सनातन धर्म के अध्ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to
जिस पुस्तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्दी रूपान्तर है, महान सन्त एवं आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी के धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन पर आधारति पुस्तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्मक अध्ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्त के प्रिय शिष्य एस. अब्दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्य जावेद अन्जुम (प्रवक्ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्तक के असल भाव का प्रतिबिम्ब उतर आए इस्लाम की ज्योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रस्तुत है, More More More
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Thursday, July 8, 2010
Charity परमेश्वर की नज़र में सच्चा दानी कौन होता है ? -Anwer Jamal
परमेश्वर की नज़र में सच्चा दानी कौन होता है ? वह अपनी वाणी में स्वयं उनकी पहचान बताते हुए कहता है -
और (नेक लोग) ईश्वर के प्रेम में खाना खिलाते हैं मिस्कीन, यतीम और क़ैदियों को। (वे कहते हैं कि) हम तो तुम्हें केवल परमेश्वर के लिए खिलाते हैं न तुमसे बदला चाहते हैं न शुक्रगुज़ारी। बेशक हम अपने रब से उस दिन का ख़ौफ़ करते हैं जो उदासी और सख्ती वाला होगा। -अद्-दहर,8-10
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आदमी किसी को कुछ देता है तो वह बदले में अपने लिए कुछ ज़रूर चाहता है। कभी तो वह समाज में अपनी ‘छवि निर्माण‘ के लिए लोगों की मदद करता है और कभी अपने मन की संतुष्टि के लिए ऐसा करता है। लोग उसकी वाहवाही करते हैं और ज़रूरतमंद उनके शुक्रगुज़ार होते हैं तो वे भी अपनी मदद में आगे और आगे बढ़ते चले जाते हैं और अगर उन्हें अपनी मदद के बदले में लोगों से ये चीज़ें नहीं मिलतीं तो उनका दिल मुरझा जाता है। उन्हें लगता है कि शायद उन्होंने मदद के लिए ‘सही आदमी‘ चुनने में ग़लती की है। जिस ऐलान के साथ वे पहले किसी की मदद करते हैं, फिर वैसा ही ऐलान करके वे बताते हैं कि अमुक आदमी ‘ग़लत‘ निकला। ऐसा करते हुए वे यह भी नहीं सोचते कि उनके लेख से किसी खुददार के मान को ठेस लग सकती है और जो आदमी पहले ही ‘आत्महत्या के विरूद्ध‘ जंग लड़ रहा हो, वह अपना हौसला हार भी सकता है।
ये लोग अपनी बड़ाई में जीते हैं। शायद इन्हें बुरा लगता है कि ‘मदद‘ के लिए गुहार लगाने वाला उनके साथ खुददारी और बराबरी के साथ बात करने की जुर्रत कैसे कर सकता है ?
दान देने वाला दयालु होता है और जहां दया होती है वहां क्षमा भी ज़रूर होती है। मदद पाने वाले से अगर कोई नामुनासिब बात सरज़द भी हो जाए तब भी उसे क्षमा किया जाना चाहिए। कड़वे हालात में उसके वचन भी कड़वे हो जाएं तो क्या ताज्जुब ?
इसके विपरीत जो लोग अपने रब के सच्चे बन्दे हैं वे अपना बदला भी अपने मालिक से ही चाहते हैं। बदले के दिन पर उनका यक़ीन उन्हें लोगों की तरफ़ से बेनियाज़ कर देता है। वे लोगों की मदद सिर्फ़ इसलिए करते हैं कि मालिक का हुक्म कि ज़रूरतमंदों की मदद की जाए। मालिक ने उनके माल में ज़रूरतमंदों का हक़ मुक़र्रर किया है और वे लोगों को उनका हक़ पहुंचाते हैं। इसके बदले में लोगों से शुक्रगुज़ारी तक नहीं चाहते। वास्तव में अपने रब के नज़्दीक यही लोग नेक और मददगार हैं। यही लोग सच्चे दानी हैं।
Sunday, July 4, 2010
रब का मिज़ाज रहमत वाला है। उसका सच्चा बन्दा भी वही है जिसका मिज़ाज रहमत वाला है। - Anwer Jamal
मानवधर्म : पैग़म्बर की वाणी में
1. हजरत अबू हुरैरह रज़ि0 से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्ल0 ने कहा कि अल्लाह तआला क़ियामत के दिन (किसी बन्दे से) कहेगाः ”हे आदम के बेटे! मैं बीमार हुआ तूने मेरी बीमारपुर्सी नहीं की।“ वह बन्दा कहेगा कि हे रब! मैं तेरी बीमारपुर्सी कैसे करता तू तो सारे जगत का रब है? वह कहेगाः ”क्या तू नहीं जानता था कि मेरा अमुक बन्दा बीमार है तूने उसकी बीमारपुर्सी नहीं की? क्या तू नहीं जानता था कि अगर तू उसकी बीमारपुर्सी करता, तो अवश्य ही तू मुझे उसके पास पाता। हे आदम के बेटे! मैंने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने मुझे खाना नहीं खिलाया।” बन्दा कहेगा-हे रब! मैं तुझे खाना कैसे खिलाता तू तो जगत का रब है। वह कहेगाः ”क्या तुझे नहीं मालूम कि मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने उसे खाना नहीं खिलाया। क्या तूने बात न जानी कि अगर तूने उसे खिलाया होता, तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता। हे आदम के बेटे! मैंने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने मुझे पानी न पिलाया।“ बन्दा कहेगा- हे रब, मैं तुझे कैसे पानी पिलाता तू तो सारे जगत का रब है। वह कहेगाः ‘‘मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने उसे न पिलाया अगर तू उसे पानी पिलाता तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता।“ - मुस्लिम
1. हजरत अबू हुरैरह रज़ि0 से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्ल0 ने कहा कि अल्लाह तआला क़ियामत के दिन (किसी बन्दे से) कहेगाः ”हे आदम के बेटे! मैं बीमार हुआ तूने मेरी बीमारपुर्सी नहीं की।“ वह बन्दा कहेगा कि हे रब! मैं तेरी बीमारपुर्सी कैसे करता तू तो सारे जगत का रब है? वह कहेगाः ”क्या तू नहीं जानता था कि मेरा अमुक बन्दा बीमार है तूने उसकी बीमारपुर्सी नहीं की? क्या तू नहीं जानता था कि अगर तू उसकी बीमारपुर्सी करता, तो अवश्य ही तू मुझे उसके पास पाता। हे आदम के बेटे! मैंने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने मुझे खाना नहीं खिलाया।” बन्दा कहेगा-हे रब! मैं तुझे खाना कैसे खिलाता तू तो जगत का रब है। वह कहेगाः ”क्या तुझे नहीं मालूम कि मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने उसे खाना नहीं खिलाया। क्या तूने बात न जानी कि अगर तूने उसे खिलाया होता, तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता। हे आदम के बेटे! मैंने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने मुझे पानी न पिलाया।“ बन्दा कहेगा- हे रब, मैं तुझे कैसे पानी पिलाता तू तो सारे जगत का रब है। वह कहेगाः ‘‘मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने उसे न पिलाया अगर तू उसे पानी पिलाता तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता।“ - मुस्लिम
2. हज़रत अबू हुरैरह रज़ि0 से रिवायत है कि नबी सल्ल0 ने कहा कि जब कोई मुसलमान अपने किसी बीमार भाई की बीमारपुर्सी करता है या उससे मुलाक़ात करता है तो अल्लाह तआला कहता हैः ‘‘तुझे मुबारक हो और तेरा यह चलना मुबारक है। तूने अपना घर जन्नत में बना लिया।“ -तिरमिज़ी
रब का मिज़ाज रहमत वाला है। उसका सच्चा बन्दा भी वही है जिसका मिज़ाज रहमत वाला है।इनसान अपने रब की कुदरत का भी निशान है और उसकी रहमत और मुहब्बत का भी। उसने इनसान से ऐसी और इतनी मुहब्बत की है जिसे इनसान पूरे तौर पर कभी समझ नहीं पायेगा। खुदा इनसानों से भी यही चाहता है कि वो भी आपस में प्यार-मुहब्बत का बर्ताव करें। उसने ज़मीनो-आसमान की हर चीज़ को इनसान को नफ़ा पहुंचाने में लगा दिया है। बहुत सी चीज़ों के भण्डार उसने खुद इनसानों के ही हवाले कर दिये हैं जिन्हें बरतने के लिए बांटने की ज़िम्मेदारी भी उसने इनसानों पर ही डाल दी है। ज़िन्दगी के लिए ज़रूरी बुनियादी चीज़ों के ग़लत बंटवारे की वजह से कुछ लोगों पर तो बहुत कुछ हो जाता है जबकि बहुत से लोगों के पास कुछ भी नहीं होता। कभी-कभी अपनी ग़लत आदतों या ग़लत फैसलों के नतीजे में भी इनसान बदहाली का शिकार हो जाता है। और कभी यही बदहाली हालात के उतार-चढ़ाव के नतीजे में इनसान को घेर लेती है। वजह कुछ भी हो लेकिन बुरे हाल से गुज़रने वाला शख़्स अगर आपसे मदद मांगता है तो हैसियत के मुताबिक़ उसकी मदद करना अपकी ज़िम्मेदारी है चाहे उसका मत, प्रदेश, जाति और भाषा कुछ भी क्यों न हो? जैसे नज़र आने वाले शख़्स के पीछे आंख से नज़र न आने वाला मालिक मौजूद है ऐसे ही इस नज़र आने वाली दुनिया के पीछे आंख से दिखाई न देने वाली आखि़रत (परलोक) भी पोशीदा है। जो कुछ आप आज कर रहे हैं, वह कल आपके ही काम आने वाला है। कल जब क़ियामत के रोज़ आप अपने रब के दरबार में पेश किये जाएंगे तो वहाँ तिलावते-कुरआन, नमाज़, रोजा, हज और ज़िक्र व तस्बीह को भी जांचा परखा और तौला जाएगा और यह भी देखा जाएगा कि सच्चे मालिक का इतना नाम लेने वाले ने अपने मालिक के मिज़ाज और उसकी मन्शा को कितना पहचाना है और वह मालिक के रंग में खुद को कितना रंग पाया है? रब का मिज़ाज रहमत वाला है। उसका सच्चा बन्दा भी वही है जिसका मिज़ाज रहमत वाला है। जहां लोगों के मिज़ाज में रहमत और हमदर्दी होगी वहां ज़ुल्म-ज़्यादती, ग़रीबी, दुख और जुर्म बाकी नहीं रह सकते। दुखी लोगों के दरम्यान रहते हुए भी उनके दुख की तरफ़ से आँखे बंद करके ध्यान में लीन रहने वाला भक्त अपने पालनहार के स्वभाव से अपरिचित है, चाहे उसके कितने ही चक्र जाग्रत हों और कितने ही लोग उसे गुरू क्यों न मानते हों? न तो आज वो अपने लिए कुछ भेज रहा है और न ही कल उसे कुछ मिलने वाला है।
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