सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Monday, March 22, 2010
क्या काबा सनातन शिव मंदिर है ? Is kaba an ancient sacred hindu temple?

क्या काबा सनातन शिव मंदिर है ?
क्या सचमुच हज्रे अस्वद शिवलिंग है ?
क्या मक्का हिन्दुओं का प्राचीन पवित्र तीर्थ है ?
क्या हिन्दुओं का मक्का से कोई धार्मिक संबंध कभी रहा है ?
इन सवालों को रेखांकित करता हुआ एक अंग्रेज़ी लेख अभी कुछ दिनों पहले भाई तारकेश्वर जी ने अपने ब्लॉग पर नुमायां किया था ।
उसके बाद आज ब्लॉगिस्तान के वटपुरूष माननीय श्री ए बी इन्कनविनिएन्ट जी ने भी इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने की बड़ी सुन्दर कोशिश की है ।
उसके बाद आज ब्लॉगिस्तान के वटपुरूष माननीय श्री ए बी इन्कनविनिएन्ट जी ने भी इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने की बड़ी सुन्दर कोशिश की है ।
हिन्दू मुसलिम भाइयों के बीच एकता के बिन्दुओं में पवित्र काबा एक प्रमुख बिन्दु है ।
वे आये दिन ऐसे आश्चर्यजनक किन्तु सत्य तथ्य प्रकट करते रहते हैं जिनके कारण तम प्रहरी तो आये दिन उन पर अपनी निन्दा के बाण चलाते ही रहते हैं
लेकिन उन्हें अपने उन हम अक़ीदा भाइयों की नाराज़गी का भी अन्देशा लगा रहता है जो क्लिष्ट हिन्दी और ‘तत्व‘ से अनजान हैं ।
परन्तु धन्य है वह पुण्य भूमि , जिसने ऐसे महान कर्म योगियों को जन्म दिया ।
धन्य है वह ब्लॉगभूमि , जहाँ कि आखि़रकार इन्होंने आकाश से ज्ञानगंगा को अवतरित कर ही डाला।
धन्य है वह ब्लॉगवाणी , जिसने उन्हें ऱजिस्ट्रेशन देकर मानव एकता का मार्ग प्रशस्त किया ।
धन्य है वह चिठ्ठा जगत , जिसने उनके स्वर को विश्व जन तक पहुंचाने के लिए अनुकूल मंच दिया।
धन्य हैं ये भी ...
और धन्य हैं वे भी ...
सभी धन्य हैं ।
और अन्त में धन्य हैं वे सभी पाठक जिन्होंने सार्थक सामग्री पढ़कर सिद्ध कर दिया कि भारतवासी सचमुच ही सत्य के खोजी और आकांक्षी हैं ।
आज का दिन ब्लॉगिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक दिन है ।
आज विश्व के दो बड़े समुदायों के दरम्यान इस बात पर आखि़रकार सहमति बन ही गई कि मक्का एक पवित्र प्राचीन तीर्थ है ।
जिस तीर्थ से मुसलमान आज जुड़े हुए हैं , उससे हिन्दू भाई पहले दिन से जुड़े हुए हैं ।
यहां हिन्दी के पारिभाषिक नामों से नावाक़िफ़ भाइयों की सुविधा की ख़ातिर मैं कुछ शब्दार्थ पेश कर रहा हूं ताकि किसी को भी यह अटपटा न लगे कि कहां काबा और कहां मन्दिर ?
मन्दिर का अर्थ ‘भवन‘ होता है ।
आजकल यह शब्द केवल उस भवन के लिए बोला जाता है जहां ईश्वर की स्तुति वंदना और पूजा उपासना की जाती है ।
काबा भी ईश्वर की उपासना वंदना के लिए ही प्रयुक्त होता है । अतः उसे मन्दिर कहने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए ।
वैदिक साहित्य में ‘शिव‘ नाम कई अलग अलग पर्सनैल्टीज़ के लिए आया है ।
सिंह की छाल पर ईश्वर के ध्यान में लीन रहने वाले माता पार्वती के पति भोले जी अर्थात आदम के लिए भी यह नाम आता है ।
उन्होंने ही सबसे पहले सारे जगत का कल्याण करने के लिए काबा का निर्माण किया था ।
उन्होंने ही सबसे पहले अपनी सन्तान को पालनहार के आदेश उपदेश सुनाकर कल्याणकारी मार्ग दिखाया था । इसलिए उन्हें भी शिव कहा जाता है और काबा नामक आराधनालय को उनके द्वारा निर्मित होने के कारण भी शिव मंदिर कहा जाता है ।
‘शिव‘ वास्तव में सत्यस्वरूप परमेश्वर का एक सगुण नाम है ।
शिव का अर्थ होता है कल्याण करने वाला ।यह उस पालनहार का ही गुण है ।
वास्तव में वही शिव है । काबा को शिव का मंदिर इसी लिए कहा गया है क्योंकि काबा में इकठ्ठा होने वाले लोग उसी कल्याणकारी ईश्वर की वन्दना करने के लिए और उसके आदेश उपदेश जानने के लिए इकठ्ठा होते हैं ।
भाई तारकेश्वर जी ने और श्री ए.बी. जी ने हालांकि कोई मज़बूत शास्त्रीय प्रमाण नहीं दिया है लेकिन इसके बावजूद आज हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे ।
आज तो हम केवल इस बात का आनन्द लेना चाहते हैं कि तल्खि़यां विदा हो रहीं हैं , नफ़रतें दम तोड़ रही हैं , इनसानियत जीत रही है ।
हिन्दुओं को काबा मुबारक हो ।
निःसन्देह काबा उनका भी है ।
काबा ही क्या , पूरी पृथ्वी पालनहार ने महर्षि मनु को दी थी ।
पूरी धरा उनकी है । धर्म भी उनका और हम खुद उनके ।
आओ , संभालो अपना सत्य , अपनी सत्ता और अपनी विरासत ।
आज की पोस्ट में किसी भावनाएं तो आहत नहीं हुईं ?
कृपया अवश्य सूचित करें ।
... और जल्द ही हम बताएंगे कि किनके विकारी कर्म बना रहे हैं हिन्दू बुद्धिजीवियों को नास्तिक ?
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