सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Wednesday, November 3, 2010

Vedic mantras in the light of Holy qur'an सत्य की खोज में कुरआन आपकी सहायता करता है - Anwer Jamal

भाई बी. एन. शर्मा को हमने समझाया कि ‘अल्लाह‘ नाम अल्लोपनिषद में है और इसकी धातु ‘ईल्य‘ पूजनीय के ही अर्थों में वेदों में भी है। जो नाम वेद में हो, उपनिषद में हो, बाइबिल में हो और दूसरी बहुत सी भाषाओं में हो, उसके बारे में यह कहना कि यह ईश्वर का नाम नहीं है और उसकी मज़ाक़ बनाना एक बिल्कुल अनुचित बात है।
उन्होंने अपने ब्लॉग की उसी पोस्ट के कमेंट में कहा कि हम इस्लाम को भी सच मानते हैं जबकि आप केवल इस्लाम को ही सच मानते हैं।
मैंने उनसे कहा कि अगर आप वाक़ई इस्लाम की सच्चाई के क़ायल हैं तो फिर आप इस्लाम को झूठा साबित करने पर क्यों तुले हुए हैं ?
बताइये जो आदमी इस्लाम और कुरआन का भांडा फोड़ने का दावा कर रहा है खुद वही कह रहा है कि इस्लाम ‘सत्य‘ है। यह है सच्चाई की ताक़त, यह है इस्लाम की ताक़त।
अब अगर वे किसी और विचारधारा को भी सच मानते हैं तो वे उसका नाम और उसके सिद्धांत बताएं।
अगर वे सचममुच सत्य हुईं तो हम उन्हें भी सत्य मान लेंगे। लेकिन आज तक उन्होंने इस्लाम पर कीचड़ उछालने के सिवा कभी यह नहीं बताया कि ‘सत्य‘ क्या है ?
यह है इस्लाम के विरोधियों की वह शिकस्त जिसे हर कोई देख सकता है।
2. आज आनंद पाण्डेय जी की पोस्ट पर नज़र पड़ गई। वहां जाकर देखा तो वे तौसीफ़ हिन्दुस्तानी जी को बता रहे हैं कि वेद में ‘श्लोक‘ बाद में नहीं जोड़े गए।
मैंने उन्हें याद दिलाया कि वेद में तो ‘श्लोक‘ होता ही नहीं है, उसमें तो हिन्दू विद्वान ‘मंत्र‘ या ‘ऋचा‘ होना ही बताते आए हैं।
भाई अमित तुरंत बोले - ‘आप चुप रहिए जी आपको पता नहीं है।‘ इतना कहकर उन्होंने तुरंत वेद में श्लोक सिद्ध कर दिए। धन्य हैं पंडित जी महाराज। जो चाहे सिद्ध कर दें।
ये चाहें तो आग को ईश्वर के दर्जे पर पहुंचा दें और ये चाहें तो ईश्वर को ही आग बना दें। इनकी इन्हीं क़लाबाज़ियों की वजह से वेद का अस्ल अर्थ कहीं खो चुका है।
वेद में विज्ञान सिद्ध करने के जोश में भाई आनंद पाण्डेय जी ने ऋग्वेद के पहले सूक्त के पहले मंत्र में आए शब्द ‘अग्निमीले‘ में अग्नि का अर्थ ‘जलाने वाली आग‘ कर डाला और बहुत खुश हुए कि उन्होंने आग की खोज वेदों में सिद्ध कर दी।
दयानंद जी ने ‘अग्नि‘ का अर्थ ईश्वर बताया है यहां पर और उनसे बहुत पहले स्थौलाष्ठीवि ऋषि ने भी ‘अग्नि‘ का अर्थ ‘अग्रणी‘ बताया है। हां हरेक जगह ‘अग्नि‘ का एक ही अर्थ नहीं है, कहीं कहीं पावक अग्नि भी अभिप्रेत है। लेकिन ऋग्वेद 1,1,1 में ‘अग्नि‘ का अर्थ ‘अग्रणी परमेश्वर‘ ही है , भौतिक अग्नि नहीं। यहां ‘अग्नि‘ के ईलन का ज़िक्र चल रहा है और कोई भी तत्वदर्शी मनुष्य भौतिक अग्नि को ‘पुरोहित‘ मानकर उसका ‘ईलन‘ नहीं कर सकता। इत्तेफ़ाक़ से मैंने भाई बी. एन. शर्मा जी को जवाब देते हुए इसी मंत्र का अर्थ लिखा था , जो इस प्रकार है-
‘हे ईश्वर ! तू पूर्व और नूतनए छोटे और बड़े सभी के लिए पूजनीय है। तुझे केवल विद्वान ही समझ सकते हैं।‘ ;ऋण् 1य1य1 द्ध
अब कुरआन की बिल्कुल पहली सूरत की सबसे पहली आयत का अर्थ भी देख लीजिए-
अल्.हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ण्
अर्थात विशेष प्रशंसा है परमपूज्य के लिए जो पालनहार है सभी लोकों का।
                                                           (अलफ़ातिहा, 1)
आपने देखा कि न सिर्फ़ ‘अल्लाह‘ नाम बिल्कुल पहली ही आयत में और बिल्कुल पहले वेदमंत्र में है बल्कि अर्थ भी बहुत समीप है या फिर शायद एक ही है। विषय है ‘अग्नि‘ के ईलन का। यहां वेदविद् हज़ारों साल से अग्नि का अर्थ आग करते आ रहे हैं और कुछ वेदज्ञ यहां ईश्वर अभिप्रेत समझते आए हैं। यहां आप कुरआन की मदद से निश्चित कर सकते हैं कि वास्तव में सही अर्थ क्या है यहां ?
हमें वेद से नफ़रत नहीं है तो आप क्यों कुरआन से नफ़रत करते हैं ?
ईश्वर और चीज़ों के नाम वेदों में गडमड हैं और वेदों के वास्तविक अर्थ निर्धारण में यह एक सबसे बड़ी समस्या है। सायण जिस शब्द का अर्थ सूर्य बता रहे हैं , उसी का अर्थ मैक्समूलर साहब घोड़ा बता रहे हैं और दयानंद जी कह रहे हैं कि इसका अर्थ है ‘ईश्वर‘। अब बताइये कि कैसे तय करेंगे कि कहां क्या अर्थ है ?
परमेश्वर के वचन के अर्थ निर्धारण के लिए केवल मनुष्य की बुद्धि काफ़ी नहीं है। इसे आप परमेश्वर की वाणी कुरआन के आलोक में देखिए। जहां घोड़ा है वहां आपको घोड़ा नज़र आएगा, जहां सूर्य है वहां सूर्य दिखेगा और जहां ईश्वर है वहां ईश्वर के ही दर्शन होंगे।
कुरआन एक दिव्य आलोक है। इसका इन्कार करने के बाद आप कभी नहीं जान सकते कि कहां क्या है ?
चाहे आप कितने ही बड़े ज्ञानी क्यों न बन जाएं ?
दयानंद जैसे बड़े वेदज्ञ दुनिया को ‘नियोग‘ की शिक्षा देकर गए और उन्हें वेद में यह नज़र आया कि सूर्य , चंद्र और सारे तारों पर आदमी रहते हैं और वे वेद पढ़ते हैं और यज्ञ करते हैं।
लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है ? 
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पोस्ट प्रकाशित करने से पहले मैंने एक नज़र लिंक देने की ग़र्ज़ से डाली तो भाई आनंद पाण्डेय जी ने मेरे विचार से सहमति जताई है कि अग्नि का एक अर्थ अग्रणी भी है। यह एक अच्छी बात है। उनमें भाई अमित जैसा हठ नहीं है, हालांकि वे भी ‘पाण्डेय‘ क़िस्म के ब्राह्मण हैं।
धन्यवाद
है परमेश्वर का कि अभी सच को सहने और उसे स्वीकारने वाले लोग भी हमारे दरम्यान हैं

18 comments:

Anwar Ahmad said...

अजीब बात है कि दोनों ही जगह एक ही मालिक कि एक ही बात है और लोग फिर भी एक नहीं हो रहे हैं .

Anwar Ahmad said...

दयानंद जैसे बड़े वेदज्ञ दुनिया को ‘नियोग‘ की शिक्षा देकर गए और उन्हें वेद में यह नज़र आया कि सूर्य , चंद्र और सारे तारों पर आदमी रहते हैं और वे वेद पढ़ते हैं और यज्ञ करते हैं।
लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है ?

Anwar Ahmad said...

Nice post, which can solve our communal problems .

Dr. Jameel Ahmad said...

कुरआन एक दिव्य आलोक है। इसका इन्कार करने के बाद आप कभी नहीं जान सकते कि कहां क्या है ?

Dr. Jameel Ahmad said...

आपने देखा कि न सिर्फ़ ‘अल्लाह‘ नाम बिल्कुल पहली ही आयत में और बिल्कुल पहले वेदमंत्र में है बल्कि अर्थ भी बहुत समीप है या फिर शायद एक ही है।
हमें वेद से नफ़रत नहीं है तो आप क्यों कुरआन से नफ़रत करते हैं ?

Dr. Jameel Ahmad said...

Nice post, which can solve our communal problems .
अनवार अहमद से सहमत .

HAKEEM YUNUS KHAN said...

आप कुरआन की मदद से निश्चित कर सकते हैं कि वास्तव में सही अर्थ क्या है यहां ?
अनवर साहब से पूरी तरह सहमत हूँ

Aslam Qasmi said...

nice subject

P.N. Subramanian said...

वह एक है परन्तु हम अनेक हैं.

Unknown said...

धन्यवाद है परमेश्वर का कि अभी सच को सहने और उसे स्वीकारने वाले लोग भी हमारे दरम्यान हैं

Unknown said...

nice post

Ayaz ahmad said...

अच्छी पोस्ट

Aslam Qasmi said...

ज़हनों मै एक जंग है जारी
जिस का कोई एलान नहीं है

HindiEra.in said...

उपरोक्त प्रश्नों के जवाब देने के बाद एक अंतिम प्रश्न -
सूर्य के प्रकाश का रंग कैसा होता है ?

इन प्रश्नों के ठीक उत्तर देने के बाद ही ..................
हमें आपकी बुद्धि और कुरआन की मैलिकता का आभास हो पायेगा !!

ध्यान दीजियेगा - मुझे समझाना आता नहीं है, इसलिए आपकी दया वांछनीय है !!!
४ नवम्बर २०१० १:३४ अपराह्न

http://bharatbhartivaibhavam.blogspot.com/2010/11/blog-post_03.html?showComment=1288857852186_AIe9_BGeiLEGRD6JuBWQj1M6VSIJFGEzQdO0kjBodbPWv4G_d4hnQDcCF5X-P2LS-yj1KysDYeIXOB3b8WgkZqHEWLMH_Ze5ODlY9oe5rOC9Y4RmbApnCr4FcXKPBJxMOicG0M0jgWFzM_KPGg1jLxLbncqbAC0lH5gWHYALLoBTvOsW1Z3XGbpDxwJpNp_J5xb_Gx8MMDhFZwhLAcTZfgcOe4x-JDgdsgndU93vpsetPEOaWUtuTrs8qHbIcf_6QMyqudRvQu2TivoOIwUesJzR13_iKBX4o30Kx4Q-RJNagiOPVHyGcXN5I5rLE2uM4blxhP-xslhTPuse3OXkjHTrPGKeeiWqCbFOpVGrEScMp8jPPnSvinPm3L631dHJ7OeiSO3q0Jjx0f3OOhcXfvt8X4Y1imdVmeHKW566ihL9AHvUmWL-0CS6evGDEi_ldOOKsmisPPiYA6iNSnQN227bMWajXiyWC1Djs96gcF55laJvL6549ztGMl06fynUPhcGYcxmdhkAATHIN0fxveSjxBUbke5C7tbuPY9leWXVPk8twgrjqfW9x3NnMqF4xpfix5bcW9hjzkjObdiIQp8Z1ebKH1GQ2DcSe8ToVovx-JqbWbLK2Wq4NhHHFsL35fA7P2AEbUBd7JHJ9TbZ6CRIIXfn0Rj3W-nFt0jhlehBXug4GyehBSpGcSfM-RgxZBS5Z3mRa-9mXoFcjqU-0SJ5xp70b5vPhdZiwOrd3qz3An5nrschDSND4jQsoOJKiz_3WDH0Yp4tyAw7ZDFxDJ8vHwMz_VkJJBBE5ALU53devLnKBLQjlUtRM_NnXic0LBuiJBwlJuSnRq_MaQTYk3a7C9oMs_2nCk9SCzGtG3SKpbnpU92zU_5TkAOGzAZu12nZQ-w9GR3NLKxZx6NYUwykZOftiMKsxhRmXTxSRUEQvsTY35-JKJm0NQjwVsmaPWLidlkVR36yNkl0I1A1hte7h-6-tEH-1GmPh5xvxJl3Bw7EK83_D03__7xhubZCPeKzM3e99qfdrO2s9u1QjwmqtLeRhIyM5lAcK-jbTWKzF5fVVHHu-mfuPo1QJe0CbfvN4eVpFz252MqoXoMtnFPvuPLzrVPrhQ#c1607917738665059654

HindiEra.in said...

उपरोक्त प्रश्नों के जवाब देने के बाद एक अंतिम प्रश्न -
सूर्य के प्रकाश का रंग कैसा होता है ?

इन प्रश्नों के ठीक उत्तर देने के बाद ही ..................
हमें आपकी बुद्धि और कुरआन की मैलिकता का आभास हो पायेगा !!

ध्यान दीजियेगा - मुझे समझाना आता नहीं है, इसलिए आपकी दया वांछनीय है !!!
४ नवम्बर २०१० १:३४ अपराह्न

http://bharatbhartivaibhavam.blogspot.com

zeashan haider zaidi said...

@पंकज जी,
इलेक्ट्रो मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की सभी तरंगें सूर्य के प्रकाश में मौजूद होती हैं. अतः सूर्य के प्रकाश में किसी एक रंग का नाम लेना गलत होगा.

DR. ANWER JAMAL said...

राजपूत जी , यह पठान आपको अपना मोबाइल नं. दे चुका है । PROFILE में ईमेल एड्रेस भी है , जैसे चाहें सम्पर्क कर सकते हैं ।

Saleem Khan said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !