सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Sunday, October 24, 2010

Ram in muslim poetry, third beam श्री रामचन्द्र जी ने दुनिया के सामने मां-बाप का हुक्म मानने का क़ाबिले-क़द्र नमूना पेश किया - Professor Yusuf saleem chishti

अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाह अलैह की नज़्म ‘राम‘ पर मैंने अपने कुछ ख़यालात पेश किए थे। अल्लामा की नज़्म की व्याख्या में प्रोफ़ेसर यूसुफ़ सलीम चिश्ती साहब ने भी बहुत अच्छे ख़यालात का इज़्हार किया है-
हिन्दुस्तान का जाम ‘शराबे हक़ीक़त‘ से लबरेज़ है, इसका मतलब है यह है कि हिन्दुस्तान के तत्वदर्शियों ने ‘सत्य की खोज‘ में बड़ी माअरकतुल आरा बहसें की हैं।
खि़त्ता ए मग़रिब से यूरोप मुराद है। वाज़ह हो कि यूरोप के फ़लसफ़ियों ने हिन्दुस्तान के फ़लसफ़े के मुख्तलिफ़ मदारिस से जिन्हें इस्तलाह में ‘दर्शन‘ कहते हैं, बहुत कुछ इस्तफ़ादह किया है और यहां के पुराने फ़लसफ़ियों की मन्तक़ी मूशगाफ़ियों का ऐतराफ़ किया है। मेरे ख़याल में ‘सत्य‘ विषयक बहसों में हिन्दी फ़लसफ़ियों ने बड़ी परिपक्व दृष्टि का सुबूत दिया है। चुनांचे यूरोप के फ़लसफ़ियों ने अभी तक कोई ऐसा फ़लसफ़ियाना नज़रिया पेश नहीं किया है जिसे हिन्दुस्तानी फ़लसफ़ियों ने किसी न किसी रंग में उससे पहले पेश न कर दिया हो। यही वजह है कि अल्लामा इक़बाल ने जो खुद भी एक ऊंचे दर्जे के फ़लसफ़ी थे और बक़ौल आरनॉल्ड पूर्व और पश्चिम के तमाम दार्शनिक चिंतन धाराओं पर गहरी नज़र रखते थे। हिन्दुस्तानी फ़लसफ़े की अज़्मत का इस शेर में ऐतराफ़ किया है।
‘राम ए हिन्द‘-राम में हक़ीक़त ए इब्हाम है क्योंकि इसके दो अर्थ हैं-
1. राम को संस्कृत का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो यह एक शख्स का नाम है।
2. राम को फ़ारसी का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो उसका अर्थ है ‘अधीन‘, ‘फ़रमांबरदार‘ यानि यूरोप के सारे दार्शनिक हिन्दुस्तानी फ़लसफ़े के प्रशंसक हैं। फ़िक्र ए फ़लक रस- आसमान तक पहुंचने की कूव्वत रखने वाली चिंतन शक्ति। स्पष्ट रहे कि ‘फ़िक्र‘ वह कूव्वत है जिसकी बदौलत इन्सान फ़लसफ़ियाना और मन्तक़ी मसाएल में ग़ौर व फ़िक्र कर सकता है। मलक ए सरिश्त- ऐसे नेक लोग जो फ़रिश्तों की तरह पाकीज़ा चरित्र रखते थे। अहले नज़र- अरबाब ए अक़्ल। ऐजाज़- मौजज़ा। राम को इक़बाल ने चराग़ ए हिदायत इसलिए कहा है कि उन्होंने हिन्दुस्तानियों को खुदापरस्ती सिखाई। धनी था यानि तलवारबाज़ी में माहिर था। फ़र्द यानि कि यकता।
तब्सरा- इक़बाल ने इस नज़्म में श्री रामचन्द्र जी की खि़दमत में खि़राजे तहसीन पेश किया है जिन्हें तमाम सनातन धर्मी हिन्दू ईश्वर का अवतार और श्री कृष्ण जी से भी ज़्यादा वाजिबुल अहतराम समझते हैं। इसीलिए अल्लामा इक़बाल ने यह लिखा है कि राम के वुजूद पर हिन्दुस्तान को नाज़ है। उनकी शख्सियत में बहुत सी खूबियां जमा थीं मस्लन वह बहुत बहादुर थे, पाक तबियत थे और अपने बाप के बहुत फ़रमांबरदार थे। चुनांचे उन्होंने अपने बाप के कहने से 14 साल के लिए वनवास ले लिया। तमाम तकलीफ़ों को बखुशी बर्दाश्त किया और दुनिया के सामने मां-बाप का हुक्म मानने का क़ाबिले-क़द्र नमूना पेश किया। (बांगे दिरा मय शरह, पृष्ठ 468-469 पर नज़्म ‘राम‘ की व्याख्या में प्रोफ़ेसर यूसुफ़ सलीम चिश्ती)

11 comments:

Ayaz ahmad said...

उनकी शख्सियत में बहुत सी खूबियां जमा थीं मस्लन वह बहुत बहादुर थे, पाक तबियत थे और अपने बाप के बहुत फ़रमांबरदार थे। चुनांचे उन्होंने अपने बाप के कहने से 14 साल के लिए वनवास ले लिया। तमाम तकलीफ़ों को बखुशी बर्दाश्त किया और दुनिया के सामने मां-बाप का हुक्म मानने का क़ाबिले-क़द्र नमूना पेश किया।

Ayaz ahmad said...

nice post

Ayaz ahmad said...

. राम को संस्कृत का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो यह एक शख्स का नाम

Ejaz Ul Haq said...

यूरोप के फ़लसफ़ियों ने हिन्दुस्तान के फ़लसफ़े के मुख्तलिफ़ मदारिस से जिन्हें इस्तलाह में ‘दर्शन‘ कहते हैं, बहुत कुछ इस्तफ़ादह किया है और यहां के पुराने फ़लसफ़ियों की मन्तक़ी मूशगाफ़ियों का ऐतराफ़ किया है।

Ejaz Ul Haq said...

nice post

Shahvez Malik said...

Lajawab, Masha Allah

Anonymous said...

ऐसा लग रहा है जैसे राम नाम का हैजा हो गया है अनवर जमाल को !

जो राम को इस्लाम से जोड़ता है मै तो उसे दायरा इस्लाम से ख़ारिज समझता हूँ !

जो जिसका है उसको उसका रहने देना चाहिए, दूसरे की संपत्ति में डाका क्यों डाले ?

बहुत विरोधाभास है इनकी पोस्ट्स में, विशवास के काबिल नहीं ! कोई फायेदा भी नहीं हुआ ! दस मिनट खराब हो गए अब इस ब्लाग पर आना मतलब टाइम खराब करना है इसलिय अब आने से पहेले सोचना पडेगा !

well wisher said...

राम ठाकुर थे, इकबाल जी अल्लामा थे, और आप हो डॉक्टर...
किताब उर्दू की है और चिश्ती है इसका मास्टर

well wisher said...

जुगाड़ अच्छा है बात अच्छी है, आप का पता नहीं आप कैसे हो ?

Fariq Zakir Naik said...

good post

YM बोले तो शिया है


Dead body of FIRON - Sign of Allah
http://www.youtube.com/watch?v=0hWGjmbAzPs
विडियो

impact said...

जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने बताया है की जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद तोड़ी उन लोगों ने आस बने छोटे मोटे मंदिरों का भी सफाया कर दिया था. ऐसे लोगों का मकसद क्या था?