सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



Monday, July 12, 2010

Death on namazsheet जीवन का सबसे बड़ा सच मौत है। मौत आदमी के सामने है और आदमी अपनी मौत से ग़ाफ़िल है। -Anwer Jamal

हर नफ़्स को मौत का मज़ा चखना है और तुम्हें पूरा बदला तो बस क़ियामत के दिन मिलेगा, सो जो शख्स आग से बच जाए और जन्नत में दाखि़ल किया जाए वही कामयाब रहा और दुनिया की ज़िन्दगी तो बस धाखे का सौदा है। यक़ीनन तुम अपने जान और माल में आज़माए जाओगे, और तुम बहुत सी दुखदायी बातें सुनोगे उनसे जिन्हें तुमसे पहले ‘किताब‘ मिली और उनसे भी जिन्होंने शिर्क किया।                                              आलेइमरान, 184
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मुबारक पब्लिक स्कूल हापुड़ का एक मशहूर और पुराना स्कूल है। जनाब अनवार अहमद साहब की वालिदा ने बेशुमार बच्चों को तालीम के ज़ेवर से आरास्ता किया और फिर उनके बाद उनकी औलाद ने भी उस शमा ए इल्म को बुझने न दिया। हापुड़ के लोग अनवार साहब को मास्टर अनवार के नाम से जानते हैं। ‘मास्टर‘ लफ़्ज़ उनके नाम का हिस्सा ही बनकर रह गया है। इसके अलावा पब्लिशिंग का काम भी है। परसों मास्टर अनवार साहब का फ़ोन आया। उन्होंने ग़मज़दा से लहजे में बताया कि उनकी बहन सबीहा का 7 जुलाई 2010 को रात 10ः30 बजे सिर्फ़ 45 की उम्र में इंतिक़ाल हो गया है। उन्होंने अपने पीछे 3 बच्चे छोड़े हैं। एक लड़का बिलाल-18 साल,दो लड़कियां अस्फी-12 साल और सुमय्या-9 साल। उनके पति पिछले 25 साल से दुबई में ही काम करते हैं। मौत की ख़बर सुनकर वे आए और पछताए कि उनकी पत्नी उनसे हिंदुस्तान में रहने के लिए कहती रही लेकिन वे नहीं माने । शायद अब वे दुबई न लौटेंगे।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन ।

अर्थात हम सब अल्लाह के हैं और बेशक हम सबको उसी की तरफ़ लौटना है।

इनसान की ज़िंदगी धोखे में बीत रही है। जहां उसे लौटकर जाना है उसकी तरफ़ न तो उसका ध्यान है और न ही वहां काम आने वाले सत्कर्मों को करने की फ़िक्र। अगर लोगों को बताया जाए कि तुम्हारा एक मालिक है वह तुम्हें धरती से क़ियामत के दिन सशरीर निकालेगा ताकि तुम्हें तुम्हारे कामों का सिला दिया जाए तो हर वह आदमी इस बात का विरोध करने लगता है जिसके दर्शन से यह सत्य टकराता है या उसके हितों पर चोट पड़ती है। जो लोग रास्ता देखना ही नहीं चाहते वे सत्य के प्रचारकों को तरह तरह की दुख देने वाली बातें कहते हैं। लेकिन सच्चा हमदर्द वही है जो उनकी बातों को इग्नोर करके उन्हें परम सत्य से आगाह करता रहे। जीवन का सबसे बड़ा सच मौत है। मौत आदमी के सामने है और आदमी अपनी मौत से ग़ाफ़िल है।

सबीहा साहिबा वैसे भी नेक तबियत की मालिका थीं और मौत से कुछ वक्त पहले उन्होंने अल्लाह से तौबा की, तसबीह लेकर नमाज़ पढ़ने के लिए मुसल्ले पर बैठीं और उनकी रूह परवाज़ कर गई। वे डायबिटीज़ की पेशेंट थीं।
अल्लाह उनकी मग़फ़िरत फ़रमाये और हमें उनकी मौत से सबक़ लेकर जागने और ज़्यादा से ज़्यादा नेक अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये। आमीन

21 comments:

सहसपुरिया said...

अल्लाह सबीहा साहिबा की मग़फ़िरत फ़रमाये.

Taarkeshwar Giri said...

मैं भगवान से येही प्राथना करता हूँ कि ये प्रभु सबीहा साहिबा जी कि आत्मा को शांति प्रदान करे, ॐ नम ! शिवाय !

अनवर भाई दरअसल कल मैं अपने बेटे को कुतुबमीनार दिखाने ले गया था. वंहा जा कर के देखा तो ये पाया कि सचमुच विदेशी आक्रमण कारियों ने मेरे देश का इतिहास ही बदल करके रख दिया है. पूरा का पूरा हिन्दू इतिहास ही ख़राब कर दिया है.

आपका अख्तर खान अकेला said...

shi khaa qulllo nfsun zaayqtul mot hi jine kaa schchaa mntr he. akhtar khan akela kota rajsthan

Mahak said...

मैं भी भगवान से प्राथना करता हूँ कि सबीहा साहिबा जी कि आत्मा को शांति और उनके परिवार को हिम्मत एवं होंसला प्रदान करे

DR. ANWER JAMAL said...

प्रिय प्रवीण जी ! दीन पर विश्वास तो बहुत लोगों को है लेकिन उसकी पूरी माअरिफ़त रखने वाले आलिम बहुत कम हैं। नाक़िस माअरिफ़त हमेशा ग़लत नतीजे देती है लेकिन मैं जहां भी कोई ग़लती देखूंगा इंशा अल्लाह उसकी इस्लाह की कोशिश करता रहूंगा। अब मैं यह देखना चाहूंगा कि आप क्या कहते हैं ?
कहां हैं प्रवीण जी ? आइये और बताइये। मैंने तो एक पूरी पोस्ट ही आपके कमेंट से संबंधित विषय पर लिखी है , आपके कमेंट का लिंक भी दिया है लेकिन आप अभी तक उस पोस्ट पर रौनक़ अफ़रोज़ नहीं हुए मान्यवर ।
http://swachchhsandesh.blogspot.com/2010/07/blog-post.html

DR. ANWER JAMAL said...

@ Tarkeshwar ji ! ise bhi dekhen . कंधमाल में ईसाईयों का संहार सुनियोजित था। फादर जोसेफ बताते हैं कि यह घटना एकाएक नहीं हुई। इसके लिए संघ परिवार ने गाँव -गाँव में लोगों से मिलकर कई वर्षोपूर्व ईसाईयों के विरूद्ध नफरत फैलाना आरम्भ कर दिया था। कंधमाल के आदिवासी और दलितों में भी कट्टरपंथियों ने अपनी भारी पैठ बना ली थी। हम लोग समझ नहीं पाये थे। स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या तो सिर्फ बहाना था उनकी हत्या की जिम्मेदारी माओवादियों ने स्वयं ले लिया था। माओवादियों का आरोप था कि लक्ष्मणानन्द धर्म के काम नहीं कर रहे थे। वे लोगों में नफरत फैला रहे थे, गरीबों की जमीन पर कब्जा कर रहे थे। http://ayodhyakiawaj.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

Sharif Khan said...

आपने जिन मास्टर अनवार का ज़िक्र किया उनकी वालिदा मोहतरमा मेरी अहलिया की उस्तानी थीं. अल्लाह मरहूमा की मग्फ़िरत फ़रमाय. आमीन.

Mohammed Umar Kairanvi said...

अल्लाह मरहूमा की मग्फ़िरत फ़रमाय. आमीन.

talib د عا ؤ ں کا طا لب said...

हर नफ़्स को मौत का मज़ा चखना है और तुम्हें पूरा बदला तो बस क़ियामत के दिन मिलेगा, सो जो शख्स आग से बच जाए और जन्नत में दाखि़ल किया जाए वही कामयाब रहा और दुनिया की ज़िन्दगी तो बस धाखे का सौदा है। यक़ीनन तुम अपने जान और माल में आज़माए जाओगे, और तुम बहुत सी दुखदायी बातें सुनोगे उनसे जिन्हें तुमसे पहले ‘किताब‘ मिली और उनसे भी जिन्होंने शिर्क किया। आलेइमरान, 184
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talib د عا ؤ ں کا طا لب said...

अल्लाह सबीहा साहिबा की मग़फ़िरत फ़रमाये और हमें उनकी मौत से सबक़ लेकर जागने और ज़्यादा से ज़्यादा नेक अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये। आमीन

Ayaz ahmad said...

अल्लाह सबीहा साहिबा की मग़फ़िरत फ़रमाए और मास्टर अनवार साहब और उनके घरवालो को सब्र अता करे

प्रवीण said...

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आदरणीय डॉ० अनवर जमाल साहब,

मित्र सलीम ने पोस्ट http://swachchhsandesh.blogspot.com/2010/07/blog-post.html डिलीट कर दी है पर आपका कमेंट मैंने देखा था, शुक्रिया!

वह बहस अब यहाँ आगे बढ़ रही है ।

शरीर नश्वर है और मृत्यु सबसे बड़ा जीवन सत्य, मरहूमा सबीहा साहिबा के जीवन-विश्वास अनुसार उनकी आत्मा को शान्ति मिले व परिजनों को उनका वियोग सहने की शक्ति व धैर्य, यही कामना है।

आभार!


...

Shah Nawaz said...

अल्लाह मरहूमा की मगफिरत फरमाए, उनकी कब्र को मुन्तहा नज़र तक वसीअ फरमाए और उनके परिवार और मास्टर अनवार साहब को सब्र व तहम्मुल अता फरमाए. अमीन या रब्बल आलमीन

zeashan haider zaidi said...

हम सब अल्लाह के हैं और बेशक हम सबको उसी की तरफ़ लौटना है।

Mahak said...

Part 1of 4

बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

Mahak said...

आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी

( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

mahakbhawani@gmail.com

Mahak said...

हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

जय हिंद

महक

DR. ANWER JAMAL said...

क़ाबिल ए क़द्र, जनाब भाई महक साहब! आप देश की व्यवस्था के बारे में चिंतित हैं। बहुत सही चिंता है आपकी। आपने रोहतक से दिल्ली का सफ़र किया और देखा कि महान भारत के लोगों को सफ़र करने के सामान्य नियमों का पालन करने तक में कोई दिलचस्पी नहीं है। धक्का मुक्की और बदतमीज़ी आम है जबकि दूसरी तरफ़ जनाब सतीश सक्सेना जी ने विदेशी ट्रेन में सफ़र किया तो उन्हें लोगों की तो क्या ट्रेन की भी आवाज़ नहीं आई। इसके बावजूद इस देश के लोग यूरोप को संस्कारविहीन समझते और कहते हैं। कहीं खड़े होने के लायक़ तक नहीं हैं और खुद को महान घोषित कर लिया। भारत तो बेशक महान है लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इस महान देश के अनुरूप आचरण करते हैं।
शराब और तवायफ़ों के अड्डे इस पाक ज़मीन पर कौन चला रहा है ?
फ़िल्म कलाकारों और मॉडल्स के अधनंगे नाच को कला का नाम किसने दिया ?
कालाबाज़ारी और मिलावट कौन कर रहा है ?
पेट में ही कन्या भ्रूण हत्या कौन कर रहा है ?
और जो लड़कियां जन्म ले लेती हैं उन्हें स्कूल आते जाते कौन छेड़ता है ?
शिक्षित कन्याओं को उनके वर्क प्लेस पर क्या कुछ सहना पड़ता है यह कोई सायमा सहर से पूछे ?
विवाहित लड़की को अपना घर छोड़ने के बाद जो घर मिलता है उसे वह अपना घर मानकर भी मान नहीं पाती ?
हरेक रिश्ते पर दौलत और लालच हावी हो चुका है। मां बाप आज ठोकरें खा रहे हैं। इन सब हालात को जो महापुरूष सुधार सकते थे, सही मार्ग दिखा सकते थे उनके जीवन चरित्र को ही बिगाड़ दिया गया है। उन्हें जार, चोर, शराबी, धोखेबाज़ और ज़ालिम लिख दिया। उनकी कथाएं बिगाड़ दीं, उनकी शिक्षाएं बिगाड़ दीं। उन्होंने अधर्म का नाश किया और आडम्बर का विरोध किया। उनके वचनों में ही अधर्म और आडम्बर समाहित कर दिया। ऐसा किसी एक के साथ नहीं किया बल्कि इस देश के हरेक महापुरूष के साथ यही किया गया। हज़ारों साल से बार बार यही किया गया यहां तक कि फिर इस देश में ‘ईशवाणी‘ के अवतरण का सिलसिला ही रूक गया। फिर बुद्ध और महावीर जैसे महान दार्शनिकों ने सुधार का बीड़ा उठाया लेकिन उनके साथ भी वही किया गया जो कि हमेशा से सुधारकों के साथ किया जाता रहा है। आज इनकी शिक्षाओं का मौलिक रूप लुप्त हो चुका है।
सुधार के लिए ज़रूरत है उसूलों की और एक आदर्श महापुरूष की, जिसका जीवन चरित्र सुरक्षित हो। सभी महापुरूषों की जीवनी पढ़िये और देखिये कि यह ज़रूरत किस महापुरूष से पूरी हो रही है और जब यह ज़रूरत पूरी हो जाये तो बस फिर उसका अनुसरण कीजिये। बस इतना सा काम करना है और लीजिये हो गया आपकी हरेक समस्या का समाधान।
अगर लोग इतना सा काम न कर सकें तो फिर किसी भी समस्या से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। जब असली पार्लियामेंट मसलों को हल नहीं कर पा रही है तो फिर यह ‘ब्लॉग पार्लियामेंट‘ ही मसलों को कैसे हल कर पाएगी ?
ऐसा मेरा विचार है। इसके बावजूद कुछ न करने से कुछ करना बेहतर होता है इसलिए आप जो भी पॉज़िटिव काम करेंगे, हम आपका साथ देंगे। सम्मिलित होने से पहले मैं अपने ब्लॉग गुरू श्री श्री 801 सारथि जी महाराज से परामर्श करना चाहूंगा।
आप इस विचार को जनाब शरीफ़ ख़ान साहब के सामने भी रख सकते हैं। वे भी समाज में सुधार के इच्छुक हैं। पिछली पोस्ट पर उनका कमेंट भी है।
इतने अच्छे और मौलिक प्रस्ताव के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपको तो वैसे भी मेरा ही उदारवादी चेहरा तक समझ लिया गया था। आपमें और मुझमें कुछ ज़्यादा ही साम्य है। मालिक आपका उत्साह बनाये रखे और आपको मंज़िल तक पहंुचाये।

DR. ANWER JAMAL said...

मां का दिल भी अपनी औलाद में ही अटका रहता है। सबीहा साहिबा को उनकी मौत के बाद उनकी भतीजी सुम्बुल ने रात को ख्वाब में देखा। उनके हाथ में सफ़ेद दानों की एक तस्बीह अर्थात माला है और एक नीला कवर चढ़ी कुरआनी सूरतों और दुआओं की किताब जो कि वे दुनिया में पढ़ती थीं। उन्होंने कहा कि घर के लोगों से कहो कि वे रोयें नहीं मैं अच्छी जगह हूं। आप लोग दुरूद शरीफ़ पढ़ें।
फिर उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी सुमय्या को ढूंढा और कहा कि सुमय्या से कहना कि वह रोये नहीं, पढ़े और टी. वी. न देखे।
यह बात मुझे आज मास्टर अनवार साहब ने फ़ोन पर बताई। उनकी बहन सबीहा का इंतेक़ाल अमरोहा में 7 जुलाई 2010 को हो गया है। इस ख्वाब की हक़ीक़त जो भी हो, आदमी को चाहिए कि जितना जल्दी तौबा कर सके कर ले। जितनी जल्दी ‘सीधे रास्ते‘ पर आ सके आ जाए।

Ejaz Ul Haq said...

हमारी अज़ीज़ बहन सबीहा खातून जिन्हें हम छोटी बाजी भी कहा करते की अचानक मौत से हमारा पूरा परिवार सदमे में हैं, खासतौर पर हमारी बड़ी बहन शमा बाजी का बहुत बुरा हाल है ,अल्लाह ताला उनको और सभी घर वालों को सब्र अता फरमाए - आमीन,
मरहूमा अमरोहा में एक तालीमी इदारा खोलने का भी इरादा रखती थी जिसके लिए उन्होंने इसके लिए ज़मीन भी खरीदी थी, अल्लाह ताला से दुआ करते हैं कि उनके इस नेक इरादे को पूरा करने कि हमें हिम्मत अत फरमाए,आमीन

Ejaz Ul Haq said...

हमारी अज़ीज़ बहन सबीहा खातून जिन्हें हम छोटी बाजी भी कहा करते थे की अचानक मौत से हमारा पूरा परिवार सदमे में हैं, खासतौर पर हमारी बड़ी बहन शमा बाजी का बहुत बुरा हाल है ,अल्लाह ताला उनको और सभी घर वालों को सब्र अता फरमाए - आमीन,
मरहूमा अमरोहा में एक तालीमी इदारा खोलने का भी इरादा रखती थी जिसके लिए उन्होंने इसके लिए ज़मीन भी खरीदी थी, अल्लाह ताला से दुआ करते हैं कि उनके इस नेक इरादे को पूरा करने कि हमें हिम्मत अत फरमाए,-आमीन