tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post1150123715160513923..comments2023-10-18T23:46:43.430+05:30Comments on Ved Quran: The Life style of Sri Krishna आखि़र कोई तो बताये कि श्री कृष्ण जी ने कहां कहा है कि वे ईश्वर हैं और लोगों को उनकी पूजा-उपासना करनी चाहिये ? - Anwer JamalDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger66125tag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-8901717313775606052012-02-13T14:55:04.822+05:302012-02-13T14:55:04.822+05:30सत्य पाने का सनातन मार्ग
@ भाई रवीन्द्र नाथ जी ! ध...<b>सत्य पाने का सनातन मार्ग</b><br />@ भाई रवीन्द्र नाथ जी ! धर्म का ज्ञान उसी से लिया जाता है जो धर्म के अनुसार आदर्श आचरण भी करता हो। जो आदर्श आचरण करने वाले से ज्ञान नहीं लेता, वह सत्य का ज्ञान कभी पा नहीं सकता। जिसने भी सत्य पाया है इसी मार्ग से पाया है। आप इससे हटकर चलते हैं तो यह आपकी मर्ज़ी है।<br /><b>ईशवाणी में बुरी बातों की शिक्षा नहीं दी जाती</b><br />@ संजीव जी ! ईश्वर की वाणी क़ुरआन से पहले भी आई है। क़ुरआन सहित ईश्वर की सभी वाणियां ऐसी हैं कि उनमें कोई एक बात भी बुरी नहीं हो सकती। क़ुरआन से पहले आ चुकी वाणियों का कुछ न कुछ हिस्सा आज भी मिलता है। वह भी हमारी बात की सत्यता को प्रमाणित करता है।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-25810380271552838172010-10-04T23:36:40.200+05:302010-10-04T23:36:40.200+05:30Aap hindu dharma par aur hindu granthon par itna k...Aap hindu dharma par aur hindu granthon par itna kuchh acha aur bura likhten hain. Aap apni jankari ke mutabiq batayen ki Kuraan main kya kya baten hai jo achchi nahin hain. (Apka jawaab padh kar hi main ye faisla karoonga ki bhavishye mein aap ke blog par aaya jaye ya nahin)Sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/05865346251263788459noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-7870353602963538522010-09-25T04:44:47.673+05:302010-09-25T04:44:47.673+05:30श्री कृष्ण जी ने कहां कहा है कि वे ईश्वर हैं और लो...श्री कृष्ण जी ने कहां कहा है कि वे ईश्वर हैं और लोगों को उनकी पूजा-उपासना करनी चाहिये.<br />ठीक है नहीं कहा होगा? या कहा हो? इस से क्या फर्क पड़ता है? जो श्री कृष्ण को मां ता है, यह उसका मसला है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-51136679654264715122010-09-22T22:16:39.172+05:302010-09-22T22:16:39.172+05:30मैं तो सिर्फ मथुरा की बात कर रहा हूँ उस पर क्या कह...मैं तो सिर्फ मथुरा की बात कर रहा हूँ उस पर क्या कहना है कृष्ण भक्त?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20586194390434793892010-09-22T21:58:22.018+05:302010-09-22T21:58:22.018+05:30@ भाई मेरे प्यार में तो लोग जान दे देते हैं , आप ए...@ <a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/09/mandir-masjid-anwer-jamal.html" rel="nofollow">भाई मेरे प्यार में तो लोग जान दे देते हैं , आप एक शहर से अतिक्रमण की क्या बात करते हो . जब नफरत की दीवारें गिरा दी जाएँगी तब न कोई कश्मीर मांगेगा और न कोई कश्मीर से भागेगा .</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-78081276554534152912010-09-22T21:09:15.795+05:302010-09-22T21:09:15.795+05:30जमाल जी मैं पुनःश्च कहता हूँ कि मै किसी भी धर्म को...जमाल जी मैं पुनःश्च कहता हूँ कि मै किसी भी धर्म को उसके आदर्शों की बजाए उसके अनुयायियों के आचरण से समझता हूँ, कया मेरे द्वारा माननीय शंकराचार्य की पुस्तक पढने से कश्मीर के सिखों को अभय दान मिल जाएगा? क्या पाकिस्तान मे सिख बंधुओं का उत्पीडन रुक जाएगा? अगर हाँ तो मैं, इस पुस्तक का पाठ जरूर करूँगा, पर यह कैसे होगा आप मुझे समझाइए।<br /><br />पुनःश्च - मथुरा पर से अतिक्रमण कब हटा रहे हैं?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-41763045693967565402010-09-22T20:53:27.465+05:302010-09-22T20:53:27.465+05:30@ प्यारे भाई रविन्द्र जी ! कृपया क्रोध न करें ,पहल...@ प्यारे भाई रविन्द्र जी ! कृपया क्रोध न करें ,पहले एक बार स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य जी की पुस्तक पढ़ लीजिये , उन्हें भी इसी तरह की बहुत सी गलतफहमियां थीं . प्लीज़ , एक प्यार भरी विनती है यह .<br />@ Bhai Abhishek ji !<br /><b>डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ‘अज्ञात‘ की टिप्पणी</b><br />नक्षत्राणामहं शशी<br />अर्थात नक्षत्रों में मैं चंद्रमा हूं गीता, 10, 21 <br />यह बात प्राचीन भारतीय मान्यताओं और आधुनिक खगोलविज्ञान दोनों दृष्टियों से ग़लत है। यजुर्वेद (तैत्तरीय संहिता 4,4,10) और शतपथ ब्राह्मण (10,5,45) में 27 नक्षत्रों के नाम हैं। अथर्ववेद (19,7,1) में 28 नक्षत्र कहे गये हैं और महाभारत (अनुशासनपर्व, अ. 64) में 29 नक्षत्रों के नाम बताए गये हैं। <br />1. कृत्तिका, 2. रोहिणी, 3. मृगशिरा 4. आद्र्रा 5. पुनर्वसु 6. पुष्य 7. आश्लेषा 8. मघा 9. पूर्वा फाल्गुनी 10. उत्तरा फाल्गुनी 11. उत्तरा 12. हस्त 13. चित्रा 14. स्वाती 15. विशाखा 16. अनुराधा 17. ज्येष्ठा 18. मूल 19. पूर्वाषाढ़ा 20. उत्तराषाढ़ा 21. अभिजित 22. श्रवण 23. धनिष्ठा 24. शतभिषा 25. पूर्वा भाद्रपदा 26. उत्तरा भाद्रपदा 27. रेवती 28. अश्विनी 29. भरणी <br />यहां कहीं भी चंद्रमा को नक्षत्रों में नहीं गिना गया। स्पष्ट है कि प्राचीन भारतीय दृष्टि से चंद्रमा को नक्षत्र नहीं कहा जा सकता। <br /> आधुनिक विज्ञान का मत है कि चंद्रमा न केवल नक्षत्र नहीं है, बल्कि यह ग्रह भी नहीं है। यह तो पृथ्वी का उपग्रह मात्र है। उसे नक्षत्र कहना ग़लत है। ऐसे में गीता का लेखक सर्वज्ञ सिद्ध नहीं होता। <br /><b>(क्या बालू की भीत पर खड़ा है हिंदू धर्म, पृष्ठ 460)</b><br />यह पूरी टिप्पणी डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ‘अज्ञात‘ की है। क्या आप उनके ज्ञान को भी अधकचरा कहने का साहस करेंगे ?<br />नहीं, अब आपकी हिम्मत नहीं होगी, क्योंकि अब आपके सामने किसी मुसलमान का नहीं बल्कि एक पण्डित का नाम है। विश्व पुस्तक मेले में यह पुस्तक भी बिक रही थी, आप इसे क्यों नहीं लाए ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-75530331380785089742010-09-22T20:09:22.850+05:302010-09-22T20:09:22.850+05:30जमाल हाँ मैने लिखा था कि मेरा मोह भंग हो चुका है ध...जमाल हाँ मैने लिखा था कि मेरा मोह भंग हो चुका है धर्म ग्रन्थों से क्योंकि यह हमारे समाज को प्रेरित करने मे दुर्भाग्य से अक्षम सिद्ध हो रही हैं, और इस समय जो धर्मग्रन्थ सबसे अधिक चर्चा मे है वो निरपराध लोगो को मौत के घाट उतारने के संदेश देने के लिए कुख्यात है इस समय। इस समय मैं योगेश्वर श्रीकृष्ण के "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् । परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुस्-कृताम्, धर्म-संस्थापन-अर्थाय सम्भवामि युगे युगे ।" अनुरूप उनकी ही प्रतीक्षा कर रहा हूँ जो कि उनके जन्म्स्थल पर उनके मंदिर को ध्वस्त करने वालों को समुचित उत्तर देगें, अपने शस्त्रों से।<br /><br />वासना गीता को मानने या न मानने मे नही है, वासना तो धर्म की आड मे अधर्म करने मे है, मांसाहार मे है, रक्त संबंध दूषित करने मे है। अपने रक्त संबंध मे विलास करने मे है। दूसरों को प्रताडित करने मे है, porklistan मे हिन्दुओं से, सिखों से जजिया मांगने मे है, कश्मीर मे सिखों को धर्म परिवर्तन की धमकी देने मे है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-79303683185947948992010-09-22T20:08:51.692+05:302010-09-22T20:08:51.692+05:30जमाल तुम्हारा कृष्ण के विषय मे कितना गहन ज्ञान है ...जमाल तुम्हारा कृष्ण के विषय मे कितना गहन ज्ञान है सब एक के बाद एक करके बाहर आ रहा हैः- १. नरकासुर और भौमासुर दो हैं, २. कृष्ण ने नही कहा कि वो ईश्वर हैं। कृष्ण ने अर्जुन को जब अपना विराट रूप दिखाया था तब क्या कहा था वो भी बता दो - जरूर कहा होगा कि मेरा एक चेला आयेगा वो तुम सबको अपनी बहुओं से विलास करने की आजादी देगा यही परम सत्य है। संभवतः यही कहा होगा, जरा तुम्हारे पास गीता की जो प्रति है देख लेना उसमे वैसे भी पिछले post मे कैरानवी ने स्वीकार किया था कि वो रुपये मे मिलने वाली किताबों से धर्म सीखता है, तो तुम्हारे धर्म ज्ञान का क्या स्तर होगा वो दिखता है।<br /><br />मुफ्तखोरी - अगर मंदिर मे चढावा मुफ्तखोरी है तो मस्जिद और मजार पर चढावा मे कौन सा पहाड तोडना पडता है जरा इसका उल्लेख विस्तार से आवश्यक है।<br /><br />श्रीकृष्ण के असली वारिस तनिक स्पष्ट करेंगे कि वो श्रीकृष्ण से संबंधित गतिविधियां कब प्रारंभ करेगे मथुरा जन्मभूमि पर। क्या श्रीकृष्ण के असली वारिस यह बताने का कष्ट करेगे कि मंदिर तोडने के विषय मे कुरान मे क्या लिखा है? <br /><br />अगर यह नाजायज है तो कुरान कि बात मानते हुए कब वापस कर रहे हो हमे मंदिर? <br /><br />और अगर जायज है तो इस्लाम मे शांति की परिभाषा से हम सभी अवगत होना चाहेंगे।<br /><br />कृष्ण जी ने अनेक विवाह किये पर एक भी रक्त संबंध मे नही किए - मुस्लिम स्वीकार करेंगे यह बंधन?<br /><br />कृष्ण जी ने शिकार खेला पर गौ वध निषेध रहा - मुस्लिम स्वीकार करेंगे यह बंधन?<br /><br />कृष्ण जी ने इन्द्र की पूजा रुकवाई - गोवर्धन की प्रारंभ कराई - क्या मुस्लिम स्वीकार करेंगे यह?<br /><br />फिर तो मुस्लिम भी उन बातों को नही मानता है जिनका प्रवर्तन श्रीकृष्ण जी करते थे, पर हिन्दु कम से कम उनको अपना भगवान मानता है, उनके जन्मस्थल पर जबरन कब्जा नही करता जो मुस्लिम करते हैं, फिर कैसे मुस्लिम उनके अनुयायी हुए?<br /><br />सब पूजा पद्धति ठीक हैं, तो जिस तरीके से सदियों से पूजा चलती आ रही थी उसको रोक कर मंदिर क्यों तोड दिया?<br /><br />मदीने मक्का की बात करके ढोंग मत रचो, दिल्ली मे महरौली मे मस्जिद के सामने सरकारी शिलालेख है, यह मस्जिद मंदिरों को ढहा कर बनाई गई है, है हिम्मत तो सिर्फ उसको ही दे कर दिखा दो, उसका तो कोई महत्व भी नही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-6996139207552848402010-09-22T20:08:09.761+05:302010-09-22T20:08:09.761+05:30जमाल मेरे विषय मे कोई दूसरा क्यों तुम्हारे एतराज क...जमाल मेरे विषय मे कोई दूसरा क्यों तुम्हारे एतराज को मानेगा?<br /><br />कुछ मेरी तरफ से भी हो जाएः-<br /><br />महक - बहुत अच्छा लगा कि तुमने निष्पक्ष हो कर विचार किया और यह जानते हुए भी कि तुम्हारा ज्ञान हिन्दु धर्म्ग्रन्थों के विषय मे शून्य है, तुमने बिना श्रीमद्भागवत पुराण पढे जमाल को सही और मुझे गलत बोल कर न्याय की जो पक्षधरता की है, उसको स्वर्णाअक्षरों मे जगह मिल जाएगी। रही बात धमकाने की तो पुलिस की आहत ही चोर को धमकी लगती रही है सदियों से, इसमे पुलिस का कोइ दोष नही है। तुमने कहा कि बहस कि दिशा होनी चाहिए कि सही क्या हैः- चलो मैं तुमसे पूछता हूँ क्या तुम ऐसे किसी को भगवान मानते हो जो अपने पुत्री से बलात्कार करे? या तुम किसी हिन्दु को जानते हो जो ऐसा माने? पर मुस्लिम समुदाय अपनी पुत्रवधु से बलात्कार को न सिर्फ जायज मानता है बल्कि इसे शादी करने का लाईसेन्स भी मानते है, भले ही लडकी राजी न हो। और वैसे भी जमाल मुझसे ज्यादा हिन्दु ध्र्म के विषय मे जानते हैं ठीक उसी प्रकार जैसे उनका ज्ञान नरकासुर का एक नाम भौमासुर भी है के बारे मे है, इसी से ज्ञात होता है<br /><br />अयाज़ः- पेट मे दर्द तो तुम लोगो को हो रहा है जब मै पूछना प्रारम्भ करता हूँ इस्लाम के अनुयायियों के हरकतों के बारे मे। जमाल कहता है कि इस्लाम का अनुसरण इस्लाम के अनुयायियों के प्रेम भाव के कारण हैः- जरा घाटी मे दिए गये सिख भाईयों को मुस्लिमों के प्रेम संदेश भी तो सुनाओ कि कैसे प्यार से उन्हे इस्लाम अपनाने को बोलते हो तुम लोग?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-18501598141873772652010-09-22T12:23:06.518+05:302010-09-22T12:23:06.518+05:30@ Bhai !आजकल तो आप दोनों दो बदन एक जान से हो रहे ...@ Bhai !आजकल तो आप दोनों दो बदन एक जान से हो रहे हैं शायद यही वजह है की रविन्द्र जी की जगह आपका नाम लिखा गया , सॉरी. लेकिन आप रविन्द्र जी पर तो मेरा ऐतराज़ उचित मानेंगे ?<br />ऐसा कीजिये पहले आप सभी आदित्यों , मरुतों और नक्षत्रों के नाम एक जगह लिख लीजिये फिर तुलना करके निष्कर्ष निकालना आसान होगा . <br />मैं जो जानता हूँ आपको बताऊंगा और जो नहीं जनता वह आपसे सीखूंगा ., सीख भी रहा हूँ .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-4750635996992155802010-09-22T03:05:27.113+05:302010-09-22T03:05:27.113+05:30आयज जी आप अपने प्रश्न का उत्तर मेरे ब्लॉग में आ कर...आयज जी आप अपने प्रश्न का उत्तर मेरे ब्लॉग में आ कर देख लेABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-2463207406512864092010-09-21T23:35:38.328+05:302010-09-21T23:35:38.328+05:30किसने कहा की चन्द्र नछत्र है ,कम के कम तुलना तो ठी...किसने कहा की चन्द्र नछत्र है ,कम के कम तुलना तो ठीक से कीजिये . <br /><br /> आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्।<br />मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी॥१०- २१॥<br /><br />आदित्यों (अदिति के पुत्रों) में मैं विष्णु हूँ। और ज्योतियों में किरणों युक्त सूर्य हूँ। मरुतों (49 मरुत नाम के देवताओं) में से मैं<br />मरीचि हूँ। और नक्षत्रों में शशि (चन्द्र)।<br /><br />ठीक से पढ़ लो आँखे खोल कर <br />अदिति के पुत्र नही है पर उन की तुलना में विष्णु <br />ज्योति नही है बल्कि स्वयं ज्योति उत्पन्न करने वाले सूर्य है <br />नछत्र नही बल्कि नछत्रो की तुलना में चन्द्र है <br />नछत्रो की तुलना में चन्द्र क्यों है ये मैं बता चुका हू .<br />क्या जमाल जी , आप को हर बात बच्चो की तरह बतानी पड़ती है . या तो आप के समझने की छमता कम है या पूर्वाग्रह से ग्रस्त आप सत्य को देखना ही नही चाहते है .ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-82788653968226008152010-09-21T23:12:50.643+05:302010-09-21T23:12:50.643+05:30@ पंकज जी ! इंसानी आमाल को खुदा कि मुहब्बत में आखर...@ पंकज जी ! इंसानी आमाल को खुदा कि मुहब्बत में आखरी इन्तेहा तक कैसे डुबोया जाए और इंसानी मिज़ाज से नाफ़रमानी को कैसे निकला जाए "इस्लामी तसव्वुफ़" का सब्जेक्ट यही है . कुछ लोग हक़ीकी अर्थों कि ज़ाहिरी ताबीर करते वक़्त मुगालता खा जाते हैं जबकि कुछ लोग सिरे से ही फर्जी होते हैं . सुल्तानों ने तीसरे दर्जे के सूफियों को कभी संरक्षण नहीं दिया . और दूसरे दर्जे के सूफियों कि मुखालिफ़त आलिमों के साथ खुद सूफियों ने भी की जैसा कि मंसूर हल्लाज के वाकये में देखा भी जा सकता है . कठोर वचन आपको शोभा नहीं देते . बाक़ी आपकी मर्ज़ी .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-63522600993823981912010-09-21T23:07:02.351+05:302010-09-21T23:07:02.351+05:30जमाल जी आप झूठ बोल कर मुझे बदनाम करने की कोशिस न...जमाल जी आप झूठ बोल कर मुझे बदनाम करने की कोशिस न करे .<br />आप ने कहा है की <br /><br />''अभिषेक जी कहते हैं कि वे गीता आदि पुराने ग्रंथों के मुताबिक नहीं चलते , यही तो वासना है और ये लोग मुझे नासमझ बता रहे हैं , ताज्जुब है , आपने उनकी न्यायप्रियता का जायजा क्यों न लिया भाई''<br /><br />ये मेरा नही रविन्द्र जी का कथन था . आप का दिया हुआ लिंक भी इस बात की पुष्टि करता हैABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-88939951353699186442010-09-21T22:40:57.422+05:302010-09-21T22:40:57.422+05:30@ अभिषेक १५०२ ! क्या चन्द्रमा नक्षत्र है ? इतनी लम...@ अभिषेक १५०२ ! क्या चन्द्रमा नक्षत्र है ? इतनी लम्बी बात बताई और मूल प्रश्न अधूरा ही छोड़ दिया .<br />क्या आप जानते है की वेदों में नक्षत्रों की तादाद २८ और २९ भी आई है ?<br />क्या आप २९ नक्षत्रों के नाम बता सकते हैं या फिर मैं बताऊँ ?<br />लेकिन एक बात आपकी काबिल ए तारीफ़ है कि जो बात आपको सूझी वह स्वामी प्रभु भक्तिपाद भी न कह सके जो कि "हरे रामा हरे कृष्णा" के संस्थापकाचार्य हैं . बल्कि उन्होंने तो कह दिया कि ब्रह्माण्ड में अनेक सूर्य कि मान्यता ही वैदिक वांग्मय के विपरीत है . मेरे पास उनकी टीका है . ये न तो सस्ती और घटिया होती है और न ही यह सड़क के किनारे बिकती है .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-35223187672820992422010-09-21T22:30:51.567+05:302010-09-21T22:30:51.567+05:30@ मान जी ! आपने कहीं से ७२ हूरों की बात सुन ली और ...@ मान जी ! आपने कहीं से ७२ हूरों की बात सुन ली और मन में ऐतराज़ पाल लिया . कुरआन शरीफ में जिस जगह ७२ हूरों की बात आई हो पहले उस जगह को खुद देख लीजिये तत्पश्चात मुझे दिखा दीजिये , जवाब आपको ज़रूर दिया जायेगा . इतनी लम्बी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-26170951131195764692010-09-21T22:05:09.147+05:302010-09-21T22:05:09.147+05:30जमाल जी , आप से मैंने कहा था की अध कचरा ज्ञान खतरन...जमाल जी , आप से मैंने कहा था की अध कचरा ज्ञान खतरनाक होता है .गीता पूर्णतयः वैज्ञानिक ग्रन्थ है .विज्ञानियों को ये सब जानने में अभी बहुत समय लगेगा .<br />जड़ता मुर्खता है और गीता मूर्खो के लिए नही है .जड़ता छोड़ कर गीता का अध्यन कीजिय जवाब मिल जायेगा .<br />चलिए मैं ही बता देता हू . आप के बस की बात नही है <br />ज्योतिष शास्त्र में सत्ताईस नछत्र माने गए है जो हमें जीवन भर प्रभावित करते है .पर सूर्य और चन्द्रमा नछत्रो की अपेछा अधिक पास है .और ये हमें अन्य किसी की तुलना में अधिक प्रभावित करते है .<br />सूर्य अपनी राशि १ माह में में बदल्रा है जब की चन्द्रमा की राशी ढाई दिन में बदल जाती है .अर्थात चन्द्रमा अधिक chanchal और प्रभावी है . <br />जब चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति से इतने बड़े ज्वार- भाटा आते है की पानी आवेशित हो कर सैकड़ो फुट ऊपर उठ जाता है तो सोचिये हमारे शरीर में 70 % जल है ,ये हमें कितना प्रभावित करता होगा होगा .<br />भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य राशी की अपेछा चन्द्र राशी की मान्यता अधिक है . अर्थात हमें प्रभावित करने वाले नछत्रो की अपेछा चन्द्रमा सर्वाधिक प्रभावित करता है <br /><br />तो भगवान श्री कृष्ण ने क्या गलत कहा .ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-20686603211891050122010-09-21T21:59:35.812+05:302010-09-21T21:59:35.812+05:30This comment has been removed by the author.ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-79800355699491578822010-09-21T20:06:51.369+05:302010-09-21T20:06:51.369+05:30. साहब आप के पर्यास अच्छे हे ,जेसे की 5..6 पहले आ.... साहब आप के पर्यास अच्छे हे ,जेसे की 5..6 पहले आप ने भार्स्ताचार का मुदा उठाया था ,वो बहुत परसंगिक था ,अब भी इन हराम की कमाई पर पलने वाले हराम जादोको आइना दिखाये जमाल जी |ये अनेतिक अपचारी, ये देव्तावो के सामने सर झुकने वाले पाखंडी <br />ये साले हराम की कमाई से poshen करने झूठे वाले लोग ?८०% गरीब जनता की पेट कटाई से मोज उड़ाने वाले chamkaddo के केखिलाफ आंधी कड़ी करने के में, आप का शुक्रिया अता होगा ...जय हिंदManhttps://www.blogger.com/profile/04207741457433540498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-68790085807928703932010-09-21T17:35:18.587+05:302010-09-21T17:35:18.587+05:30डॉ. जमाल साहब जवाब नहीं आप का '''छुरी ...डॉ. जमाल साहब जवाब नहीं आप का '''छुरी को शहद में भिगो '''' के काटते हो आप किसी को ?किसी महान धर्म के महान गरंथ की तोड़ मरोड़ के मनचाही व्याख्या भी कर दी, छद्म एकता भाई चारे के नाम पर बरी भी हो गए,इन गर्न्थो में जो भी असंभव सी दिखाने वाली बाते साकेतिक और पर्तिकात्मक हे ,जेसे की ७२ हूरो का कुरान में वर्णन हे क्या आप शपथ ले के सिद्ध करसकते हो क्या इस ७२ हूरो के मामले को ?जिनके पीछे हजारो युवा बे मोत मारे जाते हे ,इस बारे आप अपील कर सकते हो क्या की भाइयो ७२ हूरे कुछ नहीं केवल भरम हे आप खुदा का दिया जीवन नष्ट ना करे ?आप तो समाज सुधारक हे |या क़ुरबानी के नाम पर लाखो बेगुनाह जानवरों को मोत के मुह सुला के अल्लाह के राजी होने कामना करने वालो ,उसकी नजर में तो सभी बराबर हे ,फिर अपनी जीभ के सवाद की खातिर उस परभू की आड़ लेना ,आप का सबसे बड़ा पाखंड हे |,भला एक निरीह से दिखाने वाले जानवर की गर्दन काट देना किस बात क़ुरबानी,क्या आप की ये परम्परा भी सांकेतिक हे या नहीं ?उसी परकार इस विशाल परम्परा वाले धरम में सांकेतिक परम्पराए हे जो आज के समय में अपर्संगिक हे ,आप ने तो गीता पर ही परशन चिन्ह लगाना शुरू कर दिया ? मेरे हूरों वाले परशन का उत्तर देना सर ? संख्या मुझे ठीक से याद नहीं लकिन लोग तो एक पीछे ही कुर्बान हो जाते हे इतनी के पीछे तो किसी भी मोत के लिए तेयार हो जायेंगे बन्दे ?Manhttps://www.blogger.com/profile/04207741457433540498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-30256077268827952722010-09-21T17:04:12.360+05:302010-09-21T17:04:12.360+05:30जो स्पष्ट नहीं है उसे गूढ़ माना जायेगा चाहे जिस ग्र...<b>जो स्पष्ट नहीं है उसे गूढ़ माना जायेगा चाहे जिस ग्रन्थ में हो लेकिन जो स्पष्ट है उसे नकारा नहीं जायेगा जैसे कि चन्द्रमा नक्षत्र नहीं है .</b>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-81194630916992760222010-09-21T16:55:34.485+05:302010-09-21T16:55:34.485+05:30जैसे कुरआन में कई बातें,गूढार्थ है, तब कुरआन के वि...जैसे कुरआन में कई बातें,गूढार्थ है, तब कुरआन के विश्लेषक कहते है"अलाह ही बेह्तर जानता है"<br />फ़िर ठीक वैसे ही गीता के अनबुझ रहस्यों और प्रतिको के बारे में क्यों नहिं मान लेते कि "सर्वज्ञ ईश्वर ही स्पष्ठ जानता है"सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-5830267977175895422010-09-21T16:40:24.074+05:302010-09-21T16:40:24.074+05:30जैसे कि चन्द्रमा नक्षत्र नहीं होता इसे सामान्य ज्य...जैसे कि चन्द्रमा नक्षत्र नहीं होता इसे सामान्य ज्योतिषी भी जनता है , ये बात श्री कृष्ण जी भला कैसे कह सकते हैं ? इसी तरह इश्वर के गुणों को ले लीजिये और देख लीजिये कि क्या सर्वज्ञता आदि गुण उनमें घटित होते हैं अथवा नहीं ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4259576974473302844.post-8468473985865103002010-09-21T16:35:01.786+05:302010-09-21T16:35:01.786+05:30@जो बात श्री कृष्ण जी ने नहीं कही उसे उनकी नहीं कह...@जो बात श्री कृष्ण जी ने नहीं कही उसे उनकी नहीं कहा जा सकता , यही न्यायप्रियता है .<br />जनाब,<br />कैसे निश्चित होगा यह श्रुत हुबहू नहिं है,कौन सी अतिश्योक्ति है और कौन कल्पना? कौनसा अंश प्रमाणिक शुद्ध है और कौन सा प्रक्षेप? कौन शोधक विश्लेषक गीतार्थ व न्यायक है,कौन पूर्वाग्रहरहित है।<br />कौन सत्य विश्लेषण समर्थ है?<br />अर्थार्त, आप अपनी न्यायप्रियता सिद्ध करने के लिये, आज कैसे सिद्ध करेंगे कि "श्री कृष्ण जी ने नहीं कहा" और श्री कृष्ण जी के कहने के यह मायने नहिं थे। अतित के उस पहलू को सादृश्य,साक्षात करना आपके लिये असम्भव है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com