
यह घिनौना जुर्म आज का सभ्य समाज अंजाम दे रहा है । लोग दुनिया के स्टैण्डर्ड और स्टेटस की ख़ातिर अपने ही हाथों अपने बच्चों को मार कर आधुनिक बनकर विदेशी धुनों पर थिरक रहे हैं । अगर इन्हें इनके पैदा करने वाले दयालु मालिक का कोई वचन सुनाकर नेकी की तालीम दी जाती है तो ये उस आदमी की अक्ल पर तरस खाते हुए सोचते हैं कि यह बेचारा वक्त के साथ न चल सका । ख़ैर मैंने डाक्टर साहिबा की सलाह रद्द कर दी और अपने ज़मीर से फ़त्वा लिया और फिर
‘अगर अब भी न जागे तो‘ के लेखक महोदय से भी दीनी हुक्म मालूम किया तो वहां से भी मेरे ज़मीर की ही तस्दीक़ हुई ।मेरी वाइफ़ के गर्भ में बच्चा बिना किसी मूवमेंट के पिछले 7 महीनों से पड़ा था । मैंने वैद्य जी नरेश गिरी को अपने घर पर आने के लिए कहा ।
वैद्य जी आयुर्वेद में सिद्धहस्त हैं । उनसे मेरे 7 साल पुराने संबंध हैं । वे एक पौराणिक मान्यताओं में जीने वाले सरल स्वभाव के इनसान हैं । मैं जिन बातों को धर्म के विरूद्ध और आडम्बर मानता हूं उनपर उनको हमेशा टोकता हूं । पहले पहल तो उन्हें काफ़ी नागवार लगा लेकिन अब वे मेरी बात पर प्रतिक्रियास्वरूप सिर्फ़ मुस्कुराते हैं । बहरहाल मान्यताओं का अन्तर और टोकाटाकी हमारे दरम्यान कभी दीवार नहीं बना क्योंकि हमारी बातचीत की बुनियाद हमेशा मुहब्बत ही रही है । मेरे बुलाने पर वे आये और नब्ज़ देखकर उन्होंने ‘गर्भचिन्तामणि रस‘ और ‘सारिवाद्यासव‘ प्रेस्क्राइब किया ।
इनके सेवन से बच्चे ने अगले ही दिन गर्भ में मूवमेंट करना आरम्भ कर दिया ।
यह आयुर्वेद का एक चमत्कार है , हमारे पूर्वजों की महानता का जीता जागता सुबूत है । यह हिन्दू-मुसलिम प्रेम और सहयोग की मिसाल है । यह वाक़या भारत के अद्भुत रंग रूप से भी परिचय कराता है । जो काम एक वैल सर्टिफ़ाइड ऐलोपैथ के लिए संभव न हो सका उसे उस आदमी ने कर दिखाया जिसे सरकारी काग़ज़ों में ‘झोलाछाप‘ कहा जाता है ।
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अपने वक़्त पर एक नन्ही सी बच्ची ने जन्म लिया. उसकी कमर पर एक बड़ा सा फोड़ा था . 'स्पाइना बिफिडा' इस बीमारी का नाम है.
एक महीने से भी कम वह ज़िंदा रही और फिर वह जन्नत का फूल बन गयी. उसकी मौत पर हिंदी ब्लॉग जगत ने हमें जज्बाती सहारा भी दिया और दुआ देने वालों ने दुआएं भी दीं .
(यह अंश आज 20 मार्च 2011 को बढाया गया)
अपने अपाहिज होने का ज़िम्मेदार गर्भ में पलने वाला मासूम बच्चा तो नहीं है न , तो फिर उसे किस जुर्म के बदले में क़त्ल किया जाता है ?
ReplyDeleteयह घिनौना जुर्म आज का सभ्य समाज अंजाम दे रहा है ।
यह वाक़या भारत के अद्भुत रंग रूप से भी परिचय कराता है । जो काम एक वैल सर्टिफ़ाइड ऐलोपैथ के लिए संभव न हो सका उसे उस आदमी ने कर दिखाया जिसे सरकारी काग़ज़ों में ‘झोलाछाप‘ कहा जाता है ।
ReplyDeleteयह आयुर्वेद का एक चमत्कार है
ReplyDelete@ Dr. sahib ! Hosla rakehn kyonki
ReplyDeleteनेकी और बदी की जंग शुरू से ही जारी है ।
@ गुलशन भाई ! अल्लाह पर भरोसा है और वही करसाज़ है .
ReplyDeleteNice Post .
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट
ReplyDeleteहक पर डटे रहे अनवर साहब।
ReplyDeleteहक साहब स्पेलिँग सही कीजिए
ReplyDelete@man जी आप पिछली पोस्ट पर सिर्फ सलाह देकर निकल गए पोस्ट पर विचार तो व्यक्त करते कि कमेँट पर पोस्ट कैसी लिखी गई है।
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteजनाब डा० अनवर साहब, आप जिस होसले और हिम्मत से काम ले रहे हैं, वो वाक़ई क़ाबिले तारीफ है, अल्लाह आपको इस सब्र का अज्र देगा.
ReplyDeleteमेरे लायक़ कभी कोई खिदमत हो तो हुक्म कीजिएगा .
आपसे इक दरख़्वास्त है ये बेनामी कमेंट का ख़ाना बंद कर दें.
जो काम एक वैल सर्टिफ़ाइड ऐलोपैथ के लिए संभव न हो सका उसे उस आदमी ने कर दिखाया जिसे सरकारी काग़ज़ों में ‘झोलाछाप‘ कहा जाता है ।
ReplyDeleteलोग दुनिया के स्टैण्डर्ड और स्टेटस की ख़ातिर अपने ही हाथों अपने बच्चों को मार कर आधुनिक बनकर विदेशी धुनों पर थिरक रहे हैं । अगर इन्हें इनके पैदा करने वाले दयालु मालिक का कोई वचन सुनाकर नेकी की तालीम दी जाती है तो ये उस आदमी की अक्ल पर तरस खाते हुए सोचते हैं कि यह बेचारा वक्त के साथ न चल सका......
ReplyDeleteडा. मीनाक्षी राना जैसे डाक्टरों की सलाह मानकर कितने ही लोग अपने होने वाले बच्चों को मात्र इस कारण से मार डालते हैं कि वे अपाहिज क्यों हैं ?अपने अपाहिज होने का ज़िम्मेदार गर्भ में पलने वाला मासूम बच्चा तो नहीं है न , तो फिर उसे किस जुर्म के बदले में क़त्ल किया जाता है ?
ReplyDelete‘अगर अब भी न जागे तो‘ के लेखक महोदय से भी दीनी हुक्म मालूम किया तो वहां से भी मेरे ज़मीर की ही तस्दीक़ हुई ।मेरी वाइफ़ के गर्भ में बच्चा बिना किसी मूवमेंट के पिछले 7 महीनों से पड़ा था । मैंने वैद्य जी नरेश गिरी को अपने घर पर आने के लिए कहा ।
ReplyDeleteवैद्य जी आयुर्वेद में सिद्धहस्त हैं । उनसे मेरे 7 साल पुराने संबंध हैं । वे एक पौराणिक मान्यताओं में जीने वाले सरल स्वभाव के इनसान हैं । मैं जिन बातों को धर्म के विरूद्ध और आडम्बर मानता हूं उनपर उनको हमेशा टोकता हूं । पहले पहल तो उन्हें काफ़ी नागवार लगा लेकिन अब वे मेरी बात पर प्रतिक्रियास्वरूप सिर्फ़ मुस्कुराते हैं । बहरहाल मान्यताओं का अन्तर और टोकाटाकी हमारे दरम्यान कभी दीवार नहीं बना क्योंकि हमारी बातचीत की बुनियाद हमेशा मुहब्बत ही रही है । मेरे बुलाने पर वे आये और नब्ज़ देखकर उन्होंने ‘गर्भचिन्तामणि रस‘ और ‘सारिवाद्यासव‘ प्रेस्क्राइब किया ।ayurved aur unani to kamal ki paithi hai
ReplyDeleteabey apne aap hi cooment kiye ja rahe ho
ReplyDeleteबहुत बख्शा है ज़िन्दगी में हमें,
ReplyDeleteकुछ तो उसके लिए जमा कीजे.
ज़िक्रे अल्लाह में ज़िन्दगी बीते,
आप मेरे लिए दुआ कीजे
nice post
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट लिखी हे डॉ. आप ने ,आयुर्वेद के हजारो वर्षो के शोध को ये कह के नहीं झूट्लाया जा सकता हे की ये पुराना हे|आयुर्वेद में अस्सध्य रोगों की दवाये मोजूद हे तथा कथित आधुनिक उसे हजारो वर्ष से जुड़ा होने के कारन अपनाने में हीच किचाहट करते हे |ऐलोपथिक को ज्यादा अपनाते हे जिसमे साइड इफ्फेक्ट ज्यदाहोते हे |
ReplyDeleteअनवर भाई, इंशाल्लाह अल्लाह बच्चे को सेहत और तंदरुस्ती अता फरमाएगा. अमीन.
ReplyDeleteदुआओं का असर ज़ाया नहीं होगा. इंशा अल्लाह!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete@MANजी हम तो पहले ही कहते थे अनवर साहब सिर्फ कुरितीयो का विरोध करते है
ReplyDeletenice post
ReplyDeletegood article
ReplyDeleteNice Post
ReplyDeleteदेखिये डॉ अनवर जमाल जी
ReplyDeleteआप या आपके नाम का इस्तेमाल कर के जो भी कोई व्यक्ति मेरे ब्लॉग पर अश्लील टिप्पड़ियाँ दे रहा है, मुझे उससे घोर ऐतराज़ है. और मुझे शक है कि ये काम या तो आप स्वयं या आपकी "जेहदिस्ट-पार्टी" के ही सदस्य कर रहे हैं. कृपया ध्यान दे. इस तरह की कोई भी हरकत एक तो नैतिक तौर पे गलत है, और दूसरे हिंदी-ब्लॉग-जगत के लिए आत्मघाती भी है.
कृपया ध्यान दें.
ज़ीशान भाई और भाई सहसपुरिया !
ReplyDelete1-नेम और यू आर एल का आप्शन बन्द करके भला क्या फ़ायदा होगा ? ग़लत लोग तो बाक़ायदा ब्लॉग बनाकर टिप्पणियां करते हैं । हर हर महादेव , नन्दू गुजराती , फ़ौज़िया शर्मा , नितिन त्यागी , भरत भारती , परम आर्य , बरसाती लाल और भी न जाने कितने ही लोग बाक़ायदा ब्लॉग बनाकर आ धमकते हैं । जब मैं इन्हें नहीं रोक सकता तो बेचारे दूसरे लोगों का हक़ क्यों तल्फ़ करूं ?
2-किसान को पाक पानी के साथ साथ अच्छी फ़सल उगाने के लिए नापाक गोबर की भी ज़रूरत पड़ती है । मैं जिन सत्य विचार बीजों को ब्लॉगर्स के मन में रोप रहा हूं उनके लिए यह सब खाद की तरह काम करते हैं ।
3- इनकी वजह से नाटकीयता और रोचकता बनी रहती है वर्ना ब्लॉगिंग बोर कर्म बनकर रह जाएगी ।
4- इन बेचारों के मन की भड़ास निकल जाती है और यह कुछ सुनने समझने के लायक़ बन जाते हैं । अगर मैं भी इनकी बकवास सुनने से इन्कार कर दूं तो फिर ये अपना दिल कहां हल्का करेंगे ?
5- एक वक्त वह भी आएगा जब ये मेरे लिए ढाल बनेंगे ।
मैं तो चीज़ों को अल्लाह की देन मानकर शुक्र अदा करता हूं ।
बाद ए मुख़ालिफ़ से न घबरा ऐ अक़ाब
ये हवाएं तुझे उंचा उठाने के लिए हैं
आप सभी से दुआ की दरख्वास्त है
मिस्टर मराठी ! आप भी अच्छी तरह जान लीजिये मैं इतना हौसला रखता हूं कि जिसे गालियां देना चाहूं अपने नाम से दे सकूं । आपके ब्लॉग पर जिसने भी यह घटिया हरकत की है उसने अपनी नीचता का ही परिचय दिया है । मेरे ब्लॉग पर तो काबा तक को गालियां दी गई हैं और देने वाला कोई और नहीं बल्कि ‘हर हर महादेव‘ ब्लॉग का स्वामी है जोकि आजकल मान बनकर एंज्वाय कर रहा है । मुझे शक है कि यह घटिया हरकत भी इसी आर्यसमाजीनुमा शूद्र या आपकी तरह के जाली राष्ट्रवादी की है । आप इस पर क़ानूनी कार्यवाही करें ताकि बाद जांच असली मुजरिम सामने आ जाये , और हां अपनी उस नीचता को मत भूल जाना जो आपने चमुपति बनकर मेरे ब्लॉग पर की थी और उसकी शिकायत मैंेने आजतक आपसे नहीं की । अपना ज़र्फ़ देखो और हमारा भी देखो और फिर खुद को बुलन्द करने की कोशिश करो । इस ब्लागिंग की दुनिया में चिड़िया का दिल लेकर कैसे जी पाओगे ?
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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DR. ANWER JAMAL जी की नकली ब्लॉगर प्रोफाइल से पहले कमेंट किये जा रहे थे, आज की पोस्ट पर Suresh Chiplunkar जी की नकली ब्लॉगर प्रोफाइल से कमेंट नं २९ हुआ है और असली DR. ANWER JAMAL साहब भड़के हुऐ हैं... क्या खेल है यह भाई...क्यों किया जा रहा है... मेरा तो सर चकराने लगा है... पानी !!!.....
प्रवीण जी ! थैंक्यू । रियली यू आर ग्रेट । आपने ऐन टाइम पर सही बात सामने रख दी । आप इस दुर्जन का पता निकालिए । यह वाक़ई हद है ।
ReplyDeleteJAB GOD, KHUDA, ISWAR, PARMESWAR, RAM, YOHABA, ETC. EK ISWAR KE ANEK NAME HAI TO KYO ADHIKANSH MUSLMAN KYO MANTE HAI KI ALLAH AUR ISWAR DO ALAG HAI. EK MAULAN NE KAHA KI "ALLAH SIRF ARBI ME PRAYER KAREGE TO USKE PASS PAHUCHEGA, HINDI ME KAREGE TO USKE SAMAGH NAHI PAYEGA. VED, QURAN PADHANA BEKAR HAI, JAB ASLI BAT LOG NAHI SAMGHATE. MUGHE LAGATA HAI AAP BHI USE ME SE HAI.
ReplyDeleteडॉ.साहब आपकी हर बात और कदम इस सम्बन्ध में सराहनीय और इंसानियत के लिए प्रेरणा ही कहा जायेगा .आपके इस दुःख के घडी में हम सभी आपके साथ हैं और आपकी जिंदादिली के लिए आपके प्रशंसक भी .
ReplyDelete@ शालिनी जी! आपका शुक्रिया ।
ReplyDeleteहालात ज़ख़्म देते हैं तो अल्फ़ाज़ का मरहम दोस्त ही लगाते हैं ।
ati uttam post ...logo ko jagruk karne wali post hain ...kisi ko kisi ka hatya karne ak koi adhikar nahi hain ............ishwar mahan hain .us pramatma ko sat sat pranam hain .....
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