
@आदरणीय ब्लॉग पधारक परछिद्रान्वेषाभ्यासमग्नजनशिरोमणि नास्तिक्यभ्रमधुंधाच्छादित विकलहृदय क्षीणमनबलेन्द्रिय दुसाध्य वायरसयुक्त ब्लॉगरूपी ध्वस्त दुर्गस्वामी प्रश्नकलाविस्मृत सद्भाव वक्तव्य याचक प्रवीण जी , 3 बिन्दीयुक्त आपकी टिप्पणी प्राप्त हुई परन्तु उसमें आपके व्यक्तित्व की छाप न थी ।
1- उसमें आपने हस्बे आदत यहां और यहां कहकर कुछ भी न दिखाया था । हालांकि आप कम से कम जनाब सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग का लिंक तो दे ही सकते थे , जहां आपने यह कमेन्ट तब किया था जब मैंने ‘शिव महाशिव व्याख्यानमाला‘ का उद्घाटन नहीं किया था ।
2- आप अपने वक्तव्यानुसार नास्तिक हैं और श्री श्री सारथि जी महाराज की पावन सूची कलंकित कॉलम में नास्तिक नम्बर 3 की उपाधि से विभूषित भी हैं ।नास्तिक होने के दावे के बावजूद ईश्वर और धर्म को कल्याणकारी मानने का क्या अर्थ है ?
क्या मेरे प्रवचन के बाद आपने नास्तिक मत त्याग दिया है ?
या फिर आप लोगों को अपने बारे में धोखा दे रहे थे और आप नास्तिक केवल इसलिये बने हुए थे कि आप तो दूसरों की मान्यताओं पर प्रश्नचिन्ह लगा सकें लेकिन कोई आपसे कुछ न पूछ सके ?
हमारे स्वर्गीय गुरू जी कहा करते थे कि हिन्दुस्तान की मिट्टी का मिज़ाज आध्यात्मिक है , यहां का आदमी नास्तिक नहीं हुआ करता । भारत का नास्तिक भी ईश्वर से डरता है ।
ख़ैर जो भी आपकी मानसिक प्रॉब्लम हो ।हमें तो यह बताइये कि मेरी किस बात से दुर्भावना फैली है ?मेरी दुर्भावना के शिकार प्रमुख व्यक्तियों के नाम क्या हैं ?
वे व्यक्ति खुद तो इसी जुर्म के आदी तो नहीं हैं ?
ब्लॉग मेरे गीत पर आपकी टिप्पणी के बाद ‘आदि शिव और अनादि शिव पर सुन्दर तत्वचर्चा‘ चल रही है । क्या इतने लम्बे चैड़े और इतने प्यारे व्याख्यान के बाद भी दुर्भावना वालों की दुर्भावना दूर नहीं हुई ?
आखि़र जब इतनी पवित्र हस्तियों पर इतनी बड़ी बातें देख सुनकर भी लोगों के दिलों का ज़ंग न छूटा तो आपके द्वारा प्रस्तावित मात्र 3 सैन्टेन्स कह देने से कैसे छूट जाएगा ?
जब आप पहले से ही बदगुमान हैं कि मैं आपके प्रस्ताव को न मानूंगा तो आप यहां करने क्या आये हैं ?
लेकिन याद रखिये , नास्तिकों की बुद्धि के तंग दायरे से केवल ईश्वर ही नहीं बल्कि उसके बन्दे भी परे होते हैं ।जो आप कह रहे हैं मैं कह दूंगा ।
लेकिन...
1- आपकी बात मानने से पहले मैं 3 बातों की गारण्टी चाहूंगा ।उनमें सबसे पहली बात यह है कि आप मुझे यक़ीन दिलाएं कि यह प्रस्ताव सचमुच आपका ही है , किसी अन्य ने आपके नाम से नहीं भेजा है और जो कुछ आप मुझसे मानने के लिए कह रहे हैं , आप स्वयं भी उसपर विश्वास रखते हैं । ...जारी
धन्य हैं श्री श्री सारथि जी महाराज , जिनकी नीति कुशलता के कारण आज यहां याचक मुद्रा में खड़े बड़े मुझसे वह कुछ मांग रहे हैं , जो कि मैं स्वयं बांट रहा हूं । मेरे रथ को जेट गति से ब्लॉगाकाश में पहुंचा देने वाले शत्रुनिद्राहरणहार श्री उमर कैरानवी जी को उनके जन्म दिन पर डबल बधाई ।क्या कहा ?
उनका जन्म तो 13 को हुआ था और मैं उनको बधाई दे रहा हूं 26 को ?
दरअस्ल बात यह कि 13 दुनी 26 । आज 26 है जो कि 13 का डबल है । मैं श्री 1008 विहीन सारथि जी महाराज को उनके जन्मदिन पर डबल मुबारकबाद पेश करता हूं ।
हो सकता है कि आज मैं उन्हें मुबारकबाद देना भूल जाता लेकिन ...
आदरणीय प्रवीण जी की आमद ने उनके जन्म दिन की याद को ताज़ा कर दिया । यही तो वह दिन है जब...
ख़ैर... अब कहां प्रवीण जी के ब्लॉग में कोई वायरस छिपा होगा ?
कोई देखे तो मेरे मायावी की उपकार लीला ।
प्रशंसा , बहुत प्रशंसा ।
आप चाहे न जियें हज़ारों साल
परन्तु दुष्ट रोयें हज़ारों साल
और वैसे भी आप हज़ारों साल से ज़्यादा जी चुके हैं
क्योंकि शेर की एक दिन की ज़िन्दगी हज़ार कुत्तों के हज़ार वर्ष के जीवन से बेहतर है ।
मुस्लिम काफिरो ने भारत वर्ष के टुकडे किये, ये गद्दार है, देश द्रोही है, देस के गद्दारो को जूते मारो (या कोडे) सालो को
यह इस लायक़ नहीं कि इसे ज़्यादा स्पेस दिया जाए इसे तो हम यूं ही चलता कर देंगे । बेशक हमने अपने विरोधी प्रवीण जी का विरोध किया है लेकिन अपनी पोस्ट में उन्हें इतना ज़्यादा स्पेस देकर हमने उनके प्रति अपने प्रेम को ही प्रकट किया है ।निःसन्देह वे मेरे विरोधी हैं लेकिन एक बेतरीन विरोधी हैं । एक बेहतरीन आदमी हैं । उनकी वाणी से मैंने कभी कोई गाली निकलते हुए नहीं सुनी ।
उन्हें यक़ीन आये या न आये लेकिन मैं बता देना चाहता हूं कि मैं उनसे दिल से प्यार करता हूं । मैं तो अपने हरेक दिन को अपना आखि़री दिन मानता हूं ।
रोड एक्सीडेन्ट में आये दिन लोगों को मरते हुए देखता हूं और खुद भी बहुत बार चपेट में आने से उस मालिक के करम से बचा हूं लेकिन आख़िरकार मौत तो मुझे आकर रहेगी । कब आ जाये , नहीं जानता ?
बहरहाल इस मर्त्यलोक में मुझे सदा नहीं रहना है ।
... लेकिन मैं जहां भी रहूंगा प्रवीण जी को एक बेहतर इनसान के रूप में अरबों खरबों साल तक याद रखूंगा । मेरे मरते ही प्रवीण जी कृपया मेरे कटु वचनों को माफ़ कर दीजियेगा । लेकिन जब तक मैं जियूंगा हरेक नास्तिक को हैरान किये रखंगा और आप को भी ।
अरे इस राज की खाज मिटाना तो रह ही गई ।
रह जाने दो भाई ये आदमी नालायक़ है और दो महान आदमियों के साथ इसका ज़िक्र करना ठीक नहीं है । पहले ये किसी लायक़ बने तो सही ।यह अपना ब्लॉग बनाने या उसे बताने तक के लायक़ नहीं । गद्दार खुद है । बता दयानन्द जी को ज़हर किस मुसलमान ने दिया ?आदि शंकराचार्य को ज़हर किस मुसलमान ने दिया ?
मेरे प्रिय श्री रामचन्द्र जी को उनके कुल सहित नष्ट करने की धमकी देने वाला और उन्हें सचमुच नष्ट करने वाला दुर्वासा भी क्या मुसलमान था ?
गांधी को , इंदिरा गांधी को और राजीव गांधी को मारने वाला किस धर्म का था ?
अब पाकिस्तान की सुन !जिन्नाह की मज़ार वन्दना करने वाले हिन्दुस्तानी लाल का नाम बताओ ?
जिन्नाह को 800 पेज से ज़्यादा लिखकर दोषमुक्त किस नेता ने कहा ?
मुसलमानों के भारत आगमन से पहले ही आर्यावर्त का हज़ारों टुकड़ों मे विभाजन करने वाले हिन्दू राजाओं को और उनके वंशजों को ग़द्दार कब कहा जायेगा ?
विदेशी हमलावरों को भारत पर हमले के लिए बुलाने वाले और उनकी मदद करने वाले ग़द्दार राजा और सिपाही तुम्हारे बाप दादा ही तो थे ।
ग़द्दारी तो तुम्हारे खून में है ।
आज भी जिस सीट पर बैठे हो जनता से रिश्वत लिये बग़ैर काम ही नहीं करते । वाह क्या खूब राष्ट्रभक्ति है ?
नकटे ही आज नाक वालों को नक्कू कह रहे हैं?
हम मुसलमां हैं जां निसारे वतन
हमने क़ायम किया है वफ़ा का चलन
हम ख़ुलूस ओ मुहब्बत के पैकार हैं
राहे हक़ में सिदाक़त के पैकार हैं
दुश्मनों के लिए तीर ओ तलवार हैं
हमसे कहते हैं फिर भी कि ग़द्दार हो
इस हसीं लफ़्ज़ के तुम ही हक़दार हो
सच कहो सच से अगर रखते प्यार हो
क़त्ल किसने किया बापू ए वतन ?
...और ए बी उर्फ़ अर्ध बुद्धि ! ये बता कि तू छोटा है या झूठा है ।
तू 30 साल का होकर अपने चाचा को बेटा बता रहा है । बदतमीज़ कहीं के ।
या तो बता कि तू 70 साल का है । बुड्ढा समझकर तेरी हर बात झेलेंगे लेकिन अगर तू मुझसे 10 साल छोटा है तो फिर फिर छोटा बनकर बात कर ।
विरोध कर मगर मर्यादा को न भूल ।
तुझ आस्तिक से तो प्रवीण जी जैसे नास्तिक बेहतर हैं ।
उन्हीं से कुछ सीख ले । मैं भी उनसे सीखने का प्रयास कर रहा हूं ।
... बस प्रवीण जी के प्यारे नाम और उनसे सादर क्षमा के साथ अब की बोर्ड को आराम देता हूँ ।
जय हिन्द .