सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
Saturday, April 30, 2011
मक़सद Touch wood
भारत एक धर्म और अध्यात्म प्रधान देश है। सदाचार और सद्भावना भारत की विशेषता है। भारत के सूफ़ी संतों ने हमेशा प्रेम की शिक्षा दी है। वेद-कुरआन और सूफ़ी संतों की वाणी में इसी प्रेम को कल्याण का एकमात्र ज़रिया बताया गया है। इसी प्रेम से ज्ञान और सफलता मिलने की बात बताई गई है। वेद-कुरआन और सूफ़ी संतों की बातें भारतीय जनमानस में बहुत गहराई तक बैठी हुई हैं। यही गंगा जमनी संस्कृति भारत के अलग अलग मत, बोली, भाषा और रंग-नस्ल के लोगों को एकता के ऐसे अटूट बंधन में बांधे हुए है जिसे सारी दुनिया आज भी हैरत की निगाह से देखती है और उसे सराहती भी है। अच्छी बातें लोगों को अच्छी प्रेरणा देती हैं और अच्छाई की प्रेरणा समाज को अच्छा बनाती हैं। अच्छी बातों को सामने लाना और उन्हें फैलाना हमेशा समाज की ज़रूरत रही है लेकिन आज यह ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ी हुई है। आज कई तरह की बुराईयां हमारी राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था को घुन की तरह खा रही हैं और समय समय पर मीडिया उन लोगों को भी बेनक़ाब करती रहती है जो धर्म की आड़ में अपना स्वार्थ साध रहे होते हैं। इन सब बातों को देखकर समाज में निराशा और अवसाद फैलता है और देश और समाज के लिए त्याग और बलिदान की भावना कमज़ोर पड़ती है। ऐसे में इस बात की सख्त ज़रूरत है कि भारतीय जनमानस के सामने वेद-कुरआन की उन समान बातों को सामने लाया जाए जिन्हें बहुसंख्यक भारतीय जनमानस आज भी अटल सत्य मानता है। ईश्वर, आत्मा और सदाचार आदि ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन पर हरेक आदमी समान रूप से विश्वास रखता है। वेद-कुरआन की समान बातों को सामने लाने से भारतीय जनमानस को नेकी और भलाई की प्रेरणा भी मिलेगी जो कि समाज से जुर्म और पाप को दूर करेगी और उनकी एकता को भी मज़बूत करेगी जो कि देश के दुश्मनों के नापाक मन्सूबों को नाकाम करेगी और भारत को शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाएगी।
बुराई का रूप और स्तर कोई भी हो लेकिन उसके पीछे मूल कारण अज्ञान ही होता है। जब इंसान को अपने जीवन के सच्चे मक़सद और उसे पाने के मार्ग का पता नहीं होता तो वह अपने कर्तव्य पथ से भटक जाता है। आज सामाजिक स्तर पर दहेज हत्या, कन्या भ्रूण हत्या, वृद्धों को बेसहारा छोड़ देना, मिलावटी चीज़ें बेचना, एड्स और अपहरण-बलात्कार जैसे जुर्म हों या टैक्स चोरी जैसे आर्थिक अपराध हों, राजनैतिक और प्रशासनिक स्तर पर होने वाले घोटाले हों या फिर देश की अहम जगहों पर होने वाले आतंकवादी हमले हों, ये सब अपराध आदमी तभी करता है जबकि उसके अंदर अच्छाई की प्रेरणा कमज़ोर पड़ जाती है और उसके दिलो-दिमाग़ पर दौलत पाकर ऐश करने की इच्छा हावी हो जाती है। ऐसी हालत में त्याग और बलिदान की हरेक भावना कमज़ोर पड़ जाती है। इस हालत से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए मनुष्य को सत्य का ज्ञान देकर उसके अज्ञान को नष्ट करना होगा।
वेद-कुरआन में सद्विचार की अक्षय ऊर्जा समाहित है। आज इस ऊर्जा के सही और भरपूर इस्तेमाल की सख्त ज़रूरत है। विचारधारा को निर्मल बनाकर समाज को साफ़ सुथरा बनाना आज हमारी अनिवार्यताओं में से एक है।
बुराई का रूप और स्तर कोई भी हो लेकिन उसके पीछे मूल कारण अज्ञान ही होता है। जब इंसान को अपने जीवन के सच्चे मक़सद और उसे पाने के मार्ग का पता नहीं होता तो वह अपने कर्तव्य पथ से भटक जाता है। आज सामाजिक स्तर पर दहेज हत्या, कन्या भ्रूण हत्या, वृद्धों को बेसहारा छोड़ देना, मिलावटी चीज़ें बेचना, एड्स और अपहरण-बलात्कार जैसे जुर्म हों या टैक्स चोरी जैसे आर्थिक अपराध हों, राजनैतिक और प्रशासनिक स्तर पर होने वाले घोटाले हों या फिर देश की अहम जगहों पर होने वाले आतंकवादी हमले हों, ये सब अपराध आदमी तभी करता है जबकि उसके अंदर अच्छाई की प्रेरणा कमज़ोर पड़ जाती है और उसके दिलो-दिमाग़ पर दौलत पाकर ऐश करने की इच्छा हावी हो जाती है। ऐसी हालत में त्याग और बलिदान की हरेक भावना कमज़ोर पड़ जाती है। इस हालत से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए मनुष्य को सत्य का ज्ञान देकर उसके अज्ञान को नष्ट करना होगा।
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यह लेख पिछले लेख की भूमिका है, जो कि श्रीपाल चौधरी साहब के कहने पर लिखा था . दरअसल वह इस पर टी. वी. के लिए एक धारावाहिक बनाना चाहते थे.
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DR. ANWER JAMAL'
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