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Wednesday, May 12, 2010

ईशवाणी हमारे कल्याण के लिए अवतरित की गई है , यदि इस पर ध्यानपूर्वक चिंतन और व्यवहार किया जाए तो यह नफ़रत और तबाही के हरेक कारण को मिटाने में सक्षम है ।


वेद

समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः

मैं तुम सबको समान मन्त्र से अभिमन्त्रित करता हूं ।

ऋग्वेद , 10-191-3

कुरआन

कु़ल या अहलल किताबि तआलौ इला कलिमतिन सवाइम्-बयनना व बयनकुम

तुम कहो कि हे पूर्व ग्रन्थ वालों ! हमारे और तुम्हारे बीच जो समान मन्त्र हैं , उसकी ओर आओ ।

पवित्र कुरआन , 3-64 - शांति पैग़ाम , पृष्ठ 2 , अनुवादकगण : स्वर्गीय आचार्य विष्णुदेव पंडित , अहमदाबाद , आचार्य डा. राजेन्द प्रसाद मिश्र , राजस्थान , सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ , रामपुर

एक ब्रह्मवाक्य भी जीवन को दिशा देने और सच्ची मंज़िल तक पहुंचाने के लिए काफ़ी है ।

जो भी आदमी धर्म में विश्वास रखता है , वह यक़ीनी तौर पर ईश्वर पर भी विश्वास रखता है । वह किसी न किसी ईश्वरीय व्यवस्था में भी विश्वास रखता है । ईश्वरीय व्यवस्था में विश्वास रखने के बावजूद उसे भुलाकर जीवन गुज़ारने को आस्तिकता नहीं कहा जा सकता है । ईश्वर पूर्ण समर्पण चाहता है । कौन व्यक्ति उसके प्रति किस दर्जे समर्पित है , यह तय होगा उसके ‘कर्म‘ से , कि उसका कर्म ईश्वरीय व्यवस्था के कितना अनुकूल है ?

इस धरती और आकाश का और सारी चीज़ों का मालिक वही पालनहार है ।

हम उसी के राज्य के निवासी हैं । सच्चा राजा वही है । सारी प्रकृति उसी के अधीन है और उसके नियमों का पालन करती है । मनुष्य को भी अपने विवेक का सही इस्तेमाल करना चाहिये और उस सर्वशक्तिमान के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिये ताकि हम उसके दण्डनीय न हों । वास्तव में तो ईश्वर एक ही है और उसका धर्म भी , लेकिन अलग अलग काल में अलग अलग भाषाओं में प्रकाशित ईशवाणी के नवीन और प्राचीन संस्करणों में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को चाहिये कि अपने और सबके कल्याण के लिए उन बातों आचरण में लाने पर बल दिया जाए जो समान हैं । ईशवाणी हमारे कल्याण के लिए अवतरित की गई है , यदि इस पर ध्यानपूर्वक चिंतन और व्यवहार किया जाए तो यह नफ़रत और तबाही के हरेक कारण को मिटाने में सक्षम है ।
आज की पोस्ट भाई अमित की इच्छा का आदर और उनसे किये गये अपने वादे को पूरा करने के उद्देश्य से लिखी गई है । उन्होंने मुझसे आग्रह किया था कि मैं वेद और कुरआन में समानता पर लेख लिखूं । मैंने अपना वादा पूरा किया । उम्मीद है कि लेख उन्हें और सभी प्रबुद्ध पाठकों को पसन्द आएगा ।
Photo- S. Abdullah Tariq in white dress

27 comments:

  1. नफ़रत में डूबकर आदमी ग़लत काम कर तो देता है लेकिन जब उसपर सत्य प्रकट होता है तो फिर उसे अहसास होता है कि जिसे वह धर्म की सेवा समझ रहा था , वास्तव में वह तो अधर्म था ।

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  2. हम भी खुश तुम भी खुश

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  3. ध्यानपूर्वक चिंतन और व्यवहार किया जाए तो यह नफ़रत और तबाही के हरेक कारण को मिटाने में सक्षम है ।

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  4. वाह गुरू जी आज तो आपने अपने गुरू जी सैयद अब्‍दल्‍लाह तारिक जी को भी ब्‍लाग में दिखा दिया,उनकी किताब 'अगर अब भी न जागे तो' और 'वेद कुरआन कितने दूर कितने पास' लाजवाब है

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  5. अनवर भाई आपने वेद कुरआन नाम को फिर सिद्ध कर दिया इस तरह की पोस्ट हर बार की तरह भाईचारे को ही बढ़ावा देगी

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  6. @नितिन त्यागी पिछली पोस्ट पर क्या रहस्य खोलने जा रहे थे?

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  7. आज की पोस्ट भाई अमित की इच्छा का आदर और उनसे किये गये अपने वादे को पूरा करने के उद्देश्य से लिखी गई है । उन्होंने मुझसे आग्रह किया था कि मैं वेद और कुरआन में समानता पर लेख लिखूं । मैंने अपना वादा पूरा किया । उम्मीद है कि लेख उन्हें और सभी प्रबुद्ध पाठकों को पसन्द आएगा ।

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  8. सिद्ध हो चुका है कि कुरान आतंकवाद का मैनिफेस्टो है। जब तक यह दुनिया से नहीँ हटेगा, आतंकवाद भी बना रहेगा।

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  9. अनवर भाई, आज की आपकी पोस्ट ज़बरदस्त है! अगर इसी तरह आपसी भाईचारे को बढाने वाली बातें लिखोगे तो पुरे समाज का भला होगा. आपकी यह पोस्ट पढ़ कर दिल खुश हो गया.

    "नफ़रत में डूबकर आदमी ग़लत काम कर तो देता है लेकिन जब उसपर सत्य प्रकट होता है तो फिर उसे अहसास होता है कि जिसे वह धर्म की सेवा समझ रहा था , वास्तव में वह तो अधर्म था ।"

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  10. "जो भी आदमी धर्म में विश्वास रखता है , वह यक़ीनी तौर पर ईश्वर पर भी विश्वास रखता है । वह किसी न किसी ईश्वरीय व्यवस्था में भी विश्वास रखता है । ईश्वरीय व्यवस्था में विश्वास रखने के बावजूद उसे भुलाकर जीवन गुज़ारने को आस्तिकता नहीं कहा जा सकता है । ईश्वर पूर्ण समर्पण चाहता है । कौन व्यक्ति उसके प्रति किस दर्जे समर्पित है , यह तय होगा उसके ‘कर्म‘ से , कि उसका कर्म ईश्वरीय व्यवस्था के कितना अनुकूल है ?"

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  11. anvar ji tum bhi ajeeb insan ho kabhi vedon men samanta doondte ho kabhi unhen gaali dete ho

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  12. ध्यानपूर्वक चिंतन और व्यवहार किया जाए तो यह नफ़रत और तबाही के हरेक कारण को मिटाने में सक्षम है ।
    सबसे एक सामान व्यवहार करना जरुरी है सिर्फ इंसान बनकर.
    Good Post!

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  13. @अनुनाद सिंह जी आतंकवाद फैलाने के जिम्मेदार कौन है ये अनवर साहब अपनी पिछली पोस्टो मे बखूबी बता चुके है जरा ध्यान से पढ़े और फिर खुद फैसला करे पर पक्षपात ने करे पूरी ईमानदारी से वाद विवाद करे ईमानदारी कैसे आएगी ये भी अनवर साहब ने लिखा हुआ है

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  14. @गिरी जी man जी कल की पोस्ट पर आपने अच्छे कमेँटस दिए धन्यवाद । पर गिरी जी आप कमेँट रोमन मे कर रहे है अगर आप हिंदी मे कमेँट नही कर पा रहे तो अनवर साहब के इसी ब्लाग पर लगे गुगल टूल से रोमन मे टाइप करे वह स्वयं ही हिंदी मे बदल देगा

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  15. R.S.S.के.सी. सुदरशन ने पिछले दिनो लखनऊ मे मौलाना हमीद हसन के निवास पर पत्रकारो से बातचीत करते हुए बयान दिया था कि इस्लाम का तो मतलब ही शांति है और क़ुरआन इसका मैनिफेस्टो है। फिर आप इतने बड़े ब्लागर होकर उल्टी बात क्यो कर रहे

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  16. अनवर साहब मै ब्लागजगत मे पहली बार किसी से सहमत हुआ हूँ वो भी आपकी पोस्ट से

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  17. डॉ. पोस्ट बढ़िया हे ,ऐसी अछी पोस्ट लिखते रहे ,

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  18. Bahut hi achha likha hai aapne Dr. Anwar Jamal Sahab. Mai to apka mureed ho gaya hu.......

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  19. तुम लोगो के ब्लॉग पे कोई भी ब्लोगर आके नहीं झांकता है.
    तुम लोग ही आपस में कोमेंन्त करते रहते हो वोह भी एक एक जना ही कई कई कमेन्ट डालता है क्यों करो बिचारे तुम लोग और कोई रास्ता भी नहीं है ब्लॉग पे कमेन्ट की कमी पूरी करने का :)

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  20. @अनुनाद सिंह जी ! ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे‘ की कहावत को आपने आज चरितार्थ कर दिखाया , इसके लिए धन्यवाद । आपके लिए मेरे ये चन्द शब्द काफ़ी होंगे ।
    @सतीश जी और अविनाश वाचस्पति जी ! देख लीजिये आपके सद्भावना प्रयास में पलीता लगाने वाले बड़े आदमी के छोटे से हाथ लेकिन अपुन भी कुछ कुछ ऐसे लोगों के कमेन्ट्स का आदी हो गएला है ।

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  21. sochi samji ( mind wash) Zakir naiki post

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