tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post9008638652129277478..comments2023-10-18T23:46:43.430+05:30Comments on Ved Quran: क्या वाक़ई हज्रे अस्वद शिवलिंग है ? Black stone : A sign of ancient spiritual history.DR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-87152303707988355132013-05-23T19:16:30.259+05:302013-05-23T19:16:30.259+05:30indeed absolutely right ans:indeed absolutely right ans:tricks and tipshttps://www.blogger.com/profile/16063956704328768077noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-38643897740274819662010-03-26T10:22:49.271+05:302010-03-26T10:22:49.271+05:30chachha back foot per kese khelne lag gye......aka...chachha back foot per kese khelne lag gye......akal aa gayee?????Manhttps://www.blogger.com/profile/04207741457433540498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-79295407520161088872010-03-24T19:30:38.354+05:302010-03-24T19:30:38.354+05:30@प्रिय मोहक मुस्कान स्वामी भाई अमित जी ,
आपके सवाल...@प्रिय मोहक मुस्कान स्वामी भाई अमित जी ,<br />आपके सवाल के जवाब में मेरा चुप रहना मात्र इस कारण से है कि <br />1- मैं आपको खोना नहीं चाहता ।<br />2- दो आदमियों की बातचीत में ऐसे भी प्रसंग आ जाते हैं जो दूसरे लोगों को नागवार लगते हैं ।<br />3- इसीलिये मैंने आपको दो प्रश्नवीरों का हश्र सुनाकर सावधान करना अपना फ़र्ज़ समझा ।<br />4- आजकल मैं श्री मुरारी जी की सलाह मानकर ‘लहजा सुधार प्रैक्टिस‘ कर रहा हंू । आपको जवाब देता हूं तो मेरी प्रैक्टिस खण्डित हो जायेगी ।<br />... लेकिन आपके आग्रह को पूरा करने के लिए मैं आपको जवाब देने का प्रयास करूंगा ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-58885089396964480922010-03-24T18:16:23.481+05:302010-03-24T18:16:23.481+05:30यार कितना टाईम है बकवास बातो के लिये यहां पर लोगो ...यार कितना टाईम है बकवास बातो के लिये यहां पर लोगो के पासPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-63175581080262931112010-03-24T17:54:43.531+05:302010-03-24T17:54:43.531+05:30मेरे प्यारे अमित जी,
मैं एक वैष्णव हूँ, और मंदिर भ...मेरे प्यारे अमित जी,<br />मैं एक वैष्णव हूँ, और मंदिर भी जाता हूँ, मूर्ति पूजा भी करता हूँ, लेकिन आप से एक घटना का जिक्र करना चाहता हूँ, २६ जनवरी की परेड देखने गया, वापस आते समय कनाट प्लेस स्थित शिवाजी टर्मिनल के सामने जो दृश्य देखा वह हिन्दुओं को शर्मसार करने वाली एक चीज देखी, एक साहब दीवार पर धर बहा रहे थे, उस दीवार पर जिस पर जमीन से दो - ढाई फूट की ऊँचाई पर हिन्दू देवी देवताओं की फोटो लगी हुई थी, दीवार पर जगह बिलकुल खाली न थी, धार बहाने वाले साहब से कौम पूछी तो बोले हिन्दू ! <br />मुसलमान और ईसाई मूर्ति पूजा करतें भी हैं तो हमसे अछि तरह ही करते है, जिसे भगवान् कह कर पूजते हैं, उसकी,ना तो बेइज्जती करते हैं और ना ही करने देते हैं, अनवर साहब को ही देख लो वो चार हैं, हम हजार हैं फिर भी गुरूजी निडरता से डेट हुए हैं, नाकारा तो हम हुए न बड़ी आसानी से सह लेते हैं, वो भी हंसकर .<br />साहब वीनती करोंग आप से की इस विषय पर अपने ब्लॉग में लिखे, क्यों दूसरों के धर्म में सर खपाते हैं ! <br />याद रखिये !<br />श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात |<br />स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावह: || (गीता ३/३५)<br /> कृपा करके लिंक देख लें - http://rashtradharmsewasangh.blogspot.com/2010/02/blog-post_283.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-65987444554310215502010-03-24T17:26:03.168+05:302010-03-24T17:26:03.168+05:30गुरूजी
इस्लाम को मैं बहुत करीब से तो नहीं, पर जान...गुरूजी <br />इस्लाम को मैं बहुत करीब से तो नहीं, पर जानता जरूर हूँ, इसमें ऐसा कुछ भी बुरा नहीं है की, इसके पीछे पड़ कर इसमें से कमियां निकली जाएँ, मैं तो यह मानता हूँ की जिस विचारधारा ने करोड़ों लोगो में ईश्वर के प्रति आस्था दृढ की, कई असभ्य जातिओं को एक सूत्र में पिरोया वह विचारधारा कभी पूरी तरह गलत नहीं हो सकती, करोडो लोगों में हमसे भी समझदार लोग रहें होंगे, किसी ने परिस्थिति के अनुसार तो किसी ने रूचि और आस्था के अनुसार इस्लाम को अपनाया होगा <br />जहाँ तक मुझे लगता है, हिन्दुओं को ईसाईयों की तरह इस्लाम के उदय से कोई मतभेद नहीं है, कहीं ना कहीं इस्लाम में अहिंसा शब्द ना होना ही तथा मुसलमानों द्वारा गौ हत्या ही हिन्दू-मुस्लिम मतभेद का कारण है, <br />इसलिए मैंने आप से विनती की "अहिंसा व्रत लेने की" स्वाद के लिए सौहार्द छोड़ देना तो समझदारी नहीं है !<br /><br />गुरूजी इसलिए कहाँ, क्योंकि आप आदमी के स्वभाव को पहचानते हैं, और एक आदमी में यह सबसे बड़ा गुण है, जो खुदा ने आप को दी है><br /><br />Murid Pankaj RajpootAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-32587229831626373192010-03-24T16:47:56.302+05:302010-03-24T16:47:56.302+05:30लगे हाथ यह भी बता दीजिये की,हिंदुस्थानी हज यात्री ...लगे हाथ यह भी बता दीजिये की,हिंदुस्थानी हज यात्री जो सरकारी सब्सिडी से हज के किये जाते है .<br />तो उनकी वह यात्रा मालिक के दर पे कुबूल है या रद्द है.<br />बाकी तो हज किनके ऊपर फ़र्ज़ है और किस तरीके से जायज है यह तो पवित्र कुरान की रौशनी में में आप ही<br />ज्यादा बेहतर बता सकतें हैAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-26645533080990148622010-03-24T16:39:23.109+05:302010-03-24T16:39:23.109+05:30@ Shah Nawaz Ji, Ab to कहावत hii kahate phiroge, ...@ Shah Nawaz Ji, Ab to कहावत hii kahate phiroge, ye baat to sidh ho gaye kii kaba ka aakar "YONI" ke jaisa hai. Bhole Naath ("Ling Wale Baba") ki jai<br /><br />@ सोने वाले को जगाया जा सकता है, परन्तु सोने का नाटक करने वाले को जगाना मुश्किल है.<br /><br />Sone kaa natak to tum or Dr Anvar kar rahe the, App log Jabardasti jhoot pe jhoot likhe jaa rahe the. Jab baat apne pe aati hai to , kishi ko "कहावत" or "संस्कार " yaad aane lagta hain<br /><br />@...मुझे अपना लहजा बदलने पर मजबूर मत करो.<br />अरे कोई समझाओ इस अर्ध बूढ़े को.... Dr Anver Lahaja Badlo, Ek baar Modi ne Leheja Badle thaa... Anjaam Dekha naaa....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-18352691862216312142010-03-24T16:13:06.941+05:302010-03-24T16:13:06.941+05:30Dr Anvar ,
Ab sanskaar kii baten karne lag gaye,
P...Dr Anvar ,<br />Ab sanskaar kii baten karne lag gaye,<br />Pahle sab log aapke samjhaaraha the.<br />Beta sambhal ja, par tum nahii mane,<br />Kaba Choot so sexy. Tum अपना लहजा बदल सकते हो, Dekhte hain kiten gaharaai tak jaate ho (kaba kii YONI KII)<br /><br />Thanks @ab inconvenientiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-86761544934617735092010-03-24T15:41:21.837+05:302010-03-24T15:41:21.837+05:30सन्तों की मजार बनाना या ईसा को क्रूस पर लटके दिख...सन्तों की मजार बनाना या ईसा को क्रूस पर लटके दिखाना, या मृतक की समाधि बनाना सब कुछ किसी प्रतिमा का पूजन ही है. इस प्रकार जो काम सब कर रहे हैं उसको देखते हुए मन्दिर में किसी मूर्ति को स्थापित कर देने का विरोध नहीं किया जा सकता.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-14481974297529634162010-03-24T15:34:31.698+05:302010-03-24T15:34:31.698+05:30@ जमाल साहब -यह पत्थर स्वर्ग का है ।
समाधान -
हिन्...@ जमाल साहब -यह पत्थर स्वर्ग का है ।<br />समाधान -<br />हिन्दू के लिए कण-कण परमात्मा का है<br />यो भूतं च भव्य च सर्व यश्चाधितिष्ठति<br />स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नम:.<br /><br />जो भूत, भविष्य और सबमें व्यापक है, जो दिव्यलोक का भी अधिष्ठाता है, उस ब्रह्म को प्रणाम है.(अथर्ववेद 10-8-1)<br /><br />@ जमाल साहब-यह मनुष्य को उसके महान स्वर्गिक पद और रूप की स्मृति का बोध कराता है ।<br />@ जमाल साहब-यह मनुष्य पर ईश्वर के जीवन रूपी सबसे बड़े वरदान की याद दिलाता है ।<br />समाधान -<br />मूर्ति-पूजा क्या है? पत्थर, मिट्टी, धातु या चित्र इत्यादि की प्रतिमा को माध्यस्थ बनाकर हम सर्वव्यापी अनन्त शक्तियों और गुणों से सम्पन्न परमात्मा को अपने सम्मुख उपस्थित देखते हैं । निराकार ब्रह्म का मानस चित्र निर्माण करना कष्टसाध्य है । बड़े योगी, विचारक, तत्ववेत्ता सम्भव है यह कठिन कार्य कर दिखायें,किन्तु साधारण जन के जिए तो वह नितांत असम्भव सा है । मानस चिन्तन और एकताग्रता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रतीक रूप में मूर्ति-पूजा की योजना बनी है । साधक अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान की कोई भी मूर्ति चुन लेता है और साधना अन्तःचेतना ऐसा अनुभव करती है मानो साक्षात् भगवान से हमारा मिलन हो रहा है ।<br /><br />@ जमाल साहब-यह शून्य रूपाकार वाला पत्थर इनसान को उसकी वास्तविक पापशून्य स्थिति की भी याद दिलाता है । इनसान के अवचेतन में उसका इतिहास और उसकी स्मृतियां मौजूद होती हैं ।<br />समाधान -<br />परम तत्त्व की आकृति के बारे में प्रत्येक समुदाय, वर्ग में भेद हो सकता है। एक ग्रीक दार्शनिक ने कहा है कि यदि कुत्ते, गधे और ऊँट भी चित्र बना सकते तो उनके ईश्वर की आकृति भी उन्हीं की तरह होती। यानी अपने अपने मनोजगत् के आधार पर ही धर्म की आकृति स्वरूप लेती है। आप उसे मूर्ति कह लें या कोई विशेष आकृति। यदि हम किसी विशेष दिशा की ओर मुँह करके पूजा करते हैं या ईंट-पत्थर को जोड कर किसी पवित्र स्थल का निर्माण करते हैं जहाँ कुछ देर के लिए जाकर हम उस एक परम सत्ता का ध्यान कर सकें, अपने को जोड सकें उससे तो यह कृत्य भी उस निराकार विराट् सत्य को एक साकार रूप में सीमित करने की प्रक्रिया है।<br /><br />@ जमाल साहब-इस दिव्य चिन्ह को देखते ही उसके अवचेतन में दबा पड़ा उसका निष्पापी स्वरूप उसकी चेतना पर छा जाता है और उसके लिए पाप के मार्ग पर और आगे बढ़ना असंभव बना देता है । इस समय एक मानव अपने उस रूप को पा लेता है जैसा कि वह अपने शिशुकाल में था । यहीं से उसके दिल में अपने गुनाहों पर शर्मिन्दगी पैदा होती है , जो तौबा का रूप ले लेती है ।<br />समाधान -<br />'' हमारे यहाँ मूर्तियाँ मन्दिरों में स्थापित हैं, जिनमें भावुक जिज्ञासु पूजन, वन्दन अर्चन के लिए जाते हैं और ईश्वर की मूर्तियों पर चित्त एकाग्र करते हैं । घर में परिवार की नाना चिन्ताओं से भरे रहने के कारण पूजा, अर्चन, ध्यान इत्यादि इतनी तरह नहीं हो पाता, जितना मन्दिर के प्रशान्त स्वच्छ वातावरण में हो सकता है । अच्छे वातावरण का प्रभाव हमारी उत्तम वृत्तियों को शक्तिवान् बनाने वाला है । मन्दिर के सात्विक वातावरण में कुप्रवृत्तियाँ स्वयं फीकी पड़ जाती हैं ।<br />मूर्ति-पूजा के साथ-साथ धर्म मार्ग में सिद्धांतमय प्रगति करने के लिए हमारे यहाँ त्याग और संयम पर बड़ा जोर दिया गया है । सोलह संस्कार, नाना प्रकार के धार्मिक कर्मकाण्ड, व्रत, जप, तप, पूजा, अनुष्ठान,तीर्थ यात्राएँ, दान, पुण्य, स्वाध्याय, सत्संग ऐसे ही दिव्य प्रयोजन हैं, जिनसे मनुष्य में संयम ऐसे ही दिव्य प्रयोजन हैं, जिनसे मनुष्य में संयम और व्यवस्था आती है । मन दृढ़ बनकर दिव्यत्व की ओर बढ़ता है । आध्यात्मिक नियंत्रण में रहने का अभ्यस्त बनता है ।Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-88319100849810114032010-03-24T15:31:55.144+05:302010-03-24T15:31:55.144+05:30This comment has been removed by the author.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-21262948232866912862010-03-24T15:16:39.766+05:302010-03-24T15:16:39.766+05:30@ Anonymous: जब किसी वस्तू को करोडो-अरबों लोग छूते...@ Anonymous: जब किसी वस्तू को करोडो-अरबों लोग छूते हैं तो उनके हाथो के स्पर्श और गंदगी से भी किसी भी वस्तु का रंग बदल जाना स्वाभाविक है. रही बात आकार की तो ऊपर समझा गया है, परन्तु आपके ऊपर एक कहावत एकदम ठीक बैठती है, कि सोने वाले को जगाया जा सकता है, परन्तु सोने का नाटक करने वाले को जगाना मुश्किल है.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-78299009873139551732010-03-24T15:16:15.985+05:302010-03-24T15:16:15.985+05:30@ab inconvenienti:
आपकी तस्वीर देखकर लगता है आप पढ...@ab inconvenienti:<br />आपकी तस्वीर देखकर लगता है आप पढने एवं समझने की जगह हंसने में सारा समय व्यर्थ कर देते हैं. <br /><br />श्रीमान मेरे कहने का मतलब भी वही था, लोग उसे इतनी अधिक संख्या में छूते हैं कि उनके पापो के प्रभाव से संगे अस्वद काला हो गया है.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-46350140795150138852010-03-24T15:15:23.394+05:302010-03-24T15:15:23.394+05:30@ ab inconvenienti ji, जैसे हर चमकती चीज़ सोना नही...@ ab inconvenienti ji, जैसे हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती और हर खुला मुँह गुदा नहीं होता वैसे ही हर गोल चीज़ योनि नहीं होती और हर काला पत्थर पेनिस के अर्थ वाला शिवलिंग नहीं होता. मैं आपसे १० साल बड़ा हूँ. क्या अपने चाचा से बात करने का कोई संस्कार नहीं सिखाया माँ ने ?<br />मुझे अपना लहजा बदलने पर मजबूर मत करो. <br />अरे कोई समझाओ इस अर्ध बूढ़े को.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-8806359726095852202010-03-24T15:02:52.701+05:302010-03-24T15:02:52.701+05:30@ साहिबे देश धर्म जी,
वर्क ज़्यादा और टाइप स्पीड ...@ साहिबे देश धर्म जी, <br />वर्क ज़्यादा और टाइप स्पीड कम होने के कारण जवाब नहीं दे पाता क्षमा.<br />पाचन प्रॉब्लम के बाइस मैं भी शाकाहारी हूँ.<br />आप शिष्य नही बल्कि गुरू हैं और वो भी प्राचीनकाल से.<br />खुद को पहचानें कृपा होगी.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-63625412507444391742010-03-24T14:41:52.472+05:302010-03-24T14:41:52.472+05:30@ab inconvenienti
Kii post se ye to sabit ho gaya...@ab inconvenienti <br />Kii post se ye to sabit ho gaya ki kaba ka pather, YONI ke hii aakara ka hain, Jese musalmaan bhai kiss karte hainAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-76491017358447988152010-03-24T13:11:33.683+05:302010-03-24T13:11:33.683+05:30जान लें की यह पत्थर असलियत में सफ़ेद है, जो लोगों ...<b>जान लें की यह पत्थर असलियत में सफ़ेद है, जो</b> <i>लोगों के हाथ पड़ते पड़ते काला हो गया</i><br /><br /><b>और उसका मूलत: रंग सफ़ेद है, लेकिन लोगो ने उसको </b><i>छू-छू कर काला कर दिया है</i>.<br /><br />पर इस्लाम के माने हुए जानकार शेख तबरसी तो कुछ और ही फरमाते हैं, <br /><br /><br /><br />Muslims <strong><b><i>believe</i> </b></strong>that the stone was originally pure and dazzling white, but has since turned black because of the <i>sins it has absorbed over the years</i>.<br /><br />^ Shaykh Tabarsi, Tafsir, vol. 1, pp. 460, 468. Quoted in translation by Francis E. Peters, Muhammad and the Origins of Islam, p. 5. SUNY Press, 1994. ISBN 0-7914-1876-6ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-55654305864852414172010-03-24T13:01:01.083+05:302010-03-24T13:01:01.083+05:30AAP LOG SABHI MERE SE AGE MAIN BADE HAI MERA AGE 2...AAP LOG SABHI MERE SE AGE MAIN BADE HAI MERA AGE 20 HAI PAR SHAYAD KUCH AAP KO BATANA CAHTA HU PAGAMBER SAHAB KURESH VANSH KE THE JAHA WO BHI HINDU KI TARAH POOJA PATH MURTI POOJA KARTE THE AUR JO KABA KI BAAT HO RAHI HAI USE RAJA VIKRAMADITYA NE BANAYA MUSLIM BHAI LOG KITNE MURKH HOTE HAI AAJ PATTA CHALA AAJ TAK MAINE NAHI SUNA AUR DEKHA KI KOI SAFED ( WHITE ) CHEEZ KO HATH LAGAYE TO KALA HOGA KYO KI JAB HUM CHAVAL ( RICE ) MAMULI CHEEZ KO BHI CHUE TO KALI NAHI HOGI DOOSRI BAAT KI AAP KA WO BLACK STONE ITNA PROTECT HAI PHIR WHITE SE KALA KAISE HO GAYA AUR HO BHI GAYA TO AAP KA WO DHARAM AUR KABA GALAT HO GAYE AGAR SACHA ALLAH KA HOTA TO RANG KABHI NA BADALTA ALLAH USKI HIFAZAT KARTA HUM BHI SHIVLING KI POOJA KARTE HAI KAHI KAHI WHITE SHIVLING BHI HOTA HAI PAR NA AAJ TAK DEKHA AUR SUNA KI WO KALA HO GAYA JABKI MUSLIM US KABA PAR ITNA KHARCH KARTE HAI AUR HUM LOG JAYDA NAHI KARTE ..................... JAI SHRI RAM JAI HIND.... HAR HAR MAHADEVAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-8870333145430057322010-03-24T12:46:03.095+05:302010-03-24T12:46:03.095+05:30संगे अस्वाद के ऊपर बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने....संगे अस्वाद के ऊपर बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने. यह लेख वाकई प्रशंसा के काबिल है.MLAhttps://www.blogger.com/profile/01330257551777277733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20288300968849184692010-03-24T12:44:52.559+05:302010-03-24T12:44:52.559+05:30शिव भी परमेश्वर का गुणवाचक नाम है और ब्रह्मा भीशिव भी परमेश्वर का गुणवाचक नाम है और ब्रह्मा भीSaleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-18145500817399567312010-03-24T12:35:00.329+05:302010-03-24T12:35:00.329+05:30मेरे भाई अरब जाने के लिए मांस खाने की कोई आवश्यकता...मेरे भाई अरब जाने के लिए मांस खाने की कोई आवश्यकता नहीं है. ना ही हर एक मुसलमान मांसाहारी होता है. इसलिए वहां पर हर तरह के भोजन का बंदोबस्त होता है. आप जाने का इरादा तो बनाइये.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-46470641179804272282010-03-24T12:31:29.359+05:302010-03-24T12:31:29.359+05:30@ ab inconvenienti
जैसा कि अनवर भाई ने बता कि &qu...@ ab inconvenienti<br /><br />जैसा कि अनवर भाई ने बता कि "हज्रे अस्वद एक अण्डाकार काला पत्थर है।" इसके बाद आपका प्रश्न स्वत: ही बेमानी हो जाता है. आप शायद उस पत्थर को ढंकने वाले कवर से प्रभावित हैं. जबकि हज्रे अस्वाद उसके अन्दर दिखाई देने वाला पत्थर मात्र है. और उसका मूलत: रंग सफ़ेद है, लेकिन लोगो ने उसको छू-छू कर काला कर दिया है.<br /><br />इसलिए कहते हैं किसी को जानने के लिए उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेना ही उचित होता है.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-50848816549387423432010-03-24T12:01:28.310+05:302010-03-24T12:01:28.310+05:30आदरणीय गुरूजी (जमाल जी) प्रणाम
लगता है चेले से ...आदरणीय गुरूजी (जमाल जी) प्रणाम <br /><br />लगता है चेले से कुछ भूल हो गई, इसीलिए जवाब नहीं लिखा, गुरूजी एक बार मेरे ब्लॉग पर आके एक निर्देश दे दिया होता |<br />निवेदन है आप से की मुझे एकलव्य न बनने दें, नहीं तो गलती से कुछ सीख भी गया तो .............<br /><br />आप के साथ काबा भी चलने को तैयार हूँ, लेकिन एक समस्या है, मैं मांस नहीं खाता, और अरब जाकर मैं कहीं अकेला ना पड़ जाऊं इसलिए , गुजारिश की थी की "अहिंसा व्रत ले लें"<br /><br />माना की आप के पास समय नहीं, लेकिन चेले के लिए थोडा समय निकालना तो आपका पड़ेगा ही, क्योंकि जब मैं आपको हर मुश्किल झेल कर लिखता हूँ तो जवाब तो आप को देना ही पड़ेगा, आज नहीं तो कल <br /><br />मुरीद आपका <br /><br />पंकजAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-66331704404580831932010-03-24T09:36:13.735+05:302010-03-24T09:36:13.735+05:30मुझे लगता है काबे पर इससे स्पष्ट कोई पोस्ट नहीं हो...मुझे लगता है काबे पर इससे स्पष्ट कोई पोस्ट नहीं हो सकती है. एक बात जो मैं जोड़ना चाहता हूँ वह यह की जो लोग इस पत्थर के काला होने की वजह से इसे शिवलिंग से जोड़ रहे हैं वह जान लें की यह पत्थर असलियत में सफ़ेद है, जो लोगों के हाथ पड़ते पड़ते काला हो गया.zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.com