सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Wednesday, March 17, 2010
लंका दहन नायक पवनपुत्र महावीर हनुमान जी ने मन्दिर को टूटने से बचाना क्यों जरूरी न समझा ? plain truth about Hindu Rashtra .

मकड़जालग्रस्त और इतिहास बोध ‘शून्य कुछ लोग कह रहे हैं कि हिन्दू कभी किसी धर्म को बुरा नहीं कह सकता । मेरी पोस्ट पर मौजूद टिप्पणियां उनकी ग़लतफ़हमी दूर करने के लिए काफ़ी हैं परन्तु फिर भी एक पूरी पोस्ट में वर्णवादी ग्रन्थों के प्रमाण देकर उनके दिलों को पूरी तरह मुतमईन कर दिया जाएगा ।
इन अबोध बालकों को हिन्दुत्व के क़सीदे पढ़ते हुए भी सुना जा रहा है ।
किसी भी मत या दर्शन के लिए ज़रूरी है कि वह सारे जगत के लिए समान रूप से हितकारी हो ।यदि हिन्दुत्व में यह ‘शर्त पूरी होती है तो किसी को भी इसे अपनाने में झिझकना नहीं चाहिए ।
आइये इसके लिए हिन्दुत्व के प्रचारकों से ही पूछते हैं कि
1-हिन्दू ‘शब्द कितना पुराना है?
2-इस ‘शब्द का अर्थ घृणित तो नहीं है ?
3-यह ‘शब्द किसी देशी ग्रन्थ का है ?
4-या विदेशियों का बख़शा हुआ है?
5-जिन लोगों ने हिन्दू ‘शब्द दिया उनके ‘शब्दकोष में इसका अर्थ क्या है?
6- क्या कोई आर्य विद्वान ऐसा हुआ है जिसने हिन्दू ‘शब्द पर आपत्ति प्रकट की हो ?
7-हिन्दुत्व क्या है ?
8-इस ‘शब्द को कब गढ़ा गया ?
9-इसकी परिभाषा क्या है?
10-हिन्दुत्ववादी के लक्षण और कर्तव्य क्या होते हैं ?
11-क्या हिन्दुत्व किसी ईश्वरीय ग्रन्थ पर आधारित है ?
12-क्या हिन्दुत्व के सिद्धान्तों पर दुनिया में कभी कोई समाज स्थापित हुआ है?
14-यदि हुआ है तो उसमें महिलाओं और कमज़ोर वर्गों के उत्थान के लिए क्या किया गया ?
15-क्या हिन्दुत्व एक विश्वव्यापी अवधारणा है ?
16-या फिर क्षेत्रीय ?
17-जो लोग हिन्दुत्व के अलावा किसी अन्य विचारधारा को मानते हैं , उन्हें हिन्दुत्वादी अपने से हीन समझते हैं , या अपने बराबरया अपने से ऊँचा ?
18-हिन्दुत्व ने समरस और समानता के सिद्धान्त इसलाम से क्यों लिए?
19-यदि नहीं लिए तो फिर किस वर्णवादी ग्रन्थ से लिए हैं? उसका स्रोत बताया जाए ।
19-हिन्दुत्व की नज़र में वर्ण व्यवस्था की क्या वैल्यू है ?
20-वह वर्ण व्यवस्था की वापसी चाहता है ?या उसका सफ़ाया?
21-तथाकथित वैदिक काल में ‘शूद्रों , औरतों और घोड़ों पर हुए अत्याचारों को वह निन्दनीय मानता है ?
22-या प्रशंसनीय ?
23-पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के अनुयायियों द्वारा अविष्कृत अनगिनत साधनों से लाभ उठाने के बाद एक हिन्दुत्ववादी स्वयं को उनके प्रति कितना कृतज्ञ मानता है?
24-या फिर उनके उन्मूलन की चिन्ता में ही घुलता रहता है ?
25- ग्राहम स्टेन्स को उसके मासूम बच्चों सहित ज़िन्दा जलाने वाले दारा को हिन्दुत्ववादी मानवता का अपराधी मानते हैं ?
26- या फिर अपना आदर्श और हीरो?
27- महात्मा गांधी के हत्यारे की वे सराहना करते हैं या निन्दा ?
28- हनुमान जी को वे जीवित मानते हैं या मृत ?
29- मीर बाक़ी द्वारा श्री रामचन्द्र जी का मन्दिर गिराया जाना उचित था या अनुचित?
30- लंका दहन नायक पवनपुत्र महावीर हनुमान जी ने मन्दिर को टूटने से बचाना क्यों जरूरी न समझा ?
उम्मीद है कि इन सवालों के जवाब से यह पूरी तरह साफ़ हो जाएगा कि हिन्दुत्व किसके लिए और कितना लाभकारी है?
इन अबोध बालकों को हिन्दुत्व के क़सीदे पढ़ते हुए भी सुना जा रहा है ।
किसी भी मत या दर्शन के लिए ज़रूरी है कि वह सारे जगत के लिए समान रूप से हितकारी हो ।यदि हिन्दुत्व में यह ‘शर्त पूरी होती है तो किसी को भी इसे अपनाने में झिझकना नहीं चाहिए ।
आइये इसके लिए हिन्दुत्व के प्रचारकों से ही पूछते हैं कि
1-हिन्दू ‘शब्द कितना पुराना है?
2-इस ‘शब्द का अर्थ घृणित तो नहीं है ?
3-यह ‘शब्द किसी देशी ग्रन्थ का है ?
4-या विदेशियों का बख़शा हुआ है?
5-जिन लोगों ने हिन्दू ‘शब्द दिया उनके ‘शब्दकोष में इसका अर्थ क्या है?
6- क्या कोई आर्य विद्वान ऐसा हुआ है जिसने हिन्दू ‘शब्द पर आपत्ति प्रकट की हो ?
7-हिन्दुत्व क्या है ?
8-इस ‘शब्द को कब गढ़ा गया ?
9-इसकी परिभाषा क्या है?
10-हिन्दुत्ववादी के लक्षण और कर्तव्य क्या होते हैं ?
11-क्या हिन्दुत्व किसी ईश्वरीय ग्रन्थ पर आधारित है ?
12-क्या हिन्दुत्व के सिद्धान्तों पर दुनिया में कभी कोई समाज स्थापित हुआ है?
14-यदि हुआ है तो उसमें महिलाओं और कमज़ोर वर्गों के उत्थान के लिए क्या किया गया ?
15-क्या हिन्दुत्व एक विश्वव्यापी अवधारणा है ?
16-या फिर क्षेत्रीय ?
17-जो लोग हिन्दुत्व के अलावा किसी अन्य विचारधारा को मानते हैं , उन्हें हिन्दुत्वादी अपने से हीन समझते हैं , या अपने बराबरया अपने से ऊँचा ?
18-हिन्दुत्व ने समरस और समानता के सिद्धान्त इसलाम से क्यों लिए?
19-यदि नहीं लिए तो फिर किस वर्णवादी ग्रन्थ से लिए हैं? उसका स्रोत बताया जाए ।
19-हिन्दुत्व की नज़र में वर्ण व्यवस्था की क्या वैल्यू है ?
20-वह वर्ण व्यवस्था की वापसी चाहता है ?या उसका सफ़ाया?
21-तथाकथित वैदिक काल में ‘शूद्रों , औरतों और घोड़ों पर हुए अत्याचारों को वह निन्दनीय मानता है ?
22-या प्रशंसनीय ?
23-पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के अनुयायियों द्वारा अविष्कृत अनगिनत साधनों से लाभ उठाने के बाद एक हिन्दुत्ववादी स्वयं को उनके प्रति कितना कृतज्ञ मानता है?
24-या फिर उनके उन्मूलन की चिन्ता में ही घुलता रहता है ?
25- ग्राहम स्टेन्स को उसके मासूम बच्चों सहित ज़िन्दा जलाने वाले दारा को हिन्दुत्ववादी मानवता का अपराधी मानते हैं ?
26- या फिर अपना आदर्श और हीरो?
27- महात्मा गांधी के हत्यारे की वे सराहना करते हैं या निन्दा ?
28- हनुमान जी को वे जीवित मानते हैं या मृत ?
29- मीर बाक़ी द्वारा श्री रामचन्द्र जी का मन्दिर गिराया जाना उचित था या अनुचित?
30- लंका दहन नायक पवनपुत्र महावीर हनुमान जी ने मन्दिर को टूटने से बचाना क्यों जरूरी न समझा ?
उम्मीद है कि इन सवालों के जवाब से यह पूरी तरह साफ़ हो जाएगा कि हिन्दुत्व किसके लिए और कितना लाभकारी है?
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