tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post820936926938515212..comments2023-10-18T23:46:43.430+05:30Comments on Ved Quran: Mandir-Masjid मैं चाहता हूं कि अयोध्या में राम मन्दिर बने - Anwer JamalDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger80125tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-67437681069000172662011-09-03T22:22:15.064+05:302011-09-03T22:22:15.064+05:30मन आनंदमग्न हो गया आपकी पोस्ट पढ़कर !
जो राम है व...मन आनंदमग्न हो गया आपकी पोस्ट पढ़कर ! <br />जो राम है वही रहीम है <br />जो कृष्ण है वही करीम है <br />इसी विचार में हमारी सलामती, ख़ुशी, और तरक्की है | समय आ गया है कि हम हिन्दू-मुसलमान फूल और खुशबू की तरह रहें |sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-64618123914297640852011-09-03T20:41:59.556+05:302011-09-03T20:41:59.556+05:30'कहाँ क्या बना', 'क्या बनना चाहिए'...'कहाँ क्या बना', 'क्या बनना चाहिए' जैसे सवाल उठने लगें तो जहाँ हम खड़े हैं वहाँ खड़े रहना मुश्किल हो जाएगा. समय आ गया है कि मानवीय भावना को तरजीह दी जाए.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-21553975150229557192010-09-30T19:42:21.898+05:302010-09-30T19:42:21.898+05:30@ S. M. MASUM
APNE THIK HI KAHA HAI................@ S. M. MASUM <br /><br />APNE THIK HI KAHA HAI..............Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07730614910433993510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-82108698881797503502010-09-30T19:40:54.888+05:302010-09-30T19:40:54.888+05:30@ S. M. MASUM
APNE THIK HI KAHA HAI................@ S. M. MASUM <br /><br />APNE THIK HI KAHA HAI..............Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07730614910433993510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-33255642407937363002010-09-26T10:31:45.847+05:302010-09-26T10:31:45.847+05:30रविन्द्र नाथ जी, इस्लाम में आकार, अल्लाह का नहीं ...रविन्द्र नाथ जी, इस्लाम में आकार, अल्लाह का नहीं , मिलेगा कहीं, अल्लाह से जुडी पवित्र चीज़ें, या नबी, पैग़म्बर , ही अकार हैं. मुस्लिम इन सभी अकार कि इज्ज़त करता है और इबादत सिर्फ ओ सिर्फ खुदा कि करता है..S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-78054094152571439862010-09-25T22:09:59.581+05:302010-09-25T22:09:59.581+05:30आप लोग अपने जवाब नई पोस्ट पर देखें .<a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/09/mystery-of-ram-nam-anwer-jamal.html" rel="nofollow">आप लोग अपने जवाब नई पोस्ट पर देखें .</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-11298247826365300452010-09-25T15:53:56.686+05:302010-09-25T15:53:56.686+05:30जमाल जी निराकार उपासना निश्चय ही शुद्धतम रूप है पर...जमाल जी निराकार उपासना निश्चय ही शुद्धतम रूप है परन्तु इसका अर्थ यह नही की साकार को पूरी तरह खारिज कर दिया जाए। साकार उपासना निराकार उपासना की सीढी के रूप मे प्रयुक्त होती है, अतः इससे बैर नही किया जा सकता। रही बात कौन ईश्वर है कौन नही, तो मैं इतना कहता हूँ कि मेरा ईश्वर आपके ईश्वर से अलग नही हो सकता, अब यह तो अपनी अपनी भावना पर निर्भर करता है।<br /><br />अब निराकार भी पूरी तरह से कहाँ इस पर टिक पाते हैं - जैसे काबा का मस्जिद भी एक आकार है, तो इसको ही क्यों पूज्य मानना, इसी दिशा कि तरफ क्यों, इसाईयों मे झूला, कबूतर की तस्वीर की महत्ता, यह सब इस बात को इंगित करती है कि निराकार के उच्च भाव को प्राप्त करने तक हमे एक बुत या बहाने की जरूरत पडती है जो हमको धीरे धीरे उस उच्च भाव तक पहुंचने मे मदद देता है।<br /><br />सत्य यही है, स्वीकारना या न स्वीकरना व्यक्तिगत आस्था का प्रश्न है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-48785367069829037062010-09-25T13:24:15.185+05:302010-09-25T13:24:15.185+05:30अन्वेर जमाल साहब माज़रत से साथ अर्ज़ है अम्र बिल ...अन्वेर जमाल साहब माज़रत से साथ अर्ज़ है अम्र बिल मारुफ़ और नही अनिल मुनकर, आप इस्लाम कि, अच्छी बातों को पेश कर के भी कर सकते हैं. अल्लाह एक है यह कुरआन और हदीथ के हवाले से दुनिया को बता सकते हैं. मुझे अभी तक नहीं दिखा इस पोस्ट में कुछ ऐसा , जिसको अम्र बिल मारुफ़ और नही अनिल मुनकर समझा जाए. कुछ इस्पे रौशनी डालें?S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20446716715926489922010-09-25T11:16:27.538+05:302010-09-25T11:16:27.538+05:30मेरी सही बाते भी आपको गलत नजर आती है और मेरी सही ब...मेरी सही बाते भी आपको गलत नजर आती है और मेरी सही बातो को भी आप गलत साबित कर रहे है तो ये आपका नजरिया है, इसमें मै तो कुछ नहीं कर सकता कि आपकी सोच, आपका इल्म अगर सही गलत को परख न सके ! सीधी सच्ची बात में भी टेडापान पैदा कर दे ये तो लफ्फाजी का हुनर है !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-51679223179513070032010-09-25T10:51:49.646+05:302010-09-25T10:51:49.646+05:30पड़ना लिखना अलग बात है और समझ कर अम्ल कर लेना अलग, ...पड़ना लिखना अलग बात है और समझ कर अम्ल कर लेना अलग, इंसान सही इल्म पाकर अमल करना शुरू करे तो कबीले कबूल है वर्ना तो कर हजारों लाखो, करोडो लोग मस्जिदों से लेकर हरम कि दरों दीवार पर सर पटकते फिरते है लेकिन हिदायत नहीं मिलती ! अल्लाह जिसे चाहता है हिदायत देता है और जिसे चाहता है गुमराह करता है और अल्ल्लाह हिदायत भी उसे ही देता है जो हिदयात कि तमन्ना करता है, हिदायत के लिए जद्दो जहद करता है !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-78108271290224953592010-09-25T10:51:00.551+05:302010-09-25T10:51:00.551+05:30कई लोग है आज भी जो इसी पर काम कर रहे है कि फिरका प...कई लोग है आज भी जो इसी पर काम कर रहे है कि फिरका परस्त को खत्म किया जाए और जो गलत तर्जुमा या गलत बातें जिस किसी कि कही गयी उसके बारे में लोगो को बता रहे है चाहे वो तर्जुमा अशरफ अली थानवी का हो. मौलना मौदिदी का हो, या कोई और जुनागड्ड वाले हो या चुना भट्टी वाले हो, ये अलग बात है कि आपने कभी उन लोगो कि तरफ तवज्जो नहीं दी या आके इल्म नहीं आई,<br /><br />वो जब सच बयान करते है तो कई लोगो को तकलीफ शुरू होती है क्योकि वो सच होता है, आप कि तरह चिकिनी चुपड़ी बाते नहीं करते!<br /><br /> न ही मुझे ऐसी बाते करनी आती है ! ये तो कई आलिम बयान कर चुके है कि देवबंद और बरेलवी के अकीदा कुफ्र और शिर्क वाले है और इसके लिए देवबंद और बरेलवी के उलेमा को खुला चैलेन्ज दिया जा चूका है कि वो साबित करे कि उनके अकीदा कुफ और शिर्क वाले नहीं है ! <br /><br />लेकिन अफ़सोस ये वो दौर नहीं है कि खलीफा भी अगर कोई गलत बात कहता या गलती से उसके मुंह से कोई बात कुरान सुन्नत के खिलाफ निकल जाती तो आम मुसलमान भी इतना इल्म रखता था और उसे ये हक था कि खलीफा कि इस्लाह कर देता था ! आज किसी आलिम को या उलेमा को आम मुस्लिम कुछ कहे तो वो ऐसे भड़क जाता है जैसे गर्म तवे पर बिठा दिया हो ?<br /><br />अकीदा क्या हो और उसके ऊपर अमल कैसे करवाया जाए इस कि जिम्मेदारी तो आलिमो की है, वो जैसा चाहे आम मुसलमानों को मोड दे, जैसा चाहे कुरआन हदीस को बयान कर दे, कौन रोकने वाला है ? कोई समझेगा तो रोकेगा ? जो समझते ही नहीं, जानते ही नहीं वो क्या किसी को बताएँगे ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-10420247555661844302010-09-25T10:47:46.763+05:302010-09-25T10:47:46.763+05:30आज आम मुसलमानों को न तो अरबी का इल्म है, न कुरआन ह...आज आम मुसलमानों को न तो अरबी का इल्म है, न कुरआन हदीस का इल्म, न ही उन्होंने सीखने कि जरूरत समझी, बस किसी कि तकलीद अंधी पैरवी करना दीन समझा तो वो क्या समझ पायेगा कि अकीदा क्या है और कौन सा आलिम, उलेमा सही है और कौन सा गलत, कौन से मदरसा का अकीदा क्या है ? मुमकिन है जिसे वो इस्लाम समझ कर अमल कर रहे हो वो कुफ्र हो हो या शिर्क हो, <br /><br />आज सही और गलत कोई मायेने नहीं रखता बस लोगो कि पसंदीदा बात होनी चाहिए, लोगो ने कुछ किताबे पड़ी और उन किताबो कि तहकीक भी करना जरूरी नहीं समझा कि फलां मौलाना या आलिम कि किताब में कौन सी बात सही है कौन सी गलत, बस हवाला देना काफी हुआ, जैसे कि वो मौलाना या उलेमा पर वहि नाजिल हुए हो ?<br /><br />कुछ मुसलमान नाम वाले आके आपके लेख कि तारीफ करे बस आपका यही मकसद भर है शायद, सो आपने सोचा मै भी आपकी हर बात में हाँ में हाँ मिला दूंगा, मेरे नजदीक जो भी गलत आया या मैंने पाया मैंने उसको गलत ही कहा है !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-18307952155286187212010-09-25T10:45:20.899+05:302010-09-25T10:45:20.899+05:30* गलती सुधार
जो नहीं जान पा रहे वो तो ठगे जायेंगे ...* गलती सुधार<br />जो नहीं जान पा रहे वो तो ठगे जायेंगे ही, तो ठगने का कसूर उनका ही है !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-26484058835704105042010-09-25T10:43:38.270+05:302010-09-25T10:43:38.270+05:30एक दुकानदार दूकान खोल कर बैठा और उसने सामान सजा दि...एक दुकानदार दूकान खोल कर बैठा और उसने सामान सजा दिया कोई आके सामान को देख परके और भाव ताव करे तो उसपर दूकानदार उलटी सीधी बाते शुरू करे या अपनी सेल्स के गुण दिखाने लगे तो ग्राहक भी जानता है ये सिर्फ अपने सामान बेचने कि इसकी ट्रिक है बाकी सामान कि कवालीटी क्या है वो सब जान ही रहे है ! <br /><br />जो नहीं जान पा रहे वो तो ठगे जायेंगे ही, तो ताड़ने का कसूर उनका ही है इसके जिम्मेदार वो ही है क्यों किसी कि लच्छेदार बातो में आके वो अपना घटिया सामान को भी अपने साथ ले आये !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-61131906579237665582010-09-25T10:30:14.951+05:302010-09-25T10:30:14.951+05:30जिस तरह मेरे सवालों को गोल मोल कर गए मेरा कमेन्ट भ...जिस तरह मेरे सवालों को गोल मोल कर गए मेरा कमेन्ट भी गुल हो गया ?????? दुबारा लिखना पड़ेगा !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-22787850939081186052010-09-25T10:08:49.143+05:302010-09-25T10:08:49.143+05:30अब मेरे कहने से तो शायद आपको तकलीफ होती तो फिर आप ...अब मेरे कहने से तो शायद आपको तकलीफ होती तो फिर आप खुद ही अपना जायजा ले कि आपने क्या कोई नयी बात इजाद करके मुहम्मद सल्लाहू अलेहे वसल्लम पर तोहमत लगाईं या नहीं ? सहाबा कि गवाहियो को झुटलाया या नहीं ? <br /><br />वैसे तो मेरी शिकायत उन आम मुसलमानों से लेकर दीन के अलीम और उलेमा से भी रही कि जब कोई मुहम्मद सल्लाहू अलेहे वसल्लम कि तस्वीर बना देते है तो हंगामा होता है, कुरआन कि बेहुरमती करने वाले के खिलाफ धमकिय दी जाती है लेकिन ऐसो लोगो कि बातो को आँख बंद करके तसलीम कर लिया जाता है जो अपनी जाहिलियत के जरिये सरेआम बेहूदा बकवास करते है ! क्या सिर्फ इसलिए कि उनके नाम मुसलमान जैसे है ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-56740996744188311312010-09-25T10:02:15.238+05:302010-09-25T10:02:15.238+05:30दीन में हर नयी बात इजाद करना बिद्दत है, हर बिद्दत ...दीन में हर नयी बात इजाद करना बिद्दत है, हर बिद्दत गुमराही है, और हर गुमराही जहन्नुम में ले जाने वाली है ! ये तो तकरीबन हर जुमे में हर मस्जिद में खुत्बे में बयान होता ही है ! मुहम्मद सल्लाहू अलेहे वसल्लम ने अपने आखरी कुतबे में फरमाया और लोगो से गवाही ली थी कि क्या मैंने तुम लोगो तक पूरा दीन पहुंचा दिया ? उस वक्त मौजूद लोगो ने गवाही दी थी हाँ आप ने अपना नबूवत का हक अदा कर दिया और हर वो बात जो अल्लाह ने आपको सिखाई हम तक पहुंचा दी ! अब अगर कोई ये कहे कि मुहम्मद सल्लाहू अलेहे वसल्लम ने राम नाम नहीं सिखाया था तो मै सिखा देता हूँ तो फिर उस शख्स ने मुहम्मद सल्लाहू अलेहे वसल्लम पर तोहमत लगाईं कि नाजुबिल्लाह उन्होंने पूरा दीन नहीं पहुँचाया ! और इस बात को और उस वक्त मौजूद सहाबा कि गवाहियो को झुटला दिया कि आपने पूरा दीन पहुंचा दिया !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-75356244546153970652010-09-25T09:46:20.330+05:302010-09-25T09:46:20.330+05:30ये बाते आपने कही है
मालिक के गुणों पर रखे जाते ह...ये बाते आपने कही है <br /><br />मालिक के गुणों पर रखे जाते हैं उसके बन्दों के नाम <br />मैं इतना साफ़-साफ़ कह रहा हूं और आप फिर भी पूछ रहे हैं कि मुहम्मद और मूसा वग़ैरह नाम भी अच्छे हैं तो ये नाम मालिक के क्यों नहीं हो सकते ?<br />आपको पता होना चाहिए कि बन्दों के नाम मालिक के नहीं होते जबकि मालिक के सिफ़ाती नाम बन्दों के हो सकते हैं। जैसे ‘रहीम‘ अल्लाह का एक सिफ़ाती नाम है।(कुरआन, 1, 2) और अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद स. को भी ‘रहीम‘ कहा है।(कुरआन, 9, 128) एक ही नाम होने के बावजूद आपको कभी कन्फ़्यूज़न नहीं होता क्योंकि आप अपनी परंपराओं को जानते हैं लेकिन राम और रामचन्द्र में नामों का अन्तर होने के बावजूद भी आप भ्रम के शिकार हो गए क्योंकि वैदिक साहित्य और परंपराओं की जानकारी आपको कम है।<br />रामचन्द्र जी ईश्वर नहीं हैं, राम नहीं हैं <br />राम उस मालिक का एक सिफ़ाती अर्थात सगुण नाम है जो न कभी पैदा होता है और न ही कभी उसे मौत आती है। वह सब कुछ जानता है और हर चीज़ उसके अधीन है। हर चीज़ को उसी ने रचा है,<br /><br />मेरा तो सिर्फ ये सवाल है कि रहीम नाम किसने रखा अल्लाह का ? क्या अल्लाह ने आपको बताया ? क्या आपके ऊपर कोई फरिश्ता आया ? कोई वहि आई ? कोई इलहाम ? कोई खवाब ? फिर आपने रहीम नाम को अल्लाह का नाम कैसे ठराया ? <br /><br />जवाब मै ही देता और वो एक ही है कि अल्ल्लाह ने ही फरिश्ता भेजा, वहि नाजिल कि, खवाब भी दिखया लेकिन वो मुहम्मद सलल्लाहू अलेहे वसल्लम को और उनकी बात को सच मानकर आपने और हमने ये माना कि अल्लाह का एक नाम रहीम भी है ! <br /><br />सहीह हदीस है मुहम्मद सलल्लाहू अलेहे वसल्लम ने फरमाया अल्लाह के निनयान्वे ९९ नाम है ! और वो नाम बड़े बड़े मुफ्फ्सिर, मुहद्दिस कुरा और हदीस में तलाशते रहे ! न उन्होंने कभी इंजील कि तरफ रुख किया न तौरात कि तरफ न वेदों कि तरफ ! <br /><br />तो फिर आप हदे कैसे पार कर गए ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-52347743893437858042010-09-25T08:48:10.801+05:302010-09-25T08:48:10.801+05:30@ S.M.MAsum
जनाब आपने भी एक ही भारत में दो कौम मान...<b>@ S.M.MAsum</b><br />जनाब आपने भी एक ही भारत में दो कौम मान लीं. हिन्दुओं को अम्र बिल मारुफ़ व नही अनिल मुनकर न किया जाये, इसके हक़ में कुरआन और सिरत से प्रमाण कीजिये वरना इसे वसवसा और फ़लसफ़ा माना जायेगा।<br /><b>@ abhishek1502</b><br />जो मर जाये वे ईश्वर नही होता श्री राम चन्द्र जी और श्री कृषण जी दोनों की मौत नें बता दिया है कि वे ईश्वर नहीं हैं, और जो भ्रम का शिकार होना चाहे तो उसे कोई सिखाए तो कैसे सिखाए?<br /><b><a href="http://www.sunehribaten.blogspot.com/" rel="nofollow">एक ईश्वर से हटने के बाद नये नये पूज्य बनते चले जाते हैं फिर इसका कहीं अंत नहीं होता।</a></b> आज कल शिरडी के साईं बाबा कि पूजा ज़ोरों पर है मानने वाले उन्हें भी ईश्वर कहते हैं, <b>लेकिन क्या वास्तव में वे ईश्वर हैं ?</b>Anwar Ahmadhttps://www.blogger.com/profile/08378872436720055429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-37951172157413813892010-09-25T04:41:18.864+05:302010-09-25T04:41:18.864+05:30अयोध्या में अब राम मंदिर बने या मस्जिद, कोई फर्क न...अयोध्या में अब राम मंदिर बने या मस्जिद, कोई फर्क नहीं पड़ता. किस राम को हिन्दू मानता है यह उसका जाती मसला है, वो खुद ही हल भी कर लेंगे. हम को पहले अपने घर में सुधार की आवश्यकता है, दूसरों के धर्म के मसले में सुधारवादी बन ना , हमको शोभा नहीं देता.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-15827690157320172782010-09-24T22:53:17.421+05:302010-09-24T22:53:17.421+05:30जमाल जी ,रविन्द्र जी ने कई खाड़ी के देशो में कार्य...जमाल जी ,रविन्द्र जी ने कई खाड़ी के देशो में कार्य किया है .वे सिर्फ जमा जबान खर्ची नही करते है बल्कि निकट से जो सत्य देखा है वही बताया है उन्होंने .अगर आप वास्तव में धर्म चर्चा कर रहे है तो फिर सब को अपनी बात रखने का अधिकार है . <br />आप अपना विरोध अपनी तर्कपूर्ण बातो से करे .किसी को मना करना तो पराजय का संकेत है <br />खैर मुद्दा ये है की आप कहते है सिर्फ निराकार ईश्वर की पूजा करनी चाहिए .और किसी की नही .<br />आप ने कृष्ण जी के लिए कहा ,मैंने सिद्ध किया वे ईश्वर थे ,अब आप ने राम के लिए कहा ,ऐसे आप कहते रहेंगे और मैं तर्क -वितर्क होता रहेगा .क्यों आप अपने हर पोस्ट पर निराकार की अवधारणा और साकार का विरोध करते है .<br /> अगर आप अपनी अवधारणा स्पस्ट करे और मैं और वे सभी जो अपनी बात रखना चाहते है साकार ईश्वर की अवधारणा में वे अपनी बात रक्खे . सारी बाते स्पष्ट हो जाएँगीABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-87310311645153443182010-09-24T21:49:51.292+05:302010-09-24T21:49:51.292+05:30बेशक आप मेरी बहन हैं और मैं आपका भाई हूँ और हमारी ...<b>बेशक आप मेरी बहन हैं और मैं आपका भाई हूँ और हमारी खुशियाँ अलग नहीं हो सकतीं .</b> <a href="http://zealzen.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html#comment-form" rel="nofollow">हमें बेहतर कल के लिए मजबूत बुनियादों पर मालिक के हुक्म से इंसानियत के लिए जीना ही होगा , साथ साथ .</a> आपका आना सदा ही अच्छा लगता है , शुक्रगुज़ार हूँ आपका .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-85762066114312599342010-09-24T21:27:42.840+05:302010-09-24T21:27:42.840+05:30.
इस कमेन्ट को अपनी निम्नलिखित पोस्ट पर भी लगा र....<br /><br /><br />इस कमेन्ट को अपनी निम्नलिखित पोस्ट पर भी लगा रही हूँ। <br /><br /><br />http://zealzen.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html<br /><br />ठुमक चलत रामचंद्र , बाजत पैजनिया --रामकोट-अयोध्या -- और मेरा बचपन !<br /><br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-11237867657810991062010-09-24T21:18:47.569+05:302010-09-24T21:18:47.569+05:30.
आदरणीय , भाई अनवर जमाल,
एक माँ को अपने सभी बच्....<br /><br />आदरणीय , भाई अनवर जमाल,<br /><br />एक माँ को अपने सभी बच्चे सामान रूप से प्यारे होते हैं। राम हो या रहीम, भारत माता के लिए के लिए दोनों सपूत प्यारे हैं । मंदिर मस्जिद दोनों नहीं चाहिए। पढ़े-लिखे शान्ति पसंद भारतीयों को , चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम, उन्हें मंदिर बने या मस्जिद, दोनों से कोई फरक नहीं पड़ता।<br /><br />धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर भ्रष्ट एवं स्वार्थी नेता , राजनीति की रोटियाँ सेंक रहे हैं। और नादान लोग उन्हें सेंकने भी दे रहे हैं। झगडे दंगे होंगे तो गरीबों का नुक्सान होगा। उनका कोई नहीं सोचने वाला। <br /><br />क्या संवेदनशीलता इतनी मर गयी है लोगों में ? मानवता के बारे में न सोचकर , लोग मंदिर और मस्जिद की आस लगाए बैठे हैं। <br /><br />शर्म आनी चाहिए हमें। धिक्कार है हम भारत वासियों पर। ये भी नहीं सोचा की वो न्यायाधीश भी एक इंसान ही है जिस पर दोधारी तलवार लटक रही है। ये भी नहीं सोचा की इस फैसले से हमारे देश में कामनवेल्थ गेम पर क्या असर होगा ? मुफ्त में निर्दोष जनता मारी जायेगी। बड़े-बड़े बहादुर लोग सिर्फ तमाशा देखेंगे।<br /><br />अरे हमें तो फख्र होना चाहिए की हम , एक धर्म-निरपेक्ष देश के नागरिक हैं। आम जनता को इनकार कर देना चाहिए किसी मंदिर या मस्जिद से। नहीं चाहिए कुछ भी ऐसा जो हमारे देश की आधी आबादी को दुखी करे।<br /><br />हमें एक ऐसे फैसले का इंतज़ार है , जिसमें लिखा हो की हिन्दू-मुस्लिम [ दोनों भाई ] , एक ही कतार में लगकर उस पवित्र स्थल पर साथ ही पूजा करें। जो अपने आप में एक मिसाल हो ।<br /><br />भाई अनवर जमाल, यदि मैं आपकी बहिन हूँ और आप मेरे भाई, तो फिर हमारी और आपकी ख़ुशी अलग-अलग कैसे हो सकती है ?<br /><br />हिन्दू मुस्लिम भाई भाई।<br />भारत की एकता अखंड रहे।<br /><br />वन्देमातरम !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-16544727550850886752010-09-24T19:47:43.532+05:302010-09-24T19:47:43.532+05:30@ मेरे प्यारे भाई अभिषेक जी । क्यों कोरा झूठ बोलते...@ मेरे प्यारे भाई अभिषेक जी । क्यों कोरा झूठ बोलते हैं आप कि मैं गीता को झूठा बताता हूं। मैं गीता को सच्चा मानता हूं इसीलिए मैंने गीता का हवाला नमाज़ के सन्दर्भ में भी दिया है।<br /> <b>गीता में क्षेपक अर्थात मिलावट है,</b> ऐसा ब्राह्मण बताते हैं और मैं उनसे अपनी सहमति ज़ाहिर करता हूं। क्षेपक मानने से पूरे ग्रंथ का झूठा होना लाज़िम नहीं आता। यह बात तो आपको समझनी चाहिए।<br />ख़ैर कोई बात नहीं, आपको मेरा लेख पसंद आने लगा है। यह एक अच्छी बात है। हम तो पहले ही कहते थे कि दूरियां न भी मिटें तो भी कुछ कम तो ज़रूर ही हो जाएंगी। हालांकि दूरियां भ्रम और नफ़रतें बेबुनियाद हैं।<br /> @ जनाब हकीम साहब ! आपकी नसीहत दुरूस्त और शिकायत वाजिब है। मैं आपकी शिकायत दूर करने की कोशिश करूंगा और आपकी नसीहत पर अमल करने की भी भरपूर कोशिश करूंगा, इन्शा अल्लाह।<br />बारकल्लाहु लना व लकुम।<br />वस्सलाम ।<br />@ मान जी ! धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com