tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post1668612662504651573..comments2023-10-18T23:46:43.430+05:30Comments on Ved Quran: Real praise for Sri Krishna श्री कृष्ण जी की बुलन्द और सच्ची शान को जानने के लिये कवियों की झूठी कल्पनाओं को त्यागना ज़रूरी है - Anwer JamalDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger67125tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-50577634363974297442015-01-03T22:03:18.673+05:302015-01-03T22:03:18.673+05:30आप सब की थोड़ी थोड़ी बहस पढ़ी
इसको कहते है -फ़टे में ...आप सब की थोड़ी थोड़ी बहस पढ़ी <br />इसको कहते है -फ़टे में टांग अडाना ।।<br />अरे भाई भाई जान को क्या लेना श्री कृष्ण से<br />और रविन्द्र जी को को कुरान शरीफ से<br />कुरान और भागवत जो लिखी गई उनकी<br />अब असली रूप में नहीं है।<br />और मृगतृष्णा की तरह झूठी आंस के अलावा कुछ<br />नहीं ।<br />हज़ारों लोग ईराक में कत्ल हो रहे है <br />चरम पन्थियों ने पाक में बच्चों को नहीं छोड़ा<br />कहाँ है खुदा ।<br />धर्म युद्ध के काल में हिन्दू नहीं <br />पारसी और यहूदी शिकार बने<br />अल्लाह अपने बच्चों का शिकार कर सकता है<br />सब कहते है कि -- इस कायनात् का एक एक<br />बन्दा अल्लाह की औलाद है ।।<br />भाईजान आपकी औलाद यदि आपके अनुसार<br />न चले तो आप उनके साथ क्या -पारसी यहूदी<br />जैसा सुलूक करेगे ।।<br />नहीं न <br />फिर अल्लाह इतना बेरहम क्यों<br />क्यों की हम सब परग्रही शक्तियों से संचालित है<br />ये सब फ़िज़ूल की वकवासे <br />और पढ़ने और लड़ने बाले फ़ालतू ।<br />Rishi shastrihttps://www.blogger.com/profile/13376915031524049636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-47834446218357855802011-01-29T00:09:52.989+05:302011-01-29T00:09:52.989+05:30bhai ravindra nathji kyon faltu me bahas aage badh...bhai ravindra nathji kyon faltu me bahas aage badha rahe hain. agar anwer jamal bhai sudhar rahe hain to <br />kya bura hai. jara sudherne ka mauka <br />to dijiye. unhone galat hi kya kaha hai.<br />विरोध किसलिए ?<br />क्या इसलिए कि अनवर जी की हर बात का विरोध करना ही है ?<br />हम तो इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं |<br />हम तो प्रेम को सबसे बड़ा धर्म मानते है |<br />न हिंदू न मुसलमान हम तो इंसान हैं |<br />सबसे पहले हम सब भारतीय है.<br />और हमें भारतीय होने पर गर्व है.<br />हमारा धर्म तो जिओ और जीने दो |<br />किसी से भी प्यार करना हमारा धर्म होना चाहिए |<br />जियेंगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के लिए!<br />यही हमारा संकल्प होना चाहिए.मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-48150824687494948842010-09-21T16:55:40.784+05:302010-09-21T16:55:40.784+05:30भाई आपका आपने धर्म ग्रंथों से मोह भंग हुआ क्योंकि ...<b>भाई आपका आपने धर्म ग्रंथों से मोह भंग हुआ क्योंकि उनमें सच के साथ कवियों ने अपनी कल्पना घुसा दी , जो चीज़ आप मान रहे हैं वही मैं बता रहा हूँ फिर मेरा विरोध किसलिए ?<br />क्या इसलिए कि मुसलमान कि हर बात का विरोध करना ही है ?<br />जो नाहक बम फोढ़े उसका सर बिना अगर मगर के तोड़ देना चाहिए .</b>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-9619511447711884942010-09-19T21:55:51.266+05:302010-09-19T21:55:51.266+05:30महक यह तो मुझे मालूम है कि तुम्हारा ज्ञान धर्म ग्र...महक यह तो मुझे मालूम है कि तुम्हारा ज्ञान धर्म ग्रन्थों मे नही है यह तो अच्छी तरह से समझ मे आता है कि जिस प्रकार बिना तथ्यों को जांचे तुम जमाल की हर बात को सही मानते हो।<br /><br />रही बात मेरा बहस का विषय क्या है तो समझा दूं कि मेरे बहस का विषय कभी भी मूलतः धर्म ग्रन्थ नही रहे, उनसे मेरा मोहभंग बहुत पहले हो चुका है, मैने जो कुछ references दिये वो सिर्फ कुछ लोगो को आईना दिखाना था जो जरूरी हो रहा था।<br /><br />मैं पूछता हूं कि तुम ही बताओ, आज कौन हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार आचरण कर रहा है जो उस पर विवाद हो, अगर कुछ कहना करना ही है तो वर्तमान आचरण पर करो।<br /><br />देखो अभी जामा मस्जिद पर आक्रमण हुआ, commonwealth गेम को विफल करने के लिए, क्या यह वही जेहादी मानसिकता नही है जिसकी ओर मै इशारा कर रहा था? आखिर इन सबको खाद पानी किधर से मिल रहा है? क्यों नही मुस्लिम नेतृत्व इस पर ध्यान देता है? इनके जो फतवे आतंकवाद के खिलाफ हैं भी वो बहुत सारे अगर मगर के साथ हैं (खबर्दार हमे निशाना न बनाया जाय वगैरह) पर जब जबरन बुर्का पहनाने की बात आती है तो यहाँ अगर मगर सब छूट जाता है।<br /><br />अब तुम बताओ कि क्या सही है, मृत कथाओं के उपर बहस करना और दूसरों को नीचा दिखाना या वर्तमान पर मनन करना और उसको सुधारने का प्रयास करना।<br /><br />मेरे ब्लोग देखो, अगर मुझे कुछ कुरीति हिन्दु धर्म मे दिखी (सगोत्र विवाह पर मृत्युदण्ड) मैने उस पर लिखा है, क्योंकि वह वर्तमान है और हमे प्रभावित करता है। हमारे देश को प्रभावित करता है। और मैं मेरे देश को पीछे ले जाने की किसी भी कोशिश का जम कर विरोध करूंगा। चाहे इसके लिये कोई मुझे हठधर्मी ही करार क्यों न दे, मुझे फर्क नही पडता। रही बात तुम्हारी तो वो तुम जानो, मेरा कर्तव्य है कि मैं प्रत्येक नवयुवक को राष्ट्र चिन्तन के लिये प्रेरित करूं मै उसी उद्देश्य से कार्य कर रहा हूं, कुछ युवा जाग जाते हैं कुछ भ्रम जाल मे पडे रहते है, उसके लिए कोइ कुछ नही कर सकता।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-64295018581006478432010-09-19T20:49:35.437+05:302010-09-19T20:49:35.437+05:30देख लिया अनवर जी ,मैंने आपसे क्या कहा था लेकिन आप ...देख लिया अनवर जी ,मैंने आपसे क्या कहा था लेकिन आप मानें तब ना ,जनाब अब तो समझ जाइए की आपकी एकता की किसी भी अपील का उन लोगों पर कोई असर नहीं होने वाला जिनका main agenda ही आपकी हर बात का विरोध करना है फिर चाहे वो सही हो या गलत ,वे मानकर बैठे हैं की आप जो भी कहेंगे गलत ही कहेंगे ,Mr.Ravindr के तो कहने ही क्या ,उनकी बातें और तर्क बहस कम और धमकी अधिक प्रतीत होती है ,<br />अभिषेक जी ने अभी-२ थोड़ी जिम्मेदारी पूर्वक अपनी बात ज़रूर रखी है लेकिन आपके प्रति वो पूर्वाग्रह अभी भी नहीं छोड़ा की ये सब आपका रचा हुआ चक्रव्यूह है<br /><br />मैं इस पूरी बहस में नहीं पड़ना चाहता था क्योंकि मेरा ग्रंथों के विषय में ज्ञान इतना अधिक नहीं है जितना की इस बहस में भाग लेने वाले माहानुभावों का लेकिन एक बात आपको फिर कहता हूँ जमाल जी के बहस वहाँ पर की जाती है जहाँ पर दोनों पक्ष अपने-२ पूर्वाग्रहों को side में रखकर आपस में बातचीत करें ,यहाँ पर Mr.Ravindr तो इस बात के लिए लड़ रहें हैं की " कौन सही है " जबकि बहस की दिशा होनी चाहिए की " क्या सही है "<br /><br />मुझे लगता है की आपको अब इस पूरी बहस का अंत कर देना चाहिए क्योंकि इसका कोई नतीजा नहीं निकलना वाला <br /><br /><br />महकMahakhttps://www.blogger.com/profile/11844015265293418272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-56459317134846280052010-09-19T20:27:17.674+05:302010-09-19T20:27:17.674+05:30@ श्री रविन्द्र जी और श्री अभिषेक जी ! मैं स्वयं क...@ श्री रविन्द्र जी और श्री अभिषेक जी ! मैं स्वयं को श्रेष्ठ तो नहीं मानता क्योंकि निजी तौर पर मैं श्रेष्ठता का स्वामी नहीं हूं। मैं एक जीवन जी रहा हूं और नहीं जानता कि अन्त किस हाल में होगा, सत्य पर या असत्य पर, मालिक के प्रेम में या फिर तुच्छ सांसारिक लोभ में ?<br />श्रेष्ठता का आधार कर्म बनते हैं। जब जीवन का अन्त होता है तब कर्मपत्र बन्द कर दिया जाता है। जिस कर्म पर जीवनपत्र बन्द होता है यदि वह श्रेष्ठ होता है तो मरने वाले को श्रेष्ठ कहा जा सकता है। मेरी मौत से ही मैं जान पाऊँगा कि मैं श्रेष्ठ हूं कि नहीं ? तब तक आप भी इन्तेज़ार कीजिये।<br />मैं अपने बारे में तो नहीं कह सकता लेकिन ईश्वर अवश्य ही श्रेष्ठ है, उसका आदेश भी श्रेष्ठ है। उसकी उपासना करना और उसका आदेश मानना एक श्रेष्ठ कर्म है। ऋषियों का सदा यही विषय रहा है। मेरा विषय भी यही है और आपका भी यही होना चाहिए। भ्रम की दीवार को गिराने के लिए विश्वास का बल चाहिए। पाकिस्तान क्या चीज़ है सारी एशिया का सिरमौर आप बनें ऐसी हमारी दुआ और कोशिश है। इसके लिए चाहिए आपस में एकता बल्कि ‘एकत्व‘। <br />हमारी आत्मा एक ही आत्मा का अंश है तो फिर हमारे मन और शरीरों को भी एक हो जाना चाहिए। इसी से शक्ति का उदय होगा, इसी शक्ति से भारत विश्व का नेतृत्व करेगा। भारत की तक़दीर पलटा खा रही है, युवा शक्ति ज्ञान की अंगड़ाई ले रही है। जो महान घटित होने जा रहा है हम उसके निमित्त और साक्षी बनें और ऐसे में क्यों न विवाद के सभी आउटडेटिड वर्ज़न्स त्याग दें।<br /><br /><b>आ ग़ैरियत के परदे इक बार फिर उठा दे।</b><br />बिछड़ों को फिर मिला दें नक्शे दूई मिटा दें।।<br />सूनी पड़ी हुई है मुद्दत से दिल की बस्ती।<br />आ इक नया शिवाला इस देश में बना दें।।<br />दुनिया के तीरथों से ऊँचा हो अपना तीरथ।<br />दामाने आसमाँ से इस का कलस मिला दें।।<br />हर सुबह उठ के गाएं मंत्र वह मीठे मीठे।<br />सारे पुजारियों को ‘मै‘ पीत की की पिला दें।।<br />शक्ति भी शांति भी भक्तों के गीत में है।<br />धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है।।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-43710523434065693932010-09-19T18:30:24.931+05:302010-09-19T18:30:24.931+05:30अयाज मैन कूटनीति राजनीति की बात नही कर रहा हूँ मै ...अयाज मैन कूटनीति राजनीति की बात नही कर रहा हूँ मै तो आईना दिखा रहा हूँ। लेखक कहता है "श्री कृष्ण जी का आदर मुसलमान भी करते हैं बल्कि सच तो यह है कि उनका आदर सिर्फ़ मुसलमान ही करते हैं" और मैं कहता हूँ कि यह बात झूठ है। नही तो मथुरा के मंदिर को मुक्त करो।<br /><br />मैं मुद्दे पर ही बात कर रहा हूँ मैने सारे प्रसंग लेख से ही लिए हैं, और मैं यह अधिकार किसी को नही दे सकता कि सारा का सारा विवाद सिर्फ उसकी मर्जी से संचालित होगा।<br /><br />रही बात स्वामी दयानन्द के द्वारा लिखे गये के सत्यार्थ प्रकाश मे पुराणो के विषय मे, तो मैं पहले ही कह चुका हूँ कि हिन्दुओ को तो पुराण मालूम भी नही, पर हाँ मुस्लिम कुरान भली प्रकार से जानते हैं अपने धर्म को भली प्रकार से जानते हैं, अगर आपको स्वामी जी मे इतनी ही रुचि है तो उन्होने एक पूरा अध्याय इस्लाम की कुरीतियों, कुरान एवं मुहम्मद की आलोचना को समर्पित कर रखा है सत्यार्थ प्रकाश मे, अगर इच्छा हो तो मै अगले comment मे उसके references दूँ, पचा सकोगे? यहाँ हिन्दु धर्म ग्रन्थ की बुराई हो रही है तो मजा आ रहा है?<br /><br />फिर मुझसे तुमको कहते नही बनेगा कि "अगर प्रश्नों के उत्तर आपके पास नही है तो कोई बात नही" क्योंकि मै उसी ग्रन्थ का हवाला दे रहा होऊँगा जिसकी तुम बात कर रहे हो। अगर बात करनी है तो पूरी करो, coose & pick policy नही चलेगी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-58693018523222310662010-09-19T16:32:26.589+05:302010-09-19T16:32:26.589+05:30रवींद्र जी भागवत पर आप स्वामी दयानंद जी के विचार स...रवींद्र जी भागवत पर आप स्वामी दयानंद जी के विचार से सहमत है या असहमत । या आपको सत्यार्थ प्रकाश मे भी आपको यह प्रसंग नही मिला अनवर साहब ने तो पूरा हवाला दिया है लेकिन शायद आपको वहाँ भी नही मिला होगा और दूसरी बात यह की यहाँ कूटनीति या राजनीति की बात नही हो रही है यहाँ तो मुद्दा एक महापुरुष के संबंध मे कही गई घटिया बातों का निराकरण करना लोगों को यह समझाना है किसी को चोर आदि बताना उस महापुरुष का अपमान है आदर नही । आप भी मुद्दे पर बात करें तो अच्छा होगा । अगर प्रश्नों के उत्तर आपके पास नही है तो कोई बात नहीAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-63451924229346876052010-09-19T13:37:11.328+05:302010-09-19T13:37:11.328+05:30जमाल जी ,अगर मेरे शब्दों से आप को ठेस पहुची है तो ...जमाल जी ,अगर मेरे शब्दों से आप को ठेस पहुची है तो इस का मुझे खेद है क्यों की शब्दों से ज्यादा महवपूर्ण वे भाव है जिनके लिए वे प्रयोग किये जाते है .<br />आप की नियत पर शक करने की मैंने कोइ कसम नही खाई है पर क्या करू आप के लेखो के अध्यन के बाद आप नियत पर शक नही यकीन हो जाता है .<br />एक बात की तारीफ करूँगा ,आप लछ्य स्पस्ट है और उस को केंद्र बिंदु मान कर आप अपने लेखो का चक्रवियुह रच रहे है जिसमे समझना हर किसी के बस की बात नही और महक जी जैसे फस रहे है .<br />आप अपने लेखो में सत्य के दर्शन के बात करते है तो मैं आप के शिष्य को वास्तविक सत्य दिखा रहा हू और आप उसे भड़काना कह रहे है .<br />एक और बात ''वन्दे ईश्वरम'' ही नही ''वन्दे मातरम'' भी कहिये आखिर आप एक भारतीय है. <br />वैसे हिंदी में इस्लामीकरण के प्रसार के लिए ''वन्दे ईश्वरम '' और ''सीधा मार्ग (बिस्मिल्लाह वाली आयत में वर्णित )''.जैसे शब्दों का अच्छा माया जाल रचते है आप .<br />ईश्वर भटके हुए लोगो को ''सच्चा मार्ग '' दिखाए और सब का कल्याण करे .ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-45395568294053775232010-09-19T11:39:45.245+05:302010-09-19T11:39:45.245+05:30४ टुकडों मे टिप्पणी देने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...४ टुकडों मे टिप्पणी देने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ, मेरा पूरा comment spam मे जा रहा था अतः ऐसा करना पडा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-56970516626917310322010-09-19T11:37:40.182+05:302010-09-19T11:37:40.182+05:30नसबंदी - निश्चित तौर पर किसी धर्म्ग्रन्थ मे इसका ज...नसबंदी - निश्चित तौर पर किसी धर्म्ग्रन्थ मे इसका जिक्र नही है क्योंकि यह तकनीक नई है - जानकारी के लिए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-89260883012269934642010-09-19T11:36:58.038+05:302010-09-19T11:36:58.038+05:30तुमने मेरे इस बात पर चुप्पी क्यों साध ली कि अगर हि...तुमने मेरे इस बात पर चुप्पी क्यों साध ली कि अगर हिन्दुस्तान का हिन्दु भी porkistan के मुस्लिमों जितना प्रेम करने वाला होता तो आज यहाँ वो १८% नही होते। तुम हमेशा कहते आए हो कि इस्लाम का फैलने का कारण उसके द्वारा दिया गया प्रेम का संदेश है, मैं बार बार पूछ रहा हूँ कि यह संदेश कश्मीर मे सिखों को दिए जाने वाले पप्रेम जैसा ही रहा हई, अगर नही तो जाओ पहले कश्मीर मे सिखों को बचाओ, यहाँ जबानी जमाखर्च करने से काम नही चलेगा।<br />मैने सदिव मुस्लिमों को उनके आचरण से पैमाने पर कसा है, अगर कुरान देखने जाऊ (जिसकी हिन्दी प्रति मेरे पास है) तो बहुत ही भयंकर दृश्य सम्मुख आता है, पर मै उस पर नही जाता, मै कहता हूँ कि इस्लाम के अनुयायियों को देखो, और देखता हूँ कि वो आतंकवाद पर रणनीतिक चुप्पी साध लेते हैं।<br />भागवत पुराण मे क्या लिखा है वो हमे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नही करता है जिस पर इतना हल्ला मचा रहे हो, बहुत सारे हिन्दु तो इस पुराण का नाम भी नही जानते होंगे, मैं बचपन से ही इन पुस्तकों को पढता आया हूँ इसलिये जानता हूं, इस पर लिख कर दूसरों को नीचा दिखाने के अलावा क्या पाना चहते हो? <br />पर कश्मीर मे सिखों पर, हिन्दुओं पर क्या हो रहा है वह हमे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, उस पर लिखो, है हिम्मत? मैं शांति के दूत, प्रेम के पुजारी मुस्लिमों से पूछता हूँ कि यदि कार्टून डेनमार्क मे बनाए जाते है या कुरान अमेरीका मे जलाई जाती है (जो कि बाद मे झूठी खबर सिद्ध हुई) तो दंगे हिन्दुस्तान में क्यों होते हैं? शायद हम हिन्दु इस्लाम मि दी गई शांति और प्रेम की परिभाषा नही जानते - एक पोस्ट इस पर भी हो जाए कि कैसे प्रेम से दंगे किए जाते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-1077707621028124622010-09-19T11:36:13.531+05:302010-09-19T11:36:13.531+05:30रही बात भागवत पुराण पढने की तो मैने उसे आज नही पहल...रही बात भागवत पुराण पढने की तो मैने उसे आज नही पहले भी कई बार पढा है और मैं अपनी बात पर कायम हूँ कि उसमे किसी देवता के द्वारा अपनी पुत्री के बलात्कार की बात नही है। <br />हिन्दुओं के आस्था चिन्हो पर प्रहार का यह धृणिततम रूप है जिसमें एक देवता के द्वारा अपनी पुत्री के बलात्कार की झूठी बात लिखते हो तुम। कोई भी व्यक्ति ऐसे को पूजनीय नही मान सकता, फिर धर्म ग्रन्थ मे इस तरह की बात का आना असंभव है।<br />महापुरुषों के विषय मे जो भ्रम फैला हुआ है उसका निराकरण सिर्फ तुम्हारे तरीके से ही संभव है यह तुम्हारा दंभ दर्शाता है, क्या तुम अपने को हम सब से श्रेष्ठ मानते हो, अगर हाँ तो किस आधार पर? अगर नही तो अपना व्यक्तव्य वापस लो।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-41263641567134492602010-09-19T11:35:19.635+05:302010-09-19T11:35:19.635+05:30जमाल मैं गुस्से मे नहीं हूँ, मेरा मुझ पर पूर्ण निय...जमाल मैं गुस्से मे नहीं हूँ, मेरा मुझ पर पूर्ण नियंत्रण है, पर हाँ यह तुम पर जरूर लागु होता है इसीलिए तुमने जो स्वयं लिखा वो तुम्हे नज़र नही आता, तुम्हारे reference के लिये तुम्हारे ही post से तुम्हारा ही comment तुमको देता हूँ "मुसलमान ही श्रीकृष्ण जी का आदर करते हैं तब क्यों वे मस्जिद को उन लोगों को दे दें जो श्रीकृष्ण जी को ‘चोर‘ , ‘जार‘ ‘रणछोड़‘ और ‘जुआरियों का गुरू‘ बताकर उनका अपमान कर रहे हैं।" यह मेरे इस comment के जवाब मे है "श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर जबरन कब्जा कर बनाई मस्जिद श्रीकृष्ण जी के परम हितैषी मुस्लिम बंधु कब हटा रहे हैं।" तो यह निश्चित तौर पर मथुरा के बांके बिहारी के मंदिर पर कब्जा कर बनाई गई मस्जिद के बारे मे बात हो रही है। दोबारा कहुंगा कि तुमको अगर कुरान के वो references नज़र आ गए हो तो ठीक नही तो तुम भी जरा गुस्सा छोड कर कुरान फिर से पढो।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-34861248272274915622010-09-18T21:09:52.830+05:302010-09-18T21:09:52.830+05:30मालिक सब पर अपनी महर करे
@ Man जी ! आप हंसे , इट म...<b>मालिक सब पर अपनी महर करे</b><br />@ Man जी ! आप हंसे , इट मीन्स आपको आनंद आया। आपके हंसते हुए चेहरे की कल्पना करके अच्छा लगा। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं । मैंने रमज़ान के दिनों में और ईद की नमाज़ में विशेषकर अपने लिए जो मांगा वही आप सभी भाईयों के लिये भी मांगा। कुछ लोगों के लिए तो नाम लेकर मांगा और वे नाम वे हैं जो मेरे ब्लॉग पर सदा जगमगाते ही रहते हैं। <br />अभिषेक जी ! आपकी लैंग्वेज में इम्प्रूवमेंट है, आपको मुबारक हो। <a href="http://islaminhindi.blogspot.com/2009/03/non-muslims-muslims-answer.html" rel="nofollow">अब मैं आपसे कुछ सीख पाऊँगा मेरे मन में ऐसी आशा जगी है। सहमति-असहमति तो चलती ही रहती है</a> लेकिन हमें आपस में आदर भाव सदा बनाए रखना चाहिए।<br />महक जी इसका जीता जागता प्रमाण हैं। उन्होंने मांसाहार के संबंध में मेरे विचार का ‘जमकर‘ और दूसरों को जमाकर भी विरोध किया लेकिन आप उनके अल्फ़ाज़ में मेरे प्रति उपेक्षा या अनादर का भाव हरगिज़ नहीं देख-दिखा सकते। आप उन्हें उकसा रहे हैं कि वे मेरा विरोध करें । थोड़ा धीरज रखिये ‘वे दिन‘ क़रीब आ रहे हैं जब वे मेरा विरोध करेंगे। <br /> उनके विरोध से मुझे खुशी होती है क्योंकि वे नफ़रत में अंधे होकर मेरा विरोध नहीं करते कि मेरी हर बात का विरोध करने या मेरी नीयत पर शक करने की उन्होंने कोई क़सम खा रखी है। वे मेरी सही बात का समर्थन भी करते हैं और किसी स्वयंभू मठाधीश से नहीं डरते। वे एक बुद्धिजीवी हैं। आलोचना और समीक्षा से लेखक के दोषों का निराकरण होता है, उसे दिशा मिलती है। मुझे महक जी से बहुत कुछ मिला है। उनका होना यह बताता है कि <b>‘दूरियां भ्रम हैं और नफ़रतें बेबुनियाद हैं।‘</b><br />@ <b>महक जी ! आपने मेरे ब्लॉग को महकाया , आपका शुक्रिया ।</b><br />सुज्ञ जी भी एक ऐसे ही साथी हैं, उनकी वाणी भी प्रेरणा देती है। हम उनसे भी वाणी-कौशल सीख सकते हैं। जाने आजकल कहां हैं ? <br /><b>‘तेरे दर्सन को तरसत नैन प्यारे‘<br />‘कहां हो सुज्ञ जी भाई हमारे‘</b><br /> मालिक सब पर अपनी महर करे। आमीन<br />अब मेरे साथ सभी पोस्ट का मूल विषय दोहराते हुए मान लें कि -<b> ‘ईश्वर पवित्र है और उसका मार्ग दिखाने वाले महापुरूष भी , चाहे वे किसी देशकाल में जन्मे हों‘</b><br />###@ प्यारे भाई रविन्द्र जी !<br />नसबंदी का समर्थन किसी धर्मग्रंथ में नहीं मिलता। इटली और चीन आदि जिन देशों में कमअक्ल लोगों ने इस पर अमल किया आज उनमें बूढ़े लोगों की तादाद ज़्यादा है और नौजवानों की कम , लड़कियों की तादाद तो लड़कों से भी कम है । कुछ देश इस योजना को बंद कर चुके हैं और बाक़ी सोच रहे हैं । भारत में लोगों ने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया यही वजह है कि आज दुनिया में सबसे ज़्यादा युवा शक्ति भारत के पास है। अगर नेता लोग अपनी ‘कफ़नचोरी‘ की आदत से बाज़ आ जायें तो हर चीज़ यहां है। गोदामों से बाहर सड़ता हुआ अनाज इसका गवाह है। <br />वंदे ईश्वरम् <br />जय हिन्द <br />ऊँ शांतिDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-46294477925241635192010-09-18T21:04:19.269+05:302010-09-18T21:04:19.269+05:30@ प्यारे भाई रविन्द्र जी !
प्लीज़ गुस्सा थूक दीजिये...@ प्यारे भाई रविन्द्र जी !<br /><b>प्लीज़ गुस्सा थूक दीजिये</b> <br />1. जब आदमी गुस्से में होता है तो उसे फिर कुछ भी नज़र नहीं आता। अगर आपको भागवत में मेरे दिये हवाले नज़र नहीं आ रहे हैं तो न सही, दयानन्द जी का वचन तो आपके सामने है, आप उस पर भी चुप हैं। आपको उसे तो मानना ही चाहिये। <br />2. आप कह रहे हैं कि मैंने मन्दिरों को तोड़ा जाना मान लिया है। जबकि मैं इसके ठीक उलट यह कह रहा हूं कि मुसलमान बादशाहों का कल्चर मन्दिर तोड़ना कभी नहीं रहा है। यही कारण है कि देश में आज भी हिन्दू अक्सरियत में हैं और हिन्दू तीर्थ नगरियों में भी मुसलमान और मस्जिदें अल्प संख्या में हैं और किसी किसी में तो बिल्कुल भी नहीं हैं।<br /><b>भारतीय संस्कृति खुद को सदा नित नूतन कैसे रखती आयी है ?</b><br />3. आप कह रहे हैं कि मैं हिन्दू आस्थाओं पर प्रहार करना छोड़ दूं और मैं कह रहा हूं कि मैंने आज तक हिन्दू आस्थाओं पर कोई प्रहार किया ही नहीं। आप मेरे सभी लेखों में ऐसा कुछ कहीं एक जगह भी दिखा दीजिये, मैं तुरंत क्षमा याचना सहित उसे हटा लूंगा। <br /> <a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/07/real-guide-anwer-jamal.html" rel="nofollow">सत्यान्वेषण के लिये खण्डन-मण्डन महापुरूषों का आचरण रहा है।</a> महापुरूषों के अनुसरण में ही कल्याण है। इसमें मुझे ज़रा भी शक नहीं है और आपको भी नहीं होना चाहिये। इस प्रकार मैं हिन्दू आस्थाओं को पुष्ट ही कर रहा हूं।<br />4. इसी प्रक्रिया के द्वारा भारतीय संस्कृति सदा अन्य संस्कृतियों के श्रेष्ठ गुणों को आत्मसात करके खुद सबल बनाती आयी है, विदेशी हमलावरों को पचाती आयी है। जो भी यहां आया वह यहीं का होकर रह गया। केवल अंग्रेज़ यहां से वापस जा सके लेकिन डोन्ट वरी अब भारतीय खुद ही वहां जा बसे हैं। आने वाले समय में वहां भी भारतीय संस्कृति ही हर ओर नज़र आएगी। उनमें विकार आ गये हैं और अगर हमें उन पर अपनी श्रेष्ठता साबित करनी है तो अपने विकार त्यागने होंगे और आपस के झगड़े मिटाकर ‘एक‘ होना होगा।<br /><b>दूरियां भ्रम हैं</b><br />5. दूरियां भ्रम हैं और नफ़रतें बेबुनियाद हैं। पाकिस्तानी कलाकारों को भारत की जनता ने विशेषकर हिन्दू जनता ने सदा ही अपने दिल में बैठाया है। पाकिस्तान में भी हिन्दी मूवीज़ ही देखी जाती हैं और भारतीय कलाकारों को सराहा जाता है। मैं फ़िल्में देखे जाने का समर्थन नहीं कर रहा हूं बल्कि एक हक़ीक़त बयान कर रहा हूं। इससे दोनों तरफ़ की जनता के आपसी लगाव का पता चलता है। दुखद यह है कि फ़िल्में अश्लील और हिंसा प्रधान होती हैं, समाज में जुर्म और अनैतिकता फैलाती हैं।<br /><b>हिन्दू सद्गुणों की खान होते हैं </b><br />6. <a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/04/great-indians.html" rel="nofollow">‘हिन्दू सद्गुणों की खान होते हैं‘</a> ऐसा मैं मानता हूं। हिन्दू महापुरूष पवित्र और श्रेष्ठ होते हैं लेकिन किसी भी समाज का हरेक आदमी श्रेष्ठ नहीं हो सकता। हर काल में बहुत सा साहित्य रचा जाता है। धर्म की गति बहुत सूक्ष्म होती है, इसका सही बोध कम लोगों होता है। ज़्यादातर लोग जो मन में आये कहते-लिखते हैं। जिन बातों से महापुरूषों के चरित्र पर दोष आता दिखे, उसे नकार देना ही उचित है। मैं ऐसा ही करता हूं और इसमें महापुरूष का देशकाल नहीं देखता , आप भी ऐसा ही किया कीजिए। श्री रामचन्द्र जी और श्री कृष्ण जी वग़ैरह महापुरूषों के बारे में समाज में जो भ्रम फैला हुआ है उसका निराकरण केवल मेरे तरीक़े से ही संभव है। <br /> <a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/04/pardah.html" rel="nofollow">मेरा साथ दीजिये , मेरा विरोध अनुचित है।</a><br /><b>मुसलमान करते हैं हिन्दुओं से प्यार </b><br />7. मुसलमान भी हिन्दुओं से प्यार करते हैं। मुसलमानों के त्यौहार और विवाह आदि के मौक़ों पर वे हिन्दू भाईयों को बुलाते हैं और वे जाते हैं। हिन्दू भाईयों के विवाह आदि में मुसलमान भी जाते हैं। दोनों के दरम्यान प्यार भरे रिश्ते का यह खुला सुबूत है। <br />8.<a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/04/for-money-sake.html" rel="nofollow"> दोनों समाजों में लालची नेता और क्रिमिनल्स भी हैं।</a> वे अपने स्वार्थ की ख़ातिर हमेशा ही मानवता को रौंदते आये हैं। उनके आचरण से ‘धर्म‘ में या पूरे समुदाय में ही दोष सिद्ध नहीं होता। जो आदमी ऐसा करता है वह तथ्यों के विश्लेषण और निष्कर्ष की विधि से कोरा और नफ़रत में पूरा है, उसके बारे में यही धारणा ज्ञानी लोगों की बनती है।<br /><b>‘एकत्व‘ के आधार </b><br />9. ‘हम केवल शरीर से अलग हैं वर्ना एक ही आत्मा हम सब में प्रवाहित है।‘ भारतीय मनीषियों ने यह सूत्र दिया है।<br />10. ‘हम सब मनु की संतान हैं।‘<br />‘हम सब को रचने वाला भी एक ही परमेश्वर है।‘ <br />हमारे पास एकता के ही नहीं बल्कि ‘एकत्व‘ के बहुत मज़बूत आधार हैं। हमें अपने मूल स्वरूप को पहचानना होगा। बस मेरा यही आग्रह है। <br /><b>क्या मेरा यह आग्रह ग़लत है ?</b>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-4007249251216521332010-09-17T21:20:36.356+05:302010-09-17T21:20:36.356+05:30बहस का टोपिक क्या है?????बहस का टोपिक क्या है?????zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-21914432877684630122010-09-17T21:03:15.689+05:302010-09-17T21:03:15.689+05:30बिलकुल सही कहा ..
सनातन धर्म हिन्दू धर्म का वास्तव...बिलकुल सही कहा ..<br /><b>सनातन धर्म हिन्दू धर्म</b> का वास्तविक नाम हैविवेक आर्यhttp://satishchandgupta.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20988579635990462052010-09-17T20:56:00.416+05:302010-09-17T20:56:00.416+05:30सिन्धु नदी पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, ...सिन्धु नदी पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो स का उच्चारण ह करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को <b>हिन्दू</b>, और उनके धर्म को <b>हिन्दू धर्म</b> कहने लगे।हिन्दूhttp://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%A8_%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AEnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-36283288565019263512010-09-17T20:52:14.965+05:302010-09-17T20:52:14.965+05:30man जी इनसे पूछिए कि नसबंदी विरोध का वैज्ञानिक आधा...man जी इनसे पूछिए कि नसबंदी विरोध का वैज्ञानिक आधार क्या है?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-5352396195094012302010-09-17T20:25:33.883+05:302010-09-17T20:25:33.883+05:30जमाल कश्मीर घाटी मे भी सिखों से सद्भाव एवं प्रेम स...जमाल कश्मीर घाटी मे भी सिखों से सद्भाव एवं प्रेम से इस्लाम स्वीकार करने को कहा गया है न? <br /><br />धन्य है इस्लाम, उसकी प्रेम एवं शांति की शिक्षा और धन्य है उसके मानने वाले। जब इस्लामी राज्य नहीं रहा तब यह हाल है, जब इस्लाम का राज्य था उसके बारे मे मुझे समझने मे कोई भी गलतफहमी नही हो सकतई इस उदाहरण के बाद। वैसे तुम्हारे जानकारी के लिये, विभाजन के पश्चात पाकिस्तान मे लगभग १०% हिन्दु एवं हिन्दुस्तान मे इतने ही मुस्लिम रह गए थे, आज पकिस्तान मे हिन्दु एवं सिख मिल कर ३% बचे हैं (सब प्रेम के वशीभूत हो कर, पाकिस्तान के अखबार तो गलत खबर छापते हैं जजिया एवं अपहरण के बारे मे) और हिन्दुस्तान जहां मुस्लिमों पर दिन रात अत्याचार होते रहते हैं १८%। काश हिन्दुस्तान के हिन्दु भी प्रेम करना जानते होते! <br /><br />रही बात मुफ्त्खोरी की तो इमाम सारे के सारे मुफ्तखोर हैं, साथ ही अनेक किस्से सामने आए जब इन सबने पैसे ले कर फतवे दिए, अर्थात भ्रष्ट भी।<br /><br />निश्चित तौर पर हम जो भी भोगते हैं अपने पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर भोगते हैं, तो आज मै जो तुम्हारे कुप्रचार का विरोध कर रहा हूँ वो अगले जन्म को सुधारने के लिए।<br /><br />तुमने कहा कि मुस्लिम क्यों श्रीकृष्ण का मंदिर वापस दें - Impact (कैरानवी) पढ ले जमाल मानता है कि मुस्लिमों ने मंदिर गिरा कर मस्जिद बनाई है, अब आगे से सारे सबूत भी यही से मांगना मुझसे नहीं। जमाल तुम्हारे लिए, तुम असली वारिस हो योगेश्वर श्रीकृष्ण के तो उनके जगह पर उनसे संबंधित कर्म करो, उनका वहां से उन्मूलन क्यों? <br /><br />महक - जमाल के इस स्वीकरिक्ति के आलोक मे एक प्रश्न तुमसे - क्या तुम भी कृष्ण मंदिर गिरा कर मस्जिद बनाना उचित समझते हो? राजेन्द्र स्वर्णकार - कृपया आप भी अपने विचार इस पर रखें।<br /><br />एक ईश्वर या तीन ईश्वर - जमाल तुमको पहले भी समझा चुका हूँ यह सिर्फ समझाने के लिये है, अन्यथा गीता मे योगेश्वर श्रीकृष्ण ने स्पष्ट किया है कि सब एक हैं। शेष जब तक तुम अपने मस्तिष्क मे जहर भर कर रखोगे कभी नही समझोगे। हमे कोई भ्रम नही है कि यहाँ सारे post हिन्दुओं को लक्ष्य बना कर उन्हे नीचा दिखाने के लिये हैं।<br /><br />जमाल गीताप्रेस का नाम बच्चा जानता है, मैने कहा, बचपन से हि धार्मिक पुस्तकें पढने मे मेरी रुचि रही माता जी के प्रभाव से मैने भागवत पुराण ४-५ बार पढी है और यह उल्लेख मेरी पुस्तक, जो कि गीताप्रेस से ही है, कही नही आया। अतः मैं इसे मानने से इंकार करता हूं।<br /><br />जमाल मुझे किसी निराकरण की आवश्यकता नही है, जिस प्रकार तुम्हारे पास भागवत पुराण है, मैने भी इस january मे पुस्तक मेला से कुरान की एक प्रति खरीदी है, उदाहरण उसी से दिए हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-58579608723057530192010-09-17T20:21:35.633+05:302010-09-17T20:21:35.633+05:30जमाल साहब दाद देनी पड़ेगी आपकी, खतने का तो वैज्ञानि...जमाल साहब दाद देनी पड़ेगी आपकी, खतने का तो वैज्ञानिक आधार हे, लेकिन ८४ हूरो का भी वैज्ञानिक आधार हे क्या ?हमें समझाइए ,ये सभी BATE सांकेतिक हे ?हा हा हा बिना खाल का लिंग मतलब ?Manhttps://www.blogger.com/profile/04207741457433540498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-46086103756526018012010-09-17T19:55:29.368+05:302010-09-17T19:55:29.368+05:30जमाल जी का बहुत बहुत धन्यवाद जो उन्हों ने लक्ष्मी...जमाल जी का बहुत बहुत धन्यवाद जो उन्हों ने लक्ष्मीशंकराचार्य जी का महान शोध ग्रन्थ के बारे में बताया .<br />लक्ष्मीशंकराचार्य जी शायद इस्लाम की कुछ अच्छईया बताना भूल गए है . तो मेरा फर्ज है की मैं आप को बताऊ .आप के पैगम्बरों पर एक महान शोध अनवर शेख जी ने भी किया है .<br />सत्य जानने का अवसर मत गवाईये .आखिर एक दिन आप ऊपर वाले को क्या जवाब देंगे .<br />अनवर शेख जी की दूरदर्शी द्रष्टि को कोटि कोटि प्रणाम<br />ये देखिये सत्य और इस को आत्मसात कीजिये ,<br />hindusthangaurav.com/books/islam_arab_samrajyavad.pdfABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-11278103661224052222010-09-17T19:28:25.124+05:302010-09-17T19:28:25.124+05:30मै शंकर का वह क्रोधानल,कर सकता जगती क्षार-क्षार.
म...मै शंकर का वह क्रोधानल,कर सकता जगती क्षार-क्षार.<br />मै डमरू की वह प्रिय ध्वनि हूँ,जिसमे नाचता भिसन संहार.<br />रणचंडी की अतृप्त प्यास,मै दुर्गा का उन्मत्त हास.<br />मै यम की प्रलयंकर पुकार,जलते मरघट का धुआधार.<br />फिर अंतरतम की ज्वाला से,जगती में आग लगा दूं मै.<br />गर धधक उठे जल,थल-अम्बर,तो फिर इसमें कैसा विस्मय.<br />हिन्दू तन मन,हिन्दू जीवन,रग-रग हिन्दू मेरा परिचय.<br />मै आदि पुरुष निर्भयता का,वरदान लिए आया भू पर.<br />पय पीकर सब मरते आये,लो अमर हुआ मै विष पीकर.<br />अधरों की प्यास बुझाई है,मैंने पीकर वो आग प्रखर.<br />हो जाती दुनिया भास्म्सार,जिसको पल भर में ही छूकर.<br />भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन.<br />मै नर,नारायण-नीलकंठ,बन गया न इसमें कुछ संसय.<br />हिन्दू तन-मन,हिन्दू जीवन,रग रग मेरा हिन्दू परिचयABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-23254921518241258912010-09-17T19:21:04.300+05:302010-09-17T19:21:04.300+05:30aap ke shaanti ki kaamna karta hun .
@ MAN जी !
@...aap ke shaanti ki kaamna karta hun .<br />@ MAN जी !<br />@ रविन्द्र जी !<br /> (१ ) आपने कहा कि मूल ग्रन्थ से छेड़-छाड़ हुई है, मैंने प्रेस का नाम भी दिया है " गीता प्रेस गोरखपुर" और यह प्रेस भारत में धार्मिक पुस्तकें छापने में प्रथम स्थान रखती है, इसलिए वहां ऐसी घटिया हरकत ( छेड़-छाड़ ) की कोई गुंजाईश नहीं । <br /> (२ ) गंगा में गिरकर गन्दे नाले पवित्र हो जाते हैं, आप कि यह सोच गलत है. इसी के चलते हिन्दुओं ने तमाम गंदे नाले और अपने मुर्दे गंगा में बहादिये नतीजा यह हुआ कि गंगा तो उन्हें पवित्र न कर पाई लेकिन उस गंदगी ने गंगा की पवित्रता ख़त्म करके उसे ज़हरीला बना गिया यहाँ तक कि, बनारस में गंगा जल आचमन के लायक भी न बची। आपने हिन्दू धर्म की तुलना गंगा से ठीक ही की है, गंगा हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज का दर्पण,प्रतिक है जो दुर्दशा आज गंगा की है वही हिन्दू धर्म व हिन्दू समाज की भी है यह एक दुखद सत्य है । बहुतसे फलसफ़ियों और कवियों ने अपने गंदे विचार पवित्र ज्ञानगंगा में मिलाकर उसे भ्रष्ट कर दिया और भारत के विश्व गुरु पद को नष्ट कर दिया। भारत को उसका खोया हुआ गौरव वापस दिलाना है , हरेक गंदगी को जलगंगा और ज्ञानगंगा दोनों से हटाना है,। इस महान सेवा और सहयोग के लिए मुस्लिम आलिम और अवाम सभी तैयार हैं, हमारा प्रस्ताव स्वीकार कीजिये, हमारा प्रस्ताव भी गंभीर और प्रयास भी सार्थक होंगे, ऐसा हमें विश्वास है आप भी विश्वास कीजिये । विश्वास को अरबी में ईमान कहते हैं .भाषा का अंतर है लेकिन अर्थ एक है। <br />(३) ख़तना एक धार्मिक संस्कार है इससे पवित्र रहना आसान है. बीमारियों की रोकथाम में भी मददगार है जगह-जगह स्थापित लिंग के स्टेच्यूज़ पर भी लटकी हुयी खाल दिखई नहीं देती, इससे पता चलता हैं कि यहूदियों और मुसलमानों से पहले भी ज्ञानी पुरुष अपने लिंग को लटकी हुई खाल से मुक्त रखना पसंद करते थे। <br /><b>ख़तना पूरी तरह वैज्ञानिक है खतना का वैज्ञानिक आधार यहाँ देखें</b><a href="http://aids.about.com/od/hivprevention/a/circumcision.htm" rel="nofollow"><b>यहाँ पढ़ें</b></a><br />@ रविन्द्र जी ! कुरआन के सम्बन्ध में ग़लतफहमियों के निराकरण लिए देखें स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी का महान शोध ग्रन्थ इस लिंक पर http://siratalmustaqueem.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com