सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



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Thursday, July 1, 2010

The statement of God ‘हम‘ ज़रूर आज़मायेंगे तुमको ख़ौफ़ और भूख से और कुछ माल और जान के नुक्सान से और फलों की पैदावार के घाटे में भी , ऐसे मौक़े पर सब्र करने वाले को खुशख़बरी सुना दो। -अनवर जमाल

हरेक आदमी को वही मिलेगा जिसका वह पात्र होगा। पात्रता सिद्धि के लिये नीयत और कर्म ही आधार बनते हैं। परमेश्वर सावधान करते हुए कहता है -


क्या तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में बस यूं ही चले जाओगे जबकि तुम पर अभी वह हालात नहीं आये जो तुमसे पहले लोगों पर आ चुके थे उन्हें सख्त तंगदस्ती का सामना पड़ा और बड़े बड़े नुक्सान और तकलीफ़ें उठानी पड़ीं और उन्हें खंगाल कर ऐसा हिला डाला गया कि वक्त के रसूल और उनके ईमान वाले साथी पुकार उठे कि अल्लाह की मदद कब आयेगी ? जान लो कि बेशक अल्लाह की मदद अब क़रीब है।      -अलबक़रह, 214

‘हम‘ ज़रूर आज़मायेंगे तुमको ख़ौफ़ और भूख से और कुछ माल और जान के नुक्सान से और फलों की पैदावार के घाटे में भी , ऐसे मौक़े पर सब्र करने वाले को खुशख़बरी सुना दो। -अलबक़रह, 155
                                अनुवाद : मौलाना अब्दुल करीम पारीख साहब रह.
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दुनिया की ज़िन्दगी में इनसान को मुख्तलिफ़ हालात पेश आते हैं। मोमिन जानता है कि यह ज़िन्दगी तरबियत और इम्तेहान का मरहला है। वह बेहतर अंजाम के लिये नेक रास्ते पर डटा रहता है। क़दम क़दम पर उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और वह सब्र के साथ नेकी के लिये, लोगों की भलाई के लिये त्याग करता है, अपना जान माल और वक्त खर्च करता है। किसी भी मुश्किल में न तो वह मालिक की तय की गई सीमा से बाहर निकलता है और न ही अपने मालिक से शिकवा ही करता है। वह अपने मालिक से अपनी बेहतरी के लिये दुआ और फ़रियाद ज़रूर करता है लेकिन वह किसी भी हालत के लिये मालिक से आग्रह नहीं करता कि यह काम ऐसे ही हो या इतने समय में ज़रूर हो। बन्दगी नाम है बिना शर्त पूरे समर्पण का। किस दुआ को कब और कैसे पूरा करना है, बन्दे से ज्यादा इसे मालिक बेहतर जानता है।
नेक बन्दों पर आने वाले मुश्किल हालात उनकी आज़माइश हैं , उनके विकास और निखार का सामान हैं जबकि ज़ालिम और पापी लोगों पर पड़ने वाली मुसीबतें ही नहीं बल्कि उन्हें मिलने वाली राहतें तक मालिक की यातना होती हैं। लोग मुसीबतों को तो यातना के रूप में जान लेते हैं लेकिन राहतों की शक्ल में भी सज़ा दी जा सकती है इसे हरेक नहीं जान सकता सिवाय ‘आरिफ़ बन्दों‘ के , जिन्हें तत्वदृष्टि प्राप्त है। इसी बोध के कारण ‘आरिफ़ मोमिन‘ मुसीबतों में भी विचलित नहीं होते, उनके दिलों को क़रार रहता है जबकि ज़ालिम पापियों के दिल राहतों में भी बेचैन और बेक़रार रहते हैं।
इससे बड़ी सज़ा किसी इनसान के लिये क्या हो सकती है कि वह अपने जन्म का मूल उद्देश्य पूरा करने से ही वंचित रह जाये ? और उससे उसका मालिक नाराज़ हो ?
और सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि इनसान अपने जन्म का मक़सद पूरा कर ले और उससे उसका मालिक राज़ी हो जाये। यह कामयाबी सिर्फ़ मोमिन को ही नसीब होती है। जिसे न तो अपने मालिक पर यक़ीन है और न ही वह उसके बताये रास्ते पर क़दम आगे बढ़ाता है, उसे कामयाबी कैसे नसीब हो सकती है?
पहले के लोगों को भी इम्तेहान से गुज़रना पड़ा है। हर ज़माने में यह नियम लागू रहा है और आज भी है। पालनहार की मुहब्बत इस इम्तेहान को आसान बना देती है। और मुहब्बत तो चीज़ ही ऐसी है कि हरेक दर्द और तकलीफ़ का अहसास लज़्ज़त में बदल जाता है।

... अब कुछ अनम के बारे में
अनम बीमार है। कल और आज उसे बुख़ार रहा है। दवा के साथ साथ उसके बदन को पानी में भिगोये हुए कपड़े से साफ़ किया गया। कल उसका रंग पीला पड़ गया था और आज सुबह से उसने अपनी मां का दूध पकड़ना भी छोड़ दिया था। मां का दूध फ़ीडर के ज़रिये उसने थोड़ा थोड़ा करके दो बार लिया है। मैं दूसरे शहर में था मुझे सुबह घर से फ़ोन किया गया कि अनम की हालत ज़्यादा ही ख़राब है। मैं तुरन्त वापस आ गया। आकर देखा तो वह लेटी थी। नींद कम और बेहोशी की हालत ज़्यादा है।
दुआ चाहिये। दवा चल ही रही है।

Tuesday, June 29, 2010

Dua for Anam , My daughter सभी ने बच्ची की सेहत और बेहतर मुस्तक़बिल के लिए दुआ की .


बच्ची का नाम "अनम" रखा गया है . डाक्टर अयाज़ साहब , हकीम  सऊद अनवर खान साहब, हकीम युनुस खान साहब के अलावा डाक्टर असलम क़ासमी साहब भी मेरी बीमार बच्ची को देखने के लिए तशरीफ़फ़रमाँ हैं . सभी ने बच्ची की सेहत और बेहतर मुस्तक़बिल के लिए दुआ भी की . फोटो में नज़र आने वाले बच्चे भी इस छोटी सी बच्ची के ही भाई बहन हैं .  बच्ची का ज़ख्म लगातार हील हो रहा है . अल्हम्दुलिल्लाह .
बच्ची की  भूख  , प्यास और नींद सेहतमंद बच्चों की तरह है . टांगें बदस्तूर बेहिस ओ  हरकत  हैं . दीगर लोगों के अलावा ब्लोगर्स भाइयों में से  जनाब सतीश सक्सेना जी, भाई तारकेश्वर गिरी जी और भाई शाहनवाज़ सिद्दीक़ी साहब ने भी फोन पर मुझे तस्सली दी और मेरी बच्ची की खैर ओ आफ़ियत पूछी  . मैं इन सभी लोगों का और ब्लॉग पर आने वाले भाई बहनों का शुक्रगुज़ार हूँ . मालिक इन्हें इनकी नेकदिलीऔर  हमदर्दी का सिला अपने ख़ज़ाने  से अता करे .