अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाह अलैह की नज़्म ‘राम‘ पर मैंने अपने कुछ ख़यालात पेश किए थे। अल्लामा की नज़्म की व्याख्या में प्रोफ़ेसर यूसुफ़ सलीम चिश्ती साहब ने भी बहुत अच्छे ख़यालात का इज़्हार किया है- हिन्दुस्तान का जाम ‘शराबे हक़ीक़त‘ से लबरेज़ है, इसका मतलब है यह है कि हिन्दुस्तान के तत्वदर्शियों ने ‘सत्य की खोज‘ में बड़ी माअरकतुल आरा बहसें की हैं।
खि़त्ता ए मग़रिब से यूरोप मुराद है। वाज़ह हो कि यूरोप के फ़लसफ़ियों ने हिन्दुस्तान के फ़लसफ़े के मुख्तलिफ़ मदारिस से जिन्हें इस्तलाह में ‘दर्शन‘ कहते हैं, बहुत कुछ इस्तफ़ादह किया है और यहां के पुराने फ़लसफ़ियों की मन्तक़ी मूशगाफ़ियों का ऐतराफ़ किया है। मेरे ख़याल में ‘सत्य‘ विषयक बहसों में हिन्दी फ़लसफ़ियों ने बड़ी परिपक्व दृष्टि का सुबूत दिया है। चुनांचे यूरोप के फ़लसफ़ियों ने अभी तक कोई ऐसा फ़लसफ़ियाना नज़रिया पेश नहीं किया है जिसे हिन्दुस्तानी फ़लसफ़ियों ने किसी न किसी रंग में उससे पहले पेश न कर दिया हो। यही वजह है कि अल्लामा इक़बाल ने जो खुद भी एक ऊंचे दर्जे के फ़लसफ़ी थे और बक़ौल आरनॉल्ड पूर्व और पश्चिम के तमाम दार्शनिक चिंतन धाराओं पर गहरी नज़र रखते थे। हिन्दुस्तानी फ़लसफ़े की अज़्मत का इस शेर में ऐतराफ़ किया है।
‘राम ए हिन्द‘-राम में हक़ीक़त ए इब्हाम है क्योंकि इसके दो अर्थ हैं-
1. राम को संस्कृत का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो यह एक शख्स का नाम है।
2. राम को फ़ारसी का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो उसका अर्थ है ‘अधीन‘, ‘फ़रमांबरदार‘ यानि यूरोप के सारे दार्शनिक हिन्दुस्तानी फ़लसफ़े के प्रशंसक हैं। फ़िक्र ए फ़लक रस- आसमान तक पहुंचने की कूव्वत रखने वाली चिंतन शक्ति। स्पष्ट रहे कि ‘फ़िक्र‘ वह कूव्वत है जिसकी बदौलत इन्सान फ़लसफ़ियाना और मन्तक़ी मसाएल में ग़ौर व फ़िक्र कर सकता है। मलक ए सरिश्त- ऐसे नेक लोग जो फ़रिश्तों की तरह पाकीज़ा चरित्र रखते थे। अहले नज़र- अरबाब ए अक़्ल। ऐजाज़- मौजज़ा। राम को इक़बाल ने चराग़ ए हिदायत इसलिए कहा है कि उन्होंने हिन्दुस्तानियों को खुदापरस्ती सिखाई। धनी था यानि तलवारबाज़ी में माहिर था। फ़र्द यानि कि यकता।
तब्सरा- इक़बाल ने इस नज़्म में श्री रामचन्द्र जी की खि़दमत में खि़राजे तहसीन पेश किया है जिन्हें तमाम सनातन धर्मी हिन्दू ईश्वर का अवतार और श्री कृष्ण जी से भी ज़्यादा वाजिबुल अहतराम समझते हैं। इसीलिए अल्लामा इक़बाल ने यह लिखा है कि राम के वुजूद पर हिन्दुस्तान को नाज़ है। उनकी शख्सियत में बहुत सी खूबियां जमा थीं मस्लन वह बहुत बहादुर थे, पाक तबियत थे और अपने बाप के बहुत फ़रमांबरदार थे। चुनांचे उन्होंने अपने बाप के कहने से 14 साल के लिए वनवास ले लिया। तमाम तकलीफ़ों को बखुशी बर्दाश्त किया और दुनिया के सामने मां-बाप का हुक्म मानने का क़ाबिले-क़द्र नमूना पेश किया। (बांगे दिरा मय शरह, पृष्ठ 468-469 पर नज़्म ‘राम‘ की व्याख्या में प्रोफ़ेसर यूसुफ़ सलीम चिश्ती)
उनकी शख्सियत में बहुत सी खूबियां जमा थीं मस्लन वह बहुत बहादुर थे, पाक तबियत थे और अपने बाप के बहुत फ़रमांबरदार थे। चुनांचे उन्होंने अपने बाप के कहने से 14 साल के लिए वनवास ले लिया। तमाम तकलीफ़ों को बखुशी बर्दाश्त किया और दुनिया के सामने मां-बाप का हुक्म मानने का क़ाबिले-क़द्र नमूना पेश किया।
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ReplyDelete. राम को संस्कृत का लफ़्ज़ क़रार दिया जाए तो यह एक शख्स का नाम
ReplyDeleteयूरोप के फ़लसफ़ियों ने हिन्दुस्तान के फ़लसफ़े के मुख्तलिफ़ मदारिस से जिन्हें इस्तलाह में ‘दर्शन‘ कहते हैं, बहुत कुछ इस्तफ़ादह किया है और यहां के पुराने फ़लसफ़ियों की मन्तक़ी मूशगाफ़ियों का ऐतराफ़ किया है।
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ReplyDeleteLajawab, Masha Allah
ReplyDeleteऐसा लग रहा है जैसे राम नाम का हैजा हो गया है अनवर जमाल को !
ReplyDeleteजो राम को इस्लाम से जोड़ता है मै तो उसे दायरा इस्लाम से ख़ारिज समझता हूँ !
जो जिसका है उसको उसका रहने देना चाहिए, दूसरे की संपत्ति में डाका क्यों डाले ?
बहुत विरोधाभास है इनकी पोस्ट्स में, विशवास के काबिल नहीं ! कोई फायेदा भी नहीं हुआ ! दस मिनट खराब हो गए अब इस ब्लाग पर आना मतलब टाइम खराब करना है इसलिय अब आने से पहेले सोचना पडेगा !
राम ठाकुर थे, इकबाल जी अल्लामा थे, और आप हो डॉक्टर...
ReplyDeleteकिताब उर्दू की है और चिश्ती है इसका मास्टर
जुगाड़ अच्छा है बात अच्छी है, आप का पता नहीं आप कैसे हो ?
ReplyDeletegood post
ReplyDeleteYM बोले तो शिया है
Dead body of FIRON - Sign of Allah
http://www.youtube.com/watch?v=0hWGjmbAzPs
विडियो
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने बताया है की जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद तोड़ी उन लोगों ने आस बने छोटे मोटे मंदिरों का भी सफाया कर दिया था. ऐसे लोगों का मकसद क्या था?
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