सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजबूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं आचार्य मौलाना शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है, More More More



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Thursday, August 19, 2010

The reality मालिक का हुक्म कुछ है और बंदों का अमल उसके सरासर खि़लाफ़। - Anwer Jamal

सब आदमी एक आदम की औलाद हैं और एक पालनहार के बंदे हैं । उसने हर ज़माने में अपने दूतों के ज़रिये इनसान को यही शिक्षा दी है कि केवल मेरी उपासना करो और मेरे आदेश का पालन करो। खुद को पूरी तरह मेरे प्रति समर्पित कर दो। उसने अपने दूतों के अन्तःकरण पर अपनी वाणी का अवतरण किया। उसने हरेक तरह की जुल्म-ज़्यादती को हराम क़रार दिया और हरेक भलाई को लाज़िम ठहराया। उन सच्चे दूतों के बाद लोगों ने वाणी को छिपा दिया और अपनी कविता और अपने दर्शन को ही जनता में प्रचारित कर दिया। इससे लोगों के विश्वास और रीतियां अलग-अलग हो गईं। लोग मूर्तिपूजा और आडम्बर को धर्म समझने लगे। हर जगह यही हुआ, इसी वजह से आपको हिन्दू और मुसलमान अलग-अलग नज़र आ रहे हैं।

मुसलमानों की मिसाल से आप अच्छी तरह समझ सकते हैं। इसलाम में क़ब्र पक्की बनाना, उस पर चादरें चढ़ाना, रौशनी करना, म्यूज़िक बजाना, औरतों-मर्दों का मिलकर वहां क़व्वाली गाना और सुनना, मज़ार वाले से दुआ मांगना सब हराम है, यह तो है पवित्र कुरआन का हुक्म लेकिन आप ये सब होता हुआ देख ही रहे हैं। बहुत सी जगहों पर ये चीज़ें इसलाम धर्म का अंग समझी जाने लगी हैं। मालिक का हुक्म कुछ है और बंदों का अमल उसके सरासर खि़लाफ़। करोड़ों रूपये की आमदनी क़ब्रों के मुजाविरों को हो रही है। क्या ये अपनी आमदनी का दरवाज़ा खुद ही बंद कर देंगे ?
हिन्दुओं में भी ऐसे ही विकार जड़ पकड़ गये हैं। उनके धर्मग्रंथ भी मूर्तिपूजा और आडम्बर से रोकते हैं लेकिन लोग उनकी मानते कब हैं और जिनके पौ-बारह हो रहे हैं वे भला क्यों रोकेंगे ?
ईश्वर एक है, शाश्वत है और उसका धर्म सनातन है यानि सदा से है। सारी मानव जाति का कल्याण एक परमेश्वर के नाम पर एक होने में ही है। हरेक झगड़े का अंत इसी से होगा, इसी लिये मैं दोनों को एक मानता हूं और जिसे शक हो वह कुरआन शरीफ़ की सूर ए शूरा की 13 वीं आयत पढ़ लें।
Surah no. 42