साहब अगर आपको गलियां देनी हैं तो कृपया मुझे दे लें , हुज़ूर का पाक नाम अपनी नापाक ज़बान पर न लायें .
अगर आपको गलियां खानी हैं तो आर्कुट में कोई नाला देख कर उसमें कूद पड़ें .
फर्जी प्रोफाइल बनाकर बहादुर बन रहे हैं जनाब . अपने सच्चे पते के साथ आओ पहले .
आज के बाद मैं आपकी फ़ालतू बकवास पब्लिश न करूँगा .
धर्म संस्कार प्रयोग पहेली (१) मुस्लिम मर्द में वह क्या खास है जो औरत के नाज़ुक अंग को गर्भाशय के कैंसर से बचाता है है और सदा संतुष्ट करता है ?
(२) अगर ज्ञान रखते हो तो बताओ कि वेदों के कितने समय बाद दर्शनों कि रचना हुई और कहाँ हुई ?
भारत में या तिब्बत में ?
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डॉ अनवर जमाल ,
जहाँ तक लेख की बात है, बहुत अच्छा लिखा है।
अब बात करते हैं तथ्यों की। ओबामा को अपना समझना , भारत के लिए नुकसान दायक है । वो कभी भारत की बेहतरी नहीं सोच सकता । भारत आकर , गांधी और विवेकानंदा के बारे में शौर्य गाथा गाकर , अपना सम्मान करवा लिया बस । वो न तो भारत के हैं, न ही पाकिस्तान के। बस दोनों ही देशों को लोलीपोप थमाकर अपने से मिलाये रखना चाहते हैं। ये इनकी strategy है।
भारत हो या पाकिस्तान , तरक्की अपने दम पर ही कर सकता है । ऐसे मौकापरस्त मेहमानों की तीन दिवसीय यात्रा से कुछ नहीं होने वाला !
जहाँ तक ओशो की बात है , वो एक दार्शनिक , तथा चिन्तक थे जिनकी विचारधारा से मैं जरा भी प्रभावित नहीं हूँ। क्यूंकि जिसने एक बार भी भगवद गीता पढ़ लिया है , उसको छोटे-मोटे दार्शनिकों की आवश्यकता नहीं रह जाती।
गीता न सिर्फ धर्म ग्रन्थ है, अपितु , जीवन कैसे जीना है ये भी बताती है। गीता जैसे ग्रन्थ हमें हर युग में जीवन जीने की कला सिखाती है। आज जिसे देखो वही आर्ट ऑफ़ लिविंग सीख रहा है। हर ऐरा गैरा आर्ट ऑफ़ लिविंग की पाठशाला लगाए है गली-गली। अरे भागवद गीता मैं सब कुछ है। उसे पढने के बाद ओशो वगैरह obsolete हो जाते हैं।
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@ बहन दिव्या जी ! हम ओशो जी के विचारों से असहमति जता सकते हैं लेकिन उनके साथ अमेरिका में जो अन्याय हुआ उसकी तरफ zuroor ध्यान दिया जाना चाहिए .
२२ बंधक नौजवानों की तरफ तो ज़ुरूर ही . मेरा नया लेख भी इसी ब्लॉग वेद क़ुरआन पर है कृपया ज़ुरूर देखें .
हमें अगर ठस्से से जीना है तो आपस में एका करना होगा। दोस्त को दोस्त और दुश्मन को दुश्मन के रूप में पहचानना सीखना होगा।
जानते सब हैं लेकिन डर के मारे चुप हैं बस ईमान वाला ही बोलेगा या वह जो ईमान वालों का साथी होगा .
ध्यान 'अपना' रखना.
good post .
very nice post.
@ Zeal. I don;t think you have read Osho. and I resepctfully advise not to compare his teachings with those of Bhagwad Geeta. Both are not comparable. For knowing Osho, you will have to read what he narrated or wrote. I HAVE READ GEETA AND OSHO BOTH AND I CAN SAY WITH AUTHORITY THAT BOTH ARE NOT AT ALL COMPARABLE
@ Zeal. I don;t think you have read Osho. and I resepctfully advise not to compare his teachings with those of Bhagwad Geeta. Both are not comparable. For knowing Osho, you will have to read what he narrated or wrote. I HAVE READ GEETA AND OSHO BOTH AND I CAN SAY WITH AUTHORITY THAT BOTH ARE NOT AT ALL COMPARABLE
. एक बात बताएं मुस्लिम भाइयों कुरान में खतना का कोई जिक्र नहीं है तो क्या खतना करना कुरान विरोधी नहीं है
Osho ke jaisa sccha koi nhi maine bhot dharm guru dekhe sab jhut ka shara lene wale dhrm ke nam par
aapni dukan chlane wale
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