राकेश लाल जी ! आपका आना अच्छा लगा, लेकिन यह हिन्दी ब्लॉग है , अगर आप बाइबिल के वचनों को हिन्दी में दिखाते तो और भी अच्छा रहता। मैं बचपन से ही इंजील और मसीह में आस्था रखता हूं। नवीं क्लास में था तो मुझे ‘दिनाकरन जी‘ ने नया नियम भेजा, बाद में मुझे पूरी बाइबिल उर्दू में एक पादरी दोस्त ने दे दी, फिर अंग्रेज़ी में भी एक प्रति एक और पादरी मित्र ने गिफ़्ट कर दी।
यूहन्ना की पहली आयत आपने उद्धृत की है और वचन को परमेश्वर ही घोषित कर दिया है। यह एक ग़लत बात है। हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की ज़बान इब्रानी या सुरयानी थी। उनके सामने किसी ने उनके वचनों को संकलित नहीं किया। वेटिकन सिटी में रखे हुए नुस्ख़े लैटिन और यूनानी भाषा में हैं, जो मसीह के साढ़े तीन सौ साल बाद के हैं। उनका भी केवल अनुवाद ही उपलब्ध कराया जाता है। इस आयत में यूनानी भाषा का शब्द ‘होथिओस‘ परमेश्वर के लिये आया है और जहां ‘एन्ड द वर्ड वॉज़ गॉड‘ आया है वहां यूनानी शब्द ‘टोन्थिओस‘ आया है जिसका अर्थ है ‘ देवशक्तियों से युक्त ‘। अर्थात वचन देवशक्तियों से युक्त था। आपने क्रिएशन को क्रिएटर बना डाला। यह ग़लत है।
हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने हमेशा खुद को खुदा के बन्दे के तौर पर पेश किया आप ग़लती से उन्हें खुदा का दर्जा दे बैठे।
nice एवं विचारणीय post
ReplyDeleteअगर किसी भी सज्जन को नेट पर हिंदी में लिखने का तरीका नहीं मालूम है तो वो इस लिंक पर जाकर ऐसा कर सकते हैं
ReplyDeletehttp://www.google.com/transliterate/indic/
दरअसल शुरू में मुझे खुद नहीं मालूम था की नेट पर हिंदी में कैसे लिखा जाता है और मैं रोमन हिंदी में ही लिखता था लेकिन भला हो अनवर जमाल जी का जो उन्होंने कैरानवी भाई के ज़रिये इस लिंक को मुझ तक पहुंचाया और मेरी problem solve हुई
अनवर जी , धन्यवाद
उत्तम लेख
ReplyDeletebadhiya
ReplyDeleteउत्तम लेख
ReplyDeleteहज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने हमेशा खुद को खुदा के बन्दे के तौर पर पेश किया yeh ग़लती से उन्हें खुदा का दर्जा दे बैठे।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteहज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने हमेशा खुद को खुदा के बन्दे के तौर पर पेश किया log ग़लती से उन्हें खुदा का दर्जा दे बैठे।
ReplyDeleteआज का लेख अच्छा है, कुछ अच्छा लिखा तो अच्छा लगा, शुक्रिया.
ReplyDeleteआज का लेख अच्छा है, कुछ अच्छा लिखा तो अच्छा लगा, शुक्रिया.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख...
ReplyDeleteपढ़ कर अच्छा लगा
जमाल जीबुरा न माने मै आपके जवाब से सहमत नही हूं। ईसा मसीह अलैहिस्सलामजी के नाम कुरान शरीफ मे जो आये हैं वो गलत हैं आप अपनी लाइन से भटक रहे हैं।
ReplyDeleteप्रोटेस्टेंट ईसाईयों ने बाइबिल से 7 किताबें जाली घोषित करके क्यों निकाल दीं ?
ReplyDelete@ जनाब राकेश लाल जी, यहां मैंने कहीं नहीं बताया कि हज़रत ईसा मसीह का नाम पवित्र कुरआन में आया है तब आप बेवजह आपत्ति क्यों कर रहे हैं ? यहां तो यह बताया जा रहा है कि हज़रत ईसा खुदा का वचन हैं खुदा नहीं हैं।
फिर इसके बाद आपने ईमेल के द्वारा मुझे सूचित किया था कि किताब का एक बिन्दु भी बदलने का अधिकार किसी को नहीं है। तब मैंने आपसे ईमेल के माध्यम से ही पूछा था कि फिर प्रोटेस्टेंट ईसाईयों ने तब किस प्रकार बाइबिल से 7 किताबें जाली घोषित करके निकाल दीं ?
आपने उसका जवाब भी अभी तक नहीं दिया । इसके खि़लाफ़ आपने मुझे पवित्र कुरआन की उन आयतों का अनुवाद ईमेल से भेज दिया जिनमें मसीह का नाम और ज़िक्र है। जब आप मानते हैं कि कुरआन में उनका नाम ग़लत तरीक़े से लिया गया है तो आप उससे क्या सिद्ध करना चाहते हैं ?
मैं तो कुरआन की आयतों को मानता हूं और इंजील की आयतों को भी लेकिन आप इंजील की आयतों को ही मान जाईये।
क्या मसीह ने नहीं कहा है कि मैं शरीअत को मिटाने नहीं बल्कि उसे पूरा करने आया हूं ?
तब आप किसके कहने से शरीअत कैंसिल किये बैठे हैं भाई ?