tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post8723629884862669848..comments2023-10-18T23:46:43.430+05:30Comments on Ved Quran: Satanic activities पवित्र कुरआन की आयतों को साक्षात होते देख रहा है ब्लॉगिस्तानDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-45395809226295845422010-05-23T19:47:53.402+05:302010-05-23T19:47:53.402+05:30डॉ. साहब आप कमेन्ट पर ब्लॉग likh देते हे ,इस से अ...डॉ. साहब आप कमेन्ट पर ब्लॉग likh देते हे ,इस से अछ्हा कोई subject पर लिखेManhttps://www.blogger.com/profile/04207741457433540498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-67646684218435767192010-05-23T17:39:08.104+05:302010-05-23T17:39:08.104+05:30कुछ अरसा पहले एक केन्द्रीय मंत्री के आवास पर लड़की...कुछ अरसा पहले एक केन्द्रीय मंत्री के आवास पर लड़की के पिता से मिलना हुआ... बातचीत के दौरान हमने उनकी बेटी की खैरियत पूछी तो कहने लगे- अपनी ससुराल में बहुत ख़ुश है... ख़ास बात यह है कि पूजा-पाठ को लेकर उससे कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की जाती... जैसा हमारे यहां है... हमारे परिवार में कोई हिन्दू लड़की आ जाती तो उसके "पक्का मुसलमान" बनाकर ही दम लेते... उनकी इस बात पर हमें हंसी आ गई और वो भी हंसने लगे... उन्होंने बताया कि दोनों ही अब किसी मज़हब को नहीं मानते... उन्होंने यह भी बताया कि उनके मुस्लिम दोस्त नाराज़ हो गए कि हमने तो लड़के को 'मुसलमान' बना दिया था... फिर क्यों उसे हाथ से जाने दिया...? आख़िर किसी हिन्दू को इस्लाम में लाने के लिए मिलने वाला 10 हज का सवाब जो ज़ाया (व्यर्थ) हो गया था... <br /><br />हमने सोचा... लड़की और लड़के दोनों में ही एक-दूसरे के लिए त्याग का जज़्बा है... दोनों ने ही अपने साथी के लिए अपना मज़हब छोड़ा... ऐसे जोड़े तो विरले ही मिलते हैं... ख़ुदा (ईश्वर) इन्हें हमेशा ख़ुश रखे...आमीन.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-8532155870318569242010-05-23T14:22:24.419+05:302010-05-23T14:22:24.419+05:30अल्लाह सबको हिदायत देअल्लाह सबको हिदायत देAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-83536395248596394352010-05-23T13:45:21.278+05:302010-05-23T13:45:21.278+05:30बुर्क़े की क़ैद से आज़ादी : वो सुबह कभी तो आएगी......<b>बुर्क़े की क़ैद से आज़ादी : वो सुबह कभी तो आएगी...</b><br />Posted Star News Agency Thursday, May 13, 2010 <br /> <b>फ़िरदौस ख़ान</b><br /><br /> <br />गौरतलब है कि इससे पहले मिस्र की राजधानी काहिरा स्थित अल-अज़हर विश्वविद्यालय के इमाम शेख़ मोहम्मद सैयद तांतवई ने कक्षा में छात्राओं और शिक्षिकाओं के बुर्क़ा पहनने पर रोक लगाकर एक साहसिक क़दम उठाया था. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ कई इस्लामी सांसदों ने शेख़ तांतवई के इस्तीफ़े की मांग करते हुए इसे इस्लाम पर हमला क़रार दिया था. हालांकि बुर्क़े पर पाबंदी लगाने का ऐलान करने के बाद इमाम शेख़ मोहम्मद सैयद तांतवई ने क़ुरान का हवाला देते हुए कहा है कि नक़ाब इस्लाम में लाज़िमी (अनिवार्य) नहीं है, बल्कि यह एक रिवाज है.<br /><br />उनका यह भी कहना है कि 1996 में संवैधानिक कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि कोई भी सरकारी मदद हासिल करने वाले शिक्षण संस्था का अधिकारी स्कूलों में इस्लामिक पहनावे पर अपना फ़ैसला दे सकता है. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों एक स्कूल के निरीक्षण के दौरान शेख़ मोहम्मद सैयद तांतवई ने एक छात्र से अपने चेहरे से नक़ाब हटाने को भी कहा था. गौरतलब है कि मिस्र के दानिश्वरों का एक बड़ा तबका बुर्क़े या नक़ाब को गैर ज़रूरी मानता है. उनके मुताबिक़ नक़ाब की प्रथा सदियों पुरानी है, जिसकी शुरूआत इस्लाम के उदय के साथ हुई थी. अल-अज़हर विश्वविद्यालय सरकार द्वारा इस्लामिक कार्यो के लिए स्थापित सुन्नी समुदाय की एक उदारवादी संस्था मानी जाती है, जो मुसलमानों की तरक्की को तरजीह देती है. इसलिए अल-अज़हर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों और शिक्षिकाओं के नक़ाब न पहनने को सरकार द्वारा सार्वजनिक संस्थानों में बुर्क़ा प्रथा पर रोक लगाने का एक हिस्सा माना जा रहा है. क़ाबिले-गौर है कि सऊदी अरब के दूसरे देशों के मुक़ाबले मिस्र काफ़ी उदारवादी देश है. अन्य मुस्लिम देशों की तरह यहां भी बुर्क़ा या नक़ाब पहनना एक आम बात है.<br /><br /><a href="http://www.starnewsagency.in/2010/05/blog-post_12.html" rel="nofollow"> See Full Story </a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-89901071533173707452010-05-23T12:59:28.358+05:302010-05-23T12:59:28.358+05:30mohd maqsud inamdar ने कहा…
बहन फ़िरदौस हमेशा इंसा...mohd maqsud inamdar ने कहा…<br />बहन फ़िरदौस हमेशा इंसानियत की बात करती हैं, इसलिए कुछ मुल्ला बलोगरों ने उन्हें मुसलमान मानने से इनकार कर दिया. "इंसानियत का दुश्मन "मुसलमान" होने से कहीं बेहतर है इंसानियत से सराबोर "काफ़िर" होना. हम भी खुद को ऐसा "काफ़िर" कहलाना पसंद करेंगे, जो राहे-हक़ पर हो<br />Aaj muslim aurate islam mein ghutan mahasoos kar rahii hain,<br />vo kewal bachha paida karne kii machine ho gaya hain jab chaahe jo chahe (sasur bhii..), unse bachaa paide kar deta hainAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-56544960803045415582010-05-23T12:57:09.002+05:302010-05-23T12:57:09.002+05:30IRFAN ने कहा…
theek kaha,dharm se badhkar insaaniy...IRFAN ने कहा…<br />theek kaha,dharm se badhkar insaaniyat hai.pahle hum insaan hain.<br />rahi Firdaus ki himmat ki baat unhein meri shubhkaamnaayen.<br /><br /><a href="http://laraibhaqbat.blogspot.com/2010/05/blog-post_21.html" rel="nofollow"> click Here</a> to see postAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-19428329753169701482010-05-23T12:55:30.848+05:302010-05-23T12:55:30.848+05:30बेनामी ने कहा…
अब वो किसी मज़हब को नहीं मानते...फ़...बेनामी ने कहा…<br />अब वो किसी मज़हब को नहीं मानते...फ़िरदौस ख़ान<br /><br />बात देश की राजधानी दिल्ली की है... और कई साल पहले की है... एक मुस्लिम लड़की और एक हिन्दू लड़का विवाह करना चाहते थे, लेकिन मज़हब उनकी राह का रोड़ा बना हुआ था... लड़की के पिता के कुछ मुस्लिम दोस्त मदद को आगे आए... उन्होंने लड़के से कहा कि उसे लड़की से विवाह करना है तो इस्लाम क़ुबूल करना पड़ेगा... मरता क्या न करता... उसने यह शर्त मान ली... दोनों का निकाह हो गया... अब यह जोड़ा मुसलमान था...<br /><br />अब मुश्किल यह थी कि लड़की का पिता ख़ुद धर्मांतरण के ख़िलाफ़ होने वाली मुहिमों में बढ़-चढ़कर शिरकत करता है... अब क्या होगा...? उसने कुछ हिन्दू मित्रों ने बात की और उनकी ही सलाह पर एक मन्दिर में जाकर हिन्दू रीति-रिवाज से एक बार फिर से दोनों का विवाह करा दिया गया... अब यह जोड़ा हिन्दू था...<br /><br />लड़की अब अपनी हिन्दू ससुराल में है... ख़ास बात यह है कि अब दोनों में से कोई भी मज़हब को नहीं मानता...<br /><br />कुछ अरसा पहले एक केन्द्रीय मंत्री के आवास पर लड़की के पिता से मिलना हुआ... बातचीत के दौरान हमने उनकी बेटी की खैरियत पूछी तो कहने लगे- अपनी ससुराल में बहुत ख़ुश है... ख़ास बात यह है कि पूजा-पाठ को लेकर उससे कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की जाती... जैसा हमारे यहां है... हमारे परिवार में कोई हिन्दू लड़की आ जाती तो उसके "पक्का मुसलमान" बनाकर ही दम लेते... उनकी इस बात पर हमें हंसी आ गई और वो भी हंसने लगे... उन्होंने बताया कि दोनों ही अब किसी मज़हब को नहीं मानते... उन्होंने यह भी बताया कि उनके मुस्लिम दोस्त नाराज़ हो गए कि हमने तो लड़के को 'मुसलमान' बना दिया था... फिर क्यों उसे हाथ से जाने दिया...? आख़िर किसी हिन्दू को इस्लाम में लाने के लिए मिलने वाला 10 हज का सवाब जो ज़ाया (व्यर्थ) हो गया था... <br /><br />हमने सोचा... लड़की और लड़के दोनों में ही एक-दूसरे के लिए त्याग का जज़्बा है... दोनों ने ही अपने साथी के लिए अपना मज़हब छोड़ा... ऐसे जोड़े तो विरले ही मिलते हैं... ख़ुदा (ईश्वर) इन्हें हमेशा ख़ुश रखे...आमीन..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-55486175248571310702010-05-23T10:58:52.960+05:302010-05-23T10:58:52.960+05:30ऐसे लोग गोबर की तरह है, जो जगह-जगह फ़ैल कर बदबू फै...ऐसे लोग गोबर की तरह है, जो जगह-जगह फ़ैल कर बदबू फैलाना चाहते हैं. लेकिन योग्य व्यक्ति गोबर को भी खाद की तरह इस्तेमाल करना जानते हैं. इस तरह के गोबर को खाद ना बनाया गया तो बदबू फैलती रहेगी. :)Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-78561628631544747842010-05-23T10:57:29.332+05:302010-05-23T10:57:29.332+05:30अनवर भाई, मेरे ख्याल से तो सभी ब्लोगर्स को बेनामी ...अनवर भाई, मेरे ख्याल से तो सभी ब्लोगर्स को बेनामी ऑप्शन बंद कर देना चाहिए, तथा ऐसे फर्जी लोगो के खिलाफ केस करना चाहिए. किसी के नाम का इस्तेमाल करके किसी को बदनाम करना और सनसनी फैलाना बहुत ही बुरी बात है. इसका विरोध सशक्त तरीके से करना चाहिए.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20004336665631233532010-05-23T08:17:22.406+05:302010-05-23T08:17:22.406+05:30मुझे तो यह अनवर जमाल की ही चाल लगती है कि अपने विर...मुझे तो यह अनवर जमाल की ही चाल लगती है कि अपने विरोधियो को इस फर्जी आईडी से कुछ भी कह दो और साफ सुथरे बने रहोnitin tyagihttp://www.islamdharma.orgnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-23610718351850466402010-05-23T08:07:43.723+05:302010-05-23T08:07:43.723+05:30यहाँ तो एक ही भारी लगता था अब दूसरे को कैसे झेलेगे...यहाँ तो एक ही भारी लगता था अब दूसरे को कैसे झेलेगेnitin tyagihttp://www.bharat.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-52713856684746065912010-05-23T08:01:28.763+05:302010-05-23T08:01:28.763+05:30अनवर साहब अब तो नकली भी आ गए मजा आएगाअनवर साहब अब तो नकली भी आ गए मजा आएगाज़ाहिद देवबंदीhttp://www.islamdharma.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-51175415723747922592010-05-23T00:48:12.396+05:302010-05-23T00:48:12.396+05:30GOOD POSTGOOD POSTसहसपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/09067316996435869621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-81952407462473328012010-05-22T23:44:50.926+05:302010-05-22T23:44:50.926+05:30nice postnice postMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-57006323573202803862010-05-22T22:28:31.648+05:302010-05-22T22:28:31.648+05:30अच्छी पोस्टअच्छी पोस्टAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-15377403290428923572010-05-22T21:55:14.312+05:302010-05-22T21:55:14.312+05:30जब शैतान देखता है की बातिल की तरफ से लोग खबरदार हो...जब शैतान देखता है की बातिल की तरफ से लोग खबरदार हो रहे हैं तो वह हक में बातिल की मिलावट कर देता है, ताकि लोग कन्फ्यूज़ हो जाएँ. लेकिन अल्लाह के सच्चे बन्दे इससे बेअसर रहते हैं, क्योंकि वह पढ़ते हैं, 'एह्दिनस-सिरातल-मुस्तकीम!'zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-11574027537558668222010-05-22T21:51:29.623+05:302010-05-22T21:51:29.623+05:30नेकी और बदी की जंग शुरू से ही जारी है । नेकी और सच...नेकी और बदी की जंग शुरू से ही जारी है । नेकी और सच्चाई के आम होने से झूठ और अंधविश्वास का ख़ात्मा होना निश्चित है । इनके ख़त्म होने से बहुत से ऐसे लोगों का वुजूद ही मिट जाएगा जिन्हें झूठ और अंधविश्वास के बल पर ही समाज में धन,पद और वैभव प्राप्त है । <br />AnonymousAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-30299281479895800132010-05-22T21:48:57.004+05:302010-05-22T21:48:57.004+05:30Request as a order बहन फ़िरदौस की ख़ातिर भाई एजाज़ इ...Request as a order बहन फ़िरदौस की ख़ातिर भाई एजाज़ इदरीसी से एक पठानी विनती<br />http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/05/request-as-order.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-90477412516590307572010-05-22T21:35:34.653+05:302010-05-22T21:35:34.653+05:30maqsad nek ho toh koi kuchh nahin bigad sakta bha...maqsad nek ho toh koi kuchh nahin bigad sakta bhai !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com