सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Saturday, November 13, 2010
Hindu mariage ceremonies क्या एक दादा की औलाद की आपस में शादी हो सकती है ?
संघ आंदोलित है।
लेकिन भाई क्यों आंदोलित है ?
उसके एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के ख़िलाफ़ आतंकवाद के जुर्म में चार्जशीट दाख़िल कर दी गई है।
तो इसमें इतना बिफरने की क्या बात है ?
हमारी पत्रकार बहन के सरपरस्त इन्द्रेश जी बेगुनाह हुए तो छूट ही जाएंगे न ?
क्या संघ को देश के क़ानून पर , न्यायपालिका पर ज़रा भी ऐतबार नहीं है ?
अपनी छवि पर आंच आते ही बौखला उठा संघ आखि़र उन 22 नौजवानों के बंधक बने होने पर आंदोलित क्यों नहीं हुआ जो बेचारे 8 मई 2010 से ही सोमालिया के समुद्री डाकुओं की गिरफ़्त में हैं ?
देश की छवि पर आंच आती है तो आए अपनी बला से, बस अपनी छवि पर बट्टा नहीं लगना चाहिए, है न ?
लेकिन वह तो और भी ज़्यादा लग रहा है।
मोहन भागवत जी ने सोनिया जी पर बेतुका आरोप लगा डाला।
मुसीबत में अक्ल पहले साथ छोड़ देती है। उनके बयान से यही बात साबित हो रही है।
सोनिया जी विदेशी हैं, यह बात सही है लेकिन वह इस देश की कोई पहली विदेशी बहू तो हैं नहीं।
गांधारी खुद क़ंधार की थीं।
क्या कहा ?
क़ंधार तो आर्यवर्त का ही भाग था इसलिए वे विदेशी नहीं मानी जा सकतीं।
ठीक कहते हैं आप, मैं भी अफ़ग़ानिस्तान के आर्यों से आपके रक्त संबंध को ही याद दिलाना चाहता था।
अमेरिका तो आर्यवर्त में नहीं आता था, क्यों ?
कहते हैं कि आज का अमेरिका ही पुराणों का पाताल लोक है।
चलिए, अगर ऐसा ही है तो फिर मानना पड़ेगा कि बनियों के आदि पिता महाराजा अग्रसैन जी अपने सिंघल और जिंदल आदि 18 बेटों की बारात लेकर अमेरिका गए थे, अब से लगभग 5200 साल पहले। वहां से वे 18 विदेशी बहुएं लेकर आए। उनसे उनका वंश चला। सिंघल, जिंदल, मित्तल और अग्रवाल आदि 18 या 18 से भी ज़्यादा गोत्र उन बहुओं से ही चले। इन्हीं गोत्रों से उत्पन्न लोग आज संघ की रीढ़ हैं। विदेशी बहुओं का इतना बड़ा उपकार है देश पर, विशेषकर संघ पर लेकिन संघ फिर भी विदेशी बहू की तौहीन कर रहा है।
संघ तो संस्कार पर ज़ोर देता है, फिर यह बदतमीज़ी भरे आरोप लगाना कौन सा संस्कार है ?
अब एक बात यहां पर गोत्रों की भी हो जाए।
ज्ञानी लोग विराजते हैं नेट पर, कुछ काम की बात ही पता चल जाएगी।
पहली बात तो यह है कि क्या भारत देश जैसे विशाल देश में गुणवती लड़कियों का अकाल पड़ गया था जो महाराजा साहब को विदेश से बहुएं लानी पड़ीं ?
दूसरी बात यह है कि सिंघल, मित्तल, जिंदल और अग्रवाल आदि सभी महाराजा अग्रसेन के बेटे थे। जिंदल के बेटे का विवाह मित्तल की बेटी से क्यों हो जाता है ?
ये दोनों तो आपस में चाचा की औलाद होने से भाई बहन का रिश्ता रखते हैं। ये सभी तो एक दादा अग्रसैन की संतान हैं।
क्या एक दादा की औलाद की आपस में शादी हो सकती है ?
ऐसी ही शादी मुसलमान करें तो उन पर इल्ज़ाम क्यों लगाए जाते हैं ?
सिंघल का बेटा सिंघल की बेटी से तो विवाह नहीं करता लेकिन अपने चाचा की बेटी से कर लेता है और फिर मुसलमान पर हंसता है, क्यों हंसता है भाई ?
हंसना है तो हंसो लेकिन अपनी अक्ल पर कि चल रहे हैं मुसलमानों के ही तरीक़े पर और पता है नहीं।
पता न होना ही इस देश में हिन्दू मुसलमानों को दो किए हुए है।
अच्छा है जितनी जल्दी लोगों को पता हो जाए ताकि दुई की दीवार गिर जाए और हम सब उस एकत्व को पा लें जो कि हमारे दरम्यान वास्तव में है लेकिन जिसका हमें अहसास नहीं है।
बहरहाल संघ परेशान क्यों है ?
संघ जिस कारण भी परेशान हो, लगे हाथों उसे सोमालिया में बंधक पड़े नौजवानों का मुद्दा भी उठा लेना चाहिए। इससे एक तरफ़ तो बंधकों की समस्या हाईलाइट होगी और दूसरी तरफ़ जनता में उसकी छवि ऐसी बनेगी जैसे कि वह वास्तव में कोई राष्ट्रवादी संगठन हो।
वन्दे ईश्वरम् !
लेकिन भाई क्यों आंदोलित है ?
उसके एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के ख़िलाफ़ आतंकवाद के जुर्म में चार्जशीट दाख़िल कर दी गई है।
तो इसमें इतना बिफरने की क्या बात है ?
हमारी पत्रकार बहन के सरपरस्त इन्द्रेश जी बेगुनाह हुए तो छूट ही जाएंगे न ?
क्या संघ को देश के क़ानून पर , न्यायपालिका पर ज़रा भी ऐतबार नहीं है ?
अपनी छवि पर आंच आते ही बौखला उठा संघ आखि़र उन 22 नौजवानों के बंधक बने होने पर आंदोलित क्यों नहीं हुआ जो बेचारे 8 मई 2010 से ही सोमालिया के समुद्री डाकुओं की गिरफ़्त में हैं ?
देश की छवि पर आंच आती है तो आए अपनी बला से, बस अपनी छवि पर बट्टा नहीं लगना चाहिए, है न ?
लेकिन वह तो और भी ज़्यादा लग रहा है।
मोहन भागवत जी ने सोनिया जी पर बेतुका आरोप लगा डाला।
मुसीबत में अक्ल पहले साथ छोड़ देती है। उनके बयान से यही बात साबित हो रही है।
सोनिया जी विदेशी हैं, यह बात सही है लेकिन वह इस देश की कोई पहली विदेशी बहू तो हैं नहीं।
गांधारी खुद क़ंधार की थीं।
क्या कहा ?
क़ंधार तो आर्यवर्त का ही भाग था इसलिए वे विदेशी नहीं मानी जा सकतीं।
ठीक कहते हैं आप, मैं भी अफ़ग़ानिस्तान के आर्यों से आपके रक्त संबंध को ही याद दिलाना चाहता था।
अमेरिका तो आर्यवर्त में नहीं आता था, क्यों ?
कहते हैं कि आज का अमेरिका ही पुराणों का पाताल लोक है।
चलिए, अगर ऐसा ही है तो फिर मानना पड़ेगा कि बनियों के आदि पिता महाराजा अग्रसैन जी अपने सिंघल और जिंदल आदि 18 बेटों की बारात लेकर अमेरिका गए थे, अब से लगभग 5200 साल पहले। वहां से वे 18 विदेशी बहुएं लेकर आए। उनसे उनका वंश चला। सिंघल, जिंदल, मित्तल और अग्रवाल आदि 18 या 18 से भी ज़्यादा गोत्र उन बहुओं से ही चले। इन्हीं गोत्रों से उत्पन्न लोग आज संघ की रीढ़ हैं। विदेशी बहुओं का इतना बड़ा उपकार है देश पर, विशेषकर संघ पर लेकिन संघ फिर भी विदेशी बहू की तौहीन कर रहा है।
संघ तो संस्कार पर ज़ोर देता है, फिर यह बदतमीज़ी भरे आरोप लगाना कौन सा संस्कार है ?
अब एक बात यहां पर गोत्रों की भी हो जाए।
ज्ञानी लोग विराजते हैं नेट पर, कुछ काम की बात ही पता चल जाएगी।
पहली बात तो यह है कि क्या भारत देश जैसे विशाल देश में गुणवती लड़कियों का अकाल पड़ गया था जो महाराजा साहब को विदेश से बहुएं लानी पड़ीं ?
दूसरी बात यह है कि सिंघल, मित्तल, जिंदल और अग्रवाल आदि सभी महाराजा अग्रसेन के बेटे थे। जिंदल के बेटे का विवाह मित्तल की बेटी से क्यों हो जाता है ?
ये दोनों तो आपस में चाचा की औलाद होने से भाई बहन का रिश्ता रखते हैं। ये सभी तो एक दादा अग्रसैन की संतान हैं।
क्या एक दादा की औलाद की आपस में शादी हो सकती है ?
ऐसी ही शादी मुसलमान करें तो उन पर इल्ज़ाम क्यों लगाए जाते हैं ?
सिंघल का बेटा सिंघल की बेटी से तो विवाह नहीं करता लेकिन अपने चाचा की बेटी से कर लेता है और फिर मुसलमान पर हंसता है, क्यों हंसता है भाई ?
हंसना है तो हंसो लेकिन अपनी अक्ल पर कि चल रहे हैं मुसलमानों के ही तरीक़े पर और पता है नहीं।
पता न होना ही इस देश में हिन्दू मुसलमानों को दो किए हुए है।
अच्छा है जितनी जल्दी लोगों को पता हो जाए ताकि दुई की दीवार गिर जाए और हम सब उस एकत्व को पा लें जो कि हमारे दरम्यान वास्तव में है लेकिन जिसका हमें अहसास नहीं है।
बहरहाल संघ परेशान क्यों है ?
संघ जिस कारण भी परेशान हो, लगे हाथों उसे सोमालिया में बंधक पड़े नौजवानों का मुद्दा भी उठा लेना चाहिए। इससे एक तरफ़ तो बंधकों की समस्या हाईलाइट होगी और दूसरी तरफ़ जनता में उसकी छवि ऐसी बनेगी जैसे कि वह वास्तव में कोई राष्ट्रवादी संगठन हो।
वन्दे ईश्वरम् !
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