
स्वामी विवेकानन्द जी को यदि भारतीय संस्कृति मनीषियों का सिरमौर कहा जाये तो कुछ अनुचित न होगा । उनका कथन है कि पैग़म्बर साहब ने अपने जीवन के दृष्टान्त से यह दिखला दिया है कि मुसलमान मात्र में सम्पूर्ण साम्य एवं भ्रातृ-भाव रहना चाहिये । उनके धर्म जाति , मतामत , वर्ण , लिंग , आदि पर आधारित भेदों के लिए कोई स्थान न था ।
तुर्किस्तान का सुल्तान अफ्ऱीक़ा के बाज़ार से एक हब्शी गुलाम ख़रीदकर ज़ंजीरों में बांधकर अपने देश में ला सकता है । किन्तु यदि यही गुलाम इस्लाम को अपना ले और उपयुक्त गुणों से विभूषित हो तो उसे तुर्की की शहज़ादी से निकाह करने का भी हक़ मिल जाता है । मुसलमानों की इस उदारता के साथ ज़रा इस देश (अमेरिका) में हब्शियों (नीग्रो) एवं रेड इंडियन लोगों के प्रति किये जाने वाले घृणापूर्ण व्यवहार की तुलना तो करो ।
हिन्दू भी और क्या करते हैं ?
यदि तुम्हारे देश का कोई धर्म-प्रचारक (मिशनरी) भूलकर किसी ‘सनातनी‘ हिन्दू के भोजन को स्पर्श कर ले तो वह उसे अशुद्ध कहकर फेंक देगा । हमारा दर्शन उच्च और उदार होते हुए भी हमारा आचार हमारी कितनी दुर्बलता का परिचायक है !किन्तु अन्य धर्मावलंबियों की तुलना में हम इस दिशा में मुसलमानों को अत्यन्त प्रगतिशील पाते हैं । जाति या वर्ण का विचार न कर , सबके प्रति समान भाव-बन्धुत्व का प्रदर्शन-यही इस्लाम की महत्ता है , इसी में उसकी श्रेष्ठता है ।
( विवेकानन्द साहित्य , सप्तम खंड , पृष्ठ 192 , प्रकाशक : अद्वैत आश्रम , 5 डिही एण्टाली रोड , कलकत्ता - 14 )
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खान-पान के नियमों की अवहेलना करने वाले अपने मत से भी अनभिज्ञ वासनाजीवियों के लिए यह बात आश्चर्यजनक हो सकती है कि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. के शरीर से निकलने वाले पसीना आदि भी सुगन्धित होता था । जबकि शरीर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों में सुगन्ध का पाया जाना कोई असंभव बात नहीं है । आप किसी भी आयुर्वेदिक या प्राकृतिक चिकित्सक से इस बात की पुष्टि कर सकते हैं । गायत्री परिवार के संस्थापक श्री राम शर्मा आचार्य जी ने अपने ग्रन्थों में बताया है कि कई भारतीय सन्तों को भी यह सिद्धि प्राप्त थी । यह कोई बहुत मुश्किल या असंभव बात नहीं है अगर आप चाहें तो आप यह प्रयोग खुद पर भी करके देख सकते हैं । इसका आसान तरीक़ा यह है कि आप एक बार मानवता के आदर्श पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. के खान-पान , शौच , शुद्धि , उपासना और सोने जागने का विवरण पढ़कर उसका अनुसरण करके देख लीजिये । आपका पूरा वुजूद महक उठेगा और आपके वुजूद से जो कुछ निकलेगा वह भी सुगन्धित ही होगा । यह मेरा वादा भी है और मेरा दावा भी क्योंकि यह मेरा ईमान भी है और स्वयं मेरा निजि अनुभव भी । ध्यान रहे कि हज़रत मुहम्मद साहब स. ने कभी पेट भर नहीं खाया , कभी लहसुन जैसी बदबू पैदा करने वाली चीज़ नहीं खाई और उनके चेहरे पर सदैव मुस्कान रहती थी चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों ! मुस्कुराहट के फ़ायदे अब वैज्ञानिकों ने जगज़ाहिर कर ही दिये हैं । यह विषय एक पूरी पोस्ट चाहता है ।नेट की सुविधा घर पर उपलब्ध होने के बाद इस पर प्रकाश डालने का प्रयास किया जाएगा ।
इन्शाअल्लाह !
good post
ReplyDeletenice post but blogvani will not take it in hotlist bcoz of prejudice . No Sahishnuta is here .
ReplyDeleteअजमेर बोम्ब धमाके मै दो sangh pariwaar. के कर्येकर्ता giraftaar
ReplyDeleteमदये परदेश के शाजापुर see कल शनिवार को अभिनव bharat ke ek sadase ko giraftaar kur लिया उस पर अजमेर बम धमाके mee शामिल होने का इलज़ाम ही chandershekar नामी इस आदमी को iss se पहले pakde गए देवेंदर गुप्ता see मिली soocnaa के aadhaar par pakda gaya sangh pariwaar का asli roop dheere dheere samne aa raha hai . poolice parshsan bhi inn sangathno के khilaaf chokkanna hua lagtaa hee
रिश्वत्खूरी और भ्रष्टाचार
सीआरपीएफ़ के दो और यूपी पुलिस के तीन जवानों सहित छह गिरफ़्तार कर लिये गए । यशोदानंदन रिटायर्ड एसआई , हवलदार विनोद पासवान और विनेश सिंह , मुरादाबाद पुलिस अकादमी स्थित आर्म डिपो में तैनात नाथी राम सम्मिलित हैं। ये लोग सरकारी असलहा देश के ग़द्दारों को सप्लाई किया करते थे । इनके पास से भारी मात्रा में सरकारी असलहा बरामद किया गया
इस ताrha kee naam और kaam lagaataar सामने आ रही ही auur इनमे सी कोई भी नाम खान अहमद मोहम्मद आलम vaghiiraa dhoondee see bhi nahi milltee
nice post
ReplyDeletevery nice post
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteयदि गुलाम इस्लाम को अपना ले तो उसे तुर्की की शहज़ादी से निकाह करने का भी हक़ मिल जाता है ।
ReplyDeleteपैगम्बर मुहम्मद (स.अ.) के बाद भी सैंकड़ों सालों तक सच्चे मुसलमानों के जिस्म से खुशबु आती रहती थी, अक्सर यह खुशबु उनके लिए मुसीबत बन जाती थी. क्योंकि इस्लाम दुश्मन उस खुशबु से उन्हें पहचान कर उनका क़त्ल कर देते थे. फिर अल्लाह के उन बन्दों ने दुआ की और वह खुशबू उनके बदन से ख़त्म हो गई.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया, संतुलित और ज्ञानवर्धक लेख है अनवर साहब.
ReplyDeleteअजमेर धमाके के तार गुजरात से जुड़े है आज पकड़े गये संघ परिवार के आतंकवादी संजय गुप्ता ने ये जानकारी दी यह इस मामले मे चौथी गिरफ़्तारी है इस धमाके मे भी और मामलो की तरह ही मुसलमानो का नाम उछाला गया था महाराष्ट्र A.T.S.प्रमुख करकरे को शहीद करके संघ परिवार के आतंकवादियो को बचाने की चाल कामयाब नजर नही आ रही है क्योकि गिरफ़्तारियां लगातार हो रही है
ReplyDeleteA Nice and eye opening thought of "Swami Vivekanad"
ReplyDeleteब्लागवाणी सुधर जा संभल जा अगर अनवर जमाल साहब की पोस्ट के साथ यही अन्याय जारी रहा तो ब्लाग की हाट लिस्ट दिखाने वाली तीस की तीस साइटो पर अनवर जमाल साहब के लेख टिप्पणीयो नजर आऐगे
ReplyDeleteअगर कोई आदमी बदबुदार चीजे न खाए कम खाए हाजमा अच्छा हो कब्ज न रहता हो शहद और पानी का इस्तेमाल ज्यादा करता हो और पाँच टाइम से ज्यादा दातुन करता हो और बदन पर इत्र लगाता हो तो उसके महकते बदन से जो भी चीज निकलेगी महकेगी ही जो चाहे आजमा ले
ReplyDeleteअगर कोई आदमी बदबुदार चीजे न खाए कम खाए हाजमा अच्छा हो कब्ज न रहता हो शहद और पानी का इस्तेमाल ज्यादा करता हो और पाँच टाइम से ज्यादा दातुन करता हो और बदन पर इत्र लगाता हो तो उसके महकते बदन से जो भी चीज निकलेगी महकेगी ही जो चाहे आजमा ले
ReplyDeletenice post
ReplyDeletevaise aap saare log kis ceez ke doctor ho.. just want to know..
ReplyDeleteमुझे लगता है यह डाक्टर है ही नहीं, डाक्टर दवा देते हैं यह दर्द देते हैं
ReplyDeleteपूरी जिन्दगी मांस के लोथड़े चबाने वाला ,४० वर्ष के होने के बाद सेक्स में doobaa रहने वाला मोहम्मद एक योगी की जिन्दगी जिया होगा,पड़कर हंसी आती है.वैसे मजा बहुत आया तेरी दलील पढ़कर.
ReplyDeleteaakhir toone quranved.blogspot.com par dr kaliya ko pad liya है.
kyaa likha hai tatti poochha dla.
स्वामी विवेकानन्द
ReplyDeleteऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो । इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए । उसको मारना उस पर दया करना है । जन्नत ( जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है ) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है । इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है ।
कम्प्लीट वर्क आफ विवेकानन्द वॉल्यूम २ पृष्ठ २५२-२५३