सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Saturday, July 17, 2010
At the time of marriage ‘सीता जी की आयु 6 वर्ष थी‘, जो लोग बाल्मीकि रामायण को प्रमाण मानते हैं वे इस तथ्य को झुठला नहीं सकते।-Anwer Jamal
दुहिता जनकस्याहं मैथिलस्य महात्मनः।। 3 ।।
सीता नाम्नास्मि भद्रं ते रामस्य महिषी प्रिया ।।
‘ब्रह्मन ! आपका भला हो। मैं मिथिलानरेश जनक की पुत्री और अवध नरेश श्री रामचन्द्र जी की प्यारी रानी हूं। मेरा नाम सीता है‘।। 3 ।।
उषित्वा द्वादश समा इक्ष्वाकूणां निवेशने ।। 4 ।।
भुन्जाना मानुषान् भोगान् सर्वकामसमृद्धिनी ।।
‘विवाह के बाद बारह वर्षों तक इक्ष्वाकुवंशी महाराज दशरथ के महल में रहकर मैंने अपने पति के साथ सभी मानवोचित भोग भोगे हैं। मैं वहां सदा मनोवांछित सुख-सुविधाओं से सम्पन्न रही हूं‘।। 4 ।।
तत्र त्रयोदशे वर्षे राजातन्त्रयत प्रभुः।। 5 ।।
अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभिः ।।
‘तेरहवें वर्ष के प्रारम्भ में सामर्थ्यशाली महाराज दशरथ ने राजमन्त्रियों से मिलकर सलाह की और श्रीरामचन्द्र जी का युवराज पद पर अभिषेक करने का निश्चय किया‘ ।। 5 ।।
मम भर्ता महातेजा वयसा पञ्चविंशकः ।। 10 ।।
अष्टादश हि वर्षाणि मम जन्मनि गण्यते ।।
‘उस समय मेरे महातेजस्वी पति की अवस्था पच्चीस साल से ऊपर की थी और मेरे जन्मकाल से लेकर वनगमनकाल तक मेरी अवस्था वर्ष गणना के अनुसार अठारह साल की हो गयी थी ।। 10 ।।
श्रीमद्बाल्मीकीय रामायणे, अरण्यकाण्डे, सप्तचत्वारिंशः सर्गः, पृष्ठ 598 , सं. 2051 तेरहवां संस्करण,
मूल्य पैंतालीस रूपये
अनुवादक- साहित्याचार्य पाण्डेय पं. रामनारायण दत्त शास्त्री ‘राम‘
प्रकाशक - गीता प्रेस , गोरखपुर,
रामायण के मूल श्लोक और उनका अनुवाद आपके सामने रख दिये गये हैं। आप खुद फ़ैसला कर सकते हैं। कवि ने क्यों सीता जी को विवाह के समय 6 वर्ष का दिखाना ज़रूरी समझा, इस विषय पर मैं अपना नज़रिया बाद में रखूंगा।
दुख होता है यह देखकर कि
जो लोग रामायण के ब्लॉग चला रहे हैं उन्हें भी सही तथ्य का ज्ञान नहीं है
या फिर दूसरे लोगों को भ्रम में डाले रखने के लिए खुद को अनभिज्ञ दिखाते हैं।
रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्श ही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है। बौद्धिक जागरण के इस काल में तर्क को परंपरा का हवाला देकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। रामचन्द्र जी के चरित्र को सामने लाने के लिए देश की रामकथाओं के साथ साथ मलेशिया आदि विदेशों में प्रचलित रामकथाओं पर भी नज़र डालना ज़रूरी है। यदि ऐसा किया जाए तो सच भी सामने आएगा, रामकथा का व्यापक प्रभाव भी नज़र आएगा और हो सकता है कि श्री रामचन्द्र जी का वास्तविक जन्म स्थान वर्तमान अयोध्या के अलावा कोई और जगह निकले, तब राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद भी स्वतः ही हल हो जाएगा। सच से मानवता का कल्याण होगा। सच कड़वा होता है तब भी इसे ग्रहण करना चाहिये क्योंकि सच हितकारी होता है, कल्याणकारी होता है, समस्याओं से मुक्ति देता है।
सीता नाम्नास्मि भद्रं ते रामस्य महिषी प्रिया ।।
‘ब्रह्मन ! आपका भला हो। मैं मिथिलानरेश जनक की पुत्री और अवध नरेश श्री रामचन्द्र जी की प्यारी रानी हूं। मेरा नाम सीता है‘।। 3 ।।
उषित्वा द्वादश समा इक्ष्वाकूणां निवेशने ।। 4 ।।
भुन्जाना मानुषान् भोगान् सर्वकामसमृद्धिनी ।।
‘विवाह के बाद बारह वर्षों तक इक्ष्वाकुवंशी महाराज दशरथ के महल में रहकर मैंने अपने पति के साथ सभी मानवोचित भोग भोगे हैं। मैं वहां सदा मनोवांछित सुख-सुविधाओं से सम्पन्न रही हूं‘।। 4 ।।
तत्र त्रयोदशे वर्षे राजातन्त्रयत प्रभुः।। 5 ।।
अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभिः ।।
‘तेरहवें वर्ष के प्रारम्भ में सामर्थ्यशाली महाराज दशरथ ने राजमन्त्रियों से मिलकर सलाह की और श्रीरामचन्द्र जी का युवराज पद पर अभिषेक करने का निश्चय किया‘ ।। 5 ।।
मम भर्ता महातेजा वयसा पञ्चविंशकः ।। 10 ।।
अष्टादश हि वर्षाणि मम जन्मनि गण्यते ।।
‘उस समय मेरे महातेजस्वी पति की अवस्था पच्चीस साल से ऊपर की थी और मेरे जन्मकाल से लेकर वनगमनकाल तक मेरी अवस्था वर्ष गणना के अनुसार अठारह साल की हो गयी थी ।। 10 ।।
श्रीमद्बाल्मीकीय रामायणे, अरण्यकाण्डे, सप्तचत्वारिंशः सर्गः, पृष्ठ 598 , सं. 2051 तेरहवां संस्करण,
मूल्य पैंतालीस रूपये
अनुवादक- साहित्याचार्य पाण्डेय पं. रामनारायण दत्त शास्त्री ‘राम‘
प्रकाशक - गीता प्रेस , गोरखपुर,
रामायण के मूल श्लोक और उनका अनुवाद आपके सामने रख दिये गये हैं। आप खुद फ़ैसला कर सकते हैं। कवि ने क्यों सीता जी को विवाह के समय 6 वर्ष का दिखाना ज़रूरी समझा, इस विषय पर मैं अपना नज़रिया बाद में रखूंगा।
दुख होता है यह देखकर कि
जो लोग रामायण के ब्लॉग चला रहे हैं उन्हें भी सही तथ्य का ज्ञान नहीं है
या फिर दूसरे लोगों को भ्रम में डाले रखने के लिए खुद को अनभिज्ञ दिखाते हैं।
रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्श ही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है। बौद्धिक जागरण के इस काल में तर्क को परंपरा का हवाला देकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। रामचन्द्र जी के चरित्र को सामने लाने के लिए देश की रामकथाओं के साथ साथ मलेशिया आदि विदेशों में प्रचलित रामकथाओं पर भी नज़र डालना ज़रूरी है। यदि ऐसा किया जाए तो सच भी सामने आएगा, रामकथा का व्यापक प्रभाव भी नज़र आएगा और हो सकता है कि श्री रामचन्द्र जी का वास्तविक जन्म स्थान वर्तमान अयोध्या के अलावा कोई और जगह निकले, तब राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद भी स्वतः ही हल हो जाएगा। सच से मानवता का कल्याण होगा। सच कड़वा होता है तब भी इसे ग्रहण करना चाहिये क्योंकि सच हितकारी होता है, कल्याणकारी होता है, समस्याओं से मुक्ति देता है।
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26 comments:
महामूर्ख्……………॥
"मैं मिथिलानरेश गीता प्रेस , गोरखपुर जनक की पुत्री और…"
यह गीता प्रेस , गोरखपुर क्या है?,यह प्रकाशन है।
बहुत बढ़िया. तुम हमारे ऊपर कीचड उछालो, हम तुम्हारे ऊपर उछालते हैं.
रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्श ही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है।
@ Impact ! ye kichad ucchalna nahin balki dhona kahlata hai .
बौद्धिक जागरण के इस काल में तर्क को परंपरा का हवाला देकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। रामचन्द्र जी के चरित्र को सामने लाने के लिए देश की रामकथाओं के साथ साथ मलेशिया आदि विदेशों में प्रचलित रामकथाओं पर भी नज़र डालना ज़रूरी है।
दुख होता है यह देखकर कि जो लोग रामायण के ब्लॉग चला रहे हैं उन्हें भी सही तथ्य का ज्ञान नहीं है या फिर दूसरे लोगों को भ्रम में डाले रखने के लिए खुद को अनभिज्ञ दिखाते हैं।
@ G.K. Awadhiya ji ! lijiye , aaj ho gayi aapki purani demand poori. ab to khush aur santusht ho jaiye sahab .
डा० साहब आपने हमेशा सच का आईना झूठो को दिखया है. लेकिन इस तरह से ''इन लोगो'' की धर्म की दुकान बंद हो जाएगी,
फिर इनको बुधीजीवी कोन कहेगा. हो सकता है की कुछ शांति दूत भी आएँ सोहार्द और्र प्रेम की बीन बजाते हुए......
वैसे सच हमेशा कड़वा होता है.
लेकिन कब तक झूठ के सहारे रहेंगे?
Musalmaan saale kitne kameene hote ye to anvar kii chaal se pataa chal gayaa hain,
Saale anver toone mahak or satya gautam jhoothii Id bana rakhii...
toone mahak ke naam se blog parliment kaa game khel rahaa hai.
sab jhoot hain..
satya gautam ke naam se dalit game khel rahaa hai
tera maksad to kuchh or hee hain
Saalo kameeno, desh ke gadhharo , chale jao pakistaan vahii bin laden tumahaarii .....
राजस्थान में 22 बच्चों की muslim मां फिर गर्भवती हुई
http://josh18.in.com/hindi/masal-mix-news/713582/0
Saalon allah ke naam par keede makode kii tarah bachhe paida karo,
eshe bache paide karke bhii kya phayada jinki dekh phaal nahee kar sakte, bachhe bhuukhe marenge. Saale doosron ke liye sir dard banenge, pahle allah ke naam par khoob bachha karenge phir bhikhariyon kii tarah musalmaan ke naam par AARAKCHHN mangte phirenge
jab bache paal nahee sakte to paidaa kyon karte ho, Saale kahte hain PARIVAAR NIYOJAN haraam. POLIO kii davaa bhee nahe dete islaam ke naam par. maro saalon
27 killed in Iran mosque attacks
http://business.maktoob.com/20090000489726/Sunni_rebels_bomb_Iran_mosque_kill_27/Article.htm
Militants kill 16 passengers in Pakistan
http://business.maktoob.com/20090000489906/Militants_kill_16_passengers_in_Pakistan/Article.htm
R.S.S. के गुंडे तुम यहाँ भी आ गए
विवाह के समय सीता की उम्र छः साल रही होगी.
बहुत पुरानी बात है यह. यह भी नहीं पता कि सच है या झूठ.
अब हर किताब आसमानी तो होती नहीं है न!
सच हो तो हमें क्या मिल जायेगा और झूठ हो तो कौन क्या उखाड़ लेगा.
अब तो इस उम्र में अपने बच्चों की शादी करनेवाले बहुत कम हिन्दू होंगे.
वक़्त-वक़्त की बात है.
आज की बात करो.
Mr.Anaam की बात से पूरी तरह सहमत हूँ , अब जो भी पहले हुआ है या लिखा गया है उसे शत-पर्तिशत सही या गलत मानकर अपना वर्तमान और भविष्य नहीं खराब किया जा सकता , हर धार्मिक ग्रन्थ से जो भी अच्छी या बुरी बात बात मिले उसे पहले तर्क की कसौटी पर परखें फिर उसका ग्रहन या त्याग करें, बात सिर्फ इतनी सी है
A true story of little girl Bar'aah
http://towardshuda.wordpress.com/2010/02/18/a-true-story-a-little-girl-named-braah/
let them dua for her.
बहुत अच्छी जानकारी...लेकिन इस बात से कोई फ़र्क नही पडता क्यौंकि हिन्दुस्तान में अब बहुत कम लोग ऐसे बचे है जो सनातन धर्म या हिन्दु धर्म के ग्रन्थों पर अमल करते है......
सब अपनी मर्ज़ी से और अपने तरीके से ज़िन्दगी जी रहे है.....
=========
"हमारा हिन्दुस्तान"
"इस्लाम और कुरआन"
Simply Codes
@Dr. Ayaz ahmad..
Doosre dharm mein kya likha or hindu ko kaise chalnaa hain ye tum sikhaooge humke. GADHHAR
Saare musalmaano kii doosre dharm ke prati talibanii socha hotii hain chaahe vah DOCTOR ho yaa ANPAD
Pahle apne dharm ko sambhaalo,
Siya , sunni kii MASJID mein AATMGHAATI bomb phod rahaa hain
Sunii bhii Siyaon kaa chun chun kar maar rahaa hain. esme SITAI MATA kaa kyaa kasoor. KASOOR to QURAN kii sakshaa kaa hain jo logo ko maarne mein visvaas karaati hain.
Poori duniya kii MASJIDON main daily AATMGHATII BOMB phoot rahe hain. Ahamdiyon ko kyon maara jaa rahaa hain. Soophii Dargaah par bomb kyon phoot rahe hain. Doosre dharm ke baare mein chhod do, pahle apne dharm ko sambhaale, agar nahii sambhalta to HINDU ban jaao
SIMI sangathan ka kya udesya hain. Kashmiri pandito ko musalmaano ne beghar kar rakhaa hain. India mein 10-15 muslim aatankwasdi sangathatn
chaahe vah AASAAM se lekar KERAL tak. Khaate hindustaan ke hain, training lene yaa gungaan gaate pakistaan ke hain
बहुत बढिया तथ्य खोजा आपने धन्य्वाद . एक जिग्यासा है मोहम्म्द साहब की शादिया और उम्र भी बताये तो ग्यान बढेगा हमारा . और उनकी पत्नियो की भी उम्र बताये
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
@सभी सम्मानित एवं आदरणीय सदस्यों
आप सबके अपने blog " blog parliament " ( जिसका की नाम अब " ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण " कर दिया गया है ) पर पहला प्रस्ताव ब्लॉगर सुज्ञ जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है , अब इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बहस शुरू हो चुकी है
कृपया कर आप भी बहस में हिस्सा लें और इसके समर्थन या विरोध में अपनी महत्वपूर्ण राय प्रस्तुत करें ताकि एक सही अथवा गलत बिल को स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सके
धन्यवाद
महक
अनवर भाई साहब वाकई आप काबिले तारीफ़ हैं,
यह बात सही है कि सच हमेशा कड़वा होता है, और कडवाहट का एहसास गले को होता है इसलिए जिसको ज्यादा कड़वा लगता है वो ज्यादा गला फाड़ के चिल्लाते है, और यह स्वाभाविक है,
गला फाड़कर चिल्लाने से सच को दबाया नहीं जा सकता सच हमेशा सच रहता है,
श्रीमानजी, सीताजी की उम्र ६ वर्ष थी, १६ वर्ष थी या फिर २६ वर्ष थी इन बातों की खोज का क्या लाभ है.
रामचन्द्र जी का असली चरित्र रमणीय और आदर्श ही होना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है।
प्राईमरी रंगों की खोज किसने की थी?
जब कोई लेखक कोई पुस्तक या कहानी लिखता है ..उस कहानी के सारे पात्र उसकी दिमाग की सोच होते है..हर एक पात्र अपना नही उसका चरित्र दिखाते है ...
जब तुलसीदास ने राम चरित्र मानस लिखी ...तब ये घटना पुरानी हो चुकी थी...एसा तो था नही कि तुलसीदास राम कि पीछे घूमते थे..और उनकी बातो को नोट कर के लिखते थे..ये उनका लिखा हुआ चरित्र है ....राम का चरित्र नही है ..जो उनके मन में आया वो लिखा उन्होंने...
ककन किकिनी नुपुर धुनि सुनि|कहत लखन सन राम ह्रदय गुनि
मानहु मदन दुनुभी दिन्ह्नी |मनसा बिस्व्या विजय कह किन्ही||
हाथो के कणे ,करधनी और पायल कि अआवाज सुनकर राम लख्मण से कहते है मानो yesi धुन आ रही है कि कामदेव ने संसार को जितने का संकल्प किया है
क्या ये बात कोई सभ्य आदमी अपने छोटे भाई से कहेगा ...ये राम ने नही तुलसीदास के विचार है
सूद्र गवार ढोल पशु नारी |सकल ताड़ना के अधिकारी ||
पंडित क्षत्रिय और वैश्य को छोडकर सभी जाति के लोग ,गावो में रहेने वाले लोग ,पशु औए नारी मार खाने योग्य है ..ये इनसे ही टीक रहती है
अपनी औरत से लत खाने वाले तुलसी दास पूरी कहानी में औरत को जलील करते आये hai
तुलसी दास ने सदेव ही पंडितवाद को बढावा दिया
ye to writer ke uper hai ki wo nayika ki saadi kis umar me kra de bhai..........
According to skanda purana book 3 section 2 ch 30 verse 8 to 9 mai likha hai sita ke Saadi ke waqt 6age ki thi
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