Pages

Friday, May 21, 2010

No Problem दुख इनसान को इतना दुखी नहीं करता जितना कि उसे कुबूल न कर पाना ।

दुनिया की हर चीज़ की रचना जोड़े में की गई है ।
हर ऐब से पाक है अल्लाह , जिसने सभी चीज़ों को जोड़े में पैदा किया। -पवित्र कुरआन,यासीन,36
सुख का जोड़ा दुख है । जो लोग केवल सुख के अभिलाषी हैं , वास्तव में वे एक ऐसी चीज़ चाहते हैं जो इस दुनिया में आज तक न तो किसी को मिली है और न ही मिल पाएगी । इस दुनिया में अगर आप सुख चाहते हैं तो आपको दुख भी स्वीकार करना होगा । आप स्वीकार न करें तब भी दुख तो आपको पहुंचकर रहेगा लेकिन उसे स्वीकारने का फ़ायदा यह होगा कि अब वह आपको कष्ट नहीं देगा । दुख इनसान को इतना दुखी नहीं करता जितना कि उसे कुबूल न कर पाना ।
आपको परमेश्वर का यह नियम जानना भी होगा और मानना भी कि उसने सुख के साथ दुख को भी आपके भले के लिए अनिवार्य कर दिया है ।किसी भी चीज़ की पहचान इनसान तभी कर पाता है जबकि वह उसके विपरीत का भी अनुभव रखता हो ।मिलन के सुख को वही प्रेमी जान सकता है जिसने विरह की पीड़ा को भोगा हो । मां होने का सुख वही औरत पाती है जिसने प्रसव की वेदना को सहा हो । कुछ बनने के लिए मेहनत और संघर्ष इस दुनिया का अनिवार्य नियम है । आदमी बाप भी होता है और किसी का बेटा भी । बाप का फ़र्ज़ औलाद की हिफ़ाज़त, परवरिश और बेहतर तालीम है और औलाद का फ़र्ज़ यह है कि वह अपने बाप का आदर करे और उसके आदेश का पालन करते हुए उसकी बेहतरीन परम्पराओं को बाक़ी रखे । दोनों ही हालत में आदमी के लिए सख्त मेहनत के सिवाय चारा नहीं है ।
बाप और औलाद की गवाही ले लो । बेशक इनसान को पैदा करके हमने उसे मेहनत और उलझन में डाला है । -पवित्र कुरआन,बलद,3 व 4
मानव सभ्यता के ये दो बुनियादी किरदार हैं बाप और औलाद । यह तक बनने के लिए इनसान को मेहनत किये बग़ैर चारा नहीं है । मेहनत करना ही दुख उठाना है लेकिन जब इनसान के सामने मक़सद साफ़ होता है तो फिर उस मक़सद को पाने की लगन उसके लिए न सिर्फ़ वह कष्ट सहना आसान हो जाता है बल्कि उसे उसमें सुख और आनन्द का अनुभव होने लगता है । मानवीय सभ्यता को बाक़ी रखने के लिए नस्ल चलाना ज़रूरी है । जब लोगों के औलाद होगी तो इनसानी पैदाइश के हर संभव रूप प्रकट होना लाज़िमी है । वे रूप भी हमारी गोद में खेलेंगे जो बहुतों की समस्याओं का समाधान करेंगे और वे रूप भी हमारे साथ रहेंगे जो खुद एक समस्या होंगे । अगर हम एक का स्वागत खुशी खुशी करते हैं तो हमें दूसरे रूप को भी स्वीकार करना होगा क्योंकि यही इस दुनिया का क़ायदा और मालिक का विधान है । अगर हम इसमें तरमीम करके अपाहिज भ्रूणों को मां के पेट में ही मारने के रास्ते पर चल पड़ेंगे तो फिर अपाहिजों और निरूपयोगी बूढ़ों के लिए ज़रूरी रहमदिली का लोगों में नितान्त अभाव हो जाएगा और तब इनसान एक बेरहम व्यापारी तो बन जाएगा लेकिन इनसान नहीं रह पाएगा ।
हम क्या बनना चाहते हैं ?
यह हमें तय करना है । जो आप बनेंगे वही चेतना आपकी औलाद में भी ट्रांसफ़र होगी । आपका फ़ैसला व्यापक प्रभाव रखता है और मानवता को सदा प्रभावित करता रहेगा । आइये प्रभु के सुख-दुख के विधान को स्वीकार कीजिए ताकि दुख आपको भविष्य के सुख का साधन प्रतीत होने लगे । आपकी सही सोच दुख के प्रभाव को बदलने में सक्षम है । पवित्र कुरआन यही सिखाता है ।
वेदज्ञ साहिबान भी बताएं कि वेद मनुष्य की बेहतरी के लिए क्या बताते हैं ?
और अपाहिज भ्रूण के विषय में वह क्या उपाय सुझाता है ?

27 comments:

  1. IF U R ONLINE NOW PLIZ CALL ME AT 09838659380

    ReplyDelete
  2. फ़िरदौस जी की हिम्मत की मैं दाद देता हूँ और एक वक़्त था जब सभी धर्म के ठेकेदार और जानकार उनके पीछे पड़े हुए थे और फ़िरदौस जी उनकी एक न सुनी. लोगों को लगा कि वे हिन्दू धर्म में जाने के लिए मन सा बना लिया है और शीघ्र ही वे हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेंगी. उन्हें किसी ने हिन्दू धर्म स्वीकार करने का न्योता दे दिया था. लेकिन फ़िरदौस जी, महफूज़ जी और हम जैसे राष्ट्रवादी जानते हैं कि हमारे लिए धर्म कोई मायने नहीं रखता है. हम राष्ट्रवादी किसी भी धर्म में रहें, हम न तो हिन्दू में ही होते हैं न मुस्लिम में; हम सबमें होते हुए भी किसी में भी नहीं होते बल्कि राष्ट्रवादी होते हैं. हम देश-हित को पहले रखते हैं, धर्म को नहीं. हाँ अगर डीपली कहें तो इस्लाम धर्म से थोडा ज़्यादा विमुख और हिन्दू धर्म के थोडा सा करीब होते हैं क्यूंकि हम भारत में रहते हैं और हमें यहाँ उसी हिसाब से चलना पड़ेगा जैसा कि राष्ट्रवाद की विचारधारा हमें बताती है और यही हमारे हित में भी है. हर वह भारतीय राष्ट्रवादी मुस्लिम फ़िर चाहे वह शाहरुख ख़ान हो, आमिर ख़ान हो अथवा सलमान ख़ान और हाँ सैफ़ अली ख़ान (करीना वाला), महफूज़ जी, और हम सब-के-सब राष्ट्रहित में शराब भी पी लेते हैं हमें कोई हर्ज़ नहीं क्यूंकि हमें पता है कि शराब तो मात्र मनोरंजन का साधन है.

    तो शीर्षकान्तर न हो, मैं मुद्दे पर आता हूँ आज की पोस्ट में दी गयी टिपण्णी के चित्र में फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ है और हम सबको, हम सभी राष्ट्रवादियों को फ़िरदौस जी की इस हिम्मत को दाद देनी चाहिए. मैं पूछता है किसी में इतनी हिम्मत?

    क्या आप एक भी ऐसे मुसलमान को जानते हैं जो पहले इस्लाम पर लिखता हो, बल्कि ब्लॉग-जगत के कथित "विश्व के प्रथम एवम एकमात्र इस्लाम धर्म के चिट्ठे" का सक्रिय सदस्य हो और फ़िर कूप-मंदूप्ता से निजात पाई हो, वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

    क्या आप किसी ऐसे मुस्लिम को जानते हैं जो इस्लाम धर्म में घुटन महसूस करता हो और हिन्दू धर्म अपनाने का उसे न्योता मिला हो. वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! लेकिन चुकि राष्ट्रवादी धर्म के ऊपर होते है और राष्ट्रहित से लबरेज़ रहते हैं. इसीलिए उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया.

    क्या आप किसी ऐसे मुसलमान को जानते हो जो इस्लाम धर्म में रहते हुए स्वयं को "काफ़िर" घोषित कर चुका हो? वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

    काफ़िर का मतलब क्या होता है?
    काफ़िर उसे कहते हैं जो ईश्वर के अस्तित्व को सिरे से इनकार कर दे. अंग्रेजी में नॉन-मुस्लिम कहते हैं!

    सभी राष्ट्रवादी ब्लॉगर से अनुरोध है कि फ़िरदौस जी के विचारों का साथ दें!

    जय हिंद! जय भारत !! जय राष्ट्रवाद !!!

    http://laraibhaqbat.blogspot.com/2010/05/blog-post_21.html

    ReplyDelete
  3. क्या आप एक भी ऐसे मुसलमान को जानते हैं जो पहले इस्लाम पर लिखता हो, बल्कि ब्लॉग-जगत के कथित "विश्व के प्रथम एवम एकमात्र इस्लाम धर्म के चिट्ठे" का सक्रिय सदस्य हो और फ़िर कूप-मंदूप्ता से निजात पाई हो, वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

    क्या आप किसी ऐसे मुस्लिम को जानते हैं जो इस्लाम धर्म में घुटन महसूस करता हो और हिन्दू धर्म अपनाने का उसे न्योता मिला हो. वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! लेकिन चुकि राष्ट्रवादी धर्म के ऊपर होते है और राष्ट्रहित से लबरेज़ रहते हैं. इसीलिए उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया.

    क्या आप किसी ऐसे मुसलमान को जानते हो जो इस्लाम धर्म में रहते हुए स्वयं को "काफ़िर" घोषित कर चुका हो? वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

    ReplyDelete
  4. @एजाज़ भाई ! बहन फ़िरदौस जो चाहे करें आप छोड़िए उन्हें उनके हाल पर । हमें उम्मीद है कि अगर आज वे खुद को राधा कह रही हैं तो एक दिन वे सीता भी बनने की कोशिश करेंगी और सीता जी को मैंने हमेशा माता कहा है और तब मैं फिरदौस जी को भी इसी इज़्ज़त वाले लक़ब से खि़ताब करूंगा । फ़िलहाल तो आप मेरी पोस्ट से संबंधित कमेन्ट करके अपाहिज भ्रूणों का जीवन बचाने में मदद कीजिये ।

    ReplyDelete
  5. वेद में केवल जीव का वर्णन आया है अपाहिज भ्रूण का नहीं । हत्या जघन्य अपराध है । तुम जो मुरगे हलाल करते हो उनको जीव नहीं मानते क्या ? तुम खा जाओ पूरा बकरा और तुमसे मारा न जाय एक भ्रूण , आश्चर्यजनक !

    ReplyDelete
  6. परम आर्य जी ! ओछी हरकत की है आपने । यह पोस्ट मांसाहार के विषय पर नहीं है और न ही जीव हत्या के विषय पर है । आप भी तो चिता पर मुर्दा जलाते हो और उस समय मुर्दे के शरीर में अनगिनत जीव होते हैं जिन्हें आप जला डालते हैं । शिकार की घटनाएं तो खुद पुराणों में भी हैं ... लेकिन आज की पोस्ट का विषय जो है आप उसपर खुद को केन्द्रित करें ।

    ReplyDelete
  7. भाइयो, आप सभी को एक अन्यंत दुःख देने वाली घटना का साझीदार बना रहा हूँ . एम्स के प्रसूती विभागकी की डॉ अंजली खेडा के परामर्श अनुसार बच्चे को जन्म देने से माँ की जान को ख़तरा है. बहुत सोच समझ कर मैंने गर्भ समापन कराने का निर्णय लिया है, बाकी अल्लाह के हाथ में है. आप सभी दुआ करें और मैं भी दुआ कर रहा हूँ. कुछ महीनो के किये ब्लॉग जगत से दूर रहूँगा.

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. बड़ा दुख तो इस नीच इन्सान पर है जिसने मेरा फ़ोटो लगाकर मेरे ही नाम से ऐसा भददा कमेन्ट किया कि मैं एबॉर्शन करा रहा हूं । इतना बड़ा झूठ मेरे नाम से बोलकर न सिर्फ़ इसने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की बल्कि अपाहिज भ्रूणों की हिफ़ाज़त में चलाई जा रही मेरी मुहिम के प्रभाव को भी नष्ट करने की कोशिश की । दिल में तो आया कि मैं कहूं कि जैसा बच्चा मेरे घर में पैदा होने जा रहा है वैसा ही तेरे घर भी पैदा हो तब शायद तू इस दर्द और तड़प को समझे लेकिन इस्लाम में बददुआ देना मना है सो मैं रूक गया । मैं इस आदमी की हिदायत के लिए मालिक से दुआ करूंगा और आप भी करें और बताएं कि अगर कैसे लोगों को कन्फ़यूज़न से बचाया जाए ?

    ReplyDelete
  10. जमाल साहब, एक बिल्कुल सीधा साधा सा सवाल करना चाहता हूँ.आशा है आप जवाब देकर मन की जिज्ञासा को शान्त करेंगें....
    सवाल ये है कि इस सम्पूर्ण कायनात को बनाने वाला अल्लाह/ईश्वर/परमेश्वर/गोड है...लेकिन "शैतान" की रचना करने वाला कौन है ? क्या उसका सृ्जन भी अल्लाह द्वारा ही किया गया है या फिर किसी अन्य शक्ति द्वारा...

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  12. अजीब कन्फ्यूजन है जमाल साहब. पहले इस पोस्ट से सम्बंधित कमेन्ट डालते-डालते आपका एक कमेन्ट आगया. फिर दूसरी बात रखने कि कोशिश कि तो अलग ही बयान है. समझ नहीं पा रहा हूँ.

    वैसे आपके मेल तक मेरी भावनाए पहुँच चुकी होगी, ईश्वर आपको हर परिस्थिति में संबल प्रदान करे .

    ReplyDelete
  13. क्या कमेन्ट करू कुछ समझ में नहीं आता है,आपको अगर मेरी किसी भी प्रकार से सहायता की जरूरत हो तो बताइयेगा /

    ReplyDelete
  14. nice अच्‍छा पैगाम post

    ReplyDelete
  15. अरे यहाँ तो जाली अनवर जमाल भी है

    ReplyDelete
  16. @अमित जी पोस्ट के समर्थन मे लिखा गया कमेँट ही अनवर साहब का है दूसरा कमेँट किसी फर्जी व्यक्ति ने किया है।

    ReplyDelete
  17. @EJAZ AHMAD IDREESI,

    व्यक्तिगत तौर पर आप किसी पर कीचड़ नहीं उछाल सकते भले ही वह किसी भी दशा में हो. हम और हमारी अन्जुमन के सभी सम्मानित सदस्य चाहते हैं कि आप अपनी बेहूदगी भरी और ग़ैर-इस्लामिक बातों पर तुरंत विराम लगायें.

    ReplyDelete
  18. जमाल व सलीम खान साहब फिरदौस बहन की स्‍टार न्‍यूज सर्विस पर मेरी पोस्‍ट आयी है देखें आपको बेहद खुशी होगी ऐसी उम्‍मीद है

    पुरातत्वेत्ताओं ने खोजी नूह की कश्ती
    http://www.starnewsagency.in/2009/10/blog-post_1809.html

    ReplyDelete
  19. लारैब ने बहन भाईयों में बहुत दूरी कर दी है, जमाल साहब इसके लिये हमें सोचना चाहिये

    आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी फिरदौस जी अब सभी के कमेंटस पब्लिश किया करेंगी वह आज किसी एक मोमिन की पोस्‍ट पढने के इन्‍तजार में हैं जो खुद को मोमिन समझते हैं उन्‍हें जरूर पढनी चाहिये

    ऐ अल्लाह के रसूल! क्या यही है तेरा इस्लाम...?
    http://firdaus-firdaus.blogspot.com/2010/05/blog-post_22.html

    ReplyDelete
  20. नीचता की हद देखिये, ये नामाकूल नकली प्रोफाइल-धारी मुझे नकली बता रहा है, शायद इसे पता नहीं की मैं किस मनोद्वंद से गुज़र रहा हूँ. मैं abortion इसलिए करवा रहा हूँ कि जन्म देने से मेरी पत्नी की जान को खतरा है...मैं अब भी विकलांग-भ्रूण-ह्त्या के पक्ष में नहीं हूँ..

    ReplyDelete
  21. डा. साहब, बेहतर यही है की आप Name/URL तथा Anonymous का आप्शन हटा दें. इन आप्शंस ने पहले भी बहुत गलतफहमियां पैदा की हैं.

    ReplyDelete
  22. ज़ीशान भाई ये ऊपर वाला कमेँट फर्जी ही है प्रोफाइल मे जाकर चेक किया जा सकता है ये इस तरह के कमेँट और भी कई जगह करके आया है पर सब जगह हमने इसका भाँडा फोड़ दिया

    ReplyDelete
  23. Request as a order बहन फ़िरदौस की ख़ातिर भाई एजाज़ इदरीसी से एक पठानी विनती
    बहन फ़िरदौस साहिबा ! आप एक आला तालीमयाफ़्ता ख़ातून हैं । आपने एजाज़ की पोस्ट से आहत होकर अपने ब्लॉग के साथ ज़्यादती कर डाली । आपके अमल से आपकी हस्सासियत ए तबअ और नज़ाकत ए क़ल्ब का पता चलता है । आपके दुख से हम भी बहुत दुखी हैं । हम आपकी भी क़द्र करते हैं और आपके हक़ ए आज़ादी ए इज़्हारे ख़याल की भी । जब कभी आपको ज़रूरत पड़ेगी , यह बन्दा ए मोमिन आपके साथ होगा । हम आपके पुकारने की भी इन्तेज़ार न करेंगे । आपके लिए हमारा मश्विरा एक शेर की शक्ल में है -
    आंसुओं की शमशीरों से ये जंग न जीती जाएगी
    लफ़्ज़ ए मुजाहिद लिखना होगा झंडों पर दस्तारों पर
    शब्दार्थ - अश्क - आंसू , शमशीर - तलवार ,
    मुजाहिद - सत्य के लिए जानतोड़ संघर्ष करने वाला , दस्तार - पगड़ी
    भाई एजाज़ साहब के लिए एक फ़रमान बशक्ले इल्तेजा यह है कि आइन्दा आप बहन फ़िरदौस के बारे में ख़ामोशी इख्तियार करें या फिर उनका तज़्करा ख़ैर के साथ करें । उनके साथ गुफ़्त ओ शुनीद के लिए हम लखनवी अख्लाक़ से मुज़य्यन जनाब सलीम ख़ान साहब को काफ़ी समझते हैं । कोई भी एजाज़ लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी और हमारी मुश्तरका इज़्ज़त को मजरूह करने का मजाज़ हरगिज़ हरगिज़ नहीं है ।
    जय हिन्द , वन्दे ईश्वरम्

    ReplyDelete
  24. @ वत्स जी ! हरेक चीज़ का रचयिता एक परमेश्वर है ।
    @ भाई अमित जी ! आपके द्वारा पुराण वचनों का संकलन वाक़ई क़ाबिले दीद है । मैं चाहूंगा कि आप उसे संपादित करके पुनः प्रकाशित करें । इससे इसलाम और वैदिक धर्म के आध्यात्मिक एकत्व का भी बोध होगा और विश्वासी जनों को पाप से बचने की प्रेरणा भी मिलेगी ।
    @ डा. अयाज़ साहब और सभी भाइयों का मैं आभारी हूं जिन्होंने इस दुर्जन बहुरूपिए का बरवक्त पर्दा चाक कर दिया ।

    ReplyDelete