सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, June 15, 2010
The night जिसने कंजूसी की और (लोगों की समस्याओं से) बेपरवाह रहा और भलाई को झुठलाया तो ‘हम‘ उसको कठिन मार्ग की सुविधा देंगे और उसका माल उसके काम न आयेगा जब वह गड्ढे में गिरेगा।
आरम्भ परमेश्वर के नाम से जो अनन्त दयावान और सदा कृपाशील है
साक्षी है रात जबकि वह छा जाये और साक्षी है दिन जबकि वह रौशन हो और साक्षी है उसकी बनाई सृष्टि, नर और मादा कि तुम्हारी कोशिशें अलग अलग हैं। सो जिसने दिया और वह डरा और उसने भलाई को सच माना तो ‘हम‘ आसान कर देंगे उसको ‘सहज मार्ग‘ और जिसने कंजूसी की और (लोगों की समस्याओं से) बेपरवाह रहा और भलाई को झुठलाया तो ‘हम‘ उसको कठिन मार्ग की सुविधा देंगे और उसका माल उसके काम न आयेगा जब वह गड्ढे में गिरेगा।
बेशक ‘हमारे‘ ज़िम्मे है राह बताना और बेशक हमारे अख्तियार में है लोक व परलोक। सो हमने तुमको डरा दिया भड़कती आग से। उसमें वही पड़ेगा जो बड़ा बदबख्त है, जिसने झुठलाया और मुंह फेर लिया और ‘हम‘ उससे बचा देंगे ज़्यादा डरने वाले को, जो (लोकहित में) अपना माल देता है शुद्धि पाने के लिये और उसपर किसी का अहसान नहीं जिसका बदला उसे देना हो मगर सिर्फ़ अपने पालनहार की रज़ा के लिये और बहुत जल्द वह खुश हो जायेगा।
अलकुरआन,सूरह अल्लैल,1-21
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19 comments:
anwar sahat bahut hi acchi post hai
aap ki is post se is nacheez H. Pak S. A. W. ke Gulam ko kuch sikhne ko mila Shukriya Ummeed karta hu ke aap aesi hi sikhne wali post dete rahenge ek vot meri taraf se shukriya
ANWAR BHAI BAHUT BADHIYA SACH BAT HAI
aap apna mail id send kar sakte hai
सार्थक पोस्ट, साधुवाद
लोगों की सोच को बिगाड़ने की कोशिशें आज भी जारी हैं। हर्फ़े ग़लत 2 और भंडाफोड़ू के नाम इनमें ‘जागो हिन्दू जागो‘ से भी पहले आता है। इन दोनों ब्लॉग पर मुझे कुछ लोगों के कमेंट सटीक लगे। मैं चाहूंगा कि आप भी देखें। साथ ही देखने लायक़ यह बात भी है कि अब कोई भी ब्लागर इनके विरूद्ध वैसी आवाज़ नहीं उठा रहा है जैसी कि कभी भाई डा. अनवर जमाल साहब के खि़लाफ़ उठायी थी।इससे आवाज़ उठाने वालों की निष्पक्षता पर संदेह उठना क्या स्वाभाविक नहीं है ?
पहला कमेंट Bhandafodu पर
DR. ANWER JAMAL said...
सर जी , कुप्रथाओं
के विरूद्ध कभी हम भी अभियान चलाया करते थे। उन दिनों हम कुछ इस प्रकार लिखा
करते थे। उम्मीद है कि आप जैसे सत्यार्थी के कुछ काम आ सकेंगे ये लेख। कोशिश करूंगा
कि अलग से विशेष तौर पर आपके लिये कुछ लिख सकूं।आप जो कह रहे हैं अपने मन से कह रहे
हैं मैंने जो भी लिखा है आप मुझ से उसका हवाला मांग सकते हैं . मैंने तो कल भी अजित
जी के ब्लॉग पर जा कर कहा कि श्री कृष्ण जी ने कभी रस लीला खेलने का पाप नहीं किया
. महापुरुष समाज के सामने आदर्श पेश करते हैं . उनके बाद स्वार्थी लोग शोषण करते
हैं और महापुरुषों को कलंकित करते हैं . कृपया मेरे लेख देख कर बताएं कि मेरी कौन
सी बात अप्रमाणिक है ?
दूसरा कमेंट
Sharif Khan said...
''मनुष्य
फल की अभिलाषा के बिना कोई भी अच्छा कार्य नहीं करता.'' ये बात सृष्टिकर्ता ने
मानव प्रकृति में फीड कर दी है. मिसाल के तौर पर हम देखें कि एक बच्चा भी इनाम के
लालच में अपनी इच्छा के विपरीत कार्य कर देता है. जब किसी कंपनी का मालिक अपने
कर्मचारियों के द्वारा किये गए अच्छे कार्यों से प्रसन्न होकर इनाम के रूप में उनको
सैर सपाटे के लिए कंपनी के खर्चे पर भेज देता है तो सृष्टिकर्ता यदि अपने द्वारा
निर्देशित मार्ग पर चलने वाले मनुष्यों से प्रसन्न होकर उनको इनाम के तौर पर ऐश की
ज़िन्दगी उपलब्ध करा दे तो इसमे संशय की क्या बात है ?यह आलोचना का विषय भी नहीं
होना चाहिए. परन्तु जो लोग बुराई का रास्ता अपनाते हैं तो वह अपने अंजाम की फ़िक्र
करके कभी तो कुतर्कों का सहारा लेकर अपने दिल को तसल्ली देने की नाकाम कोशिश करते
हैं या फिर आलोचना पर उतर आते हैं. ऐसे नासमझ लोगों के लिए हमको चाहिए की अल्लाह से
दुआ करें की उन को सद्बुद्धि दे.
कोई भी ब्लागर इनके विरूद्ध वैसी आवाज़ नहीं उठा रहा है जैसी कि कभी भाई डा. अनवर जमाल साहब के खि़लाफ़ उठायी थी।इससे आवाज़ उठाने वालों की निष्पक्षता पर संदेह उठना क्या स्वाभाविक नहीं है ?
http://bhandafodu.blogspot.com/2010/06/blog-post_12.html?showComment=1276517249846#c7934705479925955545
http://bhandafodu.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html
ayaz ahmed sahab aap is trah ke blog side ki chinta na kare ye waqt ke sath kudh hi fana ho jaigi
@indli से सहमत उन्हें अच्चा लगा, मुझे पोस्ट अच्ची लगी।
अल्लाह ने चाहा तो हम कन्जूसी नहीं करेंगे, कल शहरोज भाई को हमने अपने यहां बुलाया है शाहनवाज चचा के साथ मिलके उनके लिये कुछ किया जायेगा
बार-बार निरन्तर शहरोज जी के लिये आपकी कलम से सहायता भी, ज़ाये नहीं जायेगी, इसका बदला मालिक आपको देगा
आप भी आईये
बढिया सन्देश
GOOD POST
@Dr. Ayaz
कैसे आवाज़ उठाएँगे, ये लोग तो कूप मंडूक हैं, लेकिन इनकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नही हैं ये अपने जाल मैं खुद ही फँसने वाले हैं.
जी हाँ इतना तो ज़रूर जब डा० अनवर हक बात करते हैं तो इनके तथाकथित बुधीजीवियो के मिर्चे क्यूँ लगती हैं?
तब तो बड़ी प्रेम सदभावना की बातें याद आती हैं?
अब क्यूँ मुँह सिले हुए हैं?
इक आवाज़ नही इनके खिलाफ ???
क्या इन लोगो को नक़ली ''राष्ट्रवादियो'' का परोक्ष समर्थन हासिल है ?
क्या इन बातो का जवाब हमारे पास नही है?
है.....मगर फिर शिकायत ना करना.
beshak.
lekin aap
अनवार भाई यह शाहनवाज चचा कौन है? और शहरोज भाई किधर आ रहे हैं हमें बताओ
महाशय शहसपुरिया जब(कब) डा० अनवर हक बात करते हैं तो तथाकथित बुधीजीवियो के मिर्चे क्यूँ लगती हैं? का जवाब मिलेगा, करारा जवाब मिलेगा
महाशय शहसपुरिया जब(कब) डा० अनवर हक बात करते हैं तो तथाकथित बुधीजीवियो के मिर्चे क्यूँ लगती हैं? का जवाब मिलेगा, करारा जवाब मिलेगा
भाई जान एक बोट मेरी तरफ़ से भी ..
आप बहुत अच्छा लिखते हो
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