सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Wednesday, October 6, 2010
A dialogue with Mr. Rakesh lal, christian representative आप बच्चों को क्या मानते हैं, मासूम या दुष्ट पापी ? - Anwer Jamal
मेरे प्यारे भाई राकेश लाल जी ! आपने पहले ऐतराज़ जताया था कि पवित्र कुरआन में हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम का नाम ग़लत तरीक़े से आया है। फिर उसके बाद आपने कुरआन पाक की बहुत सी आयतें पेश कीं जिनमें हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की पवित्रता और सच्चाई का बयान आया है। आपने उन आयतों को पेश करके
मुसलमानों से अपील की है कि वे कुरआन की आयतों को मान लें।
मुझे इस संबंध में यह कहना है कि
1. जब आप मानते हैं कि पवित्र कुरआन में हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम का नाम ग़लत तरीक़े से आया है तो आप क्यों चाहते हैं कि मुसलमान उन्हें मान लें ?
2. अगर आप चाहते हैं कि मुसलमान कुरआन में आये हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के बयान को सही मान लें तो फिर आप पर लाज़िम है कि आप खुद भी उसे मान लें। क्या आप मानते हैं ?
3. यदि आप कुरआन को नहीं मानते तो फिर आप क्यों चाहते हैं कि मुसलमान उसे मान लें जिसे आप खुद नहीं मानते ?
4. आप इंजील (Gospel) को मानते हैं लेकिन आपने मुसलमानों से नहीं कहा कि वे इंजील को मान लें, क्यों नहीं कहा ?
5. अब आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि मुसलमान चाहे वह अमल में कितना ही कमज़ोर क्यों न हो तब भी कुरआन को पूरा सत्य मानता है और उसमें आये हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बयान को भी मानता है।
6. इससे भी ज़्यादा खुशी आपको यह जानकर होगी कि मुसलमान इंजील को भी पवित्र और सच्चा मानता है और ज़बूर व तौरात आदि को भी।
7. हज़रत ईसा मसीह हिब्रू भाषा बोलते थे लेकिन आज इंजील की सबसे पुरानी प्रति हिब्रू में नहीं पाई जाती। असली इंजील कहां है ?
8. एक वेद के चार वेद बन चुके हैं ठीक ऐसे ही एक इंजील की चार इंजीलें कैसे बन गईं ?
9. एक ही घटना को अलग-अलग इंजील में बिल्कुल जुदा क्यों लिखा गया जैसे कि हज़रत ईसा मसीह की वंशावली ? मत्ती 1, 1 और लूका 3, 24 में हज़रत ईसा मसीह तक उनके पूर्वजों के नाम और पीढ़ियों का अंतर क्यों हैं ?
10. मुसलमान मानते हैं कि इंजील में ईसाई भाईयों ने मिलावटें की हैं, क्या आप उनकी इस बात को सही मानते हैं या ग़लत ?
11. प्रोटेस्टेंट मत वाले बाइबिल से 7 किताबें ‘जाली‘ कहकर निकाल दीं। क्या उन्होंने सही किया ?
11. आप रोमन कैथोलिक बाइबिल को उन 7 किताबों सहित ठीक मानते हैं या 7 किताबों कम वाली प्रोटेस्टेंट बाइबिल को , या फिर आपकी बाइबिल इन दोनों से ही अलग है ?
12. एक सवाल यह है कि आप मेरे ब्लॉग पर आते हैं और अपना ऐतराज़ जताकर या निमंत्रण देकर चले जाते हैं लेकिन मेरे किसी सवाल का जवाब आप नहीं देते क्यों ?
13. आप जवाब नहीं देंगे तो हम आप से संवाद कैसे कर पाएंगे ?
14. अब दुनिया बहुत होशियार हो गई है। वह किसी भी बात को केवल इसीलिए नहीं मान लेगी कि किसी ने किसी किताब या सिंद्धात को ईश्वर की ओर से कह दिया है। अब दुनिया दावे को पहले परखना चाहती है। क्या आप इस परीक्षा के लिए तैयार हैं ?
15.मुसलमान आवागमन को नहीं मानता , इसी दुनिया में बार बार पैदाइश को नहीं मानता इसलिए बच्चों को मासूम मानता है. आप बच्चों को क्या मानते हैं, मुसलमानों की तरह मासूम या आवागमन में विश्वास रखने वाले हिन्दू भाईयों की तरह की तरह जन्मजात पापी ?
मुसलमानों से अपील की है कि वे कुरआन की आयतों को मान लें।
मुझे इस संबंध में यह कहना है कि
1. जब आप मानते हैं कि पवित्र कुरआन में हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम का नाम ग़लत तरीक़े से आया है तो आप क्यों चाहते हैं कि मुसलमान उन्हें मान लें ?
2. अगर आप चाहते हैं कि मुसलमान कुरआन में आये हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के बयान को सही मान लें तो फिर आप पर लाज़िम है कि आप खुद भी उसे मान लें। क्या आप मानते हैं ?
3. यदि आप कुरआन को नहीं मानते तो फिर आप क्यों चाहते हैं कि मुसलमान उसे मान लें जिसे आप खुद नहीं मानते ?
4. आप इंजील (Gospel) को मानते हैं लेकिन आपने मुसलमानों से नहीं कहा कि वे इंजील को मान लें, क्यों नहीं कहा ?
5. अब आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि मुसलमान चाहे वह अमल में कितना ही कमज़ोर क्यों न हो तब भी कुरआन को पूरा सत्य मानता है और उसमें आये हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बयान को भी मानता है।
6. इससे भी ज़्यादा खुशी आपको यह जानकर होगी कि मुसलमान इंजील को भी पवित्र और सच्चा मानता है और ज़बूर व तौरात आदि को भी।
7. हज़रत ईसा मसीह हिब्रू भाषा बोलते थे लेकिन आज इंजील की सबसे पुरानी प्रति हिब्रू में नहीं पाई जाती। असली इंजील कहां है ?
8. एक वेद के चार वेद बन चुके हैं ठीक ऐसे ही एक इंजील की चार इंजीलें कैसे बन गईं ?
9. एक ही घटना को अलग-अलग इंजील में बिल्कुल जुदा क्यों लिखा गया जैसे कि हज़रत ईसा मसीह की वंशावली ? मत्ती 1, 1 और लूका 3, 24 में हज़रत ईसा मसीह तक उनके पूर्वजों के नाम और पीढ़ियों का अंतर क्यों हैं ?
10. मुसलमान मानते हैं कि इंजील में ईसाई भाईयों ने मिलावटें की हैं, क्या आप उनकी इस बात को सही मानते हैं या ग़लत ?
11. प्रोटेस्टेंट मत वाले बाइबिल से 7 किताबें ‘जाली‘ कहकर निकाल दीं। क्या उन्होंने सही किया ?
11. आप रोमन कैथोलिक बाइबिल को उन 7 किताबों सहित ठीक मानते हैं या 7 किताबों कम वाली प्रोटेस्टेंट बाइबिल को , या फिर आपकी बाइबिल इन दोनों से ही अलग है ?
12. एक सवाल यह है कि आप मेरे ब्लॉग पर आते हैं और अपना ऐतराज़ जताकर या निमंत्रण देकर चले जाते हैं लेकिन मेरे किसी सवाल का जवाब आप नहीं देते क्यों ?
13. आप जवाब नहीं देंगे तो हम आप से संवाद कैसे कर पाएंगे ?
14. अब दुनिया बहुत होशियार हो गई है। वह किसी भी बात को केवल इसीलिए नहीं मान लेगी कि किसी ने किसी किताब या सिंद्धात को ईश्वर की ओर से कह दिया है। अब दुनिया दावे को पहले परखना चाहती है। क्या आप इस परीक्षा के लिए तैयार हैं ?
15.मुसलमान आवागमन को नहीं मानता , इसी दुनिया में बार बार पैदाइश को नहीं मानता इसलिए बच्चों को मासूम मानता है. आप बच्चों को क्या मानते हैं, मुसलमानों की तरह मासूम या आवागमन में विश्वास रखने वाले हिन्दू भाईयों की तरह की तरह जन्मजात पापी ?
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66 comments:
GREAT
हम ईसा अलैहिस्सलाम को जितना मानते हैं जितनी उनकी इज्ज़त करते है ,ये ईसाई भी उतना नहीं मानते , हम जब भी ईसा अलैहिस्सलाम कहते हैं हमेशा उनके साथ अलैहिस्सलाम (यानि उनपर सलामती हो ) लगते हैं ये केवल इशु कहते हैं इस से बड़ा सबूत क्या है हम मरियम अलैहिस्सलाम कहते हैं और ये मैडम मेरी कहते हैं
हम ईमान रखते हैं कुरआन पर , आपने सही कहा है . राकेश साहब जवाब दें कि वह क्या मानते हैं बच्चों को ?
हम ईमान रखते हैं कुरआन पर , आपने सही कहा है . राकेश साहब जवाब दें कि वह क्या मानते हैं बच्चों को ?
वन्दे ईश्वरम का लिंक लगाने के लिए और इतनी अच्छी पोस्ट के लिए , दोनों के लिए शुक्रिया . लेकिन मेरा मानना है कि इन मुनाज्रों से कुछ हासिल होने वाला नहीं है सिवाय दिल बुरे होने के .
पापी हिन्दुओं के बच्चे क्यों? तुम्हारे क्यों नहीं?
हकीम साहब ! मुनाज़रों से कुछ हासिल हो या न हो लेकिन यह ग़लतफ़हमी तो ज़रूर ही दूर हो जाएगी कि हज़रात ईसा अलैहिस्सलाम को सही तरीके से कौन मानता है , मुस्लिम या ईसाई ?
@ भाई रविन्द्र जी ! मैंने कब कहा कि हिन्दुओं के बच्चे पापी होते हैं ? पहले बात को समझ लिया करो .
आवागमन कि थ्योरी के अनुसार अगर बच्चे को भूख , प्यास और बीमारी के कष्ट उठाने पड़ते हैं तो केवल इसलिए कि वह अपने पिछले जन्म के पापों को भुगत रहा है .ईसाई भी "मूल पाप" के नियम को मानते हैं लेकिन मुसलमान मानते हैं कि बच्चा केवल बच्चा है चाहे किसी के भी घर में जन्मे, वह मासूम होता है . आप बताओ कि आप बच्चों को पापी क्यों मानते हो ?
इन्जील को मोहम्मद साहब ने सत्य स्वीकार किया है। कुरान मे आया है हमने मरियम के बेटे ईसा को भेजा और हमने उसे इंन्जील प्रदान की सूरा 56ः26, 3ः48 ।
इन्जील ’नया नियम’ अल्लाह की किताब है जो कि मसीह पर उतरी है इन्जील वास्तविक मे हजरत मसीह के अन्तिम समय के तीन साढ़े तीन वर्षों के उन कथनों उपदेशों का संग्रह है जो उन्होंने अल्लाह की ओर से दिये थे। हजरत मोहम्म्द ने कहा कि उनकी किताब ईश्वर की ओर से दी गयी है। सुरा 32ः23, 17ः56, 5ः,11ः48।
इनके पीछे भेजा हमने इब्न मरियम की तस्दीक करने वाले तौरेत को जो उसके सामने थी और हमने उनको इन्जील दी जिसमे नूर वहिदायत है और तौरेत की तसदीक करती है जो उसके सामने थी जो हिदायत और नसीहत है मुतकिन के लिये बस चाहिये कि हुक्मन करें इन्जील के अहकाम से और उन अहकाम से हुक्म ना करे वह फासिक है। सूरे माएदःरुकू -7
मुसलमान दोस्तों की कुरान स्पष्ट करती है कि बाइबल में नूर है ज्योति है। अन्धकार मे पड़े लोंगों को नूर मिलता है। बाइबल पढ़ें और ज्योति पायें। आप अपना जीवन मसीह को देवें और नूर पायें।
कुरान की झलक आपके सामने रखी जा रही है जो ख्ुादावन्द यीशु मसीह के विषय कुरान कहती है आप अवश्य ही कुरान से मिलान कर लें।
कुरान शरीफ में मसीह का परिचय सूचि
कुरान के अन्दर प्रभु ईसा मसीह के विषय में बहुत ही महत्वपूर्ण बातें लिखा है। जिसको हर एक मुसलमान नही जानता है। अतः आप लोंगों की जानकारी के लिये कुरान से छांटकर पेश किया जा रहा है। इसे पढ़ें और इमानदार बनें।
हजरत ईशा अ 0
2ः87,256अल्लाह ने हजरत ईसा को खुली निशानियां दी और रुहुल्कुदुस पवित्र आत्मा से उनकी मदद दी।
3ः42,47 अल्लाह ने हजरत मरियम को तमाम दुनिया की औरतों में चुना और उन्हे हजरत ईसा के जन्म की शुभ सूचना दी।
3ः48,51 हजरत ईसा के कुछ चमत्कार और आपकी दी हुई शिक्षाएं।
3ः52-57 हवारियों ने हजरत ईसा का साथ दिया और अल्लाह ने हजरत ईसा के दर्जे उूंचे किये।
3ः52 अल्लाह के नजदीक ईसा अ0 का जन्म ऐसा ही है जैसा हजरत आदम का जन्म।
4ः156,159बनी इसराइल का यह दावा कि उन्होंने हजरत मसीह को कत्ल कर दिया और इस दावे का खण्डन।
7ः171ईसा मरियम बेटे अल्लाह के रसूल और उसी का कलमा थे।
4ः172 ईसा के लिये अल्लाह का बन्दा होने मे कोई लज्जा की बात नही।
5ः46-47 हजरत ईसा ने तौरेत की पुष्टी की और इन्जील में प्रकाश और मार्ग दर्शन है।
5ः57 ईसा अल्लाह के रसूल थे,उनकी मां पुण्यवती थीं और दोनो मनुष्य थे।
5ः110 हजरत ईसा ने पालने झूले में बातचीत की। वह मुर्दे को जिन्दा कर देते थे और अल्लाह ने उन्हे कितनी ही निशानियां दीं।
5ः112-115हजरत ईसा के हवारियों नें मांग की कि आसमान से दस्तरखान उतरे।
19ः16-26हजरत मरियम का अल्लाह के हुक्म से गर्भवती होना और ईसा का जन्म।
19ः27-23हजरत ईसा ने गोद का बच्चा होते हुए लोंगों के आरोंपों का खण्डन किया।
19ः34-37हजरत ईसा का संदेश।
23ः50 अल्लाह ने हजरत ईसा और उनकी माता को अपनी निशानी बताया।
57ः27 हजरत ईसा को अल्लाह ने इन्जील दी और उनके मानने वालों के दिलों में नम्रता और स्नेह डाल दिया। अल्लाहताला ने खुदावन्द यीशू मसीह के विषय में इतनी बड़ी बड़ी बातें कही हैं। काष हमारे भाई अल्लहताला की बातों पर ईमान लायें और सच्चाई को ग्रहण कर लें।
खुदावन्द यीशू मसीह की महानता
कुरान मजीद का अध्ययन करने से यह पता लगता है कि प्रभू यीशू मसीह बहुत महान
हैं। कुरान में 15 कारणों से मसीह नबियों में बड़े हैं। इस्लाम की पाक किताब में यीशू
मसीह की बड़ाई पाई जाती है। खुदावन्द ईसा मसीह मोहम्मद साहब तथा नबियों से
बड़े हैं। अब हम देखेगें कि मसीह किन किन कारणों से बड़े हैं -
खुदावन्द यीशू मसीह से पहिले विषेश नबी भेजा गया यहिया अर्थात यहुन्ना
बपतिस्मादाता । सूरेः3ः39ः33-34।
खुदावन्द यीशू मसीह का जन्म बिना बाप से खुदा की चुनी हुई एवं कुंवारी से हुआ
सूरेः19ः16-22 आयत ।
खुदावन्द यीशू मसीह को कुरान शरीफ में पाप रहित बेटा कहा गया है
सूरेः5ः37,19ः19
प्रभू यीशू मसीह को दुनिया में लाने के लिये प्रकृति के नियम तोड़ा गया वह
कुंवारी से जन्म लिये जो सब नबियों से श्रेष्ठ और भिन्न हैं। सूरेः 19ः26-31।
खुदावन्द यीशू जन्म के समय शैतान ने उसे नही छुआ। सूरेः3ः31
कुरान मे बयान है कि सारे नबियों ने अपनी गुनाहों की माफी खुदा से मांगी परन्तु
यीशू मसीह ने नही, क्योंकि वह रुह से पैदा हुए थे। सूरा अम्बिया
आदम ने पापों की माफी मांगी सूरे: 7ः18-13, नूहः - सूरा 11ः47-49, इब्राहिम
सूरे 26ः32। मूसा का गुनाह सूरे 24ः14-15, दाउद- 38ः25, सुलेमान- 38ः33-34,
यूनुस सूरे 11ः87।
पैगम्बर ने इस्लाम मे खुदा से अपने गुनाहो की माफी तीन बार मांगी अल्लाह ने
मोहम्मद से कहा ऐ मोहम्मद अपने गुनाहों के लिये माफी मांग। दरुदः16। परन्तु कुरान
शरीफ में यीशू के पाप का कहीं बयान नही आया है। कुरान बतलाती है कि मसीह मे
राई के दाने के बराबर भी पाप नही था क्योंकि वह खुदा के वचन थे।
खुदावन्द यीशू मसीह कलमतुल्लाह कहे गये। सूरे 4ः169
कुरान शरीफ में यीशू मसीह को रुहअल्लाह कहा गया है सूरे 4ः169 -171।
यीशू मसीह उंगली से पक्षी बनाकर जीवित कर दिये तथा मुर्दो को जिलाये। ऐसा
कुरान में किसी नबी ने नही किया। 5ः110
कुरान शरीफ के अनुसार केवल यीशू जीवित है। सारे नबी और मोहम्मद साहब
भी मर गये, उनकी कब्र है, परन्तु यीशू मसीह कब्र में नही है। सूरा 19ः33
खुदावन्द यीशू मसीह इस संसार और आने वाले संसार मे आदर योग्य हैं।सूरे3ः40
प्रभू यीशू मसीह को खुदा अल्लाह ताला ने जीवित आसमान पर लिया है।सूरेः4ः156
खुदावन्द यीशू मसीह ही कनवा दज्जाल ख्रीष्ट विरोधी को नाश करेगें।सूरे
39ः38,10ः6-8
यीशू मसीह 40 वर्ष तक राज्य करेगे सूरे 23ः101,1ः8
खुदावन्द यीशू मसीह दुबारा आयेंगें। सूराः4ः156 - 159
कुरान शरीफ में मसीह यीशू का नाम
कुरान हमारे मुसलमान दोस्तों की पाक किताब है। इस मजहबी किताब में हमारे खुदावन्द यीशू मसीह का नाम बहुत बार आया है जिसका वर्णन अब हम यहां करते हैं।
मसीह यीशू के निम्न नाम कुरान मजीद में आया है।
ईसा का अर्थ है ‘‘नजात देने वाला‘‘
इब्ने मरियम ईसा इसका अर्थ है ‘‘मरियम का बेटा‘‘
ईसा कलिमतुल्लाह - ‘ईसा खुदा का कलमा हैं‘‘
ईसा रुह अल्लाह - ‘‘ईसा अल्लाह की सह परमेश्वर की आत्मा हैं’’
अलमसीह - ’’अभिषेक किया हुआ’’
कौलुलहक्क - ‘‘सच्चाई का कथन’’
रुनहनमिन - ‘‘अल्लाह की ओर से एक आत्मा’’
मसीहा - ’’पाप से अलग’’पाप से मुक्त’’
वजीहुन फीद दुनिया वल अखिरह - ‘‘आखिरत प्रतिष्ठित’’
अवदुल्लाह - ‘‘युगानयुग रहने वाला’’अबद तक रहने वाला’’
नवीयुल्लाह - ’’अल्लाह का नबी’’
रसूल - ‘‘सन्देश देने वाला’’
ईसा अरबी नाम है। इब्रानी नाम इशऊ और यहोशू है। हिन्दी में यीशू का नाम है। अंग्रेजी मे रमेने है। मसीह का पूरा नाम इंजील मे आया है - प्रभू यीशू मसीह। उर्दू मे खुदावन्द यीशू मसीह तथा अंग्रेजी मे स्व्त्क् श्रम्ैन्ै ब्भ्त्प्ैज् है। इन सबका अर्थ एक ही है। अर्थात ’’बचाने वाला’’। अरबी भाषा में कहा गया है ‘रब्बी हूं कुल हूं अख्तर बिन ईसा नजातुन’ इसका अर्थ है ईसा के बिन नजात, उद्धार या मुक्ती छुटकारा कहीं है ही नही। पढ़ें - कुरान शरीफ - सूरे निशाः पद 136,163 सूरा माएद 44 -45, सूरे इमरानः 44 -45, सूरे बकरः 47,112, सूरे मरियम पद 21 - 30, सूरे उमरानः पद 39।
खुदावन्द यीशू मसीह इस्लाम में -
कुरान मजीद मुसलमान दोस्तों की पाक किताब है। कुरान शरीफ अरबी भाषा मे सन् ईस्वी सातवीं सदी मे लिखी गयी। कुरान मजीद में 114 पर्व हैं। मुसलमान दोस्तो के इस मजहबी किताब में खुदावन्द मसीह के बावत् बहुत कुछ लिखा है। अलाह ताला ने फरमाया है कि तौरेत - जबूर - इन्जील उतना ही ईमान रखो जितना कुरानशरीफ पर सूरे माएदः 44ः45। कुरान मजीद मे सबसे ज्यादा नाम ईसा आया है।
करीबन 25 बार इब्न मरियम ईसा नाम पाया जाता है। ईसा का अर्थ है ‘‘नजात देने वाला’’। दुनिया का नजात देने वाला सिर्फ मरियम का बेटा ही है। ‘‘रब्बी हूं कुल हंू अख्तर बिन ईसा नजातुन’’ अर्थ है - इसके बिना निजात कहीं नहीं हैैै।
कुरान शरीफ एक और नाम ईसा को देती है ईसा ‘कलिमतुल्लाह’ और ईसा रुहअल्लाह सूरे निशाः 171 में मरियम का बेटा ईसा मसीह इसके सिवाय और कुछ नही कि वह अल्लाह ने मरियम की ओर भेजा अल्लाह की रुह है। यानी खुदावन्द मसीह खुदा का रुप और कलिमा ‘‘वचन’’ है। आप मुज्जसम अल्लाह का कलमा और पैदाइश में रुहअल्लाह है। सूरे इमरानः44 - 45 याद करो कि फरिस्ते ने मरियम से कहा - अल्लाह तुम्हे कलमे का शुभ संदेश देता है, जिसका नाम यीशू मसीह पड़ेगा। वह इस दुनिया और आखरीयत में प्रतिष्ठत होगा। अर्थात प्रभू यीशू परमेश्वर का वचन और परमेश्वर का आत्मा है हयात जीवन यीशू है। कुरान मजीद खुदावन्द यीशू मसीह को ‘अल मसीह’ नाम दी है जिसका अर्थ है, मसीह मसह अभिषेक किया गया जो धन्य है। मसीह को कौतुल्हक भी कहा गया है जिसका अर्थ है कि ईसा मसीह सत्य हैं और सत्य के कथन हैं।
कुरान शरीफ में यीशू का जन्म
मसीह का जन्म पाक मरियम के द्वारा हुआ। ईसा मसीह की वालुदा सदी की तमाम जहान की औरतों मे वरगुजिदा और पाकीजा हैं सूरे माएदः75 यीशू मसीह के जन्म से पहिले विशेष नबी याहयाह यानी यहुन्ना बपतिस्मा देने वाले भेजे गये। हजरत याहयाह आपके मसदवान थे। आले उमरानः39। यीशू मसीह उस कौम से आये जिसे दुनिया की तमाम कौमों पर फजिलत है। सूरे बकरः47,112। यीषू मसीह की पैदाइश का मामला आजल से ठहर चुका था सूरे मरियमः21 आप स्वयं खुदा के हुक्म थे सूरे मरियमः30। इसलिये ईसा मसीह सब नबियों एवं पैगम्बर से श्रेष्ठ एंव महान हैं,
इस्लामी अकीदा है कि जब बच्चा पैदा होता है तो शैतान सबको ‘मस’(छूता) करता है। परन्तु खुदावन्द मसीह को मस करने की हिम्मत नही हुई। मसीह को शैतान नही छुआ। इसलिये वह पवित्र है।
ईसा की मौत,जी उठना और आसमान पर खुदा के पास जाना-
खुदा का वचन मुज्जसम हुआ कि वह गुनाहगारों के लिये मरे और जी उठे। कलिमतुल्लाह यीषू अपने वालुदा की गोद में इस प्रकार कलाम किया सूरे मरियमः33-34 में सलाम है मुझ पर कि जिस दिन मै पैदा हुआ और जिस दिन मै मरुंगा और जिस दिन मै जीवित करके आसमान पर उठाया जाऊगां। अल्लाह ताला ने सूरे 3ः55-56 रुक्कू 6 फरमाया हे ईसा यीषू मसीह मै तुझे इसी जमाने में मृत्यू के हवाले करने वाला हंू। इसी जमाने मे मृत्यू दूगां। और तुझे अपनी ओर उठा लेने वाला हंू। और हम काफिरों की सुहवत की गंदगी से तुझको पाक करेंगें। अल्लाह ताला झूठा और धोखा देने वाला नही परन्तू अल्लाह सच्चा है। अतः ईसा मसीह की मृत्यू हुई और तीसरे दिन जी उठे। तब फिर सूरेःनिशा 158 में लिखा है कि ईसा मसीह आसमान पर तशरीफ ले गये। ईसा आप भी खुदा के पास जिन्दा हैं। अहले किताब मे से कोई नही है कि मौत से पहले आप पर इमान न लाये।सूरे निशाः159।
कुरान में यीशू मसीह के चमत्कार
सूरे बकरः87 में आया है कि ईसा मसीह को खुले निशान याने मौजजात मिले और रुहुलकुदुस ने मदद की। ख्वान नियामत उतरता था। सूरे माएदः144। हजरत ईसा मसीह मिट्टी के परिन्दे बनाकर उड़ाते और मुर्दों मे जान डालते थे। आलेउमरावः49। यीशू मसीह जन्म के अन्धों को चंगा करते थे और कोढ़ियों को चंगा करते थे और मुर्दों को जिलाते थे। सूरत अलमायद109-110।
ईसा मसीह और कयामत
सत्य के कथन ईसा मसीह कयामत के दिन सब पर गवाह होंगें सूरे निशाः159।
सूरे अमवियाः91 में आया है कि मरियम सदिका और उसके बेटे ईसा को तमाम जहान के लिये निषानी ठहराया है। ईसा मसीह इल्म गव जानते थे। आले उमरावः49 गव की कुन्जियां, ईसा के पास हैं उनके सिवा इनको कोई नही जानता। सुरे इराकः188, सूरे इनामः59, ईसा मसीह के मानने वाले कयामत तक काफिरों पर गालिव रहेंगें। आले उमरानः55। ईसा वजीहुन फद दुनिया वल आखिर है। मतलब यह है कि ईसा मसीह दुनिया और आखरत में मतवा वाले हैं। आले उमरानः45 मुस्लिम दोस्तों का यह ईमान और अकीदा कि कयामत से पहले दज्जाल (ख्रीष्ट विरोधी) या कनवा दज्जाल आकर गुमराह करेगा। परन्तु ईसा मसीह यरुशलेम में आसमान से उतरकर दज्जाल व उसकी फौज को नष्ट करेंगें और अल्लाह से दुआ करेंगें तब दोजख (जहन्नम)के दरवाजे खुल जायेंगें और नरक में डाल दिये जायेंगें। तब इब्न मरियम ईसा मसीह इस दुनिया में राज्य करेंगें। उनका राज्य शांन्ति, चैन अमन का होगा। आप के राज्य मे या तब लोंगों में खून की एक बंूद भी नही गिरेगी। (अल उमरानः52)
कयामत का दिन सब लोंगों के जी उठने का दिन होगा, और खुदा के सफेद तख्त के पास न्याय का दिन होगा। खुदा सबका न्याय करेगा। यह न्याय मसीह के राज्य के बाद ही होगा।
कयामत का बयान करते हुए हजरत मोहम्मद साहब ने इस प्रकार फरमाया कि यह बात मेरे परवर दिगाह पर वाजिब हो चुका है कि तुममें से प्रत्येक जन दोजख जहन्नम में जायेगा। और आलमों को घुटने के बल जहन्नम में पड़े रहने देंगें। (सूरे मरियमः72-73 ) मतलब यह है कि हर एक मुसलमान जहन्नम में डाला जायेगा। इब्ने सऊद कहते हैं कि हजरत मोहम्मद ने फरमाया है कि जब जहन्नम मे दाखिल होंगें और हजरत मोंहम्मद किसी को भी नजात नही दे सकते हैं कयामत के रोज मोहम्मद साहब कहेंगें कि ऐ कुरैश के लोगो ऐ अबद मुनाफ बेटों, ऐ अब्बास मुतालिब के बेटों, ऐ मेरी फूफी, मै तुमको खुदा से और कयामत के अजाब से नही बचा सकता हंू तुम अपनी फिक्र आप ही कर लो। ऐ मेरी बेटी फातिमा तू मेरे माल से सवाल कर सकती हो, परन्तु मै तुमको खुदा से नही बचा सकता हूं। तुम अपनी फिक्र आप ही कर लो। तब मोहम्मद साहब के मित्र अबुहुरेरा पूछते हैं कि ऐ असल्लम हजरत मोहम्मद क्या आप भी नही बच सकते, तब उन्होने कहा बेशक मै भी नही बच सकता। पढ़ें बुखारी सफा 702
मसीहा बिचवई है:-
सूरेःमरियमः 19ः67-70 आयत मे कुरान स्वयं कहती है या गवाही देती है कि हर एक मुसलमान और जिन्न और गुनहगार जहन्नम मे झोंका जायेगा और अल्लाह दोजख मे से धीरे धीरे उनके कामों के अनुसार निकालेगा और जिन्नो को और लोंगों को नरक मे घुटने के बल डालेगा। कुरान स्वयं बताती है और कहती है कि सब को नरक में जाना है
तो प्रश्न उठता है कि जहन्नम से बचने का क्या प्रबन्ध है ?
इन प्रश्न का उत्तर कुरान ही देती है कि ईसा मसीह के द्वारा ही हम नरक से बच सकते हैं जैसे ईसा नाम का अर्थ है ‘‘नजात देने वाला’’ अरबी में कहा गया है ‘‘रब्बीह हूं कुल अख्तर बिन ईसा नजातुन’’ अर्थ है ईसा मसीह के बिना नजात कहीं है ही नही। कुरान स्पष्ट करती है कि कयामत से पहले ईसा मसीह आयेंगें ताकि लोग उन पर ईमान लायें और नजात पायें। कुरान स्पष्ट बतलाती है कि कनवा दज्जाल और शैतान की ताकत से आजाद करेंगें। अतः हर प्रकार से अल्लाह ने अपने वचन की और आत्मा को जो ईसा मसीह है नजात देने वाला ठहराया है थके और बोझ से दबे हुए लोगो मेरे पास आओ मैं तुम्हे विश्राम दूंगा मत्ती11ः18। अल्लाह ने अपने कलिमतुल्लाह को यरुशलेम नगर में कुंवारी के द्वारा मुज्जसम होने दिया। खुदावन्द मसीह इन्सान बन कर दुनिया मे आये कि खोये हुओं को ढूढे और उनका उद्धार करें खुदावन्द यीशू मसीह पर विश्वास कर तो तू और तेरा घराना उद्धार पायेगा। प्ररितों के काम 16ः31। इन्जील शरीफ मे मसीह यीशू ने फरमाया है कि राह हक और जिन्दगी मै ही हंू बिना मेरे द्वारा कोई खुदा के पास नही पहुंच सकता। यहुन्ना 14ः6
खुदावन्द मसीह जो अल्लाह के रुह थे और वचन कलमा थे, दुनिया मे इस लिये आये कि सलीब पर बलिदान कुर्बान होकर हमारा नजात देने वाला हो जाये।
@ भाई राकेश लाल जी ! पहले आप लेख पढ़ लें , उसमें दिए गए लिंक्स देख लें , उनपर विचार कर लें , तब पोस्ट में उठाये गए सवालों के जवाब दें . पुराने लिखे को पेस्ट करने से अब बात न बनेगी . जवाब दीजिये सब देख रहे हैं .
तब लोग बालकों को उसके पास लाए, कि वह उन पर हाथ रखे और प्रार्थना करे; पर चेलों ने उन्हें डांटा।यीशु ने कहा, बालकों को मेरे पास आने दोः और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है।और वह उन पर हाथ रखकर, वहां से चला गया।
तब लोग बालकों को उसके पास लाए, कि वह उन पर हाथ रखे और प्रार्थना करे; पर चेलों ने उन्हें डांटा।
यीशु ने कहा, बालकों को मेरे पास आने दोः और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है।
और वह उन पर हाथ रखकर, वहां से चला गया।Matthew 19:13to15
एक और दृष्टान्त सुनोः एक गृहस्थ था, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा; और उस मे रस का कुंड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठीका देकर परदेश चला गया।जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थरवाह किया।फिर उस ने और दासों को भेजा, जो पहिलों से अधिक थे; और उन्हों ने उन से भी वैसा ही किया।अन्त में उस ने अपने पुत्रा को उन के पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्रा का आदर करेंगे।परन्तु किसानों ने पुत्रा को देखकर आपस में कहा, यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालेंः और उस की मीरास ले लें।और उन्हों ने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।इसलिये जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठीका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।यीशु ने उन से कहा, क्या तुम ने कभी पवित्रा शास्त्रा में यह नहीं पढ़ा, कि जिस पत्थर को राजमिस्त्रिायों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया?यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखने में अद्भुत है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगाः और जिस पर वह गिरेगा, उस को पीस डालेगा। Matthw 21:33to44
तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा।क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईडोल होंगे।ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे को पकड़वाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे।और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।।Matthew 24:6to14
जब मनुष्य का पुत्रा अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा।और सब जातियां उसके साम्हने इकी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।और वह भेड़ों को अपनी दहिनी ओर और बकरियों को बाई और खड़ी करेगा।तब राजा अपनी दहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।कयोंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं पियासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया।मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए।तब धर्मी उस को उार देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या पियासा देखा, और पिलाया?हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए?हम ने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए?तब राजा उन्हें उार देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।Matthew 25:31to41
तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे ापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं पियासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया।मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; बीमार और बन्दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली।तब वे उार देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या पियासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की?तब वह उन्हें उार देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।और यह अनन्त दंड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।Matthew 25:41to46
क्योंकि उस में परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।।परमेश्वर काक्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।इसलिये कि परमश्ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वेनिरुत्तरहैं।इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्हों ने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया।वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगनेवाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।।इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषों के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।क्योंकि उन्हों ने परमेश्वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।।इसलिये परमश्ेवर ने उन्हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहां तक कि उन की स्त्रिायों ने भी स्वाभाविक व्यवहार को, उस से जो स्वभाव के विरूद्ध है, बदल डाला।वैसे ही पुरूष भी स्त्रिायों के साथ स्वाभाविक व्यवहार छोड़कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरूषों ने पुरूषों के साथ निर्लज्ज काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया।।और जब उन्हों ने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें।सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्षा से भरपूर हो गए, और चुगलखोर।बदनाम करनेवाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करनेवाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनानेवाले, माता पिता की आज्ञा न माननेवाले।निर्बुद्धि, विश्वासघाती, मयारहित और निर्दय हो गए।Romans 1:17to32
राकेश लाल जी, आप जिन आयतों का हवाला दे रहे हैं उसमें ऐसा कहीं नहीं लिखा है की सारे मुसलमानों को जहन्नुम में डाला जाएगा. और न ही यह लिखा है की क़यामत के रोज़ हज़रत ईसा दुनिया पर राज करेंगे. आप नब्बे प्रतिशत सच में दस प्रतिशत झूठ मिलाकर पेश कर रहे हैं.
@ राकेश जी ! अगर मसीह अलैहिस्सलाम बच्चों को मासूम मानते हैं जैसा कि आपने मत्ती १९, १३-१५ का हवाला दिया है तो फिर आप मसीह के विरुद्ध क्यों हैं ?
क्यों कहते हैं कि हर बच्चा पैदायशी गुनाहगार है ?
वाह भाई मैं देखता हूं रोजाना आपको 100 से अधिक पाठक मिल रहे हैं और न जाने कितनों की आपने गलतफहमी दूर की
हो सके तो मेरे लिए भी दुआ किजिएगा बाबरी मस्जिद पर सबसे पहले मैंने कुदाल चलायी थी, दुआ किजिए अल्लाह मुझे माफ कर दे
मास्टर मुहम्मद आमिर (बलबीर सिंह, पूर्व शिवसेना युवा शाखा अध्यक्ष) से एक मुलाकात - Interview
नव- मुस्लिम डाक्टर मुहम्मद हुज़ेफा (डी. एस. पी. रामकुमार) से मुलाकात interview 5
मुहम्मद इसहाक (पूर्व बजरंग दल कार्यकर्त्ता अशोक कुमार) से एक दिलचस्प मुलाकात Interview 2
बाबरी मस्जिद गिराने के लिये 25 लाख खर्च करने वाला सेठ रामजी लाल गुप्ता अब "सेठ मुहम्मद उमर" interview 3
जनाब अब्दुर्रहमान (शास्त्री अनिलराव आर्य समाजी) से मुलाकात Interview-4
क्योंकि क्रूस की कथा नाश होनेवालों के निकट मूर्खता है परन्तु हम उद्धार पानेवालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।क्योकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा। कहां रहा ज्ञानवान कहां रहा शास्त्री कहां इस संसार का विवादी क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करनेवालों को उद्धार दे।यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी क्या यूनानी उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ और परमेश्वर का ज्ञान है।क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।।हे भाइयो अपने बुलाए जाने को तो सोचो कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान और न बहुत सामर्थी और न बहुत कुलीन बुलाए गए।परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञानवालों को लज्जित करे और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे।और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को बरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया कि उन्हें जो हैं व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमंड न करने पाए। परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात् धर्म और पवित्राता और छुटकारा। ताकि जैसा लिखा है वैसा ही हो कि जो घमंड करे वह प्रभु में घमंड करे।।1 Corinthians 1:18to31
मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसी ही परमश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेवर का आत्मा।परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए? परन्तु हम में मसीह का मन है।।1 Corinthians 2:11to16
क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है?यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्रा है, और वह तुम हो।कोई अपने आप को धोखा न देः यदि तुम में से कोई इस संसार में अपने आप को ज्ञानी समझे, तो मूर्ख बने; कि ज्ञानी हो जाए।क्योंकि इस संसार का ज्ञान परमेश्वर के निकट मूर्खता है, जैसा लिखा है; कि वह ज्ञानियों को उन की चतुराई में फंसा देता है।और फिर प्रभु ज्ञानियों की चिन्ताओं को जानता है, कि व्यर्थ हैं।इसलिये मनुष्यों पर कोई घमंड न करे, क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है।क्या पौलुस, क्या अपुल्लोस, क्या कैफा, क्या जगत, क्या जीवन, क्या मरण, क्या वर्तमान, क्या भविष्य, सब कुछ तुम्हारा है,और तुम मसीह के हो, और मसीह परमेश्वर का है।।1 Corinthians 3:16--23
क्योंकि परमश्ेवर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है।1 Corinthians 4:20
क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है? तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो।और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझानेवाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं।इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है।परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।।1 Corinthians 9:24--27
आप बच्चों को क्या मानते हैं, मुसलमानों की तरह मासूम या हिन्दुओं की तरह जन्मजात पापी ?
आदरणीय एवं प्रिय अनवर जी ,
आपके मुख से इस प्रकार का कमेन्ट सुनकर मैं हैरान हूँ ,ये सही नहीं है ,आपने इसके लिए अपने एक कमेन्ट में आवागमन की theory का हवाला दिया है लेकिन ज़रा बताएं की हम सबकी प्यारी बिटिया अनम की आसामायिक मृत्यु पर किस हिंदू ने उसे पापी कहा या फिर ये कहा की ये तो उसके पिछले जन्म में किये गए किसी पाप का फल है ???
जो लोग ऐसा सोचते हैं या फिर मानते हैं ,उनकी बात को मानकर आपका एक पूरे धर्म के बारे में इस प्रकार का दृष्टिकोण स्तापिथ कर लेना की इस धर्म के लोग बच्चों को जन्मजात पापी मानते हैं तो फिर तो इससे उन लोगों के दावे को ही बल मिलता है की क्योंकि कुछ मुस्लिम कुरआन और जेहाद के नाम पर निर्दोष लोगों का खून बहाते हैं तो इसलिए हमें ये कहना चाहिए की मुसलमान जन्मजात आतंकवादी होते हैं
जनाब आपसे प्रार्थना है की कृपया कर इस प्रकार के कमेंट्स करने से बचें जिससे की दोनों ओर के उन लोगों को फायदा हो जो की नफरत की दीवार कड़ी करकर हम सबको आपस में लड़वाना चाहते हैं
महक
आप बच्चों को क्या मानते हैं, मुसलमानों की तरह मासूम या हिन्दुओं की तरह जन्मजात पापी ?
आदरणीय एवं प्रिय अनवर जी ,
आपके मुख से इस प्रकार का कमेन्ट सुनकर मैं हैरान हूँ ,ये सही नहीं है ,आपने इसके लिए अपने एक कमेन्ट में आवागमन की theory का हवाला दिया है लेकिन ज़रा बताएं की हम सबकी प्यारी बिटिया अनम की आसामायिक मृत्यु पर किस हिंदू ने उसे पापी कहा या फिर ये कहा की ये तो उसके पिछले जन्म में किये गए किसी पाप का फल है ???
जो लोग ऐसा सोचते हैं या फिर मानते हैं ,उनकी बात को मानकर आपका एक पूरे धर्म के बारे में इस प्रकार का दृष्टिकोण स्तापिथ कर लेना की इस धर्म के लोग बच्चों को जन्मजात पापी मानते हैं तो फिर तो इससे उन लोगों के दावे को ही बल मिलता है की क्योंकि कुछ मुस्लिम कुरआन और जेहाद के नाम पर निर्दोष लोगों का खून बहाते हैं तो इसलिए हमें ये कहना चाहिए की मुसलमान जन्मजात आतंकवादी होते हैं
जनाब आपसे प्रार्थना है की कृपया कर इस प्रकार के कमेंट्स करने से बचें जिससे की दोनों ओर के उन लोगों को फायदा हो जो की नफरत की दीवार कड़ी करकर हम सबको आपस में लड़वाना चाहते हैं
महक
जमाल मैं बात को अच्छी तरह समझ रहा हूँ, भूख प्यास कष्ट नही देह की सीमाएं हैं, देह के साथ यह सब आता है।
और हर बार की तरह जरा यह भी झूठ बोल दो कि भागवत पुराण के किस श्लोक मे बच्चों को पापी बताया गया है?
मैने कई बार कहा है कि अगर एकता की बात करते हो पर छद्म रूप से अपना एजेंडा सब पर थोपते हो और हिन्दुओं पर आघात करने से बाज़ नही आते हो।
इस प्रकार के nonsense लिखोगे तो तुम्हे गालियाँ नहीं मिलेंगी तो क्या मिलेगा?
महक - तुम व्यर्थ ही परेशान हो रहे हो - तुम्हारे गुरुजी के पास ऐसी १०० रुपये सैकडा की किताबों का भण्डार है जिसमे हिन्दुओं के बच्चों को जन्मजात पापी ठहराया गया है, नही मानते हो तो कृष्ण के विषय मे मेरी बहस जब हो रही थी तब कैरानवी का comment देख लो, हाँ सही पढा १०० रुपये सैकडा, अब समझ लो कि इनके ज्ञान का स्तर भी १०० रुपये सैकडा ही है, पर मैं तुम्हे क्यों समझा रहा हूँ, तुमको तो गुरुजी, माफ करना, सर्व ज्ञानी गुरुजी ही प्रिय हैं और मैं तो धमकी देता हूँ। वैसे मेरे हिसाब से इन अफवाह फैलाने वालों को धमकी नही जेल देना चाहिए, जिस दिन इस देश मे यह शुरुआत हो जाएगा, सबसे पहले यह ब्लोग बंद होगा - अफवाह फैलाने का केन्द्र, हिन्दुओं के मान मर्दन का अखाडा।
@ rakeh lal ji accha hota aap post mai likhe gaye 15 points ka ek ek kar jawab dete
आवागमन की थ्योरी और पूर्वकृत कर्मों के साथ जन्म लेना एक मज़ेदार चर्चा का विषय हो सकता है।
बच्चा पुण्य-कर्म के साथ भी पैदा होता है।
यदि मुसल्मान बच्चा शुद्ध अवस्था में पैदा होता है तो उसे बदी कौन सिखाता हैं? इस्लाम या कुरआन?
चलिये तैयारी कर लिजिये इस विषय पर गम्भीर चर्चा को अवसर मिलेगा।
क्योकि अभी आपकी चर्चा ईशा को कुरआन में महत्व पर है। यहां हम केवल समझना चाहेंगे।
एक बात समझ नहिं आती……।
मूसा, ईशा आदि नबी भी अल्लाह ने भेजे,
तौरेत, इंजिल आदि किताबें भी अल्लाह नें दी।
अब प्रश्न होता है, अल्लाह ने मुहम्मद सल्ल को ही पूरी मानवता की किताब क्यों दी,अन्तिम इन्हें ही क्यो दी? मूसा, ईशा को को छोटे टुकडो में कौम लिमिटेड क्यों दी? ईशा को ही अन्तिम क्यों न बनाया। क्या वैर था ईशा आदि से? कुरआन की सुरक्षा तो अल्लाह खुद कर रहा है, और तौरेत, इंजिल आदि को बिगडने दिया?क्यों…क्या वे किताबें अल्ल्लाह को प्यारी नहिं थी?
या उस एडिशन में अल्लाह से चुक हुई थी, जो फ़ाईनल एडिशन निकालना पडा। और यह विशेष कौम के लिये नहिं तो भाषा अरबी ही क्यों पूरी मानवता के लिये?
अल्लाह का अरबी,कुराआन,मुहम्मद सल्ल से विशेष लगाव है? तो फ़िर आदम से लेकर ईशा तक के साथ दोगला व्यवहार क्यो?
सुज्ञ जी जब बच्चा छोटा होता है उसे चित्रों वाली किताब पढायी जाती है
फिर थोडी आसान शब्दों की जब उसकी बुद्दि विकसित होजाती है तब ऐसे किसी सहारे की जरूरत नहीं रहती
जब जादू टोने में लोगों को विश्वास था तब मुसा को किताब दी और साथ में जादूई लाठी
फिर ईसा को मुर्दा को जिन्दा करने की शक्ति देकर किताब भेजी
मानव जैसे जैसे मानव सभ्य और सुसंस्कार और बुद्धिमान होता गया वैसे वैसे वह उसको हिदायत करता रहा,
।
कुरआन ने अपनी असल हिदायत को पिछली हिदायतों और किताबों ही का एक नया संस्करण कहा है। तीन किताबों की किताबे इलाही-आसमानी किताब अर्थात उसके (अल्लाह) द्वारा भेजी गयी मानता है।
quran:
अनुवादः- ‘‘अल्लाह ने तुम्हारे लिए वही दीन (धर्म) मुक़र्रर फर्माया है, जिसकी उसने नूह को हिदायत दी थी और जिसकी (हे मुहम्मद!) हमने तुम पर वहय की है और जिसकी हमने इब्राहीम को, मूसा को और ईसा को वसीयत की थी, यह कि इस दीन को क़ायम करों और इसके भीतर विभेद न पैदा करो‘‘ - शूराः15
जमाल साहेब ! बड़े दिनों बाद इधर का रुख किये थे , हॉट लिस्ट में आपकी पोस्ट देखकर :) अन्दर आकर अफ़सोस हुआ कि घूमफिरकर आप जैसे इस्लामिक विद्धवान अपनी पर उतर ही आते है ! क्यों क्या अयोध्या फैसले का असर समझू इसे ?
प्रिय भाई अनवर जमाल जी आपको मैं बताना चाहता हूं कि जो कुछ मैने लिखा है वो मेरे विचार नही हैं। कुरान शरीफ में जो लिखा है वो आपके सामने लिखा है।
दूसरी बात जो बाइबल में जो वचन लिखा है वो मैने आपके सामने पेश किया है।
मेरे भाई इसमे बुरा मानने वाली कोई बात नही है क्योंकि बाइबल हमें बताती है कि खुदा का वचन आईना है इसके सामने हम बेपर्दा है। लेकिन अगर वचन पर अमल करें तब।
बाइबल में लिखा कि खुदा का वचन या कलाम दोधारी तलवार है जो कि गांठ गांठ को गूदे गूदे को वारपार छेद देता है।
अयोध्या फैसला भारतीय शक्ति का पुनर्जागरण है।
@ सुज्ञ जी !
आप किसी क्रियेटर को तो मानते नहीं लेकिन अवागमन को मानते हैं , ईश्वर,जोकि वास्तव में है उसे आप मानते नहीं और आवागमन,जोकि होता नहीं उसे आप मानते हैं. यह बड़ी दिलचस्प बात है सो इस पर जब भी बात होगी तो यकीनन दिलचस्प ही होगी चर्चा में आपका स्वागत है ।
@ पी सी गोदियाल जी !
राम मंदिर बनने पर हिन्दू भाई खुश हैं और हम उनके खुश होने पर खुश हैं, अयोध्या में भी हिन्दू मुसलमान खुश हैं और सारे देश में भी खुश हैं, फैसला क्या हुआ यह अहम् नहीं है अहम् बात यह है कि इतना बड़ा फैसला दोनों समुदायों ने शांति से सुना और सहजता से लिया, इस वाकये से हमारे अन्दर आत्मविश्वास पैदा हुआ दूरियां घटी नफरतें मिटी और प्रेम के अंकुर फूटे इस मुद्दे का समापन हो जाये इसके लिए दोनों समुदाय के ज़िम्मेदार लोग आपस में बातचीत कर रहे हैं. इस विषय पर उत्तेजित होना या उत्तेजित करना, व्यंग्य करना, उपहास करना, ग़ैर ज़िम्मेदारी की बात है . अयोध्या फ़ैसले पर हम खुश हैं यह जान कर आप भी खुश हो जाइये चर्चा के लिए अवागमन जैसे दार्शनिक मुद्दे बहुत हैं।
@ रविन्द्र नाथ जी !
कुछ शब्द आपके लिए भी हैं मेरे ब्लॉग पर ।
BIBLE SAID
तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। बरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु मे सत्य है, उसी में सिखाए भी गए। कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ। और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्राता में सृजा गया है।। इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। क्रोध तो करो, पर पाप मत करोः सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। और न शैतान को अवसर दो। चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; बरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुननेवालों पर अनुग्रह हो। और परमेश्वर के पवित्रा आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।। Ephesians 4:20--32
@एज़ाज़ साहब,
@"ईश्वर,जोकि वास्तव में है उसे आप मानते नहीं और आवागमन,जोकि होता नहीं उसे आप मानते हैं. यह बड़ी दिलचस्प बात है सो इस पर जब भी बात होगी तो यकीनन दिलचस्प ही होगी चर्चा में आपका स्वागत है ।"
॰
॰
ठीक कहा……, लेकिन चर्चा आपके लिये कैसे दिलचस्प होगी, आपका तो सत्य साक्षात्कार हो चुका है,आपतो लिखते है "वास्तव में है" ;)
कुछ बातें तो 'अल्लाह बेहतर जानता है' पर यहां आपकी बातों से लगता है आप उससे भी बेह्तर जानते है। चलो, कुछ इल्म आपसे भी ले लेंगे।
Sug ji ! jab charcha hogi tab pata chal hi jayega ki kaise hogi dilchasp , tab tak suspense bhi dilchasp hi rahega ?
अन्वेर जमाल साहब बेहतरीन जवाब दिया है सवालों की शक्ल मैं, जो यह साबित करने मैं सछम है की हक कहां है बातिल कहां है. अन्वेर जमाल साहब बेहतरीन जवाब दिया है सवालों की शक्ल मैं, जो यह साबित करने मैं सछम है की हक कहां है बातिल कहां है. यदि आप जानना चाहते हैं की लोग ऐसे सवालात क्यों उठाते हैं, जिस से दो मज़हब मैं नफरत पैदा हो तो मेरा यह लेख़ पढ़ें.
कैरानवी (बलबीर सिंह (आमिर)) ने पहली बार समझदारी की बात की है, "जब बच्चा छोटा होता है उसे चित्रों वाली किताब पढायी जाती है, फिर थोडी आसान शब्दों की जब उसकी बुद्दि विकसित होजाती है तब ऐसे किसी सहारे की जरूरत नहीं रहती" इसी प्रकार साकार उपासना निराकार उपासना के मार्ग का एक पडाव है जो मैं प्रारम्भ से कहता आ रहा हूँ पर जमाल तो समझते ही नही।
कैरानवी तुम ही समझा दो
@Ezaz: आपको उत्तर आपके ही ब्लाग पर दिया है।
मरने से पहले मैं सच दुनिया के सामने रखना चाहता हूं
@ प्रिय भाई महक ! मानव जाति एक है उसे बांटती हैं उनमें फैली ग़लत मान्यताएं। ग़लत मान्यताओं को त्यागते ही सारी मानव जाति एक हो जाएगी। मैं मानव जाति को एक करने के उद्देश्य से ही समाज में फैली कुरीतियों और ग़लत मान्यताओं का विरोध करता हूं और परवाह नहीं करता कि कौन नाराज़ हो जाएगा ? मैंने बारह वफ़ात के जुलूस निकालने और सड़क पर नमाज़ ए जुमा की अदायगी को नाजायज़ कहा तो कुछ मुसलमान नाराज़ हो गए। मैंने अब आवागमन को ग़लत कहा तो संभव है कि कुछ हिन्दू भाई भी नाराज़ हो जाएं। हिन्दू तो तब भी नाराज़ हुआ करते थे जब राजा राम मोहन राय ने हिन्दू स्त्रियों को शिक्षा देना शुरू किया था। उन्हें हिन्दू कोसते थे, पत्थर मारते थे। समय गुज़र चुका है आज उन्हें सुधारक माना जाता है, उनका उपकार आज सबके सामने है। गांधी जी को गोली मार दी गई लेकिन गांधी जी की हैसियत को उन्हें मारने वाला न मिटा सका।
सनातनी और आर्य हिन्दू ही नहीं बल्कि बौद्ध और जैन दर्शन भी आवागमन को मानते हैं। आवागमन को मानने से बच्चे की मासूमियत को मानना संभव नहीं रहता। मैं इसका खंडन करता हूं। सुज्ञ जी भी कहते हैं कि अगर कोई कुरीति धर्म का चोला ओढ़ ले तो उसे बख्शा नहीं जा सकता। आपने और सुज्ञ जी ने भी कुरबानी और मांसाहार को राक्षसी कहा और मांसाहारियों को सज़ा ए मौत देने का प्रस्ताव ब्लाग संसद में लाए और उस पर बहस की और कराई। एक बहन ने तो मांस खाने की तुलना शराब पीने से ही कर डाली। क्या तब आपको पता न था कि दुनिया के कई धर्म-मत को मानने वाले करोड़ों लोग मांसाहार करते हैं और यह उनके पवित्र माने जाने वाले धर्मग्रंथों में भी जायज़ कहा गया है ?
क्या किसी मुसलमान ने आपसे कहा कि आप ऐसी बातें न करें ?
मुसलमानों ने केवल आपके सामने तथ्य रख दिये , मानना न मानना आपका काम है।
अभी कुछ दिन पहले एक भाई आकर ‘जन्नत में हूर मिलने‘ पर ऐतराज़ जता रहे थे। क्या जन्नत पर ऐतराज़ करते देखकर आपमें से किसी ने उन्हें टोका कि इस तरह की बातें न करें ?
जब इसलाम पर ऐतराज़ करने का समय मिलता है तो सभी सुधारक और बुद्धिजीवी होने का अभिनय करने लगते हैं, कोई नहीं बख्शता और जब बताया जाता है कि आवागमन तो होता नहीं है हां स्वर्ग-नर्क ज़रूर होता है और इन्हीं को अरबी में जन्नत-जहन्नम कहा जाता है तो सलाह दी जाती है कि ऐसी बातों से लड़ाई होने का अंदेशा है।
अरे भाई क्यों होगी लड़ाई ? आप मेरी सही बात को मान लीजिए या फिर मेरी बात ग़लत साबित कर दीजिए मैं आपकी सही बात मान लूंगा। क्यों होगी लड़ाई ?
लड़ाई तो तब होगी जब आदमी ग़लत बातें समाज में फैलाएगा और समझाने के बावजूद भी अपनी ग़लती पर हठ करेगा।
आपके सवाल का लघु उत्तर सेवा में प्रस्तुत है और विस्तृत उत्तर दूंगा तो उसमें आवागमन का विषय भी समाहित होगा। अनम जैसे हज़ारों बच्चे दुनिया में आकर चले जाते हैं। किसी ने अनम को कुछ कहा हो या न कहा हो लेकिन इन जैसे बच्चों को आवागमन में विश्वास रखने वाले ‘पापी‘ ही मानते हैं। यह आप भी जानते हैं। मेरा लहजा तल्ख़ हो सकता है लेकिन मेरी बात सही है। लहजे के लिए मैं आप सभी भाइयों से क्षमा प्रार्थी हूं। लेकिन आप तथ्य पर ध्यान दीजिए अगर आप सत्य चाहते हैं तो। हरेक दर्शन की सभी बातें न तो ग़लत हो सकती हैं और न ही सही। नीर-क्षीर विवेक ज़रूरी है, उम्मीद है कि मेरी बात से सुज्ञ जी जैसे अणुव्रतधारी सहमत होंगे।
@ सुज्ञ जी ! आपके साथ किसी भी विषय पर चर्चा करना एक सौभाग्य की बात है लेकिन मैं यह ज़रूर जानना चाहूंगा कि आप श्वेतांबर हैं, दिगंबर हैं या फिर स्थानकवासी ? आप किन किताबों में विश्वास रखते हैं ? आदि तीर्थंकर ऋषभदेव की शिक्षा में ऐसी क्या कमी रह गई थी कि उनके बाद और भी तीर्थंकरों को आना पड़ा ? सभी तीर्थंकरों में महावीर जी को क्यों प्रधानता दी जाती है ? आपकी मान्य पुस्तकें किस प्रकाशन पर मिलती हैं ?
@ रवीन्द्र जी ! मैं हिन्दू मान्यताओं पर आघात क्यों करूंगा। मैं मानता हूं कि हिन्दू धर्म की कोई भी बात ग़लत नहीं हो सकती। ऐसा मैं इसलिए कहता हूं कि किसी भी दार्शनिक की ग़लत बात को मैं हिन्दू धर्म की बात मानता ही नहीं। इस तरह मैं हिन्दू धर्म को पुष्ट कर रहा हूं या उस पर आघात कर रहा हूं। आप मेरा ब्लाग बंद कराना चाहते हैं लेकिन मेरी तो किताबे ज़िंदगी ही बहुत जल्द बंद होने वाली है। मरने से पहले मैं वह सच दुनिया के सामने रखना चाहता हूं जो मुझे लगभग 35 वर्ष की मेहनत के बाद केवल मालिक की कृपा से मिला है।
आदरणीय, प्रिय एवं गुरुतुल्य अनवर जी ,
आपकी बातों का क्रमानुसार ही जवाब देना चाहूँगा ,अगर मेरी किसी बात से बुरा लगे तो उसके लिए क्षमांप्रार्थी हूँ
मैं मानव जाति को एक करने के उद्देश्य से ही समाज में फैली कुरीतियों और ग़लत मान्यताओं का विरोध करता हूं और परवाह नहीं करता कि कौन नाराज़ हो जाएगा ?मैंने बारह वफ़ात के जुलूस निकालने और सड़क पर नमाज़ ए जुमा की अदायगी को नाजायज़ कहा तो कुछ मुसलमान नाराज़ हो गए। मैंने अब आवागमन को ग़लत कहा तो संभव है कि कुछ हिन्दू भाई भी नाराज़ हो जाएं।
किसने कहा की आप कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ ना उठाएं ,कम से कम मैंने तो ऐसा नहीं कहा ,बल्कि मैं तो और दो कदम आगे बढकर कहता हूँ की किसी भी कुरीति ( चाहे हिंदू कुरीति हो या मुस्लिम कुरीति ) के खिलाफ आप जब भी आवाज़ उठाएंगे तो मुझे खुद के साथ सबसे पहले खड़ा पायेंगे
परन्तु महोदय किसी बात या theory को गलत कहने का भी एक तरीका होता है ,आप आवागमन को गलत ठहराने के लिए अपने तर्क प्रस्तुत करें जिनका की सदैव स्वागत है परन्तु एक धर्मविशेष के लिए इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना की इस धर्म के सभी लोग बच्चों को जन्मजात पापी मानते हैं ,तो ये तो अपातिजंक है ,मैं खुद इस बात को नहीं मानता की अगर आज मेरे साथ अच्छा हो रहा है तो वह मेरे पिछले जन्म में किये गए पुण्यों का फल है और बुरा हो रहा है तो मेरे पिछले जन्म में किये गए पापों का फल है
सनातनी और आर्य हिन्दू ही नहीं बल्कि बौद्ध और जैन दर्शन भी आवागमन को मानते हैं। आवागमन को मानने से बच्चे की मासूमियत को मानना संभव नहीं रहता। मैं इसका खंडन करता हूं।सुज्ञ जी भी कहते हैं कि अगर कोई कुरीति धर्म का चोला ओढ़ ले तो उसे बख्शा नहीं जा सकता। आपने और सुज्ञ जी ने भी कुरबानी और मांसाहार को राक्षसी कहा और मांसाहारियों को सज़ा ए मौत देने का प्रस्ताव ब्लाग संसद में लाए और उस पर बहस की और कराई। एक बहन ने तो मांस खाने की तुलना शराब पीने से ही कर डाली। क्या तब आपको पता न था कि दुनिया के कई धर्म-मत को मानने वाले करोड़ों लोग मांसाहार करते हैं और यह उनके पवित्र माने जाने वाले धर्मग्रंथों में भी जायज़ कहा गया है ?
चलिए आपकी ही बात को मान लेते हैं की क्योंकि मांसाहार को उनके पवित्र माने जाने वाले धर्मग्रंथों में जायज़ कहा गया है तो वह सही है और मुझे और सुज्ञ जी को इसके विरुद्ध नहीं बोलना चाहिए लेकिन फिर यही सिद्धांत आप यहाँ क्यों नहीं लागू करते की क्योंकि आवागमन सहित बहुत सी बातें पवित्र ग्रंथों में जायज़ कहीं गई हैं तो फिर हमें और आपको भी उनके विरुद्ध नहीं बोलना चाहिए फिर चाहे वह कोई कुरीति ही क्यों ना हो, एक तरफ तो आपने कहा की आप समाज में फैली हर कुरीति और गलत मान्यता का विरोध करते हैं और दूसरी ओर आप कह रहें हैं की क्योंकि मांसाहार नामक कुरीति को कई धर्मग्रंथों में जायज़ कहा गया है तो इस कारण मुझे और सुज्ञ जी को इसका विरोध नहीं करना चाहिए था ,जायज़ तो आवागमन को भी कहा गया है तो फिर आपके द्वारा इसका विरोध क्यों ??
क्या किसी मुसलमान ने आपसे कहा कि आप ऐसी बातें न करें ?
आपकी इस बात का तात्पर्य मैं पूरी तरह से नहीं समझ पाया हूँ ,शायद इसका मतलब यह है की मुझे आपको सभी हिंदुओं को जन्मजात पापी कहे जाने पर टोकना नहीं चाहिए था और आपत्ति नहीं जतानी चाहिए थी, अब मुझे भी ऐसा लग रहा है की मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था ,भई आपकी कलम है ,आपका मन है ,जो मन में आये लिखें मैं कौन होता हूँ आपको टोकने वाला , इसी तरह से जो मेरे मन में आये लिखूं लेकिन हम एक दूसरे को टोकें ना ,शायद यही मतलब है इसका ,आइन्दा से ध्यान रखूँगा
अभी कुछ दिन पहले एक भाई आकर ‘जन्नत में हूर मिलने‘ पर ऐतराज़ जता रहे थे। क्या जन्नत पर ऐतराज़ करते देखकर आपमें से किसी ने उन्हें टोका कि इस तरह की बातें न करें ?
शायद आपका इशारा शर्मा जी के ब्लॉग की ओर है तो आप तो जानते ही हैं की मैं उनसे भी निवेदन कर चुका हूँ की तर्क-वितर्क बेशक करें लेकिन उसमें शब्दों का चयन सोच समझकर करें
जब इसलाम पर ऐतराज़ करने का समय मिलता है तो सभी सुधारक और बुद्धिजीवी होने का अभिनय करने लगते हैं, कोई नहीं बख्शता और जब बताया जाता है कि आवागमन तो होता नहीं है हां स्वर्ग-नर्क ज़रूर होता है और इन्हीं को अरबी में जन्नत-जहन्नम कहा जाता है तो सलाह दी जाती है कि ऐसी बातों से लड़ाई होने का अंदेशा है।
जनाब जिस बात को कहने के लिए आपने जिन शब्दों का प्रयोग अब किया है क्या बात को पहले ही इन्ही शब्दों के साथ नहीं कहा जा सकता था ?? या फिर दो धर्मों की तुलना करके एक की सोच में बच्चों के प्रति मासूमियत ओर दूसरे की सोच में बच्चों को जन्मजात पापी का स्वयं भू चित्रण किया जाना अति-आवश्यक था ,क्या जैसे आपने बात अब कही है तो क्या पहले इसी प्रकार से बात नहीं कही जा सकती थी ?? या extrimists elements को ये मसाला देना ज़रूरी था की देखो अनवर जमाल हमारे धर्म के बारे में कैसा दुष्प्रचार कर रहें हैं
अरे भाई क्यों होगी लड़ाई ? आप मेरी सही बात को मान लीजिए या फिर मेरी बात ग़लत साबित कर दीजिए मैं आपकी सही बात मान लूंगा। क्यों होगी लड़ाई ?
लड़ाई तो तब होगी जब आदमी ग़लत बातें समाज में फैलाएगा और समझाने के बावजूद भी अपनी ग़लती पर हठ करेगा।
मेरी मूल आपत्ति आपके द्वारा बात को कहने के लिए प्रयोग किये गए शब्दों को लेकर थी जिसे की कट्टरपंथी तत्व दूसरे भाइयों को गुमराह करने में प्रयोग करेंगे की देखो जमाल कैसे हमारे धर्म को बुरा और खुद के धर्म को श्रेष्ठ बता रहा है ,अब मुझे नहीं लगता की इन बातों से दोनों धर्म के लोगों के बीच में प्रेम बढ़ेगा, हाँ लड़ाई होने की संभावना अधिक बनती है
आपके सवाल का लघु उत्तर सेवा में प्रस्तुत है और विस्तृत उत्तर दूंगा तो उसमें आवागमन का विषय भी समाहित होगा। अनम जैसे हज़ारों बच्चे दुनिया में आकर चले जाते हैं। किसी ने अनम को कुछ कहा हो या न कहा हो लेकिन इन जैसे बच्चों को आवागमन में विश्वास रखने वाले ‘पापी‘ ही मानते हैं। यह आप भी जानते हैं।
अनवर जी , जो भी लोग इन्हें पापी मानते हैं तो ये कैसे उचित है की आप उन लोगों की सोच को ही सभी हिंदुओं की सोच मान लें ,मैं एक हिंदू हूँ लेकिन मैं इस आवागमन के सिद्धांत में यकीन नहीं रखता और मेरे जैसे ही ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जो की इसे नहीं मानते, तब क्या उन लोगों की वजह से सभी हिंदुओं के बारे में ये कह दिया जाए की ये तो बच्चों को जन्मजात पापी मानते हैं ,भई आप यहाँ पर " हिंदुओं की तरह " नामक पंक्ति को " कुछ हिंदुओं की तरह ", इस तरह से कह देते तो मुझे तो आपत्ति ना होती
ऐसी ही शब्दावली पर मुझे एक दिलचस्प बहस याद आ रही है जो की मेरी प्रिय अयाज़ भाई से आपकी ही एक पोस्ट पर हो गई थी
http://vedquran.blogspot.com/2010/05/love-fasad-2.html
Dr. Ayaz ahmad said...
@प्रिय महक जी आधुनिक युग मे भी गोत्र और जाति हिंदू युवाओ के मिलन मे बाधा बन रही है । अब आप ही बताइए कि इस समस्या के लिए अगर हिंदूओ को सम्बोधित न किया जाए तो क्या ईसाइयो को सम्बोधित किया जाएगा? इसमे सारे हिन्दुओ को खराब बताने वाली बात कहाँ है? डा. साहब तो खुद मानते है कि हिंदु सदगुणो की खान है।
May 8, 2010 8:39 AM
Mahak said...
@ प्रिय अयाज़ भाई
इसी तरह जो आत्मघाती हमले करते हैं जन्नत पाने के लिए तो आप ही बताइए कि इस समस्या के लिए अगर मुसलामानों को सम्बोधित न किया जाए तो क्या सिखों को सम्बोधित किया जाए ?इसमे सारे मुसलामानों को खराब बताने वाली बात कहाँ है?
May 8, 2010 11:30 AM
तो अनवर जी आप खुद ही देख सकते हैं की किस प्रकार से सही शब्दों का चयन ना करकर कैसे ग़लतफहमी पैदा हो सकती है ,मेरी मूल आपत्ति आपके द्वारा बात को कहने के लिए प्रयोग किये गए शब्दों को ही लेकर थी ,बाकी तो आप मुझसे अधिक अनुभवी और ज्ञानवान हैं ,मेरी क्या बिसात की मैं आपको शब्दावली का चयन करना सिखाऊं, मैं तो बस निवेदन ही कर सकता हूँ जो की पहले भी किया अब भी करता हूँ ,आगे आपकी मर्ज़ी ,मेरे द्वारा कही गई किसी भी बात से अगर आपको दुःख पहुंचा हो तो एक बार फिर आपसे क्षमां मांगता हूँ
ईश्वर आपको दीर्घायु करे और सदा प्रसन्न रखे
धन्यवाद
महक
bhai satya ko vigyan aur ththya ke aadhar par bhi talasho, sirf insaan
bane rahne ke liye seedha darshan to yah hai kee jeevan aaj aur yahan
hai .sarvshaktimaan ke diye vivek ka istemal kar hi hum sach ko pa sakte hai.us se daar kar, ya marne ke baad, kayamat ke hisaab,jannat(hindu swarg),jannum(hindu narak) ya moksh ke chakkar me na pade.usne kya kaha -sub jaante hai
par maano bhi.kise dharm ka hona bahut bhayanak hai is liye mai nahi hun.
@Anwar saheb.. Aapne apni kisi post mein ya comment mein islaam ya quran ki kisi baat ko galat mana hai. agar haan to uska link batane ki kripa karen
priye rakesh jee, bat injeel ki ho rahi hai, nai niyam ki nahi, hume hamara injeel de dijiye woh kahan kai?
rakesh jee aap hi eemaandaari se bata dijiye na ke , gospel of jesus christ kahan hai?
or aap ne injeel ko bible se replace kyon kar diya hai?
priye rakesh jee, bat injeel ki ho rahi hai, nai niyam ki nahi, hume hamara injeel de dijiye woh kahan kai?
rakesh jee aap hi eemaandaari se bata dijiye na ke , gospel of jesus christ kahan hai?
or aap ne injeel ko bible se replace kyon kar diya hai?
dear sir agar hazrat yahya (as) ko hazrat isa(as) se pehle bheja gaya to, is se hazrat isa hazrat mohammad (saw) se mahaan kaise ho gaye??????
hebrew 7:3 Without father, without mother, without genealogy, having neither beginning of days nor end of life, but made like the Son of God,
dear sir agar hazrat isa(as) bina pita ke paida hone se mahaan ho gaye to melchizdek mensioned in bible hebrews7:3 hazrat isa(as) se zyada mahaan nahi ho gaya kya?
hazrat isa(as) ki to maa theen par malchizedek ki na to maa thi na baap na shuruwaat na ant to aap us ko khuda kyon nahi maante?
rahi baat paap rahit hone ki to musalmaan saare nabiyon ko paap rahit maante hain sirf hazrat isa(as) ko nahi
dear sir saare nabiyon ne Allah se maafi maangi par hazrat isa ne nahi(as) , aap bina refrence ke baat kar rahe hain, surah anbiya ki kisi bhi aayat main aisa nahi likha hai
kya aap maante hain ki hazrat isa(as) ko zinda aasmaan pe liya ghya hai?
hum to maante hain,
dear sir , aap ko kisi ne galat bata diya hai soorah darood naam ki koi soorat hi nahi hai quran main
jee haan hazrat isa kalam ullah the, quran main har nabi ko alag title diya gaya hai jaise moosa ko kaleem Allah, hazrat mohammad(saw) ko habeeb Allah , usi tarah hazrat isa ko kalaam Allah
isme koi nai baat hai kya?,
theek hai hazrat moosa ka asha , ajdaah ban jaata tha aisa bhi kisi ne nahi kiya hai to isse kya woh hazrat isa se zyada mahaan ho gaye?
sahi hai hazrat isa qabr main nahi hain kyonki jo halki cheez hoti hai woh ooper jaati hai or jo bhaari cheez hoti hai woh neeche jaati hai
rakesh jee to gayab ho gaye, bina sawaalon ke jawaab diye hi, rakesh jee aap se ek or prishn
jab hazrat isa(as) ne poore bible main khud ko khuda nahi kaha or khud ki ibadat karne ko nahi kaha to aap un ki ibadat kyon karte hain??????
hazrat isa ne bible main kaha my father is greatet than me
my father is greater than all
, i cast out devil with the spirit og my father
hazrat isa(as) ne saaf saaf kaha hai bible main ke khuda sab se barha hai , khuda mujh se bhi barha hai phir aap khuda ko chor kar hazrat isa(as) ki ibadat kyon karte hain????????
rakesh lal jee matthew 15 :24 main hazrat isa(as) ne kaha hai ke main sirf israel ki khoi hue bherho ki taraf aayaa hoon, matlab woh sirf israel ke logon ke liye aayethe to phir ap unki baat kyon nahi maante,
rakesh lal jee matthew 15 :24 main hazrat isa(as) ne kaha hai ke main sirf israel ki khoi hue bherho ki taraf aayaa hoon, matlab woh sirf israel ke logon ke liye aayethe to phir ap unki baat kyon nahi maante,
please talk about only your religon dont interfare in chris. and hindus
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