Pages

Sunday, April 11, 2010

कोई भी ऋषि-मुनि, पैगम्‍बर-वली, देवी-देवता या गरू लोगो की प्रार्थनाएं सुनने और उन्‍हें पूरी करने की शक्ति नहीं रखता बल्कि ये सब तो खुद ईश्‍वर से--- One


तत्‍व दर्शन
ईश्‍वर हर चीज़ का सृष्‍टा है। ईश्‍वर ने सृष्टि की रचना अपनी संकल्‍प शक्ति से की है,

सृष्टि में उसके उत्कृष्‍ट गुणों का प्रतिबिम्‍ब है, उसका अंश नहीं और न ही स‍ृष्टि उसका वंश और परिवार ऐसे हैं जैसे कि जीवधारियों का होता है। सारी सृष्टि ईश्‍वर पर ही आश्रित है, वही सबकी पुकार सुनने वाला और उनकी ज़रूरत पूरी करने वाला है। कोई भी ऋषि-मुनि, पैगम्‍बर-वली, देवी-देवता या गरू लोगो की प्रार्थनाएं सुनने और उन्‍हें पूरी करने की शक्ति नहीं रखता बल्कि ये सब तो खुद ईश्‍वर से ही अपने मंगल की प्रार्थना करते हैं।

प्रार्थना उससे करो जो उन्‍हें पूरी करने की शक्ति रखता है। उपासना उसकी करो जो वास्‍तव में मार्ग दिखाकर कल्‍याण कर सकता है। वह केवल एक ईश्‍वर है। अरबी भाषा में उसी का निज नाम ल्‍ला है। अन्‍तर केवल भाषा का है न भाव का है और न ही तथ्‍य का।

तत्‍व को जानो ताकि सत्य का बोध और दिव्य आनन्‍द की प्राप्ति हो।

आओ अब मिल के एक कम करें

खुल्क़ ओ महर ओ वफ़ा आम करें

ख़त्म हो जाएँ आपसी झगड़े

मिल के कुछ ऐसा एहतमाम करें

हो के क़ुरबान हक़ की राहों में

आओ यह ज़िंदगी तमाम करें

29 comments:

  1. आओ अब मिल के एक कम करें


    खुल्क़ ओ महर ओ वफ़ा आम करें


    ख़त्म हो जाएँ आपसी झगड़े


    मिल के कुछ ऐसा एहतमाम करें


    हो के क़ुरबान हक़ की राहों में


    आओ यह ज़िंदगी तमाम करें

    ReplyDelete
  2. अन्‍तर केवल भाषा का है न भाव का है और न ही तथ्‍य का। आपने जज़्बात का ख़याल रखा है ।

    ReplyDelete
  3. मानो अक्ल पर बिल्कुल ही ज़ोर न डालने की क़सम खा रखी है

    ReplyDelete
  4. अनवर जमाल ली लब आप हमारे भगवान को भगवान नही कह सक ते तो हम आप के अल्लाह को अल्लाह केसे कहें

    ReplyDelete
  5. प्रार्थना उससे करो जो उन्‍हें पूरी करने की शक्ति रखता है। उपासना उसकी करो जो वास्‍तव में मार्ग दिखाकर कल्‍याण कर सकता है।

    ReplyDelete
  6. .
    .
    .
    आदरणीय डॉ० अनवर जमाल साहब,

    यह हुई न बात, आप ज्ञानी हैं और मैं महज एक संशयवादी, आप ने एक 'स्वीपिंग स्टेटमेंट' दे दिया है यहाँ पर कि:-

    ईश्‍वर हर चीज़ का सृष्‍टा है। ईश्‍वर ने सृष्टि की रचना अपनी संकल्‍प शक्ति से की है।
    सृष्टि में उसके उत्कृष्‍ट गुणों का प्रतिबिम्‍ब है, उसका अंश नहीं और न ही स‍ृष्टि उसका वंश और परिवार ऐसे हैं जैसे कि जीवधारियों का होता है। सारी सृष्टि ईश्‍वर पर ही आश्रित है, वही सबकी पुकार सुनने वाला और उनकी ज़रूरत पूरी करने वाला है।"


    मेरा आज का सवाल है कि यह सब मानने का आधार क्या है ? यदि आप यह तर्क देंगे कि खुद ईश्वर ने यह सब कहा है तो मैं मानूँगा नहीं, क्योंकि कहने के लिये एक ध्वनि उत्पादक यंत्र व इस कथन को सोचने के लिये एक दिमाग की जरूरत है जबकि उस अजन्मे, अविनाशी, आकारहीन (आपके शब्दों में) के पास यह सब कुछ तो है नहीं, यह तो जैवीय गुण हैं और वह कोई जीव तो है नहीं!


    "The concept of a Supreme Being who childishly demands to be constantly placated by prayers and sacrifice and dispenses justice like some corrupt petty judge whose decisions may be swayed by a bit of well-timed flattery should be relegated to the trash bin of history, along with the belief in a flat earth and the notion that diseases are caused by demonic possession. Ironically, the case for the involuntary retirement of God may have been best stated by one Saul or Paul of Tarsus, a first-century tentmaker and Pharisee of the tribe of Benjamin, who wrote, 'When I was a child, I spake as a child, I understood as a child, I thought as a child: but when I became a man, I put away childish things' (I Corinthians 13:11). Those words are no less relevant today than they were two thousand years ago."

    John J. Dunphy.

    ReplyDelete
  7. शाह जी आपने भी पूरा पूरा अपने दिमाग़ के स्ट्र से सवाल उठाया हे अरे भाई क्या दिमाग़ को सोचने के लिए क्सि अलग दिमाग़की ज़रूरत होती हे ? क्या किसी आँख को देखने के लिए अलग से किसी आँख की ज़रूरत होती हे?

    ReplyDelete
  8. KAASH
    ख़त्म हो जाएँ आपसी झगड़े

    ReplyDelete
  9. िहन्दु धरम ही सबसे समावेशक धरम है।

    ReplyDelete
  10. अनवर भाई आपके लेख से हमेशा ग़लतफहमियाँ खत्म होती है सच्चा धरम कौनसा है आपके लेख पढ़ कर स्पष्ट हो जाता है

    ReplyDelete
  11. प्रवीण जी,
    यदि ईश्वर मनुष्य में ध्वनि श्रवण यंत्र निर्मित कर सकता है तो अपनी बात पहुंचाने के लिए वह ध्वनि उत्पादक यंत्र बना भी सकता है. वह ऐसे नमूने भी बना सकता है जिससे कुछ हद तक उसे समझा जा सके. आपने कहा की सोचने के लिए दिमाग की ज़रुरत होती है, लेकिन मनुष्य के अलावा धरती पर जितने भी जीव हैं वह दिमाग होते हुए भी सोचते नहीं, इसका मतलब सोच का दिमाग से अलग अस्तित्व संभव है. यदि शरीर गतिशील है तो इसका मतलब उसमें ऊर्जा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की शरीर से अलग ऊर्जा का अस्तित्व ही नहीं.
    ईश्वर ने अपने को पहचानने के लिए दो रास्ते मनुष्य को दिए,

    पहला यह की उसने पैगम्बरों या ईशदूतों के द्वारा 'एक परमेश्वर' का पैगाम दिया.

    और दूसरा यह की उसने सृष्टि में अपने वजूद की निशानियाँ छोडीं. आज बहुत से वैज्ञानिक सृष्टि की इंटेलिजेंट डिजाइन की बात स्वीकार करते हैं. और अगर इंटेलिजेंट डिजाइन है तो डिज़ाईनर भी होना ही चाहिए. इस बारे में मेरी एक श्रृंखला यहाँ ( भाग १, भाग २, भाग ३, भाग ४) प्रकाशित हो रही है.

    ReplyDelete
  12. .
    .
    .
    zeashan zaidi,

    फिर वही अतार्किक बात, 'है' तो निशानी क्यों छोड़ी, 'पैगाम' क्यों भेजा, इतना समर्थ है तो क्यों नहीं एक साथ पूरी मानवता को दर्शन दे दिये... हमेशा के लिये खत्म हो जाती यह बहस!

    दूसरी बात यदि वही स्वामी या रचयिता है पूरे 'बृह्मांड' का... और न्याय करता है 'आदमियों' का... तो, बुरा न मानिये यह तो वही बात हो जायेगी कि १५ लाख की हमारी फौज का सेनाध्यक्ष एक अदना से सिपाही के सिर में पायी गई जूँ के पेट में पाये गये किसी बेनाम बैक्टीरिया के अंदर पाये जाने वाले किसी गुमनाम Bacteriophage Virus का कोर्ट मार्शल कर रहा है (आखिर इस बृह्माँड में आदमी औेर आदम की कौम की हैसियत इस से भी छोटी है)...
    है यह पचने लायक बात ?

    आभार!

    ReplyDelete
  13. गुरूजी आपकी टिप्पड्डी के लिए धन्यवाद !!
    वैसे तो वन्दे-मातरम ना गाने का फतवा भी दारुल-उलूम ने जारी किया, परन्तु स्वामी रामदेव जी ने तो अगले ही दिन कई मुसलमानों से वन्दे-मातरम गवा दिया !!

    बातों से हकीकत कोसों दूर है !! आप ज्ञानी हैं आशा करता हूँ स्पष्टिकरण की जरूरत नहीं होगी ><

    ReplyDelete
  14. गौमाता को मारना मुसलमानों के लिए आवश्यक है @
    Posted by मेरा देश मेरा धर्म | Posted on ४:४० AM
    Category: सर्वदेवमयी गऊमाता की पुकार (GAUMATA KI PUKAR)
    http://meradeshmeradharm.blogspot.com/2010/04/blog-post_10.html?


    http://meradeshmeradharm.blogspot.com
    !!! बस एक ही धुन जय-जय भारत !!!!!!!

    ReplyDelete
  15. जिस परम्परा में ऋषि-मुनि शब्द और उनकी विशेषताए बखानी गयी है. उस परम्परा में तो कहीं भी ऋषि-मुनि या सतगुरु को कही भी प्रार्थना सुनकर मनोकामना पूर्ति करने वाला नहीं बताया गया है.अलबत्ता सतगुरु की आवश्यकता उस परमेश्वर की प्रार्थना करने की सीख,तरीका समझने की विवेक बुद्धि विकसित करने तक ही है. इसके ठीक उलट कई पंथों में जरूर एक व्यक्ति को उस परमात्मा की कृपा प्राप्ति के लिए आवश्यक दलाल के रूप में चित्रित किया गया है.यह पंथ मनुष्य और सृष्टि कर्ता के बीच एक पारदर्शी शरीर प्रस्तुत करतें है, जिसे यह उद्धारक कहते है".
    ईसाइयत में जीसस को और इस्लाम में हजरत मोहम्मद साहब को एक पारदर्शी शरीर की तरह खड़ा किया गया है. इन दोनों में मुक्ति की प्राप्ति के लिए क्राइस्ट और हजरत साहब अनिवार्य है.

    http://27amit.blogspot.com/

    ReplyDelete
  16. pigmber keval markaat karne ke liye hi aaya kya dharti per

    ReplyDelete
  17. Bina Haridwar gaye itna gyan. chalo ab kuch to sudhar aa ya.

    Haridwar kab chalna hai.

    ReplyDelete
  18. गुरूजी (http://vedquran.blogspot.com/) पिछली पोस्ट में कहकर निकल गए मुरीद द्वारा लिखे गए विचारों पर गौर करें "दया करके"

    अब इतिहास की सुनिये -
    रावण स्वर्ग पर हमला करके इन्द्र और कुबेर को पकड़ लाया । रावण किसका पुजारी था ?
    वह किस जाति का था ?

    ReplyDelete
  19. please visit once = http://meradeshmeradharm.blogspot.com/2010/04/blog-post_12.html

    ReplyDelete
  20. आपके पोस्ट के माध्यम से ईश्वर को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

    ReplyDelete
  21. प्रार्थना उससे करो जो उन्‍हें पूरी करने की शक्ति रखता है। उपासना उसकी करो जो वास्‍तव में मार्ग दिखाकर कल्‍याण कर सकता है।

    ReplyDelete
  22. Kya zabardast baat kahi hai Anwar Sahab.

    Maaf kijiyega aajkal thoda busy hun. Kyon busy hoon jaanne ke liye meri post zaroor padhe.


    आखिर संवेदनशीलता क्यों समाप्त हो रही है?
    http://premras.blogspot.com

    ReplyDelete
  23. Sabhi sathiyon se Nivedan hai ki avashy ismein sahyog karen.

    आखिर संवेदनशीलता क्यों समाप्त हो रही है?
    http://premras.blogspot.com

    ReplyDelete
  24. प्रवीण शाह जी हमे तो एसा लगता हे की यह अनवर आलूल जलूल हमे मुसलमान कर के ही छोड़ेगा

    ReplyDelete