सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Tuesday, June 22, 2010
बच्चा मासूम होता है। लोग उसे फ़रिश्ते की मानिन्द मानते हैं। हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते जब तक कि तुम बच्चों की भांति न हो जाओ।
बच्चे अबोध और मासूम होते हैं। शिकवे शिकायत और रंजिंशे देर तक उनके मन में नहीं ठहरतीं। साथ खेलते हैं तो लड़ भी लेते हैं और छीन झपट भी कर लेते हैं लेकिन बच्चे बदनीयत नहीं होते।
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. ने भी बच्चों को जन्नत का फूल फ़रमाया है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में भी बच्चों की उपमा किसी अच्छी चीज़ से ही दी गयी होगी।
इसके बावजूद लोग मानते हैं कि बच्चे बीमार इसलिये पड़ते हैं क्योंकि वे पिछले जन्म में कुछ पाप करके आये हैं।
हम तो बच्चों को मासूम और निष्पाप मानते हैं, जो कोई उन्हें पापी मानता है वह अपनी मान्यता पर विचार करे।
... और शीघ्र हीमैं बाप बनने वाला हूं एक ऐसे बच्चे का जो पिछले जन्म का पापी नहीं है क्योंकि इस धरती पर उसका किसी भी योनि में कोई जन्म नहीं हुआ है। वह एकदम फ़्रेश आत्मा है। सीधे आत्मालोक से गर्भ में आयी और अब हमारी गोद में खेलेगी।
जो लोग दुआ करते हैं, उनसे दुआ की दरख्वास्त है।
बच्चे अबोध और मासूम होते हैं। शिकवे शिकायत और रंजिंशे देर तक उनके मन में नहीं ठहरतीं। साथ खेलते हैं तो लड़ भी लेते हैं और छीन झपट भी कर लेते हैं लेकिन बच्चे बदनीयत नहीं होते।
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. ने भी बच्चों को जन्नत का फूल फ़रमाया है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में भी बच्चों की उपमा किसी अच्छी चीज़ से ही दी गयी होगी।
इसके बावजूद लोग मानते हैं कि बच्चे बीमार इसलिये पड़ते हैं क्योंकि वे पिछले जन्म में कुछ पाप करके आये हैं।
हम तो बच्चों को मासूम और निष्पाप मानते हैं, जो कोई उन्हें पापी मानता है वह अपनी मान्यता पर विचार करे।
... और शीघ्र ही
जो लोग दुआ करते हैं, उनसे दुआ की दरख्वास्त है।
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