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Friday, June 11, 2010

Minus voting अच्छाई या बुराई

लेख का केवल अच्छा और सार्थक होना ही उसके HOT मेँ आने के लिये काफ़ी नहीँ है । अगर लेख मेँ अंधविश्वास का विरोध किया गया है और लेखक अकेला है तो अंधविश्वास मेँ आकंठ डूबे हुए लोग उसे पसंद का वोट और कमेँट न देकर भी KILL कर देते हैँ । अगर लेख को विश्वासी भाइयोँ की सपोर्ट मिल तो गुटबाज़ ब्लागर फिर ब्लागवाणी को इमोशनली बलैकमेल करते हैँ । ब्लागवाणी का स्टाफ़ गुटबाज़ोँ के दबाव मेँ आकर सार्थक पोस्ट को नीचे ही अटकाये रखती है । मुझसे कम पाठक , प्लस वोट और कमेँट्स वाली पोस्टस को आप मेरी पोस्टस से आगे जाता हुआ रोज़ाना देख सकते हैँ । मेरा हक़ मारकर ब्लागवाणी को भला क्या मिलेगा सिवाय अपनी विश्वसनीयता गँवाने के ? और एक व्यापारी के लिये साख की वही अहमियत है जो किसी नेक औरत के लिये उसके सतीत्व की होती है । अब देखना यह है कि ब्लागवाणी को अपने सतीत्व की कितनी परवाह है ?

16 comments:

  1. सत्य कहा आपने अनवर भाई । अंधविश्वासी लोगो ने पहले तो समाज का नाश किया और अब ब्लागवाणी का नाश करने पर तुले है

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  2. में गवाह हूँ आपकी सारी बातें सच्ची हैं

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  3. हक़ मारकर ब्लागवाणी को भला क्या मिलेगा सिवाय अपनी विश्वसनीयता गँवाने के ? और एक व्यापारी के लिये साख की वही अहमियत है जो किसी नेक औरत के लिये उसके सतीत्व की होती है । अब देखना यह है कि ब्लागवाणी को अपने सतीत्व की कितनी परवाह है ?

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  4. Bap re Bap, vaise apka gussa jayaj hai.

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  5. "माइनस वोटिंग" क्या होती है? क्या आप "निगेटिव वोटिंग" कहना चाहते थे?

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  6. आज क्लियर हो ही गया कि सायबर मौलाना आपको अनुवाद सिँह क्योँ कहते हैँ ?

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  7. अब देखना यह है कि ब्लागवाणी को अपने सतीत्व की कितनी परवाह है?

    अनवर साहब वैसे यह नाइंसाफी है. मैं खुद यह कई बार नोट कर चूका हूँ, की आपकी पोस्ट ज्यादा क्लिक, अधिक वोट और काफी कमेंट्स के बाद भी हॉट पर नहीं आती या फिर नीचे ही होती है. आखिर क्यों?

    ब्लोग्वानी को बताना चाहिए की उसकी सब चीज़ों को जमा-घटा करने की नीति क्या है?

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  8. @शाहनवाज़ भाई ! मामला ट्राँसपेरेंट होना चाहिये ।

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  9. कैसा हक़ कैसा इंसाफ़ ? ये रजिस्ट्रेशन तक तो देती नहीँ , इंसाफ़ कया देगी ?

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  10. ब्लागवानी से अच्छा तो चिठठाजगत है । साजिद भाई का सामाजिक विषय पर लेख भी इस ब्लागवानी ने नहीँ दिया ।

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  11. भाई अनवर ब्‍लागवाणी आपकी इस पोस्‍ट के साथ कटर का इस्‍तेमाल किया था, आपको मेरे तीनो प्‍वाईंट पसंद आये थे तो सोचा वह इस पोस्‍ट पर डाल दूं उसके साथ आज जाकिर साहब को ताजा कमेट किया था वह भी यानि दोनों इधर डाल रहा हूं कभी कापी पेस्‍ट में काम आयेंगें

    ....
    हमारे बारे में गलत राये पेश की जा रही है, हम पसंद नापसंद को खत्‍म करवाना बिल्‍कुल नहीं चाहते, हम चाहते हैं ब्‍लाग वाणी एग्रीगेटर बना रहे एग्रीकटर न बने, चिटठाजगत से कभी कभार किसी को शिकायत होती है उससे समझा जाये कैसा होता है एग्रीगेटर

    आपके(जाकिर के) साथ आवाज किया मिलादी इसे हमारी कमजोरी माना जा रहा हे, भूल में हैं ऐसे ब्‍लागर्स, यह तो एग्रीगेटर का एग्रीकटर बनने का कमाल है

    again:
    ब्‍लागवाणी से ऐसी बातें हम भी कह चुके, उसकी खामोशी के बाद हमने हल निकाला अपने तरीके से, मेरी राय में तो पसंद ना पसंद करवाने का हक इसको हमने नहीं दिया, इसका का काम पोस्‍ट का ट्रेलर दिखाना था, वही दिखाये, पसंद नापसंद हमारे अपने ब्‍लाग पर होना चाहिये

    दूसरी बात ब्लॉगवाणी द्वारा पसंद और नापसंद के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला कैलकुलेशन क्‍या है सबके सामने आना चाहिये

    तीसरी बात कुछ नहीं कर सकता तो अपना नाम ब्‍लागवाणी एग्रीगेटर नहीं ब्‍लागवाणी एग्री कटर Agree Cutter कर ले

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  12. yes !!!!!!!!!! अंधविश्वासी लोगो ने पहले तो समाज का नाश किया और अब ब्लागवाणी का नाश करने पर तुले है

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  13. ब्लागवाणी का ज़ुल्म देखिये ! 7+ वोट पाने वाली मेरी पोस्ट से ऊपर है +1 वोट पाने वाले का लेख । पता नहीं बेईमानी स्टाफ़ कर रहा या ...

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