सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Monday, April 26, 2010
गिलानी जैसे नेता कश्मीर के लिए नासूर हैं . आप भी केवल सच को सच कहें । यह न देखें कि यह किसके खि़लाफ़ जाएगा ? resolution

भाई अमित ब्लॉगिंग में मेरी वजह से आये ताकि लोगों को वेदों के बारे में सही जानकारी दे सकें लेकिन जब महाजाल मालिक ने वेदों, पुराणों की बातों को अप्रासंगिक और बकवास बताया और जनाब महक जी ने वे बातें भी दिखाईं तो वे एक भी बात का जवाब उन्होंने नहीं दिया । जब उनके पास जवाब है तो फिर वे महक जी के प्रश्नों का निराकरण क्यों नहीं करते ?
फिर कहीं से आनन्द पाण्डेय जी प्रकट हो गए । बोले कि वेद पर मैं शोध कर रहा हूं , जवाब मैं दूंगा । महक जी ने उनसे भी पुराने सवाल पूछ लिए । उसके बाद वे भी न जाने कितने लम्बे शोध में जाकर डूब गये ।
अरे भाई ! कोई तो आकर इन्हें संतुष्ट करे या फिर मान लें कि महाजाल मालिक की बात में जान है । अब न तो महाजाल मालिक ही अपना इल्ज़ाम साबित कर पाये और न ही अमित बाबू अपने ब्लॉग जगत में आने क मक़सद ही पूरा कर पाए । दोनों (प्लीज़ माफ़ करना ) हो गए चित्त । लिहाज़ा दोनों एक दूसरे की तारीफ़ कर रहे हैं ताकि लोग यह समझें कि दो दो ब्लॉगर ग़लत थोड़े ही हो सकते हैं । तर्कहीन श्रद्धा केवल अंधविश्वास को जन्म देती है जिसकी प्रतिकियास्वरूप समाज का बुद्धिजीवी वर्ग नास्तिक बन जाता है । समाज के लिए अंधविश्वास भी घातक है और नास्तिकता भी । यह भी देश के लिए घातक है कि अपने राजनीतिक ग्रुप या समुदाय के खि़लाफ़ तो बिल्कुल न बोला जाए और मुसलमानों के खि़लाफ़ जी भर कर ज़हर घोला जाए । इससे समाज में नफ़रत और दूरियां बढ़ती हैं । समाज में ज़हर घोलने के बाद बड़ी मासूमियत से कह दिया जाए कि मैंने तो लिंक दिया था ।
बहुत बड़े लिंक दाता हैं आप ?
हमने या किसी भी मुस्लिम ब्लॉगर ने तुम्हारे सचमुच के ‘नंगेपन‘ का लिंक दिया कभी ?
केवल लेख में ही आईना दिखाया था कि सभी चिल्लाने लगे ।
आपके लिंक पर भी वाह वाह और हमारे लेख पर हाय हाय । क्या यही है आपकी सहिष्णुता ?
जिसे सहिष्णुता और तर्कवादिता सीखनी हो , हमारे पास आये । सच्चे सुख का अमर ख़जाना हमारे पास है ।कोई मांगे तो सही , हम उसे दर्जन से ज़्यादा लिंक देंगे जिन्हें देखकर आपको अपने नंगे यथार्थ का बोध हो जाएगा । इसके बावजूद अपनी ग़लती न मानना और कहना कि आप मुझसे नफ़रत करते हैं । तो क्या आपको इन हरकतों पर प्यार किया जाए ?
ज़रा ठहरिये , आपके आतंकवाद के मुद्दे पर भी आपसे सवाल करूंगा । इस विषय पर तो आपकी तैयारी है न , चलिए इसी पर जवाब दे दीजिएगा । चैलेंज का जवाब तो आप दे नहीं पाए । यहां आपकी हक़ीक़त को हरेक देखेगा । ज़बानी जमाख़र्ची को समझने वाले लोग भी ब्लॉग पढ़ते हैं ।
मैं न तो झूठ बोलता हूं और न धोखा देता हूं । जो दिल में है वही मेरी ज़बान पर मिलेगा ।
महाजाल मालिक से नफ़रत के बावजूद मैंने उनकी सच बात का समर्थन किया है और उनकी आज की पोस्ट पर टिप्पणी दी है कि
गिलानी जैसे नेता कश्मीर के लिए नासूर हैं . सच को मैं हमेशा सच ही कहूँगा चाहे आप जैसा व्यक्ति ही क्यूँ न कहे ?
आप भी केवल सच को सच कहें । यह न देखें कि यह किसके खि़लाफ़ जाएगा ?
सत्य में ही मुक्ति है । वेद कुरआन यही बताते हैं । आइये सत्य की खोज करें और उसे स्वीकार करें। आपस में तर्क वितर्क करने से ही तो समाज के बेकार रिवाजों का उन्मूलन होना संभव है ।
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