
भाई मनुज जी ने कहा कि हिन्दुओं में ऐसे केस कम सामने आये हैं । मैं विनती करूंगा कि पहले इसरो जासूसी कांड जैसे सभी केसेज़ के मुजरिमों के नाम देख लीजिये , फिर बताइये । इसरो जासूसी कांड देश पर एक बड़ा धब्बा था जिसे जांच एजेन्सी ने अपने ‘हुनर‘ से धोकर देश की लाज रख ली । ‘देश की लाज‘ इस तरह कई बार रखी गई ।
देश के खि़लाफ़ जासूसी करना और आतंकवाद में लिप्त रहना जघन्यतम अपराध है लेकिन किसी भी सरकारी पद का दुरूपयोग भी उससे ज़रा कम सही लेकिन है जघन्यतम अपराध ही । देखिये -
रवि के लॉकर में 23 लाख
नई दिल्ली । गृहमंत्रालय के संयुक्त सचिव ओ. रवि के फंड मैनेजर राकेश रस्तोगी को सी बी आई ने गिरफ्तार कर लिया । सीबीआई ने राकेश के क़ब्ज़े से ओ. रवि के लिए घूस में ली गई 22 लाख 75 हज़ार रूपए एक्सिस बैंक के लॉकर से बरामद कर लिए हैं ।
हिन्दुस्तान , 30-04-2010 से साभार
इतनी गंभीर ख़बर को पतले फ़ोंट की मात्र 6 लाइनों में निपटा दिया गया । रिश्वत लेना इस समाज के लिए कोई चैंकाने वाली ख़बर नहीं है । हरेक विभाग में रिश्वत ली और दी जा रही है । फ़र्क़ सिर्फ़ कम ज़्यादा का है । आप रिश्वत देकर नकली मेडिकल सर्टिफ़िकेट बनवा सकते हैं फिर आप पुलिस को रिश्वत देकर मुक़द्दमा भी क़ायम कर सकते हैं । रिश्वत के बल पर आप अपने खि़लाफ़ मुक़द्दमे की चाल सुस्त कर सकते हैं । अपने खि़लाफ़ सम्मन लेकर आने वाले सिपाही को प्रतिवादी मात्र 100-200 रूपये देता है और वह लिख देता है कि प्रतिवादी नहीं मिला । ख़र्चे के लिए मुक़द्दमा क़ायम करने वाली दहेज पीड़िताओं के सम्मन 3-4 साल में भी तामील नहीं हो पा रहे हैं । रिश्वत देकर आप ट्रेन में रिज़र्वेशन करवा सकते हैं । रिश्वत के बल पर इस देश में आतंकवादी पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में कामयाब हो जाते हैं ।
इतनी गंभीर ख़बर को पतले फ़ोंट की मात्र 6 लाइनों में निपटा दिया गया । रिश्वत लेना इस समाज के लिए कोई चैंकाने वाली ख़बर नहीं है । हरेक विभाग में रिश्वत ली और दी जा रही है । फ़र्क़ सिर्फ़ कम ज़्यादा का है । आप रिश्वत देकर नकली मेडिकल सर्टिफ़िकेट बनवा सकते हैं फिर आप पुलिस को रिश्वत देकर मुक़द्दमा भी क़ायम कर सकते हैं । रिश्वत के बल पर आप अपने खि़लाफ़ मुक़द्दमे की चाल सुस्त कर सकते हैं । अपने खि़लाफ़ सम्मन लेकर आने वाले सिपाही को प्रतिवादी मात्र 100-200 रूपये देता है और वह लिख देता है कि प्रतिवादी नहीं मिला । ख़र्चे के लिए मुक़द्दमा क़ायम करने वाली दहेज पीड़िताओं के सम्मन 3-4 साल में भी तामील नहीं हो पा रहे हैं । रिश्वत देकर आप ट्रेन में रिज़र्वेशन करवा सकते हैं । रिश्वत के बल पर इस देश में आतंकवादी पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में कामयाब हो जाते हैं ।
जो जिस सीट पर बैठा है उसे बेचने में लगा है ।
देश की इन सीटों पर मुसलमान तो बैठे नहीं हैं । बताइये पूरे देश को बेचने वाले इन लोगों पर लगाम लगाने के लिए क्या किया जा रहा है ?
ये अधिसंख्य लोग जिस धर्म से संबंध रखते हैं क्या इनके कुकर्मों के कारणों को इनके धर्म की शिक्षाओं में तलाशने की कोशिश की जाती है ?
क्या इन मुजरिमों के साथ इनके सारे समाज को कभी सन्देह की नज़र से देखा गया ?
बताइये इनकी तादाद ग़द्दार मुसलमानों से ज़्यादा है या कम ?
देश के 2 लाख किसान महाजनों के क़र्ज़ में दबकर आत्महत्या कर लेते हैं । यह संख्या पाक समर्थित आतंकवाद में मारे जाने वालों से ज़्यादा है या कम ?
जमाख़ोरी और कालाबाज़ारी करके महंगाई बढ़ाने वाले किस धर्म को मानते हैं ?
आज भारत का बाज़ार किस धर्म के मानने वालों के क़ब्ज़े में है ?
देश की जनता ने हरेक पार्टी को आज़माया लेकिन क्या कोई भी पार्टी जनता को आज तक लूट हत्या मर्डर अपहरण और बलात्कार से मुक्ति दिला पाई ?
पूरे भारत में शराब और नशे को बढ़ावा देने वाले व्यापारी किस धर्म को मानते हैं ?
देश में नशे और नंगेपन का चलन आम है और जनता असुरक्षित है और उसे रोटी और इलाज भी मुहय्या नहीं हो पा रहा है ।देश के विकास में लगने वाला रूपया किन लोगों के हाथों में रहता है ?
देश का 70 हज़ार करोड़ रूपया विदेशों में जमा करने वाले ग़द्दार किस धर्म को मानते हैं ?
इसी तरह दूसरे बहुत से भयानक जुर्म हैं जिनके मुजरिमों को अक्सर नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है जिससे समाज में अविश्वास और असुरक्षा का भाव पैदा होता है ।
भाई मनुज की भावनाओं की मैं क़द्र करता हूं क्योंकि वे देश का उत्थान चाहते हैं और मैं भी यही चाहता हूं लेकिन यह तभी संभव होगा जबकि किसी भी मुजरिम को तो बख्शा न जाए और किसी बेगुनाह को सताया न जाए ।
भारत एक धार्मिक बहुलतावादी देश है । अलग अलग समुदायों की आत्मा और कर्मफल सम्बन्धी अलग अलग हैं । हरेक अपने धर्म-मत की तारीफ़ करता है लेकिन वह उसके अनुसार आचरण कितना करता है ?
हरेक मत मनुष्य को ईमानदारी , सत्य, न्याय और परोपकार की शिक्षा देता है । इसके बावजूद भी हमारा देश विश्व के 85 भ्रष्ट देशों में गिना जाता है ।
आखि़र क्यों ?
केवल इसलिए कि अभी लोगों ने धर्म को तो जाना ही नहीं बल्कि वे जिस किसी भी धर्म-मत की सच्चाई के क़ायल हैं उसके तक़ाज़े पूरे करने के प्रति भी गम्भीर नहीं हैं ।यदि हम कल्याण पाना चाहते हैं तो हमें सत्यानुकूल और न्यायपूर्ण आचरण करना ही होगा , चाहे हम किसी भी धर्म-मत को क्यों न मानते हों या बिल्कुल सिरे से नास्तिक ही क्यों न हों ?
अब आप बताइये कि क्या मेरे ऐसा कहने के बाद दुर्भावना सचमुच समाप्त हो जाएगी ?