
ईश्वर एक है
तो उसने जब कभी किसी ऋषि के अन्तःकरण पर सत्य प्रकट किया तो उसे जन्म और मृत्यु के विषय में स्पष्ट ज्ञान दिया । जन्म और मृत्यु के बीच की अवधि को हम जीवन के नाम से जानते हैं लेकिन जीवन तो मृत्यु के बाद भी है बल्कि यह कहना ज़्यादा सही होगा कि वास्तव में जीवन तो है ही मृत्यु के बाद । आदमी अपने मन में भोग की जो कामनाएं लिए रहता है वे यहां पूरी कब हो पाती हैं ?
और जो लोग पूरी करने की कोशिश करते हैं उनके कारण समाज में बहुत सी ख़राबियां फैल जाती हैं । वजह यह नहीं है कि भोग कोई बुरी बात है । सीमाओं के बन्धन में रहते हुए तो भोग की यहां भी अनुमति है और जीवन का व्यापार उसी से चल भी रहा है लेकिन अनन्त भोग के लिए अनन्त भोग की सामथ्र्य और अनन्त काल का जीवन चाहिये और एक ऐसा लोक भी चाहिये जहां वस्तु इच्छा मात्र से ही प्राप्त हो जाये और उसका कोई भी बुरा प्रभाव किसी अन्य पर न पड़ता हो । प्रत्येक ईशवाणी मनुष्य के मन में बसी हुई इस चिर अभिलिषित इच्छा के बारे में ज़रूर बताती है ।
पवित्र कुरआन में इसका बयान साफ़ साफ़ आया है लेकिन वेदों से भी यह ग़ायब नहीं किया जा सका है बल्कि इनका बयान तो बाइबिल में भी मिलता है ।
इस बयान का मक़सद सिर्फ़ यह है कि आदमी दुनिया के सुख भोगने के लिए बेईमानी और जुल्म का तरीका अख्ितयार न करे बल्कि ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ पूरा करे चाहे इसके लिए उसे प्राप्त सुखों का भी त्याग करना पड़े या फिर मरना ही क्यों न पड़े ?
क्योंकि अगर वह अपने फ़र्ज़ को पूरा करते हुए मर भी गया तब भी उसका मालिक उसे अमर जीवन और सदा का भोग देगा । यही विश्वास आदमी के लड़खड़ाते क़दमों को सहारा देता है और उसके दिल से दुनिया का लालच और मौत का ख़ौफ़ दूर कर देता है ।
यत्रानन्दाश्च मोदाश्च मुदः प्रमुद आसते ।
कामस्य यत्राप्ताः कामास्तत्र माममृतं कृधीनन्द्रायंन्दां परि स्रव ।।
-ऋग्वेद , 9-113-11
मुझे उस लोक में अमरता प्रदान कर , जहां मोद , मुद और प्रमुद तीन प्रकार के आनन्द मिलते हैं और जहां सभी चिर अभिलिषित कामनाएं इच्छा होते ही पूर्ण हो जाती हैं ।
मोद , मुद और प्रमुद ये तीन आनन्द जिनका उल्लेख इस मंत्र में किया गया है संभोग से संबंधित आनन्द हैं और विशेषकर ‘प्रमुद‘ तो वेदों में संभोग के आनन्द के लिए ही आता है । इससे मालूम हुआ कि स्वर्ग में लोगों को पत्नियां भी मिलेंगी । इसका प्रमाण दूसरे वर्णनों से भी मिलता है ।
भोजा जिग्युः सुरभिं योनिमग्ने भोजा जिग्युर्वध्वंवया सुवासाः ।
भोजा जिग्युरन्तः पेयं सुराया भोजा जिग्युर्ये अहूताः प्रयन्ति ।
ऋग्वेद, 10-107-9
फिर अच्छे सुन्दर वस्त्र वाली सुन्दर स्त्रियां और तेज़ शराब के जाम को ।
momin ko bhi samajhne ki koshish karen.
ReplyDeletemomin
डॉ.अच्छा लिखा हे पेट भर जाने के बाद भी ,किसी के हक़ पर डाका डालना महापाप हे ...आपको धन्यवाद
ReplyDeleteडॉ. एक भी पोस्ट मुस्लिम अत्यचार के बारे में आप ने नहीं लिखी हे ,जेसे कश्मीरी हिंदुवो के सहानुभूति स्वरुप कुछ लिख देते ,या तालीबनियो दुवारा अभी स्वात में सीखो के बारे लिख देते जिनके सर कलम किये गए .....बस सूई अटकने की वजह ये ही हे ???डॉ. आप किस कानून से बंधे हुवे हो ,,राजनितिक तो नहीं हे ,केवल एक ही कानून शरियत .....आप भी क्या कर सकते हे ??????????????इंसानियत आप के आस पास भी नहीं .........जबकि हमारे यंहा हिन्दू अत्याचार पर तो हजारो गले ऐसे फाड़े रहते जेसे अभी कोई चीज उनमे घुसने वाली हे ......????????
ReplyDeletenice
ReplyDeleteGood Post
ReplyDelete@MAN जी अत्याचार और हिंसा कही पर भी हो हम उसकी निंदा करते है चाहे कश्मीर या अफगानिस्तान, इराक हो या भारत मे कही भी जैसे गुजरात या नक्सलवादियो द्वारा फैलाइ जा रही हिंसा ।लेकिन हिंदु आतंकवादियो द्वारा जो कुछ किया जा रहा है उसकी निंदा करने की साहस आप कहाँ से लाओगे?
ReplyDeleteहिंदु आतंकवाद के बारे मे जानने के लिए पढ़े "हिंदु आतंकवाद बेनकाब"www.aslamqasmi.blogspot.com
ReplyDelete@mr.man तालिबान द्वारा सिखो की हत्या की निंदा मे लेख सलीम भाई ने इस्लामी ब्लाग www.hamarianjuman.blogspot.com पर लिखा जा चुका है इस ब्लाग के सदस्य अनवर साहब भी है आप इसे पढ़े
ReplyDeleteपहली बार अच्छा लिखा
ReplyDeleteअरे मैन ये क्या उल्टा सीधा सवाल करटा है कोई सही बाट टुमको नही आटा
ReplyDeleteआपके इस लेख ने मेरे लेख को पूर्णता प्रदान कर दी. शुक्रिया!
ReplyDeleteऐसे ही लिखते जाओ अनवर भाई आप सचमुच भाईचारा बढ़ा रहे है
ReplyDeleteऔर जो भाईचारे के शत्रु है वे ही आपको NEGATIVE वोट दे रहे है क्योकि आपकी वजह से इनकी दुकान बंद हो गई थी
ReplyDelete@ Zeashan Zaidi Bhai ! ye article apka article padhne ke baad hi likha tha aur maqsad bhi yahi tha jo apne bayan kiya hai .
ReplyDeleteग़ज़ल
आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा ख़ुदा देगा ।
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा ।
ज़िन्दगी को क़रीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रूला देगा ।
हमसे पूछो दोस्त क्या सिला देगा
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा ।
इश्क़ का ज़हर पी लिया ‘फ़ाक़िर‘
अब मसीहा भी क्या दवा देगा ।
http://vedquran.blogspot.com/2010/03/gayatri-mantra-is-great-but-how-know.html
http://blogmaakalka.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
ReplyDeleteअल्लाह ने कहा था - गोली मारने के लिए
ReplyDeleteअल्लाह ने कहा था - गोली मारने के लिए , खबर शिकागो की है। दिल्ली से छपने वाले एक हिंदी दैनिक अख़बार जिसका नाम है- आज समाज। इस समाचार पत्र मैं दिनांक १६/०४/२०१० को एक खबर छापी जिसका शीर्षक था- अल्लाह ने कहा था - गोली मारने के लिए । खबर इस प्रकार है -
शिकागो मैं एक व्यक्ति को पांच लोगो को गोली मारने के आरोप मैं गिरफ्तार किया गया है । व्यक्ति ने दावा किया है की उसे ऐसा करने का आदेश ' अल्लाह' से मिला था । पुलिस ने बताया की व्यक्ति ने अपनी पत्नी , अपनी तीन बेटियों और अपनी माँ को गोली मार दी ।
पुलिस ने व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया लिया है , लेकिन उसकी पहचान नहीं बताई गई है। शिकागो SUN TIMES ने सूत्रों के हवाले से कहा है की गोली मारने वाले ने पुलिस को बताया की उसे अपने परिवार को मारने का आदेश 'अल्लाह' से मिला था।
अगर ये खबर अच्छी लगे तो पसंद की बटन जरुर दबायें और बुरी लगे तो नापसंद की बटन जरुर दबायें.
Posted by Tarkeshwar Giri at 7:54 AM Links to this post 19 comments
अल्लाह ने जन्नत मैं भी पूरा इंतजाम कर रखा है। शबाब और शराब दोनों मिलेगी.
ReplyDeleteमैं तो सिर्फ हसूंगा ........................ हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे, हो हो हो यार अब तो हद हो गई .
अल्लाह ने जन्नत मैं भी पूरा इंतजाम कर रखा है। मुझे तो सिर्फ हंसी आ रही । ये लेख फिरदौश जी के ब्लॉग से उठाया है मैंने, फिरदौश जी ke ब्लॉग पर कुछ मुसलमान ब्लोगेर बंधू लोगो ने इस बात को स्वीकार है :-
"…जमात में तो यह बताया गया होगा की गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने में दस हज का सवाब मिलता है…"...यह बात "बहुत कुछ" बयान करती है… (मंसूबे भी, नीयत भी…)
हम उन्हें 'कलमा' पढ़ा लेंगे... इससे हमें दस हज का सवाब मिलेगा... और मरने के बाद जन्नत...जन्नत में 72 हूरें मिलेंगी, जन्नती शराब मिलेगी...
मैं तो सिर्फ हसूंगा ........................ हा ! हा ! हा ! , ही ! ही ! ही ! , हु हु हु , हे हे हे।
जो कहना hai आप लोग कहिये................................................
ye islam kaa ashle chehara hai,
ReplyDelete"…जमात में तो यह बताया गया होगा की गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने में दस हज का सवाब मिलता है…"
joote maro saalon ko
हम उन्हें 'कलमा' पढ़ा लेंगे... इससे हमें दस हज का सवाब मिलेगा... और मरने के बाद जन्नत...जन्नत में 72 हूरें मिलेंगी, जन्नती शराब मिलेगी...
Suanr kii aulaad
एक हदीस के अनुसार पैगम्बर जब खेतों में मल त्याग करने जाते थे, तो वे जिस डले से अपना पिछवाडा साफ़ करते थे,तो उनके अनुयाई उस डले के लिए आपस में झगड़ते थे.क्योकि उस हदीस के अनुसार उस डले से इतर की खुशबु आती थी.(तल्विसुल शाह जिल्द शाह सफा ८ )
जब डले में इतनी खुशबु आती होगी तो मल (पैगम्बर की टट्टी) तो पूरा का पूरा इतर का डब्बा होता होगा । पैगम्बर के अनुयाई डले के ऊपर ही झगड़ते थे किसी ने भी खेत में पड़े मल की तरफ ध्यान नहीं दिया।
http://quranved.blogspot.com/
Dr Anvar merii...टट्टी.. mein इतर की खुशबु आती, aa jaane paigamber ke saath
'दंगे के धंधे की कंपनी' श्रीराम सेना पैसे पर कराती है हिंसा: धर्म और संस्कृति की रक्षा की आड़ में मुतालिक और उसके गुर्गों का असली चेहरा बेनक़ाब
ReplyDeleteशुक्रवार, १४ मई २०१०
देश में संस्कृति औऱ राष्ट्रीयता के नाम पर जो तोड़फोड़ औऱ हिंसा की तस्वीरें दिखती है उनका सच कुछ औऱ भी हो सकता है. संस्कृति के पहरेदार बनने का दावा करनेवालों का चेहरा कुछ और भी हो सकता है. ये कुछ और कितना भयानक और शर्मनाक हो सकता है इसका पूरा सच आजतक ने तहलका के साथ मिलकर उजागर किया है. जो लोग समाज में मर्यादा को बचाये रखने के लिये मरने मारने का दम भरते हैं उनका असली धंधा क्या है !'दंगे के धंधे की कंपनी' श्रीराम सेना पैसे पर कराती है हिंसा: धर्म और संस्कृति की रक्षा की आड़ में मुतालिक और उसके गुर्गों का असली चेहरा बेनक़ाब
शुक्रवार, १४ मई २०१०
देश में संस्कृति औऱ राष्ट्रीयता के नाम पर जो तोड़फोड़ औऱ हिंसा की तस्वीरें दिखती है उनका सच कुछ औऱ भी हो सकता है. संस्कृति के पहरेदार बनने का दावा करनेवालों का चेहरा कुछ और भी हो सकता है. ये कुछ और कितना भयानक और शर्मनाक हो सकता है इसका पूरा सच आजतक ने तहलका के साथ मिलकर उजागर किया है. जो लोग समाज में मर्यादा को बचाये रखने के लिये मरने मारने का दम भरते हैं उनका असली धंधा क्या है !'दंगे के धंधे की कंपनी' श्रीराम सेना पैसे पर कराती है हिंसा: धर्म और संस्कृति की रक्षा की आड़ में मुतालिक और उसके गुर्गों का असली चेहरा बेनक़ाब
शुक्रवार, १४ मई २०१०
देश में संस्कृति औऱ राष्ट्रीयता के नाम पर जो तोड़फोड़ औऱ हिंसा की तस्वीरें दिखती है उनका सच कुछ औऱ भी हो सकता है. संस्कृति के पहरेदार बनने का दावा करनेवालों का चेहरा कुछ और भी हो सकता है. ये कुछ और कितना भयानक और शर्मनाक हो सकता है इसका पूरा सच आजतक ने तहलका के साथ मिलकर उजागर किया है. जो लोग समाज में मर्यादा को बचाये रखने के लिये मरने मारने का दम भरते हैं उनका असली धंधा क्या है !
Dr. Ayaz ahmad Ji,
ReplyDeleteKHOONI QURAN, ek dange kaarane kii kitaab hain , jisko padne ke baad aadmi dange, begunaah logo ko maarataa hain, jaise TIMES SQUARE, mein aatankvadi ne kabool kiyaa ki usne ALLAH ke kahane par ye kaam kiyaa, MUSALMAAN log QURAN kii galat sikshaa
ko chhupaane ke liye doosre dharmo mein kutark nikaalte rahate ho,
TUm kewal quran ke kutarkon ko theek karo, Jaanat jane kaa dar chhod do, quran jaise gandii kitaab ko padhna chhod do, esii se tumhaara bhalaa hoga, MUSALMAANO ne es dharti ko samshaan ghaat banaa ke rakh diyaa hain, hameshaa islam k naam pe logo ko maarte rahte hain
musalmaan bhagao poora sansaar bhachaao. Islam bahut hii gandii kaum hain
@Anonymous
ReplyDeleteYe lekh padho
@ Zeeshan Zaidi,
ReplyDeletekyaa ye baat sahii hain ki-
"…गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने में दस हज का सवाब मिलता है…".
इस्लाम आतंक या आदर्श !?
ReplyDeleteइस्लाम आतंक? या आदर्श- यह पुस्तक का नाम है जो कानपुर के स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी ने लिखी है। इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है।
स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं-
मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था। इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझ इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी।
इस्लाम,इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-'इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास' जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ।
पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं-
जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद साहब की जीवनी पढ़ी। जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी,तो मुझो कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझाने में आने लगा।
सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब-'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा है जिसका मुझो हार्दिक खेद है
लक्ष्मीशंकराचार्य अपनी पुस्तक की भूमिका के अंत में लिखते हैं-
मैं अल्लाह से,पैगम्बर मुहम्मद सल्ललल्लाहु अलेह वसल्लम से और सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूं। सभी जनता से मेरी अपील है कि 'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' पुस्तक में जो लिखा है उसे शून्य समझों।
एक सौ दस पेजों की इस पुस्तक-इस्लाम आतंक? या आदर्श में शंकराचार्य ने खास तौर पर कुरआन की उन चौबीस आयतों का जिक्र किया है जिनके गलत मायने निकालकर इन्हें आतंकवाद से जोड़ा जाता है। उन्होंने इन चौबीस आयतों का अच्छा खुलासा करके यह साबित किया है कि किस साजिश के तहत इन आयतों को हिंसा के रूप में दुष्प्रचारित किया जा रहा है।
http://hamarianjuman.blogspot.com/2010/02/blog-post_25.html#st=e%3DAOG8GaDpnIJAHhhHvxMNMXgsOlCNlHPS3WJMza29sKf6L1zjCMQ2MuJAZ1QkEiDLvCgcrh3IsAG0SuTYLsfzn3lp26ENMLQ7VLARySwdkqlcGLZQR0V4R0xpuHk1scBpqiiAzd%252FuY%252FMZwB2E2C%252Fmv8vXLQgLWyquH6GdC9jfVZhD1ubzpDDevq7uEYgRDUDC9rFc93ln9%252FXwTFU5XF%252F0YtUEIA0Fk97thdWVqKivyvqQRow%252FZ20PJFNlz8iROXfFsnRgtj9ElUd3e6GUAivF81QzVJ7HvKBRMA%253D%253D%26c%3Dpeoplesense&rpctoken=1226332370&
@ अरे अनुनाद बाबा ! आप ढंग से अपनी झोली तो फैलाइये फिर देखिये हम अपने झोले में से आपको क्या अता करते हैं ?
ReplyDelete@Anonymous
ReplyDeleteयह निर्भर करता है तरीके पर. अगर तरीका सही नहीं तो हो सकता है सवाब की बजाये गुनाह मिल जाए.
अगर मेरी बातों और मेरे चरित्र से प्रभावित होकर किसी को मेरा धर्म अच्छा लगे और वह उस धर्म को स्वेच्छा से अपना ले तो मुझे सवाब मिलेगा.
लेकिन अगर मैंने उसपर अत्याचार करके उससे कलमा पढवा लिया तो यह गुनाह है.
बेबाक और यथार्थ के धरातल को छूता आपका लेखन काबिल-ए-तारीफ है.....
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteacchi post likhi apne
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