सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, June 11, 2013
सच्चे ईमान या सच्ची आस्था का मूल लक्षण क्या है ? astha
इंसान को जीने के लिए कुछ नियमों की ज़रूरत हमेशा से रही है. मनुष्य के रचयिता ने उसे ये नियम दिए भी हैं. इश्वर के दिए नियमों का पालन करना ही धर्म है और उन्हें छोड़ना या उनमें अपने स्वार्थ के लिए हेर फेर करना अधर्म है.
ऐसा हरेक धर्म के महापुरुषों ने कहा है. सबने यही कहा है कि तुम धर्म का पालन करने वाले सत्पुरुषों का अनुसरण करो. यही आस्तिकता की पहचान है.
आज दुनिया में बहुत से धर्म नज़र आते हैं. हरेक धर्म वाले को अपना धर्म प्यार है. ऐसा होना स्वाभाविक है. जिसे जो धर्म प्यारा है, उसे उस धर्म पर चलना भी चाहिए.
आज हो यह रहा है कि आदमी अपने धर्म की महानता के नारे लगा है और चल रहा है दूसरे धर्म की शिक्षा पर क्योंकि आज वह अपने धर्म पर चलकर रोज़ी रोटी नहीं कमा सकता या कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं.
अपने धर्म को महान और सत्य मानना और उस धर्म को और उसके संस्कारों को लगातार त्यागते चले जाना ईमान या आस्था नहीं कहलाता. यह बे-ईमानी या अनास्था है.
जो जिस धर्म में आस्था रखे वह उस धर्म के मूलभूत नियमों का पालन भी करे.
इस देश में हरेक को अपने धर्म का पालन की आज़ादी भी है. धर्म का पालन करने वाले कम लोग हैं . वे किसी से नाहक़ कभी नहीं लड़ते. जो लड़ते हैं उनके अपने दर्शन हैं या राजनैतिक स्वार्थ हैं. दुनिया में इन्हीं लोगों ने आतंकवाद को जन्म दिया है. इन्होने ही आधुनिक हथियार बनाए, इन्होंने ही राजनैतिक हत्याएं की हैं और भारत के आतंकवादियों को भी इन्होंने ही राजनैतिक शरण दी है. ये ताक़तवर देशों का एक समूह है. आतंकवादियों को इन्होंने ही हथियार, धन और प्रशिक्षण दिया है और उनका इस्तेमाल करके अपने एक मज़बूत विरोधी का नाश कर दिया है.
...लेकिन अभी उसका मिशन ओवर नहीं हुआ है. देशों की सरकारें उनकी पसंद की ही बनती हैं. वे उनके आर्थिक व सामरिक हितों का पोषण करती हैं. जो सरकारें ऐसा नहीं करतीं , वे स्थिर नहीं रह पातीं या उन पर किसी बहाने से पाबंदियां लगा दी जाती हैं. यही इंसानियत के दुश्मन हैं. इन्हें नास्तिक भी पहचानते हैं क्योंकि अक्ल उसके पास भी होती है.
दुनिया में आज आतंकवादियों का या आतंकवाद फैलाने वाले देशों का आक़ा कौन है , इस बात को सिर्फ़ वही नहीं जानता , जो कि अक़्ल से बिलकुल कोरा है.
आदमी अक़्ल से कोरा नहीं होता लेकिन अक्सर किसी आदमी या समुदाय की नफरत उसे अक़्ल का अँधा बना देती है, तब उसे वह सच नज़र नहीं आता जिसे सारी दुनिया जानती है.
दुनिया में झगड़ों और युधों का कारण अक्सर आर्थिक या राजनैतिक प्रभुत्व पाना होता है लेकिन उसे धर्म या राष्ट्रवाद या कोई और शीर्षक दे दिया जाता है.
धर्म किसी पर हमला करने के लिए नहीं कहता. जिसे जिस धर्म में आस्था है, वह उस धर्म का पालन करे और दूसरों को भी उन्हें अपने धर्म का पालन करने दे.
इस्लाम यही कहता है.
धर्म पर सच्चा ही चलेगा.
झूठ चल ही नहीं सकता क्योंकि झूठ के पाँव नहीं होते.
नास्तिक भी धर्म के ही नियमों पर आधा अधुरा चलकर अपनी ज़िन्दगी गुज़ार पाते हैं. अपनी बात पर वे खुद चले होते तो उनके घर से मान और बेटी के रिश्तों की पवित्रता कब की ख़तम हो चुकी होती. आस्था की तरह नास्तिकता के अक्सर दावे भी झूठे हैं. जब विकारों को धर्म समझ लिया जाए तो धर्म पर ऐतराज़ होने लगते हैं. ऐसे ऐतराज़ करने वाले खुद संशय में पड़े हुए होते हैं. जिसे शक है वह किसी राह पर एक क़दम आगे नहीं बढ़ा सकता.
सबसे पहले आदमी अपने शक को दूर करे. जब शक दूर हो जाएगा तो वह सच्चे धर्म को ही अपना धर्म बनाएगा . तब वह जिस धर्म की जय जयकार करेगा , उस धर्म का पालन भी करेगा. सच्चे ईमान या सच्ची आस्था का यह मूल लक्षण है. ऐसे ईमान वाले बन्दे या आस्तिक सबके भले के लिए काम करते हैं. वास्तव में परोपकार ही धर्म है. ऐसे परोपकारी बन्दे कम हैं , इसीलिए समाज में लालच और खुदगर्ज़ी बहुत है और इनसे पैदा होने वाली खराबियों ने पूरे समाज को तबाह कर दिया है.
धर्म की सही समझ और उस पर सही सही अमल करना ही हमारी समस्याओं का सच्चा समाधान है.
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2 comments:
thanks to inform .
जो बोया वही काट रहे आडवानी
thanks to inform .
जो बोया वही काट रहे आडवानी
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