सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Tuesday, March 20, 2012
‘सबका धर्म एक है, सम्पूर्ण मानव जाति एक है‘ - स्वामी ब्रजानंद जी महाराज God is One
‘सबका धर्म एक है, सम्पूर्ण मानव जाति एक है‘ विषय पर गोष्ठी का आयोजन जामिया उर्दू अलीगढ़ में
विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त धर्मगुरू एवं महान बुद्धिजीवी स्वामी ब्रजानंद जी महाराज ने कहा है कि सम्पूर्ण विश्व में आठ मुख्य बातें हैं जिनको लेकर एक मनु एक आदम की संतान छोटे छोटे संकुचित ख़ानों में बंट गई है।
उन्होंने कहा कि यदि आठ प्रकार के भ्रम को दूर कर लिया जाए तो चाह कर भी मनुष्यों के बीच किसी प्रकार का विघटन नहीं हो सकता।
स्वामी जी ने कहा कि
1. धर्म एक है.
2. ईश्वर एक है.
3. ईष्ट एक है.
4. मानव एक है.
5. सबका मंत्र एक है.
6. सभी महापुरूष एक हैं.
7. सबके दुःख का कारण एक है, मन द्वारा निर्मित संस्कार.
8. दुःख निवारण का उपाय एक है, भक्ति की पराकाष्ठा में मन का विलय.
इन आठ प्रकार के भ्रमों को लेकर हज़ारों साल से मानव जाति का बहुत बड़ा नुक्सान हो चुका है। लाखों लोगों को जीवन की क्षति हुई है, हो रही है और होती रहेगी। उस समय तक जब तक कि मानव जाति वास्तविक जीवन दर्शन की जानकारी प्राप्त नहीं कर लेती। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मानव जाति को यह शुभ अवसर प्राप्त हुआ है कि लाखों वर्षों की अपेक्षित शिक्षा का स्तर बढ़ जाने से लोगों में सही समझ दिखाई दे रही है और यदि समय रहते हम वास्तविक जीवन दर्शन की जानकारी वर्तमान को दे सकें तो निःसंदेह हम भविष्य को सुरक्षित रखकर सम्पूर्ण मानव जाति की दृष्टि में एक आदर्श नेतृत्व की मिसाल क़ायम कर सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि समाज में व्याप्त परम्पराओं एवं व्यवस्थाओं को धर्म मानने के कारण सम्पूर्ण मानव जाति अशिष्टता, अराजकता, अनैतिकता, असुरक्षा एवं भय के वातावरण में जी रही है तथा मनुष्य छोटे छोटे दायरों में संकुचित होता जा रहा है जिसका प्रमाण आज की विषम परिस्थिति है। स्वामी जी ने कहा कि अनादि काल से महापुरूषों, पीरों, फ़क़ीरों और कामिल मुर्शिदों ने समाज को समस्या मुक्त, दुःख मुक्त जीवन देने का प्रयास किया, रास्ता बताया लेकिन उन महापुरूषों के जाने के बाद समाज धर्म फिर अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि महापुरूषों के सिद्धान्तों को हटाकर हमने समाज को जो नए सिद्धान्त दिए हैं यदि उन सिद्धान्तों के द्वारा मनुष्य को सुरक्षित किया जाता, समस्यामुक्त और दुःखमुक्त जीवन मिल सकता तो आज समाज में इतनी विकृति दिखाई न देती। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक परिवार एवं समूह समस्या एवं दुःख मुक्त दिखाई देता। उन्होंने उपस्थित जनों से प्रश्न किया कि ‘क्या विश्व में किसी के पास ऐसा सिद्धान्त है जो अपने परिवार, देश और समाज को समस्या मुक्त जीवन दे सके ?
क़ुरआन एवं सीरत एकाडमी के निदेशक प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ान ने कहा कि पवित्र क़ुरआन सारे मज़हबों का सम्मान करने का संदेश देता है और सारे धर्म गुरूओं का आदर करना मुसलमान का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने संसार से बुराईयों को दूर करके भलाईयों का उजाला फैलाने में जो ऐतिहासिक भूमिका अदा की है उससे सारा संसार परिचित है। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक को बधाई देते हुए कहा कि वह ‘यथार्थ गीता‘ के उर्दू अनुवाद का स्वागत करते हैं और आशा है कि यह अनुवाद आपस में फैली भ्रांतियों को दूर करने में सहायक होगा।
कार्यक्रम का संचालन उवैस जमाल शम्सी ने किया। इस अवसर पर स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा रचित श्रीमद्भगवतगीता ‘यथार्थ गीता‘ का विमोचन सामूहिक रूप से स्वामी ब्रजानंद जी महाराज, देहली प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के सफ़दर एच. ख़ान एवं प्रोफ़ेसर हुमांयू मुराद ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ां के क़ुरआन पाठ एवं राहुल गुप्ता के यथार्थ गीता के पाठ से हुआ तथा विकास ने भजन प्रस्तुत किया। भारतीय संस्कृति सुरक्षा एवं मानव कल्याण समिति (ट्रस्ट) के कॉर्डिनेटर राहुल गुप्ता एवं श्रीमति ज्योति गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। जबकि विष्णु कुमार बंटी एवं मुकेश सैनी ने उपस्थित जनों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर विवेक बंसल, एमएलसी अलीगढ़, विष्णु कुमार बंटी, अध्यक्ष मानव उपकार, डा. गुणाकर, ज़िला कॉर्डिनेटर आर्ट ऑफ़ लिविंग, उमेश कुमार सिंह मंडल प्रभारी ‘यूथ फ़ॉर नेशन‘, सरदार मुकेश सैनी, शहीद क्रान्ति मिशन, अली अब्बास नक़वी, मुहब्बते वतन, डा. फ़ातिमा ज़हरा, डा. जी. एफ़. साबरी, दौलतराम, कपिल कुमार, दीबा अबरार, संजीव भट्ट, मनोज भट्ट, मो. इक़बाल सैफ़ी, उमैर जमाल मुख्य रूप से उपस्थित थे।
(कार्यक्रम की रिपोर्टिंग का सारांश, उद्योग व्यापार टाइम्स, अलीगढ़, मंगलवार 20 मार्च 2012)
उन्होंने कहा कि यदि आठ प्रकार के भ्रम को दूर कर लिया जाए तो चाह कर भी मनुष्यों के बीच किसी प्रकार का विघटन नहीं हो सकता।
स्वामी जी ने कहा कि
1. धर्म एक है.
2. ईश्वर एक है.
3. ईष्ट एक है.
4. मानव एक है.
5. सबका मंत्र एक है.
6. सभी महापुरूष एक हैं.
7. सबके दुःख का कारण एक है, मन द्वारा निर्मित संस्कार.
8. दुःख निवारण का उपाय एक है, भक्ति की पराकाष्ठा में मन का विलय.
इन आठ प्रकार के भ्रमों को लेकर हज़ारों साल से मानव जाति का बहुत बड़ा नुक्सान हो चुका है। लाखों लोगों को जीवन की क्षति हुई है, हो रही है और होती रहेगी। उस समय तक जब तक कि मानव जाति वास्तविक जीवन दर्शन की जानकारी प्राप्त नहीं कर लेती। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मानव जाति को यह शुभ अवसर प्राप्त हुआ है कि लाखों वर्षों की अपेक्षित शिक्षा का स्तर बढ़ जाने से लोगों में सही समझ दिखाई दे रही है और यदि समय रहते हम वास्तविक जीवन दर्शन की जानकारी वर्तमान को दे सकें तो निःसंदेह हम भविष्य को सुरक्षित रखकर सम्पूर्ण मानव जाति की दृष्टि में एक आदर्श नेतृत्व की मिसाल क़ायम कर सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि समाज में व्याप्त परम्पराओं एवं व्यवस्थाओं को धर्म मानने के कारण सम्पूर्ण मानव जाति अशिष्टता, अराजकता, अनैतिकता, असुरक्षा एवं भय के वातावरण में जी रही है तथा मनुष्य छोटे छोटे दायरों में संकुचित होता जा रहा है जिसका प्रमाण आज की विषम परिस्थिति है। स्वामी जी ने कहा कि अनादि काल से महापुरूषों, पीरों, फ़क़ीरों और कामिल मुर्शिदों ने समाज को समस्या मुक्त, दुःख मुक्त जीवन देने का प्रयास किया, रास्ता बताया लेकिन उन महापुरूषों के जाने के बाद समाज धर्म फिर अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि महापुरूषों के सिद्धान्तों को हटाकर हमने समाज को जो नए सिद्धान्त दिए हैं यदि उन सिद्धान्तों के द्वारा मनुष्य को सुरक्षित किया जाता, समस्यामुक्त और दुःखमुक्त जीवन मिल सकता तो आज समाज में इतनी विकृति दिखाई न देती। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक परिवार एवं समूह समस्या एवं दुःख मुक्त दिखाई देता। उन्होंने उपस्थित जनों से प्रश्न किया कि ‘क्या विश्व में किसी के पास ऐसा सिद्धान्त है जो अपने परिवार, देश और समाज को समस्या मुक्त जीवन दे सके ?
क़ुरआन एवं सीरत एकाडमी के निदेशक प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ान ने कहा कि पवित्र क़ुरआन सारे मज़हबों का सम्मान करने का संदेश देता है और सारे धर्म गुरूओं का आदर करना मुसलमान का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने संसार से बुराईयों को दूर करके भलाईयों का उजाला फैलाने में जो ऐतिहासिक भूमिका अदा की है उससे सारा संसार परिचित है। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक को बधाई देते हुए कहा कि वह ‘यथार्थ गीता‘ के उर्दू अनुवाद का स्वागत करते हैं और आशा है कि यह अनुवाद आपस में फैली भ्रांतियों को दूर करने में सहायक होगा।
कार्यक्रम का संचालन उवैस जमाल शम्सी ने किया। इस अवसर पर स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा रचित श्रीमद्भगवतगीता ‘यथार्थ गीता‘ का विमोचन सामूहिक रूप से स्वामी ब्रजानंद जी महाराज, देहली प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के सफ़दर एच. ख़ान एवं प्रोफ़ेसर हुमांयू मुराद ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ां के क़ुरआन पाठ एवं राहुल गुप्ता के यथार्थ गीता के पाठ से हुआ तथा विकास ने भजन प्रस्तुत किया। भारतीय संस्कृति सुरक्षा एवं मानव कल्याण समिति (ट्रस्ट) के कॉर्डिनेटर राहुल गुप्ता एवं श्रीमति ज्योति गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। जबकि विष्णु कुमार बंटी एवं मुकेश सैनी ने उपस्थित जनों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर विवेक बंसल, एमएलसी अलीगढ़, विष्णु कुमार बंटी, अध्यक्ष मानव उपकार, डा. गुणाकर, ज़िला कॉर्डिनेटर आर्ट ऑफ़ लिविंग, उमेश कुमार सिंह मंडल प्रभारी ‘यूथ फ़ॉर नेशन‘, सरदार मुकेश सैनी, शहीद क्रान्ति मिशन, अली अब्बास नक़वी, मुहब्बते वतन, डा. फ़ातिमा ज़हरा, डा. जी. एफ़. साबरी, दौलतराम, कपिल कुमार, दीबा अबरार, संजीव भट्ट, मनोज भट्ट, मो. इक़बाल सैफ़ी, उमैर जमाल मुख्य रूप से उपस्थित थे।
(कार्यक्रम की रिपोर्टिंग का सारांश, उद्योग व्यापार टाइम्स, अलीगढ़, मंगलवार 20 मार्च 2012)
नोट : अख़बार के फ़ॉन्ट को बड़ा करके देखने के लिए बटन CTRL + दबाएं.
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2 comments:
ख़बरों से अवगत हुआ।
आभार इस प्रस्तुति के लिए।
वास्तव में जितने भी सच्चे महापुरुष हुए हैं या मानवोपयोगी जीवनादर्श को निरूपित करने वाले पवित्र ग्रन्थ, जो हमारे संग्यान में हैं, सभी मानव-एकता, आपसी भाई-चारा तथा एक ही नियन्ता शक्ति, जिसे ईश्वर, अल्लाह, गॉड कुछ भी कह लें, के हिमायती हैं। हम मूर्ख हैं जो विभिन्न फ़िरकों में बंट कर अथवा कुछ स्वार्थी तत्त्वों के बहकावे में आकर आपसी जन-धन की हानि करते ही रहते हैं। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रति आपकी निष्ठा तथा तदनुरूप किया जा रहा आपका सद् प्रयास निश्चित ही स्तुत्य है। यह प्रयास सुगति को प्राप्त हो इस हेतु जहाँ कहीं से जो कुछ भी उपयोगी सामग्री प्राप्त हो, का न केवल संकलन अपितु ईमेल, ब्लॉग आदि आधुनिक संचार- माध्यमों के द्वारा उसे मुझ जैसे ग़ाफ़िल तक भी पहुँचाने के आपके उद्योग की जितनी सराहना की जाय कम है। आपको तथा आपके इस सुप्रयास को नमन्
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